This presentation is prepared for BA students to get basic idea of the subject. This presentation is very basic and needs further additions and improvements. Students are advised to get more details on the university referred books and other material.
3. उ"र वैिदक धम+
• ऋ"ैिदक कालीन देवताओं क0 इस काल म4 भी पूजा होती थी.
• अनेक देवताओं क0 =>ित म4 प?रवतAन आ गया था
• ऋ"ैिदक कालीन Eमुख देवता जैसे इंH व वIण आिद इस काल म4
Eमुख नहीं रहे।
• उMरवैिदक काल म4 Eजापित को सवNO >ान EाP हो गया।
• IH एवं िवRु का महS भी बढ़ गया।
• उMर वैिदक काल म4 अनेक Eकार क
े यVों का Eचलन िकया गया
था।
4. य"
• वैिदक युग म* य+ करना /मुख काय1 था।
• धम1, देश, समाज क9 मया1दा क9 र:ा क
े िन;म< महापु?षों को एकD करना
य+ कहलाता है।
• देवताओं क
े उIेश से अिK म* हिवLM का जो Nाग िकया जाता है, उसे य+
कहते है
• देवता अिK क
े Oारा मानव Oारा /द< भोजन करते है।
• /ारQRक काल म* सS;<, सुर:ा, िवजय, दीघा1यु, संतित, आिद क
े ;लए
य+ िकए जाते थे।
• य+ लोक कWाणकारी काय1 माना गया
• ऐसा िवZास था क9 संसार क9 कोई सSदा नही जो य+ Oारा /ा न हो
सक
े ।
• ऋ^ेद: य+ से लौिकक तथा पारलौिकक सुख क9 /ाQ होती है।
• श॰ aा॰: समb कमc म* dेe कम1 य+ को कहा है।
5. य" क$ मह'ा
• ऋ"ेद: यV से वेद, छ
ं द , जौ, चतुZद क0 उ[M।
• ]ौत सू^ और गृa सू^ म4 सूb और िवcृत वणAन।
• ऋ"ेद (पुIषसूe): िवf क0 उ[M यV कमA से।
• अथवAवेद: संसार क0 नाभ यV है।
• यजुवgद: यV सृिh चi का क
4 H है।
• शतपथ kाlण: यV ]ेm कमA।
• ऋ"ेद: जो यV नही मानता वो सुख वं चत होते nए , काक, िगo,
क
ु कर योनी EाP
• एतरेय kाlण: ऐसी कोई सrदा नही जो यV से EाP नही होती।
• यV : वैिदक धमA का मेIदंड। (बलदेव उपाuाय)
6. य" का अथ+
• vाहा: v: vाथA बुo + आ: पूणAतः + हा: xाग।
• आuा=yक: मानव zदय म4 आy{ोित (सुP ) जागृत करना।
• धािमAक: देवताओं को Eस| करने का साधन, ]oा Eकट करने का
~ोत,
• वैVािनक: Eाक
ृ ितक संतुलन क0 िवध , Eक
ृ ित चi : ऋतुचक,
सौरचi, चलायमान
7. वैिदक य"
• ?र"ेिदक काल
• vप: सरल और साधारण
• कमAकांड क0 सरलता
• घर म4 गृहपित ारा सr|
• पुरोिहतों क0 आव‚कता कम
• राजा ारा िकए यVों का वणAन EाP नही।
• उMर वेिदक काल:
• कालांतर म4 यVों का िवध-िवधान जिटल nआ।
8. य"ों का वग3करण
• गृa और ]ौत इन दो वगƒ म4 िवभाजत
• यV अि„ से ही सr| होते थे।
• अि„ क
े दो Eकार Vात है ।
• इनक0 सं…ा २१ बतायी गयी है।
१) ˆारAताि„ (smatargni):
गृह कमA से स‰ं धत सामाŠ यV (ज‹, िववाह, ]ाo)
२) ]ोताि„ :
]ौत यV (]ुित (वेद) अनुसार िवcृत यV)
12. अि8हो9
