Email Marketing Kya Hai aur benefits of email marketing
rahim das Hindi
1.
2. रहीम मध्यकालीन सामंतवादी संस्कृतत के
कवव थे। रहीम का व्यक्ततत्व बहुमुखी
प्रततभा-संपन्न था।
वे एक ही साथ सेनापतत, प्रशासक,
आश्रयदाता, दानवीर, कूटनीततज्ञ,
बहुभाषाववद, कलाप्रेमी, कवव एवंववद्वान
थे।
3. जन्म: 17 ददसंबर 1556, लाहौर, पाककस्तान
मृत्यु: 1626, आगरा
अभििावक: बैरम खां
जीवनसाथी: माह बनूबेगम
बच्चे: जाना बेगम
बैरम खााँ के घर पुत्र की उत्पतत की खबर
सुनकर वे स्वयं वहााँ गये और उस बच्चे का
नाम “रहीम’ रखा।
4. काफी ममन्नतों तथा आशीवााद के बाद अकबर
को शेख सलीम चचश्ती के आशीवााद से एक
लड़का प्राप्त हो सका, क्जसका नाम उन्होंने
सलीम रखा।
शहजादा सलीम मााँ- बाप और दूसरे लोगों के
अचिक दुलार के कारण मशक्षा के प्रतत उदासीन
हो गया था।
कई महान लोगों को सलीम की मशक्षा के मलए
अकबर ने लगवाया।
5. रहीम ने अविी और ब्रजभाषा दोनों में ही
कववता की है जो सरल, स्वाभाववक और
प्रवाहपूणा है।
उनके काव्य में श्रंगृार, शांत तथा हास्य रस
ममलते हैंI
तथा दोहा, सोरठा, बरवै, कववत्त और सवैया
उनके वप्रय छंद हैं।
8. छिमा बड़न को चाहहये, िोटन को उतपात।कह रहीम हरर का
घट्यौ, जो िृगुमारी लात॥1॥
अथथ:
बड़ों को क्षमा शोभा देती हैऔर छोटों को
उत्पात (बदमाशी)। अथाात अगर छोटे बदमाशी करेंकोई
बड़ी बात नहीं और बड़ों को इस बात पर क्षमा कर देना
चादहए। छोटे अगर उत्पात मचाएंतो उनका उत्पात भी
छोटा ही होता है। जैसेयदद कोई कीड़ा (भृगु) अगर लात
मारे भी तो उससेकोई हातन नहीं होती।
9. तरुवर फल नहहिंखात है, सरवर पपयहह न पान।
कहह रहीम पर काज हहत, सिंपछत सँचहह सुजान॥2॥
अथथ:
वृक्ष अपनेफल स्वयंनहीं
खातेहैंऔर सरोवर भी अपना पानी स्वयंनहीं
पीती है। इसी तरह अच्छे और सज्जन व्यक्तत वो
हैंजो दूसरों के कायाके मलए संपवत्त को संचचत
करतेहैं।
10. दुख मेंसुभमरन सब करे, सुख मेंकरे न कोय।
जो सुख मेंसुभमरन करे, तो दुख काहे होय॥3॥
अथथ:
दुख मेंसभी लोग याद करते
हैं, सुख मेंकोई नहीं। यदद सुख मेंभी याद करते
तो दुख होता ही नहीं।
11. खैर, खून, खाँसी, खुसी, बैर, प्रीछत, मदपान।
रहहमन दाबेन दबै, जानत सकल जहान॥4॥
अथथ:
दुतनया जानती हैकक खैररयत, खून,
खांसी, खुशी, दुश्मनी, प्रेम और मददरा का नशा छुपाए
नहींछुपता है।
12. जो रहीम ओिो बढै, तौ अछत ही इतराय।
प्यादे सों फरजी ियो, टेढो टेढो जाय॥5॥
अथथ:
ओछे लोग जब प्रगतत करते
हैंतो बहुत ही इतरातेहैं।
वैसेही जैसेशतरंज के
खेल मेंजब प्यादा फरजी
बन जाता हैतो वह टेढ़ी
चाल चलनेलगता है।