2. शाांतनु
शाांतनु महाभारत क
े एक प्रमुख पात्र हैं।
िे हस्तिनापुर क
े महाराज प्रतीप क
े पुत्र
थे। उनका वििाह गांगा से हुआ था।
देिी गांगा से देिव्रत नाम का पुत्र हुआ।
यही देिव्रत आगे चलकर महाभारत क
े
प्रमुख पात्र भीष्म क
े नाम से जाने गए।
शान्तनु का दू सरा वििाह वनषाद
कन्या सत्यिती से हुआ था।
इस वििाह को कराने क
े वलए ही देिव्रत
ने राजगद्दी पर न बैठने और आजीिन
क
ुँ िारा रहने की भीष्म प्रवतज्ञा की
वजसक
े कारण उनका नाम भीष्म पडा।
सत्यिती
क
े वचत्राांगद और विवचत्रिीयय नामक दो
पुत्र हुए।
3. गांगा
उज्जैन. गांगा ने जन्म देते ही अपने 7 पुत्रोां को नदी में बहा वदया था। इसका कारण एक
ऋवष का श्राप था। आज हम आपको गांगा से जुडी क
ु छ ऐसी रोचक बातें बता रहे हैं, जो बहुत
कम लोग जानते हैं-
राजा शाांतनु की पत्नी बनी गांगा
एक बार हस्तिनापुर क
े राजा शाांतनु वशकार खेलते-खेलते गांगा नदी क
े तट पर आए। यहाां
उन्ोांने एक परम सुदांर स्त्री (िह स्त्री देिी गांगा ही थीां) को देखा। शाांतनु ने उससे प्रणय
वनिेदन वकया। उस स्त्री ने कहा वक मुझे आपकी रानी बनना स्वीकार है, लेवकन मैं तब तक
ही आपक
े साथ रहांगी, जब तक आप मुझे वकसी बात क
े वलए रोक
ें गे नहीां, न ही मुझसे कोई
प्रश्न पूछें गे। ऐसा होने पर मैं तुरांत आपको छोडकर चली जाऊ
ां गी। राजा शाांतनु ने उस सुांदर
स्त्री का बात मान ली और उससे वििाह कर वलया।
इस तरह गांगा ने ककया राजा शाांतनु का अकिय
समय बीतने पर शाांतनु क
े यहाां सात पुत्रोां ने जन्म वलया, लेवकन सभी पुत्रोां को उस स्त्री ने गांगा
नदी में डाल वदया। शाांतनु यह देखकर भी क
ु छ नहीांकर पाएां क्ोांवक उन्ें डर था वक यवद
मैंने इससे इसका कारण पूछा तो यह मुझे छोडकर चली जाएगी। आठिाां पुत्र होने पर जब
िह स्त्री उसे भी गांगा में डालने लगी तो शाांतनु ने उसे रोका और पूछा वक िह यह क्ोां कर
रही है?
