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पाठ्यपुस्तक –वितान (भाग-2)
कक्षा – बारहि ीं
पाठ (2) – जूझ
लेखक- आनींद यादि
लेखक का पररचय
• जन्म – आनींद यादि का जन्म सन-1935 में कागल,कोल्हापुर (महाराष्ट्र ) मे
हुआ था । इनका पूरा नाम ‘आनींद रत्न यादि’ है ।
• विक्षा – इन्ोींने मराठ एिीं सींस्क
ृ त सावहत्य में स्नातकोत्तर विग्र हावसल क
। कोल्हापुर ि पुणे इनक विक्षा क
े क्षेत्र रहे ।
• कायय – ये बहुत समय तक पुणे विश्वविद्यालय , महाराष्ट्र में मराठ विभाग में
काययरत रहे । इनका काययक्षेत्र ‘सावहत्य’ है । इन्ोींने उपन्यास , कविता ि
समालोचनात्मक विधाओीं पर लेखन कायय वकया है ।
• रचना – इनक लगभग पच्च स पुस्तक
ें प्रकावित हो चुक हैं । इनक
‘नटरींग’ पुस्तक पाठकोीं में बहुत प्रवसद्ध है । यह पुस्तक भारत य ज्ञानप ठ
से प्रकावित है ।
• पुरस्कार – ‘जूझ’ उपन्यास पर इन्ें सन 1990 में ‘सावहत्य अकादम
‘पुरस्कार से सम्मावनत वकया गया ।
• वनधन – इनक मृत्यु 27 निींबर 2016 को पुणे में हुई।
• ‘ जूझ’ पाठ का पात्र-पररचय
• कथानायक (लेखक) - आनींद (आनींदा) , गणपा
• लेखक क
े वपता (दादा) - रतनाप्पा
• लेखक क माीं - ..........
• सम्मावनत जम ींदार - दत्ता ज राि देसाई
• कक्षा अध्यापक (गवणत) - मींत्र
• अध्यापक (मराठ ) - न. िा. स ींदलकर
• अध्यापक - रणनिरे
• चहिाण का लड़का - कक्षा का िरारत छात्र
• कक्षा मान टर - िसींत पाट ल
• जूझ पाठ का मूलभाि
• ‘जूझ’ यह मराठ क
े प्रख्यात कथाकार ‘िा. आनींद यादि’ का
बहुचवचयत एिीं बहु- प्रिींवसत आत्मकथात्मक उपन्यास है ,
वजसका एक अींि यहाीं वदया गया है ।
• यह एक वकिोर क
े देखे और भोगे हुए गींिाई ज िन क
े खुरदरे
यथाथय और उसक
े रींगारींग पररिेि क अत्यन्त विश्वसन य
ज िींत गाथा है ।
• इस आत्मकथात्मक उपन्यास में ज िन का ममयस्पिी वचत्रण
तो है ह , अस्त – व्यस्त –अलमस्त वनम्नमध्यिगीय ग्राम ण
समाज और लड़ते जूझते वकसान- मजदू रोीं क
े सींघर्य क भ
अनूठ झाींक है ।
• यहाीं वलए गए अींि में हर स्थथवत में पढ़ने क लालसा वलए ध रे
– ध रे सावहत्य,सींग त और अन्य विर्योीं क ओर बढ़ते वकिोर
क
े कदमोीं क आक
ु ल आहट सुन जा सकत है ।
• जो वनश्चय ह वकिोर होते विद्यावथययोीं क
े वलए प्रेरणा बन
सकत है ।
'जूझ' ि र्यक का औवचत्य
• ि र्यक वकस भ रचना क
े मूल भाि को प्रकट करता है । इस पाठ का ि र्यक
'जूझ' सम्पूणय अध्याय मे फ
ै ला हुआ है । जूझ का अथय 'जूझना' एिीं 'सींघर्य करना'
होता है । इसमें कथा नायक आनींद ने विद्यालय जाने क
े वलए अवतिय सींघर्य वकया
है । यह ि र्यक एक वकिोर क
े देखे एिीं भोगे हुए गींिाई ज िन क
े खुरदरे यथाथय ि
पररिेि को विश्वसन य ढींग से प्रकट करता है ।
• इसक
े अलािे लेखक क माीं भ अपने स्तर पर सींघर्य करत है । लेखक क
े सींघर्य में
उसक माीं ,देसाई सरकार , मराठ एिीं गवणत क
े विक्षक ने सहयोग वदया ।
• इस कहान क
े कथानायक आनींद में सींघर्य का भाि भरा है । उसका वपता उसे
विद्यालय जाने से मना कर देता है । इसक
े बाद भ कथा नायक माीं को पक्ष में
लेकर देसाई सरकार क सहायता लेता है । िह देसाई सरकार ि अपने वपता क
े
सामने अपना पक्ष रखता है तथा अपने ऊपर लगे आरोपोीं का उत्तर देता है । आगे
बढ़ने क
े वलए िह हर कवठन ितय मानता है ।
• विद्यालय मे भ िह नए माह ल में ढलने , कविता रचने आवद क
े वलए सींघर्य करता
है । अतः यह ि र्यक सियथा उवचत है ।

