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गुरुत्व ज्योतिष मासिक ई-पत्रीका ज्योतिष, अंक ज्योतिष, वास्तु, रत्न, मंत्र, यंत्र, तंत्र, कवच इत्यादि प्राचिन गूढ सहस्यो एवं आध्यात्मिक ज्ञान मासिक पंचांग, मासिक व्रत-पर्व-त्यौहार, मासिक ग्रह, मासिक शुभ मुहूर्त, मासिक राशिफल.. इत्यादि से आपको परिचित कराती हैं।
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गु व कायालय ारा तुत मािसक ई-प का मई- 2011
अकाल मृ यु एवं असा य क डली से
ु
रोग से मु वा य लाभ
अंक योितष और योितष ारा
वा थ रोग िनदान
वा तु एवं रोग ह त रे खा
एवं रोग
रोग िनवारण के
सरल उपाय
महामृ युंजय जप विध र एवं रं ग
ारा रोग िनवारण
NON PROFIT PUBLICATION
2. FREE
E CIRCULAR
गु व योितष प का मई 2011
संपादक िचंतन जोशी
गु व योितष वभाग
संपक गु व कायालय
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BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA
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प का तुित िचंतन जोशी, व तक.ऎन.जोशी
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3. 3 मई 2011
वशेष लेख
महामृ युंजय-अकाल मृ यु एवं असा य रोग से मु 7 व न और रोग 34
क डली से जाने
ु वा य लाभ क योग
े 9 रोग होने क संकत
े े 36
अंक योितष और वा थ 12 र एवं रं ग ारा रोग िनवारण 37
योितष ारा रोग िनदान 16 वा तु एवं रोग 40
महामृ युंजय जप विध 21 ह त रे खा एवं रोग 41
उ म वा य लाभ क िलये करे सूय तो का पाठ
े 29 ज म कडली म नीच ल नेश से रोग और परे शानी?
ुं 43
उ म वा य लाभ क िलये शयन और वा तु िस ांत
े 30 ाकृ ितक िच क सा से उ म वा य लाभ 47
उ म वा य लाभ क िलये भोजन और वा तु
े
31 रोग िनवारण क सरल उपाय
े 49
िस ांत
सव रोग नाशक महामृ यु जय मं अचूक भावी 32 सव काय िस कवच 50
अनु म
संपादक य 4 दन-रात क चौघ डये
े 68
राम र ा यं 51 दन-रात क होरा सूय दय से सूया त तक 69
व ा ाि हे तु सर वती कवच और यं 52 ह चलन मई -2011 70
मं िस प ना गणेश 52 सव रोगनाशक यं /कवच 71
मं िस साम ी 53 मं िस कवच 73
मािसक रािश फल 56 YANTRA LIST 74
रािश र 60 GEM STONE 76
मई 2011 मािसक पंचांग 61 BOOK PHONE/ CHAT CONSULTATION 77
मई -2011 मािसक त-पव- यौहार 63 सूचना 78
मं िस साम ी 66 हमारा उ े य 80
मई 2011 - वशेष योग 67
दै िनक शुभ एवं अशुभ समय ान तािलका 67
4. 4 मई 2011
संपादक य
य आ मय
बंधु/ ब हन
जय गु दे व
हमारे ऋ ष-मुिन और योितषाचाय ने बड ह सरलता से हर बीमार का संबंध हो क साथ होने का उ लेख योितष
े ंथो मे
कया ह।
य क ज म कडली म ज म समय म
ुं थत हो क थती, हो क महादशा, अंतर दशा एवं हो क वतमान समय क हो
े े
क थित से य क वा
े य एवं रोग का आंकलन होता ह।
आपने ायः दे खा होगा व थ य भी कभी-कभी अचानक बीमार पड़ जाता ह। जो दरसल खान-पान म बरती गई कोई
लापरवाह हो सकती ह। कभी-कभी य को आनुवांिशक यानी माता- पतासे ा रोग हो सकते है ।
योितष व ान क मत से य
े क ज म समय पर ह क
े थित एवं भाव से य को उ क कस मोड़ पर उसे कोनसी
े
बीमार हो यह सुिन त कर सकते ह। य द समय से पहले पता चल जाये य कब कस रोग से पी ़डत हो सकता ह, तो पहले
से सचेत होकर रोग का से बचाव हे तु या उसका िनदान कया जा सकता ह। यो क समय से पूव रोग क बारे म पता चलने से
े
य खान-पान म परहे ज कर बीमार को कम करने या टालने का यास कर सकता ह।
ज म कडली मे रोग का िनणय कडली क छठे भाव म
ुं ुं े थत ह, छठे भाव क वामी क
े थित छठे भाव पर ह क , छठे
भाव का कारक ह क आधार पर जान सकते ह, क भ व य म जातक कस रोग से पी डत हो सकता ह।
े
कछ मु य बात को समझ कर आप कसी भी य
ु क ज म कडली से होने वाले रोग क बारे म सचेत कर सकते ह। वैसे भी
ुं े
आकाश म मण करते सभी ह और न रोग उ प न कर सकते ह।
हमारे िलए आज क आधुिनक िच क सा प ित कतनी लाभदायक ह?
आज क उ नत कह जाने वाली आधुिनक िच क सा क वशेष
े कहते ह। हमार सभी दवाइयाँ वष क समान ह और
े
इसक फल व प दवाई क हर मा ा रोगी क जीवनश
े का ास करती जाती है ।
आजकल जरा-जरा से रोग- बमार म त काल ऑपरे शन क सलाह दे द जाती ह?, य द आपक कसी वधुत उपकरण या
े
वाहन को ठक करने वाला मैकिनक भी य द कह इस उपकरण या वाहन का यह पुजा बदलने पर भी आपका उपकरण या
े
वाहन ठ क होगा क नह ं इस क कोई गार ट नह ं ह? तो कोई भी य उस मैकिनक क यहां अपने उपकरण क
े े
मर मत नह ं करवाता। परं तु कसे सजन-डॉ टर क मामले मे यह बात लागू नह ं होती। हर सजन-डॉ टर ार ऑपरे शन
े
क गार ट न दे ने पर भी हम लोग ऑपरे शन करवा ने क िलए मजबूर हो जाते ह !