उस स्त्री ने बताया वक मैं देिनदी गांगा हां तथा वजन पुत्रोां को मैंने नदी में डाला था िे सभी िसु थे
वजन्ें िवसष्ठ ऋवष ने श्राप वदया था। उन्ें मुक्त करने वलए ही मैंने उन्ें नदी में प्रिावहत वकया।
आपने शतय न मानते हुए मुझे रोका। इसवलए मैं अब जा रही हां। ऐसा कहकर गांगा शाांतनु क
े
आठिें पुत्र को लेकर अपने साथ चली गई।
4. देिव्रत
महाभारत में भीष्म वपतामह सबसे महत्वपूणय पात्रोां में से एक थे। िे हस्तिनापुर क
े महाराज
शाांतनु और देि नदी गांगा की आठिीांसांतान थे। उनका मूल नाम देिव्रत था। गांगा ने जब
शाांतनु से वििाह वकया तो उन्ोांने अपने पवत की सामने एक शतय रखी वक मैं जब भी कोई
काम कर
ां गी तो आप उसमें हिक्षेप नहीांकरेंगे।
शाांतनु ने गांगा से कहा तुम क
ै सी माां हो जो अपने सभी पुत्रोां का िध कर रही हो। इतना सुनकर
गांगा चली जाती हैं लेवकन िे अपने पुत्र देिव्रत को जीवित रखती हैं। 25 सालोां बाद अपने पुत्र
को गांगा शाांतनु को स ांप देती हैं। इधर महाराज शाांतनु सत्यिती क
े प्यार में पड चुक
े होते हैं।
लेवकन अपने पुत्र क
े िापस वमलने क
े बाद िे देिव्रत को हस्तिनापुर का युिराज बनाने की
घोषणा कर देते हैं। सत्यिती को जब ये बात पता चलती है तो िे शाांतनु को उनक
े पुत्र या
अपने में से वकसी एक को चुनने को कहती हैं। शाांतनु अपने बेटे की खुशी चुनते हैं। वजस
कारण उनकी दू री सत्यिती से बड जाती है और िे दुख में जीिन जीने लगते हैं।
देिव्रत से अपने वपता की ऐसी हालत देखी नहीां जाती और िे शाांतनु क
े सारथी से पूरी बात
जान लेते हैं। वजसक
े बाद गांगापुत्र सत्यिती क
े पास जाकर अपने वपता की खुशी माांगते हैं।
लेवकन सत्यिती कह देती हैं वक अगर मैं हस्तिनापुर में रहांगी तो सम्रावगनी बनकर और मेरे
पुत्र ही राजा बनेंगे। इसी शतय पर मैं महाराज शाांतनु से वििाह कर
ां गी। तब देिव्रत अपने
वपता की खुशी क
े वलए प्रवतज्ञा लेते हैं वक महाराज शाांतनु और माता सत्यिती से उत्पन्न पुत्र
ही राज्य का अवधकारी बनेगा और िे खुद आजीिन ब्रह्मचारी रहेंगे। अपना पररिार कभी
वनवमयत नहीां करेंगे। इस भीष्म प्रवतज्ञा क
े कारण ही उनक
े वपता ने उन्ें भीष्म नाम वदया
और साथ ही इच्छामृत्यु का िरदान भी वदया।
5. सत्यिती
सत्यवती महाभारत की एक महत्वपूणय पात्र है। उसका
वििाह हस्तिनापुर नरेश शाांतनु से हुआ। उसका मूल नाम
'मत्स्यगांधा' था। िह ब्रह्मा क
े शाप से मत्स्यभाि को प्राप्त
हुई 'अविका' नाम की अप्सरा क
े गभय से उपररचर िसु द्वारा
उत्पन्न एक कन्या थी।
शाांतनु सत्यवती क
े प्रेम में रहने
लगे। सत्यवती भी राजा से प्रेम करने लगी। एक
वदन शाांतनु ने सत्यवती क
े वपता क
े
समक्ष सत्यवती से कववाह का प्रिाि रखा,
लेवकन सत्यवती क
े वपता ने यह शतय रखी की मेरी पुत्री से
उत्पन्न पुत्र ही हस्तिनापुर का युिराज होकर राजा होगा
