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मनुष्य आनन्द की खोज में है
परन्तु मार्ग नहीं जानता।
क्या है परमानन्द का मार्ग  ?
आइये इस रहस्य को जाने
कामना Desire
मनुष्य  कामनाओं को तृप्त करने में लगा है।
समझता है आनन्द कामनाओं को तृप्त करने में है
परन्तु एक कामना की पूर्ति दूसरे कामना को जन्म देती है
मनुष्य फिर  उसकी पूर्ति में  लग जाता है।
पू   र्ण   ता तक पहुँचना दूर होता जाता है
और कामनाओं की सेना बढती जाती है।
यह चक्र चलता रहता है।
अन्त में यह कामना मनुष्य को पंगु दु   र्ब   ल और  नष्टप्राय  कर देती है।
मनुष्य कामना पूर्ति के लिए पाँच इन्द्रियों के द्वारा संसार के सम्पर्क में आता है।
आँखे सुन्दर रुप  -  रंग देखना चाहती है।
जिह्वा स्वादिष्ट भोजन चाहती है
नाक सुगंध सूँघना पसन्द करती है
त्वचा स्पर्श चाहती है
कान अच्छे शब्द सुनना चाहते है।
वेदान्त बह्मचर्य का उपदेश देता है बह्मचर्य का तात्पर्य अपने सभी इन्द्रिय भोगों पर नियंत्रण रखना है
उसका प्रयोजन इन्द्रियों का हनन नहीं है। विषय संसार हमारे भोग के लिए ही है
वेदान्त हमें इस सुख से वंचित नहीं रखता।
सुखोपभोग पर नियंत्रण रखे उनके दास न बन जाये अधिक से अधिक आनन्दमय जीवन के लिए
तुम संसार को भोगो किन्तु स्वंय संसार का भोग्य न बन जाओ
तुम खाना खाओ किन्तु खाना तुम्हें न खा जाये।
तुम पियो किन्तु पेय तुम्हें न पी जाये।
www.vedantijeevan.com [email_address]

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