meditation FROM I2WE GURUKUL FOR ALL,SPECIALLY FOR NEW
Antarnaad december final_2011
1. ॐ श्रीद्गु� परमात्मने नम
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“ग�कल क िश�कों का अपना मािसक समाचार प”
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प्रकाश: गु�कल कन्द्रीय प्रबंधन सिमित, संत श्री आशारामजी आश्रम, साबरमती,-380005.
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‘उ�रायण िवशेषांक’ वषर ् :१, अंक : ६ िदसंबर - २०११
ज्योत से ज्योत जगाओ, -घर मंगल मनाओ
पूज्य बापूजी ने मुरादाबाद शहर में एक साधक परकृपा कर कुछ वषर् पहले अखण्ड ज्योत जग | इस ज्योत को आसपास
के सभी साधक बारी-बारी अपने घर ७-७ िदन के िलए आदर सिहत लेकर जाते हैं तथा िमलकर ह�र ॐ गुंजन तथा श
आशारामायण जी का पाठ करते है | िजस घर में भी ज्योत जाती हैं वहाँ सुख शांित तथा बरकत बढ़ जाती | मुरादाबाद के
एक प�रवार के पुत्र का अपहरण हो गया | उनके घर िजस िदन ज्योत आयी उसी िदन उनके पुत्र को बापूजी ने प्रेरण
और वह अपहरणकतार ्ओं के िशकंजे से भाग कर घर पहच गया | इसी श्रृंखला में अन्य शहरों क� सिमितयां/ साधक प�
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पूज्य बापूजी के करकमलों द्वारा अखण्ड ज्योत जगवाकर अपना भाग्य संवार | आप भी इस सुअवसर का यथासंभव
लाभ ले |
अिनद्राके िलए उपच प्रितभाशाली िश�क बनने क� र
• नींद कम या देर से आती हो तो सोने से पहले पैर को दो अबोध बच्चेिमट् के आम से खेलते-खेलते उसे चूसने लगे |
हलके गमर ् पानी से धोकरपोंछ कर सोय | एक क� माँ ने क्रोध में आकर उससे आम छीन िलया तो
बालक रोने लगा | दूसरे क� माँ ने पहले असली आम का रस
• राित्र में सोने से पहले सरसों का तल गुनगुना क
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चखा िदया, िफर बच्चे ने बड़ी प्रसन्नता से नकली आम अ
उसक� ४ बूदें दोनों कानों में डा लकर ऊपर से
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आप फेंक िदया और असली आम माँ से ले िलय | इसी प्रका
लगाकर सोने से भी गहरी नींद आती है|
बापूजी हमें पहले िचन्मय सुख क ा स्वाद चखा देते हैं,
• ग�देव द्वारा बताये गये िनद्रा मन्त्र के जप से
ु हमारे दुगर ्ण आसानी से िवदा होने लगते ह | हम भी अपने
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ही अिनद्रा के रोग में लाभ ह है | कायर ्/िश�ण को सेवा समझकर भगवन्नाम का आश्रय ल
ऐसे रोचक ढंग से करें िजससे हमारे उद्दंड िवद्य यों को भी
िवद्यािथर तथा सहकिमर्यों द्व ग�कुल क� आध्याित्मक, शै�िणक तथा गैरशै�िण
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कायर् ैसे करवाए ं गितिविधयों में रस आ जा | अनावश्यक ताडना औरसज़ा देने
िजसके द्वारा कायर् करवाना है, वह जब तृ� बैठा हो ही से िवद्याथढ़ीठ हो जाते है | कमजोर िवद्यािथर्यों में उत्स
उससे बात करनी चािहए | बालक खेलकूद अथवा के उन्हें प्रितिदन िविनयोग सएकटक १५-३० िमनट तक
मनोरंजन के बाद तथा बड़े लोग खा-पीकर या ध्या-भजन ॐकार गजन करने क� प्रणा दे | िवद्यािथर्यों क� कमज
