2. उपागम
• प्रतिदर्श या क्रमबद्ध उपागम
• नगर िंत्र उपागम
• ऐतिहासिक उपागम
• आकाररकीय उपागम
• प्रकायाशत्मक उपागम
• गुणात्मक उपागम
• िांख्ययकीय उपागम
• व्यवहारवादी और
मानविावादी उपागम
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3. क्रमबद्ध उपागम
(Systematic Approach)
• एक र्हर, नगर या नगरीय क्षेत्र को एक अलग
स्थातनक इकाई के रूप में देखिे हुए, इिके ववसिन्न
िौगोसलक पहलुओं के व्यवख्स्थि दृख्टिकोण िे
अध्ययन को क्रमबद्ध उपागम के रूप में जाना जािा
है।
• इिे प्रतिदर्श अध्ययन उपागम (Case Study
Approach) िी कहिे हैं।
• व्यवख्स्थि दृख्टिकोण के अनुिार िूगोलवेत्ता ककिी
नगरीय क्षेत्र - र्हर, नगर या महानगर की ख्स्थति
4. और अवख्स्थति िे अपने अध्ययन की र्ुरुआि करिे
हैं और इिे नगर के ववकाि की प्रकक्रयाओं और
ववकाि की अवस्थाओं, आकाररकी, कायों और
कायाशत्मक क्षेत्रों के अध्ययन, बाहरी क्षेत्रों के िाथ
नगर के िंबंध (जैिे कक ग्रामीण-र्हरी करं ज, उपनगर
और उपग्रह, र्हर क्षेत्र, आदद) के अध्ययन के माध्यम
िे आगे बढािे हैं
• िारि में इि उपागम का प्रयोग करिे हुए िवशप्रथम
R.L. Singh ने अपना कायश ‘Banaras – A Study in Urban
Geography’ (1955) प्रस्िुि ककया
5. • कई अन्य िारिीय नगरीय िूगोलवेत्ताओं ने िी इि
उपागम का प्रयोग अपने अध्ययनों में ककया है,
ख्जनके नाम इि प्रकार हैं – S L. Kayastha (Kangada,
1958), Ujagir Singh (Allahabad, 1962), R.L. Dwivdi
(Allahabad, 1964), S.M Alam (Hderabad-
Secundarabad, 1965)
• यह उपागम नगरीय तनयोजन के सलए उपयोगी होिा
है।
6. नगर िंत्र उपागम
(City System Approach)
• इि उपागम को प्रादेसर्क उपागम(Regional Approach)
के नाम िे िी जाना जािा है।
• प्रदेर् पृथ्वी की ििह का एक ऐिा िाग होिा है
ख्जिके कु छ ित्वों में िमरूपिा पायी जािी है।
• प्रदेर् की अवधारणा एक बौद्धधक अवधारणा है ख्जिमे
ककिी ववर्ेष रूधि या िमस्या को ध्यान में रखिे हुए
कु छ ववर्ेषिाओं का िुनाव करके प्रदेर् का तनधाशरण
ककया जािा है और उन ववर्ेषिाओं को छोड़ ददया जािा
है जो अप्रािंधगक होिी है।
7. • उपागम के अंिगशि नगर का अध्ययन उिे एक प्रादेसर्क
इकाई एवं िंत्र मानकर उिकी िम्पूणशिा में ककया जािा है।
• 1933 में वाल्िर कक्रस्िालर (Walter Christaller) द्वारा ददया
गया कें द्रीय स्थल सिद्धांि (Central Place Theory) इि
उपागम का िबिे अच्छा उदाहण है।
• कक्रस्िालर के अनुिार ककिी प्रदेर् में बख्स्ियों के वविरण,
उनकी िंयया और आकर में िम्बन्ध पाया जािा है िथा
इिके आधार पर प्रदेर् की बख्स्ियों का गहन अध्ययन
ककया जा है। ििी बख्स्ियां समलकर एक िंत्र बनिी हैं।
• बेरी (B.J.L. Berry, 1964) ने स्थातनक रूप में िंगठन और
िूिना की अवधारणाओं का उपयोग करके ‘cities as systems
within systems of cities’ के अध्ययन के सलए एक आधार
प्रदान करने का प्रयाि ककया।
8. ऐतिहासिक उपागम
(Historical Approach)
