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ॐ श्रीद्गु� परमात्मने नम

                                       D varj- ukn D
                                े
                       “ग�कल क िश�कों का अपना मािसक समाचार प”
                         ु ु
                     े
      प्रकाश: गु�कल कन्द्रीय प्रबंधन सिमित, संत श्री आशारामजी आश्रम, साबरमती,-380005.
                  ु


        ‘उ�रायण िवशेषांक’                     वषर ् :१, अंक : ६                             िदसंबर - २०११

                       ज्योत से ज्योत जगाओ, -घर मंगल मनाओ 
 पूज्य बापूजी ने मुरादाबाद शहर में एक साधक परकृपा कर कुछ वषर् पहले अखण्ड ज्योत जग | इस ज्योत को आसपास
 के सभी साधक बारी-बारी अपने घर ७-७ िदन के िलए आदर सिहत लेकर जाते हैं तथा िमलकर ह�र ॐ गुंजन तथा श
 आशारामायण जी का पाठ करते है | िजस घर में भी ज्योत जाती हैं वहाँ सुख शांित तथा बरकत बढ़ जाती | मुरादाबाद के 
 एक प�रवार के पुत्र का अपहरण हो गया  | उनके घर िजस िदन ज्योत आयी उसी िदन उनके पुत्र को बापूजी ने प्रेरण
 और वह अपहरणकतार ्ओं के िशकंजे से भाग कर घर पहच  गया | इसी श्रृंखला में अन्य शहरों क� सिमितयां/ साधक प�
                                                 �
 पूज्य बापूजी के करकमलों द्वारा अखण्ड ज्योत जगवाकर अपना भाग्य संवार | आप भी इस सुअवसर का यथासंभव
 लाभ ले |

            अिनद्राके िलए उपच                                   प्रितभाशाली िश�क बनने क� र
• नींद कम या देर से आती हो तो सोने से पहले पैर को       दो अबोध बच्चेिमट् के आम से खेलते-खेलते उसे चूसने लगे |
  हलके गमर ् पानी से धोकरपोंछ कर सोय |                  एक क� माँ ने क्रोध में आकर उससे आम छीन िलया तो 
                                                        बालक रोने लगा | दूसरे क� माँ ने पहले असली आम का रस 
• राित्र में सोने से पहले सरसों का तल गुनगुना क
                                       े
                                                        चखा िदया, िफर बच्चे ने बड़ी प्रसन्नता से नकली आम अ
  उसक� ४ बूदें दोनों कानों  में डा लकर ऊपर से
              ँ
                                                        आप फेंक िदया और असली आम माँ से ले िलय | इसी प्रका
  लगाकर सोने से भी गहरी नींद आती है|
                                                        बापूजी हमें पहले िचन्मय सुख क ा स्वाद चखा देते हैं, 
• ग�देव द्वारा बताये गये िनद्रा मन्त्र के जप से
    ु                                                   हमारे दुगर ्ण आसानी से िवदा होने लगते ह | हम  भी  अपने 
                                                                   ु
  ही अिनद्रा के रोग में लाभ ह है |                      कायर ्/िश�ण को सेवा समझकर भगवन्नाम का आश्रय ल
                                                        ऐसे रोचक ढंग से करें िजससे हमारे  उद्दंड िवद्य यों को भी
        िवद्यािथर तथा सहकिमर्यों द्व                    ग�कुल क� आध्याित्मक, शै�िणक तथा गैरशै�िण
                                                          ु
                        क
                कायर् ैसे करवाए ं                       गितिविधयों में रस आ जा | अनावश्यक ताडना औरसज़ा देने 
िजसके द्वारा कायर् करवाना है, वह जब तृ� बैठा हो ही      से िवद्याथढ़ीठ हो जाते है | कमजोर िवद्यािथर्यों में उत्स
उससे  बात करनी चािहए | बालक  खेलकूद  अथवा               के उन्हें प्रितिदन िविनयोग सएकटक १५-३० िमनट तक 
मनोरंजन के बाद तथा बड़े लोग खा-पीकर या ध्या-भजन          ॐकार गजन करने क� प्रणा दे | िवद्यािथर्यों क� कमज
                                                                     ंु
के  बाद  अक्सर तृ� िमलते ह | िसकुड़ के सामनेवाले के      आसानी से कुछ ही िदनों में दूर हो जाये |
प्रितघृणा रख के बजाये चार बार भगवन्नाम‘नारायण’
बोल कर ऐसा िचंतन करें िक उसके अंदर बैठे मेरे नारायण                        आत्-गंुजन
