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गु    व कायालय   ारा   तुत मािसक ई-प का                          मई- 2011




 अकाल मृ यु एवं असा य                                            क डली से
                                                                  ु
 रोग से मु                                                    वा      य लाभ

 अंक योितष और                                                 योितष         ारा
     वा थ                                                        रोग िनदान

     वा तु एवं रोग                                               ह त रे खा
                                                                    एवं रोग


                                                       रोग िनवारण के
                                                                 सरल उपाय

        महामृ युंजय जप विध                                   र      एवं रं ग
                                                       ारा रोग िनवारण
                       NON PROFIT PUBLICATION
FREE
                                     E CIRCULAR
                          गु   व     योितष प का मई 2011
संपादक               िचंतन जोशी
                     गु   व    योितष वभाग

संपक                 गु    व कायालय
                     92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA,
                     BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA
फोन                  91+9338213418, 91+9238328785,
                     gurutva.karyalay@gmail.com,
ईमेल                 gurutva_karyalay@yahoo.in,

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वेब                  http://www.gurutvakaryalay.blogspot.com/

प का       तुित      िचंतन जोशी,     व तक.ऎन.जोशी
फोटो     ाफ स        िचंतन जोशी,     व तक आट
हमारे मु य सहयोगी     व तक.ऎन.जोशी       ( व तक सो टे क इ डया िल)




           ई- ज म प का                              E HOROSCOPE
      अ याधुिनक      योितष प ित            ारा Create By Advanced Astrology
         उ कृ     भ व यवाणी क साथ
                             े                             Excellent Prediction
             १००+ पेज म            तुत                              100+ Pages

                           हं द / English म मू य मा 750/-
                               GURUTVA KARYALAY
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3                                  मई 2011




                                                वशेष लेख
महामृ युंजय-अकाल मृ यु एवं असा य रोग से मु      7        व न और रोग                                34

     क डली से जाने
      ु              वा    य लाभ क योग
                                  े             9    रोग होने क संकत
                                                               े   े                               36

अंक योितष और वा थ                               12   र     एवं रं ग   ारा रोग िनवारण               37

 योितष     ारा रोग िनदान                        16   वा तु एवं रोग                                 40

महामृ युंजय जप विध                              21   ह त रे खा एवं रोग                             41

उ म वा       य लाभ क िलये करे सूय तो का पाठ
                    े                           29   ज म कडली म नीच ल नेश से रोग और परे शानी?
                                                          ुं                                       43

उ म वा       य लाभ क िलये शयन और वा तु िस ांत
                    े                           30       ाकृ ितक िच क सा से उ म   वा   य लाभ       47

उ म वा       य लाभ क िलये भोजन और वा तु
                    े
                                                31   रोग िनवारण क सरल उपाय
                                                                 े                                 49
िस ांत

सव रोग नाशक महामृ यु जय मं         अचूक भावी    32   सव काय िस        कवच                          50


                                                अनु म
संपादक य                                        4     दन-रात क चौघ डये
                                                              े                                   68

राम र ा यं                                      51    दन-रात क होरा सूय दय से सूया त तक           69

 व ा ाि      हे तु सर वती कवच और यं             52       ह चलन मई -2011                           70

मं   िस प ना गणेश                               52   सव रोगनाशक यं /कवच                           71

मं िस साम ी                                     53   मं िस कवच                                    73

मािसक रािश फल                                   56   YANTRA LIST                                  74

रािश र                                          60   GEM STONE                                    76

मई 2011 मािसक पंचांग                            61   BOOK PHONE/ CHAT CONSULTATION                77

मई -2011 मािसक       त-पव- यौहार                63   सूचना                                        78

मं िस साम ी                                     66   हमारा उ े य                                  80

मई 2011 - वशेष योग                              67

दै िनक शुभ एवं अशुभ समय        ान तािलका        67
4                                  मई 2011




                                               संपादक य
    य आ मय

          बंधु/ ब हन

                       जय गु दे व
 हमारे ऋ ष-मुिन और योितषाचाय ने बड ह सरलता से हर बीमार का संबंध       हो क साथ होने का उ लेख योितष
                                                                          े                           ंथो मे
कया ह।
य      क ज म कडली म ज म समय म
              ुं                      थत हो क     थती, हो क महादशा, अंतर दशा एवं    हो क वतमान समय क हो
                                                                                        े           े
क     थित से य     क वा
                    े     य एवं रोग का आंकलन होता ह।
आपने ायः दे खा होगा व थ य        भी कभी-कभी अचानक बीमार पड़ जाता ह। जो दरसल खान-पान म बरती गई कोई
लापरवाह हो सकती ह। कभी-कभी य         को आनुवांिशक यानी माता- पतासे ा रोग हो सकते है ।
 योितष व ान क मत से य
             े                 क ज म समय पर ह क
                                े                      थित एवं भाव से य     को उ   क कस मोड़ पर उसे कोनसी
                                                                                    े
बीमार हो यह सुिन    त कर सकते ह। य द समय से पहले पता चल जाये य        कब कस रोग से पी ़डत हो सकता ह, तो पहले
से सचेत होकर रोग का से बचाव हे तु या उसका िनदान कया जा सकता ह।   यो क समय से पूव रोग क बारे म पता चलने से
                                                                                      े
य      खान-पान म परहे ज कर बीमार को कम करने या टालने का यास कर सकता ह।
ज म कडली मे रोग का िनणय कडली क छठे भाव म
     ुं                  ुं   े                थत    ह, छठे भाव क वामी क
                                                                 े            थित छठे भाव पर   ह क     , छठे
भाव का कारक      ह क आधार पर जान सकते ह, क भ व य म जातक कस रोग से पी डत हो सकता ह।
                    े
कछ मु य बात को समझ कर आप कसी भी य
 ु                                            क ज म कडली से होने वाले रोग क बारे म सचेत कर सकते ह। वैसे भी
                                                     ुं                    े
आकाश म      मण करते सभी ह और न        रोग उ प न कर सकते ह।

हमारे िलए आज क आधुिनक िच क सा प ित कतनी लाभदायक ह?

आज क उ नत कह जाने वाली आधुिनक िच क सा क वशेष
                                       े                   कहते ह। हमार सभी दवाइयाँ वष क समान ह और
                                                                                        े
इसक फल व प दवाई क हर मा ा रोगी क जीवनश
   े                                           का ास करती जाती है ।

आजकल जरा-जरा से रोग- बमार म त काल ऑपरे शन क सलाह दे द जाती ह?, य द आपक कसी वधुत उपकरण या
                                                                      े
वाहन को ठक करने वाला मैकिनक भी य द कह इस उपकरण या वाहन का यह पुजा बदलने पर भी आपका उपकरण या
                        े
वाहन ठ क होगा क नह ं इस क कोई गार ट नह ं ह? तो कोई भी य          उस मैकिनक क यहां अपने उपकरण क
                                                                       े    े
मर मत नह ं करवाता। परं तु कसे सजन-डॉ टर क मामले मे यह बात लागू नह ं होती। हर सजन-डॉ टर ार ऑपरे शन
                                         े
क गार ट न दे ने पर भी हम लोग ऑपरे शन करवा ने क िलए मजबूर हो जाते ह !
                                              े

आयुवद एवं अ य अनेको िच क सा प ित क वशेष
                                  े                 क माने तो बहोत से मामलो म ऑपरे शन क ारा शर र क अशु
                                                                                       े          े
    य को िनकालने क अपे ा ाकृ ितक िच क सा जैसे जल, िम ट , सूय करण और शु वायु क मदद से उ ह बाहर िनकालना
एक सुर    त और सु वधाजनक उपाय ह। कसी अनुभवी िच क सक क सलाह लेकर अनुकल आहार एवं व ाम करक भी पूण
                                                                    ू                  े
 वा    य-लाभ पाया जा सकता ह।
5                                     मई 2011



स चा वा       य सुख य द कसी दवाइय से िमलता तो कोई भी सजन, डॉ टर, किम ट या उनक प रवार का कोई भी सद य
                                                                  ै          े
कभी बीमार नह ं पड़ता।

                                                 यद उ म        वा   य सुख बाजार म खर दने से िमल जाता तो संसार म
                                                  कोई भी धनवान रोगी नह ं रहता। कसी भी य           वशेष को      वा   य
                                                  सुख इं जे शन , अ याधुिनक यं , िच क सालय और डॉ टर क बड से
                                                  बड   डि य से नह ं िमलता।     वा   य सुख   वा    य क िनयम का पूण तः
                                                                                                     े
                                                  पालन करने से एवं संयमी जीवन जीने से िमलता ह।

                                                  जानकारो क माने तो मानव शर र म व वध रोग अशु और अखा
                                                           े
                                                  भोजन, अिनयिमत रहन-सहन, संकिचत वचार धारा तथा दसरो से छल-
                                                                            ु                  ू
                                                  कपट से भरा यवहार रखने से होते ह।

                                                   कसी भी बीमार को कोई भी दवाई थायी इलाज नह ं कर सकती।
दवाईयां थोड़े समय क िलए एक रोग को दबाकर, कछ ह समय म दसरा रोग को उभार दे ती है ।
                  े                      ु          ू

इसी िलये लोगो को दवाइय क गुलामी से बचकर, अपना आहार- वहार शु , रहन-सहन िनयम से, वचारो से उदार एवं
    स न बने रहगे। आदश आहार- वहार और वचार- यवहार ये चारो और से मनु य के              वा   य सुख म वृ     होती ह।

सद -गम सहन करने क श            , काम एवं   ोध को िनयं ण म रखने क श      , क ठन प र म करने क यो यता, फित,
                                                                                                     ू
सहनशीलता, हँ समुखता, भूख बराबर लगना, शौच साफ आना और गहर नींद – ये स चे वा                य क मुख ल ण ह।
                                                                                            े

दवाईयो क वषय म एक सामा य बात दे खने को आती ह, क
        े                                                           कसी य      को पहले कोई एक बमार हई। जैसे
                                                                                                    ु
मानल कसी को मधुमेह(सुगर, डायां ब टस) हो गया डॉ टर को दखाने से डॉ टर ने कहां मधुमेह का हवां ह तो आपको
                                                                                       ु
अमुक-अमुक दवाईयां जीवन भर लेनी पडे गी।

दवाईयां चलती रह कछ दन-स ाह-म हने बते दवाईय क उपरांत भी
                 ु                          े                             वा   य लाभ नह ं मधुमेह क जांच क तो
उसम और इजाफा हो गया पूरानी दवाईयां काम नह ं कर रह ह।                 डॉ टर ने दवाइय का पावर बढा दया पहले से
अिधक पावर वाली दवाई िलखद । उस क साथ-साथ दवाईयां और २-४ रोग ले आई जैसे उ च र चाप (हाई.बी.पी),
                               े
इ याद       बमार यां सामनी आितगई दवाओं क सं या कम होने क अपे ा बढती गई।

दो दवाइ-दो क चार-चार क आठ और नजाने कतनी, फर समय आया डॉ टर साहाब ने बताया मधुमेह क दवाइया
अब आपक डायां ब टस को क ोल म नह ं कर पारह ह। आपको अब ई
      े               ं                                                     युलीन लेना होगा। डॉ टर क सलाह पर
ई     युलीन लेना शु    कया कछ दन बाद, ई
                            ु                   युलीन क मा ा 5mg से बढकत 7mg हई फर कछ दन बाद 7mg से
                                                                              ु     ु
10mg हो गई अभी भी डायां ब टस क ोल म नह ं हो रहा उसक वजह से दनो- दन रोग क सं या म वृ
                              ं                                                                                 होती
गई। अब करे तो         या कर?

 य      क    दनचाया म कोई वशेष अंतर नह ं ह। उ टा दवाईयो के             भाव व डॉ टर साहब क कहने से पहले से भोजन
                                                                                         े
क मा ा कम हो गई िमठा खाना भी छोड दया अभी भी डायां ब टस क ोल म नह ं हो रहा, अब
                                                        ं                                             या कर?
6                                  मई 2011



कसी बडे डॉ टर क पास गएं उ ह ने दवाई बदली/ई
               े                                     युलीन क कपनी बदल द । पहले से दवाईयां महे गी हो गई
                                                              ं
कछ दन ठक रहा डायां ब टस क ोल म रहा फर से दसर
 ु                       ं                ू                 बमार ने सताया जाचं क पायां सुगर क ोल म ह। अब
                                                                                             ं
हाई.बी.पी हो गया ह। क ोल म नह ं आरहा पुरानी दावाई से और अिधक पावर वाली दवाईयां लेनी पडे गी।
                     ं

यह   म चलता ह रहता ह। दवाईय से रोग कम होने क अपे ा अ य रोगो म वृ                   होती गई। 5-10 पहले य        क
जो दवाई थी या उसक मा ा थी उसम कई गुना वृ            होगई।

डॉ टर से पुछा एसा   य डॉ टर बोले आपको अपने खान-पान पर अिधक क ोल
                                                            ं

रखना होगा। रोगी बेचारा परे शान करे तो   या कर पेहले से आधा-आधे से
आधा भोजन कर दया अब डॉ टर साहब बोल रहे ह क ोल करो और कतना
                                         ं
क ोल कर।
 ं
 या दवाईय पर ज दा रहगे?

