SlideShare ist ein Scribd-Unternehmen logo
1 von 22
Downloaden Sie, um offline zu lesen
ारा –
डा. ममता उपा याय
एसो. ो. राजनीित िव ान
कु. मायावती राजक य मिहला ातको र महािव ालय
बादलपुर ,गौतमबु नगर , उ . .
राजनीित िव ान
बी. ए .ि तीय वष
तुलना मक शासन और राजनीित
इकाई -1
िविध का शासन -अथ , िवशेषता ,सीमाये एवं नवीन वृि
उ े य :
तुत ई – साम ी से िन ां कत उ े य क ाि संभािवत है
1.िविध के शासन क अवधारणा का ान
2.ि टेन मे िविध के शासन क ावहा रक ि थित का ान
3.भारत मे िविध के शासन क चुनौितय से प रचय
4.भारत और ि टेन मे िविध के शासन क जानकारी के आधार पर
तुलना मक िव ेषण क मता का िवकास
5.िविध के शासन संबंधी नवीनतम धारणा से प रचय
6.राजनीितक व था के ावहा रक कायकरण क समझ का
िवकास
कानून का शासन [Rule Of Law]
रा य के उदय और िवकास के साथ- साथ राजमम के म य यह
िवचारणीय रहा है क शासन का आधार या हो । एक ि का िववेक,
समाज के कुछ सं ांत लोग का िववेक या समाज का सामूिहक िववेक जो
कानून मे कट होता है । राजत मे शासन का आधार एक ि अथात
राजा का िववेक होता था । कुलीनतं ीय व था समाज के कुलीन लोग
के िववेक के अनुसार संचािलत होती रही, क तु आधुिनक लोकतं ीय
रा य के शासन का संचालन सामूिहक िववेक के तीक कानून के
मा यम से होता है िजसे सामा यतः कानून का शासन कहते ह ।
ऑ सफोड िड शनरी मे ‘’कानून क स ा और भाव को मह व देने वाले
शासन ‘’को िविध के शासन के प मे प रभािषत कया गया है । चू क
लोकतं ीय सरकार का संचालन संवैधािनक कानून के मा यम से होता
है, अतः कानून का शासन संिवधानवादी शासन के साथ स ब हो जाता
है । संिवधान क र ा का दािय व यायपािलका का होता है, इसिलए
यह य तः याियक व था का अंग और िवशेषता बन जाता है ।
कानून का शासन भावी तभी बन सकता है, जब उसके समान और
उिचत या वयन क व था क जाय । समसामियक आ थक उदारी
करण के दौर मे हायक जैसे अथ शाि य क मा यता है क कसी देश
के आ थक िवकास के ल य को ा करने मे िविध का शासन अ यंत
सहायक है ।
कानून के शासन क मह ा पर ारि भक यूनानी व रोमन िवचारक ने
काश डाला था । अपने ारि भक ंथ रपि लक मे दाशिनक राजा
के शासन को आधार मानने के बावजूद लेटो ने अपनी पु तक ‘द लाज’
मे कानून के शासन को ही ावहा रक बताया था । पहली बार कानून के
शासन को पुरजोर मह व देते ए अर तू ने कया क ‘हमे अ छा
नेता चािहए या अ छा कानून ‘? िनःसंदेह कानून व तुिन होने के कारण
अिधक यायोिचत है । रोमन िवचारक िससरो का भी मत था क
वतं ता क र ा के िलए हम सभी कानून के सेवक ह । यही नह , रोमन
लोग ारा िवकिसत कानून संिहता िविभ रा य क कानूनी व था
का आधार बनी । आधुिनक युग मे िविध के शासन का थम योग
कॉटलड के धमशा ी सैमुएल रदरफोड ने रा य के दैवी अिधकार के
िव वाद -िववाद के दौरान कया था । इं लड के िवचारक जॉन लॉक
ने ि गत वतं ता क र ा हेतु िवधाियका ारा िन मत कानून को
आव यक बताया था । िविध के शासन क अवधारणा को लोकि यता
दान करने मे 19 वी - 20 वी सदी के यायशा ी ए. वी. डायसी का
िवशेष मह व है। 1776 मे ि टेन से आजादी िमलने के बाद अमरीक
संिवधान क आधारिशला कानून के शासन के आधार पर रखी गई ।
आधुिनक युग के लगभग सभी रा य िविध के शासन को आदश मानते ए
इसे अपनाने का यास कर रहे ह ।
िविध के शासन क धारणा के उदय के कारण –
आधुिनक युग मे िविध के शासन क बात राजतं ीय व था मे शासक
क वे छाचा रता पर िनयं ण के उ े य से सामने आई । लोकतं के
अ ज ि टेन मे राजा क इ छा के थान पर सामा य कानून व संसदीय
कानून क सव ता थािपत करने क मांग जनतं ीय आंदोलन ारा
क गई िजसका उ े य शासन के अ याचार से नाग रक अिधकार क
र ा करना था । उस समय तक शासक वयं ारा िन मत कानून से ऊपर
समझा जाता था ।पुनजागरण आंदोलन के प रणाम व प उ दत
ि वादी िवचारधारा ने ि गत अिधकार को मह वपूण मानते ए
इनक र ा हेतु रा य के िनरंकुश अिधकार के थान पर िविध के शासन
क थापना पर बल दया । ि टेन मे ‘ मै काटा ‘ एवं अमरीका मे ‘’ िबल
ऑफ राइ स ‘’इसी वृि के प रणाम थे जो शासक , नाग रक व
सं थाओ सभी को कानून के ित जवाबदेह बनाते थे ।
डायसी ारा ितपा दत कानून का शासन –
डायसी ने अपनी पु तक ‘Introduction To The Study of Law Of
Constitution’[1885] मे िविध के शासन क ा या ि टश संिवधान
क िवशेषता के प मे क है । िविध के शासन क यह व था ांस क
शासक य िविध क धारणा से िभ है । उनके अनुसार िविध के शासन
का ता पय यह है क ि टश शासन क ही िवशेष ि य क
इ छानुसार नह , बि क कानून के ारा कया जाता है िजसमे िनरंकुश
िवशेषािधकार व सरकार के मनमानेपन के िलए कोई थान नह है । ये
कानून सामा य कानून [COMMON LAW] व संसद ारा िविन मत
होते ह । उ ह ने िविध के शासन क तीन मु य िवशेषताएं बताई ह –
1. कानून क सव ता - ि टश शासन व था मे सव थान
कानून को ा है , कसी ि को नह । शासक ारा सभी काय
िनधा रत कानून के अनुसार ही कए जा सकते ह , उससे परे
जाकर नह । अथात शासक और नाग रक सभी कानून के अधीन
ह। हेगन और पावेल इस संबंध मे िलखते ह –‘’जो लोग सरकार
बनाते ह , वे लोग मनमानी नह कर सकते । उनको अपनी शि
संसद ारा िन मत िनयम के अनुसार ही योग मे लानी होती है ।
‘’
2. कानून क समानता – िविध के शासन क दूसरी िवशेषता डायसी
के ारा यह बताई गई क सभी ि य के िलए चाहे उनका पद
या सामािजक ि थित कुछ भी य न हो , एक जैसी कानून व
याय व था होगी ।कानून के उ लंघन का आरोप लगने पर
येक ि के मुक म क सुनवाई साधारण कानून व साधारण
यायालय मे होगी । यह व था ांस क शासक य िविध क
धारणा के िवपरीत है जहाँ शासिनक अिधका रय के िव
अिभयोग शासिनक यायालय मे चलाए जाते ह ।डायसी के
श द मे , ‘’ हमारे िलये धानमं ी से लेकर एक िसपाही या कर
वसूलने वाले तक येक कमचारी का दािय व , येक ऐसे काय के
िलए , जो कानून के अंतगत मा य न हो ,उतना ही है िजतना कसी
साधारण नाग रक का होता है । ‘’
3. नाग रक अिधकार क र ा – ि टेन मे िविधय व यायालय क
व था नाग रक अिधकार क र ा करती है । वहाँ अमरीका क
भांित िलिखत संिवधान न होने क ि थित मे सामा य कानून व
यायालय ही नाग रक अिधकार क र ा करते ह । इस िवषय मे
डायसी ने िलखा है क ‘’केवल उस दशा को छोड़कर जब सामा य
नाग रक िविध ारा यह िनणय कर दया गया हो क कानून का
प उ लंघन आ है , कसी ि को न कोई द ड दया जा
सकता है और न उसे कसी कार क शारी रक या आ थक हानी
प ंचाई जा सकती है । इस अथ मे िविध का शासन , शासन क
उस येक व था के िव है ,जो अिधकारी ि य ारा
और पर ितबंध लगाने क शि के ापक , वे छापूण तथा
िववेकगत योग पर आधा रत हो । ‘’
िविध के शासन के चार सावभौिमक िस ांत -
जवाबदेही उिचत कानून पारदश सरकार याय क सुलभता
उपयु िववेचन के आधार पर िविध के शासन से संबंिधत िन ां कत
सामा य िवशेषताएं सामने आती ह –
1. िविध का शासन आधुिनक रा य व था क िवशेषता है ।
2. िविध के शासन के अंतगत कानून सव स ाधारी होता है , न
क कोई ि या ि समूह ।
3. कानून क दृि मे सभी समान होते ह । पद और ि थित द ड से
बचाव का मा यम नह हो सकती।
4. कानून शासक क िनरंकुशता पर अंकुश लगाते ह ।
5. कानून का शासन नाग रक अिधकार क र ा हेतु आव यक है।
6. कानून का िनमाण सामूिहक िववेक [िवचार -िवमश] के आधार
पर होता है , इसिलए कानून का शासन ि के शासन से
अिधक उपयु होता है ।
7. िविध के शासन को ावहा रक प दान करने का काय
यायालय ारा कया जाता है । वतं व िन प यायपािलका
ही कानून का उ लंघन करने वाले को द ड देकर नाग रक अिधकार
क र ा कर सकती है ।
8. कानून के शासन क भाव शीलता हेतु आव यक है क उिचत
कानून का िनमाण हो , लोग को कानून क जानकारी हो,
सरकारी का मक म जवाबदेही का भाव हो, कानून का समुिचत
या वयन हो और याय क सवसुलभता हो ।
9. िविध का शासन ि टश याय व था क मुख िवशेषता है ।
10. यह ांस क शासक य िविध क धारणा के िवपरीत है जहां
शासक य अिधका रयो के िलए पृथक कानून क व था क गई