मंगल करेंगे, ऐसे �ढिश् वस से अपनी बात कहें तो अमंगल     मत तू प्रित�ा चाह रे, मत तू प्रशंसा चा |
हो ही नहीं सकत | यह प्रयोग लगततो छोटा सा है पर          सबको प्रित�ा , पिति�त आप तू हो जाये रे | |
चमत्कार ला सकता ह |                                     वाणी और आचार में, माधुयर्ता िदखला सद|
पंिडत  मदनमोहन मालवीयजी  ने  भी  इसी महामंत के          िवद्या िवनय से यु� होकर, सौम्यता िसखला  | |२५| |
आश्रय से काशी श् िवद्यालय जैसी महान संस्था              दे ध्यान पूरा कायर् मेंत दूसरे में ध्यान द|
स्थापना क� थ | हम सब भी अपना कायर ्/िश�ण आरम्           कर तू िनयम से कायर ् सब,खाली समय मत जान दे | |
करने से पहले  इस महामंत्र का आश्रय लें और               सब धमर ् अपने पूणर् कर, छोटे ब से या बड़े |
ग�कुल को और भी चमकाएं |
  ु                                                     मत सत्य से तू िडग कभी, आपि� कैसी ही पड़ | | ५५ | |
G उ �राय ण पवर ् १४ ज नवरी G
 जनवरी १४ तारीख के आसपास मकर संक्रांित का पवर् आता | इस           हटाकर  िनिवर्कारी नारायण में लगाने का सक्  क्रांित का संकल
 समय सूयर् मकर रािश में प्रवेश करता| इस िदन से सूयर् का रथ उ�र    करने का यह िदन है | अपने जीवन को परमात्-ध्या, परमात्म �ान
     .
 िदशा क� ओर चलता है अतः इस पवर् को उ�रायण भी कहते है|             एवं परमात्म प्र क� ओर ले जाने का संकल्प करने क उ�रायण 
 धमर्शा�ों के अनुसार इस िद न पुण्य, दान, जप तथा धािमर्क अनु�      बिढ़या  िदन है | हमारा जीवन िनभर्यता एवं प्रेम से प�रपूणर् हो 
 का अत्यंत मह�व है| इस िदन ितल, गुड़ तथा चीनी िमले लड्डू खाने      ऐसा संकल्प करें
 तथा दान देने का  अपार मह�व है  | इस  अवसर पर  िदया ह�आ दान       इस िदन लोगों को सत-सािहत्यके दान का भी सुअवसर प्रा� िकय
 पुनजर्न्म होने पर सौ गुना होकर प्रा� होता| इस पवर् पर �ल का      जा सकता है  और अह-दान से  बढ़कर तो कोई दान है ही  नहीं |
                                                                                                ं
 उबटन, �तल �म�श्रत जलसे स्नान, -भोजन तथा �तल-                     भगवन्ना लेते-लेते यिद अपने अहं को सद् ग� के चरणों में अिपर
                                                                                                                           ु
 दान सभी पाप-नाशक प्रयोग        |                                 कर दो तो फायदा ही फायदा है | अगर अपना आपा ही संत चरणों मे
 यह तो ह�आ लौिकक �प से संक्रांित मनाना िकन्तु इसका आध्याि         दान कर िदया जाये तो िफर चौरासी का चक्कर सदा क िलये िमट
 तात्पयर् है जीवन में सम्यक् क्| अपने िच� को िवषय िवकारों से      जाये |                                                  -ऋिष प्रसाद अं३७ से 

       प्रितभाशाली िश                                                                सवाक्
                                                                                      ु
                                                                  ्ेथेनमी्र पी उ
                                                दो अंकों का मेल गिणत का योग है| दो औषिधयों का मेल  ंोा
                                                                    ताकओलं                            आयु�द का योग है|
                                                                                                         व
                                                 िच�विृ त का िनरोध यह पतंजिल का योग है परन्तु सब प�रिस्थितयों में सम र
                                                                    े                                             
                                                 भगवान श्रीकृष्ण क� गीता “समत्वयो” है |
                                                                         
                                                सत्कृत्य को छु दो | वह और गित पकड़ेगा, जोर पकड़ेगा | दुष्कृत्य को प्रकट ह