े
आयुवद एवं अ य अनेको िच क सा प ित क वशेष
े क माने तो बहोत से मामलो म ऑपरे शन क ारा शर र क अशु
े े
य को िनकालने क अपे ा ाकृ ितक िच क सा जैसे जल, िम ट , सूय करण और शु वायु क मदद से उ ह बाहर िनकालना
एक सुर त और सु वधाजनक उपाय ह। कसी अनुभवी िच क सक क सलाह लेकर अनुकल आहार एवं व ाम करक भी पूण
ू े
वा य-लाभ पाया जा सकता ह।
5. 5 मई 2011
स चा वा य सुख य द कसी दवाइय से िमलता तो कोई भी सजन, डॉ टर, किम ट या उनक प रवार का कोई भी सद य
ै े
कभी बीमार नह ं पड़ता।
यद उ म वा य सुख बाजार म खर दने से िमल जाता तो संसार म
कोई भी धनवान रोगी नह ं रहता। कसी भी य वशेष को वा य
सुख इं जे शन , अ याधुिनक यं , िच क सालय और डॉ टर क बड से
बड डि य से नह ं िमलता। वा य सुख वा य क िनयम का पूण तः
े
पालन करने से एवं संयमी जीवन जीने से िमलता ह।
जानकारो क माने तो मानव शर र म व वध रोग अशु और अखा
े
भोजन, अिनयिमत रहन-सहन, संकिचत वचार धारा तथा दसरो से छल-
ु ू
कपट से भरा यवहार रखने से होते ह।
कसी भी बीमार को कोई भी दवाई थायी इलाज नह ं कर सकती।
दवाईयां थोड़े समय क िलए एक रोग को दबाकर, कछ ह समय म दसरा रोग को उभार दे ती है ।
े ु ू
इसी िलये लोगो को दवाइय क गुलामी से बचकर, अपना आहार- वहार शु , रहन-सहन िनयम से, वचारो से उदार एवं
स न बने रहगे। आदश आहार- वहार और वचार- यवहार ये चारो और से मनु य के वा य सुख म वृ होती ह।
सद -गम सहन करने क श , काम एवं ोध को िनयं ण म रखने क श , क ठन प र म करने क यो यता, फित,
ू
सहनशीलता, हँ समुखता, भूख बराबर लगना, शौच साफ आना और गहर नींद – ये स चे वा य क मुख ल ण ह।
े
दवाईयो क वषय म एक सामा य बात दे खने को आती ह, क
े कसी य को पहले कोई एक बमार हई। जैसे
ु
मानल कसी को मधुमेह(सुगर, डायां ब टस) हो गया डॉ टर को दखाने से डॉ टर ने कहां मधुमेह का हवां ह तो आपको
ु
अमुक-अमुक दवाईयां जीवन भर लेनी पडे गी।
दवाईयां चलती रह कछ दन-स ाह-म हने बते दवाईय क उपरांत भी
ु े वा य लाभ नह ं मधुमेह क जांच क तो
उसम और इजाफा हो गया पूरानी दवाईयां काम नह ं कर रह ह। डॉ टर ने दवाइय का पावर बढा दया पहले से
अिधक पावर वाली दवाई िलखद । उस क साथ-साथ दवाईयां और २-४ रोग ले आई जैसे उ च र चाप (हाई.बी.पी),
े
इ याद बमार यां सामनी आितगई दवाओं क सं या कम होने क अपे ा बढती गई।
दो दवाइ-दो क चार-चार क आठ और नजाने कतनी, फर समय आया डॉ टर साहाब ने बताया मधुमेह क दवाइया
अब आपक डायां ब टस को क ोल म नह ं कर पारह ह। आपको अब ई
े ं युलीन लेना होगा। डॉ टर क सलाह पर
ई युलीन लेना शु कया कछ दन बाद, ई
ु युलीन क मा ा 5mg से बढकत 7mg हई फर कछ दन बाद 7mg से
ु ु
10mg हो गई अभी भी डायां ब टस क ोल म नह ं हो रहा उसक वजह से दनो- दन रोग क सं या म वृ
ं होती
गई। अब करे तो या कर?
य क दनचाया म कोई वशेष अंतर नह ं ह। उ टा दवाईयो के भाव व डॉ टर साहब क कहने से पहले से भोजन
े
क मा ा कम हो गई िमठा खाना भी छोड दया अभी भी डायां ब टस क ोल म नह ं हो रहा, अब
ं या कर?
6. 6 मई 2011
कसी बडे डॉ टर क पास गएं उ ह ने दवाई बदली/ई
े युलीन क कपनी बदल द । पहले से दवाईयां महे गी हो गई
ं
कछ दन ठक रहा डायां ब टस क ोल म रहा फर से दसर
ु ं ू बमार ने सताया जाचं क पायां सुगर क ोल म ह। अब
ं
हाई.बी.पी हो गया ह। क ोल म नह ं आरहा पुरानी दावाई से और अिधक पावर वाली दवाईयां लेनी पडे गी।
ं
यह म चलता ह रहता ह। दवाईय से रोग कम होने क अपे ा अ य रोगो म वृ होती गई। 5-10 पहले य क
जो दवाई थी या उसक मा ा थी उसम कई गुना वृ होगई।
डॉ टर से पुछा एसा य डॉ टर बोले आपको अपने खान-पान पर अिधक क ोल
ं
रखना होगा। रोगी बेचारा परे शान करे तो या कर पेहले से आधा-आधे से
आधा भोजन कर दया अब डॉ टर साहब बोल रहे ह क ोल करो और कतना
ं
क ोल कर।
ं
या दवाईय पर ज दा रहगे?
