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गैस मू य बढ़ाने से सबसे बड़ा लाभ सरकार वा म व वाले ओएनजीसी को होगा,
आरआईएल को नह ं
1. देश म फलहाल रोज़ाना कर ब 80 एमएमएससीएमडी गैस क खपत होती है.
2. इसम कर ब 60 एमएमएससीएमडी या कु ल खपत का कर ब 75 फ सद ओएनजीसी और
ओआईएल बेचते ह. शेष ब बाक अ य कं प नय वारा क जाती है.
3. हाल ह म ओएनजीसी ने अपने व त य म कहा है क गैस क मत म वृ से
ओएनजीसी को त वष 16 हजार करोड़ पए अ धक मलगे.
4. आरआईएल वारा संचा लत के जीडी6 लॉक म वतमान म उ पादन के वल 13
एमएमएससीएमडी है. इस लॉक म आरआईएल का शेयर 60 फ सद है. इस तरह
आरआईएल के उ पादन का ह सा के वल कर ब 8 एमएमएससीएमडी बनता है.
5. इस कार अगर ओएनजीसी को कर ब 55 एमएमएससीएमडी घरेलू गैस म उ पादन के
बाद क मत बढ़ने पर 16 हजार करोड़ यादा मलगे तो के वल 8 एमएमएससीएमडी
उ पादन करने वाले आरआरएल को कस ग णत से 54 हजार का बढ़ा हुआ लाभ मल
सकता है?
6. गैस मू य को 8 डॉलर त एमएमबीट यू करने के बाद आरआईएल को तवष कर ब
2400 करोड़ का राज व मलेगा. इसम से भी आरआईएल को सरकार को टै स और
रॉय ट देनी होती है. शेष रा श भी आरआईएल का लाभ नह ं है य क ईएंडपी से टर
म अपने नवेश के कारण कं पनी को पूर रा श वसूल नह ं हो सक है. आरआईएल और
इसके सहयो गय ने भारत म ईएंडपी से टर म कर ब 12.5 ब लयन डॉलर का नवेश
कया है.
7. इस कार यह कहना क गैस मू य वृ से आरआईएल को त वष 54 हजार करोड़
का लाभ होगा, पूर तरह से नराधार है और यह मा दु चार है.
** एमएमएसडी – म लयन टडड यू बक मीटर त दन
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क मत न बढ़ने से देश को एक लाख 20 हजार करोड़ का नुकसान होगा। िजसका फायदा
सफ वदेशी कं प नय को मलेगा.
1. आज भारत के मूलभूत े म घरेलू गैस का उपभोग इस तरह कया जाता है:
- उवरक – 31 एमएमएससीएमडी
- बजल –24 एमएमएससीएमडी
- कु ल – 55 एमएमएससीएमडी
2. एक बार जब घरेलू गैस का मू य 8 डॉलर त एमएमबीट यू (एनज यू नट) हो जाता है
तो त एमएमबीट यू 4 डॉलर क वृ से मूलभूत े म धन लागत क बढ़ोतर इस
तरह सामने आएगी:
- उवरक – 31 एमएमएससीएमडीअथात त वष 9300 करोड़ पए
- बजल – 24 एमएमएससीएमडीअथात त वष 7200 करोड़ पए
- कु ल – 55 एमएमएससीएमडीअथात त वष 16500 करोड़ पए
3. पर असल म इन े म मांग 55 एमएमएससीएमडी से कह ं यादा है. ऐसा अनुमा नत
है क वष 2015-16 म इन े क मांग 169 एमएमएससीएमडी होगी, जो क न न
कार है:
मांग
(एमएमएससीएमडी) 2015-16
- उवरक 57
- बजल 112
- कु ल 169
4. ओएनजीसी के हाल के बयान के आधार पर कहा जा सकता है क के जी बे सन क
उनक सबसे बड़ी खोज भी 8 डॉलर त एमएमबीट यू पर लाभकार नह ं होगी और
महानद बे सन के कु छ फ स के लए तो 11 डॉलर त एमएमबीट यू भी शायद कम
पड़गे. इस कार अब घरेलू गैस के मू य को नह ं बढ़ाया जाता है तो मौजूदा उ पादन म
भी कोई वृ नह ं होगी और वतमान फ स म गरावट जार रहेगी.
