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1. MULAYAM SINGH YADAV DEATH NEWS
: 82 वर्ष की आयु में मुलायम सिंह का देहांत , गृह
मंत्री श्री अमित शाह पहुंचे अस्पताल
Posted on October 10, 2022 by sachinjattpapa@gmail.com
MULAYAM SINGH YADAV(मुलायम सिंह यादव) DEATH
NEWS:
82 वर्ष की आयु में श्री मुलायम सिंह यादव जी की मृत्यु हो गयी मुलायम सिंह का जन्म : 22 नवम्बर
1939-10 अक्टूबर 2022) भारत क
े एक राजनेता एवं उत्तर प्रदेश क
े पूर्व मुख्यमंत्री थे। वे भारत क
े
रक्षामंत्री भी रह चुक
े थे। वे मूलतः एक शिक्षक थे किन्तु शिक्षण कार्य छोड़कर वे राजनीति में आये तथा
समाजवादी पार्टी बनायी थी ।
MULAYAM SINGH YADAV PASSED AWAY : मुलायम सिंह
का निधन :-
2. समाजवादी पार्टी क
े संरक्षक और पूर्व रक्षामंत्री मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) का
निधन हो गया है. मुलायम सिंह तबीयत खराब होने क
े बाद क
ु छ दिनों से हरियाणा क
े गुरुग्राम क
े मेदांता
हॉस्पिटल में भर्ती थे. सपा संरक्षक मुलायम सिंह क
े निधन क
े बाद से हर कोई उनक
े परिवार और उनसे
जुड़ी हर चीज क
े बारे में जानने क
े लिए उत्सुक है. ऐसे में यहां हम आज आपको मुलायम सिंह से जुड़ी एक
खास बात बताने जा रहे हैं. दरअसल क्या आप जानते हैं पूर्व रक्षा मंत्री मुलायम सिहं यादव की बायोपिक
बन चुकी है. इस फिल्म में मुलायम सिंह क
े शुरुआती दिनों की कहानी को बयां किया गया है साथ ही
उनक
े राजनीति क
े दिग्गज खिलाड़ी बनने क
े सफर को दिखाया गया है. चलिए यहां फिल्म ‘मैं मुलायम
सिंह यादव’ की फिल्म की स्टोरी पर नजर डालते है ।
MULAYAM SINGH YADAV मुलायम सिंह यादव का व्यक्तिगत
जीवन-
3. मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवम्बर 1939 को इटावा जिले क
े सैफई गाँव में मूर्ति देवी व सुघर सिंह
यादव क
े किसान परिवार में हुआ। मुलायम सिंह यादव अपने पाँच भाई-बहनों में रतनसिंह यादव से छोटे
व अभयराम सिंह यादव, शिवपाल सिंह यादव, राजपाल सिंह और कमला देवी से बड़े हैं। प्रोफ
े सर
रामगोपाल यादव इनक
े चचेरे भाई हैं।पिता सुघर सिंह उन्हें पहलवान बनाना चाहते थे किन्तु पहलवानी
में अपने राजनीतिक गुरु चौधरी नत्थूसिंह को मैनपुरी में आयोजित एक क
ु श्ती-प्रतियोगिता में प्रभावित
करने क
े पश्चात उन्होंने नत्थूसिंह क
े परम्परागत विधान सभा क्षेत्र जसवन्त नगर से अपना राजनीतिक
सफर शुरू किया राजनीती में आने से पूर्व मुलायम सिंह यादव आगरा विश्व विधालय से राजनीतीविज्ञान
में (एम०ए०) और बी० टी० करने क
े उपरान्त इन्टर कालेज में प्रवक्ता नियुक्त हुए और सक्रिय राजनीति