उिचत िच क सक से य द उिचत परामश          ा    नह ं हो, तो एसी हालत हो
जाती जीवन म ह। य द बमार हई ह और 5-10 वष तक हजारो-लाख
                         ु
 पयो क तरह-तरह क दावाईय का सेवन करने क प यात य द आपको
                                      े
क ोल करना पडे ़ उ से तो बेहतर ह। बमार क साथ ह ं क ोल करले क
 ं                                     े         ं
दवाईय का सेवन िनयमी नह ं करना पड।

कसी जानकार िच क सय से सलाह         ा    कर    ाकृ ितक िच क सा प ित को अपनाने

का   यास कर जसम नु शान क संभावना नह ं हो और बमार जड़से िनकल जाएं। उसी क साथ संयम और िनती-
                                                                      े
िनयमो का भी पालन कर।

नोट: उपरो    जानकार कवल अनुभवो एवं हमारे -बंधुबांधवो से
                     े                                       ा   जानकार क आधार पर हमारे पाठको क मागदशन
                                                                         े                     े
हे तु दगई ह। इस जानकार का उ े य कसी य            - वशेष, सं था, या संबंिधत   े   से जुडे यवसायीक लोगो को
नु शान पहचाना नह ं ह कवल जानकार मा
         ु            े                      ह। इस को मानना न मानना य            क िनजी वचारो और आव य ा
                                                                                  े
पर िनभर ह।

भगवान ने जतने डॉ ट-वै -सजन बनाएं ह। डॉ टर बनने क साथ ह उतने रोगी भी भगवान ने तय कर दये ह, नह ं
                                                े
तो उनक दकान-घर कसे चलेगा।
        ु       ै               आजक आधुिनक डॉ टर और िच क सको को आधुिनक
                                   े                                                     ान क साथ-साथ
                                                                                             े
 ाकृ ितक िच क सा पर जोर दे ना चा हए इसी उ े य से उपरो        जानकार यां द गई ह। अनेक मामलो म आधुिनक
डॉ टर और िच क सको क अपनी वशेषताएं भी कम नह ं ह।               योक आक मक धटनाओं एवं आपातकालीन समय
पर आधुिनक डॉ टर और िच क सको क मह वता कम नह ं ह।                  यो क य द कसी का ए सीडे ट हो गया ह, गोली
लग गई ह, हाटएटे क आया ह, इ याद अवसरो पर आधुिनक िच क सा का कोई सानी नह ं ह।                  योक एसी अव था म
कवल आधुिनक िच क सा ह पी डत का शी
 े                                           बचाव कर सकती ह। आयुवद या अ य           ाकृ ितक िच क सा यहां काम
नह ं आती। आपातकालीन       थती म य           क जान बचाने म आधुिनक िच क सा प ित ह उ म होती ह।

                                                                                              िचंतन जोशी
7                                 मई 2011




                                              महामृ युंजय
       अकाल मृ यु एवं असा य रोग से मु                                क िलये शी
                                                                      े                      भा व उपाय
अकाल मृ यु एवं असा य रोग से मु          क िलये शी
                                         े              भा व उपाय
महामृ युंजय
मानव शर र म जो भी रोग उ प न होते ह उसक बारे म शा ो म जो उ लेख ह वह इस
                                      े                                               कार ह
"शर रं यािधमं दरम ्" अथात ्       ांड क पंच त व से उ प न शर र म समय क अंतराल पर नाना
                                       े                             े                          कार क आिध-
 यिघ पीडा़ए उ प न होती रहती ह।
 योितष शा        एवं आयुवद क अनुसार मनु य
                            े                   ारा पूव काल म कये गय कम का फल ह          य     क शर र म विभ न
                                                                                                े
रोग के     प म     गट होत ह।

ह रत स हं ता क अनुशार:
              े

                                      ज मा तर कृ तम ् पापम ् यािध पेण बाधते।
                                         त छा तरौषधैदानजपहोमसुराचनैः॥

अथातः पूव ज म म कये गये पाप कम ह               यािध के    प म हमारे शर र म उ प न हो कर क कार हो जाता ह।
तथा औषध, दान, जप, होम व दे वपूजा से रोग क शांित होती ह।


शा ो      वधान क अनुशार दे वी भगवती ने भगवान िशव से कहा क, हे दे व! आप मुझे मृ यु से र ा करने वाला और
                े
सभी     कार क अशुभ का नाश करने वाल कवच बतलाईये? तब िशवजी ने महामृ युंजय कवच क बारे म बतलाया।
             े                                                               े
व ानो ने महामृ युंजय कवच को मृ यु पर वजय            ा    करने का अचूक व अ ू त उपाय माना ह। आज क इषा भरे
                                                                                               े
युग म हर मनु य को सभी          कार क अशुभ से अपनी र ा हे तु महामृ युंजय कवच को अव य धारण करना चा हये।
                                    े


         अमो     महामृ युंजय कवच व    उ ले खत अ य साम ीय को शा ो           विध- वधान से व ान       ा णो        ारा सवा
लाख महामृ युंजय मं      जप एवं दशांश हवन      ारा िनिमत कवच अ यंत      भावशाली होता ह।
         अमो   महामृ युंजय कवच धारण कर अ य साम ी को अपने पूजा            थान म   था पत करने से अकाल मृ यु तो
टलती ह ह, मनु य क सव रोग, शोक, भय इ या द का नाश होकर
                 े                                                   व थ आरो यता क    ाि     होती ह।
         य द जीवन म कसी भी          कार क अ र
                                         े        क आशंका हो, मारक        हो क दशा का अशुभ         भाव     ा     होकर
मृ यु तु य क       ा   हो रहे हो, तो उसक िनवारण एवं शा त क िलये शा
                                        े                 े                म स पूण विध- वधान से महामृ युंजय
मं    क जप करने का उ लेख कया गया ह। मृ युजय दे वािधदे व महादे व
       े                                                                स न होकर अपने भ         क सम त रोगो का
                                                                                                 े
हरण कर य          को रोगमु    कर उसे द घायु   दान करते ह।
         मृ यु पर वजय        ा करने क कारण ह इस मं
                                     े                   को मृ युंजय कहा जाता है । महामृ यंजय मं       क म हमा का
वणन िशव पुराण, काशीखंड और महापुराण म कया गया ह। आयुवद के                   ंथ म भी मृ युंजय मं         का उ लेख है ।
मृ यु को जीत लेने क कारण ह इस मं
                   े                     को मृ युंजय कहा जाता है ।
8                                 मई 2011



महामृ युंजय मं     का मह व:
                     मृ यु विन जतो य मात ् त मा मृ युंजय: मृ त: या मृ युंजयित इित मृ युंजय,
अथात: जो मृ यु को जीत ले, उसे ह मृ युंजय कहा जाता है ।


मं    जप क िलए वशेष:
          े
यः शा    विध मृ सृ य वतते काम कारतः। न स िस मवा नोित न सुखं न परांगितम॥ ( ीम
                                                                      ्                  भगव   गीता:षोडशोऽ याय)

भावाथ : जो पु ष शा    विध को यागकर अपनी इ छा से मनमाना आचरण करता है , वह न िस            को ा होता है , न परमगित
को और न सुख को ह ॥23॥

         योितषशा     क अनुशार दख, वप
                      े        ु             या मृ य के       दाता एवं िनवारण क दे वता शिनदे व ह, यो क शिन य
                                                                               े
क कम क अनु प य
 े    े                   को फल दान करते ह। शा ो क अनुशार माक डे य ऋ ष का जीवन अ यंत अ प था, परं तु
                                                  े
महामृ युंजय मं     क जप से िशव कृ पा
                    े                   ा    कर उ ह िचरं जीवी होने का वरदान ा        हवा। भगवान िशवजी शिनदे व क
                                                                                      ु                        े
गु   भी ह इस िलए महामृ युंजय मं       क जप से शिन से संबंिधत पीडा़ए दर हो जाती ह।
                                       े                             ू
        जो मनु य पूण विध- वधान से महामृ युंजय मं          का जप व अनु ान संप न करने म असमथ हो! वह य
संपूण   ाण    ित त अमो     महामृ युंजय कवच व साम ी गु           व कायालय   ारा बनवा सकते ह।

नोट: य        अपने कल
                    ू     ा ण/पुरो हत       ारा भी पूण विध- वधान से मं      जप व अनु ान संप न करवा सकते ह।
     य द आप अनु ान से संबंिधत यं       व अ य साम ी        ा     करना चाहते ह तो गु    व कायालय म संपक कर।



                              अमो              महामृ युंजय कवच
        अमो    महामृ युंजय कवच व      उ ले खत अ य साम ीय को शा ो             विध- वधान से व ान     ा णो    ारा
             सवा लाख महामृ युंजय मं     जप एवं दशांश हवन        ारा िनिमत कवच अ यंत      भावशाली होता ह।


          अमो        महामृ युंजय कवच
                                                                       अमो        महामृ युंजय
                 कवच बनवाने हे तु:
     अपना नाम, पता-माता का नाम,                                                  कवच
          गो , एक नया फोटो भेजे                                        द    णा मा : 10900

                             संपक कर: GURUTVA KARYALAY
              92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
                              Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785
                         Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in,
9                                              मई 2011




                                      क डली से जाने वा
                                       ु                                   य लाभ क योग
                                                                                  े
                                                                                                                    िचंतन जोशी
                                                   सभी य       वयं क और अपने वजनो क उ म वा
                                                                    े              े                               य क कामना करता
                                          है । ले कन हमारा शर र म विभ न कारणो से वा                 य संबंिधत परे शािनयां समय के
                                          साथ-साथ आती-जाती रहती ह।




                ?
                                                   ले कन य द बमार होने पर             वा    य म ज द सुधार नह ं होता तो, तरह-
                                          तरह क िचंता और मानिसक तनाव होना साधारण बात ह। क                             वा      य म सुधार
                                          कब आयेगा?, कब उ म वा             य लाभ होगा?, वा            य लाभ होगा या नह ?, इ या द
                                                                                                                       ं
                                              उठ खडे हो जाते ह।
                                                   मनु य क इसी िचंताको दर करने क िलए हजारो वष पूव भारतीय
                                                                        ू       े
                                             योितषाचाय न           कडली क मा यम से
                                                                    ुं   े                     ात करने क          व ा हम      दान क ह।
जस क फल व प कसी भी य
    े                                  क वा
                                        े       य से संबंिधत        ो का योितषी गणनाओं क मा यम से सरलता से समाधन
                                                                                        े
कया जासकता ह!
                कडली क मा यम से वा
                 ुं   े                  य से संबंिधत जानकार         ा करने हे तु सव थम            कडली म रोगी क शी
                                                                                                    ुं          े                   वा   य
लाभ क योग ह या नह ं यह दे ख लेना अित आव यक ह।
     े
आपक मागदशन हे तु यहां वशेष योग से आपको अवगत करवा रहे ह।
   े


ल नम            थत    ह या ल नेश से रोग मु         क योग।
                                                    े
        य द ल न म बलवान          ह   थत हो तो रोगी को शी      वा    य लाभ दे ते ह।
               कडली म य द ल नेश (ल न का वामी
                 ुं                                    ह) और दशमेश (दशम भाव का वामी                      ह) िम हो तो रोगी को शी
           वा    य लाभ दे ते ह।
               कडली म चतुथश (चतुथ भाव का वामी
                 ुं                                    ह) और स मेश (स म भाव का वामी                    ह) क बीच िम ता हो तो शी
                                                                                                           े
           वा    य लाभ क योग बनते ह।
                        े
        य द ल नेश (ल न का वामी          ह) का च     क साथ संबंध हो और च
                                                      े                               शुभ   ह से यु      या        हो या के        मे    थत
         हो तो शी      वा    य लाभ होता ह।
        य द कडली म ल नेश (ल न का वामी
              ुं                                   ह) और च         शुभ   हो से यु     या       होकर के        म    थत हो और स मेश
         व      न हो एवं अ म भाव क वामी
                                  े           ह से भाव मु      हो तो शी      वा       य लाभ होता ह।


च       मा से रोग मु        क योग
                             े
        यदच          वरािश या उ च रािश मे बलवान हो कर कसी शुभ              ह से यु    हो या      हो तो रोगी को शी            वा    य लाभ
         होते दे खा गया ह।
10                                       मई 2011



        यद         कडली म य द च
                     ुं                चर रािश अथात        वभाव रािश म          थत हो कर ल न या ल नेश से         हो तो शी
          वा    य लाभ क संभावना बल होती ह।
        यदच         वरािश से चतुथ या दशम भाव म        थत हो तो शी         वा   य लाभ हो ने क योग बनते ह।
                                                                                             े
              कडली म शुभ
                ुं           हो से    च     या सूय ल न म, चतुथ या स म भाव म              थत हो तो शी     वा   य लाभ क योग
                                                                                                                     े
         बनते ह।
   कडली क मा यम से वा
    ुं   े                      य लाभ म वल ब होने क योग दे ख लेना भी आव यक होता ह।
                                                   े


