HOPE YOU ENJOYED MY POWER POINT ON GUJARAT AND ITS CULTURE, LANGUAGE AND ALL. IF YOU WANT YOU CAN DOWNLOAD IT.I HAD SHOWN IT IN DAHANU'S SHIRIN DINYAR IRANI LEARNERS ACADEMY SCHOOL FOR MY HINDI PROJECT. THANK YOU FOR WATCHING MY POWER POINT ON GUJARAT. BYE -PGB
4. मोहनदास करमचन्द गाांधी
जन्म २ अक्टूबर १८६९
पोरबंदर, काठियावाड़, गुजरात, भारत
मृत्यु ३० जनवरी १९४८ (७८ वर्ष की आयु में)
नई ठदल्ली, भारत
मृत्यु का कारण हत्या
राष्ट्रीयता भारतीय
अन्य नाम महात्मा गान्धी, बापु, गांधीजी
शिक्षा युननवशसषटी कॉशलज, लंदन
प्रशसद्धध कारण भारतीय स्वतंत्रता संग्राम
राजनैनतक पाटी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
धाशमषक मान्यता ठहन्दू
जीवनसाथी कस्तूरबा गााँधी
बच्चे हररलाल, मणणलाल, रामदास, देवदास
हस्ताक्षर
6. गुजराती भारत की एक भार्ा है
जो गुजरात प्रान्त अौ र मुंबई में बोली जाती
है। गुजराती साठहत्य भारतीय भार्ाओ के सबसे
अधधक समृद्ध साठहत्य में से है। भारत की
दूसरी भार्ाओ की तरह गुजराती भार्ा का जन्म
संस्कृ त भार्ा से हुआ है। भारत के दूसरे राज्य
एवम ववदेिो में भी गुजराती बोलने वाले लोग
बसते है। जीन में पाककस्तान, अमेररका, यु.के .,
के न्या, शसंगापुर, अौाकिका, ओस्रेलीया मुख्य है।
भारत के राष्ट्रवपता महात्मा गांधी एवम लोखंडी
पुरुर् सरदार वल्लभ भाई पटेल की मातृभार्ा
गुजराती थी। गुजराती बोलने वाले भारत के
दूसरा महानुभावो में पाकीस्तान के राष्ट्रवपता
महंमद अली जीणा, महवर्ष दयानंद सरस्वती,
मोरारजी देसाई, नरेन्र मोदी, धीरु भाई अंबानी
भी साशमल है।
7. गुजराती ठहन्दी गुजराती ठहन्दी गुजराती ठहन्दी
હું मैं મેં मैंने મને मुझे
આપણે, અમે हम આપણે, અમે हमने
આપણને,
અમને हमें
તું तू તેં तूने તને तुझे
તમે तुम તમે तुमने તમને तुम्हें
આપ आप આપે आपने આપને आपको
આ यह, ये આણે इसने, इन्होंने આને इस्स, इन्हें
તે वह તેણે उसने તેને उस्से
તેઓ वे તેઓએ, તેમણે उन्होंने તેઓન, તેમને उन्हें
गुजराती भार्ा
8. गुजरात (गुजराती:ગજરાત) पश्चचमी भारत में श्स्थत
एक राज्य है। इसकी उत्तरी-पश्चचमी सीमा जो
अन्तराषष्ट्रीय सीमा भी है, पाककस्तान से लगी
है। राजस्थान और मध्य प्रदेि इसके क्रमिः उत्तर एवं
उत्तर-पूवष में श्स्थत राज्य हैं। महाराष्ट्र इसके दक्षक्षण में
है। अरब सागर इसकी पश्चचमी-दक्षक्षणी सीमा बनाता
है। इसकी दक्षक्षणी सीमा पर दादर एवं नगर-हवेली हैं।
इस राज्य की राजधानी गांधीनगर है। गांधीनगर,
राज्य के प्रमुख व्यवसानयक के न्र अहमदाबाद के
समीप श्स्थत है। गुजरात का क्षेत्रफल १,९६,०७७
ककलोमीटर है।
गुजरात, भारत का अत्यंत महत्वपूणष राज्य है। कच्छ,
स राष्ट्र, काठियावाड, हालार, पांचाल, गोठहलवाड,
झालावाड और गुजरात उसके प्रादेशिक सांस्कृ नतक अंग
हैं। इनकी लोक संस्कृ नत और साठहत्य का अनुबन्ध
राजस्थान, शसंध और पंजाब, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेि
