चोरी के जेवर by
Kumkum Singh
किताब के बारे में...
वो बेहद गरीब और अनपढ़ थी, फटे पुराने कपड़े पहनती थी और रूखा सूखा खाती थी। पर अपने ही स्पष्ट विचारों से उसने अपने जीवन को सरस और प्रफुल्लित बना रखा था। और इसी ‘बकरी बाई‘ ने मुझे एक लेखिका बना दिया। ‘चोरी के जेवर‘ में जेवरों की चोरी ! किसके जेवर ? और क्यों हुई चोरी ? मामला इतना रुचिकर था कि मुझे लिखना ही पड़ा। एक मिसमैच ‘शर्तिया शादी‘ ने ऐसी समस्या पैदा कर दी कि जिसका हल शायद पाठकों के पास हो। सुन्दरता और धन से सब कुछ हासिल करने वालों को भी ऐसा दिन देखना पड़ा ! ये आपको ‘फूलपुर की हसीना‘ बतायेगी। ‘स्काईलैब‘ के गिरने की आशंका से उपजे निश्चित मौत के डर ने इन्सान को इतना निडर बना दिया कि बस पूछो ही मत। ‘पान, सिन्दूर, चावल‘ का वो रहस्य क्या था ? कौन ऐसा कर रहा था और आखिर क्यों ?जानने के लिए आपको पढ़ना ही पड़ेगा। हमारा भारतीय समाज भी ऐसा रंगबिरंगा है कि जहाँ एक ओर स्नॉबिश, माडर्न ‘अमेरिकन बुआ‘ हमको हंसाती हैं, वहीं ‘सातवीं फेल‘ बालक हमे रुलाता है। आखिर ‘एक हीरो दो हिरोइन‘ का वो हैन्डसम, काबिल डाक्टर शहर छोड़ कर कहाँ भागा ? और उसके भागने की वजह ? और फिर उसके बाद ? हाँ, सब कुछ ऐसा ही तो हुआ था जैसा मैने लिखा है।
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