                                                 दो, वह िमट जाएगा | हम लोग क्या करते हैं ? सत्कृत्यों को जािहर करते ह
                                                 दुष्कृत्यों को छुपाते | भीतर हमारा खोखला हो जाता है, भीतर से काँपते रहते हैं|

             श्री प्रणथार                                                        �ान िपपासा
              (अहमदाबाद ग�कुल)
                          ु                    िपछले अंक मेंप्रश था- “जीवन में सुख आये तो क्या करना चािहए और दुःख आये तो क्
पूज्य श्री क� सत्प्रे आशीवार्द सेश्री प्       करना चािहए ?” – इसका उ�र जयपुर  ग�कुल क� िशि�का सुनीता जी  तथा धुले  गु�कुल 
                                                                                    ु
सुथार  वषर् २००६ में अहमदाबाद  ग�कुल के 
                                    ु          क� िशि�का दीपाली, ज्योित दीिपका, माया, रवीना, �रक�, मेनका जी ने  िदया जो काफ�
                                                                                               ं
आरभ से ही यहा कायर्रत है|
    ं           ँ                              सराहनीय थे | उ�र ऋिष प्रसाद के अं२२८ में इस प्रकार िदया ह सुख आये तो  सुख-
किठन से किठन िवषय को  भी सरल  व रसप्र          सुिवधा को बह�तों के िहत में लगाना चािहए, इससे आपका परमानन्द जागेगा दुःख आये तो 
बनाकर बच्चों में िसा विृ त जगाना तथा उन्हे     िववेक-वैराग्य जगाना चािए | इससे आप ससार के फँसाव से िनकलोगे |
                                                                                      ं
स्-प्रे�रत होकर हँसते लते अध्ययन रत करना
                                               इस बार का प्रश है : सबसे उ�म समय कौन सा है?
इनक� िवशेषता है  | जहा आज हर प्कृितक  व
                        ँ
स्विनिमर्त कायर् के पीछे िव-गिणत के तथ्य
                                                                 आध्यात्मीक के उदाहरण (िव�ान)
को ही स्वीकृित दी जाती है वह इस िश�क ने इन
िवषयों का आध्यातकरण कर के परमात्-तत्व          स�म दशर्क यंत ्Microscope): यह यंत्र उन तत्वो एवं कोिशकाओं के देखने में
                                                 ू                                                  ं
एवं ईश् रीय स�ा का सम्बन्ध बताकर ऐिह           करता है जो स्थूल �ि� से नज़र नहीं आत| संसार में भी हमारी �ि स्थूल जगत को ही
िश�ा के साथ आध्यित्मक िश�ा का सुन्द            सत्य मानत है | सद् ग� हमेंसू�म �ि� व समझ देते है िक इस जगत को खेल मात्र समझो
                                                                   ु
समन्वय करने का सराहनीय प्रयास िकया |           प्रत्येस्त-व्यि�के भीतर छुपे ईश् र का दीदार करो |
इनके कुशल मागर्दशर्न में िवद्यािथर्यों न
शोधकायर् करके गिण-िव�ान प्रदशर्न में र         िदशायंत्रCompass): िदशायंत्में चुम्बक ल होता  है जो सही िदशा क� जानकारी देता 
स्तर तक पह�ँचाने में सफलता पाई ह | आशा है      है | उसी प्रकार जब हम अपने मनCompass) मे, ईश् रीय स्मरण एवं ग� ध्यान �पीु
आगे  भी  वे  अपने जीवन में इसी तरह िवद्यािथर   चुम्ब को लगाने का शुभ काम करते हैं तो  जवन को सफल बनाने क� सही नीित-रीित व
का मागर्शर्न करके उन्हें आगे बढ़ाते रहे|        िदशा क� ओर हम स्वाभािवक ही अग्रसरने लगते हैं| हमारा मन ईश् र-प्राि� किदशा में
               -प्रधानाचायार्, अहमदाबाद गु�    चलने लगता है |                                         - प्रणव भाई, अहमदाबाद गु�क

आपक� कलम से : इस पित्रका को साथर्क बनाने हेतु सभी गु�कुल िश�कों से उनके अनुभव,पाठ्यक्रम के आध्यात्मीकरणगीकरण के 
उदाहरण, ग�कुलों के िक्रयाकलापो लेख आिद आमंित्रत है यह सब आप हमें िनम्निलिखत पते पर ड अथवा E-mail/Fax से भेज सकते हैं 
         ु
                  ग�कुल केन्द्रीयप्रबंधन सिमित, संत श्री आशारामजी आश्रम, साबरमती,-380005.