के साथ है। वविाल सागर तट वाले इस राज्य में
इनतहास युग के आरम्भ होने से पूवष ही अनेक ववदेिी
जानतयााँ थल और समुर मागष से आकर स्थायी रूप से
बसी हुई हैं। इसके उपरांत गुजरात में अट्िाइस
आठदवासी जानतयां हैं। जन-समाज के ऐसे वैववध्य के
कारण इस प्रदेि को भााँनत-भााँनत की लोक संस्कृ नतयों
का लाभ शमला है।
गुजरात
GUJARAT-
9. 500 या इससे ज़्यादा जनसंख्या वाले लगभग
सभी गााँवों में सात से ग्यारह वर्ष के सभी बच्चों
के शलए प्राथशमक पाििालाएाँ खोली जा चुकी हैं।
आठदवासी बच्चों को कला और शिल्प की शिक्षा
देने के शलए वविेर् ववद्यालय चलाए जाते हैं।
यहााँ अनेक माध्यशमक और उच्चतर ववद्यालयों
के साथ-साथ न ववचवववद्यालय और उच्च शिक्षा
के शलए बड़ी संख्या में शिक्षण संस्थान हैं।
अशभयांत्रत्रकी महाववद्यालयों और तकनीकी
ववद्यालयों द्वारा तकनीकी शिक्षा उपलब्ध कराई
जाती है। िोध संस्थानों में अहमदाबाद में
क़िश़्िकल ररसचष लेबोरेटरी अहमदाबाद टेक्सटाइल
इंडस्री़ि ररसचष एिोशसएिन, सेि भोलाभाई
जेशसंगभाई इंश्स्टट्यूट ऑ़ि लननिंग ऐंड ररसचष, द
इंडडयन इंश्स्टट्यूट ऑ़ि मैनेजमेंट, द नेिनल
इंश्स्टट्यूट ऑ़ि डड़िाइन और द सरदार पटेल
इंश्स्टट्यूट ऑ़ि इकोनॉशमक ऐंड सोिल ररसचष,
वडोदरा में ओररएंटल इंश्स्टट्यूट तथा भावनगर में
सेंरल साल्ट ऐंड मॅरीन के शमकल ररसचष इंश्स्टट्यूट
िाशमल हैं।
10. पतंग महोत्सव के साथ ही गुजरात में एक साल में लगभग 24 बड़े मेलों और त्योहारों का
द र िुरू हो जाता है। महोत्सव का मुख्य उद्देचय गुजरात की कला-संस्कृ नत का पूरे ववचव
में प्रचार-प्रसार करना है। अहमदाबाद में होने वाले पतंग महोत्सव में भारत के आि राज्यों
से लगभग 120 पतंगबाज ठहस्सा लेंगे और साथ 74 अंतरराष्ट्रीय पतंगबाज भी यहां
अपनी कला का प्रदिषन करेंगे। इस महोत्सव के बारे में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंर मोदी
कहते हैं कक गुजरात में मनाए जाने वाले त्योहार खासत र से उत्तरायण और नवरात्रत्र जैसे
पवष के माध्यम से राष्ट्रीय एकता और अखंडता का संदेि ठदया जाता है। ये पवष देि की
संस्कृ नत की एकता का प्रतीक हैं। पतंग महोत्सव मकर संक्रांनत के उपलक्ष्य में प्रनतवर्ष
आयोश्जत ककया जाता है।अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव की 11 जनवरी को यहां साबरमती
नदी के ककनारे रंगारंग िुरुआत हुई। राज्यपाल कमला बेनीवाल ने इस आयोजन के शलए
मुख्यमंत्री नरेंर मोदी की प्रिंसा की। पांच ठदनों तक चलने वाले इस महोत्सव में देि के
आि राज्यों से आए 100 पतंगबाजों और शसंगापुर, ऑश्स्रया, ऑस्रेशलया और श्स्वट्जरलैंड
समेत 23 देिों से आए 74 ववदेिी पतंगबाजों ने ठहस्सा शलया है। मुख्यमंत्री मोदी ने
राज्यपाल सुश्री बेनीवाल की उपश्स्थनत में बुधवार को इस 22वें पतंग महोत्सव का
उद्घाटन ककया। टूररज्म कॉरपोरेिन ऑफ गुजरात शलशमटेड की ओर से इंडडया गेट में
पतंग महोत्सव का आयोजन ककया गया। इस महोत्सव में न शसफष भारत से, बश्ल्क पूरे
