3. प्राणस्येदं वशे सवं नत्रनदवे यत्प्प्रनठनतम्ठम
माठेव पुत्रान रक्षस्व श्रीश्च प्रज्ांच विध नव ेनइ न ।नठ २.१२
(प्रश्नोपननषद)
ભાવાર્થ:ત્રિલોકમાાંજેકાાંઈપ્રત્રિષ્ઠિિછે િે સવથ પ્રાણને આત્રિનછે. (હે
પ્રાણ)માિાજે રીિે પુિનુાંરક્ષણ કરે િે રીિે અમારુ રક્ષણ કરઅને
સમૃધ્ધિ િેમજ બુધ્ધિ પ્રદાનકર.
Meaning: Whatever is manifested in the threefold world is
under the control of Prana. O Prana care us like a mother to
her child and bestow us with wealth and higher intellect.
भावार्थ: त्रैलोक्यात जे जे काही अस्ततत्त्वात आहे ते सवथ प्राणाच्या आधीन आहे.
हे प्राणा, मातेप्रमाणे आम्हा मुलाांचे रक्षण कर आस्ण आम्हाला सांपत्ती व बुद्धी ेे.
4. श्वसन ननयंत्रण द्वारा मनो ननयंत्रण
दोष Disorder कारण उपाय
गनठमान
श्वसन
Speedy breathing,
asthmatic 23 / m
Hypertension 25 / m
Anxiety Nurosis 31/ m
शरीर की सठठ इालच विधाल,
क्रो , संठाप, ठनाव ,
क्षोनिठ मन:नस्िठी
सुखासन, कायास्िैयय,
कायाशैनिल्य,
मंद श्वसन
झटके दार श्वसन Jerky Breathing
नसकु ड़ा नाक, सदी,
कफ़, ।त्प्यानद
श्वसनमागय शुनि,
कपालिानठ, जलनेनठ
उिला (नििला)
श्वसन
Shallow / Light
Breathing
श्वसन संबंन ठ स्नायु की
दुबयलठा या अकाययक्षमठा
दीर्य श्वसन
अव्यवनस्िठ
श्वसन
Haphazard Breathing - - // - - भ्रामरी, ओंकार
श्वास बड़ा,
प्रश्वास िोटा
Inhale Long
Exhale Short
नैसनगयक
समावठयन १:१:१:१
अनुलोम नवलोम १:२
श्वसन दोष
6. अंर्
ि.
हठ प्रदीवपका
(स्वात्माराम )
चिुरंर् योर्
र्ोरक्ष शिक
(र्ोरक्षनाथ)
षडांर् योर्
र्ेरंड संहहिा
(र्ेरंड मुतन)
सपिांर् योर्
योर् दशगन
(पिंजलल)
अष्ांर् योर्
१ आसन आसन षट्कमग यम
२ क
ुं भक
(प्राणायाम)
प्राणायाम आसन तनयम
३ मुरा प्रत्याहार मुरा आसन
४ नादानुसंिान िारणा प्रत्याहार प्राणायाम
५ ध्यान प्राणायाम प्रत्याहार
६ समाधि ध्यान िारणा
७ समाधि ध्यान
८ समािी
ववववि ग्रंथो में प्राणायाम का स्थान
7. प्राण का
नाम
नपंड कायय ब्रह्ांड च विधक्र
प्राण
नेत्र, कणय, नानसका,
मुख,ह्रदय
श्वसन सूयय
अनाइठ ,
नवशुनि
अपान
मल मागय और
मूत्र मागय
उत्प्सजयन
पृथ्वी,
जल
स्वान तम्ान,
मूला ार
व्यान संपूणय शरीर वइन वायु ---
उदान
सुषुम्णा नाडी, गला
,मनस्ठष्क
उर्धवय गमन ठेज
आज्ा, नबंदु ,
सइस्त्रार
समान पक्वाशय पच विधन आकाश मनणपुर
मुख्य
प्राण
9. प्राणायाम ठत्त्व ठंत्र शास्त्र
• प्राणायाम शुरू करने से पइेले यिाशनक्त, प्रमाण नवरनइठ सजगठापूवयक दीगय
श्वसन का अभ्यास करना इै.
• प्राणायाम करठे समय श्वास और प्रश्वास के ऊपर ीरे ीरे सइजठा से ननयंत्रण
पाना इै.
यथा त्रसंिो गजो व्याघ्रो भवेद्वश्य: शनै: शनै: ।
िथैव सेत्रविो वायुरन्यथा ित्रन्ि साधकम् ।।
२.१५ ।। (िठ प्र.)
• श्वास लेना (पूरक), रोकना (कुं िक) और िोड़ना (रेच विधक) ।सका जो प्रमाण इै
(१:४:२) उसका इठाग्रइ से पालन करना नइीं इै. शुरुआठ में कुं िक करना नइीं
इै.
• पूरक की ठुलना में रेच विधक का समय ीरे ीरे बढ़ाना इै.
• उत्प्साइ, ठाजगी शांनठ और स्वस्िठा का अनुिव योग्य प्राणायाम के लक्षण इै.
10. • प्राणायाम ठत्त्व ठंत्र शास्त्र
• सर िरी लगे, िकान लगे, श्वास के ऊपर इमारा ननयंत्रण ना रइे ठो ये
अयोग्य प्राणायाम के लक्षण समजकर प्राणायाम करना बंद करना इै.