में रहते हुए नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। मुलायम सिंह जी का काफ़ी लंबी बीमारी क
े कारण 10 अक्टूबर
2022 को निधन हो गया।
MULAYAM SINGH YADAV : मुलायम सिंह यादव का
राजनीतिक जीवन-‘
मुलायम सिंह उत्तर भारत क
े बड़े समाजवादी और किसान नेता हैं। एक साधारण किसान परिवार में जन्म
लेने वाले मुलायम सिंह ने अपना राजनीतिक जीवन उत्तर प्रदेश में विधायक क
े रूप में शुरू किया। बहुत
कम समय में ही मुलायम सिंह का प्रभाव पूरे उत्तर प्रदेश में नज़र आने लगा। मुलायम सिंह ने उत्तर प्रदेश
में अन्य पिछड़ा वर्ग समाज का सामाजिक स्तर को ऊपर करने में महत्वपूर्ण कार्य किया। सामाजिक
चेतना क
े कारण उत्तर प्रदेश की राजनीति में अन्य पिछड़ा वर्ग का महत्वपूर्ण स्थान हैं। समाजवादी नेता
रामसेवक यादव क
े प्रमुख अनुयायी (शिष्य) थे तथा इन्हीं क
े आशीर्वाद से मुलायम सिंह 1967 में पहली
बार विधानसभा क
े सदस्य चुने गये और मन्त्री बने। 1992में उन्होंने समाजवादी पार्टी बनाई। वे तीन बार
क्रमशः 5 दिसम्बर 1989 से 24 जनवरी 1991 तक, 5 दिसम्बर 1993 से 3 जून 1996 तक और 29
अगस्त 2003 से 11 मई 2007 तक उत्तर प्रदेश क
े मुख्य मन्त्री रहे। इसक
े अतिरिक्त वे क
े न्द्र सरकार में
रक्षा मन्त्री भी रह चुक
े हैं। उत्तर प्रदेश में यादव समाज क
े सबसे बड़े नेता क
े रूप में मुलायम सिंह की
पहचान है। उत्तर प्रदेश में सामाजिक सद्भाव को बनाए रखने में मुलायम सिंह ने साहसिक योगदान
किया। मुलायम सिंह की पहचान एक धर्मनिरपेक्ष नेता की है। उत्तर प्रदेश में उनकी पार्टी समाजवादी पार्टी
को सबसे बड़ी पार्टी माना जाता है। उत्तर प्रदेश की सियासी दुनिया में मुलायम सिंह यादव को प्यार से
नेता जी कहा जाता है।
2012 में समाजवादी पार्टी को उत्तर प्रदेश क
े विधान सभा चुनाव में पूर्ण बहुमत मिला। यह पहली बार
हुआ था कि उत्तर प्रदेश में सपा अपने बूते सरकार बनाने की स्थिति में थी। नेता जी क
े पुत्र और सपा क
े
प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बसपा की सरकार क
े खिलाफ भ्रष्टाचार का मुद्दा जोर शोर से उठाया
और प्रदेश क
े सामने विकास का एजेंडा रखा। अखिलेश यादव क
े विकास क
े वादों से प्रभावित होकर पूरे
प्रदेश में उनको व्यापक जनसमर्थन मिला। चुनाव क
े बाद नेतृत्व का सवाल उठा तो नेताजी ने वरिष्ठ
साथियों क
े विमर्श क
े बाद अखिलेश यादव को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया। अखिलेश यादव मुलायम
सिंह क
े पुत्र है। अखिलेश यादव ने नेता जी क
े बताए गये रास्ते पर चलते हुए उत्तर प्रदेश को विकास क
े
पथ पर आगे बढ़ाया.