है और उनके िववाद का िनपटारा सामा य यायालय मे नह ,
बि क शासिनक यायालय मे होता है ।
कानून के शासन क सीमाएं –
कानून का शासन , शासन व था के े मे एक आदश ि थित है,
क तु वहारतः कानून के शासन क भी अपनी सीमाएं ह ।
कानून एक समय िवशेष मे बनाया जाता है , जब क प रि थितयाँ
बदलती रहती ह। हालां क कानून मे संशोधन का ावधान होता
है , क तु इस या मे समय लगता है , अतः ता कािलक
चुनौितय से िनपटने के िलए हर देश मे कुछ व थाएं क जाती
ह, जो िस ांततः कानून के शासन के िव होती ह । िवशेष प
से ि टश शासन व था जो िस ांत व वहार मे बड़े अंतर के
िलए जानी जाती है , मे कानून के शासन का ावहा रक प कई
सीमा के साथ कट होता है । िविध के शासन क मुख सीमाये
िन वत ह –
1. सरकारी अिधका रय क िववेका मक शि –
िविध का शासन सरकारी अिधका रय क िववेका मक शि के
िव है । क तु रा य के काय क ापकता व ज टलता को
देखते सरकारी अिधका रय को अपने िववेक के अनुसार काय
करने क छूट दी जाती है । इस िववेका मक शि के कारण िविध
के शासन क धारणा सीिमत हो गई है ।
2. लोक सेवक क िवशेष ि थित –
कानून के शासन क धारणा कानून के सम समानता के िस ांत
पर आधा रत है , िजसमे आम नाग रक व सरकारी
पदािधका रय के िलए एक ही कार के कानून क व था क
जाती है और कानून का उ लंघन करने पर समान द ड का
ावधान होता है , क तु ि टेन सिहत िविभ देश मे सरकारी
अिधका रय को कुछ सीमा तक िवशेष ि थित ा है । ि टेन मे
1882 मे िन मत ‘’लोक अिधकारी संर ण अिधिनयम ‘’के अनुसार
कसी सरकारी अिधकारी के िव कायवाही अपराध के होने के
छ ◌ः महीने के भीतर ही क जा सकती है , अ यथा वह काल
ितरोिहत हो जाएगी । सरकारी अिधकारी के िव अिभयोग
िस न होने पर अिभयोग चलाने वाले ि को मुक मे का खच
देना होता है । सरकारी अिधका रय क इस िवशेष ि थित ने भी
िविध के शासन क धारणा को सीिमत कया है।
3. अधीन थ िवधायन [delegated legislation] -
िविध के शासन मे संसद ारा िन मत सामा य कानून को
सव ता दान क जाती है , क तु क याणकारी रा य के उदय
के साथ रा य के काय बढ़ जाने और तकनीक िवषय क
जानकारी न होने के कारण संसद ने िविध िनमाण का एक बडा
उ रदािय व लोक सेवक को सौप दया है िजसे अधीन थ
िवधायन के नाम से जाना जाता है । अब संसद ब त से िवषय
पर कानून क केवल परेखा ही िनधा रत करती िजसके दायरे
मे िनयम व उप िनयम को बनने का काय शासन ारा कया
जाता है । इस व था के अंतगत शासन वयं ारा िन मत
िनयम के अनुसार ही काय करता है । इससे िविध के शासन को
मूल प मे आघात प ँचा है ।
4. शासिनक िविधयाँ व यायालय –
िविध के शासन के अंतगत शासिनक अिधका रओ व सामा य
नाग रक सभी के िलए एक ही कानून व यायालय क बात कही
जाती है , क तु ांस सिहत दुिनया के िविभ देश मे यहाँ तक
क ि टेन मे भी अनेक शासक य कानून व यायािधकरण का
िवकास आ है िजनमे शासिनक अिधका रय के मुक म क
सुनवाई होती है ।जैसे- जीवन बीमा ािधकरण जीवन बीमा से
संबंिधत मुक म क सुनवाई करता है । शी ता पूवक व कम
खच मे काय करने के कारण ये यायािधकरण लोकि य भी ह ।
इस ि थित के कारण िविध के शासन क धारणा सीिमत ई है ।
5. रा या य को ा उ मुि व िवशेषािधकार -
इं लंड के स ाट के िव कसी भी यायालय मे अिभयोग नह
चलाया जा सकता । भारत मे रा पित को कसी यायालय मे
पेश होने का आदेश नह दया जा सकता । साथ ही वह यायालय
ारा दंिडत ि को मादान का अिधकार भी रखता है । ये
उ मुि याँ िविध के शासन क धारणा के िवपरीत ह य क
कानून का शासन समानता मे िव ास रखता है , न क
िवशेषािधकार मे ।
6. िवदेशी राजनियक को ा उ मुि याँ –
िवदेशी शासक व राजनियक पर देश के कानून का उ लंघन कए
जाने पर भी उनके िव मुक मा नह चलाया जा सकता और
न ही कसी िवदेशी जहाज के िव कानूनी कायवाही क जा
सकती है । उन पर अपने देश के कानून लागू होते ह । ऐसी उ मुि
भी िविध के शासन को सीिमत करती है
7. गृहम ी को ा कानूनेतर शि यां –
िवदेशी नाग रक को नाग रकता दान करने क या कानून
ारा िनधा रत है , क तु इन िनयम के अपवाद व प ि टश
गृहमं ी कसी भी िवदेशी नाग रक को ि टश जा होने का
माणप दे सकता है , कसी के माणप को र कर सकता है या
अवांिछत िवदेशी को देश से िनवािसत कर सकता है । इन काय के
िलए उसके िव कोई अिभयोग नह चलाया जा सकता। यह भी
िविध के शासन के िवपरीत है ।
8. सैिनक िविधयाँ –
सेना के का मक सैिनक िविधय से शािसत होते ह और उनके अिभयोग
का िनणय भी सैिनक यायालय मे ही होता है ।
9. जूरी था –
यह ि टश याय व था क एक मुख िवशेषता है िजसके अनुसार
कानून के िवशेष व अनुभवी लोग का समूह िजसे जूरी कहते ह , याियक
िनणय पर पुन वचार करता है , य द वादी या ितवादी ारा ऐसी मांग
रखी जाती है । जूरी ारा िनणय करते समय अपराध क प रि थितओ
व मानवीय आधार पर िनणय दया जाता है न क सा य के आधार पर
जैसा क सामा य यायालय ारा कया जाता है । जूरी क इस व था
से िविध का शासन सीिमत आ है ।
प है क डायसी ारा ितपा दत िविध के
शासन क धारणा ि टेन जैसे देश मे अब सीिमत प मे ही रह
गई है ।
भारत मे िविध का शासन
भारत मे िविध के शासन क जड़ ाचीन भारतीय ंथ मे िमलती ह जहां
रा य पर धा मक िनयं ण क थापना क गई थी और शासक को
राजधम का पालन करने क िहदायत दी गई थी । ‘रामायण’ ,
‘महाभारत, ‘मनु मृित’, कौ ट य के ‘अथशा ’ मे शासक पर िनयं ण
एवं उसके ारा जा के क याण को मह व देने का उ लेख िमलता है ।
हजार वष क गुलामी के बाद वतं भारत मे ि टश मॉडल के अनु प
िविध के शासन क धारणा को संिवधान के मा यम से अपनाया गया ।
संिवधान को देश का सव कानून घोिषत कया गया । अनु छेद 13[1]
मे घोिषत कया गया है क संसद ारा बनाए गए कानून तभी वैध ह ग,
जब वे संिवधान के ावधान के अनुकूल ह गे । ‘केशवान द भारती
िववाद’ मे सव यायालय ने यह पूणतः प कर दया क संसद
संिवधान के मौिलक ढांचे मे प रवतन नह कर सकती । यायमू त आर.
एस. पाठक ने एक िववाद क सुनवाई करते ए कहा था क हमारा
संिवधान िविध के शासन क धारणा से ओत ोत है । डायसी ारा
कानून के सम समानता क अिभ ि अनु छेद -14 मे ई है िजसके
ारा सभी क कानून के स मुख िबना कसी भेद के बराबरी का दजा
दया गया है । अनु .15 सामािजक जीवन मे समान वहार का अिधकार
जाित , रंग , लंग व धम के भेद के िबना देता है । अनु.17 ारा अ पृ यता
का िनषेध कया गया है और अनु.18 कसी भी कार क उपािध दए
जाने का िनषेध करता है । अनु। 19 मे िजन नाग रक वतं ता क
चचा क गई है , उ हे संरि त करने का दािय व वतं , िन प
यायपािलका को दया गया है ।[अनु. 32] अन. 21 ारा द जीवन व
वैयि क वतं ता का अिधकार अनु लंघनीय है । िविध ारा थािपत
या के िबना कसी को उसके जीवन व ि गत वतं ता से वंिचत
नह कया जा सकता । याियक समी ा के अिधकार के अंतगत
यायपािलका िवधाियका ारा बनाए गए कानून या कायपािलका ारा
जारी कए गए आदेश को अवैध घोिषत कर सकती है । प है क
शासनस ा पर िनयं ण व नाग रक अिधकार क र ा जो िविध के
शासन के मूल मे है , के अनुकूल नाना ावधान भारतीय संिवधान मे
ह।
ावहा रक ि थित - िविध के शासन के सम चुनौितयाँ
ि टेन के समान भारत मे भी िविध के शासन क दृि से िस ांत व
वहार मे बडा अंतर दखाई देता है । भारत मे कई ऐसे त य है जो
िविध के शासन के अनुकूल नह ह । इनमे से कुछ क िववेचना इस
कार क जा सकती है –
1.रा पित को ा िवशेषािधकार के तहत उसे कसी यायालय मे
पेश होने का आदेश नह दया जा सकता । यह ि थित उसे कानूनी
दृि से सामा य नाग रक से उ ि थित दान करती है ।
2.सांसद व िवधायक को संसद व िवधान सभा का अिधवेशन
चलने क ि थित मे कानून का उ लंघन करने पर भी िगर तार
नह कया जा सकता । ऐसा ावधान उ हे सामा य नाग रक से
िभ बनाता है ।
3.शि व स ा को बनाए रखने क इ छा से शासक िनयम के
पालन के नाम पर नाग रक अिधकार का उ लंघन करते दखाई
देते ह । शासन क औपिनवेिशक मानिसकता के कारण िविधयाँ
नाग रक अिधकार क र क नह बन पा रही है। शांित ,