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  • 1. पाठ्यपुस्तक –वितान (भाग-2) कक्षा – बारहि ीं पाठ (2) – जूझ लेखक- आनींद यादि
  • 2. लेखक का पररचय • जन्म – आनींद यादि का जन्म सन-1935 में कागल,कोल्हापुर (महाराष्ट्र ) मे हुआ था । इनका पूरा नाम ‘आनींद रत्न यादि’ है । • विक्षा – इन्ोींने मराठ एिीं सींस्क ृ त सावहत्य में स्नातकोत्तर विग्र हावसल क । कोल्हापुर ि पुणे इनक विक्षा क े क्षेत्र रहे । • कायय – ये बहुत समय तक पुणे विश्वविद्यालय , महाराष्ट्र में मराठ विभाग में काययरत रहे । इनका काययक्षेत्र ‘सावहत्य’ है । इन्ोींने उपन्यास , कविता ि समालोचनात्मक विधाओीं पर लेखन कायय वकया है । • रचना – इनक लगभग पच्च स पुस्तक ें प्रकावित हो चुक हैं । इनक ‘नटरींग’ पुस्तक पाठकोीं में बहुत प्रवसद्ध है । यह पुस्तक भारत य ज्ञानप ठ से प्रकावित है । • पुरस्कार – ‘जूझ’ उपन्यास पर इन्ें सन 1990 में ‘सावहत्य अकादम ‘पुरस्कार से सम्मावनत वकया गया । • वनधन – इनक मृत्यु 27 निींबर 2016 को पुणे में हुई।
  • 3. • ‘ जूझ’ पाठ का पात्र-पररचय • कथानायक (लेखक) - आनींद (आनींदा) , गणपा • लेखक क े वपता (दादा) - रतनाप्पा • लेखक क माीं - .......... • सम्मावनत जम ींदार - दत्ता ज राि देसाई • कक्षा अध्यापक (गवणत) - मींत्र • अध्यापक (मराठ ) - न. िा. स ींदलकर • अध्यापक - रणनिरे • चहिाण का लड़का - कक्षा का िरारत छात्र • कक्षा मान टर - िसींत पाट ल
  • 4. • जूझ पाठ का मूलभाि • ‘जूझ’ यह मराठ क े प्रख्यात कथाकार ‘िा. आनींद यादि’ का बहुचवचयत एिीं बहु- प्रिींवसत आत्मकथात्मक उपन्यास है , वजसका एक अींि यहाीं वदया गया है । • यह एक वकिोर क े देखे और भोगे हुए गींिाई ज िन क े खुरदरे यथाथय और उसक े रींगारींग पररिेि क अत्यन्त विश्वसन य ज िींत गाथा है । • इस आत्मकथात्मक उपन्यास में ज िन का ममयस्पिी वचत्रण तो है ह , अस्त – व्यस्त –अलमस्त वनम्नमध्यिगीय ग्राम ण समाज और लड़ते जूझते वकसान- मजदू रोीं क े सींघर्य क भ अनूठ झाींक है । • यहाीं वलए गए अींि में हर स्थथवत में पढ़ने क लालसा वलए ध रे – ध रे सावहत्य,सींग त और अन्य विर्योीं क ओर बढ़ते वकिोर क े कदमोीं क आक ु ल आहट सुन जा सकत है । • जो वनश्चय ह वकिोर होते विद्यावथययोीं क े वलए प्रेरणा बन सकत है ।
  • 5. 'जूझ' ि र्यक का औवचत्य • ि र्यक वकस भ रचना क े मूल भाि को प्रकट करता है । इस पाठ का ि र्यक 'जूझ' सम्पूणय अध्याय मे फ ै ला हुआ है । जूझ का अथय 'जूझना' एिीं 'सींघर्य करना' होता है । इसमें कथा नायक आनींद ने विद्यालय जाने क े वलए अवतिय सींघर्य वकया है । यह ि र्यक एक वकिोर क े देखे एिीं भोगे हुए गींिाई ज िन क े खुरदरे यथाथय ि पररिेि को विश्वसन य ढींग से प्रकट करता है । • इसक े अलािे लेखक क माीं भ अपने स्तर पर सींघर्य करत है । लेखक क े सींघर्य में उसक माीं ,देसाई सरकार , मराठ एिीं गवणत क े विक्षक ने सहयोग वदया । • इस कहान क े कथानायक आनींद में सींघर्य का भाि भरा है । उसका वपता उसे विद्यालय जाने से मना कर देता है । इसक े बाद भ कथा नायक माीं को पक्ष में लेकर देसाई सरकार क सहायता लेता है । िह देसाई सरकार ि अपने वपता क े सामने अपना पक्ष रखता है तथा अपने ऊपर लगे आरोपोीं का उत्तर देता है । आगे बढ़ने क े वलए िह हर कवठन ितय मानता है । • विद्यालय मे भ िह नए माह ल में ढलने , कविता रचने आवद क े वलए सींघर्य करता है । अतः यह ि र्यक सियथा उवचत है ।