4. Baby P was found dead in his blood spattered cot two days after a doctor failed to spot he had a broken back and ribs.
5. He died from a killer punch in the face, swallowing a knocked-out tooth. There were more than 50 injuries including 15 to his mouth.
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8. She had all four limbs broken, fractures to both forearms and both thigh bones, all of these injuries inflicted in the last four weeks of her life.
9. Both of Sanam's thigh bones had been fractured, causing fatty deposits to enter her bloodstream and resulting in her death, and she had fractures to both her arms.
17. Approx. 50 % of physical abuse patients have head or facial injuries.
18. Injuries to the sides of the face, ears, cheeks, and temple area are highly suspicious for abuse.
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23. बाल अपराध के मुख्य चार कारण है- अभावः- अभाव मे स्वभाव बिगडता है। छोटे बच्चो के कोमल दिमाग पर अभाव कि क्रूरता का स्थायी अकन हो जाता है। मात पिता के अभाव स झुझते रहने मे पुरा समय बीत जाता है। बच्चो पर ध्यान देने का उन्हे अवकाश ही नही मिलता ? उनके बच्चे स्कुल नही गलियो मे आवारा गर्दी करते पाये जायेगे। अतिभावः- जीवन मे अभाव अभिशाप है तो अतिभाव भी बहूधा अभिशाप बन जाता है। अतिभाव मे माता-पिता कल्बो, पार्टियो मे, घुमते रहते है बच्चे नोकरो के भरोसे बडे होते है। बच्चे को सभालने को उनके पास समय कहॉ है ? कहने का अर्थ है माता-पिता सीधा सम्पर्क बच्चो के साथ कम रहता है। इसलिये बुराई पनपती है -ड्रिकिग,स्मोकिग दोनो बाते इसमे आ जाती है। हाथ खर्च कि छुट रहती है मम्मी को टाइम नही रहता। वातावरणः- बाल अपराध मे वातावरण कि भुमिका मुख्य है। आज स्कुलो मे वातावरण नशा प्रधान बन गया है दुनिया का किसी भी विश्वविधालय का सर्वे करके देख लिजिये ज्यादातर छात्र स्मोकिग करते पाये गये है। एक दुसरे कि होडा होड कि प्रवति बच्चो मे अधिक होती है और इसी महामारी ने अपराधि मनोवृति का निर्माण किया। नशे से उत्तेजना बढती है और उत्तेजना से व्यक्ति अपराधि बनता है। साहित्य और सिनेमा:- बाल अपराध का चोथा कारण साहित्य और सिनेमा है छोटे बच्चे ओर किशोरो मे मनोरजन प्रियता अधिक होती है । नाटक सिनेमा बडे चाव से देखते है। अश्लिल एवम मारधाड के द्रृश्य देखने मे बडे ही रोमाचित होते है बच्चे। कच्चे दिमाग मे यह बाते यो कि यो जम जाती है। मनोरजन के साथ ये बुराईया सहज ही मिल जाती है। प्रिय बच्चो । कोई मा बाप चाहे खुद कैसे ही हो पर अपने बच्चो को बुरा बनाना नही चाहते है। उसे नेक विनम्र्, अनुशाशित देखना चाहते है। मात पिता अगर सजग हो शिक्षक और समाज ,नेता यदि जागरुक हो तो देश का नृतवर्ग यदि सजग हो तो बाल अपराध रोका जा सकता है। बच्चो आप मे भी बुरी आदते हो तो छोड दे बच्चो मुझे क्षमा करना आज के दिन मेने कुच्छ कठोर कहा।