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5. अगर घरेलू गैस उपल ध नह ं होती है तो उवरक और बजल जैसे मूलभूत े को
वैकि पक धन पर नभर रहना होगा. इसका सबसे स ता वक प एलएनजी ( वदेश से
मंगाई गई तरल ाकृ तक गैस) होगा (ले कन अगर एलएनजी भी उपल ध नह ं होती है
तो ने था जैसे और अ धक महंगे वक प का उपयोग करना पड़ेगा). गैस क मांग को
पूरा करने के लए हम न न ल खत एलएनजी वदेश से मंगानी पड़ेगी.
वष 2015-16 म
मांग(एमएमएससीए
मडीम)
घरेलू
आपू तएमएमएससी
एमडी*
एलएनजी आयात
क
ज रत(एमएमएस
सीएमडी म)
- उवरक 57
31 26
- बजल 112
24 88
- कु ल 169
55 114
(*ईएंडपी े म कोई नवेश न होने क सूरत म उ पादन गरावट को नजरअंदाज करते हुए)
6. आज देश म एलएनजी आयात का मू य 14 डॉलर से 19 डॉलर त एमएमबीट यू है.
अगर 14 डॉलर को ह आयात का मू य मान लया जाए तो भी मूलभूत े म गैस क
आपू त के लए आया तत एलएनजी क लागत 1 लाख 20 हजार करोड़ तवष होगी.
7. इस लए, ईएंडपी े म बाज़ार मू य आधा रत यव था के नह ं होने से देश म नवेश
का सह माहौल नह ं बनेगा. देश म इससे सालाना 120,000 करोड़ पए का नुकसान
होगा.
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ऐसा आरोप लगाया जा रहा है क आरआईएल ने भावी मू य वृ से लाभ उठाने के लए
जान-बूझकर उ पादन म कमी क . ऐसा करना तकनीक प से असंभव है.
1. मौजूदा फ ड म उ पादन रोकने के कसी भी यास से भा वत कु ओं म त काल दाब म
असामा य उतार-चढ़ाव ह गे.
2. येक कु आं ऐसे उ च दबाव वाले ेशर कु कर क तरह है जहां तेल और गैस लाख वष
से पक रहे ह. कसी एक कु एं म गैस को रोक तो अगले कु एं के दबाव म तुरंत बदलाव
हो जाएगा.
3. साधारण श द म कह तो य द गैस सं ह त क जा रह है तो उ पादन करने वाले सभी
कुं ओं म दाब एक साथ कम नह ं कया जा सकता य क दाब म कमी इस बात का
प ट संके त है क ेशर कु कर क शि त कम हो रह है.
4. के जी डी6 लॉक के डी1 और डी3 फ स म उ पादन म गरावट जलाशयी ज टलता
और भौगो लक आ चय के कारण है और यह जमाखोर के कारण नह ं हुआ है य क
ऐसा करना तकनीक प से असंभव है.
5. के जी डी6 लॉक के डी1 और डी3 फ ड से उपल ध गैस क मा ा को चेक करने के
लए आरआईएल एक अंतररा य वशेष नयु त करने पर जोर दे रह है. इससे
ि थ त प ट हो जाएगी.
