2. विषय सूची
1. प्रस्तािना
2. लौह पुरुष सरदार िल्लभ भाई पटेल
3. अनमोल विचार
4. राष्ट्रीय एकता
5. राष्ट्र क
े वलए ‘एकता’ आिश्यक
6. राष्ट्रीय एकता का महत्व
7. राष्ट्रीय एकता वदिस मनाने का
तरीका
8. राष्ट्रीय एकता से अवभप्राय
9. राष्ट्रीयता में बाधक तत्व
10.राष्ट्रीय एकता ि विक्षा
11.राष्ट्रीय की विक्षा क
े लाभ
12. वनष्कषष
3. लौह पुरुष सरदार िल्लभ भाई पटेल
जन्म: 31 अक्टू बर,1875 को गुजरात क
े एक छोटे से गााँव नाडियाि में हुआ था
वपता झावेरभाई एक डकसान और
माां लािबाई एक साधारण मडिला थी।
प्रारांवभक विक्षा करमसद में हुई
पत्नी झबेरबा (पटेल डसर्
फ 33 साल क
े थे जब उनकी पत्नी का देिाांत िो गया।)
पुत्री मडणबेन(1904)
पुत्र दिया भाई(1905)
क
ै ररयर वल्लभ भाई वकील बनना चािते थे, सरदार पटेल 1913 में
भारत लौटे और अिमदाबाद में अपनी वकालत शुरू की.
भारत क
े प्रथम उप प्रधानमांत्री और गृि मांत्री सरदार पटेल लोकडप्रय
लौि पुरुष क
े रूप क
े नाम से भी जाने जाते िैं। उन्ोांने भारतीय
स्वतांत्रता सांग्राम में मित्वपूणफ भूडमका डनभाई । उन्ें भारत क
े
राजनैडतक एकीकरण का श्रेय डदया जाता िै।
वनधन: 15 डदसांबर, 1950, मुांबई
4.
5. अनमोल विचार :-
1 बोलते समय कभी भी मयाफदा का साथ निी छोड़ना चाडिए, गाडलया देना तो बुजडदलो की
डनशानी िै !
2 जब वक्त कडिन दौर से गुजर रिा िोता िै तो कायर बिाना ढ
ू ढ़ते िै जबडक बिादुर सािसी
व्यक्तक्त उसका रास्ता खोजते िै !
3 िमारे देश की डमट्टी में क
ु छ अनूिा िै तभी तो कडिन बाधाओां क
े बावजूद िमेसा मिान
आत्माओ का डनवास स्थान रिा िै !
4 िमारे जीवन की िोर तो ईश्वर क
े िाथ में िै इसडलए डचांता की कोई बात निी िो सकती िै !
5 ज्यादा बोलने से कोई र्ायदा निी िोता िै बक्ति सबकी नजरो में अपना नुकसान िी िोता
िै !
6 अडवश्वास भय का कारण िोता िै !
7 िमे अपमान सिना भी सीखना चाडिए !
8 शत्रु का लोिा चािे डकतना भी गमफ क्यू न िो जाये पर िथौड़ा तो िां िा रिकर िी
अपना काम कर देते िै !
9 मेरी यिी इच्छा िै की अपना देश भारत एक अच्छा उत्पादक बने जीससे कोई भूखा न िो
और न िी अन्न क
े डलए डकसी को आसू बिाना पड़े !
10 जनशक्तक्त िी राष्ट्र की एकता शक्तक्त िै !
11 जीवन में सबक
ु छ एक डदन में तो निी िो जाता िै !