‘समाजवादी पार्टी’ क
े नेता मुलायम सिंह यादव पिछले तीन दशक से राजनीति में सक्रिय हैं। अपने
राजनीतिक गुरु नत्थूसिंह को मैनपुरी में आयोजित एक क
ु श्ती प्रतियोगिता में प्रभावित करने क
े पश्चात
4. मुलायम सिंह ने नत्थूसिंह क
े परम्परागत विधान सभा क्षेत्र जसवन्त नगर से ही अपना राजनीतिक सफर
आरम्भ किया था। मुलायम सिंह यादव जसवंत नगर और फिर इटावा की सहकारी बैंक क
े निदेशक चुने
गए थे। विधायक का चुनाव भी ‘सोशलिस्ट पार्टी’ और फिर ‘प्रजा सोशलिस्ट पार्टी’ से लड़ा था। इसमें
उन्होंने विजय भी प्राप्त की। उन्होंने स्क
ू ल क
े अध्यापन कार्य से इस्तीफा दे दिया था। पहली बार मंत्री
बनने क
े लिए मुलायम सिंह यादव को 1977 तक इंतज़ार करना पड़ा, जब कांग्रेस विरोधी लहर में उत्तर
प्रदेश में भी जनता सरकार बनी थी। 1980 में भी कांग्रेस की सरकार में वे राज्य मंत्री रहे और फिर चौधरी
चरण सिंह क
े लोकदल क
े अध्यक्ष बने और विधान सभा चुनाव हार गए। चौधरी साहब ने विधान परिषद
में मनोनीत करवाया, जहाँ वे प्रतिपक्ष क
े नेता भी रहे।
1996 में मुलायम सिंह यादव ग्यारहवीं लोकसभा क
े लिए मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र से चुने गए थे और उस
समय जो संयुक्त मोर्चा सरकार बनी थी, उसमें मुलायम सिंह भी शामिल थे और देश क
े रक्षामंत्री बने थे।
यह सरकार बहुत लंबे समय तक चली नहीं। मुलायम सिंह यादव को प्रधानमंत्री बनाने की भी बात चली
थी। प्रधानमंत्री पद की दौड़ में वे सबसे आगे खड़े थे, किं तु उनक
े सजातियों ने उनका साथ नहीं दिया।
लालू प्रसाद यादव और शरद यादव ने उनक
े इस इरादे पर पानी फ
े र दिया। इसक
े बाद चुनाव हुए तो
मुलायम सिंह संभल से लोकसभा में वापस लौटे। असल में वे कन्नौज भी जीते थे, किं तु वहाँ से उन्होंने
अपने बेटे अखिलेश यादव को सांसद बनाया।
MULAYAM SINGH YADAV : मुलायम सिंह यादव की क
ें द्रीय
राजनीति
क
ें द्रीय राजनीति में मुलायम सिंह का प्रवेश 1996 में हुआ, जब काँग्रेस पार्टी को हरा कर संयुक्त मोर्चा ने
सरकार बनाई। एच. डी. देवेगौडा क
े नेतृत्व वाली इस सरकार में वह रक्षामंत्री बनाए गए थे, किं तु यह
सरकार भी ज़्यादा दिन चल नहीं पाई और तीन साल में भारत को दो प्रधानमंत्री देने क
े बाद सत्ता से बाहर
हो गई। ‘भारतीय जनता पार्टी’ क
े साथ उनकी विमुखता से लगता था, वह काँग्रेस क
े नज़दीक होंगे,
लेकिन 1999 में उनक
े समर्थन का आश्वासन ना मिलने पर काँग्रेस सरकार बनाने में असफल रही और
दोनों पार्टियों क
े संबंधों में कड़वाहट पैदा हो गई। 2002 क
े उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में समाजवादी
पार्टी ने 391 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए, जबकि 1996 क
े चुनाव में उसने क
े वल 281 सीटों पर
ही चुनाव लड़ा था।
MULAYAM SINGH YADAV :मुलायम सिंह क
े राजनीतिक दर्शन
तथा विदेश यात्रा :-
मुलायम सिंह यादव की राष्ट्रवाद, लोकतंत्र, समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता क
े सिद्धान्तों में अटूट आस्था
रही है। भारतीय भाषाओं, भारतीय संस्कृ ति और शोषित पीड़ित वर्गों क
े हितों क
े लिए उनका अनवरत
संघर्ष जारी रहा है। उन्होंने ब्रिटेन, रूस, फ्रांस, जर्मनी, स्विटजरलैण्ड, पोलैंड और नेपाल आदि देशों की भी