• इिे ववकािात्मक (Evolutional Approach) अथवा उत्पवत्तमूलक
उपागम (Genetic Approach) िी कहा जािा है।
• इिके अंिगशि नगर की उत्पवत्त िे लेकर विशमान स्वरुप िक
के िमूिे ववकाि के इतिहाि का अध्ययन ककया जािा है।
• Dickinson (1967) के अनुिार ‘नगरीय बख्स्ियों के प्रारम्ि को
प्रिाववि करने वाले अवख्स्थति और स्थल (Situation & Site)
की िौतिक दर्ाओं को तनधाशररि करने के बाद िूगोलवेत्ता
इिका ववश्लेषण करिे हैं कक ककि प्रकार िमय के िाथ
नगरीय बस्िी इन दर्ाओं के िाथ स्वयं को अनुकू सलि करिी
है िथा अपने तनमाशण एवं ववस्िार की प्रकक्रया में इन दर्ाओं
का रूपांिरण करिी है। इतिहाि को इि मुयय ववषय का
िहायक ववषय बनाना िादहए।’
9. • इि उपागम के माध्यम िे नगर की विशमान ववर्ेषिाओं
के ववश्लेषण के िाथ-िाथ विशमान ववकाि की प्रवृवत्तयों
के आधार पर िावी ववकाि के स्वरुप के बारे में
जानकारी प्राप्ि की जा िकिी है। इिी कारण इिे
ववकािात्मक उपागम िी कहिे हैं।
• Lewis Mumford ने ऐतिहासिक उपागम का प्रयोग करिे
हुए नगरों के ववकाि की 6 अवस्थाओं का उल्लेख ककया
है जो इि प्रकार हैं – (i)ईओपोसलि, (ii)पोसलि,
(iii)मेट्रोपोसलि, (iv)मेगालोपोसलि, (v)िायरेनोपॉसलि, और
(vi)नेक्रोपोसलि।
• Griffith Taylor (1953) ने िी इिी उपागम का प्रयोग
करिे हुए नगरीय ववकाि की 7 अवस्थाओं की ििाश की
है जो इि प्रकार हैं – (i)पूवश र्ैर्वावस्था, (ii)र्ैर्वावस्था ,
(iii)बाल्यावस्था, (iv)ककर्ोरावस्था, (v)प्रौढावस्था, (vi)उत्तर
प्रौढावस्था और (vii)वृद्धावस्था।
10. नगर आकाररकीय उपागम
(City Morphological Approach)
• R.E. Dickinson (1968) के अनुिार आकाररकी का अथश
आवाि की योजना और तनमाशण िे है ख्जिका वणशन
उिकी उत्पवत्त, ववकाि और कायश के दृख्टिकोण िे ककया
जािा है।
• A.E. Smailes के र्ब्दों में आकाररकी नगरीय प्रदेर्ों
की प्रकृ ति का वणशन है, उनके कायश, िापेक्षक्षक िंबंधों
और उनकी िामाख्जक अंितनशिशरिा का वणशन है जो
कक एक नगरीय क्षेत्र के िौगोसलक ववश्लेषण का अंग
है।
11. • नगरीय आकाररकी के दो प्रमुख िंघिक हैं –
(i)आिंररक ले आउि या ववन्याि िथा बाह्य आकृ ति
और (ii)कायाशत्मक िंरिना िथा िू-उपयोग।
• नगर की आिंररक िंरिना िे िम्बंधधि िीन ऐिे
सिद्धांि हैं जो इि उपागम पर आधाररि हैं – (i)बगेि
का िंके ख्न्द्रय वलय सिद्धांि (Concentric Zone Theory
by Burgess, 1925), होएि का खण्डीय सिद्धांि (The
Sector Theory by Homer Hoyt, 1939) िथा हैररि एवं
उलमैन का बहुनासिककय सिद्धान्ि (Multiple Nuclei
Theory by Harris & Ullman, 1945)।
12. प्रकायाशत्मक उपागम
(Functional Approach)
• इिे आधथशक आधार उपागम िी कहिे हैं।
• Dickinson का यह मानना है कक नगरीय और ग्रामीण
के न्दों का अंिर प्राथसमक रूप िे उनके कायों पर
आधाररि है।
• इि उपागम के अन्िगशि नगर के आधारिूि और गैर-
आधारिूि प्रकायों की वववेिना कर उिके िेवा कें द्र /
प्रादेसर्क राजधानी के रूप में योगदान का मूल्यांकन