तभी में अपनी कन्या का हाथ आपक
े हाथ में दूांगा।
सत्यवती ने बाद में शान्तनु से वििाह वकया, वजनसे
उनक
े दो पुत्र हुए, वजनमें बडा वचत्राांगद तथा छोटा
विवचत्रिीयय था।
6. विवचत्रिीयय
कवकित्रवीयय महाराज शान्तनु और सत्य
िती क
े पुत्र थे। इनक
े बडे भाई का नाम
वचत्राांगद था। वपता शान्तनु की मृत्यु क
े
बाद वचत्राांगद ही राजगद्दी पर बैठे , वक
ां तु
िे अवधक समय तक राज्य नहीां कर
पाये। वचत्राांगद नाम क
े ही एक गन्धिय क
े
हाथोां िे मारे गये। इनक
े बाद विवचत्रिीयय
ही राजगद्दी क
े अवधकारी थे।
विवचत्रिीयय कामी और सुरापेयी था।
उसे राजयक्ष्मा हो गई और िह असमय
में ही मृत्यु को प्राप्त हुआ।
7. अस्तिका
अस्तिका महाभारत में
काशीराज की पुत्री बताई गयी
हैं। अम्बिका की दो और
बहने थीां, बडी बहन अिा
तथा छोटी बहन अिावलका।
अिा, अम्बिका और
अिावलका का स्वयांिर होने
िाला था।
अांवबका ने तो विवचत्रिीयय से
वििाह कर वलया था।
8. अांबाकिका
भीष्म ने अांबा, अांवबका और
अांबावलका का वकया था हरण ।
अिावलका व्यास को देखकर
पीतिणाय हो गई, इससे उसका
पुत्र पाण्डु पीला हुआ।
9. दासी
इस दासी क
े गभय से िेद-िेदाांत में
पारांगत अत्यांत नीवतिान पुत्र उत्पन्न
होगा। ' इतना कहकर िेदव्यास तपस्या
करने चले गए।
अस्तिका से धृतराष्ट्र , अिाकिका से
पाण्डु और दासी से विदुर का जन्म
हुआ।
10. गाांधारी
गाांधारी गाांधार देश क
े 'सुबल' नामक
राजा की कन्या थीां। क्ोांवक
िह गाांधार की राजक
ु मारी थीां, इसीवलए
उनका नाम गाांधारी पडा।
यह हस्तिनापुर क
े महाराज धृतराष्ट्र की
पत्नी और दुयोधन आवद क रिोांकी माता
थीां।
गाांधारी की भगिान वशि में विशेष आस्था
थी, और ये वशि की परम भक्त थीां।
11. धृतराष्ट्र
महाभारत में धृतराष्ट्र हस्तिनापुर क
े
महाराज विवचत्रिीयय की पहली पत्नी
अांवबका क
े पुत्र थे।
उनका जन्म महवषय िेद व्यास क
े िरदान
स्वरप हुआ था। हस्तिनापुर क
े ये
नेत्रहीन महाराज स पुत्रोां और एक पुत्री
क
े वपता थे। उनकी पत्नी का नाम गाांधारी
था।
12. क
ुां ती
क
ुां ती महाभारत में िवणयत पाांडि जो
वक छ: थे, में से बडे चार की माता
थीां। क
ु न्ती पांच-कन्याओां में से एक
हैं वजन्ें वचर-क
ु मारी कहा जाता है।
क
ु न्ती यदुिांशी राजा शूरसेन की
पुत्री , िसुदेि और सुतसुभा की
बडी बहन और भगिान श्रीक
ृ ष्ण
की बुआ थी। नागिांशी महाराज
क
ु स्तन्तभोज ने क
ु न्ती को गोद वलया
था।
13. पाण्डु
महाभारत क
े
अनुसार पाण्डु हस्तिनापुर क
े
महाराज विवचत्रिीयय और
उनकी दू सरी पत्नी
अिावलका क
े पुत्र थे ।
उनका जन्म महवषय िेद व्यास
क
े िरदान स्वरप हुआ था।
िे पाण्डिोां क
े आध्यास्तिक
वपता और धृतराष्ट्र क
े कवनष्ट्
भ्राता थे।
14. मािी
माद्री राजा पाण्डु की दू सरी रानी थी।
उसक
े बेटे नक
ु ल और सहदेि थें। इसक
े
४ स तेले पुत्र थे कणय , युवधवष्ठर , भीमसेन
और अजुयन । मािी मि राज्य की