6. सतह के 10,000 फ ट नीचे समु के गभ म कतनी गैस है यह कोई भी पूण नि चतता
से नह ं बता सकता इस लए जलाशयी अचरज इस उ योग म आम बात है. इसके चलते
अनुमा नत और वा त वक उ पादन म अंतर हो जाना कोई अनूठ बात नह ं है. भारत म
और वदेश म भी इसके पया त उदाहरण ह:
i. नीलम े (जहां 130,000 बैरल त दन का संभा वत उ पादन सोचा गया था वहां
उ पादन ारंभ होने के बाद दो ह वष म 30,000 बैरल त दन पर आ गया था)
ii. स म अ ध ह त इंपी रयल ऑइल (जहां 80,000 बैरल त दन संभा वत उ पादन के
मुकाबले वतमान उ पादन के वल 15,000 बैरल त दन है)
iii. के जी बे सन म ओएनजीसी तट य / गहरे पानी वाले नामांकन लॉक (जहां अपे त
उ पादन 16 एमएमएससीएमडी था ले कन कभी भी 6-7 एमएमएससीएमडी से आगे
नह ं जा पाया और अब 3 एमएमएससीएमडी से भी कम रह गया है
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iv. कै बे बे सन म ल मी और गौर े जहां 2 से 3 वष के बाद ह उ पादन म
जबरद त कमी आ गई है
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भारत म गैस उ पादन क लागत 1 डॉलर त एमएमबीट यू कभी भी नह ं हो सकती
1. ओएनजीसी वतमान म गैस के वल भू म-आधा रत और उथले पानी वाले लॉक से ह
उ पादन करता है. ओएनजीसी कोई भी उ पादन गहरे पानी म ि थत लॉक से नह ं हो
रहा है. जानने वाल बात यह है क गहरे पानी वाले लॉक से गैस उ पादन मुि कल ह
नह ं बि क बेहद मंहगा होता है. आरआईएल का गैस उ पादन जो के जी डी6 लॉक से
होता है वो गहरे पानी म ि थत है.
2. ओएनजीसी के चेयरमैन ने हाल ह म कहा था क ओएनजीसी को इन भू म और उथले
पानी वाले लॉक से उ पादन क लागत कर ब 4 डॉलर त एमएमबीट यू आती है. गैस
के वतमान मू य जो क 4.2 डॉलर त एमएमबीट यू है उस पर ओएनजीसी को नह ं के
बराबर लाभ होता है.
3. इसके अलावा, ओएनजीसी के चेयरमैन ने कहा है क वह के जी बे सन म अपने गहरे
पानी वाले लॉक से 4.2 डॉलर त एमएमबीट यू के वतमान मू य पर कसी भी कार
क गैस का उ पादन नह ं कर सकगे. के जी बे सन म ओएनजीसी क ‘व श ट’ गैस खोज
6.7 डॉलर त एमएमबीट यू पर ह यवहाय होगी. इसके अलावा महानद म क गई
उसक कु छ खोज 11 डॉलर त एमएमबीट यू पर ह यवहाय ह गी.
4. यह सवमा य त य है क डीजीएच ने कई गैस खोज को अ वीकार कर दया है य क
वे 4.2 डॉलर त एमएमबीट यू के वतमान गैस मू य पर यवहाय नह ं ह.
5. ओएनजीसी के उपरो त बयान से यह प ट है क गहरे पानी वाले लॉक से गैस के
उ पादन क लागत 1 डॉलर त एमएमबीट यू कभी भी नह ं हो सकती.
6. कु छ न हत वाथ त व वारा यह कहा गया है क के जी डी6 लॉक से उ पादन क
लागत 1 डॉलर त एमएमबीट यू से कम है, िजसम उ ह ने आरआईएल वारा डीजीएच
को लखे गए प का उ लेख कया है;
a. उ पादन क यह क थत लागत कु छ और नह ं बि क वेल हैड और वतरण थल के
बीच क उ पादन प चात क लागत ह जो क 2009-10 म उस वष के लए 0.89
डॉलर त एमएमबीट यू अनुमा नत थीं.
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b. इस आंकड़े का अनुमान नकालना इस लए आव यक था य क रॉय ट का भुगतान
वेल हैड मू य पर कया जाना था िजसे 4.2 डॉलर त एमएमबीट यू के वीकृ त
मू य म से वेल हैड प चात ् क लागत (0.89 डॉलर त एमएमबीट यू) को घटाकर
नकाला जाना था.
c. वेल हैड और वतरण थल के बीच क उ पादन प चात ् लागत उ पादन क कु ल
लागत का एक घटक मा है. उ पादन लागत क गणना के लए वेल हैड और
वतरण थल के बीच क उ पादन लागत (जो उस समय 0.89 डॉलर त
एमएमबीट यू अनुमा नत क गई थी) के अलावा, खोज, मू य नधारण, वकास,
उ पादन एवं रखरखाव म कए जाने वाले तमाम खच को भी साथ म जोड़ना होगा.