 वा      य लाभ म वलंब होने क योग
                            े
        सधारणतः जातक म ष म भाव व ष ेश से रोग को दे खा जाता ह।
              कडली म य द ल नेश और दशमेश क बीच अथवा चतुथश और स मेश
                ुं                        े                                            हो क बीच म श ुता हो तो रोग बढने क
                                                                                           े
         संभावनाऎ अिधक होती ह और वा          य लाभ म वल ब हो सकता ह।
              क डली म य द ष ेश अ मेश अथवा ादशेश क साथ युित या
                ु                                 े                             ी संबंध बनाता हो तो वा   य लाभ क संभावना
         अिधक कम होती ह और वा          य लाभ म वल ब हो सकता ह।
              क डली म य द ल न मे च
                ु                         या शु   क    थत हो तो रोग शी पीछा नह ं छोडता।
              क डली म य द ल नेश एवं मंगल क कसी ह भाव म युित हो तो वा
                ु                                                                     य लाभ म वल ब हो सकता ह।
        य द ल नेश ादश भाव मे        थत हो तो रोगी दे र से रोगमु     होने क संभावनाऎ होती ह।
        य द ल नेश ष म, अ म भाव मे         थत हो और अ मेश के          मे    थत हो तो रोग शी दर नह ं होते।
                                                                                             ू


यद          कडली म वा
             ुं               य लाभ म वलंब होने क योग बन रहे हो तो िचंितत होने क बजाय शा ो
                                                 े                              े                                    उपाय
इ या द करना लाभदायक िस होता ह। एसी                    थती म व ानो क मत से महामृ युंजय मं -यं का योग शी
                                                                   े
रोग मु      हे तु रामबाण होता ह।

   कडली का अ ययन करते समय यह योग भी दे खले क रोगी को उिचत उपयार ा हो रहा ह या नह ं।
    ुं

रोग का उिचत उपचार होने क योग ह या नह ं!
                        े
              क डली म
                ु         थम, पंचम, स म एवं अ म भाव म पाप             ह ह और च        मा कमज़ोर या पाप       ह से पी ड़त ह तो
         रोग का उपचार क ठन हो जाता ह।
        यदच        मा बलवान हो और 1, 5, 7 एवं 8 भाव म शुभ ह          थत ह तो उपचार से रोग का दर होना संभव हो पाता ह।
                                                                                               ू
        यद         कडली म तृ तीय, ष म, नवम एवं एकादश भाव म शुभ
                     ुं                                                         ह   थत ह तो उपचार क बाद ह रोग से मु
                                                                                                   े
         िमलती ह।
        यद         कडली म स म भाव म शुभ ह
                     ुं                            थत ह और स मांश बलवान ह तो रोग का उपचार संभव होता ह।
        यद         कडली म चतुथ भाव म शुभ ह
                     ुं                            थत से भी        ात हो सकता है क रोगी को दवाईय से उिचत लाभ ा होगा
         या नह ं।
11                               मई 2011



   कडली दे खते समय शर र क विभ न अंगो पर हो क भाव एवं बमार य को जानना भी आव यक होता ह।
    ुं                   े                  े
 योितषी िस ांतो क अनुशार कडली क बारह भाव शर र क विभ न अंगो को दशाते है ।
                 े        ुं   े               े
         थम भाव : िसर, म त क, नायु तं .
         तीय भाव: चेहरा, गला, कठ, गदन, आंख.
                                ं
    तीसरा भाव : कधे, छाती, फफडे ,
                             े             ास, नसे और बाह.
    चतुथ भाव :          तन, ऊपर आ       , ऊपर पाचन तं
    पंचम भाव :          दय, र , पीठ, र संचार तं .
    ष म भाव : िन न उदर, िन न पाचन तं , आत, अंत डयाँ, कमर, यकृ त.
    स म भाव : उदर य गु हका, गुद.
    अ म भाव : गु           अंग,   ावी तं , अंत डयां, मलाशय, मू ाशय और मे द ड.
    नवम भाव : जॉघ, िनत ब और धमनी तं .
    दशम भाव : घुटने, ह डयां और जोड़.
    एकादश भाव : टागे, टखने और             ास.
         ादश भाव : पैर, लसीका तं       और आंख.
                                              े

       क डली म रोग से संबंिधत भाव
        ु
              योितष क अनुसार
                      े              कडली म ल न थान िच क सक भाव होता ह। अतः शुभ ह
                                      ुं                                                    कडली क ल न म शुभ
                                                                                             ुं   े
          हक      थती से    ात होता ह क रोगी को कसी कशल िच क सक क सलाह ा हो रह ह या होगी।
                                                     ु
    य द अशुभ ह            थत हो तो समझले क रोगी को कसी कशल िच क सक क आव यकता ह।
                                                         ु
              योितष क अनुसार
                      े              कडली म चतुथ थान उपचार और औषिधय अथात दवाईय का थान ह। चतुथ भाव म
                                      ुं
        य द शुभ ह या शुभ ह क              या युित हो तो समझे क रोग सामा य उपचार से शी ठ क हो सकता ह।
    कडली म छठा एवं सातवां भाव रोग का थान होता ह।
      ुं
    कडली म दशम भाव रोगी का मानाजाता ह।
      ुं
    यद          कडली म ष म एवं स म भाव पर शुभ ह का भाव हो और ष ेश और स मेश िनबल ह तो वा
                  ुं                                                                                    य लाभ
        धीरे धीरे होने का संकत िमलता ह।
                             े
नोट:       कडली का व ेषण सावधानी से करना उिचत रहता ह। व ानो क अनुशार
            ुं                                               े                       कडली का व ेषण करते समय
                                                                                      ुं
संबंिधत भाव एवं भाव क वामी
                     े              ह अथातः भावेश एवं भाव क कारक
                                                           े         ह को यान म रखते हए आंकलन कर कया गया
                                                                                      ु
व ेषण      प   होता ह।       कडली का फलादे श करते समय हर छोट छोट बात का
                              ुं                                                 याल रखना आव यक होता ह अ यथा
व ेषण कये गये            का उ र    टक नह ं होता।


                                           मं      िस    दलभ साम ी
                                                          ु
  ह था जोड - Rs- 370                       घोडे क नाल- Rs.351                माया जाल- Rs- 251
  िसयार िसंगी- Rs- 370                     द     णावत शंख- Rs- 550           इ    जाल- Rs- 251
  ब ली नाल- Rs- 370                        मोित शंख- Rs- 550                 धन वृ    हक क सेट Rs-251
12                                  मई 2011




                                  अंक        योितष और             वा थ
                                                                                              िचंतन जोशी
मूलांक : अथात ज म ितथी या ज म ता रख
भा यांक: अथात ज म ता रख + माह + वष का जोड = भा यांक


मूलांक-1:ज म दनांक 1,10,19,28
                                   वा   यः जब मूलांक 1 वाले       य      क जीवन म रोग क
                                                                          े                   थती आती ह, तो
                                  उनको ती      वर,    दय रोग, आँख, चम रोग, म त क संबंिध परे शािन, अपच,
                                  ग ठआ,      नायु वकार, चोट, कोढ़, आंत क रोग तथा घुटने आ द क िशकायते
                                                                       े
                                  रहती ह। जन      य    य का मूलांक 1 होता ह वे कसी ना कसी            प म   दय
                                  से संबंिध रोग से पी ड़त हो जाते ह। उनक दल क धड़कने और र
                                                                       े                                   वाह
                                  अिनयिमत हो जाता ह। आँख का दखना एवं
                                                             ु                        ट दोष जैसे रोग होते ह।
                                  उिचत ह आप समय-समय पर अपनी आँख का प र ण करवाते रह।
                                  आहारः कशिमश, स फ, कसर, कालीिमच, ल ग, आजवाईन, जायफल, खजूर,
                                                     े
                                  अदरक, जौ, पालक, संतरे , नींब, मोसंबी, गाजर आ द उपयोगी ह।
                                                              ू                                      दय रोग के
                                  से बचाव हे तु नमक कम खना चा हये।
सावधानी: आपको जनवर , अ ू बर और दसंबर क मह न म अपने वा
                                      े                         य क ित सजग रहना चा हए।
                                                                   े


मूलांक-2: ज म दनांक 2,11,20,29
 वा   यः मूलांक 2 वाले य     क जीवन म रोग क
                              े                  थती आती ह, तो उनको
कमजोर , उदर, उ े ग, मानिसक पीड़ा, दघटना, पाचन तं
                                  ु                        क गड़ब ड़,      दय
रोगम संवेदनशीलता, नायु िनबलता, क ज, आंत रोग, मू        रोग, गैस, अ सर,
 यूमर, पेट म जलन, जी िमचलाना इ या द होने क संभावनाएं अिधक होती ह।
आहारः कला, ककड़ , कलींदा, क हड़ा, प ा गोभी, िसंघाड़ा, सलाद इ याद का सेवन
       े                  ु
लाभदायक रहते ह।
सावधानी: आपको जनवर , फरवर और जुलाई क मह न म वा
                                    े                      य व खान-पान
आ द म सावधानी बरतना चा हए।



                                 सर वती कवच एवं यं
उ म िश ा एवं व ा      ाि   क िलये वंसत पंचमी पर दलभ तेज वी मं श
                            े                    ु                            ारा पूण ाण- ित त एवं पूण चैत य
यु    सर वती कवच      और सर वती यं      के   योग से सरलता एवं सहजता से मां सर वती क कृ पा        ा   कर।
                                                                                   मू य:280 से 1450 तक
13                                मई 2011



मूलांक-3: ज म दनांक 3,12,21,30
                                     वा    यः    य     को    ायः ह डय म दद रहता ह और थकावट सी रहती ह।
                                    अ यिधक प र िम होते ह अतः अित प र म               कारण वे थक से रहते ह।
                                                                                               े
                                     नायु तं      कमजोर हो जाता ह। मधुमेह, चमरोग, दाद, खाज, शूल, मू रोग,
                                    वीयदोष,      मरण श       क कमी, बोलने म परे शािन संभव,      वचा रोग, दाद,
                                    खुजली, फोड़ा, फसी, तं काओं म तड़फन, सूजन, कोहनी, कलाई, अंगुिलय म दद
                                                  ुं
                                    आ द हो सकते ह।
                                    आहारः चेर ,        ोबेर , सेब, नाशपती, अनार, अनानस, अंगूर, फ दना, गाजर,
                                                                                                ु
                                    चुकदर, पालक एवं करे ले, कसर, जायफल, ल ग, बादाम, अंजीर आ द लाभदायक
                                       ं                     े
                                    रहते ह।
                                    सावधानी: आपको फरवर , जून, िसंतबर और दसंबर म अपनी सेहत का वशेष प से
 याल रखना चा हए।


मूलांक-4:ज म दनांक 4,13,22,31
 वा   यः य      ायः र   क कमी से पी ड़त रहते ह। र            क कमी से अनेक
रोग हो सकते ह। ऐसे य     य को लोहत व यु          भोजन करना चा हय। चलने-
फरने तथा     ास लेने म क    होना, फफड़ो क खराबी, अिन ा,
                                   ै                              म, िसर म
पीड़ा, र   क कमी,भूख क कमी, क ट-शूल, वकृ ित, मू -कृ छ, ह          र या, शद ,
पैर का फटना पैर म दद, पैर क अ य बीमा रयां होती ह। गुद से संबंिध
रोग भी हो जाते ह। य     मानिसक      प से भी अ व थ एवं तनाव          त रहता
ह। िसर दद भी पाया जाता ह।
आहारः हर श जीयां, करे ला, नीम, मीठे फल, लौक , ककड़ , खीरा, अंगूर, सेब,
अनानस, तुलसी, कालीिमच, पालक, मेथी, सलाद, याज, एवं ह द उपय गी ह।
नशीली चीज से परहे ज कर तेज मसालेदार भोजन से बच, आपक िलये शाकाहार भोजन अित उ म रहे गा।
                                                   े
सावधानी: आपको जनवर , फरवर , जुलाई, अग त व िसतंबर इन पांच मह न म अपने वा           य पर वशेष गौर करना चा हए।


                                           भा य ल मी द बी
                        सुख-शा त-समृ       क     ाि क िलये भा य ल मी द बी :- ज से धन ि , ववाह योग, यापार
                                                     े
                        वृ , वशीकरण, कोट कचेर क काय, भूत ेत बाधा, मारण, स मोहन, ता
                                               े                                              क बाधा, श ु भय,
                        चोर भय जेसी अनेक परे शािनयो से र ा होित है और घर मे सुख समृ       क ाि होित है , भा य
                        ल मी द बी मे लघु        ी फ़ल, ह तजोड (हाथा जोड ), िसयार िस गी, ब ल नाल, शंख, काली-
                        सफ़द-लाल गुंजा, इ
                          े                     जाल, माय जाल, पाताल तुमड जेसी अनेक दलभ साम ी होती है ।
                                                                                    ु
                                                                   मू य:- Rs. 910 से Rs. 8200 तक उ ल
                               गु    व कायालय संपक : 91+ 9338213418, 91+ 9238328785
14                                मई 2011



