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हरयाणा का सामाजिक साांस्कृ तिक
पररद्रश्य
SOCIAL SCENRIO OF HARYANA
रणबीर ससांह दहहया
हरयाणा एक कृ षि प्रधान प्रदेश के रूप में िाना िािा है |राज्य के समृद्ध और सुरक्षा
के माहौल में यहााँ के ककसान और मिदूर , महहला और पुरुि ने अपने खून पसीने की
कमाई से नई िकनीकों , नए उपकरणों , नए खाद बीिों व पानी का भरपूर इस्िेमाल
करके खेिी की पैदावार को एक हद िक बढाया , जिसके चलिे हरयाणा के एक िबके
में सम्पन्निा आई मगर हरयाणवी समाि का बडा हहस्सा इसके वाांतिि फल नह ां
प्राप्ि कर सका
यह एक सच्चाई है कक हरयाणा के आर्थिक षवकास के मुकाबले में सामाजिक षवकास
बहुि षपिडा रहा है | ऐसा क्यों हुआ ? यह एक गांभीर सवाल है और अलग से एक
गांभीर बहस कक माांग करिा है |हरयाणा के सामाजिक साांस्कृ तिक क्षेत्र पर शुरू से ह
इन्ह सांपन्न िबकों का गलबा रहा है |यहााँ के काफी लोग फ़ौि में गए और आि भी
हैं मगर उनका हरयाणा में क्या योगदान रहा इसपर ज्यादा ध्यान नह ां गया है | इसी
प्रकार देश के षवभािन के वक्ि िो िबके हरयाणा में आकर बसे उन्होंने हरयाणा कक
दररद्र सांस्कृ ति को कै से प्रभाषवि ककया ; इस पर भी गांभीरिा से सोचा िाना शायद
बाकी है | क्या हरयाणा की सांस्कृ ति महि रोहिक, िीांद व सोनेपि जिलों कक सांस्कृ ति
है? क्या हरयाणवी डायलैक्ट एक भािा का रूप ले ले सकिा है ? महहला षवरोधी,
दसलि षवरोधी िथा प्रगति षवरोधी ित्वों को यहद हरयाणवी सांस्कृ ति से बाहर कर हदया
िाये िो हरयाणवी सांस्कृ ति में स्वस्थ पक्ष क्या बचिा है ? इस पर समीक्षात्मक रुख
अपना कर इसे षवश्लेषिि करने कक आवश्यकिा है | क्या षपिले दस पन्दरा सालों में
और ज्यादा र्चांिािनक पहलू हरयाणा के सामाजिक साांस्कृ तिक माहौल में शासमल नह ां
हुए हैं ? व्यजक्िगि स्िर पर महहलाओां और पुरुिों ने बहुि सार सफलिाएाँ हाांससल की
हैं | समाि के िौर पर १८५७ की आिाद की पहल िांग में सभी वगों ,सभी मिहबों
व सभी िातियों के महहला पुरुिों का सराहनीय योगदान रहा है | इसका असल
इतिहास भी कम लोगों िक पहुाँच सका है |
हमारे हरयाणा के गााँव में पहले भी और कमोबेश आि भी गााँव
की सांस्कृ ति , गााँव की परांपरा , गााँव की इज्िि व शान के नाम
पर बहुि िल प्रपांच रचे गए हैं और वांर्चिों, दसलिों व महहलाओां
के साथ न्याय कक बिाय बहुि ह अन्याय पूणि व्यवहार ककये
िािे रहे हैं |उदाहरण के सलए हरयाणा के गााँव में एक पुराना
िथाकर्थि भाईचारे व सामूहहकिा का हहमायिी ररवाि रहा है
कक िब भी िालाब (िोहड) कक खुदाई का काम होिा िो पूरा
गााँव समलकर इसको करिा था | ररवाि यह रहा है कक गााँव की
हर देहल से एक आदमी िालाब कक खुदाई के सलए िायेगा |
पहले हरयाणा के गावों की िीषवका पशुओां पर आधाररि ज्यादा
रह है |गााँव के कु ि घरों के पास १०० से अर्धक पशु होिे थे |
इन पशुओां का िीवन गााँव के िालाब के साथ असभन्न रूप से
