पुरातत्त्व क
े विविन्न रूप स्वरुप , महत्त्व और पुरािशेषो ि पुरािस्तुयो
की प्राप्ति क
े साथ ही उनकी वतवथ का वनर्ाारण िी अवत आिश्यक है L मानि
अतीत का अर्य्यन करना पुरातत्त्व का विषय है वकन्तु िह अतीत तिी
प्रमावणक हो सकता है जब उसकी वतवथ वनर्ााररत की जाए पुरातत्व में वतवथ
वनर्ाारण की मुख्य रूप से दो विवर्या प्रचवित है I
1. सापेक्ष वतवथ वनर्ाारण - दो प्राि िस्तुयोोंका तुिनात्मक अध्ययन
2. वनरपेक्ष वतवथ वनर्ाारण - िो विवर् वजनक
े द्वारा वकसी वनवित किेंडर क
े
आर्ार पर काि - वनर्ाारण वकया जा सक
े वनरपेक्ष वतवथ वनर्ाारण विवर्या
कहिाती है
सापेक्ष वतवथ वनर्ाारण -
1. स्तरीकरण - पृथ्वी क
े िूपटि की बनािट क
े विविन्न स्तरोोंक
े वनवित
अनुक्रम को स्तरीकरण कहते है I
प्रथम प्रयोग - वपट ररिसा, वमश्र
िारत में MORTIMER WHILLER
2. प्रारुवपकी - प्राि पुरािशेषो ि अन्य सामवियोोंक
े आकर प्रकार, बनािट,
वनमााण विवर् आवद क
े आर्ार पर वतवथ का वनर्ाारण I
C. J. THOMSEN - STONEAGE, BRONZE AGE, IRON AGE
प्तलोंदेसा पेटरी ने इसका प्रयोग वमश्र में वकया था
3. िू-आक
ृ वत विज्ञान - जििायु क
े प्रिाि से पृथ्वी की आक
ृ वत, नदी सोपान
आवद पर क्या प्रिाि पड़ा इसका अध्ययन वकया जाता है I
4. पुरावजिविज्ञानों - प्राणी जगत तथा िनस्पवत जगत से सोंबोंवर्त जीिाश्मो का
अध्ययन I
5. फ़्िोररन - विश्लेषण - प्रावणयोोंक
े शारीर में हवियो का वनमााण क
ै प्तशशयम,
फॉस्फोरस, मैविवसयम और काबोनेट क
े योगदान से होता है , जमीोंमें दबी हुई
हविया, दाोंत, श्रृोंग आवद जमीोंक
े िीतर नमी से फ़्िोररन को अिशोवषत करती
है वजसे विश्लेषण क
े द्वारा पता िगाया जाता है I
प्रथम प्रयोग - K.P.OKLEY
6. पूरापुष्पप्राग विश्लेषण - पुष्पर्ारी पेड़ पौर्े तथा घसे अपना िोंश क्रम रखने
क
े विए वबज उत्पन्न करती है वबज उत्पन्न करने क
े विए पुष्पोोंक
े पुन्क
े शर
परागकण उत्पन्न करते है वजन्हें बीजाणु िी कहते है और एस विवर् में उन्ही
का अध्ययन वकया जाता है I
प्रथम प्रयोग - LENNAR VAN POST 1916
7. नाइटर ोजन - वकसी िी प्राणी की मृत्यु होने पर उससे कोिेजन एक समान
दर से कम होने िगता है और यह नाइटर ोजन बदिता है, क्षय की दर क
े
आर्ार पर हम वतवथ का वनर्ाारण करते है I
वनरपेक्ष वतवथ वनर्ाारण -
1. अनुिषा स्तर विश्लेषण - यह विवर् GEOCHRONOLOGY सोंबोंवर्त है
प्रथम प्रयोग िॉरन जेराडा दे वगयर ने 1878 में इसका प्रयोग वकया था
2. िृक्ष ििय कािानुक्रम - ए.इ.डगिस क
े द्वारा 1901 - 1913 क
े मध्य USA क
े एररजोना
प्रान्त क
े RED INDIANS क
े प्रवगवतहवसक पुरािशेषो क
े कािानुक्रम - वनर्ाारण क
े
विए काष्ठ- अिशेषोोंक
े अध्ययन क
े विए िृक्ष ििय कािानुक्रम का सहारा विया था
3. रेवडओ काबान वतवथ - िौवतक विज्ञानों िेता W. F. LIBBI क
े द्वारा 1949/1952 ई. में
इसका अविष्कार वकया
* अर्ा जीिन - 5730 +- 40 YEAR H GUDWIN क
े द्वा
* िकड़ी का कोयिा, काष्ठ, पत्ती, वसोंग, हिी, बाि, क
ों कड़ आवद क
े वतवथ वनर्ाारण
हेतु प्रयोग
1962 में TATA INSTITUTE OF FUNDAMENTAL RESEARCH, MUMBAI में RADIO CARBON प्रयोशािा बनाई गयी
4. POTASSIUM ARGON - इस वसर्ाोंत क
े प्रवतपादक C.F.V WEIZSACKER है
W. JENTVER ने इसका प्रयोग वतवथ वनर्ाारण हेतु सबसे पहिे वकया था
J. F. EVERDEN एिों G. H. CURTIS ने ओल्ड
ू िाई घाटी में इसका प्रयोग वकया था
30 करोड़ िषा तक सीमा अर्ा जीिन 13 करोड़ िषा
ओल्ड
ू िाई घाटी क
े बेड 1 - 19 िाख िषा
बेड 2 - 15 िाख िषा
क
े न्या तुरकाना झीि - 26 िाख िषा
5. उश्मवदिी - FERINGTON DANIELLE -1953
मृद्ाोंडो की कािानुक्रम क
े वनर्ाारण हेतु प्रयोग 1960 में G.C.KENNEDY एिों L.