उिचत िच क सक से य द उिचत परामश ा नह ं हो, तो एसी हालत हो
जाती जीवन म ह। य द बमार हई ह और 5-10 वष तक हजारो-लाख
ु
पयो क तरह-तरह क दावाईय का सेवन करने क प यात य द आपको
े
क ोल करना पडे ़ उ से तो बेहतर ह। बमार क साथ ह ं क ोल करले क
ं े ं
दवाईय का सेवन िनयमी नह ं करना पड।
कसी जानकार िच क सय से सलाह ा कर ाकृ ितक िच क सा प ित को अपनाने
का यास कर जसम नु शान क संभावना नह ं हो और बमार जड़से िनकल जाएं। उसी क साथ संयम और िनती-
े
िनयमो का भी पालन कर।
नोट: उपरो जानकार कवल अनुभवो एवं हमारे -बंधुबांधवो से
े ा जानकार क आधार पर हमारे पाठको क मागदशन
े े
हे तु दगई ह। इस जानकार का उ े य कसी य - वशेष, सं था, या संबंिधत े से जुडे यवसायीक लोगो को
नु शान पहचाना नह ं ह कवल जानकार मा
ु े ह। इस को मानना न मानना य क िनजी वचारो और आव य ा
े
पर िनभर ह।
भगवान ने जतने डॉ ट-वै -सजन बनाएं ह। डॉ टर बनने क साथ ह उतने रोगी भी भगवान ने तय कर दये ह, नह ं
े
तो उनक दकान-घर कसे चलेगा।
ु ै आजक आधुिनक डॉ टर और िच क सको को आधुिनक
े ान क साथ-साथ
े
ाकृ ितक िच क सा पर जोर दे ना चा हए इसी उ े य से उपरो जानकार यां द गई ह। अनेक मामलो म आधुिनक
डॉ टर और िच क सको क अपनी वशेषताएं भी कम नह ं ह। योक आक मक धटनाओं एवं आपातकालीन समय
पर आधुिनक डॉ टर और िच क सको क मह वता कम नह ं ह। यो क य द कसी का ए सीडे ट हो गया ह, गोली
लग गई ह, हाटएटे क आया ह, इ याद अवसरो पर आधुिनक िच क सा का कोई सानी नह ं ह। योक एसी अव था म
कवल आधुिनक िच क सा ह पी डत का शी
े बचाव कर सकती ह। आयुवद या अ य ाकृ ितक िच क सा यहां काम
नह ं आती। आपातकालीन थती म य क जान बचाने म आधुिनक िच क सा प ित ह उ म होती ह।
िचंतन जोशी
7. 7 मई 2011
महामृ युंजय
अकाल मृ यु एवं असा य रोग से मु क िलये शी
े भा व उपाय
अकाल मृ यु एवं असा य रोग से मु क िलये शी
े भा व उपाय
महामृ युंजय
मानव शर र म जो भी रोग उ प न होते ह उसक बारे म शा ो म जो उ लेख ह वह इस
े कार ह
"शर रं यािधमं दरम ्" अथात ् ांड क पंच त व से उ प न शर र म समय क अंतराल पर नाना
े े कार क आिध-
यिघ पीडा़ए उ प न होती रहती ह।
योितष शा एवं आयुवद क अनुसार मनु य
े ारा पूव काल म कये गय कम का फल ह य क शर र म विभ न
े
रोग के प म गट होत ह।
ह रत स हं ता क अनुशार:
े
ज मा तर कृ तम ् पापम ् यािध पेण बाधते।
त छा तरौषधैदानजपहोमसुराचनैः॥
अथातः पूव ज म म कये गये पाप कम ह यािध के प म हमारे शर र म उ प न हो कर क कार हो जाता ह।
तथा औषध, दान, जप, होम व दे वपूजा से रोग क शांित होती ह।
शा ो वधान क अनुशार दे वी भगवती ने भगवान िशव से कहा क, हे दे व! आप मुझे मृ यु से र ा करने वाला और
े
सभी कार क अशुभ का नाश करने वाल कवच बतलाईये? तब िशवजी ने महामृ युंजय कवच क बारे म बतलाया।
े े
व ानो ने महामृ युंजय कवच को मृ यु पर वजय ा करने का अचूक व अ ू त उपाय माना ह। आज क इषा भरे
े
युग म हर मनु य को सभी कार क अशुभ से अपनी र ा हे तु महामृ युंजय कवच को अव य धारण करना चा हये।
े
अमो महामृ युंजय कवच व उ ले खत अ य साम ीय को शा ो विध- वधान से व ान ा णो ारा सवा
लाख महामृ युंजय मं जप एवं दशांश हवन ारा िनिमत कवच अ यंत भावशाली होता ह।
अमो महामृ युंजय कवच धारण कर अ य साम ी को अपने पूजा थान म था पत करने से अकाल मृ यु तो
टलती ह ह, मनु य क सव रोग, शोक, भय इ या द का नाश होकर
े व थ आरो यता क ाि होती ह।
य द जीवन म कसी भी कार क अ र
े क आशंका हो, मारक हो क दशा का अशुभ भाव ा होकर
मृ यु तु य क ा हो रहे हो, तो उसक िनवारण एवं शा त क िलये शा
े े म स पूण विध- वधान से महामृ युंजय
मं क जप करने का उ लेख कया गया ह। मृ युजय दे वािधदे व महादे व
े स न होकर अपने भ क सम त रोगो का
े
हरण कर य को रोगमु कर उसे द घायु दान करते ह।
मृ यु पर वजय ा करने क कारण ह इस मं
े को मृ युंजय कहा जाता है । महामृ यंजय मं क म हमा का
वणन िशव पुराण, काशीखंड और महापुराण म कया गया ह। आयुवद के ंथ म भी मृ युंजय मं का उ लेख है ।
मृ यु को जीत लेने क कारण ह इस मं
े को मृ युंजय कहा जाता है ।
8. 8 मई 2011
महामृ युंजय मं का मह व:
मृ यु विन जतो य मात ् त मा मृ युंजय: मृ त: या मृ युंजयित इित मृ युंजय,
अथात: जो मृ यु को जीत ले, उसे ह मृ युंजय कहा जाता है ।
मं जप क िलए वशेष:
े
यः शा विध मृ सृ य वतते काम कारतः। न स िस मवा नोित न सुखं न परांगितम॥ ( ीम
् भगव गीता:षोडशोऽ याय)
भावाथ : जो पु ष शा विध को यागकर अपनी इ छा से मनमाना आचरण करता है , वह न िस को ा होता है , न परमगित
को और न सुख को ह ॥23॥
योितषशा क अनुशार दख, वप
े ु या मृ य के दाता एवं िनवारण क दे वता शिनदे व ह, यो क शिन य
े
क कम क अनु प य
े े को फल दान करते ह। शा ो क अनुशार माक डे य ऋ ष का जीवन अ यंत अ प था, परं तु
े
महामृ युंजय मं क जप से िशव कृ पा
े ा कर उ ह िचरं जीवी होने का वरदान ा हवा। भगवान िशवजी शिनदे व क
ु े
गु भी ह इस िलए महामृ युंजय मं क जप से शिन से संबंिधत पीडा़ए दर हो जाती ह।
े ू
जो मनु य पूण विध- वधान से महामृ युंजय मं का जप व अनु ान संप न करने म असमथ हो! वह य
संपूण ाण ित त अमो महामृ युंजय कवच व साम ी गु व कायालय ारा बनवा सकते ह।
नोट: य अपने कल
ू ा ण/पुरो हत ारा भी पूण विध- वधान से मं जप व अनु ान संप न करवा सकते ह।
य द आप अनु ान से संबंिधत यं व अ य साम ी ा करना चाहते ह तो गु व कायालय म संपक कर।
अमो महामृ युंजय कवच
अमो महामृ युंजय कवच व उ ले खत अ य साम ीय को शा ो विध- वधान से व ान ा णो ारा
सवा लाख महामृ युंजय मं जप एवं दशांश हवन ारा िनिमत कवच अ यंत भावशाली होता ह।
अमो महामृ युंजय कवच
अमो महामृ युंजय
कवच बनवाने हे तु:
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गो , एक नया फोटो भेजे द णा मा : 10900
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9. 9 मई 2011
क डली से जाने वा
ु य लाभ क योग
े
िचंतन जोशी
सभी य वयं क और अपने वजनो क उ म वा
े े य क कामना करता
है । ले कन हमारा शर र म विभ न कारणो से वा य संबंिधत परे शािनयां समय के
साथ-साथ आती-जाती रहती ह।
?