6. राष्ट्रीय एकता
•प्रस्तािना –
भारतवषफ एक डवशाल देश िै। भारतीय सभ्यता एवां सांस्क
ृ डत क
े डवकास का इडतिास बहुत लम्बा और
उत्थान-पतन की घटनाओां से भरा िै। भारत डवडवधताओां में एकता का देश िै। इसक
े अांदर भौडतक
डवषमताओां क
े साथ-साथ भाषा, धमफ, वणफ, रूप-रांग, खान-पान और चारोां-डवचारोां में भी डवषमता पाई
जाती िै, डकन्तु डर्र भी भारत एक सुसांगडित राष्ट्र िै।
•राष्ट्र ीय एकीकरण को राष्ट्र ीय एकता डदवस भी किा जाता िै 19 नवांबर से 25 नवांबर तक राष्ट्र ीय
एकता डदवस और राष्ट्र ीय एकीकरण सप्ताि (अथाफत् कौमी एकता सप्ताि)क
े रुप में 19 निांबर
(भारत की पहली मवहला प्रधानमांत्री इांवदरा गााँधी का जन्म वदिस) को िर वषफ एक कायफक्रम क
े
रुप में मनाया जाता िै।
•एकीकरण का िास्तविक अर्ष िै अलग-अलग भागोां को एक बनाने क
े डलये जोड़ना।
भारत एक ऐसा देश िै जिााँ लोग डवडभन्न धमफ, क्षेत्र, सांस्क
ृ डत, परांपरा, नस्ल, जाडत, रांग और पांथ
क
े लोग एक साथ रिते िैं। इसडलये, राष्ट्र ीय एकीकरण बनाने क
े डलये भारत में लोगोां का एकीकरण
जरुरी िै। अगर एकता क
े द्वारा अलग-अलग धमों और सांस्क
ृ डत क
े लोग एक साथ रिते िैं, विााँ पर
कोई भी सामाडजक या डवकासात्मक समस्या निीां िोगी। भारत में इसे डवडवधता में एकता क
े रुप में
जाना जाता िै
7. डकसी भी राष्ट्र क
े डलए एकता का िोना अत्यांत आवश्यक िै | भारत जैसे डवडवधताओां भरे
देश में तो राडष्ट्र य एकता िी सीमेंट का कम कर सकती िै | डपछले कई वषो से पाडकस्तान
भारत में डिन्दू -डसख या डिन्दू -मुसलमान का भेद खड़ा करक
े इसी सीमेंट को उखाड़ना चाि
रिा िै | अांग्रेजोां ने डिन्दू और मुसलमान का भेद खड़ा करक
े भारत पर सैंकड़ो वषफ तक राज
डकया | परांतु जब भारत की भोली जनता ने अपने भेद-भाव भुलाकर ‘भारतीयता’ का पररचय
डदया, तो अांग्रेजोां को देश छोड़कर वापस जाना पड़ा |
राष्ट्र क
े वलए ‘एकता’ आिश्यक –
11. राष्ट्रीय एकता से अवभप्राय –
1. देश में रिने वाले सभी धमों, जाडतयोां एवां भाषाओां से सम्बक्तित लोगोां का एक साथ डमल-जुल
कर रिने से िै।
2. देश की एकता को बनाये रखने क
े डलए सरकार द्वारा यि कानून बनाया गया डक देश का
कोई भी नागररक कोई भी धमफ अपना सकता िै, चािे वि डिन्दू िो, मुसलमान िो, डसक्ख या
ईसाई िो। कोई डकसी भी धमफ की लड़की या लड़क
े से शादी कर सकता िै। ऐसा धाडमफक
स्वतन्त्रता क
े अडधकार में किा गया िै। अपने-अपने डवश्वास से धमफ मानने की प्रत्येक को
आज़ादी िै |
3. देश क
े लोगोां क
े कमफकाण्ड, रिन-सिन, बोल-चाल, पूजा-पाि् , खान-पान और वेशभूषा में
अन्तर िो सकता िै, इनमें अनेकता िो सकती िै डकन्तु िमारे देश की मुख्य डवशेषता िै।
दू सरे धमफ और अन्तजाफतीय डववाि एकता क
