3. जनजाति-
लोगोों का एसा समूह जो प्रक
ृ ति क
े सातनध्य मे आतिम
ढोंग से अपना जीवन यापन कििा हैं िथा सामातजक व
साोंस्क
ृ तिक रूप से एक िू सिे से घतनष्ट रूप से जुड़े
िहिे हैं, जनजाति कहलािा हैं
4. तवश्व की प्रमुख जनजातियााँ
प्रिेश का नाम
ध्रुवीय व ठों डे प्रिेश
तवषुवि िेखीये सघन वन
उष्ण – शुष्क कालाहािी मरुस्थल
सम शीिोष्ण कतटबोंधीय घास क्षेत्र
िुगगम पहाड़ी व पथिी क्षेत्र
जनजातियााँ
- एस्कस्कमो
- पीग्मी,सेमाोंग, सकाई
- बुशमैन
- मसाई बि् िू
- भील,गोोंड,सोंथाल,मीणा,नागा
5. एस्कस्कमोों जनजािी
सामान्य परिचय –
एस्कस्कमोों का अथग – कच्चा माोंस खाने वाला होिा है, ये सतहि प्रिेशोों क
े तनवासी
हैं ओि मोंगोल प्रजाति से सबोंतधि है ये लोग आखेटक एवों खाध्य सोंग्राहक होिे हैं
िथा होंसमुख एवों प्रसतिि स्वभाव क
े होिे है
तनवास क्षेत्र –
एस्कस्कमोों मुख्यि सतहि प्रिेशोों क
े तनवासी है जो अलास्का,उत्तिी
अमेरिका,कनाडा,ग्रीनलैंड,स्क
ै डीनेतवया उत्तिी पस्किमी यूिोप एवों उत्तिी साइबेरिया
क्षेत्रोों मे तनवास कििे है इनको अलग अलग स्थानोों पि अलग-अलग नामोों से जाना
जािा है जैसे उत्तिी अमेरिका मे एस्कस्कमोों, उत्तिी पस्किमी यूिोप मे लेप्स, उत्तिी
साइबेरिया मे सेमोयडस याक
ू ि चक्की िुोंग आति नामोों से जाना जािा हैं
7. 1. आखेट – एस्कीमोों जनजाति की आजीतवका का मुख्य स्रोि आखेट या
तशकाि ही है जो तनम्नतलस्कखि िो प्रकाि से तकया जािा हैं
1. शीिकालीन – शीिकाल मे तकया जाने वाला आखेट तशिकालीन आखेट
कहलािा हैं यह िो तवतधयोों से तकया जािा हैं
(1.) माउपाक – माउपक का अथग हैं प्रिीक्षा किना । इस तवतध मे एस्कीमो सील
मछली क
े तशकाि क
े तलए बफ
ग मे तछद्र किक
े हड्डी फसा िेिा ओि जैसे ही मछली
श्वास लेने क
े तछद्र क
े पास आिी है िो हड्डी तहल जािी है ओि एस्कीमो लोग हािपून
नामक भले से उसका तशकाि कि लेिे हैं
(2.) इिुिपाक – इस तवतध मे बफ
ग मे िो तछद्र बनाए जािे है एक तछद्र मे मछली
को चाि डाला जािा है िथा िू सिे तछद्र मे हािपून नामक भले से उसका तशकाि कि
लेिे हैं
2. बसोंिकालीन आखेट – माचग क
े महीने मे जब मछतलया धूप सेकने क
े
तलए बाहि आिी है िो इनका तशकाि कि तलया जािा हैं इसे उटोक कहा जािा हैं
8. 2. भोजन - एस्कीमो का मुख्य भोजन कच्चा माोंस होिा हैं ये लोग सील मछली, व्हेल
मछली, सी लॉयन क
ै रिबोों बािहतसोंघा आति का कच्चा माोंस कहिे हैं
3. वस्त्र – इनक
े वस्त्र मुख्यि: क
ै िीबोों बािहतसोंघा व सील मछली की ख्याल से बने होिे है जो
तनम्नानुसाि हैं
1. तितमयाक – यह एस्कीमो द्वािा पहने जाने वाली बााँहिाि जसीनुमा वस्त्र होिा हैं
2. अनोहाक – यह तितमयाक क
े ऊपि पहने जाने वाला वस्त्र है
3. कातमगक या मुकलुक्स – ये सील मछली की ख्याल से बने हुए नुकीले जूिे पहनिे हैं तजन्हे
कातमगक या मुकलुक्स कहा जािा हैं
9. तनवास गृह - इनका तनवास गृह बफ
ग ,पत्थि,हड्डीयो िथा चमड़े(सील की
खाल) क
े बने होिे हैं ये अलग-अलग मौसम मे अलग-अलग प्रकाि क
े घिोों मे
तनवास कििे है
1. इग्लू – ये बफ
ग से बने हुय गुबन्दनुमा घि होिे हैं जो शीिकालीन मे