मूलांक-5:ज म दनांक 5,14,23
                                        वा    यः   य      ायः सद , जुकाम आ द से पी ड़त रहना पड़ता ह। नवस
                                        ेकडाउन का भी भय बना रहता ह। क ठ रोग, जीभ संबंिध रोग, अिन ा, कधे
                                                                                                     ं
                                    म दद, ह डय           संबंिध रोग, कान तथा      ास      या   संबंिधत बीमा रयां
                                    परे शान करती ह।         दय रोग, मोतीझर, मू     रोग, वीय दोष, िमग , नािसका
                                    रोग, ती        वर, पागलपन, खाज-खुजली, लकवा, पांव क सूजन, मू छा आना,
                                    नासूर, है जा, मंदा न, गले क रोग तथा
                                                               े                वचा संबंिधत बीमा रयां हआ करती
                                                                                                       ु
                                    ह।
                                    आहारः सेब, कला, चीक, अनार, अनानस, अंगूर, पु दना, गाजर, ना रयल क
                                                े      ू
                                    िग र, पालक, िभ ड , बगन, करे ल, तुलसी, बादाम, अंजीर, कसर, अखरोट
                                                                 े                       े
                                    लाभदायक रहते ह।
सावधानी: आपको जून, िसंतबर और दसंबर क मह न म अपने वा
                                    े                            य क बारे म सावधानी बरतना चा हए।
                                                                    े


मूलांक-6:ज म दनांक 6,15,24
 वा    यः   य    फफड़ो क रोग से
                  े    े            िसत रहते ह। नाक, कान, गला, आँख,
जीभ, दांत, अंगुली, नाखून, ह ड, वीय संबंिध बीमा रयां हआ करती ह। फफडे ,
                                                     ु          े
मू छा आना, अजीण, नपुंसकता,         वर,        ी को मािसक धम संबंिध रोग,
व     थल म पीड़ा, दय रोग, वृ ाव था म र        वकार संबंिध रोग होते ह।
आहारः तरबूज, खरबूज, आम, सेब, नासपती, अनार, पालक, गाजर, फलगोभी,
                                                        ु
इमली, अंजीर, अखरोट, बादाम, गुलकद आ द लाभदायक होते ह।
                               ं
सावधानी: आपको मई, अ ू बर एवं नवंबर क मह ने अंक ६ क इन मह न म उ ह
                                    े             े
सावधानी रखनी चा हए।


मूलांक-7: ज म दनांक 7,16,25
                                        वा    यः य      को चमरोग घेरे रहते ह। खुजली या दाद होनेक संभावना बनी
                                    रह ह। चम संबंिध िशकायत होती ह रहती ह। आँख, उदर तथा फफड़ से
                                                                                        े
                                    संबंिध बीमा रयां, गु       तथा क ठन रोग एवं फोड़े आ द क िशकायते रहती ह।
                                    अ यािधक तनाव, सदै व कसी िचंता म रहते ह, बदहजमी एवं क ज रहती ह,
                                    नींद भी कम आती ह।
                                    आहारः सेब ,अंगूर, संतरा, ककड़ ,       याज, मूली, गाजर, टमाटर, पालक, इमली
                                    एवं स फ उपयोगी ह।
                                    सावधानी: आपको जनवर -फरवर और जुलाई-अग त क चार मह न म अपने
                                                                            े
                                        वा    य क ित पूण सावधानी रखनी चा हए।
                                                 े
15                                 मई 2011



मूलांक-8: ज म दनांक 8,17,26
                                       वा   यः   य     को    जगर से संबंिध रोग लगे रहते ह।      य      क लीवर
                                                                                                        े
                                      कमजोर होन क वजह से अ य अनेक बीमा रयां आकर घेर लेती ह।              यसन
                                      से हरदम दर रहना चा हये। दबलता, पेट दद, दं त रोग,
                                               ू               ु                            वचा रोग, पांव तथा
                                      घुटन से संबंिधत बीता रयां, िशरोशूल, प ाशय क रोग, र
                                                                                 े            दोष, आँख, कान,
                                      ग ठया, लकवा, जोड़ म दद तथा घाव आ द क िशकायते भी होती रहती ह।
                                       ी को मािसक धम संबंिधत विभ न बमा रयां हो जाती ह।
                                      आहारः संतरा, पपीता, अनानस, नींब, हर स जयां, ककड़ , खीरा, धिनयां,
                                                                     ू
                                      पु दना, गाजर, लहसुन,     याज, पालक, टमाटर, पालक, ईसबगोल, स फ एवं
                                      अजवायन उपयोगी ह।
सावधानी: आपको जनवर , फरवर , जुलाई और दसंबर क मह न म पूण प से सावधान रहने का संकत दया है
                                            े                                  े


मूलांक-9:ज म दनांक 9,18,27
 वा    यः य    चमरोग तथा नासारं       से संबंिधत जुकाम आ द रोग से पी ड़त
हो सकते ह। म त क संबंिधत रोग, जनने          य संबंिधत रोग,    वर, खसरा, मू
रोग, कफ रोग, कण ाव, च कर, र     एवं    वचा रोग, खाज- खुजली, फोड़े , सूजन,
नासूर, अश तथा वीय संबंिधत वकार होते ह।
आहारः संतरा, अम द, अंगूर, कला, ककड़ , तोरई, मीठे फल, खीरा, पालक,
                           े
आलू,   याज, लहसुन, अदरक उपयोगी ह। ग र भोजन एवं नशीली व तुओं से
परहे ज करना चा हये।
सावधानी: आपको पूरे वष अपनी सेहत का याल रखना चा हए।


          या आपक ब चे कसंगती क िशकार ह?
                 े      ु      े

          या आपक ब चे आपका कहना नह ं मान रहे ह?
                 े

          या आपक ब चे घर म अशांित पैदा कर रहे ह?
                 े
  घर प रवार म शांित एवं ब चे को कसंगती से छडाने हे तु ब चे क नाम से गु
                                 ु         ु                े                   व कायालत    ारा शा ो    विध-
  वधान से मं   िस     ाण- ित त पूण चैत य यु          वशीकरण कवच एवं एस.एन. ड बी बनवाले एवं उसे अपने घर
  म    था पत कर अ प पूजा, विध- वधान से आप वशेष लाभ             ा   कर सकते ह।

  य द आप तो आप मं     िस   वशीकरण कवच एवं एस.एन. ड बी बनवाना चाहते ह, तो संपक इस कर सकते ह।

                                      GURUTVA KARYALAY
           92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
                           Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785
                       Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in,
16                                   मई 2011




                                           योितष        ारा रोग िनदान

                                                                                                    िचंतन जोशी
         म    य पुराण क अनुशार दे वताओं और रा स ने जब समु
                       े                                            मंथन कया था धन तेरस क दन धनवंतर नामक
                                                                                         े
दे वता अमृ त कलश क साथ सागर मंथन से उ प न हए थे। धनवंतर धन, वा थय व आयु क अिधपित दे वता ह। धनवंतर
                  े                        ु                             े
को दे व क वैध व िच क सक क प म जाना जाता ह।
         े               े

         धनवंतर ह सृ ी क सव
                        े            थम िच क सक माने जाते ह।          ी
धनवंतर ने ह आयुवद को ित त कया था। उनक बाद म ऋ ष चरक
                                     े
जैसे अनेक आयुवदाचाय हो, गये। ज ह ने मनु य मा            क वा
                                                         े      य क
दे खरे ख क िलए काय कये। इसी कारण
          े                                 ाचीन काल म अिधतर    य
का   व थ उ म रहता था।

          यो क      ािचन कालम    ायः सभी िच क सक आयुवद क साथ-
                                                        े
साथ योितष का भी वशेष            ान रखते थे। इसी िलए िच क सक बीमार
का पर     ण      ह क शुभ-अशुभ      थित क अनुसार सरलता से कर लेते
                                        े
थे। आज क आधुिनक युग क िच क सक को भी
        े            े                           योितष व ा का       ान
रखना चा हए जससे वे सरलता से           ायः सभी रोगो का िनदान करके
रोगी क उपयु         िच क सा करने म पूण तः स म ह सक।
                                                  े

          योितष क अनुशार हर
                 े                ह और रािश मानव शर र पर अपना वशेष             भाव रखते ह, इस िलए उसे जानना भी
अित आव यक ह। सामा यतः ज म कडली म जो रािश अथवा जो
                           ुं                                             ह छठे , आठव, या बारहव    थान से पी ड़त हो
अथवा छठे , आठव, या बारहव         थान के    वामी हो कर पी ड़त होरहे हो, तो उनसे संबंिधत बीमार क संभावना अिधक
रहती ह। ज म कडली क अनुसार
             ुं   े                  येक    थान और रािश से मानव शर र क कौन-कौन से अंग
                                                                      े                           भा वत होते ह, उनसे
संबंिधत जानकार द जा रह ह।


ज मकडली से रोग िनदान
    ुं
 योितष शा          एवं आयुवद क अनुसार मनु य
                              े                ारा पूव काल म कये गय कम का फल ह            य       क शर र म विभ न
                                                                                                   े
रोग के       प म    गट होत ह।

ह रत स हं ता क अनुशार:
              े

                                      ज मा तर कृ तम ् पापम ् यािध पेण बाधते।
                                           त छा तरौषधैदानजपहोमसुराचनैः॥

अथातः पूव ज म म कया गये पाप कम ह              यािध के   प म हमारे शर र म उ प न हो कर क कार हो जाता ह।
तथा औषध, दान, जप, होम व दे वपूजा से रोग क शांित होती ह।
17                                   मई 2011



आयुवद क जानकारो क माने तो कमदोष को ह रोग क उ प
       े                                                             का कारण माना गया ह।


आयुवद म कम क मु य तीन भेद माने गए ह:
            े

       एक ह स चत कम

       दसरा ह
         ू        ार ध कम

       तीसरा ह    यमाण

आयुवद क अनुसार मनु य क संिचत कम ह कम जिनत रोग क
       े              े                        े                       मुख कारण होते ह

जसे य         ार ध के    प म भोगता ह।

वतमान समय म मनु य के           ारा कये जाने वाला कम ह             यमाण होता ह।

वतमान काल म अनुिचत आहार- वहार क कारण भी शर र म रोग उ प न हो
                               े
जाते ह।

        आयुवद आचाय सु ु त, चरक व                   ाचाय    क मतानुसार क रोग,
                                                            े          ु
उदररोग, गुदारोग, उ माद, अप मार, पंगुता, भग दर, मधुमेह( मेह),             ी हनता,
अश, प ाघात, दे ह कापना, अ मर , सं हणी, र ाबु द, कान, वाणी दोष इ या द
रोग, पर ीगमन,      हम ह या, पर धन हरण, बालक- ी-िनद ष य                   क ह या
आ द द ु कम के     भाव से उ प न होते ह। इस िलये मनु य                ारा इस ज म या
पूव ज म म कया गया पापकम ह रोग का कारण होता ह। इस िलये जो                         य
खान-पान म सयंमी और आचार- वचार म पुर तरह शु                  ह उ ह भी कभी-कभी गंभीर
रोग का िशकार हो कर क          भोगने पडते ह।

ज म कडली से रोग व रोगक समय का
     ुं               े                       ान
        भारतीय    योितषाचाय हजारो वष पूव ह ज म कडली क मा यम से यह
                                                ुं   े                                  ात करने म पूण ताः स म थे क
कसी य        को कब तथा        या बीमार हो सकती ह।

          योितषशा ो से    ा     ान एवं अभीतक हएं नये-नये
                                              ु                    योितषी शोध क अनुशार ज म यह जानना और भी
                                                                               े
सरल है क कसी मनु य को कब तथा               या बीमार हो सकती है ।



ज म कडली से रोग व रोगक समय का
     ुं               े               ात करने हे तु ज म कडली म
                                                         ुं             ह क      थित,     ह गोचर तथा दशा-अ तदशा का
  शू म अ ययन अित आव यक होता ह। ज म प का क शू म अ ययन क मा यम से य
                                         े            े                                            क ारा पूव ज म म
                                                                                                    े
       कये गये सभी शुभ-अशुभ कम फल को बताने म स म होती ह जसका फल य                            इस ज म म भोगता ह।
                                  यदपिचत म य ज मिन शुभाशुभं त य कमण: ाि म ।
                                    ु
                                      यं    यती शा        मत तमिस     या ण द प इव॥
                                                                                     ( फिलत मात ड )
18                                             मई 2011



 योितष          थ          माग म रोग            का दो       कार से वग करण                 कया ह। 1 सहज रोग                   2 आगंतुक रोग