सु व था व आतंक के खा मे के नाम पर सेना व पुिलस पर
मानवािधकार के उ लंघन के आरोप लगते रहे ह । इरोम श मला
ारा मिणपुर मे इसके िवरोध मे कया गया दीघकालीन अनशन
इस बात का माण है ।
4.कानून क यादा सं या व उनके बा व प पर यादा बल
दए जाने के कारण उ मे अंत निहत भावना को नजरंदाज कया
जाता है, िजससे नाग रक अिधकार क उपे ा होती है ।
5.भारत जैसे िवकासशील देश मे सामािजक – धा मक िनयम व
थाओ क बलता के कारण सामािजक वहार मे संवैधािनक –
वैधािनक िनयम क उपे ा दखाई देती है । कोिवड 19 दौर मे
द ली मे मरकज का वहार या केरल के सबरीमाला मं दर मे
10 -50 वष क उ तक क मिहलाओ के वेश के सव यायालय
के िनणय के िव धा मक क रपंिथय ारा कए गए िवरोध
दशन इसी त य को पु करते ह । ऑनर क लंग से संबंिधत खाप
प पंचायत के फरमान या उलेमाओ के फरमान कानून के शासन
क धि यां उड़ाते दखाई देते ह । समान आचरण संिहता का
िनमाण व उसका भावी या वयन इस दशा मे सकारा मक
प रवतन का आधार हो सकता है ।
6.भारतीय नाग रक क कानून व सावजिनक जीवन के ित
उदासीनता के कारण भी भारत मे िविध का शासन भावी नह
बन सका है ।
7.लोक अदालत क थापना के बावजूद भारत मे याय सवसुलभ
नह है । याय क या समय और धन सा य होने के कारण
नाग रक स ाधा रय ारा नाग रक अिधकार का उ लंघन सहन
कर लेते ह । यायपािलका भी ाचार के आरोप से मु नह
है। याय पािलका सिहत तमाम संवैधािनक सं था क वाय ता
पर भी िच न लगने लगे ह।
8.हािलया समय मे भीड़ ह या [ mob lynching ] क बढ़ती
घटना ने भी िविध के शासन को चुनौती दी है िजसके अंतगत
भीड़ ारा याियक या का इंतजार कए िबना कसी ि को
अपराधी मान कर उसक ह या कर दी जाती है । 16 अ ैल 2020
को महारा के पालघर िजले मे दो साधु क चोर समझकर भीड़
ारा क गई ह या इसका वलंत उदाहरण है ।
9.राजनीित , शासन और अपराध के गठजोड़ के कारण अपरािधय
को समय पर सजा नह िमल पाती है िजसके कारण आम लोग का
कानून के शासन से िव ास उठता जा रहा है ।
10. कानून का भावी तरीके से या वयन न होना भी कानून
के शासन को कमजोर बनाता है । सामा य कानूने के उ लंघन पर
कठोर सजा का ावधान न होने के कारण लोग कानून के पालन
को गंभीरता से नह लेते । हािलया सरकार ारा कानून के उ लंघन
पर भारी अथदंड क व था कए जाने से ि थित मे प रवतन के
संकेत िमल रहे है
11. कानून क अ प ता व ज टलता भी िविध के शासन क
थापना मे एक बड़ी बाधा है । अ प होने के कारण हर कोई
अपने दृि कोण से उसक ा या करता है – सरकारी आ मक अपने
तरीके से और आम नाग रक अपने तरीके से ,िजसके कारण कानून
के या वयन क या उलझ कर रह जाती है ।
िविध के शासन का नवीन प – वैि क कानून का शासन
उदारीकरण और वै ीकरण के दौर मे दुिनया क आ थक समृि हेतु
िविध के शासन क वैि क धारणा का ितपादन कया जा रहा है । इस
धारणा के अनुसार वैि क आ थक सं था – िव बक व अंतरा ीय
मु ा कोष ारा बनाए गए िनयम के अनुपालन को ो सािहत कया
जाना चािहए ता क दुिनया से गरीबी दूर क जा सके और लोग को
मानवािधकार क ाि भावी प मे हो सके । इस उ े य क ाि
क दशा मे िविभ देश क संवैधािनक व था को बाधक मानकर
उनको िशिथल कए जाने क मांग क जा रही है । वैि क िविध के शासन
क थापना क दशा मे संयु रा संघ एवं अ य अंतरा ीय संगठन
यासरत ह ।
िन कष-
िविध का शासन एक आधुिनक राजनीितक धारणा है िजसका ल य
स ाध रय पर अंकुश लगाकर नाग रक अिधकार क सुर ा करना व
जन क याण क साधना करना है । आिधका रक प मे इस धारणा का
भावी ढंग से ितपादन ि टेन के िविध िवशेष डायसी ारा कया
गया डायसी ने िविध के शासन क तीन मु य िवशेषताएं बता – कानून
क सव ता ,कानून के सम समानता और कानून के मा यम से
नाग रक अिधकार क र ा । डायसी ने इसे ि टश याय व था क
मुख िवशेषता के प मे तुत कया । आधुिनक रा य मे संवैधािनक
व था के प मे िविध के शासन को थािपत करने के यास कए गए
ह , क तु वहार मे नाना कारण से िविध के शासन क धारणा सीिमत
हो गई है । वयं ि टेन क शासन व था मे कई ऐसी वैधािनक थाएं
ह जो िविध के शासन को सीिमत करती ह । भारत मे संिवधान के मा यम
से िविध के शासन को थािपत कया गया है , क तु वहार मे यहाँ भी
उसके स मुख कई चुनौितयाँ ह । वै ीकरण व उदारीकरण के दौर मे
आ थक समृि क ाि हेतु अंतरा ीय आ थक सं थाओ – िव बक व
अंतरा ीय मु ा कोष ारा बनाए गए िनयम के पालन पर बल देकर
वैि क िविध के शासन क थापना क चचा क जा रही है ।
मु य श द -
सामा य कानून :- [common law] - सामा य कानून ि टश संिवधान
क िवशेषता है। संसद ारा िन मत कानून से िभ ये कानून उन याियक
िनणय पर आधा रत होते ह , जो यायाधीश ारा ऐसे मामल क
सुनवाई करते समय दए जाते ह िजनके िवषय मे कोई मौजूदा कानून
नह होता ।
नाग रक अिधकार :- नाग रक अिधकार उन अिधकार को कहते हजो
कसी देश के नाग रक को संिवधान या कानून ारा दान कए जाते ह।
आम तौर पर इनका उ लेख मौिलक अिधकार के प मे होता है और
यायालय इनक र ा क गारंटी देते ह ।
मैगनाकाटा :-1215 मे जारी आ ि टेन का एक संवैधािनक द तावेज है
िजसमे रा य जॉन ने कुछ नाग रक वतं ता को वीकार कया था
और इस कार शासक क िनरंकुश स ा पर िनयं ण थािपत कया गया
था । जेनइंग ने इसे महानतम संवैधािनक द तावेज़ कहा है ।
याियक वतं ता :- याियक वतं ता का ता पय यायपािलका का
कायपािलका या िवधाियका के िनयं ण से मु होना है ता क िन प
याय हो सके । िविध के शासन के िलए याियक वतं ता आव यक है ।
याियक वतं ता के िलए संिवधान मे ावधान कए जाते ह ।
References and suggested readings:
1. A.V. Daicy, An Introduction To The Study of Law of
Constitution
2. F. A. Ogg, English Government And Politics,Abe
Books.Co. uk
3. J. C. Jauhari, Pramukh Desho Ke Samvidhan,
Sahitya Bhavan Publication, Agra.
4. Oxford English Dictionary,1884,Oxford University
Press,U.K.
5. Upendra Baxi Rule Of Law In India,SUR
International Journal On Human Rights, 6TH
Volume,2007SUR. Conectas. Org
6. Picture 1 Source :
https://blogs.findlaw.com/law_and_life/2019/05/what
-does-the-rule-of-law-really-mean.html searched on
30.07.2020.
7. Picture 2 Source :
https://worldjusticeproject.org/about-
us/overview/what-rule-law) searched on
30.07.2020.
:
1. िविध के शासन से आप या समझते ह। उसक मुख िवशेषताओ
का उ लेख क िजए ।
2. ि टश याय व था िविध के शासन पर आधा रत है , िववेचना
क िजए ।
3. डायसी ने िविध के शासन क या िवशेषताएँ बताई है । उसक
मुख सीमाये या है ।
4. िविध का शासन शासक य िविध क धारणा से कस कार िभ
है , िववेचना क िजए ।
5. भारत मे िविध के शासन का व प या है । यहाँ िविध के शासन
के स मुख मुख चुनौितयाँ कौन सी ह ।
व तुिन ;
1. िविध के शासन का संबंध कस कार क शासन व था से है
–
[अ ] राजत [ ब ] कुलीनतं [ स ] अिधनायक तं [ द ]
लोकतं
2. िविध के शासन का उ े य या है –
[अ ] नाग रक अिधकार क र ा [ ब ] स ा पर िनयं ण [ स ]
उ दोन [ द ]उ मे से कोई नह
3. िविध के शासन क कौन सी िवशेषता नह है ।
[अ ] िविध क सव ता [ब ] िविध के सम समानता[ स ]
िविध क उिचत या[ द ] नाग रक अिधकार क र ा
4. िविध के शासन क मुख सीमा या है ।
[अ ] द व थापन [ब ] स ाट के िवशेषािधकार [ स ]
लोकािधकारी संर ण अिधिनयम [ द ]उ सभी
5. िविध के शासन क धारणा कससे िभ है ।
[अ ] शासक य िविध क धारणा से[ ब ] याियक िविध क
धारणा से [ स ] पारंप रक िविध क धारणा से [ द ] उ मे से
कोई नह
6. शासक य िविध क धारणा कस देश के संिवधान क
िवशेषता है ।
[अ ] भारत [ ब ] ि टेन [ स ] ांस [ द ] अमे रका
7. भारत मे िविध के शासन क थापना कसके मा यम से क गई
है ।
[अ ] संिवधान [ ब ] संसद[ स ] रा पित[ द ] उ सभी
उ र -1. द 2. स 3. स 4. द 5. अ 6. स 7. अ
Assignment:
1.िन ां कत िब दुओ के आधार पर भारत और ि टेन मे िविध के
शासन क तुलना क िजए ।
अ . उ पि
ब . व प या िवशेषताए
स . सीमाये एवं चुनौितयाँ