उपयोग मे आिे हैं
2. कमगक – यह हड्डी ओि लकड़ी क
े बने होिे हैं ओि ग्रीष्म कल मे मे आिे
हैं
3. टयूपीक – ये क
ै रिबोों व धिवीए भालू की खाल से बना िोंबू होिे है,
ग्रीष्मकालीन तशकाि क
े डॉिण एस्कीमो इन िोंबुओ मे िहिे है
10. योंत्र व उपकिण – एस्कीमो मुख्यि एक भाला , िो नाव एक
गाड़ी काम मे लेिे हैं
हािपून – एस्कीमो जनजाति द्वािा सील मछली क
े तशकाि किने क
े तलए
काम में आने वाला एक प्रकाि का भाला तजसे हािपून कहिे हैं
कयाक – यह चमड़े से बनी एक प्रकाि की नाव होिी हैं जो 5 मीटि लोंबी
िथा 1.5 मीटि चौड़ी होिी है
यह पुरुषोों द्वािा तशकाि क
े िौिान काम मे ली जािी हैं
उमीयक – यह नाव कीयक से बड़ी होिी है िथा स्त्रीयो द्वािा काम मे ली जािी हैं
स्लेज – बफ
ग पि चलने वाली पतहये तवतभि गाड़ी जैसे क
ु त्ते व िेनतडयि
स्कखसिे है
11. समाज एवों सोंस्क
ृ ति -
ये तपििवोंशीय समाज मे िहिे है िथा जािू टोना मे तवश्वास
कििे हैं इनक
े उत्सव समािोह मुख्यि: ग्रीष्म काल मे ही
मनाए जािे है शीिकालीन मे वृद्ध ओि अशस्कि व्यस्कि भोजन
क
े अभाव मे आत्महत्या िक कि लेिे है
12. वािाविण समायोजन – अति कठोि वािाविण क
े
तनवासी होने क
े बावजूि भी यह लोग इग्लू स्लेज आति क
े प्रयोग
द्वािा वािाविण क
े साथ समायोजन कि लेिे हैं
आधुतनक सोंस्क
ृ ति से सोंपक
ग – सन 1960 क
े बाि इन
लोगोों क
े सोंपक
ग यूिोपीए व अमेरिका क
े लोगोों से विगमान मे यह
आधुतनक समाज में परिवतिगि हो िहे है स्लेज क
े स्थान पि स्नो स्क
ू टि
का प्रयोग किने लगे हैं
13. बुशमैन –
सामान्य परिचय – अफ्रीका महाद्वीप क
े कालाहािी उष्ण मरुस्थल
मे तनवास किने वाले ले लोग बुश्मन,कोसन,िव्वी व बसािवा आति नामोों से
भी जाने जाि हैं इनका सबोंध नीग्रीटो प्रजाति से है ये मुख्यिा आखेटक व
खाद्य सोंग्राहक होिे हैं
तवशेषिाएों – ये लोग नाटे कि क
े होिे हैं िथा इनक
े होोंठ मोठे होिे हैं
,जबड़े बाहि तनकले हुए नही होिे हैं िोंग काला होिा हैं
तनवास क्षेत्र – ये लोग अफ्रीका महाद्वीप मे 18 तडग्री ितक्षणी अक्षाोंश
िेखा से 24 तडग्री ितक्षणी अक्षाोंश िेखा क
े मध्य बेचूआनालैंड (कालाहािी
मरुस्थल ) मे तनवास कििे हैं मुखयि ितक्षणी अफ्रीका,बोत्सवाना,नामीतबया
अोंगोला िेशोों मे तनवास कििे हैं तवश्व प्रतसद्ध एटोश िाष्टर ीय उद्यान भी इसी
क्षेत्र मे स्कस्थि हैं
14. आतथगक तियाकलाप –
आखेट – ये मुख्यि आखेट होिे है िथा िीि कमान व भाले से
तशकाि कििे हैं ये लोग जानविोों की आवाज की नकल किने
बहुि तनपुण होिे ये तनम्नतलस्कखि व्हाि तवधीय से कििे हैं
कीचड़ मे धसा कि
फ
ों िोों मे फ
ों सा कि
गड्डो मे तगि कि
तवश जल तपलाकि
15. भोजन – ये लोग सवग भक्षी होिे हैं- िीमक , तचतिया ओि उनक
े अोंडे
इनका तप्रय तभजन होिा है, साथ ही मछली , पौधोों की जड़े बैिी ओि शहि
भी इनक
े भोजन क
े योंग होिे हैं ये लोग खाने क
े बहुि शौकीन होिे है, ये पेटु
होिे है एक बुशमैन एक बाि मे आधी भेड़ िक खा जािा है त्यामा एक
प्रकाि का ििबूज है तजसे जल पूतिग क
े तलए मानव िथा पशु िोनोों ही काम
मे लेिे हैं
वस्त्र –उष्ण कतटबोंतधए जलवायु क