यात्राएँ की हैं। लोकसभा सदस्य कहा जाता है कि मुलायम सिंह उत्तर प्रदेश की किसी भी जनसभा में कम
से कम पचास लोगों को नाम लेकर मंच पर बुला सकते हैं। समाजवाद क
े फ़्राँसीसी पुरोधा ‘कॉम डी
सिमॉन’ की अभिजात्यवर्गीय पृष्ठभूमि क
े विपरीत उनका भारतीय संस्करण क
ें द्रीय भारत क
े कभी निपट
गाँव रहे सैंफई क
े अखाड़े में तैयार हुआ है। वहाँ उन्होंने पहलवानी क
े साथ ही राजनीति क
े पैंतरे भी सीखे।
5. लोकसभा से मुलायम सिंह यादव ग्यारहवीं, बारहवीं, तेरहवीं और पंद्रहवीं लोकसभा क
े सदस्य चुने गये
थे।
मुलायम सिंह यादव की सदस्यता
विधान परिषद 1982-1985
विधान सभा 1967, 1974, 1977, 1985, 1989, 1991, 1993 और 1996 (आठ बार)
विपक्ष क
े नेता, उत्तर प्रदेश विधान परिषद 1982-1985
विपक्ष क
े नेता, उत्तर प्रदेश विधान सभा 1985-1987
क
ें द्रीय क
ै बिनेट मंत्री
सहकारिता और पशुपालन मंत्री 1977
रक्षा मंत्री 1996-1998
मुलायम सिंह की भाजपा से नजदीकी –
मुलायम सिंह यादव मीडिया को कोई भी ऐसा मौका नहीं देते, जिससे कि उनक
े ऊपर ‘भाजपा’ क
े क़रीबी
होने का आरोप लगे। जबकि राजनीतिक हलकों में यह बात मशहूर है कि अटल बिहारी वाजपेयी से उनक
े
व्यक्तिगत रिश्ते बेहद मधुर थे। वर्ष 2003 में उन्होंने भाजपा क
े अप्रत्यक्ष सहयोग से ही प्रदेश में अपनी
सरकार बनाई थी। अब 2012 में उनका आकलन सच भी साबित हुआ। उत्तर प्रदेश में ‘समाजवादी पार्टी’
को अब तक की सबसे बड़ी जीत हासिल हुई है। 45 मुस्लिम विधायक उनक
े दल में हैं।
मुलायम सिंह यादव को प्राप्त पुरस्कार व सम्मान
पूर्व मुख्यमंत्री एवं समाजवादी पार्टी क
े राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव को 28 मई, 2012 को लंदन
में ‘अंतर्राष्ट्रीय जूरी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ़ जूरिस्ट की जारी
विज्ञप्ति में हाईकोर्ट ऑफ़ लंदन क
े सेवानिवृत न्यायाधीश सर गाविन लाइटमैन ने बताया कि श्री यादव
का इस पुरस्कार क
े लिये चयन बार और पीठ की प्रगति में बेझिझक योगदान देना है। उन्होंने कहा कि श्री
यादव का विधि एवं न्याय क्षेत्र से जुड़े लोगों में भाईचारा पैदा करने में सहयोग दुनियाभर में लाजवाब है।
ज्ञातव्य है कि मुलायम सिंह यादव ने विधि क्षेत्र में ख़ासा योगदान दिया है। समाज में भाईचारे की भावना
पैदाकर मुलायम सिंह यादव का लोगों को न्
याय दिलाने में विशेष योगदान है। उन्होंने कई विधि
विश्
वविद्यालयों में भी महत्त्वपूर्ण योगदान किया है।
मुलायम सिंह यादव पर लिखी पर पुस्तक
ें
6. मुलायम सिंह पर कई पुस्तक
ें लिखी जा चुकी हैं। इनमे पहला नाम “मुलायम सिंह यादव- चिन्तन और
विचार” का है जिसे अशोक क
ु मार शर्मा ने सम्पादित किया था। इसक
े अतिरिक्त राम सिंह तथा अंशुमान
यादव द्वारा लिखी गयी “मुलायम सिंह: ए पोलिटिकल बायोग्राफी” अब उनकी प्रमाणिक जीवनी है। की
पत्रकार डॉ नूतन ठाक
ु र ने भी मुलायम सिंह क
े सामाजिक, सांस्कृ तिक और राजनैतिक महत्व को
रेखांकित करते हुए एक पुस्तक लिखने का कार्य किया है।
मुलायम सिंह यादव पर बनी फिल्म-
मुलायम सिंह यादव पर बनी फिल्म का नाम मैं मुलायम सिंह यादव था तथा इस फिल्म में मुलायम
सिंह का रोल अमित सेठी ने निभाया है । शिवपाल सिहं यादव का रोल मिथुन चक्रवर्ती ने निभाया है