ले कन य द बमार होने पर वा य म ज द सुधार नह ं होता तो, तरह-
तरह क िचंता और मानिसक तनाव होना साधारण बात ह। क वा य म सुधार
कब आयेगा?, कब उ म वा य लाभ होगा?, वा य लाभ होगा या नह ?, इ या द
ं
उठ खडे हो जाते ह।
मनु य क इसी िचंताको दर करने क िलए हजारो वष पूव भारतीय
ू े
योितषाचाय न कडली क मा यम से
ुं े ात करने क व ा हम दान क ह।
जस क फल व प कसी भी य
े क वा
े य से संबंिधत ो का योितषी गणनाओं क मा यम से सरलता से समाधन
े
कया जासकता ह!
कडली क मा यम से वा
ुं े य से संबंिधत जानकार ा करने हे तु सव थम कडली म रोगी क शी
ुं े वा य
लाभ क योग ह या नह ं यह दे ख लेना अित आव यक ह।
े
आपक मागदशन हे तु यहां वशेष योग से आपको अवगत करवा रहे ह।
े
ल नम थत ह या ल नेश से रोग मु क योग।
े
य द ल न म बलवान ह थत हो तो रोगी को शी वा य लाभ दे ते ह।
कडली म य द ल नेश (ल न का वामी
ुं ह) और दशमेश (दशम भाव का वामी ह) िम हो तो रोगी को शी
वा य लाभ दे ते ह।
कडली म चतुथश (चतुथ भाव का वामी
ुं ह) और स मेश (स म भाव का वामी ह) क बीच िम ता हो तो शी
े
वा य लाभ क योग बनते ह।
े
य द ल नेश (ल न का वामी ह) का च क साथ संबंध हो और च
े शुभ ह से यु या हो या के मे थत
हो तो शी वा य लाभ होता ह।
य द कडली म ल नेश (ल न का वामी
ुं ह) और च शुभ हो से यु या होकर के म थत हो और स मेश
व न हो एवं अ म भाव क वामी
े ह से भाव मु हो तो शी वा य लाभ होता ह।
च मा से रोग मु क योग
े
यदच वरािश या उ च रािश मे बलवान हो कर कसी शुभ ह से यु हो या हो तो रोगी को शी वा य लाभ
होते दे खा गया ह।
10. 10 मई 2011
यद कडली म य द च
ुं चर रािश अथात वभाव रािश म थत हो कर ल न या ल नेश से हो तो शी
वा य लाभ क संभावना बल होती ह।
यदच वरािश से चतुथ या दशम भाव म थत हो तो शी वा य लाभ हो ने क योग बनते ह।
े
कडली म शुभ
ुं हो से च या सूय ल न म, चतुथ या स म भाव म थत हो तो शी वा य लाभ क योग
े
बनते ह।
कडली क मा यम से वा
ुं े य लाभ म वल ब होने क योग दे ख लेना भी आव यक होता ह।
े
वा य लाभ म वलंब होने क योग
े
सधारणतः जातक म ष म भाव व ष ेश से रोग को दे खा जाता ह।
कडली म य द ल नेश और दशमेश क बीच अथवा चतुथश और स मेश
ुं े हो क बीच म श ुता हो तो रोग बढने क
े
संभावनाऎ अिधक होती ह और वा य लाभ म वल ब हो सकता ह।
क डली म य द ष ेश अ मेश अथवा ादशेश क साथ युित या
ु े ी संबंध बनाता हो तो वा य लाभ क संभावना
अिधक कम होती ह और वा य लाभ म वल ब हो सकता ह।
क डली म य द ल न मे च
ु या शु क थत हो तो रोग शी पीछा नह ं छोडता।
क डली म य द ल नेश एवं मंगल क कसी ह भाव म युित हो तो वा
ु य लाभ म वल ब हो सकता ह।
य द ल नेश ादश भाव मे थत हो तो रोगी दे र से रोगमु होने क संभावनाऎ होती ह।
य द ल नेश ष म, अ म भाव मे थत हो और अ मेश के मे थत हो तो रोग शी दर नह ं होते।
ू
यद कडली म वा
ुं य लाभ म वलंब होने क योग बन रहे हो तो िचंितत होने क बजाय शा ो
े े उपाय
इ या द करना लाभदायक िस होता ह। एसी थती म व ानो क मत से महामृ युंजय मं -यं का योग शी
े
रोग मु हे तु रामबाण होता ह।
कडली का अ ययन करते समय यह योग भी दे खले क रोगी को उिचत उपयार ा हो रहा ह या नह ं।
ुं
रोग का उिचत उपचार होने क योग ह या नह ं!