1 सहज रोग:               माग म ज म जात रोग को सहज रोग क वग म रखा गया ह। य
                                                       े                                                          क अंग ह नता, ज म से
  ी हनता, गूंगापन, बहरापन, पागलपन, व                      ता एवं नपुंसकता आ द रोग सहज रोग होते ह। जो य                          म ज म से
ह होते ह। सहज रोग का वचार करने हे तु कडली म अ टमेश (अ म भाव का
                                      ुं                                                                वामी) तथा आठव भावः म            थत,
िनबल       ह से कया जाता ह। एसे रोग                  ाय: द घ कािलक और असा य हो जाते ह।

2 आगंतुक रोग: चोट             लगना, अिभचार, महामार , दघटना, श ु
                                                      ु                                ारा आघात आ द         य     कारण से होने वाले क
तथा     वर, र          वकार, धातु रोग, उदर वकार, वात- पत-कफ से संबंिधत सम या से होने वाले रोग जो अ                                       य
कारण से होते ह उसे                 माग म आगंतुक रोग कहे गये ह। आगंतुक रोग का वचार ष ेश (छठे भाव काका                                    वामी
 ह), ष म भाव म             थत िनबल          ह एवं ज म कडली म पाप
                                                       ुं                         हो    रा पी ड़त रािश-भाव- ह से कया जाता ह।

ज म कडली से रोग का िनणय करने हे तु कडली म भाव और रािश से संबंिधत शर र क विभ न अंग पर
     ुं                             ुं                                 े                                                              हो का
 भाव एवं रोग को जानना आव यक ह।

ज म कडली म जो भाव अथवा रािश पाप
     ुं                                                  ह से पी ड़त हो रह हो और जस रािश का                            वामी   क भाव (अथात
ष म, अ म और             ादश भाव) म          थत हो उस रािश या भाव संबंिधत अंग रोग से पी ड़त हो जाते ह ।

 योितष क अनुशार बारह भाव एवं रािश से संबंिधत शर र क अंग और रोग इस
        े                                          े                                                  कार ह।



      भाव        रािश       त व                      शर र का अंग                                                रोग

  पहला          मेष        अ न        िसर, म त क, िसर क कश, जीवन
                                                       े े                         म त क रोग, िसर पीडा, च कर आना, िमग , उ माद,
                                      श     ,                                      गंजापन, वर, गम , म त क         वर इ या द।

  दसरा
   ू            वृ ष       पृ वी      मुख, ने , चेहरा, नाक, दांत, जीभ, ह ठ,        मुख क रोग, आंत, ने , दांत, नाक, सं मण, आ द क रोग
                                                                                        े                                      े
                                          ास नली                                   आ द।

  तीसरा         िमथुन      वायु       कठ, कण, हाथ, भुजा, क धा,
                                       ं                              ास नली,      खांसी, दमा, गले मे पीड़ा, बाजु मे पीड़ा, कण पीड़ा आ द ।
                                      र     नली,

  चौथा          कक         जल         छाती, फफड़े , तन, दय, मन, पसिलयाँ,
                                             े                                         दय रोग,     ास रोग, मनो वकार, पसिलय का रोग, अ िच
                                      र     संचार,                                 आ द।

  पांचवा        िसंह       अ न        उदर, जगर, ित ली, कोख, मे        द ड, बु ,    उदर     पीडा,   अपच,   जगर    का रोग, पीिलया, बु   ह नता,
                                      श     , दय, पीठ, मे दं ड, आमाशय, आंत,        गभाशय मे वकार आ द।

  छठा           क या       पृ वी      कमर, आ त, नािभ, उदर क बाहर भाग,
                                                           े                       द त, आ          दोष, हिनया, पथर , अप ड स, कमर मे दद,
                                      ह ड , आंत, मांस                              दघटनाआ द ।
                                                                                    ु

