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Navratre
- 1. नवरा�े माँ पाव्त, माँ ल�मत व माँ सरसव्त क नौ सववपु क पपा ् ा ादु पर �वपय
र े
का �्त् क अि्�र� और भत महतव रर्े हहै रगुिलय एवम ् जयुि्ततय �वचारधारा
े
क अनसार एक साल मे �ृथवत पर ाु महतवपूर सयर �भाव पव्े हे ् ा थ्ॠत का
े
िनधाररू भत उन ाु �भावु से हु्ा हह �पस �ाशा मे सयर पा्ा �्त् हु्ा हहै एक बार
पब सयर �वतवव रेरा क ा�कू मे पा्ा हह (ा�कूायन) ्ब सयर बह् ्त�ू नहह
े
हु्ा ् ा वायमतडल मे काफ़ आ�्ा ् ा नमत रह्त हहै ासरह बार पब सयर �वतवव
रेरा क उवर क ्रफ़ पा्ा हह (उवरायू), यहात सयर ्त�ू हु्ा हह ् ा वायमतडल मे
े
आ�्ा या नमत कम हु पा्त हहै
पहला शत् थ् क शववा् ब्ला्ा हह ् ा ासरा तीम थ् क ै यह ाु थ्ॠत क
सतिध मानव �पा्त पर शारह�रक एवम ् मानिसक रप से �्तकल �भाव डाल्त हह ै
इन अत्राल मे पब थ्ॠत क स�नध क बेला हु्त हह और पब मानव शारह�रक एवम ्
मानिसक रप से ाबल हु पा्ा हह, मात ागार क समस् रपु क पपा अचना करने का
र े र
�ावधान हह ै
एक थ् स�नध चह� मास क शुल पक क �ि्पाा से नवमत ्क हु्त हह �पसे राम
े
नवरा�त भत कह्े हे ् ा ासरह स�नध अ��न मास क शुल पुक क �ि्पाा से
े
नवमत ्क हु्त हह �पसे ागार नवरा�त भत कह्े हेै
जयुि्त क माधयम मे थ् स�नध कु विगरकृ् करना ् ा आयव�ा क माधयम से उन
े े
समभा�व् रुगु का उनमलन करना यह नवरा�ु क पत अवधारूा हहै
नवरा�ु क नौ �ान ्तन ाे वतयु, पाव्त, ल�मत, एवम ् सरसव्त क नौ सववपु क पपा क
े र े
पा्त हह, �पसमे पहले �ान पाव्त क ्तन सवरप ( पु राह क अिधपि् मानत पा्त हह
र े
् ा �पनक उपार से राह क नकारातमक �भाव पा्े रह्े हे ) अगले ्तन �ान ल�मत
े
मात क सववपु (पु श� क अिधपि् मानत पा्त हे ् ा सर, आनना ् ा माया क
े
ाायक हे) और आ�ररह क �ान सरसव्त मा्ा (पु आकाािमक िशका क ाायक हह) क
े े
्तन सववपु क पपा क पा्त हहै
यह पपाय� य�ा �विध �वधान से समपनन क पाय� ्ु समस् ाेवतयु का पा्क कु
आशतवारा �ाा हु्ा हह ् ा वह ससार मे वयाा नकारातमक उपार से लडने मे सम र हु
त
पा्ा हहै
- 2. � म ागार - �त शहलप�त - इनक पपा करने से मलाधार च� पा ् हु्ा हहै कणडलत
मे य�ा �बमारह क युग हु्े हे ्ु वे भत कतू हु पा्े हेै
े
��्तय ागार - �त ��चा�रूत - इनक उपासना से मनीय मे ्प, तयाग, वहरागय, सााचार
क व�ह हु्त हह ् ा मन क्वय प
ृ र से �वचिल् नहह हु्ाै कणडलत मे मन �क्ना
भत ाबरल हु, इनक पपा करने से बलवान हु्ा हहै
��्तय ागार - �त चन��नना - इनक पपन से साधक कु म�ूपर च� क पा ् हुने
े े
वालत िस��यात सव्: �ाा हु पा्त हे ् ा सातसा�रक क�ु से म�� िमल्त हहै कणडलत
य�ा उपार क कमत �ारला्त हह ्ु इस �ान पपा करने से वह भत �ाा हु पा्त हहै
च् र ागार - �त कृीमातडा: - इनक उपासना से अनाह् च� प ि् �क िस��यात �ाा
हु्त हहै कणडलत मे य�ा कुो रुग या शुक वयाा हह ्ु इस �ान उपसना करने से यह
सब ार हु्ा हह ् ा आय, यश, बल और आरुगय क व�� हु्त हहै
ृ
पतचम ागार - �त सका मा्ा - इनक अराधना से �वश� च� से पा ् हुने वालत
त
िस��यात सव्: �ाा हु पा्त हे ् ा मृतय लुक मे हह साधक, चाहे उसक कणडलत मे
�क्ने अवगू ुयु न हु, परम शा�न् और सर का अनभव करने लग्ा हह ै उसके
िलये मुुक का �ार सवमेव सलभ हु पा्ा हह ै
तदम ् ागार - �त कातयायनत - �त कातयायनत क उपासना से आआा च� पगि् �क
ृ
िस��यात साधक कु सवमेव िमल पा्त हेै वह इस लुक मे रह कर भत अलौ�कक ्ेप
और �भाव से म� हु पा्ा हह ् ा उसक रुग, ाुत, सत्ाप, भय आ�ा सवर ा क िलये
े े
न� हु पा्े हेै
साम ागार - �त कालरा�त - नवरा�त क साम �ान इनक पपा और अचना क पा्त हहै
े र
�त कालरा�त क साधना से साधक कु भानच� क िस��यात सवमेव िमल पा्त हेै
कणडलत मे �ववमान �कसत �कार क अिनद रुगु से
े नकारा िमल सक्ा हहै
अ�म ागार - �त महागौरह - नवरा�त क अ�म �ान �त महागौरह क अराधना क पा्त
े
हह, �पससे सुम च� पा ि् क िस��यात �ाा हु्त हहै कणडलत मे �ववमान असतभव युग
भत सतभव हु पा्े हह ै
नवम ् ागार - �त िस��ाा�त - नवरा�त क नवम �ान �त िस��ाा�त क पपा क पा्त हह
े
�पससे साधक कु सभत िस��यात �ाा हु पा्त हे ै सृ�� मे क भत उसक िलये अगमय
े
- 3. नहह रह पा्ाै
य�ा �विध �वधान का धयान रर्े हए उपरु� ाे�वयु क स्ि् �मश: क पायेगत ्ु
गुचर एवम कणडलत से उतपनन हुने वाले भय इतय�ा से पा्क म� हु प्ा हह ् ा
उसमे �ववमान कणडलत मे क�न�् �विभनन ाुत भत पा्े रह�गेै
े
……………………………………… ै ॐ ै ……………………………………………