े
क डली म
ु थम, पंचम, स म एवं अ म भाव म पाप ह ह और च मा कमज़ोर या पाप ह से पी ड़त ह तो
रोग का उपचार क ठन हो जाता ह।
यदच मा बलवान हो और 1, 5, 7 एवं 8 भाव म शुभ ह थत ह तो उपचार से रोग का दर होना संभव हो पाता ह।
ू
यद कडली म तृ तीय, ष म, नवम एवं एकादश भाव म शुभ
ुं ह थत ह तो उपचार क बाद ह रोग से मु
े
िमलती ह।
यद कडली म स म भाव म शुभ ह
ुं थत ह और स मांश बलवान ह तो रोग का उपचार संभव होता ह।
यद कडली म चतुथ भाव म शुभ ह
ुं थत से भी ात हो सकता है क रोगी को दवाईय से उिचत लाभ ा होगा
या नह ं।
11. 11 मई 2011
कडली दे खते समय शर र क विभ न अंगो पर हो क भाव एवं बमार य को जानना भी आव यक होता ह।
ुं े े
योितषी िस ांतो क अनुशार कडली क बारह भाव शर र क विभ न अंगो को दशाते है ।
े ुं े े
थम भाव : िसर, म त क, नायु तं .
तीय भाव: चेहरा, गला, कठ, गदन, आंख.
ं
तीसरा भाव : कधे, छाती, फफडे ,
े ास, नसे और बाह.
चतुथ भाव : तन, ऊपर आ , ऊपर पाचन तं
पंचम भाव : दय, र , पीठ, र संचार तं .
ष म भाव : िन न उदर, िन न पाचन तं , आत, अंत डयाँ, कमर, यकृ त.
स म भाव : उदर य गु हका, गुद.
अ म भाव : गु अंग, ावी तं , अंत डयां, मलाशय, मू ाशय और मे द ड.
नवम भाव : जॉघ, िनत ब और धमनी तं .
दशम भाव : घुटने, ह डयां और जोड़.
एकादश भाव : टागे, टखने और ास.
ादश भाव : पैर, लसीका तं और आंख.
े
क डली म रोग से संबंिधत भाव
ु
योितष क अनुसार
े कडली म ल न थान िच क सक भाव होता ह। अतः शुभ ह
ुं कडली क ल न म शुभ
ुं े
हक थती से ात होता ह क रोगी को कसी कशल िच क सक क सलाह ा हो रह ह या होगी।
ु
य द अशुभ ह थत हो तो समझले क रोगी को कसी कशल िच क सक क आव यकता ह।
ु
योितष क अनुसार
े कडली म चतुथ थान उपचार और औषिधय अथात दवाईय का थान ह। चतुथ भाव म
ुं
य द शुभ ह या शुभ ह क या युित हो तो समझे क रोग सामा य उपचार से शी ठ क हो सकता ह।
कडली म छठा एवं सातवां भाव रोग का थान होता ह।
ुं
कडली म दशम भाव रोगी का मानाजाता ह।
ुं
यद कडली म ष म एवं स म भाव पर शुभ ह का भाव हो और ष ेश और स मेश िनबल ह तो वा
ुं य लाभ
धीरे धीरे होने का संकत िमलता ह।
े
नोट: कडली का व ेषण सावधानी से करना उिचत रहता ह। व ानो क अनुशार
ुं े कडली का व ेषण करते समय
ुं
संबंिधत भाव एवं भाव क वामी
े ह अथातः भावेश एवं भाव क कारक
े ह को यान म रखते हए आंकलन कर कया गया
ु
व ेषण प होता ह। कडली का फलादे श करते समय हर छोट छोट बात का
ुं याल रखना आव यक होता ह अ यथा
व ेषण कये गये का उ र टक नह ं होता।
मं िस दलभ साम ी
ु
ह था जोड - Rs- 370 घोडे क नाल- Rs.351 माया जाल- Rs- 251
िसयार िसंगी- Rs- 370 द णावत शंख- Rs- 550 इ जाल- Rs- 251
ब ली नाल- Rs- 370 मोित शंख- Rs- 550 धन वृ हक क सेट Rs-251
12. 12 मई 2011
अंक योितष और वा थ
िचंतन जोशी
मूलांक : अथात ज म ितथी या ज म ता रख
भा यांक: अथात ज म ता रख + माह + वष का जोड = भा यांक
मूलांक-1:ज म दनांक 1,10,19,28
वा यः जब मूलांक 1 वाले य क जीवन म रोग क
े थती आती ह, तो
उनको ती वर, दय रोग, आँख, चम रोग, म त क संबंिध परे शािन, अपच,
ग ठआ, नायु वकार, चोट, कोढ़, आंत क रोग तथा घुटने आ द क िशकायते
े
रहती ह। जन य य का मूलांक 1 होता ह वे कसी ना कसी प म दय
से संबंिध रोग से पी ड़त हो जाते ह। उनक दल क धड़कने और र
े वाह
अिनयिमत हो जाता ह। आँख का दखना एवं
ु ट दोष जैसे रोग होते ह।
उिचत ह आप समय-समय पर अपनी आँख का प र ण करवाते रह।
आहारः कशिमश, स फ, कसर, कालीिमच, ल ग, आजवाईन, जायफल, खजूर,
े
अदरक, जौ, पालक, संतरे , नींब, मोसंबी, गाजर आ द उपयोगी ह।
ू दय रोग के
से बचाव हे तु नमक कम खना चा हये।
सावधानी: आपको जनवर , अ ू बर और दसंबर क मह न म अपने वा
े य क ित सजग रहना चा हए।
े
मूलांक-2: ज म दनांक 2,11,20,29
वा यः मूलांक 2 वाले य क जीवन म रोग क
े थती आती ह, तो उनको
कमजोर , उदर, उ े ग, मानिसक पीड़ा, दघटना, पाचन तं
ु क गड़ब ड़, दय
रोगम संवेदनशीलता, नायु िनबलता, क ज, आंत रोग, मू रोग, गैस, अ सर,
यूमर, पेट म जलन, जी िमचलाना इ या द होने क संभावनाएं अिधक होती ह।
आहारः कला, ककड़ , कलींदा, क हड़ा, प ा गोभी, िसंघाड़ा, सलाद इ याद का सेवन
े ु
लाभदायक रहते ह।