                   ु
                        E-mail: gurukul@ashram.org, Ph: 079-39877787, 88. Fax: 079-27505012.

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Antarnaad december final_2011

  • 1. ॐ श्रीद्गु� परमात्मने नम D varj- ukn D े “ग�कल क िश�कों का अपना मािसक समाचार प” ु ु े प्रकाश: गु�कल कन्द्रीय प्रबंधन सिमित, संत श्री आशारामजी आश्रम, साबरमती,-380005. ु ‘उ�रायण िवशेषांक’ वषर ् :१, अंक : ६ िदसंबर - २०११  ज्योत से ज्योत जगाओ, -घर मंगल मनाओ  पूज्य बापूजी ने मुरादाबाद शहर में एक साधक परकृपा कर कुछ वषर् पहले अखण्ड ज्योत जग | इस ज्योत को आसपास के सभी साधक बारी-बारी अपने घर ७-७ िदन के िलए आदर सिहत लेकर जाते हैं तथा िमलकर ह�र ॐ गुंजन तथा श आशारामायण जी का पाठ करते है | िजस घर में भी ज्योत जाती हैं वहाँ सुख शांित तथा बरकत बढ़ जाती | मुरादाबाद के एक प�रवार के पुत्र का अपहरण हो गया | उनके घर िजस िदन ज्योत आयी उसी िदन उनके पुत्र को बापूजी ने प्रेरण और वह अपहरणकतार ्ओं के िशकंजे से भाग कर घर पहच गया | इसी श्रृंखला में अन्य शहरों क� सिमितयां/ साधक प� � पूज्य बापूजी के करकमलों द्वारा अखण्ड ज्योत जगवाकर अपना भाग्य संवार | आप भी इस सुअवसर का यथासंभव लाभ ले | अिनद्राके िलए उपच प्रितभाशाली िश�क बनने क� र • नींद कम या देर से आती हो तो सोने से पहले पैर को दो अबोध बच्चेिमट् के आम से खेलते-खेलते उसे चूसने लगे | हलके गमर ् पानी से धोकरपोंछ कर सोय | एक क� माँ ने क्रोध में आकर उससे आम छीन िलया तो बालक रोने लगा | दूसरे क� माँ ने पहले असली आम का रस • राित्र में सोने से पहले सरसों का तल गुनगुना क े चखा िदया, िफर बच्चे ने बड़ी प्रसन्नता से नकली आम अ उसक� ४ बूदें दोनों कानों में डा लकर ऊपर से ँ आप फेंक िदया और असली आम माँ से ले िलय | इसी प्रका लगाकर सोने से भी गहरी नींद आती है| बापूजी हमें पहले िचन्मय सुख क ा स्वाद चखा देते हैं, • ग�देव द्वारा बताये गये िनद्रा मन्त्र के जप से ु हमारे दुगर ्ण आसानी से िवदा होने लगते ह | हम भी अपने ु ही अिनद्रा के रोग में लाभ ह है | कायर ्/िश�ण को सेवा समझकर भगवन्नाम का आश्रय ल ऐसे रोचक ढंग से करें िजससे हमारे उद्दंड िवद्य यों को भी िवद्यािथर तथा सहकिमर्यों द्व ग�कुल क� आध्याित्मक, शै�िणक तथा गैरशै�िण ु क कायर् ैसे करवाए ं गितिविधयों में रस आ जा | अनावश्यक ताडना औरसज़ा देने िजसके द्वारा कायर् करवाना है, वह जब तृ� बैठा हो ही से िवद्याथढ़ीठ हो जाते है | कमजोर िवद्यािथर्यों में उत्स उससे बात करनी चािहए | बालक खेलकूद अथवा के उन्हें प्रितिदन िविनयोग सएकटक १५-३० िमनट तक मनोरंजन के बाद तथा बड़े लोग खा-पीकर या ध्या-भजन ॐकार गजन करने क� प्रणा दे | िवद्यािथर्यों क� कमज ंु के बाद अक्सर तृ� िमलते ह | िसकुड़ के सामनेवाले के आसानी