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श
े
ष
त
ा
इस्लाम की विशेषता
लेखक
शैख़ुल इस्लाम म़ुह़म्मद बिन अब्द़ुल िह्हाि
अऩुिाद
अताउर्रह़मान ज़ियाउल्लाह
संशोधन
शफीक
़ु र्रह़मान ज़ियाउल्लाह मदनी
‫اإلسالم‬ ‫فضل‬
(
‫باللغة‬
‫اهلندية‬
)
:‫تأيلف‬
‫عبدالوهاب‬ ‫بن‬ ‫حممد‬ ‫اإلسالم‬ ‫شيخ‬
‫اهلل‬ ‫ضياء‬ ‫الرمحن‬ ‫عطاء‬ :‫ترمجة‬
‫املدىن‬ ‫اهلل‬ ‫ضياء‬ ‫الرمحن‬ ‫شفيق‬ :‫مراجعة‬
1
विषय सूची
संक्षिप्त परर्चय ......................................................3
इस्लाम की विशेषता.............................................4
इस्लाम स्िीकार् कर्ने की अननिायरता.............10
इस्लाम की व्याख्या...............................................15
अल्लाह तआला क
े फमारन ‫ن‬َ‫م‬َ‫و‬
‫َغ‬‫ت‬ۡ‫ب‬َ‫ي‬
َ‫ر‬ۡ‫َي‬‫غ‬
‫ٱ‬
‫م‬ََٰ‫ل‬ ۡ‫س‬ ۡ
‫ۡل‬
‫ين‬‫د‬
‫ا‬
‫ن‬َ‫ل‬َ‫ف‬
َ‫ل‬َ‫ب‬ۡ‫ُق‬‫ي‬
ُ‫ه‬ۡ‫ن‬‫م‬ की व्याख्या...........................................19
ककताि़ुल्लाह की पैर्िी कर्क
े उसक
े अनतरर्क्त
अन्य िस्त़ुओं से िेननया़ि होने की अननिायरता 22
इस्लाम क
े दािा से ननकल जाने का िर्रन ...............24
इस्लाम में सम्पूर्र रूप से प्रिेश कर्ने और् उसक
े
अनतरर्क्त अन्य धमों क
े परर्त्याग की अननिायरता 27
बिद्अत िडे-िडे ग़ुनाहों से भी अधधक सख़्त......32
अल्लाह तआला बिद्अती की तौिा स्िीकार् नह ं कर्ता
............................................................................35
अल्लाह तआला क
े फमारन َ‫ل‬ۡ‫ه‬َ‫أ‬َََٰٰٓ‫ي‬ ‫ٱ‬
‫ب‬ََٰ‫ت‬‫ك‬ۡ‫ل‬
َ‫م‬‫ل‬
َ‫جُّون‬َٰٓ‫ا‬َ‫ح‬ُ‫ت‬
َٰٓ‫ي‬‫ف‬
َ‫م‬‫ي‬‫ه‬ ََٰ‫ر‬ۡ‫ب‬‫إ‬
.....
‫ا‬َ‫م‬َ‫و‬
َ‫ان‬َ‫ك‬
َ‫ن‬‫م‬
‫ٱ‬
َ‫ين‬‫ك‬‫ر‬ ۡ‫ش‬ُ‫م‬ۡ‫ل‬ का िर्रन..................37
2
अल्लाह तआला क
े फमारन ۡ‫م‬‫ق‬َ‫أ‬َ‫ف‬
َ‫ك‬َ‫ه‬ ۡ
‫ج‬َ‫و‬
‫ِّين‬‫د‬‫ل‬‫ل‬
‫يف‬‫ن‬َ‫ح‬
‫ا‬
का िर्रन .......................................................41
इस्लाम की अजनबियत और् ग़ुर्िा (अजनबियों) की
विशेषता ...............................................................55
बिद्अतों पर् चेतािनी..........................................62
3
संक्षिप्त परर्चय
इस्लाम की विशेषतााः इस प़ुस्तक में इस्लाम धमर
की विशेषता तथा इस तथ्य का िर्रन है कक
इस्लाम सिरश्रेष्ट धमर है। यह िह ईश्िर् य धमर है,
जजसक
े बिना ककसी भी मऩुष्य को सौभाग्य और्
नजात प्राप्त नह ं हो सकती। अताः समस्त लोगों पर्
इस्लाम को स्िीकार् कर्ना और् उसक
े अनतरर्क्त
अन्य धमों को त्याग देना अननिायर है। जो व्यजक्त
इस्लाम को छोडकर् कोई अन्य धमर तलाश कर्ेगा,
तो अल्लाह तआला उसको कदावप स्िीकार् नह ं
कर्ेगा। इस िात का भी उल्लेख है कक बिद्अत िडे-
िडे ग़ुनाहों से भी भीषर् और् भयंकर् है। इसललए
बिद्अतों से दूर् र्हना अननिायर है। तथा जजस प्रकार्
आर्म्भ में इस्लाम क
े अऩुयायी थोडे थे, उसी प्रकार्
अन्त में भी इसक
े मानने िाले कम हो जायेंगे।
अताः उस समय इस्लाम पर् जमे र्हने क
े ललए श़ुभ
सूचना है।
4
‫الرحيم‬ ‫الرحمن‬ ‫هللا‬ ‫بسم‬
अल्लाह क
े नाम से आर्म्भ कर्ता हूूँ, जो अनत
मेहर्िान और् दयाल़ु है।
इस्लाम की विशेषता
अल्लाह तआला का फर्मान हैाः
﴿
ُ
‫يت‬ ِ‫ض‬َ‫ر‬َ‫و‬ ِ
‫ِت‬َ‫م‬‫ي‬‫ِع‬‫ن‬ ‫ي‬‫م‬
ُ
‫ك‬‫ي‬‫ي‬
َ
‫ل‬
َ
‫ع‬ ُ
‫ت‬‫ي‬‫م‬َ‫م‬
‫ي‬
‫ت‬
َ
‫أ‬َ‫و‬ ‫ي‬‫م‬
ُ
‫ك‬َ‫ِين‬‫د‬ ‫ي‬‫م‬
ُ
‫ك‬
َ
‫ل‬ ُ
‫ت‬
‫ي‬
‫ل‬َ‫م‬
‫ي‬
‫ك‬
َ
‫أ‬ َ‫م‬‫ي‬‫و‬َ ‫ي‬
‫ٱۡل‬
‫ِين‬‫د‬ َ‫م‬َٰ َ
‫ل‬‫ي‬‫س‬ِ
‫ي‬
‫ٱۡل‬ ُ‫م‬
ُ
‫ك‬
َ
‫ل‬
‫ا‬
1
﴾
“आज मैंने त़ुम्हार्े ललए त़ुम्हार्े धमर को सम्पूर्र कर्
ददया, अपनी नेमतें त़ुमपर् पूर् कर् द ं और् इस्लाम
को त़ुम्हार्े ललए धमर स्िरूप पसन्द कर् ललया।”
तथा फर्मायााः
1 सूर्ह अल-माइदााः3
5
﴿
‫ك‬
َ
‫ش‬ ِ
‫ِف‬ ‫ي‬‫م‬ُ‫نت‬
ُ
‫ك‬ ‫ن‬ِ‫إ‬ ُ
‫اس‬َّ‫ٱنل‬ ‫ا‬َ‫ه‬ُّ‫ي‬
َ
‫أ‬َٰٓ َ
‫ي‬
‫ي‬
‫ل‬
ُ
‫ق‬
َ‫ِين‬
َّ
‫ٱَّل‬ ُ‫د‬ُ‫ب‬
‫ي‬
‫ع‬
َ
‫أ‬
ٓ َ
‫َل‬
َ
‫ف‬ ِ
‫ِيِن‬‫د‬ ‫ِن‬‫م‬
ۡۖ‫ي‬‫م‬
ُ
‫ك‬َٰ‫ى‬
َّ
‫ف‬َ‫و‬َ‫ت‬َ‫ي‬ ‫ِي‬
َّ
‫ٱَّل‬ َ َّ
‫ٱَّلل‬ ُ‫د‬ُ‫ب‬
‫ي‬
‫ع‬
َ
‫أ‬ ‫ي‬‫ن‬ِ‫ك‬ََٰ
‫ل‬َ‫و‬ ِ
َّ
‫ٱَّلل‬ ِ‫ون‬
ُ
‫د‬ ‫ِن‬‫م‬
َ
‫ون‬ُ‫د‬ُ‫ب‬‫ي‬‫ع‬
َ
‫ت‬
2
﴾
“आप कह द जजए कक ऐ लोगो! यदद त़ुम मेर्े धमर
क
े प्रनत संदेह में हो, तो मैं उनकी उपासना नह ं
कर्ता, जजनकी उपासना त़ुम अल्लाह को छोडकर्
कर्ते हो। ककन्त़ु मैं उस अल्लाह की उपासना कर्ता
हूूँ, जो त़ुम्हें मृत्य़ु देता है।”
तथा अल्लाह तआला ने फर्मायााः
﴿
ْ
‫وا‬
ُ
‫ق‬
َّ
‫ٱت‬
ْ
‫وا‬ُ‫ن‬َ‫ام‬َ‫ء‬ َ‫ِين‬
َّ
‫ٱَّل‬ ‫ا‬َ‫ه‬ُّ‫ي‬
َ
‫أ‬َٰٓ َ
‫ي‬
‫ِن‬‫م‬ ِ
‫ي‬
‫ۡي‬
َ
‫ل‬
‫ي‬
‫ِف‬‫ك‬ ‫ي‬‫م‬
ُ
‫ِك‬‫ت‬
‫ي‬
‫ؤ‬ُ‫ي‬ ‫ِۦ‬ ِ
‫وِل‬ُ‫س‬َ‫ر‬ِ‫ب‬
ْ
‫وا‬ُ‫ِن‬‫م‬‫ا‬َ‫ء‬َ‫و‬ َ َّ
‫ٱَّلل‬
ٞ‫ور‬
ُ
‫ف‬
َ
‫غ‬ ُ َّ
‫ٱَّلل‬َ‫و‬ ۡۚ
‫ي‬‫م‬
ُ
‫ك‬
َ
‫ل‬ ‫ي‬‫ر‬ِ‫ف‬
‫ي‬
‫غ‬َ‫ي‬َ‫و‬ ‫ِۦ‬‫ه‬ِ‫ب‬
َ
‫ون‬
ُ
‫ش‬‫ي‬‫م‬
َ
‫ت‬ ‫ا‬‫ور‬
ُ
‫ن‬ ‫ي‬‫م‬
ُ
‫ك‬
َّ
‫ل‬ ‫ل‬َ‫ع‬‫ي‬‫ج‬َ‫ي‬َ‫و‬ ‫ِۦ‬‫ه‬ِ‫ت‬َ ‫ي‬
‫ۡح‬َّ‫ر‬
ٞ‫ِيم‬‫ح‬َّ‫ر‬
3
﴾
“ऐ ईमान िालो! अल्लाह से डर्ते र्हो और् उसक
े
पैगम्िर् पर् ईमान लाओ। अल्लाह त़ुम्हें अपनी
र्ह़मत (कृ पा) का दोहर्ा भाग देगा और् त़ुम्हें नूर्
(प्रकाश) प्रदान कर्ेगा, जजसक
े प्रकाश में त़ुम चलो-
2 सूर्ह यूऩुसाः1 04
3 सूर्ा अल-ह़द दाः28
6
किर्ोगे और् त़ुम्हार्े ग़ुनाह भी िमा कर् देगा।
अल्लाह िमा कर्ने िाला दयाल़ु है।”
सह़ ह़ ि़ुखार् में अब्द़ुल्लाह बिन उमर् र्ज़ियल्लाह़ु
अन्ह़ुमा से िर्र्रत है कक पैगम्िर् सल्लल्लाह़ु अलैदह
ि सल्लम ने फर्मायााः
“त़ुम्हार्ा तथी यहूददयों और् ईसाइयों का उदाहर्र्
उस आदमी क
े समान है, जजसने म़िदूर् पर् क
़ु छ
म़िदूर् र्खे और् कहा कक कौन स़ुिह़ से दोपहर् तक
मेर्ा काम एक कीर्ात पर् कर्ेगा? तो यहूददयों ने
काम ककया। कफर् उसने कहा कक कौन दोपहर् से
अस्र तक मेर्ा काम एक कीर्ात पर् कर्ेगा? तो
ईसाइयों ने काम ककया। किर् उसने कहा कक कौन
अस्र की नमा़ि से सूर्ज डूिने तक दो कीर्ात पर्
कर्ेगा? तो िह (अथारत इस दलमरयान काम कर्ने
िाले) त़ुम लोग हो। इस पर् यहूद और् ईसाई
क्रोधधत हो गये और् कहने लगे कक यह क्या िात
ह़ुई? काम तो हम अधधक कर्ें, पर् म़िदूर् कम
पायें? तो उसने कहााः क्या मैंने त़ुम्हार्ा क
़ु छ ह़क
7
मार् ललया है? िह िोलेाः नह ं। तो उसने कहा कक
यह मेर्ा फज़्ल (कृ पा) है, जजसे चाहूूँ, दूूँ।”
तथा सह़ ह़ ि़ुखार् में अिू ह़ुर्ैर्ा र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ु से
िर्र्रत है, िह ियान कर्ते हैं कक पैगम्िर्
सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम ने फर्मायााः
“अल्लाह तआला ने हमसे पहले लोगों को ज़ुमे क
े
ददन से िंधचत र्खा। च़ुनांचे यहूददयों क
े भाग में
शननिार् का ददन आया और् ईसाइयों क
े भाग में
र्वििार् का। किर् अल्लाह तआला ने हमें िर्पा
ककया और् ज़ुमे क
े ददन से निा़िा। बिल्क
़ु ल ऐसे
ह , िह कयामत क
े ददन भी हमसे पीछे होंगे। हम
द़ुननया में अन्त में आये, ककन्त़ु कयामत क
े ददन
सिसे आगे होंगे।”
और् सह़ ह़ ि़ुखार् में निी सल्लल्लाह़ु अलैदह ि
सल्लम से ताल कन िर्र्रत है कक आपने फर्मायााः
“अल्लाह क
े ननकट सिसे पसंद दा और् सर्ल धमर
लमल्लते इब्राह मी है।”
8
उिै बिन कअि र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ु से िर्र्रत है,
उन्होंने फर्मायााः
“त़ुम लोग स़ुन्नत और् लसर्ाते म़ुस्तकीम –सीधे
मागर- पर् चलते र्हो। क्योंकक ऐसा नह ं हो सकता
कक कोई व्यजक्त स़ुन्नत और् लसर्ाते म़ुस्तकीम पर्
र्हकर् अल्लाह का ज़िक्र कर्े और् अल्लाह क
े डर् से
उसकी आूँखें आूँसू िहायें और् किर् उसे जहन्नम की
आग छ
ू ले। जो व्यजक्त स़ुन्नत और् लसर्ाते
म़ुस्तकीम पर् चलकर् अल्लाह का ज़िक्र कर्े, किर्
अल्लाह क
े डर् से उसक
े र्ोंगटे खडे हो जायें, उसका
उदाहर्र् उस िृि क
े समान है, जजसक
े पत्ते सूख
च़ुक
े हों और् सहसा आूँधी आ जाये और् उसक
े पत्ते
झड जायें। उस व्यजक्त क
े ग़ुनाह उसी तर्ह झड
जाते हैं, जजस तर्ह उस िृि क
े पत्ते। लसर्ाते
म़ुस्तकीम और् स़ुन्नत क
े अऩुसार् की ह़ुई ननयलमत
उपासना, उनक
े विरुध्द की ह़ुई अधधक उपासना से
उत्तम है।”
अिू ददार र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ु से िर्र्रत है, उन्होंने
फर्मायााः
9
“ि़ुजध्दमानों का सोना और् उनका खाना-पीना क्या
ह अच्छा है! यह मूखों क
े र्ाबि-जाग्रर् और् र्ो़िों
को पीछे छोड देते हैं!! तक़्िा और् यकीन क
े साथ
की गई कर्-िर्ािर् नेकी, धोखे में पडे ह़ुए लोगों की
पहाड िर्ािर् उपासना से कह ं अधधक महान, श्रेष्ठ
और् ि़िनी है।”
10
इस्लाम स्िीकार् कर्ने की
अननिायरता
अल्लाह तआला का फमारन हैाः
﴿
‫ِين‬‫د‬ ِ‫م‬َٰ َ
‫ل‬‫ي‬‫س‬ِ
‫ي‬
‫ٱۡل‬ َ ‫ي‬
‫ۡي‬
َ
‫غ‬ ِ‫غ‬َ‫ت‬‫ي‬‫ب‬َ‫ي‬ ‫ن‬َ‫م‬َ‫و‬
‫ن‬
َ
‫ل‬
َ
‫ف‬ ‫ا‬
َ‫و‬
ُ
‫ه‬َ‫و‬ ُ‫ه‬
‫ي‬
‫ِن‬‫م‬
َ
‫ل‬َ‫ب‬
‫ي‬
‫ق‬ُ‫ي‬
َ‫ِن‬‫م‬ ِ‫ة‬َ‫ِر‬‫خ‬‫ٱٓأۡل‬ ِ
‫ِف‬
َ‫ين‬ِ ِ
‫ِس‬َٰ َ
‫خ‬
‫ي‬
‫ٱل‬
4
﴾
“जो व्यजक्त इस्लाम क
े अनतरर्क्त कोई अन्य धमर
ढूूँढे, उसका धमर कदावप स्िीकार् नह ं ककया जाएगा
और् िह प्रलोक में घाटा उठाने िालों में से होगा।”
तथा अल्लाह तआला ने फर्मायााः
﴿
‫ن‬‫إ‬
َ‫ين‬ِّ‫د‬‫ٱل‬
َ‫د‬‫ن‬‫ع‬
‫ٱّلل‬
ُ‫م‬ََٰ‫ل‬ ۡ‫س‬ ۡ
‫ٱۡل‬
5
﴾
“ननाःसन्देह, अल्लाह क
े ननकट धमर इस्लाम ह है।”
तथा फर्मायााः
4 सूर्ह आले-इम्रानाः85
5 सूर्ह आले-इम्रानाः1 9
11
﴿
‫يم‬ِ‫ق‬َ‫ت‬ ‫ي‬‫س‬ُ‫م‬ ِ
‫ِط‬َٰ َ‫ر‬ ِ‫ص‬ ‫ا‬
َ
‫ذ‬َٰ َ
‫ه‬
َّ
‫ن‬
َ
‫أ‬َ‫و‬
ِ‫ب‬
َّ
‫ٱت‬
َ
‫ف‬ ‫ا‬
َ
‫ل‬ُ‫ب‬ ُّ‫ٱلس‬
ْ
‫وا‬ُ‫ع‬ِ‫ب‬
َّ
‫ت‬
َ
‫ت‬
َ
‫َل‬َ‫و‬ ُۡۖ‫وه‬ُ‫ع‬
‫ي‬‫م‬
ُ
‫ك‬ِ‫ب‬
َ
‫ق‬َّ‫ر‬
َ
‫ف‬َ‫ت‬
َ
‫ف‬
ِ‫ه‬ِ‫ل‬‫ي‬ِ‫ب‬َ‫س‬ ‫ن‬
َ
‫ع‬
6
﴾
“और् यह धमर मेर्ा सीधा मागर है। अताः इसी मागर
पर् चलो और् दूसर् पगडजडडयों पर् न चलो कक िह
त़ुम्हें अल्लाह क
े मागर से अलग कर् देंगी।”
म़ुजादहद कहते हैं कक इस आयत में पगडजडडयों से
अलभप्राय “बिदआत एिं संदेह” हैं।
आइशा र्ज़ियल्लाह़ु अन्हा से िर्र्रत है कक अल्लाह
क
े र्सूल सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम ने फर्मायााः
“जजसने हमार्े इस धमर में कोई ऐसी ची़ि ननकाल ,
जो धमर का भाग नह ं है, तो िह मदूरद (अस्िीकृ त)
है।”7
एक दूसर् रर्िायत में हैाः
“जजसने कोई ऐसा काम ककया, जजसपर् हमार्ा
आदेश नह ं है, तो िह काम मदूरद (अस्िीकृ त) है।”8
6 सूर्ह अल्-अन ्आमाः1 53
7 ि़ुखार् एिं म़ुजस्लम
12
सह़ ह़ ि़ुखार् में अिू ह़ुर्ैर्ा र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ु से
िर्र्रत है, िह ियान कर्ते हैं कक र्सूल सल्लल्लाह़ु
अलैदह ि सल्लम ने फर्मायााः
“मेर् उम्मत का प्रत्येक व्यजक्त स्िगर में जाएगा,
लसिाय उस आदमी क
े , जो इन्कार् कर् दे। पूछा
गया कक स्िगर में प्रिेश कर्ने से कौन इन्कार्
कर्ेगा? तो आपने फर्मायााः “जजसने मेर् आज्ञा का
पालन ककया, िह स्िगर में प्रिेश कर्ेगा और् जजसने
मेर् अिज्ञा की, उसने स्िगर में जाने से इन्कार्
ककया।”
और् सह़ ह ि़ुखार् में अब्द़ुल्लाह बिन अब्िास
र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ुमा से िर्र्रत है कक पैगम्िर्
सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम ने फर्मायााः
“अल्लाह क
े ननकट सिसे नापसन्द दा लोग तीन हैं:
प्रथमाः ह़र्म में िेद नी (नाजस्तकता) का प्रदशरन
कर्ने िाला। द्वितीयाः इस्लाम क
े अन्दर् जादहललयत
8 सह़ ह़ म़ुजस्लम
13
का मागर ढूूँढने िाला। तृतीयाः ककसी म़ुसलमान का
अिैध खून िहाने का म़ुतालिा कर्ने िाला।”9
शैख़ुल इस्लाम इब्ने तैलमय्या र्ह़मत़ुल्लादह अलैदह
फर्माते हैं:
“पैगम्िर् सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम क
े फमारन
“जादहललयत का मागर” में पैगम्िर्ों क
े लाये ह़ुए धमर
क
े विरुध्द जादहललयत का प्रत्येग मागर सजम्मललत
है। चाहे िह सामान्य हो या क
़ु छ खास लोगों का,
यहूद एिं ईसाइयों का हो, मूर्तीपूजकों का हो या
इनक
े अनतरर्क्त ककसी अन्य का।”
और् सह़ ह़ ि़ुखार् में ह़़ु़िैफा र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ु से
िर्र्रत है, उन्होंने फर्मायााः
“ऐ कारर्यों की जमाअत! सीधे मागर पर् चलते र्हो।
यदद त़ुम सीधे मागर पर् र्होगे, तो िह़ुत आगे
ननकल जाओगे। यदद दायें-िायें म़ुडोगे, तो अनत पथ-
भ्रष्ट हो जाओगे।”
9 सह़ ह़ ि़ुखार्
14
और् म़ुह़म्मद बिन िज़़्िाह़ ने इस प्रकार् िर्रन
ककया है कक ह़़ु़िैफा र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ु मजस्जद में
प्रिेश कर्ते ह़ुए ह़ल्कों क
े ननकट खडे होकर् यह
फर्माते।
िह अधधक िर्रन कर्ते हैं कक हमसे स़ुफ़्यान बिन
उययना ने म़ुजाललद से और् म़ुजाललद ने शअिी से
और् शअिी ने मसरूक से िर्रन कर्ते ह़ुए कहा है
कक अब्द़ुल्लाह बिन मस्ऊद र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ु ने
फर्मायााः
“िाद में आने हर् िषर ग़ु़िर्े ह़ुए िषों से अधधक ि़ुर्ा
है। मैं यह नह ं कहता कक फलाूँ साल फलाूँ साल से
अधधक िषार िाला है, न यह कहता हूूँ कक िलाूँ साल
िलाूँ साल से अधधक हर्ा-भर्ा है और् न ह यह
कहता हूूँ कक िलाूँ अमीर् िलाूँ अमीर् से श्रेष्ठ है,
िजल्क िास्तविक िात यह है कक त़ुम्हार्े उलेमा और्
अच्छे लोग समाप्त हो जायेंगे। इसक
े पश्चात ऐसे
लोग पैदा होंगे, जो धालमरक मामलों को अपने विचार्
पर् क़्यास कर्ेंगे। जजस्क
े कार्र् इस्लाम को ध्िस्त
और् नष्ट कर् ददया जाएगा।”
15
इस्लाम की व्याख्या
अल्लाह तआला का फमारन हैाः
16
﴿
ِ‫ن‬َ‫ع‬َ‫ب‬
َّ
‫ٱت‬ ِ‫ن‬َ‫م‬َ‫و‬ ِ
َّ
ِ
‫َّلل‬ َ ِ
‫ِه‬‫ي‬‫ج‬َ‫و‬ ُ
‫ت‬‫ي‬‫م‬
َ
‫ل‬‫ي‬‫س‬
َ
‫أ‬
‫ي‬
‫ل‬
ُ
‫ق‬
َ
‫ف‬ َ‫وك‬ُّ‫ج‬
ٓ
‫ا‬َ‫ح‬
‫ي‬
‫ن‬ِ‫إ‬
َ
‫ف‬
10
﴾
“किर् यदद यह आपसे झगडें, तो आप कह दें कक
मैंने और् मेर्े मानने िालों ने अल्लाह तआला क
े
सामने अपना लसर् झ़ुका ददया है।”
सह़ ह़ म़ुजस्लम में उमर् र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ु से िर्र्रत
है कक पैगम्िर् सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम ने
फर्मायााः
“इस्लाम यह है कक त़ुम इस िात की गिाह दो कक
अल्लाह क
े अनतरर्क्त कोई सत्य पूज्य नह ं और्
म़ुह़म्मद सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम अल्लाह क
े
पैगम्िर् हैं, नमा़ि स्थावपत कर्ो, ़िकात दो,
र्म़िान क
े र्ो़िे र्खो और् मामथ्यर हो तो अल्लाह
क
े घर् -कअिा- का ह़ज्ज कर्ो।”11
और् सह़ ह़ ह़द स में अिू ह़ुर्ैर्ह र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ु से
मफ
ूर अन िर्रनत हैाः
10 सूर्ह आले-इम्रानाः 20
11 सह़ ह़ म़ुजस्लम
17
“म़ुसलमान िह है, जजसकी ़ििान और् हाथ से दूसर्े
म़ुसलमान स़ुर्क्षित र्हें।”
और् िह़्ज बिन ह़कीम से िर्र्रत है, िह अपने िाप
क
े िास्ते से अपने दादा से िर्रन कर्ते हैं कक
उन्होंने पैगम्िर् सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम से
इस्लाम क
े विषय में प्रश्न ककया, तो आपने
फर्मायााः
“इस्लाम यह है कक त़ुम अपना हृदय अल्लाह को
सोंप दो, अपना म़ुख अल्लाह की ओर् कर् लो, फ़िर
नमा़िें पढो और् फ़िर ़िकात दो।”12
अिू ककलािा एक शामी (सीरर्यन) आदमी से िर्रन
कर्ते हैं कक उसक
े िाप ने अल्लाह क
े पैगम्िर्
सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम से प्रश्न ककया कक
