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21ST CENTURY LEARNING SKILLS
(4C)
DR. MADHURI KUMARI
ASSISTANT PROFESSOR
DEPT. OF
EDUCATION(M.ED.)
B. N. M. UNIVERSITY
MADHEPURA
•21 व ीं सद क
े कौशल का अर्थ:
1. “21 व ीं सद का कौशल शब्द ज्ञान, कौशल, काम करने क
आदत ीं और चररत्र लक्षण ीं क
े व्यापक समूह है, ज शशक्षक ीं, स्क
ू ल
सुधारक ीं, काींलेज प्र फ
े सर ीं, शनय क्ताओीं और अन्य क
े द्वारा आज क
दुशनया में सफलता क
े शलए गींभ र रूप से महत्वपूणथ माना जाता है।”
2. “ 21व ीं सद क
े कौशल उन कौशल ीं क सींदशभथत करते हैं ज
21व ीं सद ीं क दुशनया क चुनौशतय ीं का सामना करने क
े शलए एक
व्यक्तक्त क
े शलए आवश्यक है ज वैशिक रुप से सशिय, शिशजटल रुप
से पररवतथनश ल, सहय गात्मक रुप से आगे बढ़ रहा है, रचनात्मक
रुप से प्रगशत कर रहा है, सक्षम मानव-सींसाधन क तलाश कर रहा
है और पररवतथन ीं क जल्द से स्व कार कर रहा है।”
• 20व ीं सद से 21 व ीं सद तक बदलाव
1. औद्य शगक अर्थव्यवस्र्ाओीं से ज्ञान आधाररत अर्थव्यवस्र्ाओीं में बदलाव पररवतथन।
2. 21 व ीं सद क
े काम और नागररकता क
े शलए पररष्क
ृ त सींज्ञानात्मक, भावात्मक और
मन सामाशजक प्रदशथन महत्वपूणथ है।
3. नए उच्च िम कौशल क माींग। जैसे:-
• महत्वपूणथ िेटा क सूचना/जानकार क
े अशधभार से अलग करने क
े शलए सींज्ञानात्मक कौशल।
• िेटा हैंिशलींग और शवश्लेषण, पैटनथ शमलान।
• शवशभन्न म शिया और सींचार में शनपुणता।
• ज्ञान का शनमाथण और साक्षा/सहभाजन करना।
• समस्या क जाींच और उसका समाधान।
21व ीं सद क
े शलए कौशल शवकशसत करने क प्रशिया
1. सरल प्रकार क
े कायथ करने क
े तर क
े क
े बारे में मौशलक
ज्ञान पर उच्चिम क
े कौशल का शनमाथण शकया जाता है।
2. इन कौशल ीं क शवकशसत करने क
े शलए हमें पाठ्यिम से
नैत्य सींज्ञानात्मक कौशल स खने क हटाने क आवश्यकता
नह ीं है।
3. इसक
े बजाय, ये नैत्य कौशल एक आधार क
े रुप में उच्च
िम क
े कौशल(जैसे-अशधगम क
े 4C और नवाचार) क
े
शवकशसत करने क
े शलए उपय ग ह सकत है।
4. 4C हमेशा से महत्त्वपूणथ ज वन कौशल रहे हैं, लेशकन 21
व ीं सद में उनक
े कायथ-क्षेत्र और जशटलता में शवस्तार हुआ है।
21व ीं सद क
े कौशल अवयव – 3 L’s
1. Learning Skill (अशधगम कौशल): - इन्हें 4 C कौशल कहा जाता है।
• C ritical Thinking (आल चनात्मक स च/गहर स च)
• C creativity And Innovative (रचनात्मक और नवाचार)
• C communication (सींचार)
• C collaboration (सहय ग/सहकायथता)
2. Literacy Skill (साक्षरता कौशल):- इन्हें IMT कौशल कहा जाता है। इसमें कायथ क
े प्रवाह/गशत क बढ़ाने क
े शलए प्रौद्य शगक
का अनुप्रय ग।
• I information Literacy(सूचना साक्षरता)
• M media Literacy (म शिया साक्षरता)
• T technology Literacy ( प्रौद्य शगक साक्षरताlLL)
3. L ife Skill (ज वन कौशल):- इन्हें FLIPS कौशल कहा जाता है।
• F lexibility(लच लापन)
• L leadership (नेतृत्व)
• I initiative (पहल)
• P productivity (उत्पादकता)
• S social Skills(सामाशजक कौशल)
• 21 व ीं सद क
े अशधगम कौशल: 4C
• नये ज्ञान प्राप्त करने क
े शलए आवश्यक कौशल।
• वह कौशल ज हमें तेज से स खने में मदद करत है। जैसे- क
ु छ ल ग काफ तेज से स खते हैं।
इसक
े पास क
ु छ खास कौशल ह ता है ज उनक
े ज वन में क