से कुछ ही िदनों में दूर हो जाये | प्रितघृणा रख के बजाये चार बार भगवन्नाम‘नारायण’ बोल कर ऐसा िचंतन करें िक उसके अंदर बैठे मेरे नारायण आत्-गंुजन मंगल करेंगे, ऐसे �ढिश् वस से अपनी बात कहें तो अमंगल मत तू प्रित�ा चाह रे, मत तू प्रशंसा चा | हो ही नहीं सकत | यह प्रयोग लगततो छोटा सा है पर सबको प्रित�ा , पिति�त आप तू हो जाये रे | | चमत्कार ला सकता ह | वाणी और आचार में, माधुयर्ता िदखला सद| पंिडत मदनमोहन मालवीयजी ने भी इसी महामंत के िवद्या िवनय से यु� होकर, सौम्यता िसखला | |२५| | आश्रय से काशी श् िवद्यालय जैसी महान संस्था दे ध्यान पूरा कायर् मेंत दूसरे में ध्यान द| स्थापना क� थ | हम सब भी अपना कायर ्/िश�ण आरम् कर तू िनयम से कायर ् सब,खाली समय मत जान दे | | करने से पहले इस महामंत्र का आश्रय लें और सब धमर ् अपने पूणर् कर, छोटे ब से या बड़े | ग�कुल को और भी चमकाएं | ु मत सत्य से तू िडग कभी, आपि� कैसी ही पड़ | | ५५ | |
  • 2. G उ �राय ण पवर ् १४ ज नवरी G जनवरी १४ तारीख के आसपास मकर संक्रांित का पवर् आता | इस हटाकर िनिवर्कारी नारायण में लगाने का सक् क्रांित का संकल समय सूयर् मकर रािश में प्रवेश करता| इस िदन से सूयर् का रथ उ�र करने का यह िदन है | अपने जीवन को परमात्-ध्या, परमात्म �ान . िदशा क� ओर चलता है अतः इस पवर् को उ�रायण भी कहते है| एवं परमात्म प्र क� ओर ले जाने का संकल्प करने क उ�रायण धमर्शा�ों के अनुसार इस िद न पुण्य, दान, जप तथा धािमर्क अनु� बिढ़या िदन है | हमारा जीवन िनभर्यता एवं प्रेम से प�रपूणर् हो का अत्यंत मह�व है| इस िदन ितल, गुड़ तथा चीनी िमले लड्डू खाने ऐसा संकल्प करें तथा दान देने का अपार मह�व है | इस अवसर पर िदया ह�आ दान इस िदन लोगों को सत-सािहत्यके दान का भी सुअवसर प्रा� िकय पुनजर्न्म होने पर सौ गुना होकर प्रा� होता| इस पवर् पर �ल का जा सकता है और अह-दान से बढ़कर तो कोई दान है ही नहीं | ं उबटन, �तल �म�श्रत जलसे स्नान, -भोजन तथा �तल- भगवन्ना लेते-लेते यिद अपने अहं को सद् ग� के चरणों में अिपर ु दान सभी पाप-नाशक प्रयोग | कर दो तो फायदा ही फायदा है | अगर अपना आपा ही संत चरणों मे यह तो ह�आ लौिकक �प से संक्रांित मनाना िकन्तु इसका आध्याि दान कर िदया जाये तो िफर चौरासी का चक्कर सदा क िलये िमट तात्पयर् है जीवन में सम्यक् क्| अपने िच� को िवषय िवकारों से जाये | -ऋिष प्रसाद अं३७ से प्रितभाशाली िश सवाक् ु ्ेथेनमी्र पी उ  दो अंकों का मेल गिणत का योग है| दो औषिधयों का मेल ंोा ताकओलं आयु�द का योग है| व िच�विृ त का िनरोध यह पतंजिल का योग है परन्तु सब प�रिस्थितयों में सम र े भगवान श्रीकृष्ण क� गीता “समत्वयो” है |  सत्कृत्य को छु दो | वह और गित पकड़ेगा, जोर पकड़ेगा | दुष्कृत्य को प्रकट ह दो, वह िमट जाएगा | हम लोग क्या करते हैं ? सत्कृत्यों को जािहर करते