Weitere ähnliche Inhalte

Was ist angesagt?

Constitution of india
Constitution of indiaConstitution of india
Constitution of indiaOnkar Kunte
 
Cr pc complete-notes-pdf (1)-2
Cr pc complete-notes-pdf (1)-2Cr pc complete-notes-pdf (1)-2
Cr pc complete-notes-pdf (1)-2gurlguru
 
National Legal Aid Movement in India- Its Development and Present Status
National Legal Aid Movement in India- Its Development and Present Status National Legal Aid Movement in India- Its Development and Present Status
National Legal Aid Movement in India- Its Development and Present Status Sheikhmustafa007
 
Shreya Singhal v. Union of India
Shreya Singhal v. Union of IndiaShreya Singhal v. Union of India
Shreya Singhal v. Union of IndiaAniket Singh
 
Red, green and amber light theories of administrative law
Red, green and amber light theories of administrative lawRed, green and amber light theories of administrative law
Red, green and amber light theories of administrative lawPlutus IAS
 
Principles Of Natural Justice In The Light Of Administrative Law
Principles Of Natural Justice In The Light Of Administrative LawPrinciples Of Natural Justice In The Light Of Administrative Law
Principles Of Natural Justice In The Light Of Administrative LawShifatAlam2
 
National Lok Adalat Field Visit Report
National Lok Adalat Field Visit ReportNational Lok Adalat Field Visit Report
National Lok Adalat Field Visit ReportHussain Shah
 
Maneka Gandhi v Union of India
Maneka Gandhi v Union of IndiaManeka Gandhi v Union of India
Maneka Gandhi v Union of IndiaAbhinandan Ray
 
Case study on R.C. Cooper v. Union of India
Case study on R.C. Cooper v. Union of IndiaCase study on R.C. Cooper v. Union of India
Case study on R.C. Cooper v. Union of IndiaSwasti Chaturvedi
 

Was ist angesagt? (20)

Constitution of india
Constitution of indiaConstitution of india
Constitution of india
 
Cr pc complete-notes-pdf (1)-2
Cr pc complete-notes-pdf (1)-2Cr pc complete-notes-pdf (1)-2
Cr pc complete-notes-pdf (1)-2
 
Hanna arant ke rajneetik vichar
Hanna arant ke rajneetik vicharHanna arant ke rajneetik vichar
Hanna arant ke rajneetik vichar
 
National Legal Aid Movement in India- Its Development and Present Status
National Legal Aid Movement in India- Its Development and Present Status National Legal Aid Movement in India- Its Development and Present Status
National Legal Aid Movement in India- Its Development and Present Status
 
The Indian Judiciary
The Indian JudiciaryThe Indian Judiciary
The Indian Judiciary
 
Shreya Singhal v. Union of India
Shreya Singhal v. Union of IndiaShreya Singhal v. Union of India
Shreya Singhal v. Union of India
 
Consent as defense
Consent as defenseConsent as defense
Consent as defense
 
Article 141
Article 141Article 141
Article 141
 
Electoral reforms in_india_essay
Electoral reforms in_india_essayElectoral reforms in_india_essay
Electoral reforms in_india_essay
 
kelson theory
kelson theorykelson theory
kelson theory
 
Red, green and amber light theories of administrative law
Red, green and amber light theories of administrative lawRed, green and amber light theories of administrative law
Red, green and amber light theories of administrative law
 
Anti defection laws
Anti defection lawsAnti defection laws
Anti defection laws
 
Principles Of Natural Justice In The Light Of Administrative Law
Principles Of Natural Justice In The Light Of Administrative LawPrinciples Of Natural Justice In The Light Of Administrative Law
Principles Of Natural Justice In The Light Of Administrative Law
 
JOHN AUTIN
JOHN AUTINJOHN AUTIN
JOHN AUTIN
 
National Lok Adalat Field Visit Report
National Lok Adalat Field Visit ReportNational Lok Adalat Field Visit Report
National Lok Adalat Field Visit Report
 
Maneka Gandhi v Union of India
Maneka Gandhi v Union of IndiaManeka Gandhi v Union of India
Maneka Gandhi v Union of India
 
CLASS-X GEOGRAPHY CHAPTER-6
CLASS-X GEOGRAPHY CHAPTER-6CLASS-X GEOGRAPHY CHAPTER-6
CLASS-X GEOGRAPHY CHAPTER-6
 
Case study on R.C. Cooper v. Union of India
Case study on R.C. Cooper v. Union of IndiaCase study on R.C. Cooper v. Union of India
Case study on R.C. Cooper v. Union of India
 
Analytical school
Analytical schoolAnalytical school
Analytical school
 
Influence of other legal system on nepalese legal
Influence of other legal system on nepalese legalInfluence of other legal system on nepalese legal
Influence of other legal system on nepalese legal
 

Ähnlich wie Kanoon ka shasan

PEDAGOGY OF SST.pptx
PEDAGOGY OF SST.pptxPEDAGOGY OF SST.pptx
PEDAGOGY OF SST.pptxnenasingh1
 
Chapter 1 part -2 philosophy of the consitution XI Political Science
Chapter  1 part -2 philosophy of the consitution  XI Political Science Chapter  1 part -2 philosophy of the consitution  XI Political Science
Chapter 1 part -2 philosophy of the consitution XI Political Science Directorate of Education Delhi
 
Chapter 1 indian constitution at work -4 Class XI Political Science
Chapter  1 indian constitution at work -4 Class XI Political Science Chapter  1 indian constitution at work -4 Class XI Political Science
Chapter 1 indian constitution at work -4 Class XI Political Science Directorate of Education Delhi
 
Britain me samvaidhanik rajtantr
Britain me samvaidhanik rajtantrBritain me samvaidhanik rajtantr
Britain me samvaidhanik rajtantrDr. Mamata Upadhyay
 
Chapter 1 indian constitution at work -2 Class Xi Political Science
Chapter  1 indian constitution at work -2 Class Xi Political ScienceChapter  1 indian constitution at work -2 Class Xi Political Science
Chapter 1 indian constitution at work -2 Class Xi Political ScienceDirectorate of Education Delhi
 
घोषणापत्र आ.आ.पा (2)
घोषणापत्र   आ.आ.पा (2)घोषणापत्र   आ.आ.पा (2)
घोषणापत्र आ.आ.पा (2)Bhagwan Singh
 
घोषणापत्र - आम आदमी पार्टी
घोषणापत्र - आम आदमी पार्टीघोषणापत्र - आम आदमी पार्टी
घोषणापत्र - आम आदमी पार्टीsamyaksanvad
 
Switzerland ki federal parliament
Switzerland ki federal parliamentSwitzerland ki federal parliament
Switzerland ki federal parliamentDr. Mamata Upadhyay
 

Ähnlich wie Kanoon ka shasan (20)

france ki nyay vyavastha
france ki nyay vyavasthafrance ki nyay vyavastha
france ki nyay vyavastha
 
Chapter 6 the judiciary xi
Chapter  6 the judiciary xiChapter  6 the judiciary xi
Chapter 6 the judiciary xi
 
Americi sarvocch nyayalay
Americi sarvocch nyayalayAmerici sarvocch nyayalay
Americi sarvocch nyayalay
 
PEDAGOGY OF SST.pptx
PEDAGOGY OF SST.pptxPEDAGOGY OF SST.pptx
PEDAGOGY OF SST.pptx
 
British samvidhan ke abhisamay
British samvidhan ke abhisamayBritish samvidhan ke abhisamay
British samvidhan ke abhisamay
 
Direct democracy in switzerland
Direct democracy in switzerlandDirect democracy in switzerland
Direct democracy in switzerland
 
Chapter 1 part -2 philosophy of the consitution XI Political Science
Chapter  1 part -2 philosophy of the consitution  XI Political Science Chapter  1 part -2 philosophy of the consitution  XI Political Science
Chapter 1 part -2 philosophy of the consitution XI Political Science
 
Chapter 1 indian constitution at work -4 Class XI Political Science
Chapter  1 indian constitution at work -4 Class XI Political Science Chapter  1 indian constitution at work -4 Class XI Political Science
Chapter 1 indian constitution at work -4 Class XI Political Science
 