ववचव से लगभग 30 अंतरराष्ट्रीय पतंगबाजों ने भाग शलया। इस द रान इंडडया गेट का
हरा-भरा लॉन और आसमान जैसे रंग-त्रबरंगी बड़ी नततशलयों सरीखी पतंगों से भर गया।
पतंग िो में हर आकार और आकृ नत की रंग-त्रबरंगी पतंगे उड़ाई गईं श्जन्हे इंडडया गेट के
आसमान पर उड़ते देखना अपनेआप में एक व्योमहर्षक म का था।
गुजरात में पांच ठदवसीय पतंग महोत्सव
11.
12. रास या रशसया बृजभूशम का लोकनृत्य है, श्जसमें वसंतोत्सव, होली तथा राधा और कृ ष्ट्ण की प्रेम कथा का
वणषन होता है। रास अनेक प्रकर का होता है। यह उस रत को िुरु होनत है जब कक्रिना अपनी बान्सुरर
बजानत है। उस रत कक्रिना आप्नी गोवपयोन कय सथ बासुरर बजाती है। यह नाछ विन्धवन मै पायी जती है।
डांडडया रास नृत्य वहााँ रास के कई रूप हैं, लेककन गुजरात में नवरात्रत्र के द रान प्रदिषन " डांडडया रास ",
सबसे लोकवप्रय रूप है। रास के अन्य रूपों के वल एक बड़ी छड़ी प्रयोग ककया जाता है जहां राजस्थान से डांग
लीला और उत्तर भारत से " रासा लीला " में िाशमल हैं। रास लीला और डांडडया रास के समान हैं। कु छ भी
रास के एक फामष के रूप में " गरबा ", अथाषत् " रास गरबा " पर ववचार करें। डांडडया रास पुरुर्ों और
मठहलाओं में अपने अपने हाथ में लािी के साथ, दो हलकों में नृत्य। पुराने समय में रास ढोल की शसफष हरा
पयाषप्त था, बहुत गायन िाशमल नहीं ककया। " डांडडया " या लािी, के बारे में १८ " लंबे होते हैं। वे
डांडडया पर कम कर रहे हैं जब कु छ समय वे एक चार हरा लय में, आम त र पर शसफष एक दाठहने हाथ में
का उपयोग करेगा, हालांकक प्रत्येक नतषकी, दो रखती है, ववपरीत ठदिा में धचपक जाती मारा एक ही
समय, एक अच्छा ध्वनन का ननमाषण। एक चक्र दक्षक्षणावतष चला जाता है और एक और काउंटर दक्षक्षणावतष।
पश्चचम में, लोगों को पूरा हलकों फामष नहीं है, लेककन बजाय अक्सर पंश्क्तयों के रूप में। हमेिा दुगाष के
सम्मान में प्रदिषन ककया गया है जो भश्क्त गरबा नृत्य, के रूप में मूल, इस नृत्य को वास्तव में देवी और
मठहर्ासुर, पराक्रमी राक्षस राजा के बीच एक नकली लड़ाई का मंचन होता है और "तलवार नृत्य " उपनाम
है। नृत्य के द रान नतषककयों चक्कर और ववशभन्न लय के साथ संगीत की धुन पर एक जठटल, नृत्य ढंग से
अपने पैर और हधथयारों की चाल। ढोल ऐसे ढोलक, तबला और दूसरों के रूप में पूरक टक्कर उपकरण के
रूप में भी प्रयोग ककया जाता है। नृत्य की छड़ें दुगाष की तलवार का प्रनतननधधत्व करते हैं। मठहलाओं के इस
तरह के दपषण का काम है और भारी गहने के साथ चमकदार रंगीन कढाई चोली, घाघरा (पारंपररक पोिाक)
के रूप में पारंपररक कपड़े पहनते हैं। पुरुर्ों वविेर् पगड़ी और पहनते हैं, लेककन यह क्षेत्रीय स्तर शभन्न होता
है। डांडडया उत्सव के एक भाग के रूप में, यह बाद ककया जाता है, जबकक गरबा, देवी के सम्मान में भश्क्त
प्रदिषन के रूप में आरती (पूजा अनुष्ट्िान) से पहले ककया जाता है।
डंडडया रास
13.
