एक छोटी सी बात मन के भी तर कभी कभी इस तरह समाती है कि कलम पर उंगलियों की पकड़ मज़बूतब हो जाती है | एक ऐसी ही घटना ने मुझे नशे से सम्बंधित कुछ शब्द लिखने का मौका दे दिया | ” इस बात का मेरे मुंह से निकलना था कि यह एक लज़ीज़ भोजन की तरह परोसने का ज़रिया बन गया | तो चलिए कुछ इस तरह पेश करते हैं हम अपनी बात – दारू पीकर तो इंसान बहकने लगता है …
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जयपुर की मीनाकारी बहुत प्रसिद्द है | मीनाकारी हमेशा से सभी को अपनी ओर आकर्षित करती रही है |
मीनाकारी की खूबसूरती ने हर किसी क
े मन में सवाल भी उठाएं है कि आखिर ये है क्या ? हमने जब
इसक
े
बारे में पढ़ना शुरू किया तो बहुत ही मजेदार तथ्य पता चले जो हम यहाँ आपको बता रहे हैं |
फ़ारसी भाषा में मीना यानि आकाश का नीला रंग |
इरानी कारीगरों ने इस कला की
खोज करी और मंगोलों ने इसे भारत और दूसरे देशों तक पहुँचाया | एक फ्र
ें चपर्यटक, जो कि ईरान घूमने
गए थे, ने नीले,हरे,लाल औरपीले रंगों में बने पक्षियों और जानवरों का ज़िक्र किया है जो कि तामचीनी क
े
बने हुए थे | मीनाकारी क
े काममें स्वर्ण का भी इस्तेमाल पारंपरिक तौर पर किया जाता है क्योंकि इसकी
तामचीनी यानि enamel work परअच्छी पकड़ होती है और इससे enamel की चमक उभर कर आती है |
क
ु छ समय क
े बाद चांदी का भी प्रयोगकिया जाने लगा जो डब्बे, चम्मच और दूसरी कलात्मक वस्तुएं
बनाने क
े काम में आने लगा | इन सबक
े बादजब स्वर्ण पर रोक लगने लगी तो ताम्बे का प्रयोग किया
जाने लगा | शुरू में मीनाकारी क
े काम को ज्यादातवज्जो नहीं मिली क्योंकि इसका प्रयोग सिर्फ क
ुं दन या
बेशकीमती रत्नों क
े गहने बनाने क
े लिए होता था |इतिहास क
े हिसाब से मीनाकार सुनार जाति से
सम्बंधित हैं और इन्होंने मीनाकार या वर्मा नाम से पहचानबनाई |
मीनाकारी का कार्य वंश क
े हिसाब से चलता रहता है और ऐसा बहुत कम होता है