उदाहरण के लए; कु एं खोदने क लागत, वक-ओवर खच स हत उ पादन खच और
अ वेषण आ द.
d. इसके अलावा, आरआईएल और उसके भागीदार ने व तीय वष 2014 तक गैर के जी
डी6 लॉक पर लगभग 4 ब लयन डॉलर खच कए ह िजसम छोड़े गए लॉक
( वफल अ वेषण) पर 1.9 ब लयन डॉलर खच कए ह और अ य एनईएलपी लॉक
पर 1.8 ब लयन डॉलर अ त र त खच होने का अनुमान है, जहां अभी भी तलाभ
नि चत नह ं है.
9. Page 9 of 17
जैसा क आरोप है, गैस मू य बढ़ोतर से महंगाई नह ं बढ़ेगी.
गैस मू य म वृ को सनसनीखेज बनाने और देश क अथ यव था और अ य े पर
इसके भाव को न हत वाथ त व ने बहुत बढ़ा-चढ़ाकर बताया है. उनका कहना है क
गैस क क मत बढ़ने से उवरक , बजल , खा य पदाथ और कु कं ग गैस क क मत बढ़गी
िजसका आम आदमी पर बुरा असर पड़ेगा. गैस मू य वृ का इन े पर असर मामूल
होगा और इसे नीचे व ले षत कया गया है:
1. उवरक े –
a. यह तक दया गया है क गैस मू य म बढ़ोतर होने से खा या न क क मत
बढ़ेगी य क उवरक क बढ़ोतर के फल व प कसान खा या न मू य बढ़ाएंगे.
b. हाल के वष म देश म उवरक क क मत म वृ आयात बढ़ने और इसक घरेलू
उ पादन लागत म बढ़ोतर होने के कारण हो रह है.
c. इसके बावजूद सरकार ने कसान के लए उवरक क क मत नह ं बढ़ाई ह और इस
वृ को सि सडी से पूरा कर दया गया है.
d. वतमान म उवरक े कर ब 31 एमएमएससीएमडी गैस का उपयोग करता है. गैस
मू य म वृ के कारण सरकार को 9300 करोड़ क सि सडी देनी होगी, िजसका
भुगतान ओएनजीसी/ओआईएल से मलने वाल अ त र त आय तथा टै स और
रॉय ट से पूरा कया जा सकता है. इससे उवरक के दाम बढ़ाने क ज रत नह ं
पड़ेगी.
e. हाल ह म ओएनजीसी ने कहा है क अ ैल म जब गैस क मत बढ़गी तो इससे त
वष 16 हजार करोड़ क बढ़ हुई आय होगी.
f. इसके अलावा, सरकार को अ य उ पादक और टै स तथा रॉय ट से अ त र त
आय होगी.
g. अथात कु ल मलाकर सरकार का राज व बढ़ेगा. इस कार सरकार बढ़ते राज व से
सि सडी म बढ़ोतर को आसानी से पूरा कर सकती है.
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2. बजल े –
a. देश म गैस आधा रत बजल उ पादन कु ल बजल उ पादन का 5.8 फ सद से भी
कम है. शेष बजल उ पादन कोयले, पन बजल या परमाणु संयं से होता है.
इस लए यह बहुत बढ़ा-चढ़ाकर कहा गया है क गैस मू य क बढ़ोतर से बजल
क दर म बहुत अ धक बढ़ोतर होगी.
3. एलपीजी –
a. देश म खपत होने वाल एलपीजी का मा 12% ह ऐसा है जो गैस से बनाया जाता
है. शेष एलपीजी का उ पादन रफाइनर ज़ म क चे तेल से होता है. इसके अलावा
यह आयात क जाती है.
b. आरआईएल के के जीडी6 लॉक से एलपीजी का उ पादन नह ं कया जा सकता है
य क एलपीजी का उ पादन करने के लए ज र सी3, सी4 ै शन इस कु एं से
नकलने वाल गैस म मौजूद नह ं ह िजससे एलपीजी का उ पादन कया जा सके .