• अि„हो^ हवीयAV म4 Eथम है।
• अि„हो^: वह यV जो यजमान और उसक0 प“ी ारा चार
पुरोिहतों क0 सहायता से सrािदत हो।
• काल: Eितिदन:- Eातः तथा सायंकाल
• अि„ क0 उपासना
• िकथ क
े अनुसार: Eातः काल और सायंकाल म4 अि„ िक उपासना
जसम4 दूध, तंडुल,दध,घृत क0 आnित दी जाए।
• Eा=P: पापों से मुe, vगA ले जाने क0 नाव हेतु
13. दश+-पूण+मास
• ऐसे यV जसम4 पशुबली दी जाय4
• दशA : वह िदन जब चंH को क
े वल सूयA ही देख सकता है।
• पूणAमास: जब चंH पूणA रहता है।
• यह यV दशA और पूणAमास को सrािदत होते थे।
• आपcंभ: इस यV का सrादन जीवनभर, सŠास होने पूवA तथा
तीस वषƒ तक या जब तक शरीर जीणA ना हो जाए करते रहना
चािहए।
• अ„ाधेय यV करनेवाला पूणAमासी को यह यV कर सकता है।
• कालावध: १ या २ िदन
• ४ पुरोिहत
• दशA: अि„, इंH Eमुख देवता
• पूणAमास: अि„, सोम Eमुख देवता
14. चातुमा+@
• ऋतु स‰•ी यV
• हर चार महीने म4 होने से इसे चातुमाAŒ नाम पड़ा।
• इसम4 चार पवA होते है।
i. वैfदेव: फा˜ुनी पूणAमा
ii. वIण -Eघास: आषाढ़ पूणAमा
iii. साकमेध : काितAक0 पूणAमा
iv. शुनासीरीय : फा˜ुन शु™ Eितपदा
• वसंत, हेमंत और वषाA का आगमन
• शुनासीरीय: क
ृ िष कमA से संबं धत
• साकमेध: बल चढ़ाने क0 Eथा का उšेख, यह बल चिटयों क
े झœंड
पे फ
4 क क
े “ IH यह तुारा भाग है”
15. आBयण
• आयण: अ (Eथम फल)+अयन (हण)
• ~ोत: शतपथ kाlण, आपcंब धमAसू^, आfलायन गृहसू^,
बौधायन गृहसू^
• नवीन उ[| धाŠ (धान तथा यव) क
े समय
• यह यV सrािदत िकए िबना नए अ| का Eयोग नही कर सकते।
• काल: पूणAमा या अमावŒा क
े िदन
• देव: इंH, अि„ तथा आnितयाँ
• जैमिन क
े अनुसार यह ]ोत यV का एक प है।
16. पशुबं ध या िनFढ-पशुबं ध
• पशुबं ध महAपूण) य@ है।
• Dतं& पशुबं ध को िन8ढ-पशुबं ध कहा जाता है।
• यह य@ GHI जीवनभर करते थे: ६ मास उपरांत या साल मR एक बार Dतं& 8प से
• उTरायण एवं दUVणयाम क
े समय
• िकसी भी िदन सWX होता था, वषा)ऋतु
• कालावUध: २ िदन
• य@ ] (यूप) का िनमा)ण: पलाश, खिदर, िब_ या रौिहतक नामक वृV क
े काa से
होता था।
• वेदी का िनमा)ण:
1. वेदी पर एक उTरवेदी (ऊ
ँ चवेदी) का िनमा)ण
2. वेदी कd पूव) िदशा क
े उTरीकोण से लेकर ३२ अंगुल पgरणाम का गhा खोदा जाता
था, Uजसे चाAाल कहते थे।
3. यह गiा ३६ अंगुल गहरा होता था।
• देवता: jजापित, सूय), इंl
• सं@पन: शmघात क
े िबना पशु को oास रोक क
े मारना (अंग-िवशेष को अि# मR हवन)
20. सोमय%
१) एकाह एक िदन
२) अहीन २ से १२ िदन
३) स/
१३ से एक वष2, १०००
वष2
सोमय" क
े /कार
िव-ृत, दीघ%कालीन तथा ब8साधन:ािप
सोमरस क= आ8ित देने से “सोमय&” कहलाता है।
21. अि8Kोम