े सूत्र में वाांधे रिने का एक माध्यम िै-मगर इसे
स्वेच्छा क
े साथ िी अपनाया जा सकता िै |
12. राष्ट्रीयता में बाधक तत्व
• साम्प्रदाडयकता
• भाषावाद डववाद
• प्रान्तीयता या प्रादेडशकता की भावना
• क्षेत्रीयता
• जाडतगत डववाद
• रांगभेद
• दू डषत डशक्षा प्रणाली
• नैडतक पतन एवां भ्रष्ट्ाचार
• दू डषत राजनीडत
13. राष्ट्रीयता में बाधक तत्व
• साम्ग्रदावयकता –
राष्ट्र ीय एकता क
े मागफ में सबसे बड़ी बाधा साम्प्रदाडयकता िै। साम्प्रदाडयकता ऐसी बुराई िै जो मानव-
मानव में र्
ू ट िालती िै, भाइयोां में मतभेद क
ु राती िै, दो दोस्तोां क
े बीच घृणा और भेद की दीवार खड़ी
करती िै तथा अन्त में समाज क
े टुकड़े कर देती िै। साम्प्रदाडयकता का अथफ िै अपने धमफ क
े प्रडत
कट्टरता और दू सरे धमफ क
े लोगोां को िेय दृडष्ट् से देखना। अपने धमफ को मानने की आजादी तो प्रत्येक
देशवाडसयोां को िै पर दू सरे धमफ से नर्रत, साम्प्रदाडयकता को जन्म देता िै।
• भाषागत वििाद –
भारत बहुभाषी राष्ट्र िै। यिाां अलग-अलग प्राांत और क्षेत्र में अलग-अलग भाषाएां बोली जाती िैं। प्रत्येक
व्यक्तक्त अपने द्वारा बोली जाने वाली भाषा को िी श्रेष्ठ मानता िै। इससे राष्ट्र की एकता खक्तण्डत िोने क
े
खतरे बढ़ जाते िैं। प्राांतीय भाषाओां का उपयोग मौडलक अडधकार िै, मगर दू सरी भाषा से डवरोध दू सरे
की मौडलक स्वतन्त्रता का ध्यान िै।
• प्रान्तीयता या प्रादेविकता की भािना –
प्रान्तीयता या प्रादेडशकता की भावना भी राष्ट्र ीय एकता क
े मागफ में बाधाएां उत्पन्न करती िैं। मानवीयता
या प्रादेडशकता से आशय ऐसी क्तस्थडत से िै डक जव कोई प्रान्त या प्रदेश क
े बल पर अपने प्रान्त क
े
डवकास क
े बारे में िी सोचता िै पर डकसी दू सरे प्रदेश में अपने द्वारा उत्पाद की गयी वस्तुओां का डनयाफत
निीां करता तो ऐसी दशा में देश की एकता खक्तण्डत िोने की सम्भावना बढ जाती िै। क्योांडक समग्र
भारत में अलग क्षेत्र में अलग-अलग चीजोां, खडनजोां वनस्पडतयोां का उत्पादन िोता िै। अपने प्रान्त क
े
जुत्पादनोां को क
े वल अपने प्रान्त क
े बीच िी सुरडक्षत रखने का डवचार प्राांतीय भाषावाद को जन्म देता िै।
14. क्षेत्रीयता -
जब राष्ट्र अनक
े राज्योां में बांटा िोता िै, तब सम्पूणफ राष्ट्र पिले क्षेत्रीयता क
े आधार पर बट जाता िै।
डकसी भी देश में राष्ट्र , राष्ट्र ीयता की भावना क
े डवकास में क्षेत्रीय कट्टरता भी एक बाधक तत्व िै।
क्षेत्रीयता का भारत जैसे देश में प्रभाव पर िॉ0 सम्पूणाफनन्दन ने डटप्पणी करते हुये डलखा डक- ‘‘आज
दडक्षण भारत क
े लोगोां क
े मुॅि से सुनने में आती िै, डक िम डिन्दुस्तान से अलग िोना चािते िैं, पर जो
धनाढ्य िैं वे सोचते िै डक क्या अपने आजादी व सम्पडि की रक्षा कर सक