इस्लाम क्या है? तो आपने फर्मायााः
“इस्लाम यह है कक त़ुम अपना ददल अल्लाह क
े
ह़िाले कर् दो और् म़ुसलमान त़ुम्हार् ़ि़ुिान और्
त़ुम्हार्े हाथ से स़ुर्क्षित र्हें।” किर् उन्होंने प्रश्न
12 इस ह़द स को इमाम अह़मद ने रर्िायत ककया है।
18
ककया कक इस्लाम का कौन-सा काम सिरश्रेष्ठ है? तो
आपने फर्मायााः “ईमान।” उसने कहा कक ईमान
क्या है? तो आपने फर्मायााः “ईमान यह है कक त़ुम
अल्लाह पर्, उसक
े फरर्श्तों पर्, उसकी उतार् ह़ुई
प़ुस्तकों पर्, उसक
े पैगम्िर्ों पर् और् मर्ने क
े िाद
द़ुिार्ा उठाए जाने पर् विश्िास र्खो।”13
13 इस ह़द स का शैख़ुल इस्लाम इब्ने तैलमया ने “ककताि़ुल
ईमान” क
े अन्दर् उल्लेख कर्ने क
े िाद फर्माया है कक
इसे इमाम अह़मद और् म़ुह़म्मद बिन नस्र मिऱिी ने
रर्िायत ककया है।
19
अल्लाह तआला क
े फमारन
‫ين‬ِ‫د‬ ِ‫م‬ََٰ‫ل‬ ۡ‫س‬ِ ۡ
‫ٱۡل‬ َ‫ر‬ۡ‫ي‬َ‫غ‬ ِ‫َغ‬‫ت‬ۡ‫ب‬َ‫ي‬ ‫ن‬َ‫م‬َ‫و‬
‫ن‬َ‫ل‬َ‫ف‬ ‫ا‬
ُ‫ه‬ۡ‫ن‬ِ‫م‬ َ‫ل‬َ‫ب‬ۡ‫ق‬ُ‫ي‬ की व्याख्या
अल्लाह तआला का फमारन हैाः
﴿
‫ِين‬‫د‬ ِ‫م‬َٰ َ
‫ل‬‫ي‬‫س‬ِ
‫ي‬
‫ٱۡل‬ َ ‫ي‬
‫ۡي‬
َ
‫غ‬ ِ‫غ‬َ‫ت‬‫ي‬‫ب‬َ‫ي‬ ‫ن‬َ‫م‬َ‫و‬
‫ن‬
َ
‫ل‬
َ
‫ف‬ ‫ا‬
َ‫ِن‬‫م‬ ِ‫ة‬َ‫ِر‬‫خ‬‫ٱٓأۡل‬ ِ
‫ِف‬ َ‫و‬
ُ
‫ه‬َ‫و‬ ُ‫ه‬
‫ي‬
‫ِن‬‫م‬
َ
‫ل‬َ‫ب‬
‫ي‬
‫ق‬ُ‫ي‬
َ‫ين‬ِ ِ
‫ِس‬َٰ َ
‫خ‬
‫ي‬
‫ٱل‬
14
﴾
“और् जो व्यजक्त इस्लाम क
े अनतरर्क्त कोई अन्य
धमर तलाश कर्े, तो उसका धमर हर्धग़ि स्िीकार्
नह ं ककया जाएगा।”
अिू ह़ुर्ैर्ा र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ु से िर्र्रत है, िह ियान
कर्ते हैं कक पैगम्िर् सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम
ने फर्मायााः
“कयामत क
े ददन िन्दों क
े आमाल उपजस्थत होंगे।
च़ुनांचे नमा़ि उपजस्थत होगी और् कहेगी कक ऐ
पालनहार्! मैं नमा़ि हूूँ! अल्लाह तआला फर्माएगााः
तू खैर् पर् है। कफर् ़िकात उपजस्थत होगी और्
14 सूर्ह आले-इम्रानाः 85
20
कहेगी कक ऐ पालनहार्! मैं ़िकात हूूँ! अल्लाह
तआला फर्माएगााः तू भी खैर् पर् है। किर् र्ो़िा
उपजस्थत होगा और् कहेगा कक ऐ पालनहार्! मैं र्ो़िा
हूूँ! अल्लाह तआला फर्माएगााः तू भी खैर् पर् है।
इसक
े िाद िन्दे क
े शेष आमाल इसी प्रकार्
उपजस्थत होंगे और् अल्लाह तआला फर्माएगााः
त़ुमसि खैर् पर् हो। किर् इस्लाम उपजस्थत होगा
और् कहेगा कक ऐ पालनहार्! तू सलाम है और् मैं
इस्लाम हूूँ। अल्लाह तआला फर्माएगााः तू भी खैर्
पर् है। आज मैं तेर्े कार्र् से पकड करू
ूँ गा और् तेर्े
ह कार्र् प्रदान करू
ूँ गा। अल्लाह तआला ने अपनी
ककताि क
़ु आरन मजीद में फर्मायााः
﴿
‫ِين‬‫د‬ ِ‫م‬َٰ َ
‫ل‬‫ي‬‫س‬ِ
‫ي‬
‫ٱۡل‬ َ ‫ي‬
‫ۡي‬
َ
‫غ‬ ِ‫غ‬َ‫ت‬‫ي‬‫ب‬َ‫ي‬ ‫ن‬َ‫م‬َ‫و‬
‫ن‬
َ
‫ل‬
َ
‫ف‬ ‫ا‬
َ‫ِن‬‫م‬ ِ‫ة‬َ‫ِر‬‫خ‬‫ٱٓأۡل‬ ِ
‫ِف‬ َ‫و‬
ُ
‫ه‬َ‫و‬ ُ‫ه‬
‫ي‬
‫ِن‬‫م‬
َ
‫ل‬َ‫ب‬
‫ي‬
‫ق‬ُ‫ي‬
َ‫ين‬ِ ِ
‫ِس‬َٰ َ
‫خ‬
‫ي‬
‫ٱل‬
﴾
“और् जो व्यजक्त इस्लाम क
े अनतरर्क्त कोई अन्य
धमर तलाश कर्े, तो उसका धमर हर्धग़ि स्िीकार्
नह ं ककया जाएगा और् िह आर्खर्त में घाटा उठाने
िालों में से होगा।”
21
इस ह़द स को इमाम अह़मद ने रर्िायत ककया है।
और् सह़ ह़ म़ुजस्लम में आइशा र्ज़ियल्लाह़ु अन्हा से
रर्िायत है कक पैगम्िर् सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम
ने फर्मायााः
“जजसने कोई ऐसा काम ककया, जजसक
े िार्े में
हमार्ा आदेश नह ं है, तो िह काम मदूरद (अस्िीकृ त)
है।” इस ह़द स को इमाम अहमद ने भी रर्िायत
ककया है।
22
ककताि़ुल्लाह की पैर्िी कर्क
े
उसक
े अनतरर्क्त अन्य िस्त़ुओं
से िेननया़ि होने की अननिायरता
अल्लाह तआला का फमारन हैाः
﴿
‫ن‬َٰ َ
‫ي‬‫ي‬‫ِب‬‫ت‬ َ
‫ب‬َٰ َ
‫ِت‬‫ك‬
‫ي‬
‫ٱل‬
َ
‫ك‬‫ي‬‫ي‬
َ
‫ل‬
َ
‫ع‬ ‫ا‬َ ‫ي‬
‫نل‬َّ‫ز‬
َ
‫ن‬َ‫و‬
ِ
ُ
‫ِك‬‫ل‬ ‫ا‬
‫ء‬ ‫ي‬ َ
‫َش‬
15
﴾
“और् हमने आपपर् यह ककताि उतार् है, जजसमें
हर् ची़ि का स्पष्ट उल्लेख है।”
स़ुनन नसाई आदद में है कक निी सल्लल्लाह़ु अलैदह
ि सल्लम ने उमर् बिन खत्ताि र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ु
क
े हाथ में तौर्ात का एक पन्ना देखा, तो फर्मायााः
“ऐ खत्ताि क
े िेटे! क्या त़ुम ह़ैर्त में पडे हो! मैं
त़ुम्हार्े पास स्पष्ट और् उज्जिल शर् अत लेकर्
आया हूूँ। यदद मूसा भी जीवित होते और् त़ुम म़ुझे
15 सूर्ह अन ्-नह़्लाः 89
23
छोडकर् उनकी पैर्िी कर्ने लगते, तो पथभ्रष्ट हो
जाते।”
एक दूसर् रर्िायत में हैाः
“यदद मूसा भी जीवित होते, तो उन्हें भी मेर् पैर्िी
कर्नी पडती।”
यह स़ुनकर् उमर् र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ु ने कहााः
“मैं अल्लाह से प्रसन्न हूूँ उसे अपना पालनकतार
मानकर्, इस्लाम से प्रसन्न हूूँ उसे अपना द न
समझकर् और् म़ुह़म्मद सल्लल्लाह़ु अलैदह ि
सल्लम से प्रसन्न हूूँ उन्हें अपना निी मानकर्।”
24
इस्लाम क
े दािा से ननकल जाने
का िर्रन
अल्लाह तआला फर्माता हैाः
﴿
َّ‫م‬َ‫س‬ َ‫و‬
ُ
‫ه‬
‫ا‬
َ
‫ذ‬َٰ َ
‫ه‬ ِ
‫ِف‬َ‫و‬
ُ
‫ل‬‫ي‬‫ب‬
َ
‫ق‬ ‫ِن‬‫م‬ َ‫ۡي‬ِ‫م‬ِ‫ل‬ ‫ي‬‫س‬ُ‫م‬
‫ي‬
‫ٱل‬ ُ‫م‬
ُ
‫ك‬َٰ‫ى‬
﴾
16
“उसी अल्लाह ने त़ुम्हार्ा नाम स़ुसलमान र्खा है,
इस क
़ु आरन से पहले और् इसमें भी।”
ह़ारर्स अश ्अर् र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ु से िर्र्रत है, िह
निी सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम से रर्िायत कर्ते
हैं कक आपने फर्मायााः
“मैं त़ुम्हें उन पाूँच िातों का आदेश देता हूूँ, जजनका
अल्लाह तआला ने म़ुझे आदेश ददया हैाः शासक की
िात स़ुनने और् उसकी पैर्िी कर्ने का, जजहाद का,
दहज्रत का और् म़ुसलमानों की जमाअत से ज़ुडे र्हने
का। क्योंकक जो व्यजक्त जमाअत से िाललश्त िर्ािर्
भी दूर् ह़ुआ, उसने अपनी गदरन से इस्लाम का पट्टा
ननकाल ि
ें का। पर्न्त़ु यह कक िह जमाअत की ओर्
16 सूर्ह अल्-ह़ज्जाः 78
25
पलट आए। और् जजसने जादहललयत की प़ुकार्
लगाई, िह जहन्नमी है।” यह स़ुनकर् एक व्यजक्त
ने कहा कक ऐ अल्लाह क
े पैगम्िर्! चाहे िह नमा़ि
पढे और् र्ो़िे र्खे? िर्मायााः “हाूँ, चाहे िह नमा़ि
पढे और् र्ो़िे र्खे। अताः ऐ अल्लाह क
े िन्दो! त़ुम
उस अल्लाह की प़ुकार् लगाओ, जजसने त़ुम्हार्ा नाम
म़ुसलमान और् मोलमन र्खा है।”17
और् सह़ ह़ ि़ुखार् एिं म़ुजस्लम में हैाः
“जो जमाअत से िाललश्त िर्ािर् भी ज़ुदा ह़ुआ और्
इसी अिस्था में मर् गया, उसकी मौत जादहललयत
की मौत होगी।”
तथा सह़ ह़ ह़द स में है कक पैगम्िर् सल्लल्लाह़ु
अलैदह ि सल्लम ने फर्मायााः
“क्या जादहललयत की प़ुकार् लगाई जा र्ह है और्
मैं त़ुम्हार्े िीच मौजूद हूूँ?”
17 इस ह़द स को इमाम अह़मद और् नतलमऱिी ने रर्िायत
ककया है और् नतलमऱिी ने ह़सन कहा है।
26
शौख़ुल इस्लाम अि़ुल अब्िास इब्ने तैलमया फर्माते
हैं:
“इस्लाम और् क
़ु आरन क
े दािे क
े लसिा हर् दािा,
चाहे िह नसि हो शहर् का हो, कौम का हो,
मस्लक का हो या पंथ का, सि जादहललयत की
प़ुकार् में सजम्मललत है। िजल्क जि एक म़ुहाजजर्
और् एक अन्सार् क
े िीच झगडा हो गया और्
म़ुहाजजर् ने म़ुहाजजर्ों को प़ुकार्ा और् अन्सार् ने
अन्सारर्यों को आिा़ि द , तो पैगम्िर् सल्लल्लाह़ु
अलैदह ि सल्लम ने फर्मायााः “क्या जादहललयत की
प़ुकार् लगाई जा र्ह है, जिकक मैं त़ुम्हार्े िीच
मौजूद हूूँ?” और् इस िात से आप िह़ुत अप्रसन्न
ह़ुए।” शैख़ुल इस्लाम इब्ने तैलमया का कलाम
समाप्त ह़ुआ।
27
इस्लाम में सम्पूर्र रूप से प्रिेश
कर्ने और् उसक
े अनतरर्क्त
अन्य धमों क
े परर्त्याग की
अननिायरता
अल्लाह तआला का फमारन हैाः
﴿
‫ة‬
َّ
‫ٓاف‬
َ
‫ك‬ ِ‫م‬
‫ي‬
‫ِل‬‫ٱلس‬ ِ
‫ِف‬
ْ
‫وا‬
ُ
‫ل‬
ُ
‫خ‬
‫ي‬
‫ٱد‬
ْ
‫وا‬ُ‫ن‬َ‫ام‬َ‫ء‬ َ‫ِين‬
َّ
‫ٱَّل‬ ‫ا‬َ‫ه‬ُّ‫ي‬
َ
‫أ‬َٰٓ َ
‫ي‬
﴾
18
“ऐ ईमान िालो! इस्लाम में पूर्े-पूर्े प्रिेश कर्
जाओ।”
तथा फर्मायााः
﴿
َ‫ِين‬
َّ
‫ٱَّل‬
َ
‫َل‬ِ‫إ‬ َ‫ر‬
َ
‫ت‬ ‫ي‬‫م‬
َ
‫ل‬
َ
‫أ‬
‫ِن‬‫م‬
َ
‫ل‬ِ‫نز‬
ُ
‫أ‬
ٓ
‫ا‬َ‫م‬َ‫و‬
َ
‫ك‬‫ي‬ َ
‫ۡل‬ِ‫إ‬
َ
‫ل‬ِ‫نز‬
ُ
‫أ‬
ٓ
‫ا‬َ‫م‬ِ‫ب‬
ْ
‫وا‬ُ‫ن‬َ‫ام‬َ‫ء‬ ‫ي‬‫م‬ُ‫ه‬
َّ
‫ن‬
َ
‫أ‬
َ
‫ون‬ُ‫م‬
ُ
‫ع‬‫ي‬‫ز‬َ‫ي‬
َ
‫ِك‬‫ل‬‫ي‬‫ب‬
َ
‫ق‬
﴾
19
18 सूर्ह अल्-िकर्ााः 208
19 सूर्ह अन ्-ननसााः 60
28
“क्या आपने उन्हें नह ं देखा, जजनका दािा तो यह
है कक जो क
़ु छ आपपर् और् जो क
़ु छ आपसे पहले
उतार्ा गया, उसपर् उनका ईमान है।”
तथा अल्लाह तआला ने फर्मायााः
20
‫ء‬ ‫ي‬ َ
‫َش‬ ِ
‫ِف‬ ‫ي‬‫م‬ُ‫ه‬
‫ي‬
‫ِن‬‫م‬ َ
‫ت‬ ‫ي‬‫س‬
َّ
‫ل‬ ‫ا‬‫ع‬َ‫ِي‬‫ش‬
ْ
‫وا‬
ُ
‫ن‬
َ
‫َك‬َ‫و‬ ‫ي‬‫م‬ُ‫ه‬َ‫ِين‬‫د‬
ْ
‫وا‬
ُ
‫ق‬َّ‫ر‬
َ
‫ف‬ َ‫ِين‬
َّ
‫ٱَّل‬
َّ
‫ن‬ِ‫إ‬
“ननाःसंदेह जजन लोगों ने अपने धमर को अलग-अलग
कर् ददया और् ग़ुट-ग़ुट िन गए, आपका उनसे कोई
सम्िन्ध नह ं।”
इब्ने अब्िास र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ुमा अल्लाह तआला
क
े इस कथनाः
﴿
َ‫م‬‫ي‬‫و‬َ‫ي‬
ُّ
‫د‬َ‫و‬ ‫ي‬‫س‬
َ
‫ت‬َ‫و‬ٞ‫وه‬ُ‫ج‬ُ‫و‬
ُّ
‫ض‬َ‫ي‬‫ي‬‫ب‬
َ
‫ت‬
ۡۚ
ٞ‫وه‬ُ‫ج‬ُ‫و‬
﴾
21
“जजस ददन क
़ु छ चेहर्े चमक र्हे होंगे और् क
़ु छ
काले।”
की व्याख्या में कहते हैं:
20 सूर्ह अल्-अन ्आमाः 1 59
21 सूर्ह आले-इम्रानाः 1 06
29
“अह्ले स़ुनन्त िल-जमाअत क
े चेहर्े उज्जिल होंगे
और् अह्ले बिद्अत तथा साम्प्रदानयक लोगों क
े चेहर्े
काले होंगे।”
अब्द़ुल्लाह बिन अम्र र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ुमा से िर्र्रत
है, िह ियान कर्ते हैं कक अल्लाह क
े पैगम्िर्
सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम ने फर्मायााः
“मेर् उम्मत पर् बिल्क
़ु ल िैसा ह समय आएगा,
जैसा कक िनी इस्लाईल पर् आया था। यहाूँ तक कक
यदद उनमें से ककसी ने अपनी माूँ क
े साथ ख़ुल्लम-
ख़ुल्ला िलत्कार् ककया होगा, तो मेर् उम्मत में भी
इस प्रकार् का व्यजक्त होगा, जो ऐसा कर्ेगा। तथा
िनी इस्राईल िहत्तर् कफकों (दलों) में िट गए थे,
ककन्त़ु मेर् यह उम्मत तेहत्तर् कफकों में िट
जाएगी। उनमें से एक क
े अनतरर्क्त िाकी सि
नर्किासी होंगे।” सह़ािा ने पूछा कक ऐ अल्लाह क
े
पैगम्िर्! िह नजात पाने िाला कफकार कौन सा
होगा? तो आपने फर्मायााः “िह जो उस मागर पर्
चले, जजसपर् मैं हूूँ और् मेर्े सह़ािा हैं।”
30
जो मोलमन अल्लाह तआला से म़ुलाकात की आशा
र्खता है, उसे इस स्थान पर् साददक ि मस्दूक
सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम की ह़द स विशेष रूप
से आपक
े फमारन “जजस तर् क
े पर् मैं हूूँ और् मेर्े
साथी हैं” पर् गौर् कर्ना चादहए। यह ह़द स ककतनी
िडी नसीह़त है, उन ददलों क
े ललए जजनमें ज़िन्दगी
की ़िर्ा भी र्मक िाकी है। इस ह़द स को इमाम
नतलमऱिी ने रर्िायत ककया है तथा उन्होंने इसे अिू
ह़ुर्ैर्ा र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ु क
े िास्ते से रर्िायत कर्क
े
सह़ ह़ कहा है। अल्ित्ता इस रर्िायत में जहन्नम
का उल्लेख नह ं है। यह ह़द स म़ुस्नद अह़मद और्
स़ुनन अिू दाऊद में म़ुआविया र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ु क
े
तर् क से िर्र्रत है, जजसमें आप सल्लल्लाह़ु अलैदह
ि सल्लम का यह फमारन भी हैाः
“मेर् उम्मत में एक ऐसी कौम प्रकट होगी, जजनकी
नसों में ख़्िादहशात इस प्रकार् घ़ुस जाएंगी, जजस
प्रकार् पागल क
़ु त्ते क
े काटने से पैदा होने िाल
िीमार् काटे ह़ुए व्यजक्त की नसों में प्रिेश कर्
जाती है। यहाूँ तक कक उसक
े शर् र् की कोई नस
और् कोई जोड उसक
े प्रभाि से स़ुर्क्षित नह ं र्हता।”
31
इससे पहले पैगम्िर् सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम
का यह फमारन उजल्लर्खत हो च़ुका है ककाः
“इस्लाम में जादहललयत का तर् का ढूूँढने िाला
(अल्लाह क
े ननकट तीन सिसे नापसंद दा लोगों में
से है।)”
32
बिद्अत िडे-िडे ग़ुनाहों से भी
अधधक सख़्त
अल्लाह तआला का फमारन हैाः
﴿
َّ
‫ن‬ِ‫إ‬
َ
‫ون‬
ُ
‫د‬ ‫ا‬َ‫م‬ ُ‫ر‬ِ‫ف‬
‫ي‬
‫غ‬َ‫ي‬َ‫و‬ ‫ِۦ‬‫ه‬ِ‫ب‬ َ‫ك‬َ ‫ي‬
‫ۡش‬ُ‫ي‬ ‫ن‬
َ
‫أ‬ ُ‫ر‬ِ‫ف‬
‫ي‬
‫غ‬َ‫ي‬
َ
‫َل‬ َ َّ
‫ٱَّلل‬
ُۡۚ‫ء‬
ٓ
‫ا‬
َ
‫ش‬َ‫ي‬ ‫ن‬َ‫ِم‬‫ل‬
َ
‫ِك‬‫ل‬ََٰ
‫ذ‬
﴾
22
“अल्लाह तआला अपने साथ लशक
र ककए जाने को
िमा नह ं कर्ेगा और् इसक
े अनतरर्क्त जजसे चाहेगा,
िमा कर् देगा।”
तथा अल्लाह तआला ने फर्मायााः
﴿
‫ي‬‫ن‬َ‫م‬
َ
‫ف‬
َٰ‫ى‬َ َ
‫َت‬
‫ي‬
‫ٱف‬ ِ‫ن‬َّ‫ِم‬‫م‬ ُ‫م‬
َ
‫ل‬
‫ي‬
‫ظ‬
َ
‫أ‬
‫ِب‬‫ذ‬
َ
‫ك‬ ِ
َّ
‫ٱَّلل‬
َ َ
‫لَع‬
ِ
‫ي‬
‫ۡي‬
َ
‫غ‬ِ‫ب‬ َ
‫اس‬َّ‫ٱنل‬
َّ
‫ل‬ ِ
‫ض‬ُ ِ
‫ۡل‬ ‫ا‬
‫م‬
‫ي‬
‫ِل‬‫ع‬
﴾
23
“और् उससे िढकर् अत्याचार् कौन होगा, जो
अल्लाह तआला पर् बिना ककसी प्रमार् क
े झूठा
आर्ोप लगाता है।”
तथा अल्लाह तआला ने फर्मायााः
22 सूर्ह अन ्-ननसााः 48
23 सूर्ह अल्-अन ्आमाः 1 44
33
﴿
‫ة‬
َ
‫ِل‬‫م‬
َ
‫َك‬ ‫ي‬‫م‬
ُ
‫ه‬َ‫ار‬َ‫ز‬‫ي‬‫و‬
َ
‫أ‬
ْ
‫ا‬ٓ‫و‬
ُ
‫ل‬ِ‫م‬‫ي‬‫ح‬َ ِ
‫ۡل‬
‫م‬ُ‫ه‬
َ
‫ون‬
ُّ
‫ل‬ ِ
‫ض‬ُ‫ي‬ َ‫ِين‬
َّ
‫ٱَّل‬ ِ‫ار‬َ‫ز‬‫ي‬‫و‬
َ
‫أ‬ ‫ي‬‫ِن‬‫م‬َ‫و‬ ِ‫ة‬َ‫م‬َٰ َ
‫ي‬ِ‫ق‬
‫ي‬
‫ٱل‬ َ‫م‬‫ي‬‫و‬َ‫ي‬
َ
‫ون‬ُ‫ر‬ِ‫ز‬َ‫ي‬ ‫ا‬َ‫م‬ َ‫ء‬
ٓ
‫ا‬َ‫س‬
َ
‫َل‬
َ
‫أ‬ ‫م‬
‫ي‬
‫ِل‬‫ع‬ ِ
‫ي‬
‫ۡي‬
َ
‫غ‬ِ‫ب‬
﴾
24
“ताकक कयामत क
े ददन यह लोग अपने पूर्े िोझ क
े
साथ ह उन लोगों क
े िोझ क
े भी भागीदार् हों,
जजन्हें अनजाने में पथ-भ्रष्ठ कर्ते र्हे। देखो तो
क
ै सा ि़ुर्ा िोझ उठा र्हे हैं।”
और् सह़ ह़ ि़ुखार् में है कक पैगम्िर् सल्लल्लाह़ु
अलैदह ि सल्लम ने ख़्िारर्ज क
े विषय में फर्मायााः
“उन्हें जहाूँ भी पाओ, कत्ल कर् दो। यदद मैंने उन्हें
पाया, तो कौमे आद क
े कत्ल क
े समान कत्ल
करू
ूँ गा।”25
तथा सह़ ह़ (म़ुजस्लम) में है कक पैगम्िर् सल्लल्लाह़ु
अलैदह ि सल्लम ने अत्याचार् शासकों को कत्ल
कर्ने से र्ोका है, जि तक िह नमा़ि पढते हों।”
और् जर् र् बिन अब्द़ुल्लाह र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ु से
िर्र्रत है कक एक आदमी ने खैर्ात ददया। उसक
े
24 सूर्ह अन ्-नह़्लाः 25
25 सह़ ह़ ि़ुखार् एिं सह़ ह़ म़ुजस्लम
34
िाद लोगों ने खैर्ात देना आर्म्भ कर् ददया, तो
पैगम्िर् सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम ने फर्मायााः
“जजसने इस्लाम में कोई अच्छा तर् का ननकाला, तो
उसे उसका अज्र –िदला- लमलेगा और् उन लोगों का
अज्र भी, जो इसक
े िाद उसपर् अमल कर्ेंगे। ककन्त़ु
अमल कर्ने िालों क
े अज्र में कोई कमी नह ं होगी।
और् जजसने इस्लाम में कोई ि़ुर्ा तर् का अविष्कार्
ककया, तो उसपर् उसका ग़ुनाह होगा और् उन लोगों
का भी ग़ुनाह होगा, जो उसपर् अमल कर्ेंगे। ककन्त़ु
इन अमल कर्ने िालों क
े ग़ुनाह में कोई कमी नह ं
होगी।” इसे म़ुजस्लम ने रर्िायत ककया है।
तथा सह़ ह म़ुजस्लम में अिू ह़ुर्ैर्ा र्ज़िययल्लाह़ु अन्ह़ु
क
े द्िार्ा इसी क
े समान एक अन्य ह़द स िर्र्रत है,
जजसक
े शब्द यह हैं:
“जजसने ककसी दहदायत –मागरदशरन- की ओर्
ि़ुलाया..... और् जजसने ककसी ग़ुमर्ाह की ओर्
ि़ुलाया।”
35
अल्लाह तआला बिद्अती की
तौिा स्िीकार् नह ं कर्ता
36
यह िात अनस र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ु की (मफ
़ुर अ) ह़द स
और् ह़सन िसर् की म़ुसरल ह़द स से प्रमार्र्त है।
इब्ने िज़़्िाह़ ने अय्यूि से ियान ककया है कक
उन्होंने फर्माया कक हमार्े िीच एक आदमी था, जो
कोई असत्य विचार् र्खता था। किर् उसने िह
विचार् त्याग ददया, तो मैं म़ुह़म्मद बिन सीर् न क
े
पास आया और् कहााः क्या आपको पता है कक
अम़ुक ने अपना विचार् त्याग ददया है?