ह दुष्कृत्यों को छुपाते | भीतर हमारा खोखला हो जाता है, भीतर से काँपते रहते हैं| श्री प्रणथार �ान िपपासा (अहमदाबाद ग�कुल) ु िपछले अंक मेंप्रश था- “जीवन में सुख आये तो क्या करना चािहए और दुःख आये तो क् पूज्य श्री क� सत्प्रे आशीवार्द सेश्री प् करना चािहए ?” – इसका उ�र जयपुर ग�कुल क� िशि�का सुनीता जी तथा धुले गु�कुल ु सुथार वषर् २००६ में अहमदाबाद ग�कुल के ु क� िशि�का दीपाली, ज्योित दीिपका, माया, रवीना, �रक�, मेनका जी ने िदया जो काफ� ं आरभ से ही यहा कायर्रत है| ं ँ सराहनीय थे | उ�र ऋिष प्रसाद के अं२२८ में इस प्रकार िदया ह सुख आये तो सुख- किठन से किठन िवषय को भी सरल व रसप्र सुिवधा को बह�तों के िहत में लगाना चािहए, इससे आपका परमानन्द जागेगा दुःख आये तो बनाकर बच्चों में िसा विृ त जगाना तथा उन्हे िववेक-वैराग्य जगाना चािए | इससे आप ससार के फँसाव से िनकलोगे | ं स्-प्रे�रत होकर हँसते लते अध्ययन रत करना इस बार का प्रश है : सबसे उ�म समय कौन सा है? इनक� िवशेषता है | जहा आज हर प्कृितक व ँ स्विनिमर्त कायर् के पीछे िव-गिणत के तथ्य आध्यात्मीक के उदाहरण (िव�ान) को ही स्वीकृित दी जाती है वह इस िश�क ने इन िवषयों का आध्यातकरण कर के परमात्-तत्व स�म दशर्क यंत ्Microscope): यह यंत्र उन तत्वो एवं कोिशकाओं के देखने में ू ं एवं ईश् रीय स�ा का सम्बन्ध बताकर ऐिह करता है जो स्थूल �ि� से नज़र नहीं आत| संसार में भी हमारी �ि स्थूल जगत को ही िश�ा के साथ आध्यित्मक िश�ा का सुन्द सत्य मानत है | सद् ग� हमेंसू�म �ि� व समझ देते है िक इस जगत को खेल मात्र समझो ु समन्वय करने का सराहनीय प्रयास िकया | प्रत्येस्त-व्यि�के भीतर छुपे ईश् र का दीदार करो | इनके कुशल मागर्दशर्न में िवद्यािथर्यों न शोधकायर् करके गिण-िव�ान प्रदशर्न में र िदशायंत्रCompass): िदशायंत्में चुम्बक ल होता है जो सही िदशा क� जानकारी देता स्तर तक पह�ँचाने में सफलता पाई ह | आशा है है | उसी प्रकार जब हम अपने मनCompass) मे, ईश् रीय स्मरण एवं ग� ध्यान �पीु आगे भी वे अपने जीवन में इसी तरह िवद्यािथर चुम्ब को लगाने का शुभ काम करते हैं तो जवन को सफल बनाने क� सही नीित-रीित व का मागर्शर्न करके उन्हें आगे बढ़ाते रहे| िदशा क� ओर हम स्वाभािवक ही अग्रसरने लगते हैं| हमारा मन ईश् र-प्राि� किदशा में -प्रधानाचायार्, अहमदाबाद गु� चलने लगता है | - प्रणव भाई, अहमदाबाद गु�क आपक� कलम से : इस पित्रका को साथर्क बनाने हेतु सभी गु�कुल िश�कों से उनके अनुभव,पाठ्यक्रम के आध्यात्मीकरणगीकरण के उदाहरण, ग�कुलों के िक्रयाकलापो लेख आिद आमंित्रत है यह सब आप हमें िनम्निलिखत पते पर ड अथवा E-mail/Fax से भेज सकते हैं ु ग�कुल केन्द्रीयप्रबंधन सिमित, संत श्री आशारामजी आश्रम, साबरमती,-380005. ु E-mail: gurukul@ashram.org, Ph: 079-39877787, 88. Fax: 079-27505012.