ें गे। क्या तडमलनाि
ू वाले
अलग िोकर अपनी अडधक रक्षा कर सकते िैं। वि ऐसा करक
े अपने को भी िुबोयेंगे और दू सरोां को
भी ले ि
ू बेंगे। इसडलये ऐसा सेचना बड़ी भयानक चीज िै।’’’
जावतगत वििाद -
जाडतगत डववाद भी राष्ट्र ीय एकता क
े मागफ में बढ़ाएां उत्पन्न करता िै| जाडतगत डववाद की क्तस्थडत तब
उत्पन्न िोती िै जब डकसी भी जाडत से सम्बक्तित जैसे – ब्राह्मण, बडनया, क्षडत्रय, दडलत तथा यादव आडद
लोग अपनी जाडत को िी श्रेष्ठ मानते िैं और इसक
े डलए वे एक-दुसरे से लड़ाई-झगिा करने लगते िैं |
इस प्रकार भी राष्ट्र ीय एकता िगमगा जाती जय |
रांगभेद -
यि भेद ऐसा िै, डजसने एक राष्ट्र को िी निी डवश्व को दो खण्डोां में बाांटा श्वेत एवां अश्वेत। कइफ देशोां में
सम्पूणफ राजनीडत इसको आधार बनाकर की जाती िै। अमेररका, अफ्रीका आडद ऐसे िी देश िै। रांगभेद
ने इन राष्ट्र ोां को दो खण्डोां मे बाांट रखा िै, डजससे डक लोगोां का हृदय आपस में निीां डमलता लोगोां क
े
डलये राष्ट्र से ऊपर प्रजाडत िै।
15. दू वषत विक्षा प्रणाली -
राष्ट्र ीयता की भावना का प्रचार-प्रसार न िोने क
े कारण में दू डषत डशक्षा प्रणाली भी एक प्रमुख
भूडमका डनभाती िै। पाठ्यक्रम में राष्ट्र ीयता क
े डवकास करने वाले तत्व कम पाये जाते िैं।
भारत जैसे प्रजातांत्र में प्रजाताांडत्रक मूल्ोां एवां राष्ट्र ीयता की भावना क
े डवकास का दाडयत्व
डशक्षा को िी सौांपा गया िै, परन्तु डशक्षा का उडचत प्रचार-प्रसार भी अभी सांतोषजनक स्तर
तक निीां िो पाया िै, और डशक्षा में राष्ट्र ीयता क
े तत्वोां को भी समावेडशत निीां डकया गया िै।
नैवतक पतन एिां भ्रष्ट्ाचार –
डकसी भी समाज में अनुशासनिीनता, कतव्फ यिीनता, अडधकारोां का अडधक प्रयोग,
उिरादडयत्वोां क
े प्रडत उदासीनता डनष्ठा की कमी भौडतकवादी दृडष्ट्कोण राष्ट्र ीयता की भावना
क
े उद्भव में बाधक तत्व िै, क्योांडक नागररकोां का नैडतक उत्थान एवां सच्चररत्रता िी देश की
उन्नडत का आधार िोती िै।
दू वषत राजनीवत -
भारत सडित अडधकाांश देश की राजनीडत में अब स्वच्छता निीां रि गयी िै, और राजनीडत
झूि, र्रेब, धोखा, गुमराि, भ्रष्ट्ाचार व देश क
े ऊपर अपने स्वाथों क
े प्रडत भूख का पयाफय
बन चुकी िै। राजडनडतज्ञ साम्प्रदाडयकता, क्षेत्रवाद, भाषावाद, जाडतवाद एवां रांगभेद को िी
अपनी राजनीडत का आधार बनाते िैं। राजडनडतज्ञ अपने स्वाथफ पूडतफ िेतु देश को जोड़ते निीां
तोड़ते िैं। इस प्रकार से यि स्पष्ट् िो जाता िै डक अनेक कारक राष्ट्र ीयता क
े डवकास में
बाधक िै।
16. राष्ट्रीयता में बाधक तत्व
साम्ग्रदावयकता
भाषागत वििाद क्षेत्रीयता
दू वषत राजनीवत
दू वषत विक्षा प्रणाली बेरोजगारी/ रांगभेद
17. भारत क