तो उन्होंने कहााः अभी देखो तो सह , िह ककस ददशा
में जाता है? ऐसे लोगों क
े सम्िन्ध में जो ह़द स
आई है, उसका यह अजन्तम भाग उसक
े प्रार्ंलभक
भाग से अधधक सख़्त है कक “िह इस्लाम से ननकल
जाएंगे, किर् उसकी ओर् प़ुनाः िापस नह ं लौटेंगे।”
इमाम अहमद बिन ह़म्िल –र्ह़मत़ुल्लादह अलैदह- से
इसका अथर पूछा गया, तो आपने फर्मायााः “ऐसे
आदमी को तौिा की तौफीक नह ं होती।”
37
अल्लाह तआला क
े फमारन
َ‫ل‬ۡ‫ه‬َ‫أ‬َََٰٰٓ‫ي‬
َٰٓ‫ي‬ِ‫ف‬ َ‫ون‬ُّ‫َٰٓج‬‫ا‬َ‫ح‬ُ‫ت‬ َ‫م‬ِ‫ل‬ ِ‫ب‬ََٰ‫ت‬ِ‫ك‬ۡ‫ٱل‬
َ‫م‬‫ي‬ِ‫ه‬ ََٰ‫ر‬ۡ‫ب‬ِ‫إ‬
.....
ِ‫ر‬ ۡ‫ش‬ُ‫م‬ۡ‫ٱل‬ َ‫ن‬ِ‫م‬ َ‫ان‬َ‫ك‬ ‫ا‬َ‫م‬َ‫و‬
َ‫ين‬ِ‫ك‬
का िर्रन
अल्लाह तआला का फमारन हैाः
38
﴿
َّ
‫َل‬ِ‫إ‬
ُ
‫يل‬ِ‫جن‬ِ
‫ي‬
‫ٱۡل‬َ‫و‬
ُ
‫ة‬َٰ‫ى‬َ‫ر‬‫ي‬‫و‬َّ‫ٱتل‬ ِ
‫ت‬
َ
‫ل‬ِ‫نز‬
ُ
‫أ‬
ٓ
‫ا‬َ‫م‬َ‫و‬ َ‫ِيم‬‫ه‬َٰ َ‫ر‬‫ي‬‫ب‬ِ‫إ‬ ٓ ِ
‫ِف‬
َ
‫ون‬ُّ‫ج‬
ٓ
‫ا‬َ ُ
‫ُت‬ َ‫ِم‬‫ل‬ ِ‫ب‬َٰ َ
‫ِت‬‫ك‬
‫ي‬
‫ٱل‬
َ
‫ل‬
‫ي‬
‫ه‬
َ
‫أ‬َٰٓ َ
‫ي‬
َ
‫ون‬
ُ
‫ل‬ِ‫ق‬‫ي‬‫ع‬
َ
‫ت‬
َ
‫َل‬
َ
‫ف‬
َ
‫أ‬ ۡۚ
ٓ‫ِۦ‬‫ه‬ِ‫د‬‫ي‬‫ع‬َ‫ب‬ ۢ‫ن‬ِ‫م‬
٦٥
ٓ َ
‫َل‬
ُ
‫ؤ‬َٰٓ َ
‫ه‬ ‫ي‬‫م‬ُ‫نت‬
َ
‫أ‬َٰٓ َ
‫ه‬
‫ِۦ‬‫ه‬ِ‫ب‬ ‫م‬
ُ
‫ك‬
َ
‫ل‬ ‫ا‬َ‫ِيم‬‫ف‬ ‫ي‬‫م‬ُ‫ت‬‫ي‬‫ج‬َ‫ج‬َٰ َ
‫ح‬ ِ‫ء‬
ٞ‫م‬
‫ي‬
‫ِل‬‫ع‬
َ‫ِم‬‫ل‬
َ
‫ف‬
ۡۚ
ٞ‫م‬
‫ي‬
‫ِل‬‫ع‬ ‫ِۦ‬‫ه‬ِ‫ب‬ ‫م‬
ُ
‫ك‬
َ
‫ل‬ َ
‫س‬‫ي‬‫ي‬
َ
‫ل‬ ‫ا‬َ‫ِيم‬‫ف‬
َ
‫ون‬ُّ‫ج‬
ٓ
‫ا‬َ ُ
‫ُت‬
‫ٱ‬َ‫و‬
‫ي‬‫م‬ُ‫نت‬
َ
‫أ‬َ‫و‬ ُ‫م‬
َ
‫ل‬‫ي‬‫ع‬َ‫ي‬ ُ َّ
‫َّلل‬
َ
‫ون‬ُ‫م‬
َ
‫ل‬‫ي‬‫ع‬
َ
‫ت‬
َ
‫َل‬
٦٦
‫ِي‬‫د‬‫و‬ُ‫ه‬َ‫ي‬ ُ‫ِيم‬‫ه‬َٰ َ‫ر‬‫ي‬‫ب‬ِ‫إ‬
َ
‫ن‬
َ
‫َك‬ ‫ا‬َ‫م‬
‫ِي‬‫ن‬‫ا‬َ ‫ي‬
‫ۡص‬
َ
‫ن‬
َ
‫َل‬َ‫و‬ ‫ا‬
‫ا‬
‫ِيف‬‫ن‬َ‫ح‬
َ
‫ن‬
َ
‫َك‬ ‫ن‬ِ‫ك‬ََٰ
‫ل‬َ‫و‬
‫ا‬
‫ِم‬‫ل‬ ‫ي‬‫س‬ُّ‫م‬
َ‫ِن‬‫م‬
َ
‫ن‬
َ
‫َك‬ ‫ا‬َ‫م‬َ‫و‬ ‫ا‬
ِ
‫ي‬
‫ۡش‬ُ‫م‬
‫ي‬
‫ٱل‬
َ‫ِۡي‬‫ك‬
﴾
26
“ऐ अहले ककताि (यहूद एिं नसार्ा)! त़ुम इब्राह म
क
े विषय में क्यों झगडते हो, हालाूँकक तौर्ात और्
इन्जील तो उनक
े िाद उतर् हैं? क्या किर् भी त़ुम
नह ं समझते? स़ुनो! त़ुम उसमें झगड च़ुक
े हो,
जजसका त़ुम्हें ज्ञान था। किर् त़ुम उस िात में क्यों
झगडते हो, जजसका त़ुम्हें ज्ञान नह ं? और् अल्लाह
तआला जानता है तथा त़ुम नह ं जानते। इब्राह म न
तो यहूद थे, न ईसाई। िजल्क िह तो एकांत और्
शूध्द म़ुसलमान थे और् म़ुधश्रक –अनेक
े श्िर्िाद -
नह ं थे।”
और् अल्लाह तआला का फमारन हैाः
26 सूर्ह आले-इम्रानाः 65-67
39
﴿
ِ
‫ه‬َٰ َ‫ر‬‫ي‬‫ب‬ِ‫إ‬ ِ‫ة‬
َّ
‫ِل‬‫م‬ ‫ن‬
َ
‫ع‬ ُ
‫ب‬
َ
‫غ‬‫ي‬‫ر‬َ‫ي‬ ‫ن‬َ‫م‬َ‫و‬
ۧ
َّ
‫َل‬ِ‫إ‬ َ‫م‬
ِ
‫ِف‬ ُ‫ه‬َٰ َ
‫ن‬‫ي‬‫ي‬
َ
‫ف‬ َ
‫ط‬ ‫ي‬
‫ٱص‬ ِ‫د‬
َ
‫ق‬
َ
‫ل‬َ‫و‬ ۡۚ
‫ۥ‬ُ‫ه‬ َ‫س‬
‫ي‬
‫ف‬
َ
‫ن‬ َ‫ه‬ِ‫ف‬َ‫س‬ ‫ن‬َ‫م‬
َ‫ۡي‬ِ‫ح‬ِ‫ل‬َٰ َّ
‫ٱلص‬ َ‫ن‬ِ‫م‬
َ
‫ل‬ ِ‫ة‬َ‫ِر‬‫خ‬‫ٱٓأۡل‬ ِ
‫ِف‬ ‫ۥ‬ُ‫ه‬
َّ
‫ِإَون‬ۡۖ‫ا‬َ‫ي‬
‫ي‬
‫ن‬ُّ‫ٱدل‬
﴾
27
“और् इब्राह म क
े धमर से िह म़ुूँह मोडेगा, जो मूखर
होगा। हमने तो उन्हें द़ुननया में भी च़ुन ललया था
और् आर्खर्त में भी िह सदाचारर्यों में से हैं।”
इस विषय में ख़्िारर्ज से सम्िजन्धत ह़द स मौजूद
है, जो ग़ु़िर् च़ुकी है। तथा सह़ ह़ ह़द स में है कक
निी सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम ने फर्मायााः
“अिू िलाूँ क
े आल (अथारत अम़ुक व्यजक्त क
े
परर्जन) मेर्े दोस्त नह ं। मेर्े दोस्त म़ुत्तकी
(संयमी, ईशभय र्खने िाले) लोग हैं।”
और् सह़ ह़ ह़द स में अनस र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ु से
िर्र्रत है, अल्लाह क
े पैगम्िर् सल्लल्लाह़ु अलैदह ि
सल्लम से िर्रन ककया गयााः ककसी सह़ािी ने कहा
कक मैं गोश्त नह ं खाऊ
ूँ गा, दूसर्े ने कहा कक मैं र्ात
भर् नमा़ि पढूूँगा और् नह ं सोऊ
ूँ गा, तीसर्े ने कहा
कक मैं और्तों क
े समीप नह ं जाऊ
ूँ गा, चौथे ने कहा
27 सूर्ह अल्-िकर्ााः 1 30
40
कक मैं लगातार् र्ो़िा र्खूूँगा और् नागा नह ं करू
ूँ गा।
इनकी िातें स़ुनकर् पैगम्िर् सल्लल्लाह़ु अलैदह ि
सल्लम ने फर्मायााः
“ककन्त़ु मेर्ा ह़ाल यह है कक मैं र्ात को नमा़ि
पढता हूूँ और् सोता भी हूूँ, र्ो़िा र्खता हूूँ और् नागा
भी कर्ता हूूँ तथा पजत्नयों क
े पास भी जाता हूूँ और्
गोश्त भी खाता हूूँ। तो जजसने मेर् स़ुन्नत से म़ुूँह
मोडा, िह म़ुझसे नह ं।”
गौर् कीजजए कक जि क
़ु छ सह़ािा ने इिादत क
े
उद्देश्य से द़ुननया से कट जाने की इच्छा प्रकट की,
तो उनक
े िार्े में यह कठोर् िात कह गई और्
उनक
े काम को स़ुन्नत से म़ुूँह मोडना िताया गया।
ऐसे में अन्य बिद्अतों और् सह़ािा क
े अनतरर्क्त
अन्य लोगों क
े िार्े में आपका क्या विचार् है?
41
अल्लाह तआला क
े फमारन ۡ‫م‬ِ‫ق‬َ‫أ‬َ‫ف‬
‫يف‬ِ‫ن‬َ‫ح‬ ِ‫ِّين‬‫د‬‫ل‬ِ‫ل‬ َ‫ك‬َ‫ه‬ ۡ
‫ج‬َ‫و‬
‫ا‬ का िर्रन
अल्लाह तआला का फमारन हैाः
42
﴿
‫ي‬‫ِم‬‫ق‬
َ
‫أ‬
َ
‫ف‬
‫ِيف‬‫ن‬َ‫ح‬ ِ‫ِين‬‫ِل‬‫ل‬
َ
‫ك‬َ‫ه‬‫ي‬‫ج‬َ‫و‬
َ
‫ت‬َ‫ر‬ ‫ي‬
‫ِط‬‫ف‬ ۡۚ‫ا‬
‫ٱ‬
ۡۚ‫ا‬َ‫ه‬‫ي‬‫ي‬
َ
‫ل‬
َ
‫ع‬ َ
‫اس‬َّ‫ٱنل‬ َ‫ر‬ َ
‫ط‬
َ
‫ف‬ ِ
‫ِت‬
َّ
‫ٱل‬ ِ
َّ
‫َّلل‬
َ
‫َل‬ ِ
‫اس‬َّ‫ٱنل‬ َ َ
‫َث‬
‫ي‬
‫ك‬
َ
‫أ‬ َّ‫ن‬ِ‫ك‬ََٰ
‫ل‬َ‫و‬ ُ‫م‬ِ‫ي‬
َ
‫ق‬
‫ي‬
‫ٱل‬ ُ‫ِين‬‫ٱدل‬
َ
‫ِك‬‫ل‬ََٰ
‫ذ‬ ِۡۚ
َّ
‫ٱَّلل‬ ِ‫ق‬
‫ي‬
‫ل‬َ ِ
‫ِل‬
َ
‫ِيل‬‫د‬‫ي‬‫ب‬
َ
‫ت‬
َ
‫َل‬
َ
‫ون‬ُ‫م‬
َ
‫ل‬‫ي‬‫ع‬َ‫ي‬
﴾
28
“आप एकांत होकर् अपना म़ुूँह द न की ओर् कर् लें।
(यह ) अल्लाह तआला की िह कफतर्त (प्रकृ नत) (है),
जजस पर् उसने लोगों को पैदा ककया है। अल्लाह की
सृजष्ट को िदलना नह ं है। यह सीधा द न है, ककन्त़ु
अधधकांश लोग नह ं जानते।”
तथा फर्मायााः
﴿
ِ
‫ه‬َٰ َ‫ر‬‫ي‬‫ب‬ِ‫إ‬
ٓ
‫ا‬َ‫ه‬ِ‫ب‬ َٰ َّ
‫َّص‬َ‫و‬َ‫و‬
ۧ
ُ‫م‬
َ‫ِين‬‫ٱدل‬ ُ‫م‬
ُ
‫ك‬
َ
‫ل‬ َٰ َ
‫َف‬ َ‫ط‬ ‫ي‬
‫ٱص‬ َ َّ
‫ٱَّلل‬
َّ
‫ن‬ِ‫إ‬ َّ
ِ
‫ِن‬َ‫ب‬َٰ َ
‫ي‬ ُ
‫وب‬
ُ
‫ق‬‫ي‬‫ع‬َ‫ي‬َ‫و‬ ِ‫ه‬‫ي‬ِ‫ن‬َ‫ب‬
َ
‫ون‬ُ‫ِم‬‫ل‬ ‫ي‬‫س‬ُّ‫م‬ ‫م‬ُ‫نت‬
َ
‫أ‬َ‫و‬
َّ
‫َل‬ِ‫إ‬ َّ‫ن‬
ُ
‫وت‬ُ‫م‬
َ
‫ت‬
َ
‫َل‬
َ
‫ف‬
﴾
29
“और् इसी इब्राह मी धमर की िसीयत इब्राह म ने
और् याक
ू ि ने अपनी-अपनी संतान को की कक ऐ
मेर्े िेटो! अल्लाह तआला ने त़ुम्हार्े ललए इस धमर
को पसन्द कर् ललया है। तो सािधान! त़ुम
म़ुसलमान होकर् ह मर्ना।”
28 सूर्ह अर््-रूमाः 30
29 सूर्ह अल्-िकर्ााः 1 32
43
तथा अल्लाह तआला ने फर्मायााः
﴿
‫ِيف‬‫ن‬َ‫ح‬ َ‫ِيم‬‫ه‬َٰ َ‫ر‬‫ي‬‫ب‬ِ‫إ‬
َ
‫ة‬
َّ
‫ِل‬‫م‬ ‫ي‬‫ع‬ِ‫ب‬
َّ
‫ٱت‬ ِ‫ن‬
َ
‫أ‬
َ
‫ك‬‫ي‬ َ
‫ۡل‬ِ‫إ‬
ٓ
‫ا‬َ‫ن‬‫ي‬‫ي‬َ‫ح‬‫ي‬‫و‬
َ
‫أ‬ َّ‫م‬
ُ
‫ث‬
َ
‫َك‬ ‫ا‬َ‫م‬َ‫و‬ ۡۖ‫ا‬
َ
‫ن‬
َ‫ِۡي‬‫ك‬ِ
‫ي‬
‫ۡش‬ُ‫م‬
‫ي‬
‫ٱل‬ َ‫ِن‬‫م‬
﴾
30
“किर् हमने आपकी ओर् यह िह़्य भेजी कक आप
लमल्लते इब्राह मी का अऩुसर्र् कीजजए, जो कक
म़ुिजह़्ह़द (एक
े श्िर्िाद ) थे और् म़ुधश्रकों में से न
थे।”
इब्ने मस्ऊद र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ु से िर्र्रत है कक
पैगम्िर् सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम ने फर्मायााः
“प्रत्येक निी क
े अजम्िया में से क
़ु छ दोस्त होते हैं
और् उनमें से मेर्े दोस्त इब्राह म हैं, जो मेर्े िाप
और् मेर्े पालनहार् क
े खल ल (दोस्त) हैं।” इसक
े
िाद आपने यह आयत पढ ाः
﴿
َ‫ِين‬
َّ
‫ٱَّل‬َ‫و‬ ُّ
ِ
‫ِب‬َّ‫ٱنل‬ ‫ا‬
َ
‫ذ‬َٰ َ
‫ه‬َ‫و‬ ُ‫وه‬ُ‫ع‬َ‫ب‬
َّ
‫ٱت‬ َ‫ِين‬
َّ
‫َّل‬
َ
‫ل‬ َ‫ِيم‬‫ه‬َٰ َ‫ر‬‫ي‬‫ب‬ِ‫إ‬ِ‫ب‬ ِ
‫اس‬َّ‫ٱنل‬
َ
‫َل‬‫ي‬‫و‬
َ
‫أ‬
َّ
‫ن‬ِ‫إ‬
َ‫ِۡي‬‫ن‬ِ‫م‬
‫ي‬
‫ؤ‬ُ‫م‬
‫ي‬
‫ٱل‬ ُّ
ِ
‫َل‬َ‫و‬ ُ َّ
‫ٱَّلل‬َ‫و‬ ْۗ
ْ
‫وا‬ُ‫ن‬َ‫ام‬َ‫ء‬
﴾
31
30 सूर्ह अन ्-नह़्लाः 1 23
31 सूर्ह आले इम्रानाः 68
44
“सिसे अधधक इब्राह म से ननकट िह लोग हैं,
जजन्होंने उनका अऩुसर्र् ककया और् यह निी और्
िह लोग जो ईमान लाए, और् मोलमनों का दोस्त
अल्लाह है।”
इस ह़द स को नतलमऱिी ने रर्िायत ककया है।
अिू ह़ुर्ैर्ा र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ु से रर्िायत है, िह
ियान कर्ते हैं कक र्सूल़ुल्लाह सल्लल्लाह़ु अलैदह ि
सल्लम ने फर्मायााः
“अल्लाह तआला त़ुम्हार्ा शर् र् और् त़ुम्हार्ा धन
नह ं देखता, िजल्क त़ुम्हार्ा ददल और् त़ुम्हार्ा कायर
देखता है।”
ि़ुखार् एिं म़ुजस्लम में इब्ने मस्ऊद र्ज़ियल्लाह़ु
अन्ह़ु से िर्र्रत है, िह कहते हैं कक पैगम्िर्
सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम ने फर्मायााः
“मैं ह़ौ़िे-कौसर् पर् त़ुम सिसे पहले उपजस्थत
र्हूूँगा। मेर्े पास मेर् उम्मत क
े क
़ु छ लोग उपजस्थत
होंगे। जि मैं उन्हें देने क
े ललए िढूूँगा, तो िह
म़ुझसे र्ोक ददए जाएंगे। मैं कहूूँगााः ऐ मेर्े
45
पालनहार्! यह तो मेर् उम्मत क
े लोग हैं! म़ुझसे
कहा जाएगा कक आपको पता नह ं कक आपक
े िाद
इन्होंने क्या-क्या बिद्अतें आविष्कार् कर् ल थीं।”
और् ि़ुखार् एिं म़ुजस्लम में अिू ह़ुर्ैर्ा र्ज़ियल्लाह़ु
अन्ह़ु से िर्र्रत है कक पैगम्िर् सल्लल्लाह़ु अलैदह ि
सल्लम ने फर्मायााः
“मेर् इच्छा थी कक हम अपने भाईयों को देख लेते”
सह़ािा ने कहा कक ऐ अल्लाह क
े पैगम्िर्! क्या हम
आपक
े भाई नह ं? फर्मायााः “त़ुम मेर्े असह़ाि
(साथी) हो। मेर्े भाई िह हैं, जो अि तक नह ं
आए।” सह़ािा ने कहा कक ऐ अल्लाह क
े पैगम्िर्!
