गौ माता की सेवा,गोविन्द के सेवा के समान है| वेदो के अनुशार भगवान श्री कृष्णा को गाय अत्यधिक प्रिय है | एक बार की बात है श्री कृष्ण ने एक गाय से पूछा - मैंने तुझे सींग दिए ताकि तू अपनी रछा कर सके पर तू तो कभी किसी को मारती ही नहीं | गाय बोली - हे कान्हा ! एक बार जब पूतना नाम की राछ्सी ने आपको अपना विषैला दूध पिलाया था, तब भी आपने उसे अपने माता की ही उपाधि दी थी | ये मनुष्य तथा इनके पूर्वजो ने तो प्रतिदिन मेरा ही दूध पिया है | ये भले ही मुझे अपनी माता न माने पर मैं इन सभी को अपना ही पुत्र मानती हूँ | मैं किस प्रकार इन्हे छती पंहुचा सकती हूँ | श्री कृष्ण की आँखों में अश्रु आ गए और उन्होंने उन्ही अश्रु की बूंदो को अंजलि में लेकर ये संकल्प लिया -हे गौ माता तू महान है,मैं चाहे जिस लोक में रहूँ, पर तेरी रछा के लिए मैं सदैव आता रहूँगा | इस संसार में एक तू ही है जो माँरने वालो को भी अपना पुत्र ही समझती है | गाय को हिन्दू धर्म में माँ का दर्जा दीआ गया है। हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है की गाय के शरीर पर 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है। जो व्यक्ति गौ माता की सेवा पूजा करता है उस पर आने वाली सभी प्रकार की विपदाओं को गौ माता हर लेती है। कुछ तथ्य और उपाय जिसको करने से हर एक काम में सफलता पायी जा सकती है। - प्रत्येक मांगलिक कार्यों में गौ माता को अवश्य शामिल करें। - गाय की पूजा करने से नौ ग्रह शांत रहते हैं। - सप्ताह एक बार गौ सेवा करनी चाहिए | - गर्मियों में गौ माता को पानी अवश्य पिलाएं। - सर्दियों में गौ माता \को गुड़ खिलाएं। गर्मियों में गाय को गुड़ न खिलाएं। सब वेद पुराण गाय की महिमा गाते है | गाय की रक्षा करने स्वयं श्री कृष्ण आते है |