आरआईएल पर इस मामले म इस तरह के आरोप के वल एक दु चार ह.
c. गैस आधा रत एलपीजी का उ पादन मु य प से ओएनजीसी करती है. चूं क
ओएनजीसी अपनी गैस से ह एलपीजी का उ पादन करती है, इस लए इसक
एलपीजी उ पादन क लागत नह ं बढ़ेगी.
4. सीएनजी/ खा य मू य –
a. यह तक दया गया है क गैस क क मत बढ़ने से महंगाई बढ़ेगी य क व तुओं
क ढुलाई क लागत बढ़ जाएगी.
b. इ तेमाल कए जाने वाले सभी वाहन म से सफ 3% ह सीएनजी से चलते ह.
c. वा तव म खा य और अ य ज र सामान को ले जाने वाला कोई भी क सीएनजी
पर नह ं चलता है.
d. उ लेखनीय है क सरकार ने हाल ह म सभी सट गैस वतरण कं प नय क घरेलू
गैस आपू त म बढ़ोतर क है. द ल म आईजीएल, मुंबई म एमजीएल, अहमदाबाद
आ द म गुजरात गैस क सीएनजी क मांग को पूरा करने के लए सरकार ने उ ह
घरेलू गैस उपल ध कराई है.
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e. यह मानते हुए क 4 डॉलर के आधार मू य पर य द ड यूशन, प रवहन और
अ य यय पर 3.5 डॉलर और जोड़ दए जाते ह तब द ल जैसे शहर म कु ल
लागत 7.5 डॉलर त एमएमबीट यू (23 पए त कलो ाम) होती है, जब क
आज सीएनजी 12 डॉलर त एमएमबीट यू (35 पए त कलो ाम) बेची जा रह
है. इस लए खुदरा उपभो ता के लए मू य बढ़ाए बना ह बढ़ हुई लागत को वहन
करना संभव है.
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जब सभी क चा तेल उ पादक ( नजी े स हत) को बाज़़ार मू य मलता है तो गैस
उ पादक को बाज़़ार मू य देने से मना य कया जा रहा है?
1. भारत क अथ यव था वतमान म तेल आधा रत है, य क खपत होने वाले हाइ ोकाबन
म से 75% ह सा तेल का है जब क गैस का ह सा के वल 25% है.
2. भारत ऊजा के मामले म आ म नभर नह ं है और वह अ धकांशत:, वशेषकर हाइ ोकाबन
े म आयात पर नभर है. जहां तेल म आ म नभरता लगभग 23% है, वह ं गैस म
यह वतमान म लगभग 60% है.
3. भारत क आ म नभरता बढ़ाने के लए, सरकार ने ईएंडपी े म तभा गता के लए
नजी े को आमं त कया था. इसके लए सरकार वारा नजी े को ी-
एनईएलपी के मा यम से खोजे गए े तथा एनईएलपी के मा यम से अ वेषण लॉक
क नीलामी का ताव दया गया था.
4. भारत वतमान म गैस क तुलना म तेल का उ पादन अ धक करता है. जब क देश म
तेल का वतमान उ पादन लगभग 38 एमएमट ओई है, ाकृ तक गैस का उ पादन
लगभग 30 एमएमट ओई (उ पादक क आंत रक खपत को शा मल कर) है.
5. तेल और गैस के दोन ह मामल म नजी े का और सावज नक े का उ पादन
लगभग समान है. दोन ह मामल म यह कर ब 25 फ सद है. तेल और गैस क
क मत का असर सरकार क सि सडी पर पड़ता है. वा तव म सरकार डीज़ल, एलपीजी,
के रो सन और पे ोल पर सि सडी देती है, जब क ये सभी तेल से पैदा कए जाते ह. गैस
के मामले म सरकार के वल उवरक पैदा करने वाल गैस को ह सि सडी देती है. वा तव
म गैस से संबं धत सि सडी तेल के मुकाबले 1/5 ह सा ह होती है.
6. दोन का ह उ पादन नजी े वारा सरकार के साथ मलकर समान पीएससी के
अंतगत कया जाता है.
7. तेल और गैस दोन ह रा य संसाधन ह.