े डलए सबसे सुखद बात यि िै डक यिााँ एकता बनाए रखने वाले तत्वोां की कमी निीां िै | राम-
क
ृ ष्ण क
े नाम पर जिााँ सारे डिन्दू एक िैं, मुिम्मद क
े नाम पर मुसलमान एक िैं ; विााँ गााँधी, सुभाष क
े
नाम पर पूरा डिांदुस्तान एक िै | आज जब कश्मीर पर सक
ां ट डघरता िै तो क
े रलवासी भी व्यडथत िोता िै
| पिाड़ोां में भूक
ां प आता िै तो सुचना भारत उसकी सिायता करने को उमड़ पड़ता िै | जब अमरनाथ-
यात्रा में र्
ाँ से नागररकोां को मुसलमान बचाते िैं, दांगोां क
े वक्त डिन्दू पिोसी मुसलमानोां को शरण देते िै |
एकता दृढ़ करने क
े उपाए –
1.भेद्वाव पैदा करने वाले सभी कानूनोां और डनयमोां को समाप्त डकया जाय |
2.सारे देश में एक िी कानून िो |
3.अांतजाफतीय डववािोां को प्रोत्सािन डदया जाय |
4.सरकारी नोडक्रयोां में अडधक-से-अडधक दुसरे प्रान्तोां में स्थानाांतरण िोां ताडक समूचा देश सबका साझा
बन सक
े | सब नजदीक से एक-दुसरे का दुुःख-ददफ जन सक
ें |
5. राष्ट्र ीय एकता को प्रोत्सािन देने वाले लोांगो और कायों को आदर डदया जाये |
6.कलाकारोां और साडित्यकारोां को एकता-वर्द्फक साडित्य डलखना चाडिए |
7.इस कायफ मैं समाचार-पत्र, दू रदशफन, चलडचत्र बहुत क
ु छ कर सकते िैं |
रावष्ट्रय एकता को अवधक दृढ़ करने क
े उपाए/ तत्व
18. राष्ट्रीय एकता क
े मागष की बाधाओां को दू र करने क
े उपाय –
1 सवफप्रथम राष्ट्र ीय एकता को बढ़ावा देने क
े डलए िमें शयद इकबाल क
े दथान को समझना
चाडिए डजन्ोांने एकता क
े ऊपर एक सन्देश देशवाडसयोां क
े डलए डलखा था, जो अग्र प्रकार िै
—
मजहब नहीांवसखाता, आपस में बैर रखना,
वहन्दू हैं हमितन हैं, वहन्दोस्ता हमारा।”
2. साम्प्रदाडयक एकता की भावना को समाप्तकरआपसी भाईचारे से रखना चाडिये।
3. भाषाओां का सम्मान करना ताडक भाषागत डववाद खत्म डकया जा सक
े । इसक
े डलए डक भाषा
सूत्र का र्ामूफला सरकार ने लागू कर रखा िै। उस पर अमल डकया जा
सक
े ।
4 . देश क
े सभी प्रदेशोां को एक-दू सेक सिायता क
े डलए िर समय तेयार रिना चाडिए |
5. जाडतवाद का उन्मूलन िोना चाडिये ताडक राष्ट्र ीय एकता बनी रिे। कोई भी देश िमारी एकता
को सुरडक्षत िोते देख िम पर अपना प्रभुत्व स्थाडपत न कर सक
े । प्रगडतशील एवां
डवकासशील देश क
े नागररक िैं। उसमें इतनी समझ िोनी िी चाडिये डक अनेकता में एकता
क
े डसर्द्ान्त को बनाये रखे। ।
19. राष्ट्रीय एकता ि विक्षा
प्रत्येक राष्ट्र की उन्नडत अथवा अवडनत इस बात पर डनभफर करती िै की उसक
े नागररकोां में
राष्ट्र ीयता की भावना डकस सीमा तक डवकडसत हुई िै | यडद नागररक राष्ट्र ीयता की भावना से ओत-
प्रोत िै तो राष्ट्र उन्नडत क
े डशखर पर चढ़ता रिेगा अन्यथा उसे एक डदन रसातल को जाना िोगा |
