2. प्रत्येक स्वतधीन देश कत जिस प्रकतर एक रतष्ट्रध्वि
होतत है, रतष्ट्रगतन होतत है, रतष्ट्रगीत होतत है, रतष्ट्रमुद्रत
होती है, उसी प्रकतर प्रत्येक रतष्ट्र की अपनी एक
रतिभतषत होती है और ये चतरो प्रतीक ककसी भी
प्रभुततसंपन्न रतष्ट्र की धरोहर होते है।
3. भतरत में कई भतषतएँ बोली ितती है ककं तु भतरत के संववधतन में हहंदी को ही
कें द्र सरकतर की रतिभतषत क्यों बनतयत गयत इसके पीछे मुख्य कतरण ननम्न
है:
हहंदी भतरत के सवताधधक भू-भतग में तथत भतरत की सवताधधक िनसंख्यत
द्वतरत बोली व समझी ितती है।
हहंदीतर (अहहन्दी भतषी) भतषत रतज्यों में भी अधधकतंश िनसंख्यत, हहंदी
बोलती है तथत समझती है।
स्वतधीनतत आंदोलन में हहंदी की अहम भूममकत रही है।
हहंदी की मलवप वैज्ञतननक होने के कतरण इसे सीखनत आसतन है।
‘‘इन्हीं बततों को ध्यतन में रखकर भतरत की संवैधतन सभत ने 14 मसतम्बर
1949 में हहंदी को रतिभतषत के रूप में पतररत ककयत।
4. “भतरत के संववधतन के अनुच्छेद 120, 210, तथत 343 से लेकर 351 तक कु ल 11 अनुच्छेदों में
रतिभतषत संबंधी प्रतवधतन ककए गए है।’’
यहत यह ववशेषरूप से बततनत चतहतत हू, कक अनुच्छेद 343 खंड 2, में यह प्रतवधतन ककयत
गयत कक ककसी बतत के होते हुए भी इस संववधतन के प्रतरंभ से 15 वषा की अवधध तक संघ के
उन सभी शतसकीय प्रतयोिन के मलए अंग्रेिी भतषत कत प्रयोग ककयत िततत रहेगत जिनके मलए
उसकत, संववधतन ननमताण से पूवा प्रयोग ककयत ित रहत थत।
परंतु रतष्ट्रपनत उक्त अवधध के दौरतन आदेश द्वतरत संघ के शतसकीय प्रतयोिनों में से ककसी के
मलए अंग्रेिी भतषत के अनतररक्त हहंदी भतषत कत और भतरतीय अंकों के अंतरतष्ट्रीय रूप के
देवनतधगरी रूप कत प्रयोग प्रतधधाकृ त कर सके गत।
5. 1. क्षेत्र ‘‘क’’:- मध्य प्रदेश, बबहतर, हररयतणत, हहमतचल प्रदेश,
रतिस्थतन झतरखंड, छत्तीसगढ, उत्तरतखंड, अंडमतन ननकोबतर द्वीप
समूह तथत हदल्ली रतिधतनी क्षेत्र अमभप्रेत है।
राजभाषा संबंधी पत्राचार : ककसी भी रतज्य यत संघ रतज्य क्षेत्र
को यत ऐसे रतज्य यत संघ रतज्यक्षेत्र मे ककसी कतयतालय (िो
कें द्र सरकतर कत कतयतालय न हो) यत व्यजक्त को पत्रतचतर
असतधतरण दशतओं को छोडकर हहंदी में होगे और यहद उनमें से
ककसी को कोई पत्रतहद अंग्रेिी में भेिे ितते है तो उनके सतथ
उसकत हहंदी अनुवतद भेित ितएगत।
6. क्षेत्र ‘‘ख’’: गुिरतत, महतरतष्ट्र, पंितब तथत चंडीगढ रतज्य क्षेत्र।
राजभाषा संबंधी पत्राचार : इन क्षेत्रों के कतयतालय (िो के न्द्र
सरकतर कत कतयतालय न हो) को पत्रतहद सतमतन्यत: हहंदी में यत
द्ववभतषी यतहद अंग्रेिी अननवतया हो तो। इसके अनतररक्त यहद
इन क्षेत्रों से हहंदी/अंग्रेिी के सतथ-सतथ दूसरी भतषतओं में भी
पत्रतहद कत अनुवतद भेित ितए तो यह भी अननवतया होगत।
7. क्षेत्र ‘‘ग’’: तममल नतडू को छोड़ कर उपरोक्त वर्णात रतज्यों तथत
संघ रतज्य क्षेत्रों से मभन्न रतज्य तथत संघ रतज्य क्षेत्र समतहहत
है,
राजभाषा संबंधी पत्राचार : इसके ककसी रतज्य यत संघ रतज्य
क्षेत्र को यत ककसी कतयतालय को यत व्यजक्त को पत्रतहद अंग्रेिी
मे होगे।
8. 14.09.1949 :- संववधतन सभत ने हहंदी को संघ की रतिभतषत के रूप में स्वीकतर ककयत
इसमलए इस हदन अंथतात 14 ससतम्बर को ह ंदी हदवस के रूप में मनतयत िततत है।
07.06.1955 :- संववधतन के अनुच्छेद 344(1) के अंतगात प्रथम हहंदी आयोग कत गठन
बी.िी. खेर की अध्यक्षतत में ककयत गयत।