िुदा होिा था | गााँव की बडी आबाद के पास न ज़मीन होिी थी
न पशु होिे थे | अब ऐसे हालि में एक देहल पर िो सौ से
ज्यादा पशु है वह भी अपनी देहल से एक आदमी खुदाई के सलए
भेििा था और बबना ज़मीन व पशु वाला भी अपनी देहल से
एक आदमी भेििा था | वाह ककिनी गौरवशाल और न्यायपूणि
परांपरा थी हमार ? यह िो महि एक उदाहरण है परांपरा में गुांथे
अन्याय को न्याय के रूप में पेश करने का |
महहलाओां के प्रति असमानिा व अन्याय पर आधाररि हमारे र ति ररवाि , हमारे गीि,
चुटकले व हमार परम्पराएाँ आि भी मौिूद हैं | इनमें मौिूद दुभाांि को देख पाने की
दृजटट अभी षवकससि होना बाकी है | लडका पैदा होने पर लडडू बााँटना मगर लडकी के
पैदा होने पर मािम मनाना , लडकी होने पर िच्चा को एक धडी घी और लडका होने
पर दो धडी घी देना, लडके की िठ मनाना, लडके का नाम करण सांस्कार करना,
शमशान घाट में औरि को िाने की मनाह , घूाँघट करना , यहााँ िक कक गााँव कक
चौपाल से घूाँघट करना आहद बहुि से ररवाि हैं िो असमानिा व अन्याय पर हटके हुए
हैं |सामांिी षपिडेपन व सरमायेदार बािार के कु प्रभावों के चलिे महहला पुरुि अनुपाि
र्चांिािनक स्िर िक चला गया है | मगर पढ़े सलखे हरयाणवी भी इनका तनवािह करके
बहुि फखर महसूस करिे हैं | यह के वल महहलाओां की सांख्या कम होने का मामला
नह ां है बजकक सभ्य समाि में इांसानी मूकयों की र्गरावट और पाशषवकिा को दशाििा है
| हरयाणा में षपिले कु ि सालों से यौन अपराध , दूसरे राज्यों से महहलाओां को खर द
के लाना और उनका यौन शोिण िथा बाल षववाह आहद का चलन बढ़ रहा है | सिी,
बाल षववाह अनमेल षववाह के षवरोध में यहााँ बडा साथिक आन्दोलन नह ां चला | स्त्री
सशक्षा पर बाल रहा मगर को एिुके सन का षवरोध ककया गया , जस्त्रयों कक सीसमि
सामाजिक भूसमका की भी हरयाणा में अनदेखी की गयी | उसको अपने पीहर की सांपषि
में से कु ि नह ां हदया िा रहा िबकक इसमें उसका कानूनी हक है | चुन्नी उढ़ा कर
शाद करके ले िाने की बाि चल है | दलाल , भ्रटटाचार और ररश्विखोर से पैसा
कमाने की बढिी प्रवृति चारों िरफ देखी िा सकिी है | यहााँ समाि के बडे हहस्से में
अन्धषवश्वास , भाग्यवाद , िु आिू ि , पुनििन्मवाद , मूतििपूिा , परलोकवाद ,
पाररवाररक दुश्मतनयाां , झूठी आन-बाण के मसले, असमानिा , पलायनवाद , जिसकी
लाठी उसकी भैंस , मूिों के खामखा के सवाल , पररवारवाद ,परिीषविा ,िदथििा आहद
सामांिी षवचारों का गहरा प्रभाव निर आिा है | ये प्रभाव अनपढ़ ह नह ां पढ़े सलखे
लोगों में भी कम नह ां हैं | हरयाणा के मध्यमवगि का षवकास एक अधखबडे मनुटय के
रूप में हुआ |
िथाकर्थि स्वयम्भू पांचायिें नागररक के अर्धकारों का हनन करिी रह हैं और
महहला षवरोधी व दसलि षवरोधी िुगलकी फै सले करिी रहिी हैं और इन्हें
नागररक को मानने पार मिबूर करिी रहिी हैं |रािनीति व प्रशासन मूक
दशिक बने रहिे हैं या चोर दरवािे से इन पांचातियों की मदद करिे रहिे हैं |
