10. A Tribute to Netaji Subhas Chandra Bose
"Bose's arrest and subsequent release set the scene for his escape to Germany,
via Afghanistan and the Soviet Union. A few days before his escape, he sought solitude and on
this pretext avoided meeting British guards and grew a beard on the night of his escape, he
dressed as a Pathan to avoid being identified. Bose escaped from under British surveillance at
his house in Calcutta. On 19 January 1941, accompanied by his nephew Sisir K. Bose in a car
that is now on display at his Calcutta home."
11. "वो कोई पीर रहा होगा ..."
ग़ुराभी के सामे भे जो आज़ाद हिन्द की फातें कयता था ...
ककसी दौय भे खून के फदरे जो आज़ादी का सौदा कयता था ...
फचऩन भे िी स्वयाज के लरमे अऩनों से दूय िुआ िोगा ...
फस अऩनी सोच के गुनाि ऩय जो भुद्दतों जेर गमा िोगा ...
वो कोई ऩीय यिा िोगा ....
क्मा फयभा ...अॊडभान ..
क्मा जभमनी ...जाऩान ...
शामद मे जिाॉ था उसके लरए छोटा ...
ककसी दौय ने गोयो ऩय फॊगारी जादू चढ़ते देखा िोगा ..
परयश्तो ने जजसका सजदा ककमा िोगा ....
वो कोई ऩीय यिा िोगा ....
अॊदय सयऩयस्त साधू .... फािय ऩठान का चोगा ...
खुद की कै द को उसने अऩनी यज़ा ऩय छोड़ा था ..
अॊग्रेजो की आॉखों का धोखा ....
किाॉ ऐसा हिन्द का िभनवाॊ िोगा ..
वो कोई ऩीय यिा िोगा ...
जिान को कु छ फताने ..यववन्र सी ग़ज़र सुनाने ...
मा शामद धूऩ-छाॉव का हिसाफ कयने ज़भी ऩय मूॉ िी आ गमा ..
न उसके आने का हिसाफ था ..औय न जाने का ...
औय किने वारे किते िै वो 1945 के आसभाॊ भे फ़ना िो गमा ...
काश रूस ऩय लसमासी फफ़म न जभा िोती ...
अगय मे फात सच िोती तो अनीता-एलभरी की आॉखों ने दगा हदमा िोगा ...
गाॉधी से जीतकय बी जजसने भिात्भा को जजमा िोगा ...
12. वो कोई ऩीय यिा िोगा ...
वाककप जजॊदगी भे जो कबी रुक न सका ....
गुभनाभी भे दरयमा ऩाय ककमा िोगा ...
दूय किीॊ मा ऩास मिीॊ ककतनी भामूसी भे भुल्क को जीते-भयते देखा िोगा ...
आज़ाद िोकय अऩने ज़िन से दूय िुआ िोगा ...
वो कोई ऩीय यिा िोगा...
वो कोई पीर रहा होगा...
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