  सातवाँ        तुला       वायु       मू ाशय, गुद, काम,    ास   या,                गुद मे रोग, मू ाशय क रोग, मधुमेह, दर, पथर , मू
                                                                                                       े                                  छ
                                                                                   आद ।
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  • 1. Font Help >> http://gurutvajyotish.blogspot.com गु व कायालय ारा तुत मािसक ई-प का मई- 2011 अकाल मृ यु एवं असा य क डली से ु रोग से मु वा य लाभ अंक योितष और योितष ारा वा थ रोग िनदान वा तु एवं रोग ह त रे खा एवं रोग रोग िनवारण के सरल उपाय महामृ युंजय जप विध र एवं रं ग ारा रोग िनवारण NON PROFIT PUBLICATION
  • 2. FREE E CIRCULAR गु व योितष प का मई 2011 संपादक िचंतन जोशी गु व योितष वभाग संपक गु व कायालय 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA फोन 91+9338213418, 91+9238328785, gurutva.karyalay@gmail.com, ईमेल gurutva_karyalay@yahoo.in, http://gk.yolasite.com/ वेब http://www.gurutvakaryalay.blogspot.com/ प का तुित िचंतन जोशी, व तक.ऎन.जोशी फोटो ाफ स िचंतन जोशी, व तक आट हमारे मु य सहयोगी व तक.ऎन.जोशी ( व तक सो टे क इ डया िल) ई- ज म प का E HOROSCOPE अ याधुिनक योितष प ित ारा Create By Advanced Astrology उ कृ भ व यवाणी क साथ े Excellent Prediction १००+ पेज म तुत 100+ Pages हं द / English म मू य मा 750/- GURUTVA KARYALAY 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA Call Us – 91 + 9338213418, 91 + 9238328785 Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com
  • 3. 3 मई 2011 वशेष लेख महामृ युंजय-अकाल मृ यु एवं असा य रोग से मु 7 व न और रोग 34 क डली से जाने ु वा य लाभ क योग े 9 रोग होने क संकत े े 36 अंक योितष और वा थ 12 र एवं रं ग ारा रोग िनवारण 37 योितष ारा रोग िनदान 16 वा तु एवं रोग 40 महामृ युंजय जप विध 21 ह त रे खा एवं रोग 41 उ म वा य लाभ क िलये करे सूय तो का पाठ े 29 ज म कडली म नीच ल नेश से रोग और परे शानी? ुं 43 उ म वा य लाभ क िलये शयन और वा तु िस ांत े 30 ाकृ ितक िच क सा से उ म वा य लाभ 47 उ म वा य लाभ क िलये भोजन और वा तु े 31 रोग िनवारण क सरल उपाय े 49 िस ांत सव रोग नाशक महामृ यु जय मं अचूक भावी 32 सव काय िस कवच 50 अनु म संपादक य 4 दन-रात क चौघ डये े 68 राम र ा यं 51 दन-रात क होरा सूय दय से सूया त तक 69 व ा ाि हे तु सर वती कवच और यं 52 ह चलन मई -2011 70 मं िस प ना गणेश 52 सव रोगनाशक यं /कवच 71 मं िस साम ी 53 मं िस कवच 73 मािसक रािश फल 56 YANTRA LIST 74 रािश र 60 GEM STONE 76 मई 2011 मािसक पंचांग 61 BOOK PHONE/ CHAT CONSULTATION 77 मई -2011 मािसक त-पव- यौहार 63 सूचना 78 मं िस साम ी 66 हमारा उ े य 80 मई 2011 - वशेष योग 67 दै िनक शुभ एवं अशुभ समय ान तािलका 67
  • 4. 4 मई 2011 संपादक य य आ मय बंधु/ ब हन जय गु दे व हमारे ऋ ष-मुिन और योितषाचाय ने बड ह सरलता से हर बीमार का संबंध हो क साथ होने का उ लेख योितष े ंथो मे कया ह। य क ज म कडली म ज म समय म ुं थत हो क थती, हो क महादशा, अंतर दशा एवं हो क वतमान समय क हो े े क थित से य क वा े य एवं रोग का आंकलन होता ह। आपने ायः दे खा होगा व थ य भी कभी-कभी अचानक बीमार पड़ जाता ह। जो दरसल खान-पान म बरती गई कोई लापरवाह हो सकती ह। कभी-कभी य को आनुवांिशक यानी माता- पतासे ा रोग हो सकते है । योितष व ान क मत से य े क ज म समय पर ह क े थित एवं भाव से य को उ क कस मोड़ पर उसे कोनसी े बीमार हो यह सुिन त कर सकते ह। य द समय से पहले पता चल जाये य कब कस रोग से पी ़डत हो सकता ह, तो पहले से सचेत होकर रोग का से बचाव हे तु या उसका िनदान कया जा सकता ह। यो क समय से पूव रोग क बारे म पता चलने से े य खान-पान म परहे ज कर बीमार को कम करने या टालने का यास कर सकता ह। ज म कडली मे रोग का िनणय कडली क छठे भाव म ुं ुं े थत ह, छठे भाव क वामी क े थित छठे भाव पर ह क , छठे भाव का कारक ह क आधार पर जान सकते ह, क भ व य म जातक कस रोग से पी डत हो सकता ह। े कछ मु य बात को समझ कर आप कसी भी य ु क ज म कडली से होने वाले रोग क बारे म सचेत कर सकते ह। वैसे भी ुं े आकाश म मण करते सभी ह और न रोग उ प न कर सकते ह। हमारे िलए आज क आधुिनक िच क सा प ित कतनी लाभदायक ह? आज क उ नत कह जाने वाली आधुिनक िच क सा क वशेष े कहते ह। हमार सभी दवाइयाँ वष क समान ह और े इसक फल व प दवाई क हर मा ा रोगी क जीवनश े का ास करती जाती है । आजकल जरा-जरा से रोग- बमार म त काल ऑपरे शन क सलाह दे द जाती ह?, य द आपक कसी वधुत उपकरण या े वाहन को ठक करने वाला मैकिनक भी य द कह इस उपकरण या वाहन का यह पुजा बदलने पर भी आपका उपकरण या े वाहन ठ क होगा क नह ं इस क कोई गार ट नह ं ह? तो कोई भी य उस मैकिनक क यहां अपने उपकरण क े े मर मत नह ं करवाता। परं तु कसे सजन-डॉ टर क मामले मे यह बात लागू नह ं होती। हर सजन-डॉ टर ार ऑपरे शन े क गार ट न दे ने पर भी हम लोग ऑपरे शन करवा ने क िलए मजबूर हो जाते ह ! े आयुवद एवं अ य अनेको िच क सा प ित क वशेष े क माने तो बहोत से मामलो म ऑपरे शन क ारा शर र क अशु े े य को िनकालने क अपे ा ाकृ ितक िच क सा जैसे जल, िम ट , सूय करण और शु वायु क मदद से उ ह बाहर िनकालना एक सुर त और सु वधाजनक उपाय ह। कसी अनुभवी िच क सक क सलाह लेकर अनुकल आहार एवं व ाम करक भी पूण ू े वा य-लाभ पाया जा सकता ह।
  • 5. 5 मई 2011 स चा वा य सुख य द कसी दवाइय से िमलता तो कोई भी सजन, डॉ टर, किम ट या उनक प रवार का कोई भी सद य ै े कभी बीमार नह ं पड़ता। यद उ म वा य सुख बाजार म खर दने से िमल जाता तो संसार म कोई भी धनवान रोगी नह ं रहता। कसी भी य वशेष को वा य सुख इं जे शन , अ याधुिनक यं , िच क सालय और डॉ टर क बड से बड डि य से नह ं िमलता। वा य सुख वा य क िनयम का पूण तः े पालन करने से एवं संयमी जीवन जीने से िमलता ह। जानकारो क माने तो मानव शर र म व वध रोग अशु और अखा े भोजन, अिनयिमत रहन-सहन, संकिचत वचार धारा तथा दसरो से छल- ु ू कपट से भरा यवहार रखने से होते ह। कसी भी बीमार को कोई भी दवाई थायी इलाज नह ं कर सकती। दवाईयां थोड़े समय क िलए एक रोग को दबाकर, कछ ह समय म दसरा रोग को उभार दे ती है । े ु ू इसी िलये लोगो को दवाइय क गुलामी से बचकर, अपना आहार- वहार शु , रहन-सहन िनयम से, वचारो से उदार एवं स न बने रहगे। आदश आहार- वहार और वचार- यवहार ये चारो और से मनु य के वा य सुख म वृ होती ह। सद -गम सहन करने क श , काम एवं ोध को िनयं ण म रखने क श , क ठन प र म करने क यो यता, फित, ू सहनशीलता, हँ समुखता, भूख बराबर लगना, शौच साफ आना और गहर नींद – ये स चे वा य क मुख ल ण ह। े दवाईयो क वषय म एक सामा य बात दे खने को आती ह, क े कसी य को पहले कोई एक बमार हई। जैसे ु मानल कसी को मधुमेह(सुगर, डायां ब टस) हो गया डॉ टर को दखाने से डॉ टर ने कहां मधुमेह का हवां ह तो आपको ु अमुक-अमुक दवाईयां जीवन भर लेनी पडे गी। दवाईयां चलती रह कछ दन-स ाह-म हने बते दवाईय क उपरांत भी ु े वा य लाभ नह ं मधुमेह क जांच क तो उसम और इजाफा हो गया पूरानी दवाईयां काम नह ं कर रह ह। डॉ टर ने दवाइय का पावर बढा दया पहले से अिधक पावर वाली दवाई िलखद । उस क साथ-साथ दवाईयां और २-४ रोग ले आई जैसे उ च र चाप (हाई.बी.पी), े इ याद बमार यां सामनी आितगई दवाओं क सं या कम होने क अपे ा बढती गई। दो दवाइ-दो क चार-चार क आठ और नजाने कतनी, फर समय आया डॉ टर साहाब ने बताया मधुमेह क दवाइया अब आपक डायां ब टस को क ोल म नह ं कर पारह ह। आपको अब ई े ं युलीन लेना होगा। डॉ टर क सलाह पर ई युलीन लेना शु कया कछ दन बाद, ई ु युलीन क मा ा 5mg से बढकत 7mg हई फर कछ दन बाद 7mg से ु ु 10mg हो गई अभी भी डायां ब टस क ोल म नह ं हो रहा उसक वजह से दनो- दन रोग क सं या म वृ ं होती गई। अब करे तो या कर? य क दनचाया म कोई वशेष अंतर नह ं ह। उ टा दवाईयो के भाव व डॉ टर साहब क कहने से पहले से भोजन े क मा ा कम हो गई िमठा खाना भी छोड दया अभी भी डायां ब टस क ोल म नह ं हो रहा, अब ं या कर?
  • 6. 6 मई 2011 कसी बडे डॉ टर क पास गएं उ ह ने दवाई बदली/ई े युलीन क कपनी बदल द । पहले से दवाईयां महे गी हो गई ं कछ दन ठक रहा डायां ब टस क ोल म रहा फर से दसर ु ं ू बमार ने सताया जाचं क पायां सुगर क ोल म ह। अब ं हाई.बी.पी हो गया ह। क ोल म नह ं आरहा पुरानी दावाई से और अिधक पावर वाली दवाईयां लेनी पडे गी। ं यह म चलता ह रहता ह। दवाईय से रोग कम होने क अपे ा अ य रोगो म वृ होती गई। 5-10 पहले य क जो दवाई थी या उसक मा ा थी उसम कई गुना वृ होगई। डॉ टर से पुछा एसा य डॉ टर बोले आपको अपने खान-पान पर अिधक क ोल ं रखना होगा। रोगी बेचारा परे शान करे तो या कर पेहले से आधा-आधे से आधा भोजन कर दया अब डॉ टर साहब बोल रहे ह क ोल करो और कतना ं क ोल कर। ं या दवाईय पर ज दा रहगे? उिचत िच क सक से य द उिचत परामश ा नह ं हो, तो एसी हालत हो जाती जीवन म ह। य द बमार हई ह और 5-10 वष तक हजारो-लाख ु पयो क तरह-तरह क दावाईय का सेवन करने क प यात य द आपको े क ोल करना पडे ़ उ से तो बेहतर ह। बमार क साथ ह ं क ोल करले क ं े ं दवाईय का सेवन िनयमी नह ं करना पड। कसी जानकार िच क सय से सलाह ा कर ाकृ ितक िच क सा प ित को अपनाने का यास कर जसम नु शान क संभावना नह ं हो और बमार जड़से िनकल जाएं। उसी क साथ संयम और िनती- े िनयमो का भी पालन कर। नोट: उपरो जानकार कवल अनुभवो एवं हमारे -बंधुबांधवो से े ा जानकार क आधार पर हमारे पाठको क मागदशन े े हे तु दगई ह। इस जानकार का उ े य कसी य - वशेष, सं था, या संबंिधत े से जुडे यवसायीक लोगो को नु शान पहचाना नह ं ह कवल जानकार मा ु े ह। इस को मानना न मानना य क िनजी वचारो और आव य ा े पर िनभर ह। भगवान ने जतने डॉ ट-वै -सजन बनाएं ह। डॉ टर बनने क साथ ह उतने रोगी भी भगवान ने तय कर दये ह, नह ं े तो उनक दकान-घर कसे चलेगा। ु ै आजक आधुिनक डॉ टर और िच क सको को आधुिनक े ान क साथ-साथ े ाकृ ितक िच क सा पर जोर दे ना चा हए इसी उ े य से उपरो जानकार यां द गई ह। अनेक मामलो म आधुिनक डॉ टर और िच क सको क अपनी वशेषताएं भी कम नह ं ह। योक आक मक धटनाओं एवं आपातकालीन समय पर आधुिनक डॉ टर और िच क सको क मह वता कम नह ं ह। यो क य द कसी का ए सीडे ट हो गया ह, गोली लग गई ह, हाटएटे क आया ह, इ याद अवसरो पर आधुिनक िच क सा का कोई सानी नह ं ह। योक एसी अव था म कवल आधुिनक िच क सा ह पी डत का शी े बचाव कर सकती ह। आयुवद या अ य ाकृ ितक िच क सा यहां काम नह ं आती। आपातकालीन थती म य क जान बचाने म आधुिनक िच क सा प ित ह उ म होती ह। िचंतन जोशी