NCERT NOTES BY PS FOR UPSC
NCERT NOTES  BY PS FOR UPSC NCERT NOTES  BY PS FOR UPSC
NCERT NOTES BY PS FOR UPSC
 
Ameriki congress
Ameriki  congressAmeriki  congress
Ameriki congress
 
Chapter 5 rights XI Political Science
Chapter  5 rights XI  Political ScienceChapter  5 rights XI  Political Science
Chapter 5 rights XI Political Science
 
Britain me samvaidhanik rajtantr
Britain me samvaidhanik rajtantrBritain me samvaidhanik rajtantr
Britain me samvaidhanik rajtantr
 
France ka rashtrpati
France ka rashtrpatiFrance ka rashtrpati
France ka rashtrpati
 
British mantrimandal
British mantrimandalBritish mantrimandal
British mantrimandal
 
Chapter 1 indian constitution at work -2 Class Xi Political Science
Chapter  1 indian constitution at work -2 Class Xi Political ScienceChapter  1 indian constitution at work -2 Class Xi Political Science
Chapter 1 indian constitution at work -2 Class Xi Political Science
 
Chapter 5 the judiciary 2 Class XI Political Science
Chapter  5 the judiciary 2 Class XI Political ScienceChapter  5 the judiciary 2 Class XI Political Science
Chapter 5 the judiciary 2 Class XI Political Science
 
British sansad
British sansadBritish sansad
British sansad
 
घोषणापत्र आ.आ.पा (2)
घोषणापत्र   आ.आ.पा (2)घोषणापत्र   आ.आ.पा (2)
घोषणापत्र आ.आ.पा (2)
 
घोषणापत्र - आम आदमी पार्टी
घोषणापत्र - आम आदमी पार्टीघोषणापत्र - आम आदमी पार्टी
घोषणापत्र - आम आदमी पार्टी
 
Switzerland ki federal parliament
Switzerland ki federal parliamentSwitzerland ki federal parliament
Switzerland ki federal parliament
 

Mehr von Dr. Mamata Upadhyay

अस्तित्ववाद.pdf
अस्तित्ववाद.pdfअस्तित्ववाद.pdf
अस्तित्ववाद.pdfDr. Mamata Upadhyay
 
पर्यावरणवाद.
पर्यावरणवाद.पर्यावरणवाद.
पर्यावरणवाद.Dr. Mamata Upadhyay
 
शोध प्रविधि.pdf
शोध प्रविधि.pdfशोध प्रविधि.pdf
शोध प्रविधि.pdfDr. Mamata Upadhyay
 
राजनीतिक सिद्धांत का पतन.pdf
राजनीतिक सिद्धांत का पतन.pdfराजनीतिक सिद्धांत का पतन.pdf
राजनीतिक सिद्धांत का पतन.pdfDr. Mamata Upadhyay
 
सामाजिक न्याय हेतु सकारात्मक कार्यवाही.pdf
सामाजिक न्याय  हेतु सकारात्मक कार्यवाही.pdfसामाजिक न्याय  हेतु सकारात्मक कार्यवाही.pdf
सामाजिक न्याय हेतु सकारात्मक कार्यवाही.pdfDr. Mamata Upadhyay
 
जूलियस न्येरेरे
जूलियस  न्येरेरेजूलियस  न्येरेरे
जूलियस न्येरेरेDr. Mamata Upadhyay
 
राष्ट्रीय सुरक्षा की धारणा
राष्ट्रीय सुरक्षा की धारणाराष्ट्रीय सुरक्षा की धारणा
राष्ट्रीय सुरक्षा की धारणाDr. Mamata Upadhyay
 
फ़्रांस की संसद
फ़्रांस की संसदफ़्रांस की संसद
फ़्रांस की संसदDr. Mamata Upadhyay
 
भारतीय विदेश नीति के उद्देश्य एवं सिद्धांत
भारतीय विदेश नीति के उद्देश्य एवं सिद्धांतभारतीय विदेश नीति के उद्देश्य एवं सिद्धांत
भारतीय विदेश नीति के उद्देश्य एवं सिद्धांतDr. Mamata Upadhyay
 
सामाजिक एवं राजनीतिक अनुसंधान
सामाजिक एवं राजनीतिक अनुसंधानसामाजिक एवं राजनीतिक अनुसंधान
सामाजिक एवं राजनीतिक अनुसंधानDr. Mamata Upadhyay
 
Sampling Method (निदर्शन )
Sampling Method (निदर्शन )Sampling Method (निदर्शन )
Sampling Method (निदर्शन )Dr. Mamata Upadhyay
 
बलवंत राय मेहता समिति
बलवंत राय मेहता समितिबलवंत राय मेहता समिति
बलवंत राय मेहता समितिDr. Mamata Upadhyay
 
21vi shatabdi me bharatiya videshniti ke badalte ayam
21vi  shatabdi me bharatiya videshniti ke badalte ayam21vi  shatabdi me bharatiya videshniti ke badalte ayam
21vi shatabdi me bharatiya videshniti ke badalte ayamDr. Mamata Upadhyay
 
Bharat me sthaniya svashasan ka vikas (2)
Bharat me sthaniya svashasan ka vikas (2)Bharat me sthaniya svashasan ka vikas (2)
Bharat me sthaniya svashasan ka vikas (2)Dr. Mamata Upadhyay
 
Method s of primary data collection questionnaire
Method s of primary data collection  questionnaireMethod s of primary data collection  questionnaire
Method s of primary data collection questionnaireDr. Mamata Upadhyay
 

Mehr von Dr. Mamata Upadhyay (20)

Untitled document (34).pdf
Untitled document (34).pdfUntitled document (34).pdf
Untitled document (34).pdf
 
समानतावाद.pdf
समानतावाद.pdfसमानतावाद.pdf
समानतावाद.pdf
 
अस्तित्ववाद.pdf
अस्तित्ववाद.pdfअस्तित्ववाद.pdf
अस्तित्ववाद.pdf
 
पर्यावरणवाद.
पर्यावरणवाद.पर्यावरणवाद.
पर्यावरणवाद.
 
शोध प्रविधि.pdf
शोध प्रविधि.pdfशोध प्रविधि.pdf
शोध प्रविधि.pdf
 
राजनीतिक सिद्धांत का पतन.pdf
राजनीतिक सिद्धांत का पतन.pdfराजनीतिक सिद्धांत का पतन.pdf
राजनीतिक सिद्धांत का पतन.pdf
 
सामाजिक न्याय हेतु सकारात्मक कार्यवाही.pdf
सामाजिक न्याय  हेतु सकारात्मक कार्यवाही.pdfसामाजिक न्याय  हेतु सकारात्मक कार्यवाही.pdf
सामाजिक न्याय हेतु सकारात्मक कार्यवाही.pdf
 
जूलियस न्येरेरे
जूलियस  न्येरेरेजूलियस  न्येरेरे
जूलियस न्येरेरे
 
F.A.HAYEK
F.A.HAYEKF.A.HAYEK
F.A.HAYEK
 
राष्ट्रीय सुरक्षा की धारणा
राष्ट्रीय सुरक्षा की धारणाराष्ट्रीय सुरक्षा की धारणा
राष्ट्रीय सुरक्षा की धारणा
 
फ़्रांस की संसद
फ़्रांस की संसदफ़्रांस की संसद
फ़्रांस की संसद
 
भारतीय विदेश नीति के उद्देश्य एवं सिद्धांत
भारतीय विदेश नीति के उद्देश्य एवं सिद्धांतभारतीय विदेश नीति के उद्देश्य एवं सिद्धांत
भारतीय विदेश नीति के उद्देश्य एवं सिद्धांत
 
सामाजिक एवं राजनीतिक अनुसंधान
सामाजिक एवं राजनीतिक अनुसंधानसामाजिक एवं राजनीतिक अनुसंधान
सामाजिक एवं राजनीतिक अनुसंधान
 
Sampling Method (निदर्शन )
Sampling Method (निदर्शन )Sampling Method (निदर्शन )
Sampling Method (निदर्शन )
 
बलवंत राय मेहता समिति
बलवंत राय मेहता समितिबलवंत राय मेहता समिति
बलवंत राय मेहता समिति
 
Content analysis
Content analysisContent analysis
Content analysis
 
21vi shatabdi me bharatiya videshniti ke badalte ayam
21vi  shatabdi me bharatiya videshniti ke badalte ayam21vi  shatabdi me bharatiya videshniti ke badalte ayam
21vi shatabdi me bharatiya videshniti ke badalte ayam
 
Bharat me sthaniya svashasan ka vikas (2)
Bharat me sthaniya svashasan ka vikas (2)Bharat me sthaniya svashasan ka vikas (2)
Bharat me sthaniya svashasan ka vikas (2)
 
Method s of primary data collection questionnaire
Method s of primary data collection  questionnaireMethod s of primary data collection  questionnaire
Method s of primary data collection questionnaire
 