ै ररयर शवकल्प क ख ज में
लाभदायक शसद्ध ह ता है।
यह कौशल आधुशनक कायथ वातावरण में अनुक
ू लन और सुधार क
े शलए आवश्यक मानशसक
प्रशियाओीं क
े बारे में छात्र ीं क पढ़ाना।
• बेहतर न अशधगम कौशल वाले ल ग च ज ीं क आसान से स ख जाते है। शजसक
े कारण उन्हें
शकस भ क्षेत्र में आगे बढ़ने में काफ मदद शमलत है।
• जानकार /सूचना का आकलन और शवश्लेषण करना और समस्याओीं का समाधान ख जना।
• 4 C अब तक 21 व ीं सद क
े सबसे ल कशप्रय कौशल हैं।
21 व ीं सद क
े अशधगम कौशल: 4 C
आल चनात्मक स च/ गहर स च
(CRITICAL THINKING)
• शनणथय लेने क
े शलए शकस मुद्दे का उद्देश्य शवश्लेषण और मूल्ाींकन।
• जानकार का शवश्लेषण और व्याख्या करने क क्षमता है।
• इसमें शनणथय लेने और समस्या सुलझाने क क्षमताओीं का उपय ग कर शनष्कषथ शनकालना और
सशिय रूप से समस्या का समाधान ढ़ू ढ़ना शाशमल हैं।
• सह सवाल पूछने और शवशभन्न राय और दृशिक ण क
े शलए उदार-शचत ह ने क आवश्यकता
ह त है।
• बड़ मात्रा में आनेवाल जानकार (ज वचुथअल प्लेटफॉमथ जैसे- इींटरनेट पर उपलब्ध है)
शनकलने/ शफल्टर करने क क्षमता का उपय ग करक
े “शोर से संक
े त” (Signal from
noise) क अलग करना , इसमें शाशमल है।
21व ीं सद क
े अशधगम कौशल: 4 C
रचनात्मक और नवाचार कौशल
(CREATIVITY AND INNOVATION SKILLS)
• यह स्वयीं क
े शवचार उत्पन्न करने, दू सर ीं क
े शवचार ीं क पररष्क
ृ त करने और अलग तरह से
स चने (out of the box thinking) क क्षमता है।
• रचनात्मकता ICT उपकरण ीं का उपय ग करक
े छात्र ीं क
े काम या उनक
े द्वारा बनाई गई
पररय जना/कलाक
ृ शतय ीं से व्यक्त ह त है।
• छात्र ICT उपकरण का उपय ग करक
े पररय जना बना सकते हैं। छात्र ीं द्वारा बनाई गय ीं
पररय जनाओीं /कलाक
ृ शतय ीं में शनम्नशलक्तखत क्षमताओीं का प्रदशथन ह ना चाशहए:-
1. पररय जना क चुनना
2. सींदभथ में लागू करना
3. कारथवाई करना
4. अपने सींदभथ और पयाथवरण में शवकास और अनुप्रय ग क
े शलए शसफाररशें करना।
21व ीं सद क
े अशधगम कौशल: 4 C
सींचार कौशल (COMMUNICATION SKILLS)
• यह शलक्तखत और मौक्तखक द न ीं तरह से ह ता है।
• ब लने, शलखने या शकस अन्य माध्यम का उपय ग करने क जानकार प्रदान करना या आदान-
प्रदान करना।
• 21 व ीं सद में सींचार सरल प्रस्तुशत कौशल (Simple Presentation Skills)से बहुत आगे है।
सींचार कौशल समृद्ध सींरचनाओीं क बातच त और दृशिक ण ीं क प्रस्तुशत पर अशधक ध्यान क
ें शित
करते हैं।
• जटिल संचार- सींचार अप्रत्याशशत रुप से प्रवाह ह ता है; यह आभास सींचार(Virtual
Communication) पर भ ज र देता है।
• छात्र और शशक्षक स खेंगे और अपने काम सींसूशचत कर पाएीं गे और ICT क
े उपय ग क
े माध्यम से
न क
े वल स्क
ू ल ीं क
े भ तर बक्ति बाहर सींस्क
ृ तय ीं में अपने ज्ञान का शवस्तार करेंगे।
• शवचार ीं क सींप्रेशषत करना।
21 व ीं सद क
े अशधगम कौशल: 4 C
सहय ग/ सहकायथता कौशल
(COLLABORATION)
• क
ु छ बनाने क
े शलए शकस क
े सार् काम करने क शिया।
• दू सर ीं क
े सार् काम करना।
• यह क
े वल आमने-सामने बातच त और सहकायथता तक ह स शमत नह ीं है, इसमें अलग-
अलग भौग शलक क्षेत्र(आभास सहय ग)क
े समुदाय क
े साशर्य ीं और ट म क
े सार् अशधक
मध्यस्र्ता बातच त शाशमल है।
• यह सशिय स खने क अनुमशत देता है और शचींतन क ओर ले जाता है।