आपकी उम्मत क
े जो लोग अभी तक पैदा नह ं ह़ुए,
आप उन्हें क
ै से पहचान लेंगे? फर्मायााः “क्या अनत
श्िेत और् काले घोडों क
े िीच अगर् ककसी का
चमकदार् माथा और् सफ
े द पाूँि िाला घोडा हो, तो
क्या िह अपना घोडा नह ं पहचान पायेगा?” उन्होंने
उत्तर् ददयााः हाूँ, क्यों नह ं? तो आपने फर्मायााः
“मेर् उम्मत भी कयामत क
े ददन इस प्रकार्
उपजस्थत होगी कक ि़ु़ि़ु क
े प्रभाि से उनक
े चेहर्े
46
और् अन्य ि़ु़ि़ु क
े स्थान चमक र्हे होंगे। मैं हौ़िे
कौसर् पर् पहले से उनकी प्रतीिा कर् र्हा हूूँगा।
स़ुनो! कयामत क
े ददन क
़ु छ लोग मेर्े ह़ौ़िे कौसर् से
ऐसे ह ध़ुतकार् ददए जाएंगे, जजस प्रकार् पर्ाया ऊ
ूँ ट
ध़ुत्कार् ददया जाता है। मैं उन्हें आिा़ि दूूँगा कक
स़ुनो! इधर् आओ! तो म़ुझसे कहा जाएगा कक यह
िह लोग हैं, जजन्होंने आपक
े िाद द न में परर्ितरन
की थी। मैं कहूूँगा कक किर् तो दूर् हो जाओ! दूर् हो
जाओ!”
और् सह़ ह़ ि़ुखार् में है कक पैगम्िर् सल्लल्लाह़ु
अलैदह ि सल्लम ने फर्मायााः
जजस समय मैं ह़ौ़िे कौसर् पर् र्हूूँगा, एक टोल
प्रकट होगी! जि मैं उन्हें पहचान लूूँगा, तो मेर्े और्
उनक
े िीच से एक आदमी ननकलेगा और् उनसे
कहेगााः इधर् आओ! मैं पूछ
ूूँगााः कहाूँ? िह कहेगााः
अल्लाह की कसम जहन्नम की ओर्! मैं कहूूँगााः
इनका क्या मामला है? िह कहेगााः यह िह लोग हैं,
जो आपक
े िाद द न से किर् गए थे। किर् इसक
े
िाद एक अन्य टोल प्रकट होगी। –इस टोल क
े िार्े
47
में भी आपने िह िात कह , जो पहल टोल क
े िार्े
में कह थी।- इसक
े िाद आपने फर्मायााः इनमें से
मोि प्राप्त कर्ने िालों की संख्या भटक
े ह़ुए ऊ
ूँ टों क
े
समान िह़ुत ह कम होगी।”
और् ि़ुखार् एिं म़ुजस्लम में इब्ने अब्िास
र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ुमा की ह़द स है कक पैगम्िर्
सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम ने फर्मायााः
उस समय मैं भी िह कहूूँगा, जो अल्लाह क
े नेक
(सदाचार् ) िन्दे –ईसा अलैदहस्सलाम- ने कहा थााः
﴿
‫يد‬ِ‫ه‬
َ
‫ش‬ ‫ي‬‫م‬ِ‫ه‬‫ي‬‫ي‬
َ
‫ل‬
َ
‫ع‬ ُ
‫نت‬
ُ
‫ك‬َ‫و‬
َ
‫نت‬
ُ
‫ك‬ ِ
‫ِن‬
َ
‫ت‬‫ي‬‫ي‬
َّ
‫ف‬َ‫و‬
َ
‫ت‬ ‫ا‬َّ‫م‬
َ
‫ل‬
َ
‫ف‬ ۡۖ‫ي‬‫م‬ِ‫ه‬‫ِي‬‫ف‬ ُ
‫ت‬‫ي‬‫م‬
ُ
‫د‬ ‫ا‬َّ‫م‬ ‫ا‬
َ
‫ِيب‬‫ق‬َّ‫ٱلر‬ َ
‫نت‬
َ
‫أ‬
ۡۚ
‫ي‬‫م‬ِ‫ه‬‫ي‬‫ي‬
َ
‫ل‬
َ
‫ع‬
‫ء‬ ‫ي‬ َ
‫َش‬ ِ
ُ
‫ك‬ َٰ َ َ
‫لَع‬ َ
‫نت‬
َ
‫أ‬َ‫و‬
‫يد‬ِ‫ه‬
َ
‫ش‬
﴾
32
“जि तक मैं उनक
े िीच र्हा, उनपर् गिाह र्हा।
किर् जि तूने म़ुझे उठा ललया, तो तू ह उनसे
अिगत र्हा और् तू हर् ची़ि की पूर् सूचना र्खता
है।”
तथा ि़ुखार् एिं म़ुजस्लम में इब्ने अब्िास
र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ुमा से मि
ूर अन रर्िायत हैाः
32 सूर्ह अल्-माइदााः 1 1 7
48
“हर् िच्चा इस्लाम की कफतर्त पर् पैदा होता है।
किर् उसक
े माूँ-िाप उसे ईसाई, यहूद या मजूसी
िना देते हैं। जजस प्रकार् कक चौपाया सम्पूर्र –िे
ऐि- चौपाया जनता है। क्या त़ुम उनमें से कोई
चौपाया ऐसा पाते हो, जजसक
े कान कटे-िटे हों?
यहाूँ तक कक त़ुम ह स्ियं उसक
े कान चीर्-काट देते
हो। इसक
े िाद अिू ह़ुर्ैर्ा र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ु ने यह
आयत पढ ाः
33
﴾ۡۚ‫ا‬َ‫ه‬‫ي‬‫ي‬
َ
‫ل‬
َ
‫ع‬ َ
‫اس‬َّ‫ٱنل‬ َ‫ر‬ َ
‫ط‬
َ
‫ف‬ ِ
‫ِت‬
َّ
‫ٱل‬ ِ
َّ
‫ٱَّلل‬
َ
‫ت‬َ‫ر‬ ‫ي‬
‫ِط‬‫ف‬﴿
“अल्लाह की िह कफतर्त, जजसपर् उसने लोगों को
पैदा ककया है।”
ह़़ु़िैफा र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ु से िर्र्रत है, िह कहते हैं:
“लोग पैगम्िर् सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम से खैर्
–भलाई- क
े विषय में प्रश्न कर्ते थे और् मैं आपसे
शर्र –ि़ुर्ाई- क
े िार्े में पूछता था, इस डर् से कक मैं
उसका लशकार् न हो जाऊ
ूँ । मैंने कहा कक ऐ अल्लाह
क
े पैगम्िर्! हम जादहललयत और् ि़ुर्ाई में पडे ह़ुए
33 सूर्ह अर््-रूमाः 30
49
थे। किर् अल्लाह तआला ने हमें खैर् –भलाई- की
नेमत से सम्माननत ककया। तो क्या इस खैर् क
े िाद
भी किर् कोई ि़ुर्ाई होगी? तो आपने फर्मायााः हाूँ!
मैंने कहााः क्या इस ि़ुर्ाई क
े िाद किर् खैर् का
़िमाना आयेगा? फर्मायााः “हाूँ, ककन्त़ु उसमें खोट
होगी।” मैंने कहा कक क
ै सी खोट होगी? आपने
फर्मायााः “क
़ु छ लोग ऐसे होंगे, जो मेर् स़ुन्नत और्
दहदायत को छोडकर् दूसर्ों का तर् का अपनायेंगे।
त़ुम्हें उनक
े क
़ु छ काम उधचत मालूम होंगे और् क
़ु छ
काम अऩुधचत।” मैंने कहााः क्या इस खैर् क
े िाद
किर् ि़ुर्ाई प्रकट होगी? िर्मायााः हाूँ, भयानक
कफत्ने और् नर्क की ओर् ि़ुलाने िाले लोग पैदा
होंगे। जो उनकी स़ुनेगा, उसे नर्क में झोंक देंगे।”,
मैंने कहााः ऐ अल्लाह क
े पैगम्िर्! आप हमें उनक
े
औसाफ िता दें। फर्मायााः “िह हममें से ह होंगे
और् हमार् ह भाषा में िात कर्ेंगे।” मैंने कहााः ऐ
अल्लाह क
े पैगम्िर्! यदद यह समय म़ुझे लमल
जाए, तो आप म़ुझे क्या आदेश देते हैं? फर्मायााः
म़ुसलमानों की जमाअत और् उनक
े इमाम क
े साथ
ज़ुडे र्हना।” मैंने कहा कक अगर् उस समय
50
म़ुसलमानों की कोई जमाअत और् उनका इमाम न
हो, तो क्या करू
ूँ ? फर्मायााः “किर् इन सभी कफकों
से अलग र्हना, चाहे त़ुम्हें ककसी पेड की जड से
धचमटना ह क्यों न पड जाए, यहाूँ तक कक इसी
ह़ालत में त़ुम्हार् मृत्य़ु हो जाए।”
इस ह़द स को ि़ुखार् एिं म़ुजस्लम ने रर्िायत ककया
है, ककन्त़ु म़ुजस्लम की रर्िायत में इतनी िृजध्द हैाः
“इसक
े िाद क्या होगा? फर्मयााः “किर् दज्जाल
प्रकट होगा। उसक
े साथ एक नहर् और् एक
जहन्नम होगी। जो उसकी जहन्नम में प्रिेश कर्ेगा,
उसका अज्र साबित हो जाएगा और् ग़ुनाह माि हो
जाएंगे। और् जो उसकी नहर् में प्रिेश कर्ेगा, उसका
ग़ुनाह िाजजि और् अज्र समाप्त हो जाएगा।” मैंने
कहााः किर् इसक
े िाद क्या होगा? िर्मायााः “इसक
े
िाद कयामत आ जाएगी।”
अि़ुल आललया फर्माते हैाः
“इस्लाम की लशिा प्राप्त कर्ो। जि इस्लाम की
लशिा प्राप्त कर् लो, तो इससे म़ुूँह न मोडो। सीधे
मागर पर् चलते र्हो, क्योंकक यह इस्लाम है। इसे
51
छोडकर् दाएं-िाएं न म़ुडो। और् अपने निी
सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम की स़ुन्नत पर् अमल
कर्ते र्हो और् असत्य और् भ्रष्ट अकायद और्
बिद्अतों क
े ननकट न जाओ।”
अि़ुल आललया –र्ह़मत़ुल्लादह अलैदह- क
े इस कथन
पर् गौर् कर्ो। ककतना ऊ
ूँ चा कथन है! और् उनक
े
उस समय का स्मर्र् कर्ो, जजसमें िह इन भ्रष्ट
अकाइद एिं बिद्अतों से सािधान कर् र्हे हैं कक जो
इन गलत अकाइद एिं बिद्अतों में पड जाए, िह
मानो कक इस्लाम से किर् गया। ककस प्रकार् उन्होंने
इस्लाम की व्याख्या स़ुन्नत –ह़द स- से की है।
उनका िडे-िडे और् विद्िान तािेईन क
े िार्े में
ककताि ि स़ुन्नत क
े दायर्े से ननकलने का डर्
अल्लाह तआला क
े इस फमारन का अथर स्पष्ट कर्
देता हैाः
﴿
َ
‫ال‬
َ
‫ق‬ ۡۖ‫ي‬‫ِم‬‫ل‬‫ي‬‫س‬
َ
‫أ‬ ٓ‫ۥ‬ُ‫ه‬ُّ‫ب‬َ‫ر‬ ‫ۥ‬ُ َ
‫ِل‬
َ
‫ال‬
َ
‫ق‬
‫ي‬
‫ذ‬ِ‫إ‬
َ‫ۡي‬ِ‫م‬
َ
‫ل‬َٰ َ
‫ع‬
‫ي‬
‫ٱل‬ ِ
‫ب‬َ‫ِر‬‫ل‬ ُ
‫ت‬‫ي‬‫م‬
َ
‫ل‬‫ي‬‫س‬
َ
‫أ‬
﴾
34
34 सूर्ह अल्-िकर्ााः 1 31
52
“जि उनक
े पालनहार् ने उनसे कहा कक आज्ञाकार्
हो जाओ, तो उन्होंने कहा कक मैं अल्लाह र्ब्ि़ुल
आलमीन का आज्ञाकार् हो गया।”
और् इस फमारन क
े अथर को भीाः
﴿
ِ
‫ه‬َٰ َ‫ر‬‫ي‬‫ب‬ِ‫إ‬
ٓ
‫ا‬َ‫ه‬ِ‫ب‬ َٰ َّ
‫َّص‬َ‫و‬َ‫و‬
ۧ
ُ‫م‬
َ َّ
‫ٱَّلل‬
َّ
‫ن‬ِ‫إ‬ َّ
ِ
‫ِن‬َ‫ب‬َٰ َ
‫ي‬ ُ
‫وب‬
ُ
‫ق‬‫ي‬‫ع‬َ‫ي‬َ‫و‬ ِ‫ه‬‫ي‬ِ‫ن‬َ‫ب‬
َ‫ِين‬‫ٱدل‬ ُ‫م‬
ُ
‫ك‬
َ
‫ل‬ َٰ َ
‫َف‬ َ‫ط‬ ‫ي‬
‫ٱص‬
َ
‫ون‬ُ‫ِم‬‫ل‬ ‫ي‬‫س‬ُّ‫م‬ ‫م‬ُ‫نت‬
َ
‫أ‬َ‫و‬
َّ
‫َل‬ِ‫إ‬ َّ‫ن‬
ُ
‫وت‬ُ‫م‬
َ
‫ت‬
َ
‫َل‬
َ
‫ف‬
﴾
35
“इसी िात की िसीयत इब्राह न ने और् याक
ू ि ने
अपनी-अपनी संतान को की कक ऐ मेर्े िेटो! अल्लाह
ने त़ुम्हार्े ललए इस धमर को पसन्द कर् ललया है, तो
त़ुम म़ुसलमान होकर् ह मर्ना।”
तथा इस िमारन क
े अथर को भीाः
﴿
ِ
‫ه‬َٰ َ‫ر‬‫ي‬‫ب‬ِ‫إ‬ ِ‫ة‬
َّ
‫ِل‬‫م‬ ‫ن‬
َ
‫ع‬ ُ
‫ب‬
َ
‫غ‬‫ي‬‫ر‬َ‫ي‬ ‫ن‬َ‫م‬َ‫و‬
ۧ
ُ‫ه‬ َ‫س‬
‫ي‬
‫ف‬
َ
‫ن‬ َ‫ه‬ِ‫ف‬َ‫س‬ ‫ن‬َ‫م‬
َّ
‫َل‬ِ‫إ‬ َ‫م‬
﴾
36
“और् इब्राह म क
े धमर से िह म़ुूँह मोडेगा, जो मूखर
होगा।”
35 सूर्ह अल्-िकर्ााः 1 32
36 सूर्ह िकर्हाः 1 30
53
इसी प्रकार् की और् भी मूल िातें ज्ञात होंगी, जो
मूल आधार् की ि़ुननयाद र्खती हैं, पर्न्त़ु लोग
इनसे ननश्चेत हैं। अि़ुल-आललया क
े कथन पर् गौर्
कर्ने से इस अध्याय में िर्र्रत ह़द सों और् इन
जैसी अन्य ह़द सों का भी अथर स्पष्ट हो जाएगा।
पर्न्त़ु जो व्यजक्त यह और् इन जैसी अन्य आयतों
और् ह़द सों को पढकर् ग़ु़िर् जाए और् इस िात से
संत़ुष्ट हो कक िह इन खतर्ों का लशकार् नह ं होगा
और् सोचे कक इसका सम्िन्ध ऐसे लोगों से है, जो
कभी थे और् अि समाप्त हो गए हैं, तो जान
जाइये कक यह व्यजक्त भी अल्लाह तआला की पकड
से ननडर् है और् अल्लाह की पकड से िह लोग
ननडर् होते हैं, जो घाटा उठाने िाले हैं।
और् अब्द़ुल्लाह बिन मस्ऊद र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ु से
िर्र्रत है, िह कहते हैं कक अल्लाह क
े पैगम्िर्
सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम ने एक लकीर् खींची
और् फर्मायााः “यह अल्लाह का सीधा मागर है।”
किर् उस लकीर् क
े दाएं-िाएं कई लकीर्ें खींचीं और्
फर्मायााः “यह ऐसे मागर हैं, जजनमें से हर् मागर पर्
54
शैतान िैठा ह़ुआ है और् अपनी ओर् ि़ुला र्हा है।”
इसक
े िाद आपने इस आयत की नतलाित कीाः
﴿
‫يم‬ِ‫ق‬َ‫ت‬ ‫ي‬‫س‬ُ‫م‬ ِ
‫ِط‬َٰ َ‫ر‬ ِ‫ص‬ ‫ا‬
َ
‫ذ‬َٰ َ
‫ه‬
َّ
‫ن‬
َ
‫أ‬َ‫و‬
ِ‫ب‬
َّ
‫ٱت‬
َ
‫ف‬ ‫ا‬
َ
‫ل‬ُ‫ب‬ ُّ‫ٱلس‬
ْ
‫وا‬ُ‫ع‬ِ‫ب‬
َّ
‫ت‬
َ
‫ت‬
َ
‫َل‬َ‫و‬ ُۡۖ‫وه‬ُ‫ع‬
‫ي‬‫م‬
ُ
‫ك‬
َّ
‫ل‬َ‫ع‬
َ
‫ل‬ ‫ِۦ‬‫ه‬ِ‫ب‬ ‫م‬
ُ
‫ك‬َٰ‫ى‬ َّ
‫ص‬َ‫و‬ ‫ي‬‫م‬
ُ
‫ِك‬‫ل‬ََٰ
‫ذ‬ ۡۚ
‫ِۦ‬‫ه‬ِ‫ل‬‫ي‬ِ‫ب‬َ‫س‬ ‫ن‬
َ
‫ع‬ ‫ي‬‫م‬
ُ
‫ك‬ِ‫ب‬
َ
‫ق‬َّ‫ر‬
َ
‫ف‬َ‫ت‬
َ
‫ف‬
َ
‫ون‬
ُ
‫ق‬َّ‫ت‬
َ
‫ت‬
37
﴾
“और् यह मेर्ा सीधा मागर है, तो त़ुम इसी पर्
चलो, और् दूसर्े मागों पर् मत चलो कक िह त़ुम्हें
अल्लाह क
े मागर से अलग कर् देंगे, इसी का
अल्लाह तआला ने त़ुमको ताकीद आदेश ददया है
ताकक त़ुम पर्हे़िगार् (ईशभय र्खने िाले) िनो।”
इस ह़द स को इमाम अह़मद और् नसाई ने रर्िायत
ककया है।
37 सूर्ह अल-अन ्आमाः1 53
55
इस्लाम की अजनबियत और्
ग़ुर्िा (अजनबियों) की विशेषता
अल्लाह तआला का फमारन हैाः
﴿
‫ة‬َّ‫ي‬ِ‫ق‬َ‫ب‬
ْ
‫وا‬
ُ
‫ل‬ْ‫و‬
ُ
‫أ‬ ‫ي‬‫م‬
ُ
‫ِك‬‫ل‬‫ي‬‫ب‬
َ
‫ق‬ ‫ِن‬‫م‬ ِ‫ون‬ُ‫ر‬
ُ
‫ق‬
‫ي‬
‫ٱل‬ َ‫ِن‬‫م‬
َ
‫ن‬
َ
‫َك‬
َ
‫َل‬‫ي‬‫و‬
َ
‫ل‬
َ
‫ف‬
َ
‫ن‬‫ي‬‫و‬َ‫ه‬
‫ي‬
‫ن‬َ‫ي‬
‫ِيَل‬‫ل‬
َ
‫ق‬
َّ
‫َل‬ِ‫إ‬ ِ
‫ۡرض‬
َ ‫ي‬
‫ٱۡل‬ ِ
‫ِف‬ ِ‫د‬‫ا‬ َ‫س‬
َ
‫ف‬
‫ي‬
‫ٱل‬ ِ‫ن‬
َ
‫ع‬
َ‫ع‬َ‫ب‬
َّ
‫ٱت‬َ‫و‬ ْۗ‫ي‬‫م‬ُ‫ه‬
‫ي‬
‫ِن‬‫م‬ ‫ا‬َ‫ن‬‫ي‬‫ي‬َ‫جن‬
َ
‫أ‬ ‫ي‬‫ن‬َّ‫ِم‬‫م‬
ْ
‫وا‬
ُ
‫ف‬ِ‫ر‬
‫ي‬
‫ت‬
ُ
‫أ‬
ٓ
‫ا‬َ‫م‬
ْ
‫وا‬ُ‫م‬
َ
‫ل‬
َ
‫ظ‬ َ‫ِين‬
َّ
‫ٱَّل‬
َ‫ِۡي‬‫م‬ِ‫ر‬
‫ي‬ ُ
‫ُم‬
ْ
‫وا‬
ُ
‫ن‬
َ
‫َك‬َ‫و‬ ِ‫ه‬‫ِي‬‫ف‬
﴾
38
38 सूर्ह हूदाः 1 1 6
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इस्लाम धर्म की विशेषता

  • 2. इस्लाम की विशेषता लेखक शैख़ुल इस्लाम म़ुह़म्मद बिन अब्द़ुल िह्हाि अऩुिाद अताउर्रह़मान ज़ियाउल्लाह संशोधन शफीक ़ु र्रह़मान ज़ियाउल्लाह मदनी
  • 3. ‫اإلسالم‬ ‫فضل‬ ( ‫باللغة‬ ‫اهلندية‬ ) :‫تأيلف‬ ‫عبدالوهاب‬ ‫بن‬ ‫حممد‬ ‫اإلسالم‬ ‫شيخ‬ ‫اهلل‬ ‫ضياء‬ ‫الرمحن‬ ‫عطاء‬ :‫ترمجة‬ ‫املدىن‬ ‫اهلل‬ ‫ضياء‬ ‫الرمحن‬ ‫شفيق‬ :‫مراجعة‬