यह अध्खाब्दा मध्यम वगि भी कमोबेश इन पांचायिों के सामने घुटने हटका देिा
है | हरयाणा में सवि खाप पांचायिों द्वारा िाति, गोि ,सांस्कृ ति ,मयािदा आहद
के नाम पार महहलाओां के नागररक अर्धकारों के हनन में बहुि िेिी आई है
और अपना सामाजिक वचिस्व बरकरार रखने के सलए िहााँ एक ओर ये
िातिवाद पांचायिें घूाँघट ,मार षपटाई ,शराब,नशा ,सलांग पाथिक्य ,िाति के
आधार पर अपरार्धयों को सांरक्षण देना आहद सबसे षपिडे षवचारों को
प्रोत्साहहि करिी हैं वह ीँ दूसर ओर साम्प्रदातयक िाकिों के साथ समलकर युवा
लडककयों की सामाजिक पहलकदमी और रचनात्मक असभव्यजक्ि को रोकने के
सलए िरह िरह के फिवे िार करिी हैं | िौन्धी ,नयाबाांस की घटनाएाँ िथा
इनमें इन पांचायिों द्वारा ककये गए िासलबानी फैं सले िीिे िागिे उदाहरण हैं
|युवा लडककयाां के वल बाहर ह नह ां बजकक पररवार में भी अपने लोगों द्वारा
यौन-हहांसा और दहेज़ हत्या की सशकार हों रह हैं | ये पांचायिें बडी बेशमी से
बदमाशी करने वालों को बचाने की कोसशश करिी है | अब गााँव की गााँव गोत्र
की गोत्र और सीम के लगिे गााँव के भाईचारे की गुहार लगािे हुए हहन्दू षववाह
कानून १९५५ ए में सांसोधन की बािें की िा रह हैं ,धमककयााँ द िा रह हैं
और िुमािने ककये िा रहे हैं| हरयाणा के र ति ररवािों की िहााँ एक िरफ दुहाई
देकर सांशोधन की माांग उठाई िा रह है वह ीँ हरयाणा की ज्यादिर आबाद के
र ति ररवािों की अनदेखी भी की िा रह है |
गााँव की इज्िि के नाम पर होने वाल िघन्य हत्याओां की हरयाणा
में बढ़ोिर हों रह है | समुदाय , िाति या पररवार की इज्िि बचाने
के नाम पर महहलों को पीट पीट कर मार डाला िािा है , उनकी
हत्या कर द िाति है या उनके साथ बलात्कार ककया िािा है | एक
िरफ िो महहला के साथ वैसे ह इस िरह का व्यवहार ककया िािा है
िैसे उसकी अपनी कोई इज्िि ह न हों , वह ीँ उसे समुदाय की
'इज्िि' मान सलया िािा है और िब समुदाय बेइज्िि होिा है िो
हमले का सबसे पहला तनशाना वाह महहला और उसकी इज्िि ह
बनिी है | अपनी पसांद से शाद करने वाले युवा लडके लडककयों को
इस इज्िि ए नाम पर साविितनक रूप से फाांसी पर लटका हदया
िािा है |
यहााँ के प्रससद्ध सांर्गयों हरदेव , लख्मीचांद ,बािे भगि
,मेहर ससांह ,माांगेराम ,चांदरबाद , धनपि ,खेमचांद व दयाचांद की
रचनाओां का गुणगान िो बहुि ककया गया या हुआ है मगर उनकी
आलोचनात्मक समीक्षा की िानी अभी बाकी है | रागनी कम्पीहटसनों
का दौर एक िरह से काफी कम हुआ है |ऑडडयो कै सेटों की िगह सी
डी लेिी िा रह है जिनकी सार वस्िु में पुनरुत्थान वाद व अांध
उपभोग्िवाद मूकयों का घालमेल साफ निर आिा है | हरयाणा क
लोकगीिों पर भी समीक्षािमक काम कम हुआ है | महहलाओां के दुुःख
ददि का र्चत्रण काफी है | हमारे त्योहारों के अवसर के बेहिर गीिों
की बानगी भी समल िाति है |
गहरे सांकट के दौर हमार धासमिक आस्थाओां को साम्प्रदातयकिा के उन्माद में