  • 7. 7 मई 2011 महामृ युंजय अकाल मृ यु एवं असा य रोग से मु क िलये शी े भा व उपाय अकाल मृ यु एवं असा य रोग से मु क िलये शी े भा व उपाय महामृ युंजय मानव शर र म जो भी रोग उ प न होते ह उसक बारे म शा ो म जो उ लेख ह वह इस े कार ह "शर रं यािधमं दरम ्" अथात ् ांड क पंच त व से उ प न शर र म समय क अंतराल पर नाना े े कार क आिध- यिघ पीडा़ए उ प न होती रहती ह। योितष शा एवं आयुवद क अनुसार मनु य े ारा पूव काल म कये गय कम का फल ह य क शर र म विभ न े रोग के प म गट होत ह। ह रत स हं ता क अनुशार: े ज मा तर कृ तम ् पापम ् यािध पेण बाधते। त छा तरौषधैदानजपहोमसुराचनैः॥ अथातः पूव ज म म कये गये पाप कम ह यािध के प म हमारे शर र म उ प न हो कर क कार हो जाता ह। तथा औषध, दान, जप, होम व दे वपूजा से रोग क शांित होती ह। शा ो वधान क अनुशार दे वी भगवती ने भगवान िशव से कहा क, हे दे व! आप मुझे मृ यु से र ा करने वाला और े सभी कार क अशुभ का नाश करने वाल कवच बतलाईये? तब िशवजी ने महामृ युंजय कवच क बारे म बतलाया। े े व ानो ने महामृ युंजय कवच को मृ यु पर वजय ा करने का अचूक व अ ू त उपाय माना ह। आज क इषा भरे े युग म हर मनु य को सभी कार क अशुभ से अपनी र ा हे तु महामृ युंजय कवच को अव य धारण करना चा हये। े अमो महामृ युंजय कवच व उ ले खत अ य साम ीय को शा ो विध- वधान से व ान ा णो ारा सवा लाख महामृ युंजय मं जप एवं दशांश हवन ारा िनिमत कवच अ यंत भावशाली होता ह। अमो महामृ युंजय कवच धारण कर अ य साम ी को अपने पूजा थान म था पत करने से अकाल मृ यु तो टलती ह ह, मनु य क सव रोग, शोक, भय इ या द का नाश होकर े व थ आरो यता क ाि होती ह। य द जीवन म कसी भी कार क अ र े क आशंका हो, मारक हो क दशा का अशुभ भाव ा होकर मृ यु तु य क ा हो रहे हो, तो उसक िनवारण एवं शा त क िलये शा े े म स पूण विध- वधान से महामृ युंजय मं क जप करने का उ लेख कया गया ह। मृ युजय दे वािधदे व महादे व े स न होकर अपने भ क सम त रोगो का े हरण कर य को रोगमु कर उसे द घायु दान करते ह। मृ यु पर वजय ा करने क कारण ह इस मं े को मृ युंजय कहा जाता है । महामृ यंजय मं क म हमा का वणन िशव पुराण, काशीखंड और महापुराण म कया गया ह। आयुवद के ंथ म भी मृ युंजय मं का उ लेख है । मृ यु को जीत लेने क कारण ह इस मं े को मृ युंजय कहा जाता है ।
  • 8. 8 मई 2011 महामृ युंजय मं का मह व: मृ यु विन जतो य मात ् त मा मृ युंजय: मृ त: या मृ युंजयित इित मृ युंजय, अथात: जो मृ यु को जीत ले, उसे ह मृ युंजय कहा जाता है । मं जप क िलए वशेष: े यः शा विध मृ सृ य वतते काम कारतः। न स िस मवा नोित न सुखं न परांगितम॥ ( ीम ् भगव गीता:षोडशोऽ याय) भावाथ : जो पु ष शा विध को यागकर अपनी इ छा से मनमाना आचरण करता है , वह न िस को ा होता है , न परमगित को और न सुख को ह ॥23॥ योितषशा क अनुशार दख, वप े ु या मृ य के दाता एवं िनवारण क दे वता शिनदे व ह, यो क शिन य े क कम क अनु प य े े को फल दान करते ह। शा ो क अनुशार माक डे य ऋ ष का जीवन अ यंत अ प था, परं तु े महामृ युंजय मं क जप से िशव कृ पा े ा कर उ ह िचरं जीवी होने का वरदान ा हवा। भगवान िशवजी शिनदे व क ु े गु भी ह इस िलए महामृ युंजय मं क जप से शिन से संबंिधत पीडा़ए दर हो जाती ह। े ू जो मनु य पूण विध- वधान से महामृ युंजय मं का जप व अनु ान संप न करने म असमथ हो! वह य संपूण ाण ित त अमो महामृ युंजय कवच व साम ी गु व कायालय ारा बनवा सकते ह। नोट: य अपने कल ू ा ण/पुरो हत ारा भी पूण विध- वधान से मं जप व अनु ान संप न करवा सकते ह। य द आप अनु ान से संबंिधत यं व अ य साम ी ा करना चाहते ह तो गु व कायालय म संपक कर। अमो महामृ युंजय कवच अमो महामृ युंजय कवच व उ ले खत अ य साम ीय को शा ो विध- वधान से व ान ा णो ारा सवा लाख महामृ युंजय मं जप एवं दशांश हवन ारा िनिमत कवच अ यंत भावशाली होता ह। अमो महामृ युंजय कवच अमो महामृ युंजय कवच बनवाने हे तु: अपना नाम, पता-माता का नाम, कवच गो , एक नया फोटो भेजे द णा मा : 10900 संपक कर: GURUTVA KARYALAY 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785 Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in,
  • 9. 9 मई 2011 क डली से जाने वा ु य लाभ क योग े  िचंतन जोशी सभी य वयं क और अपने वजनो क उ म वा े े य क कामना करता है । ले कन हमारा शर र म विभ न कारणो से वा य संबंिधत परे शािनयां समय के साथ-साथ आती-जाती रहती ह। ? ले कन य द बमार होने पर वा य म ज द सुधार नह ं होता तो, तरह- तरह क िचंता और मानिसक तनाव होना साधारण बात ह। क वा य म सुधार कब आयेगा?, कब उ म वा य लाभ होगा?, वा य लाभ होगा या नह ?, इ या द ं उठ खडे हो जाते ह। मनु य क इसी िचंताको दर करने क िलए हजारो वष पूव भारतीय ू े योितषाचाय न कडली क मा यम से ुं े ात करने क व ा हम दान क ह। जस क फल व प कसी भी य े क वा े य से संबंिधत ो का योितषी गणनाओं क मा यम से सरलता से समाधन े कया जासकता ह! कडली क मा यम से वा ुं े य से संबंिधत जानकार ा करने हे तु सव थम कडली म रोगी क शी ुं े वा य लाभ क योग ह या नह ं यह दे ख लेना अित आव यक ह। े आपक मागदशन हे तु यहां वशेष योग से आपको अवगत करवा रहे ह। े ल नम थत ह या ल नेश से रोग मु क योग। े  य द ल न म बलवान ह थत हो तो रोगी को शी वा य लाभ दे ते ह।  कडली म य द ल नेश (ल न का वामी ुं ह) और दशमेश (दशम भाव का वामी ह) िम हो तो रोगी को शी वा य लाभ दे ते ह।  कडली म चतुथश (चतुथ भाव का वामी ुं ह) और स मेश (स म भाव का वामी ह) क बीच िम ता हो तो शी े वा य लाभ क योग बनते ह। े  य द ल नेश (ल न का वामी ह) का च क साथ संबंध हो और च े शुभ ह से यु या हो या के मे थत हो तो शी वा य लाभ होता ह।  य द कडली म ल नेश (ल न का वामी ुं ह) और च शुभ हो से यु या होकर के म थत हो और स मेश व न हो एवं अ म भाव क वामी े ह से भाव मु हो तो शी वा य लाभ होता ह। च मा से रोग मु क योग े  यदच वरािश या उ च रािश मे बलवान हो कर कसी शुभ ह से यु हो या हो तो रोगी को शी वा य लाभ होते दे खा गया ह।
  • 10. 10 मई 2011  यद कडली म य द च ुं चर रािश अथात वभाव रािश म थत हो कर ल न या ल नेश से हो तो शी वा य लाभ क संभावना बल होती ह।  यदच वरािश से चतुथ या दशम भाव म थत हो तो शी वा य लाभ हो ने क योग बनते ह। े  कडली म शुभ ुं हो से च या सूय ल न म, चतुथ या स म भाव म थत हो तो शी वा य लाभ क योग े बनते ह। कडली क मा यम से वा ुं े य लाभ म वल ब होने क योग दे ख लेना भी आव यक होता ह। े वा य लाभ म वलंब होने क योग े  सधारणतः जातक म ष म भाव व ष ेश से रोग को दे खा जाता ह।  कडली म य द ल नेश और दशमेश क बीच अथवा चतुथश और स मेश ुं े हो क बीच म श ुता हो तो रोग बढने क े संभावनाऎ अिधक होती ह और वा य लाभ म वल ब हो सकता ह।  क डली म य द ष ेश अ मेश अथवा ादशेश क साथ युित या ु े ी संबंध बनाता हो तो वा य लाभ क संभावना अिधक कम होती ह और वा य लाभ म वल ब हो सकता ह।  क डली म य द ल न मे च ु या शु क थत हो तो रोग शी पीछा नह ं छोडता।  क डली म य द ल नेश एवं मंगल क कसी ह भाव म युित हो तो वा ु य लाभ म वल ब हो सकता ह।  य द ल नेश ादश भाव मे थत हो तो रोगी दे र से रोगमु होने क संभावनाऎ होती ह।  य द ल नेश ष म, अ म भाव मे थत हो और अ मेश के मे थत हो तो रोग शी दर नह ं होते। ू यद कडली म वा ुं य लाभ म वलंब होने क योग बन रहे हो तो िचंितत होने क बजाय शा ो े े उपाय इ या द करना लाभदायक िस होता ह। एसी थती म व ानो क मत से महामृ युंजय मं -यं का योग शी े रोग मु हे तु रामबाण होता ह। कडली का अ ययन करते समय यह योग भी दे खले क रोगी को उिचत उपयार ा हो रहा ह या नह ं। ुं रोग का उिचत उपचार होने क योग ह या नह ं! े  क डली म ु थम, पंचम, स म एवं अ म भाव म पाप ह ह और च मा कमज़ोर या पाप ह से पी ड़त ह तो रोग का उपचार क ठन हो जाता ह।  यदच मा बलवान हो और 1, 5, 7 एवं 8 भाव म शुभ ह थत ह तो उपचार से रोग का दर होना संभव हो पाता ह। ू  यद कडली म तृ तीय, ष म, नवम एवं एकादश भाव म शुभ ुं ह थत ह तो उपचार क बाद ह रोग से मु े िमलती ह।  यद कडली म स म भाव म शुभ ह ुं थत ह और स मांश बलवान ह तो रोग का उपचार संभव होता ह।  यद कडली म चतुथ भाव म शुभ ह ुं थत से भी ात हो सकता है क रोगी को दवाईय से उिचत लाभ ा होगा या नह ं।
  • 11. 11 मई 2011 कडली दे खते समय शर र क विभ न अंगो पर हो क भाव एवं बमार य को जानना भी आव यक होता ह। ुं े े योितषी िस ांतो क अनुशार कडली क बारह भाव शर र क विभ न अंगो को दशाते है । े ुं े े  थम भाव : िसर, म त क, नायु तं .  तीय भाव: चेहरा, गला, कठ, गदन, आंख. ं  तीसरा भाव : कधे, छाती, फफडे , े ास, नसे और बाह.  चतुथ भाव : तन, ऊपर आ , ऊपर पाचन तं  पंचम भाव : दय, र , पीठ, र संचार तं .  ष म भाव : िन न उदर, िन न पाचन तं , आत, अंत डयाँ, कमर, यकृ त.  स म भाव : उदर य गु हका, गुद.  अ म भाव : गु अंग, ावी तं , अंत डयां, मलाशय, मू ाशय और मे द ड.  नवम भाव : जॉघ, िनत ब और धमनी तं .  दशम भाव : घुटने, ह डयां और जोड़.  एकादश भाव : टागे, टखने और ास.  ादश भाव : पैर, लसीका तं और आंख. े क डली म रोग से संबंिधत भाव ु  योितष क अनुसार े कडली म ल न थान िच क सक भाव होता ह। अतः शुभ ह ुं कडली क ल न म शुभ ुं े हक थती से ात होता ह क रोगी को कसी कशल िच क सक क सलाह ा हो रह ह या होगी। ु  य द अशुभ ह थत हो तो समझले क रोगी को कसी कशल िच क सक क आव यकता ह। ु  योितष क अनुसार े कडली म चतुथ थान उपचार और औषिधय अथात दवाईय का थान ह। चतुथ भाव म ुं य द शुभ ह या शुभ ह क या युित हो तो समझे क रोग सामा य उपचार से शी ठ क हो सकता ह।  कडली म छठा एवं सातवां भाव रोग का थान होता ह। ुं  कडली म दशम भाव रोगी का मानाजाता ह। ुं  यद कडली म ष म एवं स म भाव पर शुभ ह का भाव हो और ष ेश और स मेश िनबल ह तो वा ुं य लाभ धीरे धीरे होने का संकत िमलता ह। े नोट: कडली का व ेषण सावधानी से करना उिचत रहता ह। व ानो क अनुशार ुं े कडली का व ेषण करते समय ुं संबंिधत भाव एवं भाव क वामी े ह अथातः भावेश एवं भाव क कारक े ह को यान म रखते हए आंकलन कर कया गया ु व ेषण प होता ह। कडली का फलादे श करते समय हर छोट छोट बात का ुं याल रखना आव यक होता ह अ यथा व ेषण कये गये का उ र टक नह ं होता। मं िस दलभ साम ी ु ह था जोड - Rs- 370 घोडे क नाल- Rs.351 माया जाल- Rs- 251 िसयार िसंगी- Rs- 370 द णावत शंख- Rs- 550 इ जाल- Rs- 251 ब ली नाल- Rs- 370 मोित शंख- Rs- 550 धन वृ हक क सेट Rs-251
  • 12. 12 मई 2011 अंक योितष और वा थ  िचंतन जोशी मूलांक : अथात ज म ितथी या ज म ता रख भा यांक: अथात ज म ता रख + माह + वष का जोड = भा यांक मूलांक-1:ज म दनांक 1,10,19,28 वा यः जब मूलांक 1 वाले य क जीवन म रोग क े थती आती ह, तो उनको ती वर, दय रोग, आँख, चम रोग, म त क संबंिध परे शािन, अपच, ग ठआ, नायु वकार, चोट, कोढ़, आंत क रोग तथा घुटने आ द क िशकायते े रहती ह। जन य य का मूलांक 1 होता ह वे कसी ना कसी प म दय से संबंिध रोग से पी ड़त हो जाते ह। उनक दल क धड़कने और र े वाह अिनयिमत हो जाता ह। आँख का दखना एवं ु ट दोष जैसे रोग होते ह। उिचत ह आप समय-समय पर अपनी आँख का प र ण करवाते रह। आहारः कशिमश, स फ, कसर, कालीिमच, ल ग, आजवाईन, जायफल, खजूर, े अदरक, जौ, पालक, संतरे , नींब, मोसंबी, गाजर आ द उपयोगी ह। ू दय रोग के से बचाव हे तु नमक कम खना चा हये। सावधानी: आपको जनवर , अ ू बर और दसंबर क मह न म अपने वा े य क ित सजग रहना चा हए। े मूलांक-2: ज म दनांक 2,11,20,29 वा यः मूलांक 2 वाले य क जीवन म रोग क े थती आती ह, तो उनको कमजोर , उदर, उ े ग, मानिसक पीड़ा, दघटना, पाचन तं ु क गड़ब ड़, दय रोगम संवेदनशीलता, नायु िनबलता, क ज, आंत रोग, मू रोग, गैस, अ सर, यूमर, पेट म जलन, जी िमचलाना इ या द होने क संभावनाएं अिधक होती ह। आहारः कला, ककड़ , कलींदा, क हड़ा, प ा गोभी, िसंघाड़ा, सलाद इ याद का सेवन े ु लाभदायक रहते ह। सावधानी: आपको जनवर , फरवर और जुलाई क मह न म वा े य व खान-पान आ द म सावधानी बरतना चा हए। सर वती कवच एवं यं उ म िश ा एवं व ा ाि क िलये वंसत पंचमी पर दलभ तेज वी मं श े ु ारा पूण ाण- ित त एवं पूण चैत य यु सर वती कवच और सर वती यं के योग से सरलता एवं सहजता से मां सर वती क कृ पा ा कर। मू य:280 से 1450 तक