सावधानी: आपको जनवर , फरवर और जुलाई क मह न म वा
े य व खान-पान
आ द म सावधानी बरतना चा हए।
सर वती कवच एवं यं
उ म िश ा एवं व ा ाि क िलये वंसत पंचमी पर दलभ तेज वी मं श
े ु ारा पूण ाण- ित त एवं पूण चैत य
यु सर वती कवच और सर वती यं के योग से सरलता एवं सहजता से मां सर वती क कृ पा ा कर।
मू य:280 से 1450 तक
13. 13 मई 2011
मूलांक-3: ज म दनांक 3,12,21,30
वा यः य को ायः ह डय म दद रहता ह और थकावट सी रहती ह।
अ यिधक प र िम होते ह अतः अित प र म कारण वे थक से रहते ह।
े
नायु तं कमजोर हो जाता ह। मधुमेह, चमरोग, दाद, खाज, शूल, मू रोग,
वीयदोष, मरण श क कमी, बोलने म परे शािन संभव, वचा रोग, दाद,
खुजली, फोड़ा, फसी, तं काओं म तड़फन, सूजन, कोहनी, कलाई, अंगुिलय म दद
ुं
आ द हो सकते ह।
आहारः चेर , ोबेर , सेब, नाशपती, अनार, अनानस, अंगूर, फ दना, गाजर,
ु
चुकदर, पालक एवं करे ले, कसर, जायफल, ल ग, बादाम, अंजीर आ द लाभदायक
ं े
रहते ह।
सावधानी: आपको फरवर , जून, िसंतबर और दसंबर म अपनी सेहत का वशेष प से
याल रखना चा हए।
मूलांक-4:ज म दनांक 4,13,22,31
वा यः य ायः र क कमी से पी ड़त रहते ह। र क कमी से अनेक
रोग हो सकते ह। ऐसे य य को लोहत व यु भोजन करना चा हय। चलने-
फरने तथा ास लेने म क होना, फफड़ो क खराबी, अिन ा,
ै म, िसर म
पीड़ा, र क कमी,भूख क कमी, क ट-शूल, वकृ ित, मू -कृ छ, ह र या, शद ,
पैर का फटना पैर म दद, पैर क अ य बीमा रयां होती ह। गुद से संबंिध
रोग भी हो जाते ह। य मानिसक प से भी अ व थ एवं तनाव त रहता
ह। िसर दद भी पाया जाता ह।
आहारः हर श जीयां, करे ला, नीम, मीठे फल, लौक , ककड़ , खीरा, अंगूर, सेब,
अनानस, तुलसी, कालीिमच, पालक, मेथी, सलाद, याज, एवं ह द उपय गी ह।
नशीली चीज से परहे ज कर तेज मसालेदार भोजन से बच, आपक िलये शाकाहार भोजन अित उ म रहे गा।
े
सावधानी: आपको जनवर , फरवर , जुलाई, अग त व िसतंबर इन पांच मह न म अपने वा य पर वशेष गौर करना चा हए।
भा य ल मी द बी
सुख-शा त-समृ क ाि क िलये भा य ल मी द बी :- ज से धन ि , ववाह योग, यापार
े
वृ , वशीकरण, कोट कचेर क काय, भूत ेत बाधा, मारण, स मोहन, ता
े क बाधा, श ु भय,
चोर भय जेसी अनेक परे शािनयो से र ा होित है और घर मे सुख समृ क ाि होित है , भा य
ल मी द बी मे लघु ी फ़ल, ह तजोड (हाथा जोड ), िसयार िस गी, ब ल नाल, शंख, काली-
सफ़द-लाल गुंजा, इ
े जाल, माय जाल, पाताल तुमड जेसी अनेक दलभ साम ी होती है ।
ु
मू य:- Rs. 910 से Rs. 8200 तक उ ल
गु व कायालय संपक : 91+ 9338213418, 91+ 9238328785
14. 14 मई 2011
मूलांक-5:ज म दनांक 5,14,23
वा यः य ायः सद , जुकाम आ द से पी ड़त रहना पड़ता ह। नवस
ेकडाउन का भी भय बना रहता ह। क ठ रोग, जीभ संबंिध रोग, अिन ा, कधे
ं
म दद, ह डय संबंिध रोग, कान तथा ास या संबंिधत बीमा रयां
परे शान करती ह। दय रोग, मोतीझर, मू रोग, वीय दोष, िमग , नािसका
रोग, ती वर, पागलपन, खाज-खुजली, लकवा, पांव क सूजन, मू छा आना,
नासूर, है जा, मंदा न, गले क रोग तथा
े वचा संबंिधत बीमा रयां हआ करती
ु
ह।
आहारः सेब, कला, चीक, अनार, अनानस, अंगूर, पु दना, गाजर, ना रयल क
े ू
िग र, पालक, िभ ड , बगन, करे ल, तुलसी, बादाम, अंजीर, कसर, अखरोट
े े
लाभदायक रहते ह।
सावधानी: आपको जून, िसंतबर और दसंबर क मह न म अपने वा
े य क बारे म सावधानी बरतना चा हए।
े
मूलांक-6:ज म दनांक 6,15,24
वा यः य फफड़ो क रोग से
े े िसत रहते ह। नाक, कान, गला, आँख,
जीभ, दांत, अंगुली, नाखून, ह ड, वीय संबंिध बीमा रयां हआ करती ह। फफडे ,
ु े
मू छा आना, अजीण, नपुंसकता, वर, ी को मािसक धम संबंिध रोग,
व थल म पीड़ा, दय रोग, वृ ाव था म र वकार संबंिध रोग होते ह।
आहारः तरबूज, खरबूज, आम, सेब, नासपती, अनार, पालक, गाजर, फलगोभी,
ु
इमली, अंजीर, अखरोट, बादाम, गुलकद आ द लाभदायक होते ह।
ं
सावधानी: आपको मई, अ ू बर एवं नवंबर क मह ने अंक ६ क इन मह न म उ ह
े े
सावधानी रखनी चा हए।
मूलांक-7: ज म दनांक 7,16,25
वा यः य को चमरोग घेरे रहते ह। खुजली या दाद होनेक संभावना बनी
रह ह। चम संबंिध िशकायत होती ह रहती ह। आँख, उदर तथा फफड़ से
े
संबंिध बीमा रयां, गु तथा क ठन रोग एवं फोड़े आ द क िशकायते रहती ह।