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के बाद अक्सर तृ� िमलते ह | िसकुड़ के सामनेवाले के आसानी से कुछ ही िदनों में दूर हो जाये |
प्रितघृणा रख के बजाये चार बार भगवन्नाम‘नारायण’
बोल कर ऐसा िचंतन करें िक उसके अंदर बैठे मेरे नारायण आत्-गंुजन
मंगल करेंगे, ऐसे �ढिश् वस से अपनी बात कहें तो अमंगल मत तू प्रित�ा चाह रे, मत तू प्रशंसा चा |
हो ही नहीं सकत | यह प्रयोग लगततो छोटा सा है पर सबको प्रित�ा , पिति�त आप तू हो जाये रे | |
चमत्कार ला सकता ह | वाणी और आचार में, माधुयर्ता िदखला सद|
पंिडत मदनमोहन मालवीयजी ने भी इसी महामंत के िवद्या िवनय से यु� होकर, सौम्यता िसखला | |२५| |
आश्रय से काशी श् िवद्यालय जैसी महान संस्था दे ध्यान पूरा कायर् मेंत दूसरे में ध्यान द|
स्थापना क� थ | हम सब भी अपना कायर ्/िश�ण आरम् कर तू िनयम से कायर ् सब,खाली समय मत जान दे | |
करने से पहले इस महामंत्र का आश्रय लें और सब धमर ् अपने पूणर् कर, छोटे ब से या बड़े |
ग�कुल को और भी चमकाएं |
ु मत सत्य से तू िडग कभी, आपि� कैसी ही पड़ | | ५५ | |
2. G उ �राय ण पवर ् १४ ज नवरी G
जनवरी १४ तारीख के आसपास मकर संक्रांित का पवर् आता | इस हटाकर िनिवर्कारी नारायण में लगाने का सक् क्रांित का संकल
समय सूयर् मकर रािश में प्रवेश करता| इस िदन से सूयर् का रथ उ�र करने का यह िदन है | अपने जीवन को परमात्-ध्या, परमात्म �ान
.
िदशा क� ओर चलता है अतः इस पवर् को उ�रायण भी कहते है| एवं परमात्म प्र क� ओर ले जाने का संकल्प करने क उ�रायण
धमर्शा�ों के अनुसार इस िद न पुण्य, दान, जप तथा धािमर्क अनु� बिढ़या िदन है | हमारा जीवन िनभर्यता एवं प्रेम से प�रपूणर् हो
का अत्यंत मह�व है| इस िदन ितल, गुड़ तथा चीनी िमले लड्डू खाने ऐसा संकल्प करें
तथा दान देने का अपार मह�व है | इस अवसर पर िदया ह�आ दान इस िदन लोगों को सत-सािहत्यके दान का भी सुअवसर प्रा� िकय
पुनजर्न्म होने पर सौ गुना होकर प्रा� होता| इस पवर् पर �ल का जा सकता है और अह-दान से बढ़कर तो कोई दान है ही नहीं |
ं
उबटन, �तल �म�श्रत जलसे स्नान, -भोजन तथा �तल- भगवन्ना लेते-लेते यिद अपने अहं को सद् ग� के चरणों में अिपर
ु
दान सभी पाप-नाशक प्रयोग | कर दो तो फायदा ही फायदा है | अगर अपना आपा ही संत चरणों मे
यह तो ह�आ लौिकक �प से संक्रांित मनाना िकन्तु इसका आध्याि दान कर िदया जाये तो िफर चौरासी का चक्कर सदा क िलये िमट
तात्पयर् है जीवन में सम्यक् क्| अपने िच� को िवषय िवकारों से जाये | -ऋिष प्रसाद अं३७ से
प्रितभाशाली िश सवाक्
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्ेथेनमी्र पी उ
दो अंकों का मेल गिणत का योग है| दो औषिधयों का मेल ंोा
ताकओलं आयु�द का योग है|
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िच�विृ त का िनरोध यह पतंजिल का योग है परन्तु सब प�रिस्थितयों में सम र
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भगवान श्रीकृष्ण क� गीता “समत्वयो” है |
सत्कृत्य को छु दो | वह और गित पकड़ेगा, जोर पकड़ेगा | दुष्कृत्य को प्रकट ह