Sampling
SamplingSampling
Sampling
 

Kanoon ka shasan

  • 1. ारा – डा. ममता उपा याय एसो. ो. राजनीित िव ान कु. मायावती राजक य मिहला ातको र महािव ालय बादलपुर ,गौतमबु नगर , उ . . राजनीित िव ान बी. ए .ि तीय वष तुलना मक शासन और राजनीित इकाई -1 िविध का शासन -अथ , िवशेषता ,सीमाये एवं नवीन वृि
  • 2. उ े य : तुत ई – साम ी से िन ां कत उ े य क ाि संभािवत है 1.िविध के शासन क अवधारणा का ान 2.ि टेन मे िविध के शासन क ावहा रक ि थित का ान 3.भारत मे िविध के शासन क चुनौितय से प रचय 4.भारत और ि टेन मे िविध के शासन क जानकारी के आधार पर तुलना मक िव ेषण क मता का िवकास 5.िविध के शासन संबंधी नवीनतम धारणा से प रचय 6.राजनीितक व था के ावहा रक कायकरण क समझ का िवकास कानून का शासन [Rule Of Law] रा य के उदय और िवकास के साथ- साथ राजमम के म य यह िवचारणीय रहा है क शासन का आधार या हो । एक ि का िववेक, समाज के कुछ सं ांत लोग का िववेक या समाज का सामूिहक िववेक जो कानून मे कट होता है । राजत मे शासन का आधार एक ि अथात राजा का िववेक होता था । कुलीनतं ीय व था समाज के कुलीन लोग के िववेक के अनुसार संचािलत होती रही, क तु आधुिनक लोकतं ीय रा य के शासन का संचालन सामूिहक िववेक के तीक कानून के मा यम से होता है िजसे सामा यतः कानून का शासन कहते ह ।
  • 3. ऑ सफोड िड शनरी मे ‘’कानून क स ा और भाव को मह व देने वाले शासन ‘’को िविध के शासन के प मे प रभािषत कया गया है । चू क लोकतं ीय सरकार का संचालन संवैधािनक कानून के मा यम से होता है, अतः कानून का शासन संिवधानवादी शासन के साथ स ब हो जाता है । संिवधान क र ा का दािय व यायपािलका का होता है, इसिलए यह य तः याियक व था का अंग और िवशेषता बन जाता है । कानून का शासन भावी तभी बन सकता है, जब उसके समान और उिचत या वयन क व था क जाय । समसामियक आ थक उदारी करण के दौर मे हायक जैसे अथ शाि य क मा यता है क कसी देश के आ थक िवकास के ल य को ा करने मे िविध का शासन अ यंत सहायक है । कानून के शासन क मह ा पर ारि भक यूनानी व रोमन िवचारक ने काश डाला था । अपने ारि भक ंथ रपि लक मे दाशिनक राजा के शासन को आधार मानने के बावजूद लेटो ने अपनी पु तक ‘द लाज’ मे कानून के शासन को ही ावहा रक बताया था । पहली बार कानून के शासन को पुरजोर मह व देते ए अर तू ने कया क ‘हमे अ छा नेता चािहए या अ छा कानून ‘? िनःसंदेह कानून व तुिन होने के कारण अिधक यायोिचत है । रोमन िवचारक िससरो का भी मत था क वतं ता क र ा के िलए हम सभी कानून के सेवक ह । यही नह , रोमन लोग ारा िवकिसत कानून संिहता िविभ रा य क कानूनी व था का आधार बनी । आधुिनक युग मे िविध के शासन का थम योग कॉटलड के धमशा ी सैमुएल रदरफोड ने रा य के दैवी अिधकार के िव वाद -िववाद के दौरान कया था । इं लड के िवचारक जॉन लॉक ने ि गत वतं ता क र ा हेतु िवधाियका ारा िन मत कानून को
  • 4. आव यक बताया था । िविध के शासन क अवधारणा को लोकि यता दान करने मे 19 वी - 20 वी सदी के यायशा ी ए. वी. डायसी का िवशेष मह व है। 1776 मे ि टेन से आजादी िमलने के बाद अमरीक संिवधान क आधारिशला कानून के शासन के आधार पर रखी गई । आधुिनक युग के लगभग सभी रा य िविध के शासन को आदश मानते ए इसे अपनाने का यास कर रहे ह । िविध के शासन क धारणा के उदय के कारण – आधुिनक युग मे िविध के शासन क बात राजतं ीय व था मे शासक क वे छाचा रता पर िनयं ण के उ े य से सामने आई । लोकतं के अ ज ि टेन मे राजा क इ छा के थान पर सामा य कानून व संसदीय कानून क सव ता थािपत करने क मांग जनतं ीय आंदोलन ारा क गई िजसका उ े य शासन के अ याचार से नाग रक अिधकार क र ा करना था । उस समय तक शासक वयं ारा िन मत कानून से ऊपर समझा जाता था ।पुनजागरण आंदोलन के प रणाम व प उ दत ि वादी िवचारधारा ने ि गत अिधकार को मह वपूण मानते ए इनक र ा हेतु रा य के िनरंकुश अिधकार के थान पर िविध के शासन क थापना पर बल दया । ि टेन मे ‘ मै काटा ‘ एवं अमरीका मे ‘’ िबल ऑफ राइ स ‘’इसी वृि के प रणाम थे जो शासक , नाग रक व सं थाओ सभी को कानून के ित जवाबदेह बनाते थे । डायसी ारा ितपा दत कानून का शासन – डायसी ने अपनी पु तक ‘Introduction To The Study of Law Of Constitution’[1885] मे िविध के शासन क ा या ि टश संिवधान
  • 5. क िवशेषता के प मे क है । िविध के शासन क यह व था ांस क शासक य िविध क धारणा से िभ है । उनके अनुसार िविध के शासन का ता पय यह है क ि टश शासन क ही िवशेष ि य क इ छानुसार नह , बि क कानून के ारा कया जाता है िजसमे िनरंकुश िवशेषािधकार व सरकार के मनमानेपन के िलए कोई थान नह है । ये कानून सामा य कानून [COMMON LAW] व संसद ारा िविन मत होते ह । उ ह ने िविध के शासन क तीन मु य िवशेषताएं बताई ह – 1. कानून क सव ता - ि टश शासन व था मे सव थान कानून को ा है , कसी ि को नह । शासक ारा सभी काय िनधा रत कानून के अनुसार ही कए जा सकते ह , उससे परे जाकर नह । अथात शासक और नाग रक सभी कानून के अधीन ह। हेगन और पावेल इस संबंध मे िलखते ह –‘’जो लोग सरकार बनाते ह , वे लोग मनमानी नह कर सकते । उनको अपनी शि संसद ारा िन मत िनयम के अनुसार ही योग मे लानी होती है । ‘’ 2. कानून क समानता – िविध के शासन क दूसरी िवशेषता डायसी के ारा यह बताई गई क सभी ि य के िलए चाहे उनका पद या सामािजक ि थित कुछ भी य न हो , एक जैसी कानून व याय व था होगी ।कानून के उ लंघन का आरोप लगने पर येक ि के मुक म क सुनवाई साधारण कानून व साधारण यायालय मे होगी । यह व था ांस क शासक य िविध क धारणा के िवपरीत है जहाँ शासिनक अिधका रय के िव अिभयोग शासिनक यायालय मे चलाए जाते ह ।डायसी के
  • 6. श द मे , ‘’ हमारे िलये धानमं ी से लेकर एक िसपाही या कर वसूलने वाले तक येक कमचारी का दािय व , येक ऐसे काय के िलए , जो कानून के अंतगत मा य न हो ,उतना ही है िजतना कसी साधारण नाग रक का होता है । ‘’ 3. नाग रक अिधकार क र ा – ि टेन मे िविधय व यायालय क व था नाग रक अिधकार क र ा करती है । वहाँ अमरीका क भांित िलिखत संिवधान न होने क ि थित मे सामा य कानून व यायालय ही नाग रक अिधकार क र ा करते ह । इस िवषय मे डायसी ने िलखा है क ‘’केवल उस दशा को छोड़कर जब सामा य नाग रक िविध ारा यह िनणय कर दया गया हो क कानून का प उ लंघन आ है , कसी ि को न कोई द ड दया जा सकता है और न उसे कसी कार क शारी रक या आ थक हानी प ंचाई जा सकती है । इस अथ मे िविध का शासन , शासन क उस येक व था के िव है ,जो अिधकारी ि य ारा और पर ितबंध लगाने क शि के ापक , वे छापूण तथा िववेकगत योग पर आधा रत हो । ‘’ िविध के शासन के चार सावभौिमक िस ांत -
  • 7. जवाबदेही उिचत कानून पारदश सरकार याय क सुलभता उपयु िववेचन के आधार पर िविध के शासन से संबंिधत िन ां कत सामा य िवशेषताएं सामने आती ह – 1. िविध का शासन आधुिनक रा य व था क िवशेषता है । 2. िविध के शासन के अंतगत कानून सव स ाधारी होता है , न क कोई ि या ि समूह । 3. कानून क दृि मे सभी समान होते ह । पद और ि थित द ड से बचाव का मा यम नह हो सकती। 4. कानून शासक क िनरंकुशता पर अंकुश लगाते ह । 5. कानून का शासन नाग रक अिधकार क र ा हेतु आव यक है। 6. कानून का िनमाण सामूिहक िववेक [िवचार -िवमश] के आधार पर होता है , इसिलए कानून का शासन ि के शासन से अिधक उपयु होता है । 7. िविध के शासन को ावहा रक प दान करने का काय यायालय ारा कया जाता है । वतं व िन प यायपािलका ही कानून का उ लंघन करने वाले को द ड देकर नाग रक अिधकार क र ा कर सकती है । 8. कानून के शासन क भाव शीलता हेतु आव यक है क उिचत कानून का िनमाण हो , लोग को कानून क जानकारी हो, सरकारी का मक म जवाबदेही का भाव हो, कानून का समुिचत या वयन हो और याय क सवसुलभता हो । 9. िविध का शासन ि टश याय व था क मुख िवशेषता है । 10. यह ांस क शासक य िविध क धारणा के िवपरीत है जहां शासक य अिधका रयो के िलए पृथक कानून क व था क गई