• शवशभन्न प्रकार क
े म शिया में सहजता और सींचार, गशतशवशधय ीं, अनुभव ीं और अशभव्यक्तक्तय ीं क
े
प्रत्येक प्रकार क महत्व देना इसे सशक्त बनाता है।
• यह शकस एक सवोत्तम स्र त से व्यक्तक्तगत रुप से जानकार का पता लगाने ओर अवश शषत
करने क
े बजाय सामुशहक रुप से ख ज करने, छान-शबन करने और अनुभव ीं क सींश्लेशषत
करने क
े आधार पर अशधगम स खना है।
• अभ्यावेदन क
े गैर-रैक्तखक(non-linear) व सहचयथ जाल ीं (associational webs)क
े
माध्यम से अशभव्यक्त करना (उदाहरण क
े शलए, अपन समझ क व्यक्त करने क
े शलए एक
लेख प्रकाशशत करने क बजाय एक शसमुलेशन या वेवपेज शलखना।)
“आज शशक्षण प्रणाल , शशक्षक व शवद्यार्ी क
े
पारस्पररक सींबींध ीं में पररवतथन लाने क
आवश्यकता है न शक शशक्षक क प्रद्य शगक से
शवस्र्ाशपत करने क । बदलते आधुशनकरण व
वैि करण क देखते हुए शसफ
थ शशक्षण प्रणाल व
शशक्षक –शशष्य क
े सींबींध ीं में बदलाव लाने क
आवश्यकता ह नह ीं अशपतु उन्हें अशधक शमत्रवत
व सौहादथपूणथ बनाने क भ आवश्यकता है।”
धन्यवाद

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  • 1. 21ST CENTURY LEARNING SKILLS (4C) DR. MADHURI KUMARI ASSISTANT PROFESSOR DEPT. OF EDUCATION(M.ED.) B. N. M. UNIVERSITY MADHEPURA
  • 2. •21 व ीं सद क े कौशल का अर्थ: 1. “21 व ीं सद का कौशल शब्द ज्ञान, कौशल, काम करने क आदत ीं और चररत्र लक्षण ीं क े व्यापक समूह है, ज शशक्षक ीं, स्क ू ल सुधारक ीं, काींलेज प्र फ े सर ीं, शनय क्ताओीं और अन्य क े द्वारा आज क दुशनया में सफलता क े शलए गींभ र रूप से महत्वपूणथ माना जाता है।” 2. “ 21व ीं सद क े कौशल उन कौशल ीं क सींदशभथत करते हैं ज 21व ीं सद ीं क दुशनया क चुनौशतय ीं का सामना करने क े शलए एक व्यक्तक्त क े शलए आवश्यक है ज वैशिक रुप से सशिय, शिशजटल रुप से पररवतथनश ल, सहय गात्मक रुप से आगे बढ़ रहा है, रचनात्मक रुप से प्रगशत कर रहा है, सक्षम मानव-सींसाधन क तलाश कर रहा है और पररवतथन ीं क जल्द से स्व कार कर रहा है।”
  • 3. • 20व ीं सद से 21 व ीं सद तक बदलाव 1. औद्य शगक अर्थव्यवस्र्ाओीं से ज्ञान आधाररत अर्थव्यवस्र्ाओीं में बदलाव पररवतथन। 2. 21 व ीं सद क े काम और नागररकता क े शलए पररष्क ृ त सींज्ञानात्मक, भावात्मक और मन सामाशजक प्रदशथन महत्वपूणथ है। 3. नए उच्च िम कौशल क माींग। जैसे:- • महत्वपूणथ िेटा क सूचना/जानकार क े अशधभार से अलग करने क े शलए सींज्ञानात्मक कौशल। • िेटा हैंिशलींग और शवश्लेषण, पैटनथ शमलान। • शवशभन्न म शिया और सींचार में शनपुणता। • ज्ञान का शनमाथण और साक्षा/सहभाजन करना। • समस्या क जाींच और उसका समाधान।
  • 4. 21व ीं सद क े शलए कौशल शवकशसत करने क प्रशिया 1. सरल प्रकार क े कायथ करने क े तर क े क े बारे में मौशलक ज्ञान पर उच्चिम क े कौशल का शनमाथण शकया जाता है। 2. इन कौशल ीं क शवकशसत करने क े शलए हमें पाठ्यिम से नैत्य सींज्ञानात्मक कौशल स खने क हटाने क आवश्यकता नह ीं है। 3. इसक े बजाय, ये नैत्य कौशल एक आधार क े रुप में उच्च िम क े कौशल(जैसे-अशधगम क े 4C और नवाचार) क े शवकशसत करने क े शलए उपय ग ह सकत है। 4. 4C हमेशा से महत्त्वपूणथ ज वन कौशल रहे हैं, लेशकन 21 व ीं सद में उनक े कायथ-क्षेत्र और जशटलता में शवस्तार हुआ है।
  • 5.
