http://spiritualworld.co.in गधे को शेर की पौशाक पहना कर सिखों को शिक्षा:
एक दिन श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने सिक्खों को शिक्षा देने के लिए शेर की खाल रात के समय एक गधे को पहना दी| उस गधे को बाहर खेतों में छोड़ दिया| हरे खेत खाकर गधा बहुत मस्त हो गया|
एक दिन रात के समय वह अपने ही मालिक कुम्हार के घर आकर खड़ा हो गया| कुछ देर बाद कुम्हार के गधे हींगे तो वह भी बाहर से हींगने लगा| कुम्हार ने जब उसकी यह आवाज़ सुनी तो गधे से ऊपर से शेर की खाल उतार दी|उसे दो चार डंडे भी मारे और दूसरे गधों के साथ बांध दिया| यह बात सारे लोगों में फ़ैल गई कि जिसको शेर समझकर उससे डरते थे, वह कुम्हार का गधा था| जिस पर से खाल उतरकर कुम्हार ने उसपर छट लाद दी है|
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2. एक िदिन श्री गुर गोबिबिंदि िसिंह जी ने िसिंक्खो
कोब िशिक्षा दिेने के िलिए शिेर की खालि रात के
सिंमय एक गधे कोब पहना दिी| उसिं गधे कोब
बिंाहर खेतो मे छोबड िदिया| हरे खेत खाकर गधा
बिंहुत मस्त होब गया|
एक िदिन रात के सिंमय वह अपने ही मािलिक
कुम्हार के घर आकर खडा होब गया| कुछ दिेर
बिंादि कुम्हार के गधे हींगे तोब वह भी बिंाहर सिंे
हींगने लिगा|
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कुम्हार ने जब उसकी यह आवाज सुनी तो गधे
से ऊपर से शेर की खाल उतार दी| उसे दो
चार डंडे भी मारे और दूसरे गधो के साथ बांध
िदया| यह बात सारे लोगो मे फ़ैल गई िक
िजसको शेर समझकर उससे डरते थे, वह
कुम्हार का गधा था| िजस पर से खाल
उतरकर कुम्हार ने उसपर छट लाद दी है|
यह बात सुनकर गुर जी ने िसक्खो को बताया
िक यह तुम्हे बाणा उदहारण के द्वारा
समझाया है
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िक िजस तरह एक गधा शेर का बाणा धारण
करके लोगो के खेत खाता रहा और उसे शेर
समझकर उसके पास कोई न गया| परन्तु जब
वह अपने भाईयो से िमलकर अपनी भाषा
बोला तो उसको कुम्हार ने डंडे मारकर आगे
लगा िलया और पीठ पर छट लादकर अन्य
गधो के साथ बांध िदया| इसी तरह िसक्खी
बाणा है, जो इसको धारण करके इसपर
कायम रहेगा, उससे सारे लोग भय खायेगे|
परन्तु जो िसक्खी बाणे पर असूलो को त्याग
देगा, उसपर सब कोई अपने हुक्म की छट
लादेगा और खरी खोटी बोली के डंडे मारेगा|
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यह दृष्टांत सुनकर सारे िसक्खो ने प्रण िकया
िक वह कभी भी िसक्खी बाणे और असूलो का
त्याग नही करेंगे|
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िक वह कभी भी िसक्खी बाणे और असूलो का
त्याग नही करेंगे|
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