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8. तो फर, ऐसा य है क देश म के यन, बीजी, ओएनजीसी, ओआईएल जैसे सभी तेल
उ पादक को उनके उ पादन के लए अंतररा य आयात समता से जुड़े हुए तेल मू य
ा त होते ह जो क वतमान म 18+ डॉलर त एमएमबीट यू से भी अ धक ह. वह ं
सभी तरह के सवाल के वल गैस मू य के संबंध म ह उठाए जा रहे ह. यान देने वाल
बात यह है क गैस के मू य सरकार वारा ऐसे फ़ॉमूला के आधार पर एकतरफा तय
कए गए ह िजनसे घरेलू गैस उ पादक को एलएनजी क आयात समता के 50% से भी
कम मलेगा.
9. यह प ट है क ये सार बात महज दु चार ह.
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एनट पीसी को 2.34 डॉलर त एमएमबीट यू पर गैस देने का कोई अनुबंध नह ं हुआ था
1. वष 2003 म, आरआईएल ने एनट पीसी वारा आयोिजत टडर या म एनट पीसी को
2.34 डॉलर त एमएमबीट यू क बोल लगाई थी.
2. आरआईएल ने उसी समय एनट पीसी को बाज़ार मू य क बोल लगाई थी. वष 2003 म
तेल क मत 25 डॉलर त बैरल थीं (इस लए 2.34 डॉलर त एमएमबीट यू जो क उस
समय के तेल मू य का लगभग 9% था) और एलएनजी के मू य लगभग 3.5 डॉलर
त एमएमबीट यू थे. इस लए बोल उस समय क बाज़ार ि थ तय पर आधा रत थी
और यह फ ड क यावहा रकता या आ थक ि थ त पर आधा रत नह ं थी.
3. एनट पीसी के साथ कोई भी अनुबंध नह ं था के वल बोल लगाई गई थी. वा तव म,
एनट पीसी ने आरआईएल वारा 2.34 डॉलर पर ह ता रत उस अनुबंध को वीकार
नह ं कया िजसके अंतगत आरआईएल उस मू य पर आपू त करने के लए तब थी,
इसके बजाय एनट पीसी कोट चल गई.
4. 2007 म सरकार वारा 4.2 डॉलर क मू य वीकृ त बाज़ार मू य क खोज पर
आधा रत थी. उस समय भी तेल का मू य लगभग 60 डॉलर त बैरल (इस लए 4.2
डॉलर त एमएमबीट यू, उस समय तेल मू य का 8% था) था और भारत म एलएनजी
के मू य 4 से 5 डॉलर त एमएमबीट यू (इस लए 4.2 डॉलर त एमएमबीट यू उस
समय एलएनजी मू य का 80 से 100% था)
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गैस क मत म बढ़ोतर के बावजूद, घरेलू ाकृ तक गैस देश म सबसे स ती बनी रहेगी
त डॉलर एमएमबीट यू म व भ न धन क दर.
धन डॉलर/ त
एमएमबीट यू
आधा रत
1 सि सडाइ ड एलपीजी 12 पए 450 त स लंडर
2 गैर-सि सडाइ ड एलपीजी 33 पए 1134 त स लंडर
3 सीएनजी (नई द ल ) 12 पए 35 त क ा
4 सीएनजी (मुंबई) 13 पए 39 त क ा
5 नै था 24 पए 66000 त टन
6 डीजल (सि सडाइ ड) मुंबई 20 पए 63 त ल टर
7 डीजल (सि सडाइ ड) द ल 18 पए 55 त ल टर
8 यूल आइल 17 पए 44000 त टन
9 के रो सन (सि सडाइ ड) 4.5 पए 15 त ल टर
10 पॉट एलएनजी 19 डॉलर 19 त एमएमबीट यू
11 घरेलू ाकृ तक गैस 8
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सरकार ने और अ धक नवेश यय क अनुम त देकर आरआईएल को 1.2 लाख करोड़ (20
ब लयन डॉलर) का भार लाभ पहुंचाया है. कै ग ने द पणी क है क इस बात के माण ह
क आरआईएल अपने पूंजी यय म गो ड ले टंग कर रह है :
1. नवेश लागत म वृ हुई य क रज स और व तुओं, माल और सेवाओं क क मत म
2003 से 2006 के दौरान अंतररा य तर पर 200 से 300 फ सद क बढ़ोतर हुई
थी.