  • 4. 1 विषय सूची संक्षिप्त परर्चय ......................................................3 इस्लाम की विशेषता.............................................4 इस्लाम स्िीकार् कर्ने की अननिायरता.............10 इस्लाम की व्याख्या...............................................15 अल्लाह तआला क े फमारन ‫ن‬َ‫م‬َ‫و‬ ‫َغ‬‫ت‬ۡ‫ب‬َ‫ي‬ َ‫ر‬ۡ‫َي‬‫غ‬ ‫ٱ‬ ‫م‬ََٰ‫ل‬ ۡ‫س‬ ۡ ‫ۡل‬ ‫ين‬‫د‬ ‫ا‬ ‫ن‬َ‫ل‬َ‫ف‬ َ‫ل‬َ‫ب‬ۡ‫ُق‬‫ي‬ ُ‫ه‬ۡ‫ن‬‫م‬ की व्याख्या...........................................19 ककताि़ुल्लाह की पैर्िी कर्क े उसक े अनतरर्क्त अन्य िस्त़ुओं से िेननया़ि होने की अननिायरता 22 इस्लाम क े दािा से ननकल जाने का िर्रन ...............24 इस्लाम में सम्पूर्र रूप से प्रिेश कर्ने और् उसक े अनतरर्क्त अन्य धमों क े परर्त्याग की अननिायरता 27 बिद्अत िडे-िडे ग़ुनाहों से भी अधधक सख़्त......32 अल्लाह तआला बिद्अती की तौिा स्िीकार् नह ं कर्ता ............................................................................35 अल्लाह तआला क े फमारन َ‫ل‬ۡ‫ه‬َ‫أ‬َََٰٰٓ‫ي‬ ‫ٱ‬ ‫ب‬ََٰ‫ت‬‫ك‬ۡ‫ل‬ َ‫م‬‫ل‬ َ‫جُّون‬َٰٓ‫ا‬َ‫ح‬ُ‫ت‬ َٰٓ‫ي‬‫ف‬ َ‫م‬‫ي‬‫ه‬ ََٰ‫ر‬ۡ‫ب‬‫إ‬ ..... ‫ا‬َ‫م‬َ‫و‬ َ‫ان‬َ‫ك‬ َ‫ن‬‫م‬ ‫ٱ‬ َ‫ين‬‫ك‬‫ر‬ ۡ‫ش‬ُ‫م‬ۡ‫ل‬ का िर्रन..................37
  • 5. 2 अल्लाह तआला क े फमारन ۡ‫م‬‫ق‬َ‫أ‬َ‫ف‬ َ‫ك‬َ‫ه‬ ۡ ‫ج‬َ‫و‬ ‫ِّين‬‫د‬‫ل‬‫ل‬ ‫يف‬‫ن‬َ‫ح‬ ‫ا‬ का िर्रन .......................................................41 इस्लाम की अजनबियत और् ग़ुर्िा (अजनबियों) की विशेषता ...............................................................55 बिद्अतों पर् चेतािनी..........................................62
  • 6. 3 संक्षिप्त परर्चय इस्लाम की विशेषतााः इस प़ुस्तक में इस्लाम धमर की विशेषता तथा इस तथ्य का िर्रन है कक इस्लाम सिरश्रेष्ट धमर है। यह िह ईश्िर् य धमर है, जजसक े बिना ककसी भी मऩुष्य को सौभाग्य और् नजात प्राप्त नह ं हो सकती। अताः समस्त लोगों पर् इस्लाम को स्िीकार् कर्ना और् उसक े अनतरर्क्त अन्य धमों को त्याग देना अननिायर है। जो व्यजक्त इस्लाम को छोडकर् कोई अन्य धमर तलाश कर्ेगा, तो अल्लाह तआला उसको कदावप स्िीकार् नह ं कर्ेगा। इस िात का भी उल्लेख है कक बिद्अत िडे- िडे ग़ुनाहों से भी भीषर् और् भयंकर् है। इसललए बिद्अतों से दूर् र्हना अननिायर है। तथा जजस प्रकार् आर्म्भ में इस्लाम क े अऩुयायी थोडे थे, उसी प्रकार् अन्त में भी इसक े मानने िाले कम हो जायेंगे। अताः उस समय इस्लाम पर् जमे र्हने क े ललए श़ुभ सूचना है।
  • 7. 4 ‫الرحيم‬ ‫الرحمن‬ ‫هللا‬ ‫بسم‬ अल्लाह क े नाम से आर्म्भ कर्ता हूूँ, जो अनत मेहर्िान और् दयाल़ु है। इस्लाम की विशेषता अल्लाह तआला का फर्मान हैाः ﴿ ُ ‫يت‬ ِ‫ض‬َ‫ر‬َ‫و‬ ِ ‫ِت‬َ‫م‬‫ي‬‫ِع‬‫ن‬ ‫ي‬‫م‬ ُ ‫ك‬‫ي‬‫ي‬ َ ‫ل‬ َ ‫ع‬ ُ ‫ت‬‫ي‬‫م‬َ‫م‬ ‫ي‬ ‫ت‬ َ ‫أ‬َ‫و‬ ‫ي‬‫م‬ ُ ‫ك‬َ‫ِين‬‫د‬ ‫ي‬‫م‬ ُ ‫ك‬ َ ‫ل‬ ُ ‫ت‬ ‫ي‬ ‫ل‬َ‫م‬ ‫ي‬ ‫ك‬ َ ‫أ‬ َ‫م‬‫ي‬‫و‬َ ‫ي‬ ‫ٱۡل‬ ‫ِين‬‫د‬ َ‫م‬َٰ َ ‫ل‬‫ي‬‫س‬ِ ‫ي‬ ‫ٱۡل‬ ُ‫م‬ ُ ‫ك‬ َ ‫ل‬ ‫ا‬ 1 ﴾ “आज मैंने त़ुम्हार्े ललए त़ुम्हार्े धमर को सम्पूर्र कर् ददया, अपनी नेमतें त़ुमपर् पूर् कर् द ं और् इस्लाम को त़ुम्हार्े ललए धमर स्िरूप पसन्द कर् ललया।” तथा फर्मायााः 1 सूर्ह अल-माइदााः3
  • 8. 5 ﴿ ‫ك‬ َ ‫ش‬ ِ ‫ِف‬ ‫ي‬‫م‬ُ‫نت‬ ُ ‫ك‬ ‫ن‬ِ‫إ‬ ُ ‫اس‬َّ‫ٱنل‬ ‫ا‬َ‫ه‬ُّ‫ي‬ َ ‫أ‬َٰٓ َ ‫ي‬ ‫ي‬ ‫ل‬ ُ ‫ق‬ َ‫ِين‬ َّ ‫ٱَّل‬ ُ‫د‬ُ‫ب‬ ‫ي‬ ‫ع‬ َ ‫أ‬ ٓ َ ‫َل‬ َ ‫ف‬ ِ ‫ِيِن‬‫د‬ ‫ِن‬‫م‬ ۡۖ‫ي‬‫م‬ ُ ‫ك‬َٰ‫ى‬ َّ ‫ف‬َ‫و‬َ‫ت‬َ‫ي‬ ‫ِي‬ َّ ‫ٱَّل‬ َ َّ ‫ٱَّلل‬ ُ‫د‬ُ‫ب‬ ‫ي‬ ‫ع‬ َ ‫أ‬ ‫ي‬‫ن‬ِ‫ك‬ََٰ ‫ل‬َ‫و‬ ِ َّ ‫ٱَّلل‬ ِ‫ون‬ ُ ‫د‬ ‫ِن‬‫م‬ َ ‫ون‬ُ‫د‬ُ‫ب‬‫ي‬‫ع‬ َ ‫ت‬ 2 ﴾ “आप कह द जजए कक ऐ लोगो! यदद त़ुम मेर्े धमर क े प्रनत संदेह में हो, तो मैं उनकी उपासना नह ं कर्ता, जजनकी उपासना त़ुम अल्लाह को छोडकर् कर्ते हो। ककन्त़ु मैं उस अल्लाह की उपासना कर्ता हूूँ, जो त़ुम्हें मृत्य़ु देता है।” तथा अल्लाह तआला ने फर्मायााः ﴿ ْ ‫وا‬ ُ ‫ق‬ َّ ‫ٱت‬ ْ ‫وا‬ُ‫ن‬َ‫ام‬َ‫ء‬ َ‫ِين‬ َّ ‫ٱَّل‬ ‫ا‬َ‫ه‬ُّ‫ي‬ َ ‫أ‬َٰٓ َ ‫ي‬ ‫ِن‬‫م‬ ِ ‫ي‬ ‫ۡي‬ َ ‫ل‬ ‫ي‬ ‫ِف‬‫ك‬ ‫ي‬‫م‬ ُ ‫ِك‬‫ت‬ ‫ي‬ ‫ؤ‬ُ‫ي‬ ‫ِۦ‬ ِ ‫وِل‬ُ‫س‬َ‫ر‬ِ‫ب‬ ْ ‫وا‬ُ‫ِن‬‫م‬‫ا‬َ‫ء‬َ‫و‬ َ َّ ‫ٱَّلل‬ ٞ‫ور‬ ُ ‫ف‬ َ ‫غ‬ ُ َّ ‫ٱَّلل‬َ‫و‬ ۡۚ ‫ي‬‫م‬ ُ ‫ك‬ َ ‫ل‬ ‫ي‬‫ر‬ِ‫ف‬ ‫ي‬ ‫غ‬َ‫ي‬َ‫و‬ ‫ِۦ‬‫ه‬ِ‫ب‬ َ ‫ون‬ ُ ‫ش‬‫ي‬‫م‬ َ ‫ت‬ ‫ا‬‫ور‬ ُ ‫ن‬ ‫ي‬‫م‬ ُ ‫ك‬ َّ ‫ل‬ ‫ل‬َ‫ع‬‫ي‬‫ج‬َ‫ي‬َ‫و‬ ‫ِۦ‬‫ه‬ِ‫ت‬َ ‫ي‬ ‫ۡح‬َّ‫ر‬ ٞ‫ِيم‬‫ح‬َّ‫ر‬ 3 ﴾ “ऐ ईमान िालो! अल्लाह से डर्ते र्हो और् उसक े पैगम्िर् पर् ईमान लाओ। अल्लाह त़ुम्हें अपनी र्ह़मत (कृ पा) का दोहर्ा भाग देगा और् त़ुम्हें नूर् (प्रकाश) प्रदान कर्ेगा, जजसक े प्रकाश में त़ुम चलो- 2 सूर्ह यूऩुसाः1 04 3 सूर्ा अल-ह़द दाः28
  • 9. 6 किर्ोगे और् त़ुम्हार्े ग़ुनाह भी िमा कर् देगा। अल्लाह िमा कर्ने िाला दयाल़ु है।” सह़ ह़ ि़ुखार् में अब्द़ुल्लाह बिन उमर् र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ुमा से िर्र्रत है कक पैगम्िर् सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम ने फर्मायााः “त़ुम्हार्ा तथी यहूददयों और् ईसाइयों का उदाहर्र् उस आदमी क े समान है, जजसने म़िदूर् पर् क ़ु छ म़िदूर् र्खे और् कहा कक कौन स़ुिह़ से दोपहर् तक मेर्ा काम एक कीर्ात पर् कर्ेगा? तो यहूददयों ने काम ककया। कफर् उसने कहा कक कौन दोपहर् से अस्र तक मेर्ा काम एक कीर्ात पर् कर्ेगा? तो ईसाइयों ने काम ककया। किर् उसने कहा कक कौन अस्र की नमा़ि से सूर्ज डूिने तक दो कीर्ात पर् कर्ेगा? तो िह (अथारत इस दलमरयान काम कर्ने िाले) त़ुम लोग हो। इस पर् यहूद और् ईसाई क्रोधधत हो गये और् कहने लगे कक यह क्या िात ह़ुई? काम तो हम अधधक कर्ें, पर् म़िदूर् कम पायें? तो उसने कहााः क्या मैंने त़ुम्हार्ा क ़ु छ ह़क
  • 10. 7 मार् ललया है? िह िोलेाः नह ं। तो उसने कहा कक यह मेर्ा फज़्ल (कृ पा) है, जजसे चाहूूँ, दूूँ।” तथा सह़ ह़ ि़ुखार् में अिू ह़ुर्ैर्ा र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ु से िर्र्रत है, िह ियान कर्ते हैं कक पैगम्िर् सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम ने फर्मायााः “अल्लाह तआला ने हमसे पहले लोगों को ज़ुमे क े ददन से िंधचत र्खा। च़ुनांचे यहूददयों क े भाग में शननिार् का ददन आया और् ईसाइयों क े भाग में र्वििार् का। किर् अल्लाह तआला ने हमें िर्पा ककया और् ज़ुमे क े ददन से निा़िा। बिल्क ़ु ल ऐसे ह , िह कयामत क े ददन भी हमसे पीछे होंगे। हम द़ुननया में अन्त में आये, ककन्त़ु कयामत क े ददन सिसे आगे होंगे।” और् सह़ ह़ ि़ुखार् में निी सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम से ताल कन िर्र्रत है कक आपने फर्मायााः “अल्लाह क े ननकट सिसे पसंद दा और् सर्ल धमर लमल्लते इब्राह मी है।”
  • 11. 8 उिै बिन कअि र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ु से िर्र्रत है, उन्होंने फर्मायााः “त़ुम लोग स़ुन्नत और् लसर्ाते म़ुस्तकीम –सीधे मागर- पर् चलते र्हो। क्योंकक ऐसा नह ं हो सकता कक कोई व्यजक्त स़ुन्नत और् लसर्ाते म़ुस्तकीम पर् र्हकर् अल्लाह का ज़िक्र कर्े और् अल्लाह क े डर् से उसकी आूँखें आूँसू िहायें और् किर् उसे जहन्नम की आग छ ू ले। जो व्यजक्त स़ुन्नत और् लसर्ाते म़ुस्तकीम पर् चलकर् अल्लाह का ज़िक्र कर्े, किर् अल्लाह क े डर् से उसक े र्ोंगटे खडे हो जायें, उसका उदाहर्र् उस िृि क े समान है, जजसक े पत्ते सूख च़ुक े हों और् सहसा आूँधी आ जाये और् उसक े पत्ते झड जायें। उस व्यजक्त क े ग़ुनाह उसी तर्ह झड जाते हैं, जजस तर्ह उस िृि क े पत्ते। लसर्ाते म़ुस्तकीम और् स़ुन्नत क े अऩुसार् की ह़ुई ननयलमत उपासना, उनक े विरुध्द की ह़ुई अधधक उपासना से उत्तम है।” अिू ददार र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ु से िर्र्रत है, उन्होंने फर्मायााः
  • 12. 9 “ि़ुजध्दमानों का सोना और् उनका खाना-पीना क्या ह अच्छा है! यह मूखों क े र्ाबि-जाग्रर् और् र्ो़िों को पीछे छोड देते हैं!! तक़्िा और् यकीन क े साथ की गई कर्-िर्ािर् नेकी, धोखे में पडे ह़ुए लोगों की पहाड िर्ािर् उपासना से कह ं अधधक महान, श्रेष्ठ और् ि़िनी है।”
  • 13. 10 इस्लाम स्िीकार् कर्ने की अननिायरता अल्लाह तआला का फमारन हैाः ﴿ ‫ِين‬‫د‬ ِ‫م‬َٰ َ ‫ل‬‫ي‬‫س‬ِ ‫ي‬ ‫ٱۡل‬ َ ‫ي‬ ‫ۡي‬ َ ‫غ‬ ِ‫غ‬َ‫ت‬‫ي‬‫ب‬َ‫ي‬ ‫ن‬َ‫م‬َ‫و‬ ‫ن‬ َ ‫ل‬ َ ‫ف‬ ‫ا‬ َ‫و‬ ُ ‫ه‬َ‫و‬ ُ‫ه‬ ‫ي‬ ‫ِن‬‫م‬ َ ‫ل‬َ‫ب‬ ‫ي‬ ‫ق‬ُ‫ي‬ َ‫ِن‬‫م‬ ِ‫ة‬َ‫ِر‬‫خ‬‫ٱٓأۡل‬ ِ ‫ِف‬ َ‫ين‬ِ ِ ‫ِس‬َٰ َ ‫خ‬ ‫ي‬ ‫ٱل‬ 4 ﴾ “जो व्यजक्त इस्लाम क े अनतरर्क्त कोई अन्य धमर ढूूँढे, उसका धमर कदावप स्िीकार् नह ं ककया जाएगा और् िह प्रलोक में घाटा उठाने िालों में से होगा।” तथा अल्लाह तआला ने फर्मायााः ﴿ ‫ن‬‫إ‬ َ‫ين‬ِّ‫د‬‫ٱل‬ َ‫د‬‫ن‬‫ع‬ ‫ٱّلل‬ ُ‫م‬ََٰ‫ل‬ ۡ‫س‬ ۡ ‫ٱۡل‬ 5 ﴾ “ननाःसन्देह, अल्लाह क े ननकट धमर इस्लाम ह है।” तथा फर्मायााः 4 सूर्ह आले-इम्रानाः85 5 सूर्ह आले-इम्रानाः1 9
  • 14. 11 ﴿ ‫يم‬ِ‫ق‬َ‫ت‬ ‫ي‬‫س‬ُ‫م‬ ِ ‫ِط‬َٰ َ‫ر‬ ِ‫ص‬ ‫ا‬ َ ‫ذ‬َٰ َ ‫ه‬ َّ ‫ن‬ َ ‫أ‬َ‫و‬ ِ‫ب‬ َّ ‫ٱت‬ َ ‫ف‬ ‫ا‬ َ ‫ل‬ُ‫ب‬ ُّ‫ٱلس‬ ْ ‫وا‬ُ‫ع‬ِ‫ب‬ َّ ‫ت‬ َ ‫ت‬ َ ‫َل‬َ‫و‬ ُۡۖ‫وه‬ُ‫ع‬ ‫ي‬‫م‬ ُ ‫ك‬ِ‫ب‬ َ ‫ق‬َّ‫ر‬ َ ‫ف‬َ‫ت‬ َ ‫ف‬ ِ‫ه‬ِ‫ل‬‫ي‬ِ‫ب‬َ‫س‬ ‫ن‬ َ ‫ع‬ 6 ﴾ “और् यह धमर मेर्ा सीधा मागर है। अताः इसी मागर पर् चलो और् दूसर् पगडजडडयों पर् न चलो कक िह त़ुम्हें अल्लाह क े मागर से अलग कर् देंगी।” म़ुजादहद कहते हैं कक इस आयत में पगडजडडयों से अलभप्राय “बिदआत एिं संदेह” हैं। आइशा र्ज़ियल्लाह़ु अन्हा से िर्र्रत है कक अल्लाह क े र्सूल सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम ने फर्मायााः “जजसने हमार्े इस धमर में कोई ऐसी ची़ि ननकाल , जो धमर का भाग नह ं है, तो िह मदूरद (अस्िीकृ त) है।”7 एक दूसर् रर्िायत में हैाः “जजसने कोई ऐसा काम ककया, जजसपर् हमार्ा आदेश नह ं है, तो िह काम मदूरद (अस्िीकृ त) है।”8 6 सूर्ह अल्-अन ्आमाः1 53 7 ि़ुखार् एिं म़ुजस्लम
  • 15. 12 सह़ ह़ ि़ुखार् में अिू ह़ुर्ैर्ा र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ु से िर्र्रत है, िह ियान कर्ते हैं कक र्सूल सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम ने फर्मायााः “मेर् उम्मत का प्रत्येक व्यजक्त स्िगर में जाएगा, लसिाय उस आदमी क े , जो इन्कार् कर् दे। पूछा गया कक स्िगर में प्रिेश कर्ने से कौन इन्कार् कर्ेगा? तो आपने फर्मायााः “जजसने मेर् आज्ञा का पालन ककया, िह स्िगर में प्रिेश कर्ेगा और् जजसने मेर् अिज्ञा की, उसने स्िगर में जाने से इन्कार् ककया।” और् सह़ ह ि़ुखार् में अब्द़ुल्लाह बिन अब्िास र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ुमा से िर्र्रत है कक पैगम्िर् सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम ने फर्मायााः “अल्लाह क े ननकट सिसे नापसन्द दा लोग तीन हैं: प्रथमाः ह़र्म में िेद नी (नाजस्तकता) का प्रदशरन कर्ने िाला। द्वितीयाः इस्लाम क े अन्दर् जादहललयत 8 सह़ ह़ म़ुजस्लम
  • 16. 13 का मागर ढूूँढने िाला। तृतीयाः ककसी म़ुसलमान का अिैध खून िहाने का म़ुतालिा कर्ने िाला।”9 शैख़ुल इस्लाम इब्ने तैलमय्या र्ह़मत़ुल्लादह अलैदह फर्माते हैं: “पैगम्िर् सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम क े फमारन “जादहललयत का मागर” में पैगम्िर्ों क े लाये ह़ुए धमर क े विरुध्द जादहललयत का प्रत्येग मागर सजम्मललत है। चाहे िह सामान्य हो या क ़ु छ खास लोगों का, यहूद एिं ईसाइयों का हो, मूर्तीपूजकों का हो या इनक े अनतरर्क्त ककसी अन्य का।” और् सह़ ह़ ि़ुखार् में ह़़ु़िैफा र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ु से िर्र्रत है, उन्होंने फर्मायााः “ऐ कारर्यों की जमाअत! सीधे मागर पर् चलते र्हो। यदद त़ुम सीधे मागर पर् र्होगे, तो िह़ुत आगे ननकल जाओगे। यदद दायें-िायें म़ुडोगे, तो अनत पथ- भ्रष्ट हो जाओगे।” 9 सह़ ह़ ि़ुखार्