KNOFF क
े द्वारा वकया गया I
6. ELECTRON SPIN RESONANCE- िूताप्तत्वक प्रवक्रया में
जब CRYSTAL का वनमााण होता है तब उसी समय उसमे URANIUM-
238,THORIUM-232,POTASIUM-40 अशुद्ध तत्त्वफ
ों स जाती है
इन्हे HIGH FREQUENCY विर्ुत चुम्बकीय विवकरण तथा शप्तिशािी
चुम्बकीय क्षेत्र क
े विवनयोग से गणना करते है ELECTRON की मात्रा में
अवर्कता उसक
े अवर्क प्राचीनता का पररचायक होती है I
ESR= ACCUMULATED DOSE(PALAEODOSE)/ANNUAL DOSE
* इसका प्रयोग - दन्त, हिी,मूोंगा,वसप आवद क
े वतवथ वनर्ाारण हेतु प्रयोग
वकया जाता है
7. OBSIDIAN HYDRATION TECH. - OBSIDIAN िािा क
े शीघ्र ठों डा होने से वनवमात होता है यह
प्राक
ृ वतक शीशे की क
े सामान होता है,OBSIDIAN की टू टी हुई सतह पानी िहण कर एक िेयर का
वनमााण करती है वजसे हाईडरेशन िेयर कहते है वजतनी बार इसमे नविन फिक वनकिेगा िह जि
िहण करेगा OBSIDIAN पर महीन अनुिाग काटते है तथा MICROSCOPE से अध्ययन करते है I
जापान में कत्सुई तथा कोोंडो ने इस विवर् से वतवथ का वनर्ाारण वकया था
MEXICO में MICHEL ने इस विवर् क
े द्वारा महत्वपूणा अध्ययन वकया है
8. FISSION TRACK DATING METHOD - इस विवर् क
े प्रणेता R.M.WALKAR है , 1967
मे INTERNATIONAL COMMISSION FOR APPLIED |RADIOACTIVITY
तथा INTERNATIONAL ATOMIC ENERGY AUTHORITY क
े वसम्पोवजयम में MONTE
CARLO में घोषणा की थी I
* इसका प्रयोग नि वनवमात चट्टान, आिेय चट्टान, स्तर वनमााण का काि, कााँच तथा वमटटी क
े बतानोोंक
े
वतवथ वनर्ाारण में वकया जाता है I
U238 इसमे उपयोगी है
FISSION TRACK को MICROSCOPE से देखा जाता है
9. COSMOGENIC NUCLIDES METHOD- पृथ्वी की सतह पर चट्टान क
े उम्र
वनर्ाारण हेतु इसका प्रयोग होता है I
* इस अध्ययन में ब्रह्ाोंडीय वकरणोोंतथा बोल्डर और ग्लेवशयि रूप से वनवमात या
नष्ट बेडरॉक का अध्ययन वकया जाता है I
10. AMINO ACID RACEMIZATION DATING METHOD -
इसमे प्रकाशीय सक्रीय यौवगक पदाथा प्रकाशीय वनप्तिय यौवगक पदाथा में
पररितान हो जाता है वजनका अध्ययन कर वतवथ का वनर्ाारण वकया जाता है I
11.PALAEOMAGNETISM DATING - AFTER WW II GEOLOGIST
DEVELOPED THE PALAEOMAGNETIC DATING TECHNIQUE TO
MEASURE THE MOVEMENTS OF THE MAGNETIC NORTH POLE
OVER GEOLOGICAL TIME IN THE EARLY TO MID 1960. DR.
ROBERT DUBOIS INTRODUCED TO ARCHAEOLOGY AS
ARCHAEOMAGNETIC DATING.
END