े तनवासी होने क
े कािण ये लोग बहुि
काम वस्त्र पहनिे है पुरुष एक तिकोनी लोंगोट पहनिा है िथा स्त्रीयाों चोोंगा
पहनिी है तजसे स्थातनये भाषा मे िॉस कहा जािा हैं इसी िॉस मे वे अपने तशशु
िथा सोंग्रहीि वस्तुओ को लपेट कि लािे हैं ये चमड़े की टोपी व जूिे भी पहनिे
हैं
16. तनवास गृह – ये लोग गुफाओों मे िथा घासफ
ू स से
बनी झोपतड़योों मे तनवास कििे हैं इनक
े अस्थाई गााँव को
वेिफ कहिे हैं तजनमें 8 से 10 झोपड़ी होिी हैं
औजाि एवों बिगन – इनक
े औजाि व बिगन शुिुिमुगग व
तजिाफ़ की हतड्डयोों से बने होिे हैं शुिुिमुगग क
े अोंडे का
उपयोग जल िखने व आभूषण बनाने मे तकया जािा हैं
17. समाज व सोंस्क
ृ ति – यह लोग आतिम प्रकाि क
े
समाज मे िहिे हैं जािू टोन वे भूिप्रेि मे तवश्वास कििे हैं
ये लोग िो भगवानोों मे तवश्वास कििे हैं ओझा इन्हे
बीमारियोों व प्रेि आत्माओ से बचािा हैं
वािाविण समायोजन – तवषम जलवायु क्षेत्र मे तनवास
किने क
े कािण –इनमे वािाविण समायोजन की क्षमिा
बहुि अतधक होिे हैं अकाल क
े समय बुशमैनी स्त्रीयाों
गभगधािण किना बोंि कि िेिे है तशकाि तकए गए पशुओों क
े
प्रत्येक भाग को काम मे लेिे हैं
18. गौड़ जनजाति
सामान्य परिचय – गौड़ जनजाति तवश्व व भािि की
सबसे बड़ी जनजाति हैं गौड़ शब्द की उत्पति खोोंडा से
हुई है तजसका अथग होिा है – पहाड़ी गौड़ अपने आप
को कोइटुि व कोल भी कहिे हैं ये प्राचीन िाजाओों क
े
वोंशज हैं तजन्होोंने 16 वीों से 18 वीों शिाब्दी क
े मध्य भािि
क
े गढ़ माोंडला , िेवगढ़ ,चाोंिा व खेडला पि शासन
तकया
19. तनवास क्षेत्र – गौड़ जनजाति भािि क
े मध्यविी िाज्ोों – मध्य प्रिेश
,छिीसगढ़ ,महािाष्टर , िेलोंगाना ,उड़ीसा , झािखोंड िथा आसाम िाजिोों
मे तनवास कििे हैं ये लोग सिपुड़ा पहातड़योों , मैकाल श्रेणी ,सोन –
िेवगढ़ उच्च भूतम ,बस्ति का पठाि व गढ़जाि पहातड़योों म िहिे हैं
आतथगक तियाकलाप – गौड़ जनजाति का मुख्य व्यवसाय
झूमीोंग क
ृ तष व आखेट हैं साथ ही वनोत्पाि सोंग्रह , पशुपालन व
मछली पकड़ने का भी कायग कििे हैं झूमीोंग क
ृ तष की िो तवतधया
प्रचतलि हैं
1. तिप्पा क
ृ तष – यह झातड़योों व घासफ
ू स को जलाकि, भूतम को
समिल किक
े की जािी हैं
2. पैंडा क
ृ तष – मध्यप्रिेश क
े बस्ति तजले मे पहाड़ी ढालोों पि
सीढ़ीिाि खेि बना कि की जािी हैं
20. वस्त्र व आभूषण – ये लोग प्राय सूिी वस्त्र पहनिे
हैं ये लोग चाोंिी व एल्युतमतनयम क
े गहने पहनिे हैं स्त्रीयाों
शिीि पि गोिना (टैटू ) गुिवािी हैं
तनवास गृह – ये लोग नोंगले अथागि पल्ली ओि छोटे छोटे गावोों मे
िहिे है तजन्हे टोला कहिे हैं इनक
े घि घास-फ
ू स व तमट्टी क
े बने होिे
है जन्मे िहने का कमिा ,िसोई ,बिामिा व पूजाघि जरूि होिा हैं
22. समाज व सोंस्क
ृ ति – ये लोग तपत्रसत्तात्मक होिे हैं
सबसे बुजुगग पुरूष परिवाि का मुख्या होिा हैं इनक
े गाव
क
े मुख्य को पटेल या मुखािम कहिे है िथा गाव क
े
चौकीिाि को कोिवाि कहिे है गाव क
े पुिोतहि व पुजािी
को िेबािी कहिे हैं गौड़ोों क
े चाि प्रमुख वगग ( क
ु रूख
,क
े वट,धीवि िथा िावि ) हैं तजन्हे गौड़ी भाषा मे सगा
कहिे है