10.05.1963 :- अनुच्छेद 343(3) के प्रतवधतन व तत्कतलीन प्रधतनमंत्री पंडडत िवतहर लतल
नेहरू के आश्वतसन को ध्यतन में रखते हुए ‘‘रतिभतषत अधधननय’’ बनतयत गयत. इसके अनुसतर
हहंदी संध की रतिभतषत तथत अंग्रेिी सह-रतिभतषत के रूप में प्रयोग लतई गई है।
05 मसतम्बर 1967 :- प्रधतनमंत्री की अध्यक्षतत में कें द्रीय हहंदी सममनत कत गठन ककयत गयत,
यह सममनत सरकतर की रतिभतषत नीनत के संबंध में हदशत ननदेश देने वतली सववोचच्च सममनत है।
1977 :- श्री अटल बबहतरी वतिपेई, तत्कतलीन ववदेश मंत्री ने पहली बतर संयुक्त रतष्ट्र संघ की
आम सभत को ‘‘हहंदी’’ में संबोधधत ककयत।
11. प्रमुख कतया प्रतजतत हेतु लक्ष्य
1. हहंदी में मूल पत्रतचतर (ततर, फै क्स, इमेल आहद सहहत) 100 %
2. हहंदी में प्रततत पत्रों के उत्तर हहंदी में हदए ितनत 100 %
3. अंग्रेिी में प्रततत पत्रों के उत्तर हहंदी तथत अंग्रेिी में हदए ितनत 100 %
4. कम्तयूटर/इलेक्रतननक उपकरण क्रय (द्ववभतषी) 100 %
5. वेबसतईट (द्ववभतषी) 100 %
6. नतगररक चतटार तथत िन सूचनत बोडा आहद कत प्रदशान (द्ववभतषी)100 %
7. कोड, मेनुअल, फतमा, प्रकक्रयत सतहहत्य कत हहंदी में अनुवतद 100 %
8. धतरत 3-3 पत्रतचतर (सतमतन्य आदेश, ज्ञतपन, संकल्प, अधधसूचनतएं, ननयम, करतर,
संववदत, टेंडर नोहटस, संसदीय प्रश्न आहद) 100 %
9. हहंदी में टीप 75 %
10. हहंदी पुस्तकों कत क्रय आहद 50 %
12. पूवा वर्णात 10 बबंदुओं से हमें लक्ष्य प्रततती में आसतनी तो होगी लेककन इसके
अनतररक्त कु छ और भी प्रयतस ककए ित सकते है जिससे ‘‘रतिभतषत’’ के
अंतगात हहंदी में कतया कत स्तर बढत सकते है िो लक्ष्य प्रततती में सहयोग
प्रदतन करेगे।
1. रतिभतषत के अंतगात तीन कतयाशतलतओं के अनतररक्त प्रत्येग 02 मतह में एक
व्यतख्यतन ककयत ित सकतत है।
2. ‘‘संवतद’’: ववमभन्न, ववषयों के अंतगात ‘संवतद’ आयोजित ककए ित सकते
है।
3. ‘‘आयतम’’ पबत्रकत कत कम से कम छ:मतमसक प्रकतशन अननवतया हो।
13. 5. वृतधचत्रों की प्रदशान: हहंदी के ववकतस पर प्रकतश डतलने वतले वृत्तधचत्र सूचनत व प्रसतरण
मंत्रतलय के कफल्म प्रभतग द्वतरत तैयतर ककए गये है उनकत प्रदशान (उदयतंिली, एकतत कत पवा,
हहंदी सब संसतर, हहंदी की वतणी, एकतत की वतणी, देश की वतणी, भतरती की वतणी, 14 मसतम्बर
1949, संववधतन के सतक्षी)।
6. लोक रूधच व्यतख्यतन: रतिभतषत अंतगात संग्रहतलय में व्यततत लोकरूधच व्यतख्यतन मतलत के
अंतगात ‘‘रतिभतषत’’ ववषयक व्यतख्यतन भी ककए ित सकते है।
7.वतवषाक व्यतख्यतन:- रतिभतषत में अहम योगदतन से संबंधधत व्यतख्यतन कत आयोिन अथवत
संग्रहतलय ववषयक व्यतख्यतन हहंदी भतषत में प्रस्तुत करनत भी एक पहल हो सकती है।
8. मतनव संग्रहतलय द्वतरत प्रकतमशत िनाल “ह्यूमन कतइंड [Human Kind] में हहंदी के शोध
पत्रों को भी शतममल ककयत ित सकतत है I
9. IGRMS Newsletter िो एक बत्र-मतमसक प्रकतशन है, द्ववभतषी रूप से प्रकतमशत होंनत
चतहहए
14. 1. हहंदी: भतषत, रतिभतषत और मलवप. /परमतनन्द, पंचतल
2. रतिभतषत व्यवहतर./ कु सुमवीर एवं दोहरे
3. रतिभतषत ववमशा./ परमतर, वीरेन्द्र
4. रतिभतषत हहंदी : समस्यतएँ एवं समतधतन./ स्वतधीन, शमश
नतरतयण.
5. हहंदी कतया ननदेमशकत. / पतलीवतल, गगा एवं चतुवेदी
15. मोहम्मद रेहान (पुस्तकालय अनुभाग)
रविन्द्र कु मार गुप्ता (पुस्तकालय अनुभाग)
कु . सीमा वितोवलया (वहिंदी राजभाषा अनुभाग)