ककया जािा है। िाथ ही इिमें प्रकायों एवं नगरीय
आकाररकी के बीि िंबंधों की व्यायया िी की जािी
है।
13. • अमेररकी िूगोलवेत्ता नगरीय उपागम पर जोर देिे
हैं।उनकी रुधि नगर के िड़क ववन्याि या घरों के
प्रतिरूप में नहीं बख्ल्क नगर के प्रकायाशत्मक ववर्ेषिाओं
में है। प्रकायाशत्मक उपागम के अंिगशि वे नगर के िूसम
उपयोग िथा जनिंयया की िंरिना को र्ासमल करिे
हैं। आकाररकी और कायश के बीि के अंिर को स्पटि
करिे हुए उनका कहना है की जब नगर में यािायाि
जाल का तनमाशण होिा है िो वह उिकी आकाररकी का
िाग है पर जैिे ही यािायाि जाल का लोग उपयोग
करने लगिे हैं िो वह नगरीय कायश का अंग बन जािा
है।
• C.D Harris ने इिी उपागम को अपनािे हुए अमेररकी
नगरों की जनिंयया िंरिना पर कायश ककया है।
14. गुणात्मक उपागम
(Qualitative Approach)
• इिे आनुिववक (empirical) एवं आगमतनक (inductive)
उपागम िी कहा जािा है।
• इिमें सिन्न- सिन्न नगरीय क्षेत्रों या नगरों का
अध्ययन कर िामान्य तनटकषश तनकाले जािे हैं
ख्जििे िंकल्पनाओं और सिद्धांिों के ववकाि का
अविर समलिा है।
• पारम्पररक िूगोलवेत्ता इि उपागम को अपनािे रहे हैं।
इिमें क्षेत्र अध्ययनों का ववर्ेष महत्व है।
15. िांख्ययकीय उपागम
(Statistical Approach)
• इिे स्थातनक ववश्लेषण उपागम, िैद्धांतिक
उपागम और तनगमतनक उपागम के नाम िे िी
जाना जािा है।
• नगरीय िूगोल में इि उपागम की र्ुरुआि का
श्रेय 1950 के दर्क के मध्य में हुई मात्रात्मक
क्रांति को जािा है।
• Positivism की वविारधारा के िाथ इिका नजदीकी
िम्बन्ध है।
16. • इिमें ववसिन्न मान्य िंकल्पनाओं एवं सिद्धांिों को
मानकर ववसिन्न पररख्स्थतियों में िांख्ययकीय ववधधओं
द्वारा उनका पररक्षण कर उनकी वैध्यिा की पुख्टि की
जािी है। यह ववधध पूणशिः गणणिीय या पररमाणात्मक
ववश्लेषणों पर आधाररि है।
• िांख्ययकीय स्थातनक उपागम के अंिगशि नगरों का
अध्ययन दो िरीके िे ककया जािा है – (i)नगरों को
पृथ्वी की ििह पर ख्स्थि स्थातनक इकाई मानकर
inter-regional स्िर पर नगरों के स्थातनक प्रतिरूप,
आकार, नगरीय पदानुक्रम, िथा उनके कायाशत्मक
वगीकरण का अध्ययन ककया जािा है और (ii)intra-
regional स्िर पर नगर के िूसम उपयोग, िामाख्जक
क्षेत्रों का अध्ययन िथा उनका िथ्यात्मक पाररख्स्थतिकी
ववश्लेषण (factorial ecology analysis) ककया जािा है।
17. व्यवहारवादी और मानविावादी उपागम
(Behavioural & Humanistic approach)
• व्यवहारवादी और मानविावादी उपागम दोनों के
अंिगशि यह माना गया की नगरीय अध्ययनों में
मानव की कें द्रीय िूसमका होिी है। मानव अपने
व्यवहार द्वारा न के वल नगरीय पयाशवरण का तनमाशण
करिा है बख्ल्क नगरीय पयाशवरण के िाथ प्रतिकक्रया
िी करिा है। नगर के तनयोजन में उिके व्यवहार
और वविारों की िूसमका रहिी है।
• नगर के आवािीय क्षेत्रों के ववकाि में और नगर के
िू-उपयोग पर मानव के व्यवहार और तनणशयों का
प्रिाव पड़िा है।
18. नगरीय िूगोल के अध्ययन में बहुधा एक िे अधधक
उपागमों का िमन्वय समलिा है।