बदलकर हमें िाि गोत्र व धमि के ऊपर लडवा कर हमार इांसातनयि के िज्बे
को , हमारे मानवीय मूकयों को षवकृ ि ककया िा रहा है | गऊ हत्या या गौ-रक्षा
के नाम पर हमार भावनाओां से खखलवाड ककया िािा है | दुसलना हत्या काांड
और अलेवा काांड गौ के नाम पर फै लाये िा रहे िहर का ह पररणाम हैं |इसी
धासमिक उन्माद और आर्थिक सांकट के चलिे हर िीसरे मील पर मांहदर हदखाई
देने लगे हैं |राधास्वामी और दूसरे सैक्टों का उभार भी देखने को समलिा है |
साांस्कृ तिक स्िर पर हरयाणा के चार पााँच क्षेत्र है और इनकी अपनी
षवसशटटिाएां हैं |हरेक गााँव में भी अलग अलग वगों व िातियों के लोग रहिे हैं
| िािीय भेदभाव एक ढांग से कम हुए हैं मगर अभी भी गहर िडें िमाये हैं |
आर्थिक असमानिाएां बढ़ रह हैं | सभी सामाजिक व नैतिक बांधन िनावग्रस्ि
होकर टूटने के कगार पर हैं | बेरोिगार बेहिाशा बढ़ है | मिदूर के मौके भी
कम से कमिर होिे िा रहे हैं| मिदूरों का िािीय उत्पीडन भी बढ़ा है |
दसलिों पर अन्याय बढ़ा है वह ीँ उनका अससिन भी बढ़ा है |कुाँ ए अभी भी अलग
अलग हैं |पररवार के षपिृसिात्मक ढाांचे में परिांत्रिा बहुि ह िीखी हों रह है |
पाररवाररक ररश्िे नािे ढहिे िा रहे हैं | मगर इनकी िगह िनिाांबत्रक ढाांचों का
षवकास नह ां हों रहा |िकलाको के के ससि की सांख्या कचहररयों में बढिी िा रह
है | इन सबके चलिे महहलाओां और बच्चों पर काम का बोझ बढ़िा िा रहा है
| मिदूर वगि सबसे ज्यादा आर्थिक सांकट की र्गरफ्ि में है |खेि मिदूरों
,भठ्ठा मिदूरों ,हदहाडी मिदूरों व माईग्रेहटड मिदूरों का िीवन सांकट गहराया
है |लोगों का गााँव से शहर को पलायन बढ़ा है |
कृ षि में मशीनीकरण बढ़ा है | िकनीकवाद का िनषवरोधी स्वरूप ज्यादा उभार कर
आया है | ज़मीन की ढाई एकड िोि पर ८० प्रतिशि के लगभग ककसान पहुाँच गया है
| ट्रैक्टर ने बैल की खेिी को पूर िरह बेदखल कर हदया है| थ्रेशर और हावेस्टर
कम्बाईन ने मिदूर के सांकट को बढाया है |समलि िमीनें खत्म सी हों रह हैं | कब्िे
कर सलए गए या आपस में िमीन वालों ने बााँट ल | अन्न की फसलों का सांकट है |
पानी की समस्या ने षवकराल रूप धारण कर सलया है | नए बीि ,नए उपकरण ,
रासायतनक खाद व कीट नाशक दवाओां के क्षेत्र में बहुराटट्र य कम्पतनयों की दखलांदािी
ने इस सीमान्ि ककसान के सांकट को बहुि बढ़ा हदया है |प्रति एकड फसलों की पैदावार
घट है िबकक इनपुट्स की कीमिें बहुि बढ़ हैं | ककसान का दिि भी बढ़ा है |स्थाई
हालािों से अस्थायी हालािों पर जिन्दा रहने का दौर िेिी से बढ़ रहा है |अन्याय व
अत्याचार बेइन्िहा बढ़ रहे हैं |ककसान वगि के इस हहस्से में उदासीनिा गहरे पैंथ गयी
है और एक तनजटिय पिीवी िीवन , िाश खेल कर बबिाने की प्रवतिि बढ़ है | हाथ से
काम करके खाने की प्रवतिि का पिन हुआ है | साथ ह साथ दारू व सुकफे का चलन
भी बढ़ा है और स्मैक िैसे नशीले पदाथों की खपि बढ़ है | मध्यम वगि के एक हहस्से
