Mathematical formula and explanation of maharshi patanjali's Yog sutra intro... explanation of law of karma through mathematical formula.. By vishwjit ( M.A yog, 2016) ww.dsvv.ac.in
ali garh movement part2.pptx THIS movement by sir syed ahmad khan who started...
ppt Mathematical yog sutra by Vishwjit verma
1. Mathematical Formula of Patanjali Yoga sutra
प्रस्तुतकतता – विश्वजीत िर्ता (एम.ए. मानव चेतना एवं योग ववज्ञान– देव संस्कृ वत ववश्वववद्यालय)
प्रस्तुतकतता – विश्वजीत िर्ता (एम.ए. मानव चेतना एवं योग ववज्ञान
– देव संस्कृ वत ववश्वववद्यालय)
गवितीय योग विज्ञतन
(पतंजवि योगसूत्र कत गवितीय सूत्र
)
2. गवित एवं पतंजवल योग सूत्र की ववशेषताऐ
• ववज्ञान (भौवतक जीवन ववद्या ) का आधार
• वनवित अनुशासन और क्रमबद्धता
• सतंके वतक भतषत कत प्रयोग
• सतिाभौवर्कतत “ गवित के विन्हों , वनयर्ो
कत सिात्र सतर्तन रूप से अनुपतिन |
• तका पूिा नविन शोधो कत आधतर
• सूत्र रूप र्ें स्पष्ट करने की कु शि
प्रस्तुवत कतरन क्षर्तत |“Inmathematics,a
formulaisanentityconstructedusingthe
symbolsandformationrulesofa
givenlogicallanguage.” 1
प्रस्तुतकतता – विश्िजीत िर्ता (एर्.ए. र्तनि चेतनत एिं योग विज्ञतन– देि संस्कृ तत विश्िविद्यतलय)
• योग ववद्या समस्त अध्यात्म ववद्या (जीवन ववद्या ) का
कें द्रीय व प्रधान आधार
• वनवित अनुशासन और क्रमबद्धता
• संस्कृ त सूत्र रूप भाषा का प्रयोग
• योग ववज्ञान से सम्बवधधत सभी क्षेत्रो में प्रमाि रूप से
व्यापक प्रयोग |
• rdZiw.kZ समस्त योग अभ्यासों व ’kks/kks dk
vk/kkjoizek.k:IkA
• lq=:Ik esaLi"V djusdhdq’kyizLrqfrdj.k{kerkA
• योग ववद्या का सवाावधक प्रमाविक ग्रधथ |
गवित पतंजवल योग सूत्र
3. पतंजवि योग सूत्र - गवितीय योग विज्ञतन (उद्देश्य ि विषय )
सभी को पतंजवल योग सूत्र के
चार पादों में 195 सूत्रों में वविात योग सूत्रों को र्तत्र
३ अध्यतय र्ें कु ि ७२ गवितीय सूत्रों द्वतरत
स्पष्ट, रोचक व प्रमाविक ढंग से प्रस्तुत करने का
प्रयास
प्रस्तुतकतता – विश्िजीत िर्ता (एर्.ए. र्तनि चेतनत एिं योग विज्ञतन– देि संस्कृ तत विश्िविद्यतलय)
वचत्त
वचत्त वृवत
संस्कार
कमा-फल
वचत्त वृवत्त वनरोध
पञ्चक्लेश
अष्टांग योग – यम, वनयम आवद
समावध
संयम- ववभूवतया
कै वल्य आवद
र्तनिीय िेतनत के गहन विज्ञतन के सूत्रर्य व्यतख्यत
4. प्रस्तुतकतता – विश्िजीत िर्ता (एर्.ए. र्तनि चेतनत एिं योग विज्ञतन– देि संस्कृ तत विश्िविद्यतलय)
कर्म-फल = संस्कार प्रवाह
सांख्य एवं योग ववज्ञान में मुख्यतः दो करि
3(वजससे कमा सम्पावदत होते है ) कहे गए है –
१) अधतः करि – (मन, अहंकार, बुवद्ध )वचत्त !
२) बाह्य करि – १० इवधद्रयां (५ ज्ञानेवधद्रयां + ५ कमेवधद्रयां) !
कमा = अंत: करि की वक्रया बाह्य करि
Work = f(ch) × f(gi&ki)
𝐵ℎ → 𝑆𝑛 (भतिसंिेदनत आदद संस्कतर
⟹ कतया → फल
5. Mathematical yogic formula
⟹ 𝐵 ⟺ 𝐴 ⟺ 𝑀 ↖𝑐ℎ ⇌ 𝑔𝑖 𝑘𝑖 ⇌ 𝑡𝑚 𝑚𝑏
प्रस्तुतकतता – विश्िजीत िर्ता (एर्.ए. र्तनि चेतनत एिं योग विज्ञतन– देि संस्कृ तत विश्िविद्यतलय)
Where - B= Buddhi (mahat), A= ahmkar( ego), M= man (mind), Ch= chitta, gi&ki =
sense & motor organs, tm & mb = 5 tanmatraaaye & 5 mahabhut , Sn = sanskar, Bh= bhav
Vriti
Vriti Bh
Sn
6. प्रस्तुतकतता – विश्िजीत िर्ता (एर्.ए. र्तनि चेतनत एिं योग
विज्ञतन– देि संस्कृ तत विश्िविद्यतलय)
Where - f(ch) = function of citta i.e , Bhav sanvednaaye &
(wishes) etc. f(gi&ki) = function of sense & motor organs .
Sn = sanskar, Bh = bhav .
Where - W = Work Done ,
F = Force, S = displacement.
कमा = अंत: करि की वक्रया × बाह्य करि
Work = f(ch) × f(gi&ki)
if f(ch) = Bh
Then , W=Bh × f(gi&ki)
And work → sanskar(sn)
Sn=Bh × f(gi&ki)
वचत्त में संस्कार न बने इसके वलए भाव को ही 0 (वनष्काम ) करना होगा ,अधय दूसरा कोई ववकल्प नही,क्योवक वबना कमा (वक्रया )वकये कोई क्षि भर
भी नही रह सकता | यथा भगवान कृ ष्ि कहते है “न हि कहित्क्षणमहि जातुहतष्ठत्क्यकममकृ त!” अथाात वन:संदेह कोई भी मनुष्य वकसी भी काल में
क्षिमात्र भी वबना कमा वकये नहीं रहता ! -गीता-३/५
𝑖. 𝑒, 𝐵ℎ = 0 ; (तनष्कतर् )
तब sn = Bh× f(gi&ki)
= 0×f(gi&ki) = 0
And If, Sn = 0, then yoga state is achieved.
“तदा द्रष्टु: स्वरूपेSवस्थानम !” प.योग सूत्र-१/३
गीतत – २/४७ “ सर्त्िं योग उच्यते”
२/४८ - “योगः कर्ासु कौशिर् !” २/५१-५३
7. प्रस्तुतकतता – विश्िजीत िर्ता (एर्.ए. र्तनि चेतनत एिं योग विज्ञतन– देि संस्कृ तत विश्िविद्यतलय)
1.Rajat rastogi (sir) (DSVV)
2.HOD sir (Dr. suresh Barnwal) and Teachers of
“Yoga & Health department”
(Dev Sanskriti University , Haridwar)
3.HOD (coordinator)of Mathematics – Dr. Arti Vermaप्रस्तुतकतता – विश्वजीत िर्ता (एम.ए. मानव चेतना एवं योग ववज्ञान
– देव संस्कृ वत ववश्वववद्यालय)
Special Thanks to
Thanks ! धन्यवाद ..!