किने का तात्पयफ यि िै डक राष्ट्र को सबल तथा सर्ल बनाने क
े डलये नागररकोां में राष्ट्र ीयता की
बिावना डवकडसत करना परम आवश्यक िै | धयान देने की बात िै डक राष्ट्र ीयता की भावना को
डवकडसत करने क
े डलए डशक्षा की आवशयकता िै | इसीडलए प्रत्येक राष्ट्र अपने आक्तस्तत्व बनाये
रखने क
े डलए अपने नागररकोां में राष्ट्र ीयता की भावना में डवकास िेतु डशक्षा को अपना मुख्य सधान
बना लेता िै | स्पाटाफ, जमफनी, इटली , जापान तथा रूस एवां चीन की डशक्षा इस सम्बि में ज्वलांत
उदिारण िै | इडतिास इस बात का साक्षी िै डक प्राचीन युग में स्पाटाफ तथा अिुडनक युग में नाजी
जमफनी एवां र्ाडसस्ट इटली में डशक्षा द्वारा िी विााँ क
े नागररकोां में राष्ट्र ीयता का डवकास डकया गया
तथा आज भी रूस तथा चीन क
े बालकोां में प्रराक्तम्भक कक्षाओां से साम्यवादी भावना का डवकास
डकया जाता िै | चीन क
े बालकोां में प्रारांडभक कक्षाओां में साम्यवादी भावना का डवकास डकया जाता
िै | किने का तात्पयफ यि िै डक तानाशािी, समाजवादी एवां जनतांत्रीय सभी प्रकार क
े राष्ट्र अपनी-
अपनी व्यवस्था को बनाये रखने क
े डलए अपने-अपने नागररकोां में डशक्षा क
े द्वारा राष्ट्र ीयता की
भावना को डवकसडत करते िैं |
22. राष्ट्रीय की विक्षा क
े लाभ
राजनीवतक एकता –
राष्ट्र ीयता की डशक्षा से राष्ट्र में राजडनडतक एकता का डवकास िोता िै | राजनीडतक
एकता का डवकास िोता िै | राजनीडतक एकता का अथफ िै – राष्ट्र में जातीयता,
प्रान्तीयता तथा समाज क
े वगफ भेदोां से ऊपर उिाकर राष्ट्र क
े डवडभन्न प्रान्तोां, समाडजक
इकाईयोां तथा जाडतयोां में एकता का िोना | राष्ट्र ीय डशक्षा प्राप्त करक
े राष्ट्र क
े सभी
नागररक अपने सारे भेद-भावोां को भूलकर एकता क
े सूत्र में बि जाते िैं डजससे राष्ट्र
दृढ तथा सबल बन जाता िै |
सामावजक उन्नवत –
राष्ट्र की उन्नडत अथवा अवनडत उसकी सामाडजक क्तस्थडत पर भी बहुत क
ु छ आधाररत
िोती िै | सामाडजक क
ु रीडतयााँ, अि-डवश्वास तथा दोषपूणफ रीती-ररवाज राष्ट्र की प्रगडत
में बाधक डसर्द् िोते िैं तथा उसे पतन की ओर ढक
े ल देते िैं | राष्ट्र ीयता की डशक्षा
उक्त सभी दोषोां को दू र करक
े नागररकोां में समानता का ऐसा स्वस्थ वातावरण डनडमफत
करती िै, जो राष्ट्र को डनमफल स्वच्छता की ओर ले जाता िै |
आवर्षक उन्नवत –
राष्ट्र ीयता की डशक्षा से राष्ट्र की कला, कारीगर, तथा उधोग-धिे पनपते िैं | ऐसी डशक्षा
को प्राप्त करक
े राष्ट्र का प्रत्येक नागररक डकसी न डकसी धिे में काम करते हुए
अडधक से अडधक पररश्रम करता िै तथा स्वावलम्बी बनाने क
े डलए राष्ट्र की डदन-
प्रडतडदन उन्नडत िोती िै | इससे राष्ट्र की डनधफनता दू र िो जाती िै तथा वि शैने –शैने ,