  • 6. 21व ीं सद क े कौशल अवयव – 3 L’s 1. Learning Skill (अशधगम कौशल): - इन्हें 4 C कौशल कहा जाता है। • C ritical Thinking (आल चनात्मक स च/गहर स च) • C creativity And Innovative (रचनात्मक और नवाचार) • C communication (सींचार) • C collaboration (सहय ग/सहकायथता) 2. Literacy Skill (साक्षरता कौशल):- इन्हें IMT कौशल कहा जाता है। इसमें कायथ क े प्रवाह/गशत क बढ़ाने क े शलए प्रौद्य शगक का अनुप्रय ग। • I information Literacy(सूचना साक्षरता) • M media Literacy (म शिया साक्षरता) • T technology Literacy ( प्रौद्य शगक साक्षरताlLL) 3. L ife Skill (ज वन कौशल):- इन्हें FLIPS कौशल कहा जाता है। • F lexibility(लच लापन) • L leadership (नेतृत्व) • I initiative (पहल) • P productivity (उत्पादकता) • S social Skills(सामाशजक कौशल)
  • 7.
  • 8.
  • 9. • 21 व ीं सद क े अशधगम कौशल: 4C • नये ज्ञान प्राप्त करने क े शलए आवश्यक कौशल। • वह कौशल ज हमें तेज से स खने में मदद करत है। जैसे- क ु छ ल ग काफ तेज से स खते हैं। इसक े पास क ु छ खास कौशल ह ता है ज उनक े ज वन में क ै ररयर शवकल्प क ख ज में लाभदायक शसद्ध ह ता है। यह कौशल आधुशनक कायथ वातावरण में अनुक ू लन और सुधार क े शलए आवश्यक मानशसक प्रशियाओीं क े बारे में छात्र ीं क पढ़ाना। • बेहतर न अशधगम कौशल वाले ल ग च ज ीं क आसान से स ख जाते है। शजसक े कारण उन्हें शकस भ क्षेत्र में आगे बढ़ने में काफ मदद शमलत है। • जानकार /सूचना का आकलन और शवश्लेषण करना और समस्याओीं का समाधान ख जना। • 4 C अब तक 21 व ीं सद क े सबसे ल कशप्रय कौशल हैं।
  • 10. 21 व ीं सद क े अशधगम कौशल: 4 C आल चनात्मक स च/ गहर स च (CRITICAL THINKING)
  • 11. • शनणथय लेने क े शलए शकस मुद्दे का उद्देश्य शवश्लेषण और मूल्ाींकन। • जानकार का शवश्लेषण और व्याख्या करने क क्षमता है। • इसमें शनणथय लेने और समस्या सुलझाने क क्षमताओीं का उपय ग कर शनष्कषथ शनकालना और सशिय रूप से समस्या का समाधान ढ़ू ढ़ना शाशमल हैं। • सह सवाल पूछने और शवशभन्न राय और दृशिक ण क े शलए उदार-शचत ह ने क आवश्यकता ह त है। • बड़ मात्रा में आनेवाल जानकार (ज वचुथअल प्लेटफॉमथ जैसे- इींटरनेट पर उपलब्ध है) शनकलने/ शफल्टर करने क क्षमता का उपय ग करक े “शोर से संक े त” (Signal from noise) क अलग करना , इसमें शाशमल है।
  • 12.
