तुम भी by ओंकार नाथ त्रिपाठी किताब के बारे में... संग्रह में संकलित मेरी कविताएं मेरी मानस नायिका पर केन्द्रित है जो व्यवहारिक जीवन में होने वाले व्यवहारों, बदलाओं अथवा परिस्थिति जन्य समस्याओं के कारण परिलक्षित होती रहती हैं। संवेदना जीवन का मेकैनिज्म होता है और अगर मेकैनिज्म में गड़बड़ी हो तब जीवन प्रभावित तो होगा ही। "तुम भी..."में बनती, बिगड़ती, बसती तथा उजड़ती संवेदनाओं को रेखांकित किया गया है। यदि आप इस पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए लिंक से इस पुस्तक को पढ़ें या नीचे दिए गए दूसरे लिंक से हमारी वेबसाइट पर जाएँ! https://hindi.shabd.in/tum-to-onkar-nath-tripathi/book/10164063 https://shabd.in/