  • 8. है और उनके िववाद का िनपटारा सामा य यायालय मे नह , बि क शासिनक यायालय मे होता है । कानून के शासन क सीमाएं – कानून का शासन , शासन व था के े मे एक आदश ि थित है, क तु वहारतः कानून के शासन क भी अपनी सीमाएं ह । कानून एक समय िवशेष मे बनाया जाता है , जब क प रि थितयाँ बदलती रहती ह। हालां क कानून मे संशोधन का ावधान होता है , क तु इस या मे समय लगता है , अतः ता कािलक चुनौितय से िनपटने के िलए हर देश मे कुछ व थाएं क जाती ह, जो िस ांततः कानून के शासन के िव होती ह । िवशेष प से ि टश शासन व था जो िस ांत व वहार मे बड़े अंतर के िलए जानी जाती है , मे कानून के शासन का ावहा रक प कई सीमा के साथ कट होता है । िविध के शासन क मुख सीमाये िन वत ह – 1. सरकारी अिधका रय क िववेका मक शि – िविध का शासन सरकारी अिधका रय क िववेका मक शि के िव है । क तु रा य के काय क ापकता व ज टलता को देखते सरकारी अिधका रय को अपने िववेक के अनुसार काय
  • 9. करने क छूट दी जाती है । इस िववेका मक शि के कारण िविध के शासन क धारणा सीिमत हो गई है । 2. लोक सेवक क िवशेष ि थित – कानून के शासन क धारणा कानून के सम समानता के िस ांत पर आधा रत है , िजसमे आम नाग रक व सरकारी पदािधका रय के िलए एक ही कार के कानून क व था क जाती है और कानून का उ लंघन करने पर समान द ड का ावधान होता है , क तु ि टेन सिहत िविभ देश मे सरकारी अिधका रय को कुछ सीमा तक िवशेष ि थित ा है । ि टेन मे 1882 मे िन मत ‘’लोक अिधकारी संर ण अिधिनयम ‘’के अनुसार कसी सरकारी अिधकारी के िव कायवाही अपराध के होने के छ ◌ः महीने के भीतर ही क जा सकती है , अ यथा वह काल ितरोिहत हो जाएगी । सरकारी अिधकारी के िव अिभयोग िस न होने पर अिभयोग चलाने वाले ि को मुक मे का खच देना होता है । सरकारी अिधका रय क इस िवशेष ि थित ने भी िविध के शासन क धारणा को सीिमत कया है। 3. अधीन थ िवधायन [delegated legislation] - िविध के शासन मे संसद ारा िन मत सामा य कानून को सव ता दान क जाती है , क तु क याणकारी रा य के उदय के साथ रा य के काय बढ़ जाने और तकनीक िवषय क जानकारी न होने के कारण संसद ने िविध िनमाण का एक बडा
  • 10. उ रदािय व लोक सेवक को सौप दया है िजसे अधीन थ िवधायन के नाम से जाना जाता है । अब संसद ब त से िवषय पर कानून क केवल परेखा ही िनधा रत करती िजसके दायरे मे िनयम व उप िनयम को बनने का काय शासन ारा कया जाता है । इस व था के अंतगत शासन वयं ारा िन मत िनयम के अनुसार ही काय करता है । इससे िविध के शासन को मूल प मे आघात प ँचा है । 4. शासिनक िविधयाँ व यायालय – िविध के शासन के अंतगत शासिनक अिधका रओ व सामा य नाग रक सभी के िलए एक ही कानून व यायालय क बात कही जाती है , क तु ांस सिहत दुिनया के िविभ देश मे यहाँ तक क ि टेन मे भी अनेक शासक य कानून व यायािधकरण का िवकास आ है िजनमे शासिनक अिधका रय के मुक म क सुनवाई होती है ।जैसे- जीवन बीमा ािधकरण जीवन बीमा से संबंिधत मुक म क सुनवाई करता है । शी ता पूवक व कम खच मे काय करने के कारण ये यायािधकरण लोकि य भी ह । इस ि थित के कारण िविध के शासन क धारणा सीिमत ई है । 5. रा या य को ा उ मुि व िवशेषािधकार - इं लंड के स ाट के िव कसी भी यायालय मे अिभयोग नह चलाया जा सकता । भारत मे रा पित को कसी यायालय मे पेश होने का आदेश नह दया जा सकता । साथ ही वह यायालय ारा दंिडत ि को मादान का अिधकार भी रखता है । ये उ मुि याँ िविध के शासन क धारणा के िवपरीत ह य क
  • 11. कानून का शासन समानता मे िव ास रखता है , न क िवशेषािधकार मे । 6. िवदेशी राजनियक को ा उ मुि याँ – िवदेशी शासक व राजनियक पर देश के कानून का उ लंघन कए जाने पर भी उनके िव मुक मा नह चलाया जा सकता और न ही कसी िवदेशी जहाज के िव कानूनी कायवाही क जा सकती है । उन पर अपने देश के कानून लागू होते ह । ऐसी उ मुि भी िविध के शासन को सीिमत करती है 7. गृहम ी को ा कानूनेतर शि यां – िवदेशी नाग रक को नाग रकता दान करने क या कानून ारा िनधा रत है , क तु इन िनयम के अपवाद व प ि टश गृहमं ी कसी भी िवदेशी नाग रक को ि टश जा होने का माणप दे सकता है , कसी के माणप को र कर सकता है या अवांिछत िवदेशी को देश से िनवािसत कर सकता है । इन काय के िलए उसके िव कोई अिभयोग नह चलाया जा सकता। यह भी िविध के शासन के िवपरीत है । 8. सैिनक िविधयाँ – सेना के का मक सैिनक िविधय से शािसत होते ह और उनके अिभयोग का िनणय भी सैिनक यायालय मे ही होता है ।
  • 12. 9. जूरी था – यह ि टश याय व था क एक मुख िवशेषता है िजसके अनुसार कानून के िवशेष व अनुभवी लोग का समूह िजसे जूरी कहते ह , याियक िनणय पर पुन वचार करता है , य द वादी या ितवादी ारा ऐसी मांग रखी जाती है । जूरी ारा िनणय करते समय अपराध क प रि थितओ व मानवीय आधार पर िनणय दया जाता है न क सा य के आधार पर जैसा क सामा य यायालय ारा कया जाता है । जूरी क इस व था से िविध का शासन सीिमत आ है । प है क डायसी ारा ितपा दत िविध के शासन क धारणा ि टेन जैसे देश मे अब सीिमत प मे ही रह गई है । भारत मे िविध का शासन भारत मे िविध के शासन क जड़ ाचीन भारतीय ंथ मे िमलती ह जहां रा य पर धा मक िनयं ण क थापना क गई थी और शासक को राजधम का पालन करने क िहदायत दी गई थी । ‘रामायण’ , ‘महाभारत, ‘मनु मृित’, कौ ट य के ‘अथशा ’ मे शासक पर िनयं ण एवं उसके ारा जा के क याण को मह व देने का उ लेख िमलता है । हजार वष क गुलामी के बाद वतं भारत मे ि टश मॉडल के अनु प िविध के शासन क धारणा को संिवधान के मा यम से अपनाया गया ।
  • 13. संिवधान को देश का सव कानून घोिषत कया गया । अनु छेद 13[1] मे घोिषत कया गया है क संसद ारा बनाए गए कानून तभी वैध ह ग, जब वे संिवधान के ावधान के अनुकूल ह गे । ‘केशवान द भारती िववाद’ मे सव यायालय ने यह पूणतः प कर दया क संसद संिवधान के मौिलक ढांचे मे प रवतन नह कर सकती । यायमू त आर. एस. पाठक ने एक िववाद क सुनवाई करते ए कहा था क हमारा संिवधान िविध के शासन क धारणा से ओत ोत है । डायसी ारा कानून के सम समानता क अिभ ि अनु छेद -14 मे ई है िजसके ारा सभी क कानून के स मुख िबना कसी भेद के बराबरी का दजा दया गया है । अनु .15 सामािजक जीवन मे समान वहार का अिधकार जाित , रंग , लंग व धम के भेद के िबना देता है । अनु.17 ारा अ पृ यता का िनषेध कया गया है और अनु.18 कसी भी कार क उपािध दए जाने का िनषेध करता है । अनु। 19 मे िजन नाग रक वतं ता क चचा क गई है , उ हे संरि त करने का दािय व वतं , िन प यायपािलका को दया गया है ।[अनु. 32] अन. 21 ारा द जीवन व वैयि क वतं ता का अिधकार अनु लंघनीय है । िविध ारा थािपत या के िबना कसी को उसके जीवन व ि गत वतं ता से वंिचत नह कया जा सकता । याियक समी ा के अिधकार के अंतगत यायपािलका िवधाियका ारा बनाए गए कानून या कायपािलका ारा जारी कए गए आदेश को अवैध घोिषत कर सकती है । प है क शासनस ा पर िनयं ण व नाग रक अिधकार क र ा जो िविध के शासन के मूल मे है , के अनुकूल नाना ावधान भारतीय संिवधान मे ह। ावहा रक ि थित - िविध के शासन के सम चुनौितयाँ
  • 14. ि टेन के समान भारत मे भी िविध के शासन क दृि से िस ांत व वहार मे बडा अंतर दखाई देता है । भारत मे कई ऐसे त य है जो िविध के शासन के अनुकूल नह ह । इनमे से कुछ क िववेचना इस कार क जा सकती है – 1.रा पित को ा िवशेषािधकार के तहत उसे कसी यायालय मे पेश होने का आदेश नह दया जा सकता । यह ि थित उसे कानूनी दृि से सामा य नाग रक से उ ि थित दान करती है । 2.सांसद व िवधायक को संसद व िवधान सभा का अिधवेशन चलने क ि थित मे कानून का उ लंघन करने पर भी िगर तार नह कया जा सकता । ऐसा ावधान उ हे सामा य नाग रक से िभ बनाता है । 3.शि व स ा को बनाए रखने क इ छा से शासक िनयम के पालन के नाम पर नाग रक अिधकार का उ लंघन करते दखाई देते ह । शासन क औपिनवेिशक मानिसकता के कारण िविधयाँ नाग रक अिधकार क र क नह बन पा रही है। शांित , सु व था व आतंक के खा मे के नाम पर सेना व पुिलस पर मानवािधकार के उ लंघन के आरोप लगते रहे ह । इरोम श मला ारा मिणपुर मे इसके िवरोध मे कया गया दीघकालीन अनशन इस बात का माण है । 4.कानून क यादा सं या व उनके बा व प पर यादा बल दए जाने के कारण उ मे अंत निहत भावना को नजरंदाज कया जाता है, िजससे नाग रक अिधकार क उपे ा होती है ।