धन-धान्य से पररपूणफ िोकर क्तस्िडधशील बन जाता िै |
23. सांस्क
ृ वत का विकास –
राष्ट्र ीयता की डशक्षा राष्ट्र की सांस्क
ृ डत का सांरक्षण, डवकास तथा िस्ताांतरण करती िै | यडद राष्ट्र ीयता
की डशक्षा की व्यवस्था उडचत रूप से निीां की गई तो राष्ट्र की सांस्क
ृ डत डवकडसत निीां िोगी |
पररणामस्वरूप राष्ट्र उन्नडत की दौड़ में डपछड़ जायेगा |
भ्रष्ट्ाचार का अन्त-
राष्ट्र ीयता की डशक्षा क
े द्वरा राष्ट्र में भ्रष्ट्ाचार का अन्त िो जाता िै | ऐसी डशक्षा प्राप्त करक
े सभी
नागररक राष्ट्र ीय भावना से ओत-प्रोत िो जाते िैं | पररणामस्वरूप वे डनन्दनीय कायों को करते हुए
िरने लगते िैं | दू सरे शब्ोां में , राष्ट्र ीयता की डशक्षा प्राप्त करक
े राष्ट्र का कोई व्यक्तक्त ऐसा
अवाांछनीय कायफ निीां करता डजससे राष्ट्र की उन्नडत में बाधा आये |
स्वार्ष त्याग की भािना का विकास –
राष्ट्र ीयता की डशक्षा राष्ट्र क
े द्वारा राष्ट्र क
े सभी नागररकोां में आत्म-त्याग की भावना डवकडसत िो जाती
िै डजसक
े पररणामस्वरूप उनकी सभी स्वाथफपूणफ भावनायें समाप्त िो जाती िै तथा वे अपने कतफव्योां
एवां उतरदाडयत्योां को पूणफ डनष्ठा क
े साथ डनभाने का प्रयास करते रिते िैं | इससे राष्ट्र सुखी,
उन्नडतशील तथा शक्तक्तशाली बन जाता िै |
राष्ट्रीय भाषा का विकास –
प्रत्येक राष्ट्र अपने नागररकोां को डकसी अमुख भाषा क
े द्वारा राष्ट्र की सम्पूणफ डवचारधारा तथा साडित्य
की डशक्षा प्रदान करक
े समाज की डवडभन्न इकाईयोां, राज्योां तथा जाडतयोां एवां प्रजाडतयोां को एकता क
े
सूत्र में बाांधने का प्रयास करता िै | इससे राष्ट्र ीय भाषा का डवकास िो जाता िै |
उपयुफक्त डववरण से स्पष्ट् िो जाता िै डक राष्ट्र ीयता की डशक्षा नागररकोां में राष्ट्र क
े प्रडत अपार भक्तक्त,
आज्ञा-पालन, आत्म-त्याग, कतफव्यपरायणता तथा अनुशासन आडद गुणोां को डवकसडत करक
े सभी
प्रकार क
े भेद-बावोां को भुलाकर एकता क
े सूत्र में बााँध देती िै | इससे राष्ट्र की राजनीडतक, आडथफक
, सामाडजक तथा साांस्क
ृ डतक आडद सभी प्रकार की उन्नडत िोती रिती िैं |
24. राष्ट्रीय की विक्षा क
े लाभ
राजनीवतक एकता
सामावजक उन्नवत
स्वार्ष त्याग की भािना का विकास
आवर्षक उन्नवत
25. उपसहार/ वनष्कषष
यडद सरकार इस डवषय पर ध्यानपूवफक डवचार करे, तो
नई-नई योजना बना सकती िै तथा देश की जनता भी
जागरुक िोकर राष्ट्र क
े प्रडत अपने कतफव्योां को अच्छी
तरि समझ सकती िै। राष्ट्र ीय एकता को प्रभाडवत
करने वाले कारकोां को ऐसी कोई भी ताकत यिाां तक
डक आतांकवादी या डवरोधी सांगिन में इतनी क्षमता निीां
डक वि िमारी एकता को खक्तण्डत कर सक
े । िम
डजतना िी एक िी सूत्र में बांधे रिेंगे-देश – उतनी िी
ज्यादा तरक्की करेगा।