अ यािधक तनाव, सदै व कसी िचंता म रहते ह, बदहजमी एवं क ज रहती ह,
नींद भी कम आती ह।
आहारः सेब ,अंगूर, संतरा, ककड़ , याज, मूली, गाजर, टमाटर, पालक, इमली
एवं स फ उपयोगी ह।
सावधानी: आपको जनवर -फरवर और जुलाई-अग त क चार मह न म अपने
े
वा य क ित पूण सावधानी रखनी चा हए।
े
15. 15 मई 2011
मूलांक-8: ज म दनांक 8,17,26
वा यः य को जगर से संबंिध रोग लगे रहते ह। य क लीवर
े
कमजोर होन क वजह से अ य अनेक बीमा रयां आकर घेर लेती ह। यसन
से हरदम दर रहना चा हये। दबलता, पेट दद, दं त रोग,
ू ु वचा रोग, पांव तथा
घुटन से संबंिधत बीता रयां, िशरोशूल, प ाशय क रोग, र
े दोष, आँख, कान,
ग ठया, लकवा, जोड़ म दद तथा घाव आ द क िशकायते भी होती रहती ह।
ी को मािसक धम संबंिधत विभ न बमा रयां हो जाती ह।
आहारः संतरा, पपीता, अनानस, नींब, हर स जयां, ककड़ , खीरा, धिनयां,
ू
पु दना, गाजर, लहसुन, याज, पालक, टमाटर, पालक, ईसबगोल, स फ एवं
अजवायन उपयोगी ह।
सावधानी: आपको जनवर , फरवर , जुलाई और दसंबर क मह न म पूण प से सावधान रहने का संकत दया है
े े
मूलांक-9:ज म दनांक 9,18,27
वा यः य चमरोग तथा नासारं से संबंिधत जुकाम आ द रोग से पी ड़त
हो सकते ह। म त क संबंिधत रोग, जनने य संबंिधत रोग, वर, खसरा, मू
रोग, कफ रोग, कण ाव, च कर, र एवं वचा रोग, खाज- खुजली, फोड़े , सूजन,
नासूर, अश तथा वीय संबंिधत वकार होते ह।
आहारः संतरा, अम द, अंगूर, कला, ककड़ , तोरई, मीठे फल, खीरा, पालक,
े
आलू, याज, लहसुन, अदरक उपयोगी ह। ग र भोजन एवं नशीली व तुओं से
परहे ज करना चा हये।
सावधानी: आपको पूरे वष अपनी सेहत का याल रखना चा हए।
या आपक ब चे कसंगती क िशकार ह?
े ु े
या आपक ब चे आपका कहना नह ं मान रहे ह?
े
या आपक ब चे घर म अशांित पैदा कर रहे ह?
े
घर प रवार म शांित एवं ब चे को कसंगती से छडाने हे तु ब चे क नाम से गु
ु ु े व कायालत ारा शा ो विध-
वधान से मं िस ाण- ित त पूण चैत य यु वशीकरण कवच एवं एस.एन. ड बी बनवाले एवं उसे अपने घर
म था पत कर अ प पूजा, विध- वधान से आप वशेष लाभ ा कर सकते ह।
य द आप तो आप मं िस वशीकरण कवच एवं एस.एन. ड बी बनवाना चाहते ह, तो संपक इस कर सकते ह।
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16. 16 मई 2011
योितष ारा रोग िनदान
िचंतन जोशी
म य पुराण क अनुशार दे वताओं और रा स ने जब समु
े मंथन कया था धन तेरस क दन धनवंतर नामक
े
दे वता अमृ त कलश क साथ सागर मंथन से उ प न हए थे। धनवंतर धन, वा थय व आयु क अिधपित दे वता ह। धनवंतर
े ु े
को दे व क वैध व िच क सक क प म जाना जाता ह।
े े
धनवंतर ह सृ ी क सव
े थम िच क सक माने जाते ह। ी
धनवंतर ने ह आयुवद को ित त कया था। उनक बाद म ऋ ष चरक
े
जैसे अनेक आयुवदाचाय हो, गये। ज ह ने मनु य मा क वा
े य क
दे खरे ख क िलए काय कये। इसी कारण
े ाचीन काल म अिधतर य
का व थ उ म रहता था।
यो क ािचन कालम ायः सभी िच क सक आयुवद क साथ-
े
साथ योितष का भी वशेष ान रखते थे। इसी िलए िच क सक बीमार
का पर ण ह क शुभ-अशुभ थित क अनुसार सरलता से कर लेते
े
थे। आज क आधुिनक युग क िच क सक को भी
े े योितष व ा का ान
रखना चा हए जससे वे सरलता से ायः सभी रोगो का िनदान करके
रोगी क उपयु िच क सा करने म पूण तः स म ह सक।
े
योितष क अनुशार हर
े ह और रािश मानव शर र पर अपना वशेष भाव रखते ह, इस िलए उसे जानना भी
अित आव यक ह। सामा यतः ज म कडली म जो रािश अथवा जो
ुं ह छठे , आठव, या बारहव थान से पी ड़त हो
अथवा छठे , आठव, या बारहव थान के वामी हो कर पी ड़त होरहे हो, तो उनसे संबंिधत बीमार क संभावना अिधक
रहती ह। ज म कडली क अनुसार
ुं े येक थान और रािश से मानव शर र क कौन-कौन से अंग
े भा वत होते ह, उनसे
संबंिधत जानकार द जा रह ह।
ज मकडली से रोग िनदान
ुं
योितष शा एवं आयुवद क अनुसार मनु य
े ारा पूव काल म कये गय कम का फल ह य क शर र म विभ न
े
रोग के प म गट होत ह।
ह रत स हं ता क अनुशार:
े
ज मा तर कृ तम ् पापम ् यािध पेण बाधते।
त छा तरौषधैदानजपहोमसुराचनैः॥
अथातः पूव ज म म कया गये पाप कम ह यािध के प म हमारे शर र म उ प न हो कर क कार हो जाता ह।
तथा औषध, दान, जप, होम व दे वपूजा से रोग क शांित होती ह।
17. 17 मई 2011
आयुवद क जानकारो क माने तो कमदोष को ह रोग क उ प