  • 13. 21व ीं सद क े अशधगम कौशल: 4 C रचनात्मक और नवाचार कौशल (CREATIVITY AND INNOVATION SKILLS)
  • 14. • यह स्वयीं क े शवचार उत्पन्न करने, दू सर ीं क े शवचार ीं क पररष्क ृ त करने और अलग तरह से स चने (out of the box thinking) क क्षमता है। • रचनात्मकता ICT उपकरण ीं का उपय ग करक े छात्र ीं क े काम या उनक े द्वारा बनाई गई पररय जना/कलाक ृ शतय ीं से व्यक्त ह त है। • छात्र ICT उपकरण का उपय ग करक े पररय जना बना सकते हैं। छात्र ीं द्वारा बनाई गय ीं पररय जनाओीं /कलाक ृ शतय ीं में शनम्नशलक्तखत क्षमताओीं का प्रदशथन ह ना चाशहए:- 1. पररय जना क चुनना 2. सींदभथ में लागू करना 3. कारथवाई करना 4. अपने सींदभथ और पयाथवरण में शवकास और अनुप्रय ग क े शलए शसफाररशें करना।
  • 15.
  • 16. 21व ीं सद क े अशधगम कौशल: 4 C सींचार कौशल (COMMUNICATION SKILLS)
  • 17. • यह शलक्तखत और मौक्तखक द न ीं तरह से ह ता है। • ब लने, शलखने या शकस अन्य माध्यम का उपय ग करने क जानकार प्रदान करना या आदान- प्रदान करना। • 21 व ीं सद में सींचार सरल प्रस्तुशत कौशल (Simple Presentation Skills)से बहुत आगे है। सींचार कौशल समृद्ध सींरचनाओीं क बातच त और दृशिक ण ीं क प्रस्तुशत पर अशधक ध्यान क ें शित करते हैं। • जटिल संचार- सींचार अप्रत्याशशत रुप से प्रवाह ह ता है; यह आभास सींचार(Virtual Communication) पर भ ज र देता है। • छात्र और शशक्षक स खेंगे और अपने काम सींसूशचत कर पाएीं गे और ICT क े उपय ग क े माध्यम से न क े वल स्क ू ल ीं क े भ तर बक्ति बाहर सींस्क ृ तय ीं में अपने ज्ञान का शवस्तार करेंगे। • शवचार ीं क सींप्रेशषत करना।
  • 18.
  • 19. 21 व ीं सद क े अशधगम कौशल: 4 C सहय ग/ सहकायथता कौशल (COLLABORATION)
  • 20. • क ु छ बनाने क े शलए शकस क े सार् काम करने क शिया। • दू सर ीं क े सार् काम करना। • यह क े वल आमने-सामने बातच त और सहकायथता तक ह स शमत नह ीं है, इसमें अलग- अलग भौग शलक क्षेत्र(आभास सहय ग)क े समुदाय क े साशर्य ीं और ट म क े सार् अशधक मध्यस्र्ता बातच त शाशमल है। • यह सशिय स खने क अनुमशत देता है और शचींतन क ओर ले जाता है। • शवशभन्न प्रकार क े म शिया में सहजता और सींचार, गशतशवशधय ीं, अनुभव ीं और अशभव्यक्तक्तय ीं क े प्रत्येक प्रकार क महत्व देना इसे सशक्त बनाता है। • यह शकस एक सवोत्तम स्र त से व्यक्तक्तगत रुप से जानकार का पता लगाने ओर अवश शषत करने क े बजाय सामुशहक रुप से ख ज करने, छान-शबन करने और अनुभव ीं क सींश्लेशषत करने क े आधार पर अशधगम स खना है। • अभ्यावेदन क े गैर-रैक्तखक(non-linear) व सहचयथ जाल ीं (associational webs)क े माध्यम से अशभव्यक्त करना (उदाहरण क े शलए, अपन समझ क व्यक्त करने क े शलए एक लेख प्रकाशशत करने क बजाय एक शसमुलेशन या वेवपेज शलखना।)
  • 21.
  • 22.
  • 23.
  • 24. “आज शशक्षण प्रणाल , शशक्षक व शवद्यार्ी क े पारस्पररक सींबींध ीं में पररवतथन लाने क आवश्यकता है न शक शशक्षक क प्रद्य शगक से शवस्र्ाशपत करने क । बदलते आधुशनकरण व वैि करण क देखते हुए शसफ थ शशक्षण प्रणाल व शशक्षक –शशष्य क े सींबींध ीं में बदलाव लाने क आवश्यकता ह नह ीं अशपतु उन्हें अशधक शमत्रवत व सौहादथपूणथ बनाने क भ आवश्यकता है।”

Hinweis der Redaktion

  1. Dr. Madhuri Kumari Assistant Professor Department of Education B. N. M. University, Madhepura