फिल्म का डायरेक्शन –
सुवेंदु घोष ने किया था ।
मुलायम सिहं यादव क
े विवादित विचार
अपने एक भाषण क
े दौरान मुलायम सिंह ने बलात्कार की घटना पर कहा कि लड़क
े गलतियां करते हैं।
“लोक सभा २००९ क
े चुनाव अभियान में मुलायम सिंह ने कहा कि अंग्रेजी और कम्प्यूटर की शिक्षा
समाप्त करने को कहा इससे बेरोजगारी फ
ै लती है। दिनांक १८ अगस्त २०१५ को एक सभा में बलात्कार
पर विवादित ब्यान दिया। मुलायम सिंह यादव ने लखनऊ में ई-रिक्शा क
े वितरण समारोह में (१८
अगस्त २०१५ ) बलात्कार पर विचार व्यक्त करने पर महोबा जिले की स्थानीय कोर्ट ने अदालत में
उपस्थिति क
े लिए समन जारी किया था।
● निलंबित आई पी एस अधिकारी अमिताभ ठाक
ु र को धमकाने आरोप में सी जे एम सोमप्रभा
मिश्रा ,लखनऊ ने समाजवादी पार्टी क
े मुखिया मुलायम सिंह यादव क
े विरुद्ध आई पी सी की
धारा १५६(३) क
े अंतर्गत एफ आई आर दर्ज करने का आदेश दिया।
अयोध्या गोलीकांड
वीएचपी क
े आह्वान पर 30 अक्तूबर 1990 को लाखों कारसेवक अयोध्या में इकट्ठा हुए थे। उनका
उद्देश्य था कि विवादित स्थल पर मस्जिद को तोड़कर मंदिर का निर्माण किया जाए। जब हजारों की
संख्या में लोग विवादित स्थल क
े पास की एक गली में इकट्ठा हुए, उसी वक्त सामने से पुलिस और
सुरक्षाबलों ने गोली चला दी। इसमें कई लोग गोली से तो कई लोग भगदड़ से मारे और घायल हुए।
हालांकि मौतों क
े आंकड़े कभी स्पष्ट नहीं हुए। यूपी की तत्कालीन मुलायम सिंह सरकार क
े दौरान
कारसेवकों पर पुलिस की गोलीबारी क
े मामले में रिपब्लिक भारत चैनल ने अपने लॉन्च होने क
े पहले ही
दिन बड़े खुलासे का दावा किया। चैनल ने अपने स्टिंग में एक तत्कालीन अधिकारी से बात की। राम
जन्मभूमी थाने क
े तत्कालीन एसएचओ वीर बहादुर सिंह ने बताया कि कारसेवकों क
े मौत का जो आंकड़ा
बताया गया था, उससे ज्यादा कारसेवकों की मौत हुई थी।
7. राम जन्मभूमि थाने क
े तत्कालीन एसएचओ वीर बहादुर सिंह ने इस टीवी चैनल से बातचीत में बताया
कि घटना क
े बाद विदेश तक से पत्रकार आए थे। उन्हें आठ लोगों की मौत और 42 लोगों क
े घायल होने
का आंकड़ा बताया गया था। जब तफ्तीश क
े लिए शमशान घाट गए, तो वहां पूछा कि ऐसी कितनी लाशें
हैं, जो दफनाई गई हैं और कितनी लाशों का दाह संस्कार किया गया है, तो बताया गया कि 15 से 20
लाशें दफनाई गई हैं। उसी आधार पर सरकार को बयान दिया गया था। हालांकि हकीकत यही थी कि वे
लाशें कारसेवकों की थीं। उस गोलीकांड में कई लोग मारे गए थे। आंकड़े तो नहीं पता हैं, लेकिन काफी
संख्या में लोग मारे गए थे। टीवी चैनल क
े इस सवाल पर कि कई लोग अपनों क
े बारे में पूछते हुए
अयोध्या तक आए होंगे, उन्हें क्या बताया जाता था। पूर्व एसएचओ ने बताया कि उन्हें बताते थे कि
दफनाई गई लाशें उनक
े परिवार क
े सदस्यों की नहीं हैं। मुलायम सिंह यादव भी कई मौकों पर इस
गोलीकांड को सही ठहराते रहे हैं। उन्होंने हमेशा कहा है कि देश की एकता क
े लिए गोली चलवाई थी।
आज जो देश की एकता है उसी वजह से है। इसक
े लिए और भी लोगों को मारना पड़ता, तो सुरक्षाबलों को
मारने की अनुमति दे देते।
मुलायम सिंह से जुडी अन्य बातो क
े बारे में जानने क
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