2. कोणाकक का सूर्क मंदिर (जिसे अंग्रेज़ी में ब्लैक पगोडा भ़ी कहा
गर्ा है), भारत के उड़ीसा राज्र् के पुरी जिले के पुरी नामक
शहर में जथित है। इसे लाल बलुआ पत्िर एवं
काले ग्रेनाइट पत्िर से १२३६– १२६४ई.पू. मेंगंग वंश के
रािा नसृसहंिेव द्वारा बनवार्ा गर्ा िा।
3. र्ह मंदिर, भारत की सबसे प्रससद्ध थिलों में से एक है।
इसे र्ुनेथको द्वारा सन १९८४ मेंववश्व धरोहर थिल घोवित
ककर्ा गर्ा है। कसलगंशैली में ननसमतक र्ह मदंिर सर्ू किेव(अकक)
के रि के रूप में ननसमकत है। इस को पत्िर पर उत्कृष्ट
नक्काश़ी करके बहुत ही सुंिर बनार्ा गर्ा है। संपूणक मंदिर
थिल को एक बारह िोड़ी चक्रों वाले, सात घोडों से ख़ींचे
िाते सूर्क िेव के रि के रूप में बनार्ा है।
4. मंदिर अपऩी कामुक मुद्राओं
वाली सशल्पाकृनतर्ों के सलर्े भ़ी
प्रससद्ध है। आि इसका काफी
भाग ध्वथत हो चुका है। इसका
कारण वाथतु िोि एवं मुजथलम
आक्रमण रहे हैं। र्हां सूर्क को
बबरंचच-नारार्ण कहते िे।
5. र्ह मंदिर सूर्क िेव(अकक) के रि के रूप में ननसमकत है। इस को
पत्िर पर उत्कृष्ट नक्काश़ी करके बहुत ही सुंिर बनार्ा गर्ा
है। संपूणक मंदिर थिल को एक बारह िोड़ी चक्रों वाले, सात
घोडों से ख़ींचे िाते सूर्क िेव के रि के रूप में बनार्ा गर्ा है।
मंदिर की संरचना, िो सूर्क के सात घोडों द्वारा दिव्र् रि को
ख़ींचने पर आधाररत है, पररलक्षित होत़ी है।
6. अब इनमें से एक ही घोडा बचा है। इस रि के पदहए, िो
कोणाकक की पहचान बन गए हैं, बहुत से चचत्रों में दिखाई िेते
हैं। मंदिर के आधार को सुंिरता प्रिान करते र्े बारह चक्र साल
के बारह मदहनों को प्रनतबबबंबत करते हैं िबकक प्रत्र्ेक चक्र
आठ अरों से समल कर बना है िो कक दिन के आठ पहरों को
िशाकते हैं।
8. information
कोणाकक (उडडर्ा: କର୍ୋଣୋର୍କ) (संथकृत: कोणाकक) ओडडशा, भारत के राज्र् के पुरी जिले में एक छोटा सा शहर है.
र्ह बंगाल की खाड़ी, राज्र् की रािधाऩी भुवनेश्वर से 65 ककलोम़ीटर से तट पर जथित है. [1] के िौरान र्ह
काले ग्रेनाइट में बनार्ा भ़ी काले सशवालर् के रूप में िाना िाता है 13 व़ीं सिी का सूर्क मंदिर, की साइट है
Narasimhadeva-I के शासनकाल. मंदिर एक ववश्व धरोहर थिल है. [2] मंदिर ज्र्ािातर खंडहर मेंअब है, और
अपऩी मनूतर्कों का संग्रह भारत़ीर् परुातत्व सवेिण द्वारा चलार्ा िाता है िो सर्ू कमंदिर संग्रहालर् में रखे है.
कोणाकक भ़ी घर ओडडशा, ओडडस़ी की पारंपररक शाथत्ऱीर् नृत्र् सदहत भारत़ीर् शाथत्ऱीर् नृत्र् रूपों, के सलए
समवपकत हर दिसम्बर आर्ोजित कोणाकक नृत्र् महोत्सव कहा िाता है एक वाविकक नृत्र् महोत्सव,, के सलए है.
[3]
16 फ़रवरी, 1980 पर, कोणाकक एक पूणक सूर्कग्रहण के राथते में स़ीधे रखना.पूरे पररसर के िेत्र के बारे में एक
हिार , इक्र्ास़ी एकड , अकेले सूर्क मंदिर भूसम के बारे में िो सौ एकड िेत्र में रह रहे हैं जिसमें से है . मंदिर
िोनों पिों में 12 पदहर्ों और मंदिर के सामने 7 घोडों र्ाऩी 24 पदहर्ों के साि कफट सूर्क भगवान की ववशाल
रि के रूप में बनार्ा गर्ा िा . पदहर्ों शार्ि एक विक के 12 महीनों और घोडे, सप्ताह के सात दिनों का
प्रनतननचधत्व करते हैं . इस मंदिर के आवास के सलए इरािा िेवता , Jagamohana उपासक िेवता की एक झलक
और एक नृत्र् - मंडप ( नृत्र् हॉल) हो सकता िा िहां से ( vimana के सामने हॉल) , लेककन एक अलग भोग
- एक vimana ( मुख्र् मंदिर के होते हैं) मंडप ( हॉल की पेशकश ) , इस िगह पर नहीं बनार्ा गर्ा िा .
