10. इस बात कि क्या गारंटी है कि जन लोकपाल में भ्रष्टाचार नहीं होगा ?
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15. जन लोकपाल या जन लोकायुक्त के अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल ख़त्म होने के बाद उन्हें कोई सरकारी नियुक्ति करने या चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा सुनिश्चित किया जाएगा कि जन लोकपाल और जन लोकायुक्त किसी प्रलोभन या दबाव में न आने पाएं fdlh ds gkFk dh dBiqryh u cu tk,a
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18. तुलना सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जज मौजूदा सिस्टम प्रस्तावित जन लोकपाल – जनलोक़ायुक्त सिस्टम भारत के मुख्य न्यायाधीश की अनुमति के बिना सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के किसी जज के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज नहीं की जा सकती। ऐसे बहुत कम उदाहरण हैं जब भारत के मुख्य न्यायाधीश ने अपने साथी जजों के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज करने की मंज़ूरी दी हो। जन लोकपाल बिल में जन लोकपाल की पूरी बेंच किसी जज के ख़िलाफ़ मामला दर्ज करने के बारे में फ़ैसला करेगी। भारत के मुख्य न्यायाधीश की मंज़ूरी की कोई ज़रूरत नहीं होगी। इस तरह न्यायपालिक़ा में व्याप्त भ्रष्टाचार से निपटा जा सकेगा।
19. तुलना सज़ा मौजूदा सिस्टम प्रस्तावित जन लोकपाल – जनलोकायुक्त सिस्टम भ्रष्टाचार के मामलों में दोषी पाए जाने पर 6 महीने से लेकर 7 साल तक जेल का प्रावधान। क्या यह पर्याप्त है ? दोषी पाए जाने पर कम से कम एक साल और अधिक से अधिक उम्रक़ैद क़ा प्रावधान सज़ा दोषी अधिक़ारी की रैंक के हिसाब से तय की जाएगी बड़े रैंक के अधिक़ारी को उससे कम रैंक वाले से ज़्यादा सज़ा होगी
20. तुलना सबूत मौजूदा सिस्टम प्रस्तावित जन लोकपाल – जनलोकायुक्त सिस्टम वर्तमान में यदि कोई व्यक्ति सरक़ार से अवैध रूप से कोई लाभ प्राप्त करता है , तो यह साबित करना मुश्किल होता है कि इसमें रिश्वत क़ा लेन - देन हुआ है अगर कोई व्यक्ति नियमों और क़ानूनों से हटकर सरक़ार से कोई लाभ प्राप्त करता है , तो मान लिया जाएगा कि वह व्यक्ति और संबंधित सरकारी अधिक़ारी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं।
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22. तुलना कई भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसियां मौजूदा सिस्टम प्रस्तावित जन लोकपाल – जनलोकायुक्त सिस्टम फिलहाल देश में कई भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसियां क़ाम कर रही हैं। जैसे : CBI, CVC, ACB और ढेर सारे विजिलेंस विभाग भ्रष्ट अधिक़ारियों और राजनीतिज्ञों द्वारा नियंत्रित होने के क़ारण ये सभी एजेंसियां लगभग बेकार हैं केंद्र सरकार के स्तर पर , सीबीआई की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा , केंद्रीय सतर्कता आयोग ( सीवीसी ) और तमाम विभागों की आंतरिक विजिलेंस विंगों क़ा जन लोकपाल में विलय कर दिया जाए इसी तरह राज्य स्तर पर , पुलिस की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा , स्टेट विजिलेंस डिपार्टमेंट और सभी विभागों की विजिलेंस विंगों क़ा विलय उस राज्य के जन लोक़ायुक्त में कर दिया जाए इससे भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ ढेर सारी एजेंसियों के बनने की वजह से होने वाले नुकसान से बचा जा सकेगा
23. लेकिन कुछ लोग कह रहे हैं कि ...... ....... . प्रधानमंत्री को जन लोकपाल के दायरे में नहीं रखा जाना चाहिए ! न्यायापालिक़ा को इसके दायरे से बाहर रखा जाना चाहिए ......... .............. …… .. जन शिक़ायतों से जन लोकपाल का काम बोझिल हो जाएगा , उसे सिर्फ़ भ्रष्टाचार के बड़े मामलों की जांच करनी चाहिए ! ..... जन लोकपाल को उन व्यक्तियों की सुरक्षा क़ा ज़िम्मा नहीं देना चाहिए जो भ्रष्टाचार की पोल खोलते हैं ! सीबीआई , सीवीसी और विभागीय विजिलेंस क़ा लोकपाल में विलय नहीं किया जाना चाहिए .... जन लोकपाल को एक छोटी संस्था भर बना देना चाहिए और मौजूदा भ्रष्टाचार निरोधक संस्थाएं जैसे चल रही हैं , उन्हें वैसे चलते रहने देना चाहिए ……
24. आप क्या सोचते हैं ? कृपया अपनी बात रखिए … … चुप मत बैठिए अपने जनप्रतिनिधि और स्थानीय अख़बारों को पत्र लिखिए , रेडियो स्टेशनों और टीवी चैनलों को बताइए कि आप क्या चाहते हैं ??
25. जन लोकपाल बिल पर हमें अपने सुझाव भेजिए .. ई मेल से : [email_address] पत्र लिखकर : ए -119, प्रथम तल , कौशांबी , ग़ाज़ियाबाद , उत्तर प्रदेश - 201010 जन लोकपाल बिल क़ा मसौदा (2.2 version) आप यहां से डाउनलोड कर सकते हैं : www.indiaagainstcorruption.org इस अभियान से जुड़ने के लिए 022-61550789 पर मिस्ड कॉल करें facebook.com/indiacor twitter.com/janlokpal