  • 17. 14 और् म़ुह़म्मद बिन िज़़्िाह़ ने इस प्रकार् िर्रन ककया है कक ह़़ु़िैफा र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ु मजस्जद में प्रिेश कर्ते ह़ुए ह़ल्कों क े ननकट खडे होकर् यह फर्माते। िह अधधक िर्रन कर्ते हैं कक हमसे स़ुफ़्यान बिन उययना ने म़ुजाललद से और् म़ुजाललद ने शअिी से और् शअिी ने मसरूक से िर्रन कर्ते ह़ुए कहा है कक अब्द़ुल्लाह बिन मस्ऊद र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ु ने फर्मायााः “िाद में आने हर् िषर ग़ु़िर्े ह़ुए िषों से अधधक ि़ुर्ा है। मैं यह नह ं कहता कक फलाूँ साल फलाूँ साल से अधधक िषार िाला है, न यह कहता हूूँ कक िलाूँ साल िलाूँ साल से अधधक हर्ा-भर्ा है और् न ह यह कहता हूूँ कक िलाूँ अमीर् िलाूँ अमीर् से श्रेष्ठ है, िजल्क िास्तविक िात यह है कक त़ुम्हार्े उलेमा और् अच्छे लोग समाप्त हो जायेंगे। इसक े पश्चात ऐसे लोग पैदा होंगे, जो धालमरक मामलों को अपने विचार् पर् क़्यास कर्ेंगे। जजस्क े कार्र् इस्लाम को ध्िस्त और् नष्ट कर् ददया जाएगा।”
  • 18. 15 इस्लाम की व्याख्या अल्लाह तआला का फमारन हैाः
  • 19. 16 ﴿ ِ‫ن‬َ‫ع‬َ‫ب‬ َّ ‫ٱت‬ ِ‫ن‬َ‫م‬َ‫و‬ ِ َّ ِ ‫َّلل‬ َ ِ ‫ِه‬‫ي‬‫ج‬َ‫و‬ ُ ‫ت‬‫ي‬‫م‬ َ ‫ل‬‫ي‬‫س‬ َ ‫أ‬ ‫ي‬ ‫ل‬ ُ ‫ق‬ َ ‫ف‬ َ‫وك‬ُّ‫ج‬ ٓ ‫ا‬َ‫ح‬ ‫ي‬ ‫ن‬ِ‫إ‬ َ ‫ف‬ 10 ﴾ “किर् यदद यह आपसे झगडें, तो आप कह दें कक मैंने और् मेर्े मानने िालों ने अल्लाह तआला क े सामने अपना लसर् झ़ुका ददया है।” सह़ ह़ म़ुजस्लम में उमर् र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ु से िर्र्रत है कक पैगम्िर् सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम ने फर्मायााः “इस्लाम यह है कक त़ुम इस िात की गिाह दो कक अल्लाह क े अनतरर्क्त कोई सत्य पूज्य नह ं और् म़ुह़म्मद सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम अल्लाह क े पैगम्िर् हैं, नमा़ि स्थावपत कर्ो, ़िकात दो, र्म़िान क े र्ो़िे र्खो और् मामथ्यर हो तो अल्लाह क े घर् -कअिा- का ह़ज्ज कर्ो।”11 और् सह़ ह़ ह़द स में अिू ह़ुर्ैर्ह र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ु से मफ ूर अन िर्रनत हैाः 10 सूर्ह आले-इम्रानाः 20 11 सह़ ह़ म़ुजस्लम
  • 20. 17 “म़ुसलमान िह है, जजसकी ़ििान और् हाथ से दूसर्े म़ुसलमान स़ुर्क्षित र्हें।” और् िह़्ज बिन ह़कीम से िर्र्रत है, िह अपने िाप क े िास्ते से अपने दादा से िर्रन कर्ते हैं कक उन्होंने पैगम्िर् सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम से इस्लाम क े विषय में प्रश्न ककया, तो आपने फर्मायााः “इस्लाम यह है कक त़ुम अपना हृदय अल्लाह को सोंप दो, अपना म़ुख अल्लाह की ओर् कर् लो, फ़िर नमा़िें पढो और् फ़िर ़िकात दो।”12 अिू ककलािा एक शामी (सीरर्यन) आदमी से िर्रन कर्ते हैं कक उसक े िाप ने अल्लाह क े पैगम्िर् सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम से प्रश्न ककया कक इस्लाम क्या है? तो आपने फर्मायााः “इस्लाम यह है कक त़ुम अपना ददल अल्लाह क े ह़िाले कर् दो और् म़ुसलमान त़ुम्हार् ़ि़ुिान और् त़ुम्हार्े हाथ से स़ुर्क्षित र्हें।” किर् उन्होंने प्रश्न 12 इस ह़द स को इमाम अह़मद ने रर्िायत ककया है।
  • 21. 18 ककया कक इस्लाम का कौन-सा काम सिरश्रेष्ठ है? तो आपने फर्मायााः “ईमान।” उसने कहा कक ईमान क्या है? तो आपने फर्मायााः “ईमान यह है कक त़ुम अल्लाह पर्, उसक े फरर्श्तों पर्, उसकी उतार् ह़ुई प़ुस्तकों पर्, उसक े पैगम्िर्ों पर् और् मर्ने क े िाद द़ुिार्ा उठाए जाने पर् विश्िास र्खो।”13 13 इस ह़द स का शैख़ुल इस्लाम इब्ने तैलमया ने “ककताि़ुल ईमान” क े अन्दर् उल्लेख कर्ने क े िाद फर्माया है कक इसे इमाम अह़मद और् म़ुह़म्मद बिन नस्र मिऱिी ने रर्िायत ककया है।
  • 22. 19 अल्लाह तआला क े फमारन ‫ين‬ِ‫د‬ ِ‫م‬ََٰ‫ل‬ ۡ‫س‬ِ ۡ ‫ٱۡل‬ َ‫ر‬ۡ‫ي‬َ‫غ‬ ِ‫َغ‬‫ت‬ۡ‫ب‬َ‫ي‬ ‫ن‬َ‫م‬َ‫و‬ ‫ن‬َ‫ل‬َ‫ف‬ ‫ا‬ ُ‫ه‬ۡ‫ن‬ِ‫م‬ َ‫ل‬َ‫ب‬ۡ‫ق‬ُ‫ي‬ की व्याख्या अल्लाह तआला का फमारन हैाः ﴿ ‫ِين‬‫د‬ ِ‫م‬َٰ َ ‫ل‬‫ي‬‫س‬ِ ‫ي‬ ‫ٱۡل‬ َ ‫ي‬ ‫ۡي‬ َ ‫غ‬ ِ‫غ‬َ‫ت‬‫ي‬‫ب‬َ‫ي‬ ‫ن‬َ‫م‬َ‫و‬ ‫ن‬ َ ‫ل‬ َ ‫ف‬ ‫ا‬ َ‫ِن‬‫م‬ ِ‫ة‬َ‫ِر‬‫خ‬‫ٱٓأۡل‬ ِ ‫ِف‬ َ‫و‬ ُ ‫ه‬َ‫و‬ ُ‫ه‬ ‫ي‬ ‫ِن‬‫م‬ َ ‫ل‬َ‫ب‬ ‫ي‬ ‫ق‬ُ‫ي‬ َ‫ين‬ِ ِ ‫ِس‬َٰ َ ‫خ‬ ‫ي‬ ‫ٱل‬ 14 ﴾ “और् जो व्यजक्त इस्लाम क े अनतरर्क्त कोई अन्य धमर तलाश कर्े, तो उसका धमर हर्धग़ि स्िीकार् नह ं ककया जाएगा।” अिू ह़ुर्ैर्ा र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ु से िर्र्रत है, िह ियान कर्ते हैं कक पैगम्िर् सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम ने फर्मायााः “कयामत क े ददन िन्दों क े आमाल उपजस्थत होंगे। च़ुनांचे नमा़ि उपजस्थत होगी और् कहेगी कक ऐ पालनहार्! मैं नमा़ि हूूँ! अल्लाह तआला फर्माएगााः तू खैर् पर् है। कफर् ़िकात उपजस्थत होगी और् 14 सूर्ह आले-इम्रानाः 85
  • 23. 20 कहेगी कक ऐ पालनहार्! मैं ़िकात हूूँ! अल्लाह तआला फर्माएगााः तू भी खैर् पर् है। किर् र्ो़िा उपजस्थत होगा और् कहेगा कक ऐ पालनहार्! मैं र्ो़िा हूूँ! अल्लाह तआला फर्माएगााः तू भी खैर् पर् है। इसक े िाद िन्दे क े शेष आमाल इसी प्रकार् उपजस्थत होंगे और् अल्लाह तआला फर्माएगााः त़ुमसि खैर् पर् हो। किर् इस्लाम उपजस्थत होगा और् कहेगा कक ऐ पालनहार्! तू सलाम है और् मैं इस्लाम हूूँ। अल्लाह तआला फर्माएगााः तू भी खैर् पर् है। आज मैं तेर्े कार्र् से पकड करू ूँ गा और् तेर्े ह कार्र् प्रदान करू ूँ गा। अल्लाह तआला ने अपनी ककताि क ़ु आरन मजीद में फर्मायााः ﴿ ‫ِين‬‫د‬ ِ‫م‬َٰ َ ‫ل‬‫ي‬‫س‬ِ ‫ي‬ ‫ٱۡل‬ َ ‫ي‬ ‫ۡي‬ َ ‫غ‬ ِ‫غ‬َ‫ت‬‫ي‬‫ب‬َ‫ي‬ ‫ن‬َ‫م‬َ‫و‬ ‫ن‬ َ ‫ل‬ َ ‫ف‬ ‫ا‬ َ‫ِن‬‫م‬ ِ‫ة‬َ‫ِر‬‫خ‬‫ٱٓأۡل‬ ِ ‫ِف‬ َ‫و‬ ُ ‫ه‬َ‫و‬ ُ‫ه‬ ‫ي‬ ‫ِن‬‫م‬ َ ‫ل‬َ‫ب‬ ‫ي‬ ‫ق‬ُ‫ي‬ َ‫ين‬ِ ِ ‫ِس‬َٰ َ ‫خ‬ ‫ي‬ ‫ٱل‬ ﴾ “और् जो व्यजक्त इस्लाम क े अनतरर्क्त कोई अन्य धमर तलाश कर्े, तो उसका धमर हर्धग़ि स्िीकार् नह ं ककया जाएगा और् िह आर्खर्त में घाटा उठाने िालों में से होगा।”
  • 24. 21 इस ह़द स को इमाम अह़मद ने रर्िायत ककया है। और् सह़ ह़ म़ुजस्लम में आइशा र्ज़ियल्लाह़ु अन्हा से रर्िायत है कक पैगम्िर् सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम ने फर्मायााः “जजसने कोई ऐसा काम ककया, जजसक े िार्े में हमार्ा आदेश नह ं है, तो िह काम मदूरद (अस्िीकृ त) है।” इस ह़द स को इमाम अहमद ने भी रर्िायत ककया है।
  • 25. 22 ककताि़ुल्लाह की पैर्िी कर्क े उसक े अनतरर्क्त अन्य िस्त़ुओं से िेननया़ि होने की अननिायरता अल्लाह तआला का फमारन हैाः ﴿ ‫ن‬َٰ َ ‫ي‬‫ي‬‫ِب‬‫ت‬ َ ‫ب‬َٰ َ ‫ِت‬‫ك‬ ‫ي‬ ‫ٱل‬ َ ‫ك‬‫ي‬‫ي‬ َ ‫ل‬ َ ‫ع‬ ‫ا‬َ ‫ي‬ ‫نل‬َّ‫ز‬ َ ‫ن‬َ‫و‬ ِ ُ ‫ِك‬‫ل‬ ‫ا‬ ‫ء‬ ‫ي‬ َ ‫َش‬ 15 ﴾ “और् हमने आपपर् यह ककताि उतार् है, जजसमें हर् ची़ि का स्पष्ट उल्लेख है।” स़ुनन नसाई आदद में है कक निी सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम ने उमर् बिन खत्ताि र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ु क े हाथ में तौर्ात का एक पन्ना देखा, तो फर्मायााः “ऐ खत्ताि क े िेटे! क्या त़ुम ह़ैर्त में पडे हो! मैं त़ुम्हार्े पास स्पष्ट और् उज्जिल शर् अत लेकर् आया हूूँ। यदद मूसा भी जीवित होते और् त़ुम म़ुझे 15 सूर्ह अन ्-नह़्लाः 89
  • 26. 23 छोडकर् उनकी पैर्िी कर्ने लगते, तो पथभ्रष्ट हो जाते।” एक दूसर् रर्िायत में हैाः “यदद मूसा भी जीवित होते, तो उन्हें भी मेर् पैर्िी कर्नी पडती।” यह स़ुनकर् उमर् र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ु ने कहााः “मैं अल्लाह से प्रसन्न हूूँ उसे अपना पालनकतार मानकर्, इस्लाम से प्रसन्न हूूँ उसे अपना द न समझकर् और् म़ुह़म्मद सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम से प्रसन्न हूूँ उन्हें अपना निी मानकर्।”
  • 27. 24 इस्लाम क े दािा से ननकल जाने का िर्रन अल्लाह तआला फर्माता हैाः ﴿ َّ‫م‬َ‫س‬ َ‫و‬ ُ ‫ه‬ ‫ا‬ َ ‫ذ‬َٰ َ ‫ه‬ ِ ‫ِف‬َ‫و‬ ُ ‫ل‬‫ي‬‫ب‬ َ ‫ق‬ ‫ِن‬‫م‬ َ‫ۡي‬ِ‫م‬ِ‫ل‬ ‫ي‬‫س‬ُ‫م‬ ‫ي‬ ‫ٱل‬ ُ‫م‬ ُ ‫ك‬َٰ‫ى‬ ﴾ 16 “उसी अल्लाह ने त़ुम्हार्ा नाम स़ुसलमान र्खा है, इस क ़ु आरन से पहले और् इसमें भी।” ह़ारर्स अश ्अर् र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ु से िर्र्रत है, िह निी सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम से रर्िायत कर्ते हैं कक आपने फर्मायााः “मैं त़ुम्हें उन पाूँच िातों का आदेश देता हूूँ, जजनका अल्लाह तआला ने म़ुझे आदेश ददया हैाः शासक की िात स़ुनने और् उसकी पैर्िी कर्ने का, जजहाद का, दहज्रत का और् म़ुसलमानों की जमाअत से ज़ुडे र्हने का। क्योंकक जो व्यजक्त जमाअत से िाललश्त िर्ािर् भी दूर् ह़ुआ, उसने अपनी गदरन से इस्लाम का पट्टा ननकाल ि ें का। पर्न्त़ु यह कक िह जमाअत की ओर् 16 सूर्ह अल्-ह़ज्जाः 78
  • 28. 25 पलट आए। और् जजसने जादहललयत की प़ुकार् लगाई, िह जहन्नमी है।” यह स़ुनकर् एक व्यजक्त ने कहा कक ऐ अल्लाह क े पैगम्िर्! चाहे िह नमा़ि पढे और् र्ो़िे र्खे? िर्मायााः “हाूँ, चाहे िह नमा़ि पढे और् र्ो़िे र्खे। अताः ऐ अल्लाह क े िन्दो! त़ुम उस अल्लाह की प़ुकार् लगाओ, जजसने त़ुम्हार्ा नाम म़ुसलमान और् मोलमन र्खा है।”17 और् सह़ ह़ ि़ुखार् एिं म़ुजस्लम में हैाः “जो जमाअत से िाललश्त िर्ािर् भी ज़ुदा ह़ुआ और् इसी अिस्था में मर् गया, उसकी मौत जादहललयत की मौत होगी।” तथा सह़ ह़ ह़द स में है कक पैगम्िर् सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम ने फर्मायााः “क्या जादहललयत की प़ुकार् लगाई जा र्ह है और् मैं त़ुम्हार्े िीच मौजूद हूूँ?” 17 इस ह़द स को इमाम अह़मद और् नतलमऱिी ने रर्िायत ककया है और् नतलमऱिी ने ह़सन कहा है।
  • 29. 26 शौख़ुल इस्लाम अि़ुल अब्िास इब्ने तैलमया फर्माते हैं: “इस्लाम और् क ़ु आरन क े दािे क े लसिा हर् दािा, चाहे िह नसि हो शहर् का हो, कौम का हो, मस्लक का हो या पंथ का, सि जादहललयत की प़ुकार् में सजम्मललत है। िजल्क जि एक म़ुहाजजर् और् एक अन्सार् क े िीच झगडा हो गया और् म़ुहाजजर् ने म़ुहाजजर्ों को प़ुकार्ा और् अन्सार् ने अन्सारर्यों को आिा़ि द , तो पैगम्िर् सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम ने फर्मायााः “क्या जादहललयत की प़ुकार् लगाई जा र्ह है, जिकक मैं त़ुम्हार्े िीच मौजूद हूूँ?” और् इस िात से आप िह़ुत अप्रसन्न ह़ुए।” शैख़ुल इस्लाम इब्ने तैलमया का कलाम समाप्त ह़ुआ।
  • 30. 27 इस्लाम में सम्पूर्र रूप से प्रिेश कर्ने और् उसक े अनतरर्क्त अन्य धमों क े परर्त्याग की अननिायरता अल्लाह तआला का फमारन हैाः ﴿ ‫ة‬ َّ ‫ٓاف‬ َ ‫ك‬ ِ‫م‬ ‫ي‬ ‫ِل‬‫ٱلس‬ ِ ‫ِف‬ ْ ‫وا‬ ُ ‫ل‬ ُ ‫خ‬ ‫ي‬ ‫ٱد‬ ْ ‫وا‬ُ‫ن‬َ‫ام‬َ‫ء‬ َ‫ِين‬ َّ ‫ٱَّل‬ ‫ا‬َ‫ه‬ُّ‫ي‬ َ ‫أ‬َٰٓ َ ‫ي‬ ﴾ 18 “ऐ ईमान िालो! इस्लाम में पूर्े-पूर्े प्रिेश कर् जाओ।” तथा फर्मायााः ﴿ َ‫ِين‬ َّ ‫ٱَّل‬ َ ‫َل‬ِ‫إ‬ َ‫ر‬ َ ‫ت‬ ‫ي‬‫م‬ َ ‫ل‬ َ ‫أ‬ ‫ِن‬‫م‬ َ ‫ل‬ِ‫نز‬ ُ ‫أ‬ ٓ ‫ا‬َ‫م‬َ‫و‬ َ ‫ك‬‫ي‬ َ ‫ۡل‬ِ‫إ‬ َ ‫ل‬ِ‫نز‬ ُ ‫أ‬ ٓ ‫ا‬َ‫م‬ِ‫ب‬ ْ ‫وا‬ُ‫ن‬َ‫ام‬َ‫ء‬ ‫ي‬‫م‬ُ‫ه‬ َّ ‫ن‬ َ ‫أ‬ َ ‫ون‬ُ‫م‬ ُ ‫ع‬‫ي‬‫ز‬َ‫ي‬ َ ‫ِك‬‫ل‬‫ي‬‫ب‬ َ ‫ق‬ ﴾ 19 18 सूर्ह अल्-िकर्ााः 208 19 सूर्ह अन ्-ननसााः 60