िोनों नृत्र् और पेशकश शार्ि एक ही इमारत में ककर्ा गर्ा . ववमान ( मुख्र् मंदिर ) और Mukhasala ( पोचक
) एक मंच पर बनार्ा गर्ा है, िबकक इस़ी तरह line.Except पर Pitha ( मंच ) मंदिर की आकृनत है , हालांकक
कोणाकक में, नाता मंदिर ( नृत्र् हॉल) एक अलग मंच में है पुरी और मंदिर पररसर के मुख्र् प्रवेश द्वार है िो
Bhubaneswar.The पूवी प्रवेश द्वार पर उन लोगों के सलए भ़ी इस़ी तरह , िो उच्च पत्िर की बेंच पर थिावपत
िावक चेहरे , साि Gajasimha ( एक हाि़ी पर शेर ) छववर्ों , साि सिार्ा है भ़ी भ़ीतरी में प्रिान की िात़ी हैं
संभवतः बैठने के सलए गाडक के सलए बने पिों , . एक ननर्समत रूप से पत्िर फुटपाि मुख्र् मंदिर के चारों
ओर पत्िर की तुलना में लगभग 3 फीट ( 0.91 म़ीटर ) कम है , िो ब़ीतने के भ़ीतर खोि की गई है . र्ह
कहा फुटपाि के रूप में , इससलए मंदिर पररसर के मूल थतर पर ही िा कक संभावना नहीं है . कोणाकक कला
और ववज्ञान िोनों के ववद्वानों को खखलाने के सलए अपऩी ववसभन्न तरीके के साि खडा है. र्ह ऐसा लगता है
िैसे, र्ह कलाकारों, कववर्ों के सलए इस तरह के भ़ी ववज्ञान, गखणत, खगोल ववज्ञान, भौनतकी, Chemestry, ि़ीव ववज्ञान, इंि़ीननर्ररंग और के रूप में ककस़ी भ़ी थकूल के ववद्वानों को खखलाने के सलए हर िमता है, न
केवल ऐनतहाससक र्ा पुराताजत्वक महत्व का थमारक है लोक ववद्र्ा और पुरातनता के प्रेसमर्ों. इससलए ककस़ी
भ़ी ववद्वान के ककस़ी भ़ी व्र्ाख्र्ा ननजश्चत रूप से कोणाकक का पत्िर के चेहरे पर असफल होगा. इससलए
आगंतुकों के कई सवाल भ़ी काले सशवालर् के पत्िर का एक छोटा सा टुकडा तक अनुत्तररत रह. डॉ. रव़ींद्रनाि
टैगोर के शब्िों में - "मनुष्र् की भािा र्हां पत्िर की भािा से हरा दिर्ा है."
10. sclpture
डडिाइन की बहुतार्त और समरूपता में अपऩी सुंिर नक्काश़ी के साि कोणाकक मंदिर ठीक ही मानव़ीर्
कौशल और कला और थिापत्र् कला के िेत्र में प्रनतभा का सबसे अच्छा नमूनों में से एक के रूप में
संबंध है. कोणाकक के इन कलाओं को मोटे तौर पर, सिावटी सामाजिक, धासमकक, पारंपररक और कामुक
के रूप में वगीकृत ककर्ा िा सकता है. ववसभन्न प्रकार के ि़ीवन की तरह आंकडे उपलब्ध नहीं हैं. त़ीन
तरफ आलों पर सूर्क भगवान की छववर्ााँ हैं. र्े चचत्र कला का शानिार काम कर रहे हैं. अनावश्र्क रूप
में ठीक उपकरण सभ़ी ववनम्रता और सटीकता में ऐसे कार्ों बाहर chiseling के सलए इथतेमाल ककर्ा
गर्ा
मंदिर की िीवारों पर कामुक र्ुगल के कई आंकडे उपलब्ध नहीं हैं. ऐसे कामुक आंकडे के सलबरल
प्रनतननचधत्व उम्र के एक फैशन िा. दहन्िू मंदिर में, बजल्क िैन और Budhist थमारकों में ऐसे कामुक
मनूतर्कों थमारकों को सिाने में इथतेमाल ककर्ा िा रहा ही नहीं िे. र्ह कामकु मनूतर्कां प्राकृनतक
आपिाओं के क्रोध से िूर warding में सहार्क होते हैं कक माना िाता है. र्ह भ़ी इन कामुक आंकडे
ववकृत थवाि के नमनूों के रूप में माना िाता है कक कहा िाता है. र्ह भ़ी अश्लील मनूतर्कां िशककों के
मन में िगाना चादहए िे कक वणकन ककर्ा गर्ा है, कामुक, इससलए, पररहार्क और आध्र्ाजत्मक इससलए
वांछऩीर् है क्र्ा की भावना, वह भगवान की पूिा करने के सलए हकिार िा पहले क्र्ा है की भावना
कामुकता दिल खोलकर कोणाकक मंदिर के लगभग सभ़ी िेत्रों में रह रहे हैं कक एक वविर् है. ि़ीवन
आकार कामुक िोडे, कामुक साधु, आकिकक बन गर्ा है और उनके मोहक मुथकान में आिशक मदहला के
आंकडे कोणाकक िशककों की आंखों के सलए एक शानिार िावत कर दिर्ा है. ऩीले आसमाऩी साि समचित
बहुतार्त में मांस की खुश़ी, कोणाकक रोमांदटक कला के िेत्र में बेिोड थिान पर है.