राजक
ु मारी एिां राजा शल्य की बहन थी।
एक बार मि राज्य ने सांकट क
े समय
राजा पाांडु से युद्ध मे सहायता की माांग
की। राजा पाांडु ने मि देश की सहायता
का वनणयय वकया और उनकी युद्ध मे
सहायता की, उनकी सहायता से मि
देश युद्ध मे विजयी हुआ और मि नरेश
शल्य ने अपनी बहन मािी क
े वििाह का
प्रिाि राजा पाांडु को वदया, राजा पाांडु ने
मािी को अपनी पत्नी क
े रप में स्वीकार
वकया।
15. युकिकिर
युकिकिर धमयराज क
े पुत्र थे। िे
सत्यिावदता एिां धावमयक आचरण
क
े वलए विख्यात हैं।
अनेकानेक धमय सिन्धी प्रश्न एिां
उनक
े उत्तर युकिकिर क
े मुख
से महाभारत में कहलाये गये हैं।
शास्तन्तपिय में सम्पूणय समाजनीवत,
राजनीवत तथा
धमयनीवत युकिकिर और भीष्म क
े
सांिाद क
े रप में प्रिुत की गयी
है।
16. भीम
वहांदु धमय क
े
महाकाव्य महाभारत क
े
अनुसार भीम पाण्डिोां में तीसरे
स्थान पर थे।
िे पिनदेि क
े िरदान स्वरप
क
ु न्ती से उत्पन्न हुए थे, लेवकन
अन्य पाण्डिोां क
े
विपरीत भीम की प्रशांसा पाण्डु
द्वारा की गई थी।
सभी पाण्डिोां में िे सिायवधक
बलशाली और श्रेष्ठ कद-काठी क
े
थे एिां युवधवष्ठर क
े सबसे वप्रय
सहोदर थे।
17. अजुयन
अजुयन महाभारत क
े मुख्य
पात्र हैं।
महाराज पाण्डु एिां रानी
क
ु न्ती क
े िह तीसरा पुत्र और
सबसे अच्छा तीरांदाज था। िो
िोणाचायय का वशष्य था।
जीिन में अनेक अिसरोां पर
उसने इसका पररचय वदया था
ि पदी को स्वयांिर में जीतने
िाला िो ही था।
18. नक
ु ि
महाभारत में नक
ु ि का वचत्रण
एक बहुत ही रपिान, प्रेम युक्त
और बहुत सुांदर व्यस्तक्त क
े रप
में की गई है।
अपनी सुांदरता क
े
कारण नक
ु ि की तुलना काम
और प्रेम क
े देिता, "कामदेि" से
की गई है।
पाांडिो क
े अांवतम और तेरहिें िषय
क
े अज्ञातिास में नक
ु ि ने अपने
रप को क रिोां से वछपाने क
े
वलए अपने शरीर पर धूल लीप
कर वछपाया।
19. सहदेव
सहदेव महाभारत में छ: पाांडिोां
में से एक और सबसे छोटे थे।
िह माता मािी क
े असमान
जुडिा पुत्रोां में से एक थे, वजनका
जन्म देि वचवकत्सक अविनोां क
े
िरदान स्वरप हुआ था।
जब नक
ु ल और सहदेव का जन्म
हुआ था तब यह आकाशिाणी
हुई की, 'शस्तक्त और रप में ये
जुडिा बांधु स्वयां जुडिा अविनोां
से भी बढ़कर होांगे।
20. क
ृ पािायय
क
ृ पािायय सात किरांजीवी में
से एक हैं।
कहा जाता है वक िे इतने बडे
तपस्वी थे वक उन्ें अपने तप
क
े बल पर किरांजीवी रहने का
िरदान वमला था।
िहीां, क
ु छ लोगोां का मानना है
वक उनकी वनष्पक्षता क
े
आधार पर
उन्ें किरांजीवी रहने का
िरदान वमला था।
21. कर्य
कर्य (सावहत्य-
काल) महाभारत (महाकाव्य) क
े
महानायक है।
िेदव्यास द्वारा रवचत महाभारत
कर्य और पाांडिोां क
े जीिन पर क
े स्तित
है|
जीिन अांतत विचार जनक है। कर्य
महाभारत क
े सियश्रेष्ठ धनुधायररयोां में से
एक थे।
कर्य छ: पाांडिोां में सबसे बडे भाई थे ।