  • 15. 5.भारत जैसे िवकासशील देश मे सामािजक – धा मक िनयम व थाओ क बलता के कारण सामािजक वहार मे संवैधािनक – वैधािनक िनयम क उपे ा दखाई देती है । कोिवड 19 दौर मे द ली मे मरकज का वहार या केरल के सबरीमाला मं दर मे 10 -50 वष क उ तक क मिहलाओ के वेश के सव यायालय के िनणय के िव धा मक क रपंिथय ारा कए गए िवरोध दशन इसी त य को पु करते ह । ऑनर क लंग से संबंिधत खाप प पंचायत के फरमान या उलेमाओ के फरमान कानून के शासन क धि यां उड़ाते दखाई देते ह । समान आचरण संिहता का िनमाण व उसका भावी या वयन इस दशा मे सकारा मक प रवतन का आधार हो सकता है । 6.भारतीय नाग रक क कानून व सावजिनक जीवन के ित उदासीनता के कारण भी भारत मे िविध का शासन भावी नह बन सका है । 7.लोक अदालत क थापना के बावजूद भारत मे याय सवसुलभ नह है । याय क या समय और धन सा य होने के कारण नाग रक स ाधा रय ारा नाग रक अिधकार का उ लंघन सहन कर लेते ह । यायपािलका भी ाचार के आरोप से मु नह है। याय पािलका सिहत तमाम संवैधािनक सं था क वाय ता पर भी िच न लगने लगे ह।
  • 16. 8.हािलया समय मे भीड़ ह या [ mob lynching ] क बढ़ती घटना ने भी िविध के शासन को चुनौती दी है िजसके अंतगत भीड़ ारा याियक या का इंतजार कए िबना कसी ि को अपराधी मान कर उसक ह या कर दी जाती है । 16 अ ैल 2020 को महारा के पालघर िजले मे दो साधु क चोर समझकर भीड़ ारा क गई ह या इसका वलंत उदाहरण है । 9.राजनीित , शासन और अपराध के गठजोड़ के कारण अपरािधय को समय पर सजा नह िमल पाती है िजसके कारण आम लोग का कानून के शासन से िव ास उठता जा रहा है । 10. कानून का भावी तरीके से या वयन न होना भी कानून के शासन को कमजोर बनाता है । सामा य कानूने के उ लंघन पर कठोर सजा का ावधान न होने के कारण लोग कानून के पालन को गंभीरता से नह लेते । हािलया सरकार ारा कानून के उ लंघन पर भारी अथदंड क व था कए जाने से ि थित मे प रवतन के संकेत िमल रहे है 11. कानून क अ प ता व ज टलता भी िविध के शासन क थापना मे एक बड़ी बाधा है । अ प होने के कारण हर कोई अपने दृि कोण से उसक ा या करता है – सरकारी आ मक अपने तरीके से और आम नाग रक अपने तरीके से ,िजसके कारण कानून के या वयन क या उलझ कर रह जाती है । िविध के शासन का नवीन प – वैि क कानून का शासन उदारीकरण और वै ीकरण के दौर मे दुिनया क आ थक समृि हेतु िविध के शासन क वैि क धारणा का ितपादन कया जा रहा है । इस
  • 17. धारणा के अनुसार वैि क आ थक सं था – िव बक व अंतरा ीय मु ा कोष ारा बनाए गए िनयम के अनुपालन को ो सािहत कया जाना चािहए ता क दुिनया से गरीबी दूर क जा सके और लोग को मानवािधकार क ाि भावी प मे हो सके । इस उ े य क ाि क दशा मे िविभ देश क संवैधािनक व था को बाधक मानकर उनको िशिथल कए जाने क मांग क जा रही है । वैि क िविध के शासन क थापना क दशा मे संयु रा संघ एवं अ य अंतरा ीय संगठन यासरत ह । िन कष- िविध का शासन एक आधुिनक राजनीितक धारणा है िजसका ल य स ाध रय पर अंकुश लगाकर नाग रक अिधकार क सुर ा करना व जन क याण क साधना करना है । आिधका रक प मे इस धारणा का भावी ढंग से ितपादन ि टेन के िविध िवशेष डायसी ारा कया गया डायसी ने िविध के शासन क तीन मु य िवशेषताएं बता – कानून क सव ता ,कानून के सम समानता और कानून के मा यम से नाग रक अिधकार क र ा । डायसी ने इसे ि टश याय व था क मुख िवशेषता के प मे तुत कया । आधुिनक रा य मे संवैधािनक व था के प मे िविध के शासन को थािपत करने के यास कए गए ह , क तु वहार मे नाना कारण से िविध के शासन क धारणा सीिमत हो गई है । वयं ि टेन क शासन व था मे कई ऐसी वैधािनक थाएं ह जो िविध के शासन को सीिमत करती ह । भारत मे संिवधान के मा यम से िविध के शासन को थािपत कया गया है , क तु वहार मे यहाँ भी उसके स मुख कई चुनौितयाँ ह । वै ीकरण व उदारीकरण के दौर मे
  • 18. आ थक समृि क ाि हेतु अंतरा ीय आ थक सं थाओ – िव बक व अंतरा ीय मु ा कोष ारा बनाए गए िनयम के पालन पर बल देकर वैि क िविध के शासन क थापना क चचा क जा रही है । मु य श द - सामा य कानून :- [common law] - सामा य कानून ि टश संिवधान क िवशेषता है। संसद ारा िन मत कानून से िभ ये कानून उन याियक िनणय पर आधा रत होते ह , जो यायाधीश ारा ऐसे मामल क सुनवाई करते समय दए जाते ह िजनके िवषय मे कोई मौजूदा कानून नह होता । नाग रक अिधकार :- नाग रक अिधकार उन अिधकार को कहते हजो कसी देश के नाग रक को संिवधान या कानून ारा दान कए जाते ह। आम तौर पर इनका उ लेख मौिलक अिधकार के प मे होता है और यायालय इनक र ा क गारंटी देते ह । मैगनाकाटा :-1215 मे जारी आ ि टेन का एक संवैधािनक द तावेज है िजसमे रा य जॉन ने कुछ नाग रक वतं ता को वीकार कया था और इस कार शासक क िनरंकुश स ा पर िनयं ण थािपत कया गया था । जेनइंग ने इसे महानतम संवैधािनक द तावेज़ कहा है । याियक वतं ता :- याियक वतं ता का ता पय यायपािलका का कायपािलका या िवधाियका के िनयं ण से मु होना है ता क िन प याय हो सके । िविध के शासन के िलए याियक वतं ता आव यक है । याियक वतं ता के िलए संिवधान मे ावधान कए जाते ह ।
  • 19. References and suggested readings: 1. A.V. Daicy, An Introduction To The Study of Law of Constitution 2. F. A. Ogg, English Government And Politics,Abe Books.Co. uk 3. J. C. Jauhari, Pramukh Desho Ke Samvidhan, Sahitya Bhavan Publication, Agra. 4. Oxford English Dictionary,1884,Oxford University Press,U.K. 5. Upendra Baxi Rule Of Law In India,SUR International Journal On Human Rights, 6TH Volume,2007SUR. Conectas. Org 6. Picture 1 Source : https://blogs.findlaw.com/law_and_life/2019/05/what -does-the-rule-of-law-really-mean.html searched on 30.07.2020. 7. Picture 2 Source : https://worldjusticeproject.org/about-
  • 20. us/overview/what-rule-law) searched on 30.07.2020. : 1. िविध के शासन से आप या समझते ह। उसक मुख िवशेषताओ का उ लेख क िजए । 2. ि टश याय व था िविध के शासन पर आधा रत है , िववेचना क िजए । 3. डायसी ने िविध के शासन क या िवशेषताएँ बताई है । उसक मुख सीमाये या है । 4. िविध का शासन शासक य िविध क धारणा से कस कार िभ है , िववेचना क िजए । 5. भारत मे िविध के शासन का व प या है । यहाँ िविध के शासन के स मुख मुख चुनौितयाँ कौन सी ह । व तुिन ; 1. िविध के शासन का संबंध कस कार क शासन व था से है –
  • 21. [अ ] राजत [ ब ] कुलीनतं [ स ] अिधनायक तं [ द ] लोकतं 2. िविध के शासन का उ े य या है – [अ ] नाग रक अिधकार क र ा [ ब ] स ा पर िनयं ण [ स ] उ दोन [ द ]उ मे से कोई नह 3. िविध के शासन क कौन सी िवशेषता नह है । [अ ] िविध क सव ता [ब ] िविध के सम समानता[ स ] िविध क उिचत या[ द ] नाग रक अिधकार क र ा 4. िविध के शासन क मुख सीमा या है । [अ ] द व थापन [ब ] स ाट के िवशेषािधकार [ स ] लोकािधकारी संर ण अिधिनयम [ द ]उ सभी 5. िविध के शासन क धारणा कससे िभ है । [अ ] शासक य िविध क धारणा से[ ब ] याियक िविध क धारणा से [ स ] पारंप रक िविध क धारणा से [ द ] उ मे से कोई नह 6. शासक य िविध क धारणा कस देश के संिवधान क िवशेषता है । [अ ] भारत [ ब ] ि टेन [ स ] ांस [ द ] अमे रका 7. भारत मे िविध के शासन क थापना कसके मा यम से क गई है । [अ ] संिवधान [ ब ] संसद[ स ] रा पित[ द ] उ सभी उ र -1. द 2. स 3. स 4. द 5. अ 6. स 7. अ
  • 22. Assignment: 1.िन ां कत िब दुओ के आधार पर भारत और ि टेन मे िविध के शासन क तुलना क िजए । अ . उ पि ब . व प या िवशेषताए स . सीमाये एवं चुनौितयाँ