और नवशेषज् का मागयदशयन लेना इै.
• उत्प्साइ, ठाजगी शांनठ और स्वस्िठा का अनुिव योग्य प्राणायाम के
लक्षण इै.
प्राणायामेन युक्िेन सववरोगक्षयोभवेि्।
अयुक्िाभ्यासयोगेन सववरोगसमुद्भव: ।।
२.१६ ।। (िठ प्र.)
• नसर्
य पुस्ठक पढ़कर या टी.नव. में देखकर प्राणायाम का अभ्याश
करना नइीं इै. मागय दशयक के मइत्त्व को इमे र्धयान में रखना इै.
11. प्राणायाम ठत्त्व ठंत्र शास्त्र
• उच्च विध रक्तदाब, ह्रदय नवकार, और क्षय रोग इो ठो कुं िक और भ्रनस्त्रका प्राणायाम
करना नइीं इै. अन्य प्राणायाम करठे समय िी नवशेषज् की सलाइ लेना जरुरी इै.
• शरीर, श्वास और मन ये नठन प्राणायाम के मुख्य र्टक इै.
चले वािे चलं त्रचत्तं त्रनश्चले त्रनश्चलं भवेि् ।
योगी स्थाणुत्प्वमाप्नोत्रि ििो वायुं त्रनरोधयेि् ।।
२.२ ।। (िठ प्र.)
• प्राणायाम में पूरक, कुं िक , बं और रेच विधक ये सारी नक्रयाए सजगठा से और
सइजठा से करनी इै.
• शीठली और नशत्प्कारी प्राणायाम में पूरक मुइ से करना इै. अन्य सिी प्राणायाम में
पूरक नाक से करना इै.
सूयवभेदनमुज्जायी सीत्प्कारी शीिली िथा ।
भत्रिका भ्रामरी मूर्च्ाव प्लात्रवनीत्प्यष्ट क
ु म्भक: ।।
२.४४।। (िठ प्र.)
13. प्राणायाम के सवय सा ारण लाि
• श्वसन ननयंत्रण द्वारा मनो ननयंत्रण
• अनैनच्िक नक्रयाओंपर ननयंत्रण
• अनिसरण-पाच विधन-उत्प्सजयन संस्िा का कायय सु रठा इै.
• मज्जासंस्िा काययक्षम बनठी इै.
• श्वसन क्षमठा बढ़ठी इै.
• र्
े र्ड़ो का व्यायाम इोठा इै और रोग प्रनठकारक शनक्त बढ़ठी इै.
• एकाग्रठा, समरसठा में वृनि इोठी इै.
• रोग प्रनठबं क रोग ननयंत्रक और कोई कोई रोग में ननवारक इोठा इै.
• माननसक संठुलन प्राप्त इोठा इै.
14. मन – पवन संबंध
पवनो बर्धयठे येन मनस्ठेनैव बर्धयठे
मनश्च बर्धयठे येन पवनस्ठेन बर्धयठे HP 4 / 21
योगी जिससे पवन (प्राण) का बंधन कर लेता है उसीसे मन को भी बंधन कर लेता है और जिस
कारण से मन का बंधन कर सकता है उसी तरीके से प्राण को भी बांध सकता है अर्ाात् मन और
पवन इन दोनों में से एक के बंधन से दोनों का बंधन हो सकता है
Through restraining the prana, thought and counter-thought are restrained
and through restraint of thought and counter-thought, prana is restrained.
मनो यत्र नवलीयेठ पवनस्ठत्र लीयठे
पवनो लीयठे यत्र मनस्ठत्र नवलीयठे HP 4 / 23
जिस में मन का लय होता है वहां ही पवन का लय हो िाता है और िहााँ पवन का लय होता है
वहां ही मन भी लीन हो िाता है
Where mind is stilled, then the prana is suspended there, and where prana is
suspended, there the mind is still.
15. मन – पवन संबंध
रसस्य मनसश्चैव च विधंच विधलत्प्वं स्विावठ
रसो बिो मनो बिं नकं न नसियनठ िूठले HP 4 / 26
रस (पारा) और मन ये दोनों स्वभाव से चंचल है . यजद रस और मन ये दोनों बंध िाये तो भूतल
में ऐसी कौन सी वस्तु है िो जसद्ध न हो सके अर्ाात् सब पदार्ा जसद्ध हो सकते हैं
By nature, Mercury and mind are unsteady: there is nothing in the world
which cannot be accomplished when these are made steady.
।ंनद्रयाणां मनो नािो मनोनािस्ठु मारुठ
मारुठस्य लयो नाि स लयो नादमानश्रठ HP 4 / 29
श्रोत्र आजद इजरियों का नार् (प्रवताक) अरत:करण – मन है और मन का नार् प्राण है और प्राण
का नार् मन का लय है और वह मन का लय नाद के आजश्रत है अर्ाात् नाद में मन का लय
होता है
Mind is the master of the senses, and the breath is the master of the mind.
The breath in its turn is subordinate to the laya (absorption), and that laya
depends on the nada.
16. Check List for Pranayama practitioners / Preparatory
Breathing Practices
The eyes should be closed during Pranayama practice.
The upper body should be straight and erect.
The head, neck and back should be aligned.
The shoulder and abdominal muscles should be relaxed.
The hands should be resting on the knees in appropriate Mudra.
The body remains motionless during the practice.
The mood should be tranquil and relaxed.