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Name :Soniya R L 
Reg No :17014300017
Y               Year              :2014‐2015
भ मकाभू मका
थआज का मानव बहुत वाथ बन
गया है | पुराने ज़माने के लोग के मन म दूसर के
त नेह दया क णा आ द भाव रखते थे | ले कनत नेह,दया,क णा,आ द भाव रखते थे | ले कन
आज वो सफ अपना काय करता है | वो दूसर
के लए कछ करना ह नह ं चाहता| हमारे ाक तकक लए कु छ करना ह नह चाहता| हमार ाकृ तक
संतुलन म पशु –प य का थान मह वपूण है |
ले कन आज के मानव अपने वाथ पत के लएल कन आज क मानव अपन वाथ पूत क लए
जीव जंतुओं का ह या कर रहे है|
वषय त तकरणवषय तु तकरण
मानव के वाथ एवं ू र
यवहार पश प य का नाशयवहार पशु – प य का नाश
का कारण बन जाता है |का कारण बन जाता ह |
े ी ी ेमनु य अपने सहजीवी के साथ बुरा
यवहार करता है |यवहार करता ह |
पश – प य को मारना काननी जमपशु प य को मारना कानूनी जुम
है, फर भी मानव उसे मार – पीड करता
है | उसके त कोई सहानभ त नह ंहै | उसके त कोई सहानुभू त नह ं
रखता है |ह |
सरकार श बर और अजायबघर मसरकार श बर और अजायबघर म
जीनेवाले जीव – जंतुओं को अनेक तरह
ओ
ु
क ू रताओ का सामना करना पड़ता है |
कछ जानवर तो आ मण करनेवाले है• कु छ जानवर तो आ मण करनेवाले है
ले कन उसक ह या करना नह ं चा हए |ह ह ह |
• मानव को जानवर के तमानव को जानवर क त
नेह का भाव रखना चा हए|
सम याओं का सधारसम याओ का सुधार
जानवर के बारे म मानव को
ोध |अवबोध कराना |
बचपन से ह ब च को सहजीवी कोस ह सह
यार करना सखाना |
काननी यव था को सश त बनानाकानूनी यव था को सश त बनाना
चा हए |
ं ंजंगल को काटना नह ं चा हए |
न कष
मानव के वाथ एवं ू रू
यवहार पशु –प य के नाश के कारण
बन रहे है |जंगल क भार मा ा मबन रह ह |जगल क भार मा ा म
क ाई पशु –प य क भूखमर एवं बेघर
ो े ी ै
ु
हो जाने क वजह बन जाती है | कृ त
हमार माँ है, और पश - प ी हमारहमार मा ह, और पशु प ी हमार
सहजीवी है, इसका संर ण करना हमारा
कत य है |कत य ह |
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  • 4. भ मकाभू मका थआज का मानव बहुत वाथ बन गया है | पुराने ज़माने के लोग के मन म दूसर के त नेह दया क णा आ द भाव रखते थे | ले कनत नेह,दया,क णा,आ द भाव रखते थे | ले कन आज वो सफ अपना काय करता है | वो दूसर के लए कछ करना ह नह ं चाहता| हमारे ाक तकक लए कु छ करना ह नह चाहता| हमार ाकृ तक संतुलन म पशु –प य का थान मह वपूण है | ले कन आज के मानव अपने वाथ पत के लएल कन आज क मानव अपन वाथ पूत क लए जीव जंतुओं का ह या कर रहे है|
  • 5. वषय त तकरणवषय तु तकरण मानव के वाथ एवं ू र यवहार पश प य का नाशयवहार पशु – प य का नाश का कारण बन जाता है |का कारण बन जाता ह |
  • 6. े ी ी ेमनु य अपने सहजीवी के साथ बुरा यवहार करता है |यवहार करता ह |
  • 7. पश – प य को मारना काननी जमपशु प य को मारना कानूनी जुम है, फर भी मानव उसे मार – पीड करता है | उसके त कोई सहानभ त नह ंहै | उसके त कोई सहानुभू त नह ं रखता है |ह | सरकार श बर और अजायबघर मसरकार श बर और अजायबघर म जीनेवाले जीव – जंतुओं को अनेक तरह ओ ु क ू रताओ का सामना करना पड़ता है |
  • 8. कछ जानवर तो आ मण करनेवाले है• कु छ जानवर तो आ मण करनेवाले है ले कन उसक ह या करना नह ं चा हए |ह ह ह | • मानव को जानवर के तमानव को जानवर क त नेह का भाव रखना चा हए|
  • 9. सम याओं का सधारसम याओ का सुधार जानवर के बारे म मानव को ोध |अवबोध कराना | बचपन से ह ब च को सहजीवी कोस ह सह यार करना सखाना | काननी यव था को सश त बनानाकानूनी यव था को सश त बनाना चा हए | ं ंजंगल को काटना नह ं चा हए |
  • 10. न कष मानव के वाथ एवं ू रू यवहार पशु –प य के नाश के कारण बन रहे है |जंगल क भार मा ा मबन रह ह |जगल क भार मा ा म क ाई पशु –प य क भूखमर एवं बेघर ो े ी ै ु हो जाने क वजह बन जाती है | कृ त हमार माँ है, और पश - प ी हमारहमार मा ह, और पशु प ी हमार सहजीवी है, इसका संर ण करना हमारा कत य है |कत य ह |