दो, वह िमट जाएगा | हम लोग क्या करते हैं ? सत्कृत्यों को जािहर करते ह
दुष्कृत्यों को छुपाते | भीतर हमारा खोखला हो जाता है, भीतर से काँपते रहते हैं|
श्री प्रणथार �ान िपपासा
(अहमदाबाद ग�कुल)
ु िपछले अंक मेंप्रश था- “जीवन में सुख आये तो क्या करना चािहए और दुःख आये तो क्
पूज्य श्री क� सत्प्रे आशीवार्द सेश्री प् करना चािहए ?” – इसका उ�र जयपुर ग�कुल क� िशि�का सुनीता जी तथा धुले गु�कुल
ु
सुथार वषर् २००६ में अहमदाबाद ग�कुल के
ु क� िशि�का दीपाली, ज्योित दीिपका, माया, रवीना, �रक�, मेनका जी ने िदया जो काफ�
ं
आरभ से ही यहा कायर्रत है|
ं ँ सराहनीय थे | उ�र ऋिष प्रसाद के अं२२८ में इस प्रकार िदया ह सुख आये तो सुख-
किठन से किठन िवषय को भी सरल व रसप्र सुिवधा को बह�तों के िहत में लगाना चािहए, इससे आपका परमानन्द जागेगा दुःख आये तो
बनाकर बच्चों में िसा विृ त जगाना तथा उन्हे िववेक-वैराग्य जगाना चािए | इससे आप ससार के फँसाव से िनकलोगे |
ं
स्-प्रे�रत होकर हँसते लते अध्ययन रत करना
इस बार का प्रश है : सबसे उ�म समय कौन सा है?
इनक� िवशेषता है | जहा आज हर प्कृितक व
ँ
स्विनिमर्त कायर् के पीछे िव-गिणत के तथ्य
आध्यात्मीक के उदाहरण (िव�ान)
को ही स्वीकृित दी जाती है वह इस िश�क ने इन
िवषयों का आध्यातकरण कर के परमात्-तत्व स�म दशर्क यंत ्Microscope): यह यंत्र उन तत्वो एवं कोिशकाओं के देखने में
ू ं
एवं ईश् रीय स�ा का सम्बन्ध बताकर ऐिह करता है जो स्थूल �ि� से नज़र नहीं आत| संसार में भी हमारी �ि स्थूल जगत को ही
िश�ा के साथ आध्यित्मक िश�ा का सुन्द सत्य मानत है | सद् ग� हमेंसू�म �ि� व समझ देते है िक इस जगत को खेल मात्र समझो
ु
समन्वय करने का सराहनीय प्रयास िकया | प्रत्येस्त-व्यि�के भीतर छुपे ईश् र का दीदार करो |
इनके कुशल मागर्दशर्न में िवद्यािथर्यों न
शोधकायर् करके गिण-िव�ान प्रदशर्न में र िदशायंत्रCompass): िदशायंत्में चुम्बक ल होता है जो सही िदशा क� जानकारी देता
स्तर तक पह�ँचाने में सफलता पाई ह | आशा है है | उसी प्रकार जब हम अपने मनCompass) मे, ईश् रीय स्मरण एवं ग� ध्यान �पीु
आगे भी वे अपने जीवन में इसी तरह िवद्यािथर चुम्ब को लगाने का शुभ काम करते हैं तो जवन को सफल बनाने क� सही नीित-रीित व
का मागर्शर्न करके उन्हें आगे बढ़ाते रहे| िदशा क� ओर हम स्वाभािवक ही अग्रसरने लगते हैं| हमारा मन ईश् र-प्राि� किदशा में
-प्रधानाचायार्, अहमदाबाद गु� चलने लगता है | - प्रणव भाई, अहमदाबाद गु�क
आपक� कलम से : इस पित्रका को साथर्क बनाने हेतु सभी गु�कुल िश�कों से उनके अनुभव,पाठ्यक्रम के आध्यात्मीकरणगीकरण के
उदाहरण, ग�कुलों के िक्रयाकलापो लेख आिद आमंित्रत है यह सब आप हमें िनम्निलिखत पते पर ड अथवा E-mail/Fax से भेज सकते हैं
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ग�कुल केन्द्रीयप्रबंधन सिमित, संत श्री आशारामजी आश्रम, साबरमती,-380005.
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E-mail: gurukul@ashram.org, Ph: 079-39877787, 88. Fax: 079-27505012.