  • 31. 28 “क्या आपने उन्हें नह ं देखा, जजनका दािा तो यह है कक जो क ़ु छ आपपर् और् जो क ़ु छ आपसे पहले उतार्ा गया, उसपर् उनका ईमान है।” तथा अल्लाह तआला ने फर्मायााः 20 ‫ء‬ ‫ي‬ َ ‫َش‬ ِ ‫ِف‬ ‫ي‬‫م‬ُ‫ه‬ ‫ي‬ ‫ِن‬‫م‬ َ ‫ت‬ ‫ي‬‫س‬ َّ ‫ل‬ ‫ا‬‫ع‬َ‫ِي‬‫ش‬ ْ ‫وا‬ ُ ‫ن‬ َ ‫َك‬َ‫و‬ ‫ي‬‫م‬ُ‫ه‬َ‫ِين‬‫د‬ ْ ‫وا‬ ُ ‫ق‬َّ‫ر‬ َ ‫ف‬ َ‫ِين‬ َّ ‫ٱَّل‬ َّ ‫ن‬ِ‫إ‬ “ननाःसंदेह जजन लोगों ने अपने धमर को अलग-अलग कर् ददया और् ग़ुट-ग़ुट िन गए, आपका उनसे कोई सम्िन्ध नह ं।” इब्ने अब्िास र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ुमा अल्लाह तआला क े इस कथनाः ﴿ َ‫م‬‫ي‬‫و‬َ‫ي‬ ُّ ‫د‬َ‫و‬ ‫ي‬‫س‬ َ ‫ت‬َ‫و‬ٞ‫وه‬ُ‫ج‬ُ‫و‬ ُّ ‫ض‬َ‫ي‬‫ي‬‫ب‬ َ ‫ت‬ ۡۚ ٞ‫وه‬ُ‫ج‬ُ‫و‬ ﴾ 21 “जजस ददन क ़ु छ चेहर्े चमक र्हे होंगे और् क ़ु छ काले।” की व्याख्या में कहते हैं: 20 सूर्ह अल्-अन ्आमाः 1 59 21 सूर्ह आले-इम्रानाः 1 06
  • 32. 29 “अह्ले स़ुनन्त िल-जमाअत क े चेहर्े उज्जिल होंगे और् अह्ले बिद्अत तथा साम्प्रदानयक लोगों क े चेहर्े काले होंगे।” अब्द़ुल्लाह बिन अम्र र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ुमा से िर्र्रत है, िह ियान कर्ते हैं कक अल्लाह क े पैगम्िर् सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम ने फर्मायााः “मेर् उम्मत पर् बिल्क ़ु ल िैसा ह समय आएगा, जैसा कक िनी इस्लाईल पर् आया था। यहाूँ तक कक यदद उनमें से ककसी ने अपनी माूँ क े साथ ख़ुल्लम- ख़ुल्ला िलत्कार् ककया होगा, तो मेर् उम्मत में भी इस प्रकार् का व्यजक्त होगा, जो ऐसा कर्ेगा। तथा िनी इस्राईल िहत्तर् कफकों (दलों) में िट गए थे, ककन्त़ु मेर् यह उम्मत तेहत्तर् कफकों में िट जाएगी। उनमें से एक क े अनतरर्क्त िाकी सि नर्किासी होंगे।” सह़ािा ने पूछा कक ऐ अल्लाह क े पैगम्िर्! िह नजात पाने िाला कफकार कौन सा होगा? तो आपने फर्मायााः “िह जो उस मागर पर् चले, जजसपर् मैं हूूँ और् मेर्े सह़ािा हैं।”
  • 33. 30 जो मोलमन अल्लाह तआला से म़ुलाकात की आशा र्खता है, उसे इस स्थान पर् साददक ि मस्दूक सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम की ह़द स विशेष रूप से आपक े फमारन “जजस तर् क े पर् मैं हूूँ और् मेर्े साथी हैं” पर् गौर् कर्ना चादहए। यह ह़द स ककतनी िडी नसीह़त है, उन ददलों क े ललए जजनमें ज़िन्दगी की ़िर्ा भी र्मक िाकी है। इस ह़द स को इमाम नतलमऱिी ने रर्िायत ककया है तथा उन्होंने इसे अिू ह़ुर्ैर्ा र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ु क े िास्ते से रर्िायत कर्क े सह़ ह़ कहा है। अल्ित्ता इस रर्िायत में जहन्नम का उल्लेख नह ं है। यह ह़द स म़ुस्नद अह़मद और् स़ुनन अिू दाऊद में म़ुआविया र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ु क े तर् क से िर्र्रत है, जजसमें आप सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम का यह फमारन भी हैाः “मेर् उम्मत में एक ऐसी कौम प्रकट होगी, जजनकी नसों में ख़्िादहशात इस प्रकार् घ़ुस जाएंगी, जजस प्रकार् पागल क ़ु त्ते क े काटने से पैदा होने िाल िीमार् काटे ह़ुए व्यजक्त की नसों में प्रिेश कर् जाती है। यहाूँ तक कक उसक े शर् र् की कोई नस और् कोई जोड उसक े प्रभाि से स़ुर्क्षित नह ं र्हता।”
  • 34. 31 इससे पहले पैगम्िर् सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम का यह फमारन उजल्लर्खत हो च़ुका है ककाः “इस्लाम में जादहललयत का तर् का ढूूँढने िाला (अल्लाह क े ननकट तीन सिसे नापसंद दा लोगों में से है।)”
  • 35. 32 बिद्अत िडे-िडे ग़ुनाहों से भी अधधक सख़्त अल्लाह तआला का फमारन हैाः ﴿ َّ ‫ن‬ِ‫إ‬ َ ‫ون‬ ُ ‫د‬ ‫ا‬َ‫م‬ ُ‫ر‬ِ‫ف‬ ‫ي‬ ‫غ‬َ‫ي‬َ‫و‬ ‫ِۦ‬‫ه‬ِ‫ب‬ َ‫ك‬َ ‫ي‬ ‫ۡش‬ُ‫ي‬ ‫ن‬ َ ‫أ‬ ُ‫ر‬ِ‫ف‬ ‫ي‬ ‫غ‬َ‫ي‬ َ ‫َل‬ َ َّ ‫ٱَّلل‬ ُۡۚ‫ء‬ ٓ ‫ا‬ َ ‫ش‬َ‫ي‬ ‫ن‬َ‫ِم‬‫ل‬ َ ‫ِك‬‫ل‬ََٰ ‫ذ‬ ﴾ 22 “अल्लाह तआला अपने साथ लशक र ककए जाने को िमा नह ं कर्ेगा और् इसक े अनतरर्क्त जजसे चाहेगा, िमा कर् देगा।” तथा अल्लाह तआला ने फर्मायााः ﴿ ‫ي‬‫ن‬َ‫م‬ َ ‫ف‬ َٰ‫ى‬َ َ ‫َت‬ ‫ي‬ ‫ٱف‬ ِ‫ن‬َّ‫ِم‬‫م‬ ُ‫م‬ َ ‫ل‬ ‫ي‬ ‫ظ‬ َ ‫أ‬ ‫ِب‬‫ذ‬ َ ‫ك‬ ِ َّ ‫ٱَّلل‬ َ َ ‫لَع‬ ِ ‫ي‬ ‫ۡي‬ َ ‫غ‬ِ‫ب‬ َ ‫اس‬َّ‫ٱنل‬ َّ ‫ل‬ ِ ‫ض‬ُ ِ ‫ۡل‬ ‫ا‬ ‫م‬ ‫ي‬ ‫ِل‬‫ع‬ ﴾ 23 “और् उससे िढकर् अत्याचार् कौन होगा, जो अल्लाह तआला पर् बिना ककसी प्रमार् क े झूठा आर्ोप लगाता है।” तथा अल्लाह तआला ने फर्मायााः 22 सूर्ह अन ्-ननसााः 48 23 सूर्ह अल्-अन ्आमाः 1 44
  • 36. 33 ﴿ ‫ة‬ َ ‫ِل‬‫م‬ َ ‫َك‬ ‫ي‬‫م‬ ُ ‫ه‬َ‫ار‬َ‫ز‬‫ي‬‫و‬ َ ‫أ‬ ْ ‫ا‬ٓ‫و‬ ُ ‫ل‬ِ‫م‬‫ي‬‫ح‬َ ِ ‫ۡل‬ ‫م‬ُ‫ه‬ َ ‫ون‬ ُّ ‫ل‬ ِ ‫ض‬ُ‫ي‬ َ‫ِين‬ َّ ‫ٱَّل‬ ِ‫ار‬َ‫ز‬‫ي‬‫و‬ َ ‫أ‬ ‫ي‬‫ِن‬‫م‬َ‫و‬ ِ‫ة‬َ‫م‬َٰ َ ‫ي‬ِ‫ق‬ ‫ي‬ ‫ٱل‬ َ‫م‬‫ي‬‫و‬َ‫ي‬ َ ‫ون‬ُ‫ر‬ِ‫ز‬َ‫ي‬ ‫ا‬َ‫م‬ َ‫ء‬ ٓ ‫ا‬َ‫س‬ َ ‫َل‬ َ ‫أ‬ ‫م‬ ‫ي‬ ‫ِل‬‫ع‬ ِ ‫ي‬ ‫ۡي‬ َ ‫غ‬ِ‫ب‬ ﴾ 24 “ताकक कयामत क े ददन यह लोग अपने पूर्े िोझ क े साथ ह उन लोगों क े िोझ क े भी भागीदार् हों, जजन्हें अनजाने में पथ-भ्रष्ठ कर्ते र्हे। देखो तो क ै सा ि़ुर्ा िोझ उठा र्हे हैं।” और् सह़ ह़ ि़ुखार् में है कक पैगम्िर् सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम ने ख़्िारर्ज क े विषय में फर्मायााः “उन्हें जहाूँ भी पाओ, कत्ल कर् दो। यदद मैंने उन्हें पाया, तो कौमे आद क े कत्ल क े समान कत्ल करू ूँ गा।”25 तथा सह़ ह़ (म़ुजस्लम) में है कक पैगम्िर् सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम ने अत्याचार् शासकों को कत्ल कर्ने से र्ोका है, जि तक िह नमा़ि पढते हों।” और् जर् र् बिन अब्द़ुल्लाह र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ु से िर्र्रत है कक एक आदमी ने खैर्ात ददया। उसक े 24 सूर्ह अन ्-नह़्लाः 25 25 सह़ ह़ ि़ुखार् एिं सह़ ह़ म़ुजस्लम
  • 37. 34 िाद लोगों ने खैर्ात देना आर्म्भ कर् ददया, तो पैगम्िर् सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम ने फर्मायााः “जजसने इस्लाम में कोई अच्छा तर् का ननकाला, तो उसे उसका अज्र –िदला- लमलेगा और् उन लोगों का अज्र भी, जो इसक े िाद उसपर् अमल कर्ेंगे। ककन्त़ु अमल कर्ने िालों क े अज्र में कोई कमी नह ं होगी। और् जजसने इस्लाम में कोई ि़ुर्ा तर् का अविष्कार् ककया, तो उसपर् उसका ग़ुनाह होगा और् उन लोगों का भी ग़ुनाह होगा, जो उसपर् अमल कर्ेंगे। ककन्त़ु इन अमल कर्ने िालों क े ग़ुनाह में कोई कमी नह ं होगी।” इसे म़ुजस्लम ने रर्िायत ककया है। तथा सह़ ह म़ुजस्लम में अिू ह़ुर्ैर्ा र्ज़िययल्लाह़ु अन्ह़ु क े द्िार्ा इसी क े समान एक अन्य ह़द स िर्र्रत है, जजसक े शब्द यह हैं: “जजसने ककसी दहदायत –मागरदशरन- की ओर् ि़ुलाया..... और् जजसने ककसी ग़ुमर्ाह की ओर् ि़ुलाया।”
  • 38. 35 अल्लाह तआला बिद्अती की तौिा स्िीकार् नह ं कर्ता
  • 39. 36 यह िात अनस र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ु की (मफ ़ुर अ) ह़द स और् ह़सन िसर् की म़ुसरल ह़द स से प्रमार्र्त है। इब्ने िज़़्िाह़ ने अय्यूि से ियान ककया है कक उन्होंने फर्माया कक हमार्े िीच एक आदमी था, जो कोई असत्य विचार् र्खता था। किर् उसने िह विचार् त्याग ददया, तो मैं म़ुह़म्मद बिन सीर् न क े पास आया और् कहााः क्या आपको पता है कक अम़ुक ने अपना विचार् त्याग ददया है? तो उन्होंने कहााः अभी देखो तो सह , िह ककस ददशा में जाता है? ऐसे लोगों क े सम्िन्ध में जो ह़द स आई है, उसका यह अजन्तम भाग उसक े प्रार्ंलभक भाग से अधधक सख़्त है कक “िह इस्लाम से ननकल जाएंगे, किर् उसकी ओर् प़ुनाः िापस नह ं लौटेंगे।” इमाम अहमद बिन ह़म्िल –र्ह़मत़ुल्लादह अलैदह- से इसका अथर पूछा गया, तो आपने फर्मायााः “ऐसे आदमी को तौिा की तौफीक नह ं होती।”
  • 40. 37 अल्लाह तआला क े फमारन َ‫ل‬ۡ‫ه‬َ‫أ‬َََٰٰٓ‫ي‬ َٰٓ‫ي‬ِ‫ف‬ َ‫ون‬ُّ‫َٰٓج‬‫ا‬َ‫ح‬ُ‫ت‬ َ‫م‬ِ‫ل‬ ِ‫ب‬ََٰ‫ت‬ِ‫ك‬ۡ‫ٱل‬ َ‫م‬‫ي‬ِ‫ه‬ ََٰ‫ر‬ۡ‫ب‬ِ‫إ‬ ..... ِ‫ر‬ ۡ‫ش‬ُ‫م‬ۡ‫ٱل‬ َ‫ن‬ِ‫م‬ َ‫ان‬َ‫ك‬ ‫ا‬َ‫م‬َ‫و‬ َ‫ين‬ِ‫ك‬ का िर्रन अल्लाह तआला का फमारन हैाः
  • 41. 38 ﴿ َّ ‫َل‬ِ‫إ‬ ُ ‫يل‬ِ‫جن‬ِ ‫ي‬ ‫ٱۡل‬َ‫و‬ ُ ‫ة‬َٰ‫ى‬َ‫ر‬‫ي‬‫و‬َّ‫ٱتل‬ ِ ‫ت‬ َ ‫ل‬ِ‫نز‬ ُ ‫أ‬ ٓ ‫ا‬َ‫م‬َ‫و‬ َ‫ِيم‬‫ه‬َٰ َ‫ر‬‫ي‬‫ب‬ِ‫إ‬ ٓ ِ ‫ِف‬ َ ‫ون‬ُّ‫ج‬ ٓ ‫ا‬َ ُ ‫ُت‬ َ‫ِم‬‫ل‬ ِ‫ب‬َٰ َ ‫ِت‬‫ك‬ ‫ي‬ ‫ٱل‬ َ ‫ل‬ ‫ي‬ ‫ه‬ َ ‫أ‬َٰٓ َ ‫ي‬ َ ‫ون‬ ُ ‫ل‬ِ‫ق‬‫ي‬‫ع‬ َ ‫ت‬ َ ‫َل‬ َ ‫ف‬ َ ‫أ‬ ۡۚ ٓ‫ِۦ‬‫ه‬ِ‫د‬‫ي‬‫ع‬َ‫ب‬ ۢ‫ن‬ِ‫م‬ ٦٥ ٓ َ ‫َل‬ ُ ‫ؤ‬َٰٓ َ ‫ه‬ ‫ي‬‫م‬ُ‫نت‬ َ ‫أ‬َٰٓ َ ‫ه‬ ‫ِۦ‬‫ه‬ِ‫ب‬ ‫م‬ ُ ‫ك‬ َ ‫ل‬ ‫ا‬َ‫ِيم‬‫ف‬ ‫ي‬‫م‬ُ‫ت‬‫ي‬‫ج‬َ‫ج‬َٰ َ ‫ح‬ ِ‫ء‬ ٞ‫م‬ ‫ي‬ ‫ِل‬‫ع‬ َ‫ِم‬‫ل‬ َ ‫ف‬ ۡۚ ٞ‫م‬ ‫ي‬ ‫ِل‬‫ع‬ ‫ِۦ‬‫ه‬ِ‫ب‬ ‫م‬ ُ ‫ك‬ َ ‫ل‬ َ ‫س‬‫ي‬‫ي‬ َ ‫ل‬ ‫ا‬َ‫ِيم‬‫ف‬ َ ‫ون‬ُّ‫ج‬ ٓ ‫ا‬َ ُ ‫ُت‬ ‫ٱ‬َ‫و‬ ‫ي‬‫م‬ُ‫نت‬ َ ‫أ‬َ‫و‬ ُ‫م‬ َ ‫ل‬‫ي‬‫ع‬َ‫ي‬ ُ َّ ‫َّلل‬ َ ‫ون‬ُ‫م‬ َ ‫ل‬‫ي‬‫ع‬ َ ‫ت‬ َ ‫َل‬ ٦٦ ‫ِي‬‫د‬‫و‬ُ‫ه‬َ‫ي‬ ُ‫ِيم‬‫ه‬َٰ َ‫ر‬‫ي‬‫ب‬ِ‫إ‬ َ ‫ن‬ َ ‫َك‬ ‫ا‬َ‫م‬ ‫ِي‬‫ن‬‫ا‬َ ‫ي‬ ‫ۡص‬ َ ‫ن‬ َ ‫َل‬َ‫و‬ ‫ا‬ ‫ا‬ ‫ِيف‬‫ن‬َ‫ح‬ َ ‫ن‬ َ ‫َك‬ ‫ن‬ِ‫ك‬ََٰ ‫ل‬َ‫و‬ ‫ا‬ ‫ِم‬‫ل‬ ‫ي‬‫س‬ُّ‫م‬ َ‫ِن‬‫م‬ َ ‫ن‬ َ ‫َك‬ ‫ا‬َ‫م‬َ‫و‬ ‫ا‬ ِ ‫ي‬ ‫ۡش‬ُ‫م‬ ‫ي‬ ‫ٱل‬ َ‫ِۡي‬‫ك‬ ﴾ 26 “ऐ अहले ककताि (यहूद एिं नसार्ा)! त़ुम इब्राह म क े विषय में क्यों झगडते हो, हालाूँकक तौर्ात और् इन्जील तो उनक े िाद उतर् हैं? क्या किर् भी त़ुम नह ं समझते? स़ुनो! त़ुम उसमें झगड च़ुक े हो, जजसका त़ुम्हें ज्ञान था। किर् त़ुम उस िात में क्यों झगडते हो, जजसका त़ुम्हें ज्ञान नह ं? और् अल्लाह तआला जानता है तथा त़ुम नह ं जानते। इब्राह म न तो यहूद थे, न ईसाई। िजल्क िह तो एकांत और् शूध्द म़ुसलमान थे और् म़ुधश्रक –अनेक े श्िर्िाद - नह ं थे।” और् अल्लाह तआला का फमारन हैाः 26 सूर्ह आले-इम्रानाः 65-67
  • 42. 39 ﴿ ِ ‫ه‬َٰ َ‫ر‬‫ي‬‫ب‬ِ‫إ‬ ِ‫ة‬ َّ ‫ِل‬‫م‬ ‫ن‬ َ ‫ع‬ ُ ‫ب‬ َ ‫غ‬‫ي‬‫ر‬َ‫ي‬ ‫ن‬َ‫م‬َ‫و‬ ۧ َّ ‫َل‬ِ‫إ‬ َ‫م‬ ِ ‫ِف‬ ُ‫ه‬َٰ َ ‫ن‬‫ي‬‫ي‬ َ ‫ف‬ َ ‫ط‬ ‫ي‬ ‫ٱص‬ ِ‫د‬ َ ‫ق‬ َ ‫ل‬َ‫و‬ ۡۚ ‫ۥ‬ُ‫ه‬ َ‫س‬ ‫ي‬ ‫ف‬ َ ‫ن‬ َ‫ه‬ِ‫ف‬َ‫س‬ ‫ن‬َ‫م‬ َ‫ۡي‬ِ‫ح‬ِ‫ل‬َٰ َّ ‫ٱلص‬ َ‫ن‬ِ‫م‬ َ ‫ل‬ ِ‫ة‬َ‫ِر‬‫خ‬‫ٱٓأۡل‬ ِ ‫ِف‬ ‫ۥ‬ُ‫ه‬ َّ ‫ِإَون‬ۡۖ‫ا‬َ‫ي‬ ‫ي‬ ‫ن‬ُّ‫ٱدل‬ ﴾ 27 “और् इब्राह म क े धमर से िह म़ुूँह मोडेगा, जो मूखर होगा। हमने तो उन्हें द़ुननया में भी च़ुन ललया था और् आर्खर्त में भी िह सदाचारर्यों में से हैं।” इस विषय में ख़्िारर्ज से सम्िजन्धत ह़द स मौजूद है, जो ग़ु़िर् च़ुकी है। तथा सह़ ह़ ह़द स में है कक निी सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम ने फर्मायााः “अिू िलाूँ क े आल (अथारत अम़ुक व्यजक्त क े परर्जन) मेर्े दोस्त नह ं। मेर्े दोस्त म़ुत्तकी (संयमी, ईशभय र्खने िाले) लोग हैं।” और् सह़ ह़ ह़द स में अनस र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ु से िर्र्रत है, अल्लाह क े पैगम्िर् सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम से िर्रन ककया गयााः ककसी सह़ािी ने कहा कक मैं गोश्त नह ं खाऊ ूँ गा, दूसर्े ने कहा कक मैं र्ात भर् नमा़ि पढूूँगा और् नह ं सोऊ ूँ गा, तीसर्े ने कहा कक मैं और्तों क े समीप नह ं जाऊ ूँ गा, चौथे ने कहा 27 सूर्ह अल्-िकर्ााः 1 30
  • 43. 40 कक मैं लगातार् र्ो़िा र्खूूँगा और् नागा नह ं करू ूँ गा। इनकी िातें स़ुनकर् पैगम्िर् सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम ने फर्मायााः “ककन्त़ु मेर्ा ह़ाल यह है कक मैं र्ात को नमा़ि पढता हूूँ और् सोता भी हूूँ, र्ो़िा र्खता हूूँ और् नागा भी कर्ता हूूँ तथा पजत्नयों क े पास भी जाता हूूँ और् गोश्त भी खाता हूूँ। तो जजसने मेर् स़ुन्नत से म़ुूँह मोडा, िह म़ुझसे नह ं।” गौर् कीजजए कक जि क ़ु छ सह़ािा ने इिादत क े उद्देश्य से द़ुननया से कट जाने की इच्छा प्रकट की, तो उनक े िार्े में यह कठोर् िात कह गई और् उनक े काम को स़ुन्नत से म़ुूँह मोडना िताया गया। ऐसे में अन्य बिद्अतों और् सह़ािा क े अनतरर्क्त अन्य लोगों क े िार्े में आपका क्या विचार् है?