• !ोत: तैत%रय सं िहता, तैत%रय -ा.ण, शथपथ -ा.ण एवं एतरेय -ा.ण।
• अि89ोम सोमय;ों क
े सात =कारों म> सव?@ेA (आदश?) माना जाता है।
• अि8 कF Gुित कF जाने से इसका नाम अि89ोम पड़ा।
• =ितवष? बसं त म> अमावMा या पूOण?मा को िकया जाता है।
• इस य; का िवभाजन तीन भागो म> िकया जाता है,
1. यथा (Sि9)
2. पशु
3. सोम
• कालावOध: ५ िदन
• =क
ृ ित य; होने से इसका िवशेष महX है।
• िहले-ांड: इसका सZ[ वसंतोव से है।
• इस य; म> १२ श!ों का =योग िकया जाता था।
सोमय%
22. उM
• उ का vप अि„hोम जैसा है।
• अि„hोम से ३ श~ अधक
• श~ों क0 सं…ा १५ है।
23. षोडशी
• यह vतं^ ऋत नही है इसलए कायA अि„hोम जैसे पृथक
नही होता
• १५ श~
24. अितरा9
• इसम4 २९ श~ होते है।
• इसका सrादन रा^ म4 होता है।
• पशुओं क0 सं …ा ४ होती है।
25. अPि8Qोम
• १३ ~ोत और श~ होते है।
• अxि„mोम और अि„hोम म4 कोई िवशेष अंतर नही होता।
27. अTमेध य"
• =ाचीन य; : ऋaेद म>, तैत%रय -ा.ण, शथपथ -ा.ण म> िवGृत वण?न
• बb =चOलत य;
• अc कF बOल दी जाती थी।
• अc का मास “उखा” नामक पाf म> पका क
े आbित दी जाती।
• तैत%रय -ा.ण: अcमेध को राg या रा9h कहा है।
• पाfता: साव?भौम या अOभिषj राजा, Oजतने कF इkा रखने वाले, अतुल
समृOl पाने कF कामना करनेवाले
• यिद शfु अc को पकड़ ले तो य; न9 हो जाता है।
• फाnुन शुo पp क
े ८ वे या ९ वे िदन, आषाढ़ मास क
े िदनो म> िकया
जाता था।
• रामायण म> उtेख
• समुuगुv क
े Oसw
े
• सातवाहन, गुv, वाकाटक
28. पुVषमेध य"
• सोमय;ों म> सवा?Oधक जिटल य;
• !ोत: शुy यजुवzद, क
ृ { यजुवzद, वाजनसेयी संिहता, एवं सूf
• पु|षमेध : पु|ष कF बOल
• चेित-िनमा?ण: म> ५ पशु कF बOल
• िव}ानो म> पु|ष बOल पर मतभेद (=तीका~क और वाGिवक)
• Oमf: तैत%रय शाखा क
े अनुसार पु|षमेध वाGिवक था।
• शुy यजुवzद: =ाथOमक अनु9ान क
े बाद सभी मे€ मनुों को मुj कर
िदया जाता था।
• कालावOध: ५ िदन, श॰-ा॰: ४० िदन
• =ा…v: इसक
े स†ादन से पु|ष कF …‡ित सव?@ेA हो जाती है।
• यजमान सव? =ाOणयों म> @ेA और सब क
ु छ =ाv करने म> समथ?
• पुराता…Xक =माण: कौशाZी (उ‰र =देश), मनसर (नागपुर, महारा9h)
31. उपसंहार
• वेिदक काल म> य; =मुख धम? काय?
• य;: uŠ, देवता एवं ‹ाग
• =ारŒ म> य; लोक काणकारी भावना से प%रपूण?
• संसार कF सव? स†दा य; से =ा…v कF धारणा
• पारलौिकक मोp कF =ा…v
• वेिदक क़ालीन स†ूण? जीवन य;मय
• मूित?, मंिदर का अभाव
• =ारŒ म> सरल य; काय? उ‰र वेिदक काल म> जिटल बन गए
• य; िवOध, समय, uŠ, दOpणा अ‹Oधक जिटल
• य; सामा क
े Oलए दुह और Šवसा€ हो गए
• उ‰रवैिदक काल म> धम? म> आडंबरों एवं अंधिवcासों ने भी =वेश कर
Oलया था।
• य; पर†रा से भिव म> पूजा का प ‘हण िकया