2. योग शब्द वेदो , उपनिषदों , गीता ,एवं पुराणो आदद में अनत पुराति काल से
व्यवह्वत होता आया है भारतीय दशशि में योग एक अनत मह््वपूणश शब्द है
आत्मदशशि एवं समाधि से लेकर कमशक्षेत्र तक योग का व्यापक व्यवहार हमारे
शस्त्त्रों मे हुआ है
योग संस्त्कृ त िातु 'युज' से उत्पन्ि हुआ है जजसका अर्श है व्यजततगत चेतिा या
आत्मा का सावशभौममक चेतिा या रूह से ममलि। योग ५००० वर्ष प्राचीन भारतीय
ज्ञान का समुदाय है। यद्यपप कई लोग योग को के वल शारीररक व्यायाम ही मािते
हैं जहााँ लोग शरीर को तोड़ते - मरोड़ते हैं और श्वास लेिे के जदिल तरीके अपिाते
हैं |वास्त्तव में देखा जाए तो ये क्रियाएाँ मिुष्य के मि और आत्मा की अिंत
क्षमताओं की तमाम परतों को खोलिे वाले गूढ पवज्ञाि के बहुत ही सतही पहलू से
संबंधित हैं|
योग- महपषश व्यास योग का अर्श समाधि मिाते है परन्तु व्याकरंशास्त्त्र मे योग
शब्द संस्त्कृ त में युज िातु में घञ प्रत्यय लगािे से बिता है युज का अर्श संयुतत
होिा या जोड्िा
महपषश पाणणनि के िातुपाठ के ददवाददगण में युज् समािौ ,रुिाददगण में (युजजर
योगे) तर्ा चुराददगण में युज् संयमिे अर्श में युज िातु आती है संक्षेप में हम कह
सकते है क्रक संयमपूवशक साििा करते हुए आत्मा का परमात्मा के सार् योग करके
(जोड्कर) समाधि का आिन्द लेिा योग है
योगकाअर्श
3. योग के लक्ष्य एवं उद्देश्य
लक्ष्य- योग का लक्ष्य मुजतत की अवस्त्र्ा (मोक्ष) या निवाशण (कै वल्य)के मलए सभी प्रकार
की पीडा को पवजजत करिे के मलये आत््बोि अर्ाशत् आत्म साक्षात्कार है योग स्यक्
जीवि का पविाि है अत: इसका समावेश हमारे दैनिक जीवि में एक नियत चचाश के
रुप में होिा चादहए . योग मिुष्य के व्यजततत्व के शारीररक प्राणणक, मािमसक
भाविात्मक आध्याममक सभी पहलु को प्रभापवत कताश है
मिुष्य जीवि मे योग की उपादेयता को निज्लणखत तीि उद्देश्य के रूप में रेखांक्रकत
क्रकया जा सकता है
योग स्त्वस्त्र् जीवि की कला और पवज्ञाि है
योग व्यजततगत चेतिा और सवभौममक चेतिता का एकाकार है
योग स्पूणश मािवता के मलए एक अिुशासि है
योग की पररभाषा
4. पंताजल योग दशशि के अिुसार
योगः धचत्तवृपत्तनिरोिः ।।
अर्ाशत् धचत के ऊपर नियत्रंण पािे की एक प्रक्रकया है
पवष्णुपुराण के अिुसार :-
जीवि और आत्मा का पुिशममलि ही योग है यह जीव शजतत और परमात्मा
शजतत का एकाकार है
श्रीमद् भगवद् गीता के अिुसार –
युतताहारपवहारस्त्य युतचेष्िस्त्य कमेसु ।
युततस्त्वप्िावबोिस्त्य योगो भवनत दुःखहा ।।
अर्ाशत जजसके आहार पवहार पवचार एवं व्यवहार संतुमलत एवं संयममत है जजिके कमश
में ददव्यता मि में संदा पपवत्रता एक शुभ के प्रनत अभीप्सा है जजिका शयि जागरण
अर्शपूणश है वही सच्चा योगी है
7. अनुलोम-ववलोम
प्राणायामपवधि:-
•ध्याि के आसाि में बैठें।
•बायीं िामसका से श्वास िीरे-िीरे भीतर खींचे।
•श्वास यर्ाशजतत रोकिे (कु ्भक) के पश्चात दायें स्त्वर से श्वास छोड़ दें।
•पुिः दायीं िामशका से श्वास खीचें।
•यर्ाशजतत श्वास रूकिे (कु ्भक) के बाद स्त्वर से श्वास िीरे-िीरे निकाल दें।
•जजस स्त्वर से श्वास छोड़ें उसी स्त्वर से पुिः श्वास लें और यर्ाशजतत भीतर रोककर रखें…
क्रिया साविािी पूवशक करें, जल्दबाजी िे करें।
लाभ:-
•शरीर की स्पूणश िस िाडडयााँ शुद्ि होती हैं।
•शरीर तेजस्त्वी एवं फु तीला बिता है।
•भूख बढती है।
•रतत शुद्ि होता है।
साविािी:-
•िाक पर उाँगमलयों को रखते समय उसे इतिा ि दबाएाँ की िाक क्रक जस्त्र्नत िेढ़ी हो जाए।
•श्वास की गनत सहज ही रहे।
•कु ्भक को अधिक समय तक ि करें।
8. कपालभानत प्राणायाम
पवधि:-
•कपालभानत प्राणायाम का शाजब्दक अर्श है, मजष्तष्क की
आभा को बढािे वाली क्रिया।
•इस प्राणायाम की जस्त्र्नत ठीक भजस्त्त्रका के ही सामाि
होती है परन्तु इस प्राणायाम में रेचक अर्ाशत श्वास की
शजतत पूवशक बाहर छोड़िे में जोड़ ददया जाता है।
•श्वास लेिे में जोर िे देकर छोड़िे में ध्याि कें दित क्रकया
जाता है।
•कपालभानत प्राणायाम में पेि के पपचकािे और फु लािे की
क्रिया पर जोर ददया जाता है।
•इस प्राणायाम को यर्ाशजतत अधिक से अधिक करें।
लाभ:-
•हृदय, फे फड़े एवं मजष्तष्क के रोग दूर होते हैं।
•कफ, दमा, श्वास रोगों में लाभदायक है।
•मोिापा, मिुमेह, कब्ज एवं अ्ल पपत्त के रोग
दूर होते हैं।
•मजस्त्तष्क एवं मुख मंडल का ओज बढ़ता है।
9. भ्रामरीप्राणायाम/
जस्त्र्नत:- क्रकसीध्यािके आसािमेंबैठें.
पवधि:-
•आसि में बैठकर रीढ़ को सीिा कर हार्ों को घुििों पर रखें . तजशिी को काि के
अंदर डालें।
•दोिों िाक के िर्ुिों से श्वास को िीरे-िीरे ओम शब्द का उच्चारण करिे के
पश्चात मिुर आवाज में कं ठ से भौंरे के समाि गुंजि करें।
•िाक से श्वास को िीरे-िीरे बाहर छोड़ दे।
•पूरा श्वास निकाल देिे के पश्चात भ्रमर की मिुर आवाज अपिे आप बंद होगी।
•इस प्राणायाम को तीि से पांच बार करें।
लाभ:-
•वाणीतर्ास्त्वरमेंमिुरताआतीहै।
•ह्रदयरोगके मलएफायदेमंदहै।
•मिकीचंचलतादूरहोतीहैएवंमि
एकाग्रहोताहै।
•पेिके पवकारोंकाशमिकरती है।
•उच्चरततचापपरनियंत्रणकरता
है।