  • 44. 41 अल्लाह तआला क े फमारन ۡ‫م‬ِ‫ق‬َ‫أ‬َ‫ف‬ ‫يف‬ِ‫ن‬َ‫ح‬ ِ‫ِّين‬‫د‬‫ل‬ِ‫ل‬ َ‫ك‬َ‫ه‬ ۡ ‫ج‬َ‫و‬ ‫ا‬ का िर्रन अल्लाह तआला का फमारन हैाः
  • 45. 42 ﴿ ‫ي‬‫ِم‬‫ق‬ َ ‫أ‬ َ ‫ف‬ ‫ِيف‬‫ن‬َ‫ح‬ ِ‫ِين‬‫ِل‬‫ل‬ َ ‫ك‬َ‫ه‬‫ي‬‫ج‬َ‫و‬ َ ‫ت‬َ‫ر‬ ‫ي‬ ‫ِط‬‫ف‬ ۡۚ‫ا‬ ‫ٱ‬ ۡۚ‫ا‬َ‫ه‬‫ي‬‫ي‬ َ ‫ل‬ َ ‫ع‬ َ ‫اس‬َّ‫ٱنل‬ َ‫ر‬ َ ‫ط‬ َ ‫ف‬ ِ ‫ِت‬ َّ ‫ٱل‬ ِ َّ ‫َّلل‬ َ ‫َل‬ ِ ‫اس‬َّ‫ٱنل‬ َ َ ‫َث‬ ‫ي‬ ‫ك‬ َ ‫أ‬ َّ‫ن‬ِ‫ك‬ََٰ ‫ل‬َ‫و‬ ُ‫م‬ِ‫ي‬ َ ‫ق‬ ‫ي‬ ‫ٱل‬ ُ‫ِين‬‫ٱدل‬ َ ‫ِك‬‫ل‬ََٰ ‫ذ‬ ِۡۚ َّ ‫ٱَّلل‬ ِ‫ق‬ ‫ي‬ ‫ل‬َ ِ ‫ِل‬ َ ‫ِيل‬‫د‬‫ي‬‫ب‬ َ ‫ت‬ َ ‫َل‬ َ ‫ون‬ُ‫م‬ َ ‫ل‬‫ي‬‫ع‬َ‫ي‬ ﴾ 28 “आप एकांत होकर् अपना म़ुूँह द न की ओर् कर् लें। (यह ) अल्लाह तआला की िह कफतर्त (प्रकृ नत) (है), जजस पर् उसने लोगों को पैदा ककया है। अल्लाह की सृजष्ट को िदलना नह ं है। यह सीधा द न है, ककन्त़ु अधधकांश लोग नह ं जानते।” तथा फर्मायााः ﴿ ِ ‫ه‬َٰ َ‫ر‬‫ي‬‫ب‬ِ‫إ‬ ٓ ‫ا‬َ‫ه‬ِ‫ب‬ َٰ َّ ‫َّص‬َ‫و‬َ‫و‬ ۧ ُ‫م‬ َ‫ِين‬‫ٱدل‬ ُ‫م‬ ُ ‫ك‬ َ ‫ل‬ َٰ َ ‫َف‬ َ‫ط‬ ‫ي‬ ‫ٱص‬ َ َّ ‫ٱَّلل‬ َّ ‫ن‬ِ‫إ‬ َّ ِ ‫ِن‬َ‫ب‬َٰ َ ‫ي‬ ُ ‫وب‬ ُ ‫ق‬‫ي‬‫ع‬َ‫ي‬َ‫و‬ ِ‫ه‬‫ي‬ِ‫ن‬َ‫ب‬ َ ‫ون‬ُ‫ِم‬‫ل‬ ‫ي‬‫س‬ُّ‫م‬ ‫م‬ُ‫نت‬ َ ‫أ‬َ‫و‬ َّ ‫َل‬ِ‫إ‬ َّ‫ن‬ ُ ‫وت‬ُ‫م‬ َ ‫ت‬ َ ‫َل‬ َ ‫ف‬ ﴾ 29 “और् इसी इब्राह मी धमर की िसीयत इब्राह म ने और् याक ू ि ने अपनी-अपनी संतान को की कक ऐ मेर्े िेटो! अल्लाह तआला ने त़ुम्हार्े ललए इस धमर को पसन्द कर् ललया है। तो सािधान! त़ुम म़ुसलमान होकर् ह मर्ना।” 28 सूर्ह अर््-रूमाः 30 29 सूर्ह अल्-िकर्ााः 1 32
  • 46. 43 तथा अल्लाह तआला ने फर्मायााः ﴿ ‫ِيف‬‫ن‬َ‫ح‬ َ‫ِيم‬‫ه‬َٰ َ‫ر‬‫ي‬‫ب‬ِ‫إ‬ َ ‫ة‬ َّ ‫ِل‬‫م‬ ‫ي‬‫ع‬ِ‫ب‬ َّ ‫ٱت‬ ِ‫ن‬ َ ‫أ‬ َ ‫ك‬‫ي‬ َ ‫ۡل‬ِ‫إ‬ ٓ ‫ا‬َ‫ن‬‫ي‬‫ي‬َ‫ح‬‫ي‬‫و‬ َ ‫أ‬ َّ‫م‬ ُ ‫ث‬ َ ‫َك‬ ‫ا‬َ‫م‬َ‫و‬ ۡۖ‫ا‬ َ ‫ن‬ َ‫ِۡي‬‫ك‬ِ ‫ي‬ ‫ۡش‬ُ‫م‬ ‫ي‬ ‫ٱل‬ َ‫ِن‬‫م‬ ﴾ 30 “किर् हमने आपकी ओर् यह िह़्य भेजी कक आप लमल्लते इब्राह मी का अऩुसर्र् कीजजए, जो कक म़ुिजह़्ह़द (एक े श्िर्िाद ) थे और् म़ुधश्रकों में से न थे।” इब्ने मस्ऊद र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ु से िर्र्रत है कक पैगम्िर् सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम ने फर्मायााः “प्रत्येक निी क े अजम्िया में से क ़ु छ दोस्त होते हैं और् उनमें से मेर्े दोस्त इब्राह म हैं, जो मेर्े िाप और् मेर्े पालनहार् क े खल ल (दोस्त) हैं।” इसक े िाद आपने यह आयत पढ ाः ﴿ َ‫ِين‬ َّ ‫ٱَّل‬َ‫و‬ ُّ ِ ‫ِب‬َّ‫ٱنل‬ ‫ا‬ َ ‫ذ‬َٰ َ ‫ه‬َ‫و‬ ُ‫وه‬ُ‫ع‬َ‫ب‬ َّ ‫ٱت‬ َ‫ِين‬ َّ ‫َّل‬ َ ‫ل‬ َ‫ِيم‬‫ه‬َٰ َ‫ر‬‫ي‬‫ب‬ِ‫إ‬ِ‫ب‬ ِ ‫اس‬َّ‫ٱنل‬ َ ‫َل‬‫ي‬‫و‬ َ ‫أ‬ َّ ‫ن‬ِ‫إ‬ َ‫ِۡي‬‫ن‬ِ‫م‬ ‫ي‬ ‫ؤ‬ُ‫م‬ ‫ي‬ ‫ٱل‬ ُّ ِ ‫َل‬َ‫و‬ ُ َّ ‫ٱَّلل‬َ‫و‬ ْۗ ْ ‫وا‬ُ‫ن‬َ‫ام‬َ‫ء‬ ﴾ 31 30 सूर्ह अन ्-नह़्लाः 1 23 31 सूर्ह आले इम्रानाः 68
  • 47. 44 “सिसे अधधक इब्राह म से ननकट िह लोग हैं, जजन्होंने उनका अऩुसर्र् ककया और् यह निी और् िह लोग जो ईमान लाए, और् मोलमनों का दोस्त अल्लाह है।” इस ह़द स को नतलमऱिी ने रर्िायत ककया है। अिू ह़ुर्ैर्ा र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ु से रर्िायत है, िह ियान कर्ते हैं कक र्सूल़ुल्लाह सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम ने फर्मायााः “अल्लाह तआला त़ुम्हार्ा शर् र् और् त़ुम्हार्ा धन नह ं देखता, िजल्क त़ुम्हार्ा ददल और् त़ुम्हार्ा कायर देखता है।” ि़ुखार् एिं म़ुजस्लम में इब्ने मस्ऊद र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ु से िर्र्रत है, िह कहते हैं कक पैगम्िर् सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम ने फर्मायााः “मैं ह़ौ़िे-कौसर् पर् त़ुम सिसे पहले उपजस्थत र्हूूँगा। मेर्े पास मेर् उम्मत क े क ़ु छ लोग उपजस्थत होंगे। जि मैं उन्हें देने क े ललए िढूूँगा, तो िह म़ुझसे र्ोक ददए जाएंगे। मैं कहूूँगााः ऐ मेर्े
  • 48. 45 पालनहार्! यह तो मेर् उम्मत क े लोग हैं! म़ुझसे कहा जाएगा कक आपको पता नह ं कक आपक े िाद इन्होंने क्या-क्या बिद्अतें आविष्कार् कर् ल थीं।” और् ि़ुखार् एिं म़ुजस्लम में अिू ह़ुर्ैर्ा र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ु से िर्र्रत है कक पैगम्िर् सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम ने फर्मायााः “मेर् इच्छा थी कक हम अपने भाईयों को देख लेते” सह़ािा ने कहा कक ऐ अल्लाह क े पैगम्िर्! क्या हम आपक े भाई नह ं? फर्मायााः “त़ुम मेर्े असह़ाि (साथी) हो। मेर्े भाई िह हैं, जो अि तक नह ं आए।” सह़ािा ने कहा कक ऐ अल्लाह क े पैगम्िर्! आपकी उम्मत क े जो लोग अभी तक पैदा नह ं ह़ुए, आप उन्हें क ै से पहचान लेंगे? फर्मायााः “क्या अनत श्िेत और् काले घोडों क े िीच अगर् ककसी का चमकदार् माथा और् सफ े द पाूँि िाला घोडा हो, तो क्या िह अपना घोडा नह ं पहचान पायेगा?” उन्होंने उत्तर् ददयााः हाूँ, क्यों नह ं? तो आपने फर्मायााः “मेर् उम्मत भी कयामत क े ददन इस प्रकार् उपजस्थत होगी कक ि़ु़ि़ु क े प्रभाि से उनक े चेहर्े
  • 49. 46 और् अन्य ि़ु़ि़ु क े स्थान चमक र्हे होंगे। मैं हौ़िे कौसर् पर् पहले से उनकी प्रतीिा कर् र्हा हूूँगा। स़ुनो! कयामत क े ददन क ़ु छ लोग मेर्े ह़ौ़िे कौसर् से ऐसे ह ध़ुतकार् ददए जाएंगे, जजस प्रकार् पर्ाया ऊ ूँ ट ध़ुत्कार् ददया जाता है। मैं उन्हें आिा़ि दूूँगा कक स़ुनो! इधर् आओ! तो म़ुझसे कहा जाएगा कक यह िह लोग हैं, जजन्होंने आपक े िाद द न में परर्ितरन की थी। मैं कहूूँगा कक किर् तो दूर् हो जाओ! दूर् हो जाओ!” और् सह़ ह़ ि़ुखार् में है कक पैगम्िर् सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम ने फर्मायााः जजस समय मैं ह़ौ़िे कौसर् पर् र्हूूँगा, एक टोल प्रकट होगी! जि मैं उन्हें पहचान लूूँगा, तो मेर्े और् उनक े िीच से एक आदमी ननकलेगा और् उनसे कहेगााः इधर् आओ! मैं पूछ ूूँगााः कहाूँ? िह कहेगााः अल्लाह की कसम जहन्नम की ओर्! मैं कहूूँगााः इनका क्या मामला है? िह कहेगााः यह िह लोग हैं, जो आपक े िाद द न से किर् गए थे। किर् इसक े िाद एक अन्य टोल प्रकट होगी। –इस टोल क े िार्े
  • 50. 47 में भी आपने िह िात कह , जो पहल टोल क े िार्े में कह थी।- इसक े िाद आपने फर्मायााः इनमें से मोि प्राप्त कर्ने िालों की संख्या भटक े ह़ुए ऊ ूँ टों क े समान िह़ुत ह कम होगी।” और् ि़ुखार् एिं म़ुजस्लम में इब्ने अब्िास र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ुमा की ह़द स है कक पैगम्िर् सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम ने फर्मायााः उस समय मैं भी िह कहूूँगा, जो अल्लाह क े नेक (सदाचार् ) िन्दे –ईसा अलैदहस्सलाम- ने कहा थााः ﴿ ‫يد‬ِ‫ه‬ َ ‫ش‬ ‫ي‬‫م‬ِ‫ه‬‫ي‬‫ي‬ َ ‫ل‬ َ ‫ع‬ ُ ‫نت‬ ُ ‫ك‬َ‫و‬ َ ‫نت‬ ُ ‫ك‬ ِ ‫ِن‬ َ ‫ت‬‫ي‬‫ي‬ َّ ‫ف‬َ‫و‬ َ ‫ت‬ ‫ا‬َّ‫م‬ َ ‫ل‬ َ ‫ف‬ ۡۖ‫ي‬‫م‬ِ‫ه‬‫ِي‬‫ف‬ ُ ‫ت‬‫ي‬‫م‬ ُ ‫د‬ ‫ا‬َّ‫م‬ ‫ا‬ َ ‫ِيب‬‫ق‬َّ‫ٱلر‬ َ ‫نت‬ َ ‫أ‬ ۡۚ ‫ي‬‫م‬ِ‫ه‬‫ي‬‫ي‬ َ ‫ل‬ َ ‫ع‬ ‫ء‬ ‫ي‬ َ ‫َش‬ ِ ُ ‫ك‬ َٰ َ َ ‫لَع‬ َ ‫نت‬ َ ‫أ‬َ‫و‬ ‫يد‬ِ‫ه‬ َ ‫ش‬ ﴾ 32 “जि तक मैं उनक े िीच र्हा, उनपर् गिाह र्हा। किर् जि तूने म़ुझे उठा ललया, तो तू ह उनसे अिगत र्हा और् तू हर् ची़ि की पूर् सूचना र्खता है।” तथा ि़ुखार् एिं म़ुजस्लम में इब्ने अब्िास र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ुमा से मि ूर अन रर्िायत हैाः 32 सूर्ह अल्-माइदााः 1 1 7
  • 51. 48 “हर् िच्चा इस्लाम की कफतर्त पर् पैदा होता है। किर् उसक े माूँ-िाप उसे ईसाई, यहूद या मजूसी िना देते हैं। जजस प्रकार् कक चौपाया सम्पूर्र –िे ऐि- चौपाया जनता है। क्या त़ुम उनमें से कोई चौपाया ऐसा पाते हो, जजसक े कान कटे-िटे हों? यहाूँ तक कक त़ुम ह स्ियं उसक े कान चीर्-काट देते हो। इसक े िाद अिू ह़ुर्ैर्ा र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ु ने यह आयत पढ ाः 33 ﴾ۡۚ‫ا‬َ‫ه‬‫ي‬‫ي‬ َ ‫ل‬ َ ‫ع‬ َ ‫اس‬َّ‫ٱنل‬ َ‫ر‬ َ ‫ط‬ َ ‫ف‬ ِ ‫ِت‬ َّ ‫ٱل‬ ِ َّ ‫ٱَّلل‬ َ ‫ت‬َ‫ر‬ ‫ي‬ ‫ِط‬‫ف‬﴿ “अल्लाह की िह कफतर्त, जजसपर् उसने लोगों को पैदा ककया है।” ह़़ु़िैफा र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ु से िर्र्रत है, िह कहते हैं: “लोग पैगम्िर् सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम से खैर् –भलाई- क े विषय में प्रश्न कर्ते थे और् मैं आपसे शर्र –ि़ुर्ाई- क े िार्े में पूछता था, इस डर् से कक मैं उसका लशकार् न हो जाऊ ूँ । मैंने कहा कक ऐ अल्लाह क े पैगम्िर्! हम जादहललयत और् ि़ुर्ाई में पडे ह़ुए 33 सूर्ह अर््-रूमाः 30
  • 52. 49 थे। किर् अल्लाह तआला ने हमें खैर् –भलाई- की नेमत से सम्माननत ककया। तो क्या इस खैर् क े िाद भी किर् कोई ि़ुर्ाई होगी? तो आपने फर्मायााः हाूँ! मैंने कहााः क्या इस ि़ुर्ाई क े िाद किर् खैर् का ़िमाना आयेगा? फर्मायााः “हाूँ, ककन्त़ु उसमें खोट होगी।” मैंने कहा कक क ै सी खोट होगी? आपने फर्मायााः “क ़ु छ लोग ऐसे होंगे, जो मेर् स़ुन्नत और् दहदायत को छोडकर् दूसर्ों का तर् का अपनायेंगे। त़ुम्हें उनक े क ़ु छ काम उधचत मालूम होंगे और् क ़ु छ काम अऩुधचत।” मैंने कहााः क्या इस खैर् क े िाद किर् ि़ुर्ाई प्रकट होगी? िर्मायााः हाूँ, भयानक कफत्ने और् नर्क की ओर् ि़ुलाने िाले लोग पैदा होंगे। जो उनकी स़ुनेगा, उसे नर्क में झोंक देंगे।”, मैंने कहााः ऐ अल्लाह क े पैगम्िर्! आप हमें उनक े औसाफ िता दें। फर्मायााः “िह हममें से ह होंगे और् हमार् ह भाषा में िात कर्ेंगे।” मैंने कहााः ऐ अल्लाह क े पैगम्िर्! यदद यह समय म़ुझे लमल जाए, तो आप म़ुझे क्या आदेश देते हैं? फर्मायााः म़ुसलमानों की जमाअत और् उनक े इमाम क े साथ ज़ुडे र्हना।” मैंने कहा कक अगर् उस समय
  • 53. 50 म़ुसलमानों की कोई जमाअत और् उनका इमाम न हो, तो क्या करू ूँ ? फर्मायााः “किर् इन सभी कफकों से अलग र्हना, चाहे त़ुम्हें ककसी पेड की जड से धचमटना ह क्यों न पड जाए, यहाूँ तक कक इसी ह़ालत में त़ुम्हार् मृत्य़ु हो जाए।” इस ह़द स को ि़ुखार् एिं म़ुजस्लम ने रर्िायत ककया है, ककन्त़ु म़ुजस्लम की रर्िायत में इतनी िृजध्द हैाः “इसक े िाद क्या होगा? फर्मयााः “किर् दज्जाल प्रकट होगा। उसक े साथ एक नहर् और् एक जहन्नम होगी। जो उसकी जहन्नम में प्रिेश कर्ेगा, उसका अज्र साबित हो जाएगा और् ग़ुनाह माि हो जाएंगे। और् जो उसकी नहर् में प्रिेश कर्ेगा, उसका ग़ुनाह िाजजि और् अज्र समाप्त हो जाएगा।” मैंने कहााः किर् इसक े िाद क्या होगा? िर्मायााः “इसक े िाद कयामत आ जाएगी।” अि़ुल आललया फर्माते हैाः “इस्लाम की लशिा प्राप्त कर्ो। जि इस्लाम की लशिा प्राप्त कर् लो, तो इससे म़ुूँह न मोडो। सीधे मागर पर् चलते र्हो, क्योंकक यह इस्लाम है। इसे
  • 54. 51 छोडकर् दाएं-िाएं न म़ुडो। और् अपने निी सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम की स़ुन्नत पर् अमल कर्ते र्हो और् असत्य और् भ्रष्ट अकायद और् बिद्अतों क े ननकट न जाओ।” अि़ुल आललया –र्ह़मत़ुल्लादह अलैदह- क े इस कथन पर् गौर् कर्ो। ककतना ऊ ूँ चा कथन है! और् उनक े उस समय का स्मर्र् कर्ो, जजसमें िह इन भ्रष्ट अकाइद एिं बिद्अतों से सािधान कर् र्हे हैं कक जो इन गलत अकाइद एिं बिद्अतों में पड जाए, िह मानो कक इस्लाम से किर् गया। ककस प्रकार् उन्होंने इस्लाम की व्याख्या स़ुन्नत –ह़द स- से की है। उनका िडे-िडे और् विद्िान तािेईन क े िार्े में ककताि ि स़ुन्नत क े दायर्े से ननकलने का डर् अल्लाह तआला क े इस फमारन का अथर स्पष्ट कर् देता हैाः ﴿ َ ‫ال‬ َ ‫ق‬ ۡۖ‫ي‬‫ِم‬‫ل‬‫ي‬‫س‬ َ ‫أ‬ ٓ‫ۥ‬ُ‫ه‬ُّ‫ب‬َ‫ر‬ ‫ۥ‬ُ َ ‫ِل‬ َ ‫ال‬ َ ‫ق‬ ‫ي‬ ‫ذ‬ِ‫إ‬ َ‫ۡي‬ِ‫م‬ َ ‫ل‬َٰ َ ‫ع‬ ‫ي‬ ‫ٱل‬ ِ ‫ب‬َ‫ِر‬‫ل‬ ُ ‫ت‬‫ي‬‫م‬ َ ‫ل‬‫ي‬‫س‬ َ ‫أ‬ ﴾ 34 34 सूर्ह अल्-िकर्ााः 1 31
  • 55. 52 “जि उनक े पालनहार् ने उनसे कहा कक आज्ञाकार् हो जाओ, तो उन्होंने कहा कक मैं अल्लाह र्ब्ि़ुल आलमीन का आज्ञाकार् हो गया।” और् इस फमारन क े अथर को भीाः ﴿ ِ ‫ه‬َٰ َ‫ر‬‫ي‬‫ب‬ِ‫إ‬ ٓ ‫ا‬َ‫ه‬ِ‫ب‬ َٰ َّ ‫َّص‬َ‫و‬َ‫و‬ ۧ ُ‫م‬ َ َّ ‫ٱَّلل‬ َّ ‫ن‬ِ‫إ‬ َّ ِ ‫ِن‬َ‫ب‬َٰ َ ‫ي‬ ُ ‫وب‬ ُ ‫ق‬‫ي‬‫ع‬َ‫ي‬َ‫و‬ ِ‫ه‬‫ي‬ِ‫ن‬َ‫ب‬ َ‫ِين‬‫ٱدل‬ ُ‫م‬ ُ ‫ك‬ َ ‫ل‬ َٰ َ ‫َف‬ َ‫ط‬ ‫ي‬ ‫ٱص‬ َ ‫ون‬ُ‫ِم‬‫ل‬ ‫ي‬‫س‬ُّ‫م‬ ‫م‬ُ‫نت‬ َ ‫أ‬َ‫و‬ َّ ‫َل‬ِ‫إ‬ َّ‫ن‬ ُ ‫وت‬ُ‫م‬ َ ‫ت‬ َ ‫َل‬ َ ‫ف‬ ﴾ 35 “इसी िात की िसीयत इब्राह न ने और् याक ू ि ने अपनी-अपनी संतान को की कक ऐ मेर्े िेटो! अल्लाह ने त़ुम्हार्े ललए इस धमर को पसन्द कर् ललया है, तो त़ुम म़ुसलमान होकर् ह मर्ना।” तथा इस िमारन क े अथर को भीाः ﴿ ِ ‫ه‬َٰ َ‫ر‬‫ي‬‫ب‬ِ‫إ‬ ِ‫ة‬ َّ ‫ِل‬‫م‬ ‫ن‬ َ ‫ع‬ ُ ‫ب‬ َ ‫غ‬‫ي‬‫ر‬َ‫ي‬ ‫ن‬َ‫م‬َ‫و‬ ۧ ُ‫ه‬ َ‫س‬ ‫ي‬ ‫ف‬ َ ‫ن‬ َ‫ه‬ِ‫ف‬َ‫س‬ ‫ن‬َ‫م‬ َّ ‫َل‬ِ‫إ‬ َ‫م‬ ﴾ 36 “और् इब्राह म क े धमर से िह म़ुूँह मोडेगा, जो मूखर होगा।” 35 सूर्ह अल्-िकर्ााः 1 32 36 सूर्ह िकर्हाः 1 30
  • 56. 53 इसी प्रकार् की और् भी मूल िातें ज्ञात होंगी, जो मूल आधार् की ि़ुननयाद र्खती हैं, पर्न्त़ु लोग इनसे ननश्चेत हैं। अि़ुल-आललया क े कथन पर् गौर् कर्ने से इस अध्याय में िर्र्रत ह़द सों और् इन जैसी अन्य ह़द सों का भी अथर स्पष्ट हो जाएगा। पर्न्त़ु जो व्यजक्त यह और् इन जैसी अन्य आयतों और् ह़द सों को पढकर् ग़ु़िर् जाए और् इस िात से संत़ुष्ट हो कक िह इन खतर्ों का लशकार् नह ं होगा और् सोचे कक इसका सम्िन्ध ऐसे लोगों से है, जो कभी थे और् अि समाप्त हो गए हैं, तो जान जाइये कक यह व्यजक्त भी अल्लाह तआला की पकड से ननडर् है और् अल्लाह की पकड से िह लोग ननडर् होते हैं, जो घाटा उठाने िाले हैं। और् अब्द़ुल्लाह बिन मस्ऊद र्ज़ियल्लाह़ु अन्ह़ु से िर्र्रत है, िह कहते हैं कक अल्लाह क े पैगम्िर् सल्लल्लाह़ु अलैदह ि सल्लम ने एक लकीर् खींची और् फर्मायााः “यह अल्लाह का सीधा मागर है।” किर् उस लकीर् क े दाएं-िाएं कई लकीर्ें खींचीं और् फर्मायााः “यह ऐसे मागर हैं, जजनमें से हर् मागर पर्
  • 57. 54 शैतान िैठा ह़ुआ है और् अपनी ओर् ि़ुला र्हा है।” इसक े िाद आपने इस आयत की नतलाित कीाः ﴿ ‫يم‬ِ‫ق‬َ‫ت‬ ‫ي‬‫س‬ُ‫م‬ ِ ‫ِط‬َٰ َ‫ر‬ ِ‫ص‬ ‫ا‬ َ ‫ذ‬َٰ َ ‫ه‬ َّ ‫ن‬ َ ‫أ‬َ‫و‬ ِ‫ب‬ َّ ‫ٱت‬ َ ‫ف‬ ‫ا‬ َ ‫ل‬ُ‫ب‬ ُّ‫ٱلس‬ ْ ‫وا‬ُ‫ع‬ِ‫ب‬ َّ ‫ت‬ َ ‫ت‬ َ ‫َل‬َ‫و‬ ُۡۖ‫وه‬ُ‫ع‬ ‫ي‬‫م‬ ُ ‫ك‬ َّ ‫ل‬َ‫ع‬ َ ‫ل‬ ‫ِۦ‬‫ه‬ِ‫ب‬ ‫م‬ ُ ‫ك‬َٰ‫ى‬ َّ ‫ص‬َ‫و‬ ‫ي‬‫م‬ ُ ‫ِك‬‫ل‬ََٰ ‫ذ‬ ۡۚ ‫ِۦ‬‫ه‬ِ‫ل‬‫ي‬ِ‫ب‬َ‫س‬ ‫ن‬ َ ‫ع‬ ‫ي‬‫م‬ ُ ‫ك‬ِ‫ب‬ َ ‫ق‬َّ‫ر‬ َ ‫ف‬َ‫ت‬ َ ‫ف‬ َ ‫ون‬ ُ ‫ق‬َّ‫ت‬ َ ‫ت‬ 37 ﴾ “और् यह मेर्ा सीधा मागर है, तो त़ुम इसी पर् चलो, और् दूसर्े मागों पर् मत चलो कक िह त़ुम्हें अल्लाह क े मागर से अलग कर् देंगे, इसी का अल्लाह तआला ने त़ुमको ताकीद आदेश ददया है ताकक त़ुम पर्हे़िगार् (ईशभय र्खने िाले) िनो।” इस ह़द स को इमाम अह़मद और् नसाई ने रर्िायत ककया है। 37 सूर्ह अल-अन ्आमाः1 53
  • 58. 55 इस्लाम की अजनबियत और् ग़ुर्िा (अजनबियों) की विशेषता अल्लाह तआला का फमारन हैाः ﴿ ‫ة‬َّ‫ي‬ِ‫ق‬َ‫ب‬ ْ ‫وا‬ ُ ‫ل‬ْ‫و‬ ُ ‫أ‬ ‫ي‬‫م‬ ُ ‫ِك‬‫ل‬‫ي‬‫ب‬ َ ‫ق‬ ‫ِن‬‫م‬ ِ‫ون‬ُ‫ر‬ ُ ‫ق‬ ‫ي‬ ‫ٱل‬ َ‫ِن‬‫م‬ َ ‫ن‬ َ ‫َك‬ َ ‫َل‬‫ي‬‫و‬ َ ‫ل‬ َ ‫ف‬ َ ‫ن‬‫ي‬‫و‬َ‫ه‬ ‫ي‬ ‫ن‬َ‫ي‬ ‫ِيَل‬‫ل‬ َ ‫ق‬ َّ ‫َل‬ِ‫إ‬ ِ ‫ۡرض‬ َ ‫ي‬ ‫ٱۡل‬ ِ ‫ِف‬ ِ‫د‬‫ا‬ َ‫س‬ َ ‫ف‬ ‫ي‬ ‫ٱل‬ ِ‫ن‬ َ ‫ع‬ َ‫ع‬َ‫ب‬ َّ ‫ٱت‬َ‫و‬ ْۗ‫ي‬‫م‬ُ‫ه‬ ‫ي‬ ‫ِن‬‫م‬ ‫ا‬َ‫ن‬‫ي‬‫ي‬َ‫جن‬ َ ‫أ‬ ‫ي‬‫ن‬َّ‫ِم‬‫م‬ ْ ‫وا‬ ُ ‫ف‬ِ‫ر‬ ‫ي‬ ‫ت‬ ُ ‫أ‬ ٓ ‫ا‬َ‫م‬ ْ ‫وا‬ُ‫م‬ َ ‫ل‬ َ ‫ظ‬ َ‫ِين‬ َّ ‫ٱَّل‬ َ‫ِۡي‬‫م‬ِ‫ر‬ ‫ي‬ ُ ‫ُم‬ ْ ‫وا‬ ُ ‫ن‬ َ ‫َك‬َ‫و‬ ِ‫ه‬‫ِي‬‫ف‬ ﴾ 38 38 सूर्ह हूदाः 1 1 6