2. वष 2003 से 2008 के दौरान कै ग ऑ डट म एक बार भी गो ड ले टंग श द का कह ं
उपयोग नह ं कया गया है. इसने इसे अ त र त यय क मा ा नह ं बताई वरन इसने
के वल खर द याओं पर ट प णयां क ह. पीएसी ने कै ग से कहा क यह क थत
अ त र त यय क मा ा बताए, िजस पर क कै ग ने आ व त कया था क यह आगे
के वष के आॉ डट के दौरान ऐसा करेगा. वष 2008 से आगे के वष का ऑ डट
फलहाल चल रहा है.
3. यहां लागत और लाभ म फक करना ज़ र है. अगर कसी ने लागत को फज तर के से
नह ं दखाया गया है तो वे अ या शत लाभ कै से मानी जा सकती है. कसी ने भी
आरआईएल पर एक बार भी ऐसा आरोप नह ं लगाया है. एक फॉर सक ऑ डट से इस
बात क पहले ह पुि ट क गई है क सभी यय वा तव म कए गए थे और इन सभी
खच का भुगतान असंबं धत तीसरे प को कया गया था.
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आरोप है क कु छ मं य को पे ो लयम मं ी के पद से इस लए हटाया गया य क वे
आरआईएल के प म नह ं थे. अब आरआईएल को लाभ पहुंचाने के लए गैस क क मत म
बढ़ोतर क गई है:
1. यह आरोप लगाया जाता है क ी म णशंकर अ यर को पे ो लयम मं ी के पद से
हटाया गया था य क उ ह ने नवेश क लागत बढ़ाने क अनुम त नह ं द थी. यह
सफ दु चार है य क ी म णशंकर अ यर ने जनवर 2006 म मं ालय छोड़ा था
जब क संशो धत वकास योजना को पहल बार 10 माह बाद अ टूबर 2006 म पेश कया
गया था.
2. यह आरोप लगाया जाता है क ी जयपाल रे डी को हटाया गया था य क वे
आरआईएल को गैस क अ धक क मत देने के प म नह ं थे. यह बात त यगत प से
गलत है. ी मोइल नह ं वरन ी जयपाल रे डी ने 31 मई 2012 म डॉ. रंगराजन
स म त क नयुि त का अनुरोध कया था. स म तय क सफा रश पर सीसीईए ने
संशो धत गैस मू य को अनुम त द थी. क मत का संशोधन अ ैल 2014 म कया जाना
है.
3. एक आरोप यह भी है क कां ेस के नेतृ व वाल यूपीए सरकार ने रलायंस इंड ज
ल. को लाभ पहुंचाते हुए गैस क क मत 8.4 डॉलर कर द ं य क इसक नगाह 2014
के आम चुनाव पर है और भाजपा ने भी चु पी साध रखी है य क इसे भी चुनाव के
लए कं प नय से पैसा मलने क उ मीद है. यह आरोप भी लगाया जाता है क गैस
क मत को चुनाव को यान म रखते हुए संशो धत कया गया है.
4. वा त वक त य यह है क गैस क मू य संशोधन या से चुनाव का कोई लेना-देना
नह ं है. क मत म संशोधन चुनाव के कारण नह ं वरन भावी मू य फ़ॉमूले के कारण है,
जो क के वल 1 अ ैल, 2014 तक ह भावी है. एनईएलपी ने ताव क वीकृ त शत
के अनु प इस शत पर अंतररा य बो लयां आमं त क थीं क कां े टस को अपनी
गैस बाज़ार मू य पर नकटवत थान पर बेचने क अनुम त होगी. दोन ह ताव
शत एवं पीएससी 1997 म ग ठत कए गए थे, जब क न तो कां ेस और न ह भाजपा
स ता म थी. त य यह भी है क एफ़आईआर के एक शकायतकता तब मं मंडल य
स चव थे, िज ह ने शत को अपनी वीकृ त द थी, िज ह अब याि वत कया जा रहा
है. वे अब इस फै सले पर कै से सवाल खड़े कर रहे ह, जब क एक मं मंडल य स चव होने
के नाते वे इस फै सले का खुद एक ह सा थे.