14. गरबा गुजरात का प्रशसद्ध लोकनृत्य है। यह नाम संस्कृ त के गभष-द्वीप से है। गरबा
गुजरात, राजस्थान और मालवा प्रदेिों में प्रचशलत एक लोकनृत्य श्जसका मूल उद्गम गुजरात है।
आजकल इसे आधुननक नृत्यकला में स्थान प्राप्त हो गया है। इस रूप में उसका कु छ पररष्ट्कार हुआ है
कफर भी उसका लोकनृत्य का तत्व अक्षुण्ण है।
आरंभ में देवी के ननकट सनछर घट में दीप ले जाने के क्रम में यह नृत्य होता था। इस प्रकार यह घट
दीपगभष कहलाता था। वणषलोप से यही िब्द गरबा बन गया। आजकल गुजरात में नवरात्रों के ठदनों में
लड़ककयााँ कच्चे शमट्टी के सनछर घड़े को फू लपवत्तयों से सजाकर उसके चारों ओर नृत्य करती हैं।
गरबा स भाग्य का प्रतीक माना जाता है और अश्चवन मास की नवरात्रों को गरबा नृत्योत्सव के रूप में
मनाया जाता है। नवरात्रों की पहली रात्रत्र को गरबा की स्थापना होती है। कफर उसमें चार ज्योनतयााँ
प्रज्वशलत की जाती हें। कफर उसके चारों ओर ताली बजाती फे रे लगाती हैं।
गरबा नृत्य में ताली, चुटकी, खंजरी, डंडा, मंजीरा आठद का ताल देने के शलए प्रयोग होता हैं तथा
श्स्त्रयााँ दो अथवा चार के समूह में शमलकर ववशभन्न प्रकार से आवतषन करती हैं और देवी के गीत
अथवा कृ ष्ट्णलीला संबंधी गीत गाती हैं। िाक्त-िैव समाज के ये गीत गरबा और वैष्ट्णव अथाषत ् राधा
कृ ष्ट्ण के वणषनवाले गीत गरबा कहे जाते हैं।आधुननक गरबा/ डांडडया रास से प्रभावीत एक नृत्य है श्जसे
परंपरागत पुरर्ों तथा मठहलाओं द्वारा ककया जाता है। इन दोनों नृत्यों के ववलय से आज जो उच्च
उजा जष नृत्य का गिन हुआ है, उसे हम आज देख रहे है। आम त र पर पुरुर् और मठहलाये रंगीन वेि-
भूर्ा पहने हुए गरबा और डांडडया का प्रदिषन करते हैं। लडककयााँ चननया-चोली पहनती हैं और साथ मे
ववववध प्रकार के आभूर्ण पहनती हैं, तथा लडके गुजराती के डडया पहन कर शसर पर पगडी बांधते हैं।
प्राचीन काल मे लोग गरबा करते समय शसफष दो ताली बजाते थे, लेककन आज आधुननक गरबा में नई
तरह की िैशलयों का उपयोग होता है, श्जसमें नृत्यकार दो ताली, छः ताली, आि ताली, दस ताली,
बारह ताली, सोलह ताशलयााँ बजा कर खेलते हैं। गरबा नृत्य शसफष नवरात्री के त्य हार में ही नहीं ककया
जाता है बश्ल्क िादी के महोत्सव और अन्य खुिी के अवसरों पर भी ककया जाता है।
गरबा