  • 13. 13 मई 2011 मूलांक-3: ज म दनांक 3,12,21,30 वा यः य को ायः ह डय म दद रहता ह और थकावट सी रहती ह। अ यिधक प र िम होते ह अतः अित प र म कारण वे थक से रहते ह। े नायु तं कमजोर हो जाता ह। मधुमेह, चमरोग, दाद, खाज, शूल, मू रोग, वीयदोष, मरण श क कमी, बोलने म परे शािन संभव, वचा रोग, दाद, खुजली, फोड़ा, फसी, तं काओं म तड़फन, सूजन, कोहनी, कलाई, अंगुिलय म दद ुं आ द हो सकते ह। आहारः चेर , ोबेर , सेब, नाशपती, अनार, अनानस, अंगूर, फ दना, गाजर, ु चुकदर, पालक एवं करे ले, कसर, जायफल, ल ग, बादाम, अंजीर आ द लाभदायक ं े रहते ह। सावधानी: आपको फरवर , जून, िसंतबर और दसंबर म अपनी सेहत का वशेष प से याल रखना चा हए। मूलांक-4:ज म दनांक 4,13,22,31 वा यः य ायः र क कमी से पी ड़त रहते ह। र क कमी से अनेक रोग हो सकते ह। ऐसे य य को लोहत व यु भोजन करना चा हय। चलने- फरने तथा ास लेने म क होना, फफड़ो क खराबी, अिन ा, ै म, िसर म पीड़ा, र क कमी,भूख क कमी, क ट-शूल, वकृ ित, मू -कृ छ, ह र या, शद , पैर का फटना पैर म दद, पैर क अ य बीमा रयां होती ह। गुद से संबंिध रोग भी हो जाते ह। य मानिसक प से भी अ व थ एवं तनाव त रहता ह। िसर दद भी पाया जाता ह। आहारः हर श जीयां, करे ला, नीम, मीठे फल, लौक , ककड़ , खीरा, अंगूर, सेब, अनानस, तुलसी, कालीिमच, पालक, मेथी, सलाद, याज, एवं ह द उपय गी ह। नशीली चीज से परहे ज कर तेज मसालेदार भोजन से बच, आपक िलये शाकाहार भोजन अित उ म रहे गा। े सावधानी: आपको जनवर , फरवर , जुलाई, अग त व िसतंबर इन पांच मह न म अपने वा य पर वशेष गौर करना चा हए। भा य ल मी द बी सुख-शा त-समृ क ाि क िलये भा य ल मी द बी :- ज से धन ि , ववाह योग, यापार े वृ , वशीकरण, कोट कचेर क काय, भूत ेत बाधा, मारण, स मोहन, ता े क बाधा, श ु भय, चोर भय जेसी अनेक परे शािनयो से र ा होित है और घर मे सुख समृ क ाि होित है , भा य ल मी द बी मे लघु ी फ़ल, ह तजोड (हाथा जोड ), िसयार िस गी, ब ल नाल, शंख, काली- सफ़द-लाल गुंजा, इ े जाल, माय जाल, पाताल तुमड जेसी अनेक दलभ साम ी होती है । ु मू य:- Rs. 910 से Rs. 8200 तक उ ल गु व कायालय संपक : 91+ 9338213418, 91+ 9238328785
  • 14. 14 मई 2011 मूलांक-5:ज म दनांक 5,14,23 वा यः य ायः सद , जुकाम आ द से पी ड़त रहना पड़ता ह। नवस ेकडाउन का भी भय बना रहता ह। क ठ रोग, जीभ संबंिध रोग, अिन ा, कधे ं म दद, ह डय संबंिध रोग, कान तथा ास या संबंिधत बीमा रयां परे शान करती ह। दय रोग, मोतीझर, मू रोग, वीय दोष, िमग , नािसका रोग, ती वर, पागलपन, खाज-खुजली, लकवा, पांव क सूजन, मू छा आना, नासूर, है जा, मंदा न, गले क रोग तथा े वचा संबंिधत बीमा रयां हआ करती ु ह। आहारः सेब, कला, चीक, अनार, अनानस, अंगूर, पु दना, गाजर, ना रयल क े ू िग र, पालक, िभ ड , बगन, करे ल, तुलसी, बादाम, अंजीर, कसर, अखरोट े े लाभदायक रहते ह। सावधानी: आपको जून, िसंतबर और दसंबर क मह न म अपने वा े य क बारे म सावधानी बरतना चा हए। े मूलांक-6:ज म दनांक 6,15,24 वा यः य फफड़ो क रोग से े े िसत रहते ह। नाक, कान, गला, आँख, जीभ, दांत, अंगुली, नाखून, ह ड, वीय संबंिध बीमा रयां हआ करती ह। फफडे , ु े मू छा आना, अजीण, नपुंसकता, वर, ी को मािसक धम संबंिध रोग, व थल म पीड़ा, दय रोग, वृ ाव था म र वकार संबंिध रोग होते ह। आहारः तरबूज, खरबूज, आम, सेब, नासपती, अनार, पालक, गाजर, फलगोभी, ु इमली, अंजीर, अखरोट, बादाम, गुलकद आ द लाभदायक होते ह। ं सावधानी: आपको मई, अ ू बर एवं नवंबर क मह ने अंक ६ क इन मह न म उ ह े े सावधानी रखनी चा हए। मूलांक-7: ज म दनांक 7,16,25 वा यः य को चमरोग घेरे रहते ह। खुजली या दाद होनेक संभावना बनी रह ह। चम संबंिध िशकायत होती ह रहती ह। आँख, उदर तथा फफड़ से े संबंिध बीमा रयां, गु तथा क ठन रोग एवं फोड़े आ द क िशकायते रहती ह। अ यािधक तनाव, सदै व कसी िचंता म रहते ह, बदहजमी एवं क ज रहती ह, नींद भी कम आती ह। आहारः सेब ,अंगूर, संतरा, ककड़ , याज, मूली, गाजर, टमाटर, पालक, इमली एवं स फ उपयोगी ह। सावधानी: आपको जनवर -फरवर और जुलाई-अग त क चार मह न म अपने े वा य क ित पूण सावधानी रखनी चा हए। े
  • 15. 15 मई 2011 मूलांक-8: ज म दनांक 8,17,26 वा यः य को जगर से संबंिध रोग लगे रहते ह। य क लीवर े कमजोर होन क वजह से अ य अनेक बीमा रयां आकर घेर लेती ह। यसन से हरदम दर रहना चा हये। दबलता, पेट दद, दं त रोग, ू ु वचा रोग, पांव तथा घुटन से संबंिधत बीता रयां, िशरोशूल, प ाशय क रोग, र े दोष, आँख, कान, ग ठया, लकवा, जोड़ म दद तथा घाव आ द क िशकायते भी होती रहती ह। ी को मािसक धम संबंिधत विभ न बमा रयां हो जाती ह। आहारः संतरा, पपीता, अनानस, नींब, हर स जयां, ककड़ , खीरा, धिनयां, ू पु दना, गाजर, लहसुन, याज, पालक, टमाटर, पालक, ईसबगोल, स फ एवं अजवायन उपयोगी ह। सावधानी: आपको जनवर , फरवर , जुलाई और दसंबर क मह न म पूण प से सावधान रहने का संकत दया है े े मूलांक-9:ज म दनांक 9,18,27 वा यः य चमरोग तथा नासारं से संबंिधत जुकाम आ द रोग से पी ड़त हो सकते ह। म त क संबंिधत रोग, जनने य संबंिधत रोग, वर, खसरा, मू रोग, कफ रोग, कण ाव, च कर, र एवं वचा रोग, खाज- खुजली, फोड़े , सूजन, नासूर, अश तथा वीय संबंिधत वकार होते ह। आहारः संतरा, अम द, अंगूर, कला, ककड़ , तोरई, मीठे फल, खीरा, पालक, े आलू, याज, लहसुन, अदरक उपयोगी ह। ग र भोजन एवं नशीली व तुओं से परहे ज करना चा हये। सावधानी: आपको पूरे वष अपनी सेहत का याल रखना चा हए।  या आपक ब चे कसंगती क िशकार ह? े ु े  या आपक ब चे आपका कहना नह ं मान रहे ह? े  या आपक ब चे घर म अशांित पैदा कर रहे ह? े घर प रवार म शांित एवं ब चे को कसंगती से छडाने हे तु ब चे क नाम से गु ु ु े व कायालत ारा शा ो विध- वधान से मं िस ाण- ित त पूण चैत य यु वशीकरण कवच एवं एस.एन. ड बी बनवाले एवं उसे अपने घर म था पत कर अ प पूजा, विध- वधान से आप वशेष लाभ ा कर सकते ह। य द आप तो आप मं िस वशीकरण कवच एवं एस.एन. ड बी बनवाना चाहते ह, तो संपक इस कर सकते ह। GURUTVA KARYALAY 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785 Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in,
  • 16. 16 मई 2011 योितष ारा रोग िनदान  िचंतन जोशी म य पुराण क अनुशार दे वताओं और रा स ने जब समु े मंथन कया था धन तेरस क दन धनवंतर नामक े दे वता अमृ त कलश क साथ सागर मंथन से उ प न हए थे। धनवंतर धन, वा थय व आयु क अिधपित दे वता ह। धनवंतर े ु े को दे व क वैध व िच क सक क प म जाना जाता ह। े े धनवंतर ह सृ ी क सव े थम िच क सक माने जाते ह। ी धनवंतर ने ह आयुवद को ित त कया था। उनक बाद म ऋ ष चरक े जैसे अनेक आयुवदाचाय हो, गये। ज ह ने मनु य मा क वा े य क दे खरे ख क िलए काय कये। इसी कारण े ाचीन काल म अिधतर य का व थ उ म रहता था। यो क ािचन कालम ायः सभी िच क सक आयुवद क साथ- े साथ योितष का भी वशेष ान रखते थे। इसी िलए िच क सक बीमार का पर ण ह क शुभ-अशुभ थित क अनुसार सरलता से कर लेते े थे। आज क आधुिनक युग क िच क सक को भी े े योितष व ा का ान रखना चा हए जससे वे सरलता से ायः सभी रोगो का िनदान करके रोगी क उपयु िच क सा करने म पूण तः स म ह सक। े योितष क अनुशार हर े ह और रािश मानव शर र पर अपना वशेष भाव रखते ह, इस िलए उसे जानना भी अित आव यक ह। सामा यतः ज म कडली म जो रािश अथवा जो ुं ह छठे , आठव, या बारहव थान से पी ड़त हो अथवा छठे , आठव, या बारहव थान के वामी हो कर पी ड़त होरहे हो, तो उनसे संबंिधत बीमार क संभावना अिधक रहती ह। ज म कडली क अनुसार ुं े येक थान और रािश से मानव शर र क कौन-कौन से अंग े भा वत होते ह, उनसे संबंिधत जानकार द जा रह ह। ज मकडली से रोग िनदान ुं योितष शा एवं आयुवद क अनुसार मनु य े ारा पूव काल म कये गय कम का फल ह य क शर र म विभ न े रोग के प म गट होत ह। ह रत स हं ता क अनुशार: े ज मा तर कृ तम ् पापम ् यािध पेण बाधते। त छा तरौषधैदानजपहोमसुराचनैः॥ अथातः पूव ज म म कया गये पाप कम ह यािध के प म हमारे शर र म उ प न हो कर क कार हो जाता ह। तथा औषध, दान, जप, होम व दे वपूजा से रोग क शांित होती ह।
  • 17. 17 मई 2011 आयुवद क जानकारो क माने तो कमदोष को ह रोग क उ प े का कारण माना गया ह। आयुवद म कम क मु य तीन भेद माने गए ह: े  एक ह स चत कम  दसरा ह ू ार ध कम  तीसरा ह यमाण आयुवद क अनुसार मनु य क संिचत कम ह कम जिनत रोग क े े े मुख कारण होते ह जसे य ार ध के प म भोगता ह। वतमान समय म मनु य के ारा कये जाने वाला कम ह यमाण होता ह। वतमान काल म अनुिचत आहार- वहार क कारण भी शर र म रोग उ प न हो े जाते ह। आयुवद आचाय सु ु त, चरक व ाचाय क मतानुसार क रोग, े ु उदररोग, गुदारोग, उ माद, अप मार, पंगुता, भग दर, मधुमेह( मेह), ी हनता, अश, प ाघात, दे ह कापना, अ मर , सं हणी, र ाबु द, कान, वाणी दोष इ या द रोग, पर ीगमन, हम ह या, पर धन हरण, बालक- ी-िनद ष य क ह या आ द द ु कम के भाव से उ प न होते ह। इस िलये मनु य ारा इस ज म या पूव ज म म कया गया पापकम ह रोग का कारण होता ह। इस िलये जो य खान-पान म सयंमी और आचार- वचार म पुर तरह शु ह उ ह भी कभी-कभी गंभीर रोग का िशकार हो कर क भोगने पडते ह। ज म कडली से रोग व रोगक समय का ुं े ान भारतीय योितषाचाय हजारो वष पूव ह ज म कडली क मा यम से यह ुं े ात करने म पूण ताः स म थे क कसी य को कब तथा या बीमार हो सकती ह। योितषशा ो से ा ान एवं अभीतक हएं नये-नये ु योितषी शोध क अनुशार ज म यह जानना और भी े सरल है क कसी मनु य को कब तथा या बीमार हो सकती है । ज म कडली से रोग व रोगक समय का ुं े ात करने हे तु ज म कडली म ुं ह क थित, ह गोचर तथा दशा-अ तदशा का शू म अ ययन अित आव यक होता ह। ज म प का क शू म अ ययन क मा यम से य े े क ारा पूव ज म म े कये गये सभी शुभ-अशुभ कम फल को बताने म स म होती ह जसका फल य इस ज म म भोगता ह। यदपिचत म य ज मिन शुभाशुभं त य कमण: ाि म । ु यं यती शा मत तमिस या ण द प इव॥ ( फिलत मात ड )
  • 18. 18 मई 2011 योितष थ माग म रोग का दो कार से वग करण कया ह। 1 सहज रोग 2 आगंतुक रोग 1 सहज रोग: माग म ज म जात रोग को सहज रोग क वग म रखा गया ह। य े क अंग ह नता, ज म से ी हनता, गूंगापन, बहरापन, पागलपन, व ता एवं नपुंसकता आ द रोग सहज रोग होते ह। जो य म ज म से ह होते ह। सहज रोग का वचार करने हे तु कडली म अ टमेश (अ म भाव का ुं वामी) तथा आठव भावः म थत, िनबल ह से कया जाता ह। एसे रोग ाय: द घ कािलक और असा य हो जाते ह। 2 आगंतुक रोग: चोट लगना, अिभचार, महामार , दघटना, श ु ु ारा आघात आ द य कारण से होने वाले क तथा वर, र वकार, धातु रोग, उदर वकार, वात- पत-कफ से संबंिधत सम या से होने वाले रोग जो अ य कारण से होते ह उसे माग म आगंतुक रोग कहे गये ह। आगंतुक रोग का वचार ष ेश (छठे भाव काका वामी ह), ष म भाव म थत िनबल ह एवं ज म कडली म पाप ुं हो रा पी ड़त रािश-भाव- ह से कया जाता ह। ज म कडली से रोग का िनणय करने हे तु कडली म भाव और रािश से संबंिधत शर र क विभ न अंग पर ुं ुं े हो का भाव एवं रोग को जानना आव यक ह। ज म कडली म जो भाव अथवा रािश पाप ुं ह से पी ड़त हो रह हो और जस रािश का वामी क भाव (अथात ष म, अ म और ादश भाव) म थत हो उस रािश या भाव संबंिधत अंग रोग से पी ड़त हो जाते ह । योितष क अनुशार बारह भाव एवं रािश से संबंिधत शर र क अंग और रोग इस े े कार ह। भाव रािश त व शर र का अंग रोग पहला मेष अ न िसर, म त क, िसर क कश, जीवन े े म त क रोग, िसर पीडा, च कर आना, िमग , उ माद, श , गंजापन, वर, गम , म त क वर इ या द। दसरा ू वृ ष पृ वी मुख, ने , चेहरा, नाक, दांत, जीभ, ह ठ, मुख क रोग, आंत, ने , दांत, नाक, सं मण, आ द क रोग े े ास नली आ द। तीसरा िमथुन वायु कठ, कण, हाथ, भुजा, क धा, ं ास नली, खांसी, दमा, गले मे पीड़ा, बाजु मे पीड़ा, कण पीड़ा आ द । र नली, चौथा कक जल छाती, फफड़े , तन, दय, मन, पसिलयाँ, े दय रोग, ास रोग, मनो वकार, पसिलय का रोग, अ िच र संचार, आ द। पांचवा िसंह अ न उदर, जगर, ित ली, कोख, मे द ड, बु , उदर पीडा, अपच, जगर का रोग, पीिलया, बु ह नता, श , दय, पीठ, मे दं ड, आमाशय, आंत, गभाशय मे वकार आ द। छठा क या पृ वी कमर, आ त, नािभ, उदर क बाहर भाग, े द त, आ दोष, हिनया, पथर , अप ड स, कमर मे दद, ह ड , आंत, मांस दघटनाआ द । ु सातवाँ तुला वायु मू ाशय, गुद, काम, ास या, गुद मे रोग, मू ाशय क रोग, मधुमेह, दर, पथर , मू े छ आद ।