े का कारण माना गया ह।
आयुवद म कम क मु य तीन भेद माने गए ह:
े
एक ह स चत कम
दसरा ह
ू ार ध कम
तीसरा ह यमाण
आयुवद क अनुसार मनु य क संिचत कम ह कम जिनत रोग क
े े े मुख कारण होते ह
जसे य ार ध के प म भोगता ह।
वतमान समय म मनु य के ारा कये जाने वाला कम ह यमाण होता ह।
वतमान काल म अनुिचत आहार- वहार क कारण भी शर र म रोग उ प न हो
े
जाते ह।
आयुवद आचाय सु ु त, चरक व ाचाय क मतानुसार क रोग,
े ु
उदररोग, गुदारोग, उ माद, अप मार, पंगुता, भग दर, मधुमेह( मेह), ी हनता,
अश, प ाघात, दे ह कापना, अ मर , सं हणी, र ाबु द, कान, वाणी दोष इ या द
रोग, पर ीगमन, हम ह या, पर धन हरण, बालक- ी-िनद ष य क ह या
आ द द ु कम के भाव से उ प न होते ह। इस िलये मनु य ारा इस ज म या
पूव ज म म कया गया पापकम ह रोग का कारण होता ह। इस िलये जो य
खान-पान म सयंमी और आचार- वचार म पुर तरह शु ह उ ह भी कभी-कभी गंभीर
रोग का िशकार हो कर क भोगने पडते ह।
ज म कडली से रोग व रोगक समय का
ुं े ान
भारतीय योितषाचाय हजारो वष पूव ह ज म कडली क मा यम से यह
ुं े ात करने म पूण ताः स म थे क
कसी य को कब तथा या बीमार हो सकती ह।
योितषशा ो से ा ान एवं अभीतक हएं नये-नये
ु योितषी शोध क अनुशार ज म यह जानना और भी
े
सरल है क कसी मनु य को कब तथा या बीमार हो सकती है ।
ज म कडली से रोग व रोगक समय का
ुं े ात करने हे तु ज म कडली म
ुं ह क थित, ह गोचर तथा दशा-अ तदशा का
शू म अ ययन अित आव यक होता ह। ज म प का क शू म अ ययन क मा यम से य
े े क ारा पूव ज म म
े
कये गये सभी शुभ-अशुभ कम फल को बताने म स म होती ह जसका फल य इस ज म म भोगता ह।
यदपिचत म य ज मिन शुभाशुभं त य कमण: ाि म ।
ु
यं यती शा मत तमिस या ण द प इव॥
( फिलत मात ड )
18. 18 मई 2011
योितष थ माग म रोग का दो कार से वग करण कया ह। 1 सहज रोग 2 आगंतुक रोग
1 सहज रोग: माग म ज म जात रोग को सहज रोग क वग म रखा गया ह। य
े क अंग ह नता, ज म से
ी हनता, गूंगापन, बहरापन, पागलपन, व ता एवं नपुंसकता आ द रोग सहज रोग होते ह। जो य म ज म से
ह होते ह। सहज रोग का वचार करने हे तु कडली म अ टमेश (अ म भाव का
ुं वामी) तथा आठव भावः म थत,
िनबल ह से कया जाता ह। एसे रोग ाय: द घ कािलक और असा य हो जाते ह।
2 आगंतुक रोग: चोट लगना, अिभचार, महामार , दघटना, श ु
ु ारा आघात आ द य कारण से होने वाले क
तथा वर, र वकार, धातु रोग, उदर वकार, वात- पत-कफ से संबंिधत सम या से होने वाले रोग जो अ य
कारण से होते ह उसे माग म आगंतुक रोग कहे गये ह। आगंतुक रोग का वचार ष ेश (छठे भाव काका वामी
ह), ष म भाव म थत िनबल ह एवं ज म कडली म पाप
ुं हो रा पी ड़त रािश-भाव- ह से कया जाता ह।
ज म कडली से रोग का िनणय करने हे तु कडली म भाव और रािश से संबंिधत शर र क विभ न अंग पर
ुं ुं े हो का
भाव एवं रोग को जानना आव यक ह।
ज म कडली म जो भाव अथवा रािश पाप
ुं ह से पी ड़त हो रह हो और जस रािश का वामी क भाव (अथात
ष म, अ म और ादश भाव) म थत हो उस रािश या भाव संबंिधत अंग रोग से पी ड़त हो जाते ह ।
योितष क अनुशार बारह भाव एवं रािश से संबंिधत शर र क अंग और रोग इस
े े कार ह।
भाव रािश त व शर र का अंग रोग
पहला मेष अ न िसर, म त क, िसर क कश, जीवन
े े म त क रोग, िसर पीडा, च कर आना, िमग , उ माद,
श , गंजापन, वर, गम , म त क वर इ या द।
दसरा
ू वृ ष पृ वी मुख, ने , चेहरा, नाक, दांत, जीभ, ह ठ, मुख क रोग, आंत, ने , दांत, नाक, सं मण, आ द क रोग
े े
ास नली आ द।
तीसरा िमथुन वायु कठ, कण, हाथ, भुजा, क धा,
ं ास नली, खांसी, दमा, गले मे पीड़ा, बाजु मे पीड़ा, कण पीड़ा आ द ।
र नली,
चौथा कक जल छाती, फफड़े , तन, दय, मन, पसिलयाँ,
े दय रोग, ास रोग, मनो वकार, पसिलय का रोग, अ िच
र संचार, आ द।
पांचवा िसंह अ न उदर, जगर, ित ली, कोख, मे द ड, बु , उदर पीडा, अपच, जगर का रोग, पीिलया, बु ह नता,
श , दय, पीठ, मे दं ड, आमाशय, आंत, गभाशय मे वकार आ द।
छठा क या पृ वी कमर, आ त, नािभ, उदर क बाहर भाग,
े द त, आ दोष, हिनया, पथर , अप ड स, कमर मे दद,
ह ड , आंत, मांस दघटनाआ द ।
ु
सातवाँ तुला वायु मू ाशय, गुद, काम, ास या, गुद मे रोग, मू ाशय क रोग, मधुमेह, दर, पथर , मू
े छ
आद ।