के बच्चों ने अपनी मेहनि के दम पर सॉफ्ट वेयर आहद के क्षेत्र में काफी सफलिाएाँ भी
हाांससल की हैं | मगर एक बडे हहस्से में एक बेचैनी भी बखूबी देखी िा सकिी है | कई
िनिाांबत्रक सांगठन इस बेचैनी को सह हदशा देकर िनिा के िनिांत्र की लडाई को
आगे बढ़ाने में प्रयास राि हदखाई देिे हैं |अब समथिन का िाना बाना टूट गया है और
हरयाणा में कृ षि का ढाांचा बैठिा िा रहा है | इस ढाांचे को बचाने के नाम पर िो नई
कृ षि नीति या तनति परोसी िा रह है उसके पूर िरह लागू होने के बाद आने वाले
वक्ि में ग्रामीण आमदनी ,रोिगार और खाद्य सुरक्षा की हालि बहुि भयानक रूप
धारण करने िा रह है और साथ ह साथ बडे हहस्से का उत्पीडन भी सीमायें लाांघिा
िा रहा है, साथ ह इनकी दररद्र्िा बढिी िा रह है | नौिवान सकफास की गोसलयाां
खाकर या फाांसी लगाकर आत्म हत्या को मिबूर हैं |
गााँव के स्िर पर एक खास बाि और षपिले कु ि सालों में उभर है वाह यह
की कु ि लोगों के षप्रषवलेि बढ़ रहे हैं | इस नव धनाड्य वगि का गााँव के
सामाजिक साांस्कृ तिक माहौल पर गलबा है |षपिले सालों के बदलाव के साथ
आई िद्म सम्पन्निा , सुख भ्राजन्ि और नए नायर सम्पन्न िबकों --
परिीषवयों ,मुफिखोरों और कमीशन खोरों -- में गुलिरे उडने की अय्यास
कु सांस्कृ ति िेिी से उभर है | नई नई कारें ,कै ससनो ,पोनोग्राफी ,नाांगी कफ़कमें
,घहटया के सैटें , हरयाणवी पॉप ,साइबर सैक्स ,नशा व फु करापांथी हैं,कथा
वाचकों के प्रवचन ,झूठी हससयि का हदखावा इन िबकों की साांस्कृ तिक दररद्र्िा
को दूर करने के सलए अपनी िगह बनािे िा रहे हैं| िातिवाद व साम्प्रदातयक
षवद्वेि ,युद्ध का उन्माद और स्त्री द्रोह के लिीफे चुटकलों से भरे हास्य कवी
सम्मलेन बडे उभार पर हैं | इन नव धतनकों की आध्याजत्मक कां गाल नए नए
बाबाओां और रांग बबरांगे कथा वाचकों को खीांच लाई है | षवडम्बना है की िबाह
हों रहे िबके भी कु सांस्कृ ति के इस अांध उपभोगिावाद से िद्म िाकि पा रहे
हैं |
दूसर िरफ यहद गौर करेँ िो सेवा क्षेत्र में िांटनी और
अशुरक्षा का आम माहौल बनिा िा रहा है इसके बाविूद कक षवकास दर ठीक
बिाई िा रह है |कई हिार कमिचाररयों के ससर पर िांटनी कक िलवार चल
चुकी है और बाकी कई हिारों के ससर पर लटक रह है | सैंकडों फै क्टररयाां बांद
हों चुकी हैं | बहुि से कारखाने यहााँ से पलायन कर गए हैं | िोटे िोटे
कारोबार चौपट हों रहे हैं | सांगहठि क्षत्र ससकु डिा और षपिडिा िा रहा है |
असांगहठि क्षेत्र का िेिी से षवस्िार हों रहा है | फर दाबाद उिडने कक राह पर
है , सोनीपि सससक रहा है , पानीपि का हथकरघा उद्योग गहरे सांकट में है |
यमुना नगर का बििन उद्योग चचाि में अहहां है ,ससरसा ,हाांसी व रोहिक की
धागा समलें बांद हों गयी | धारूहेडा में भी जस्थलिा साफ हदखाई देिी है |
स्वास््य के क्षेत्र में और सशक्षा के क्षेत्र में बािार
व्यवस्था का लालची व दुटट्कार खेल सबके सामने
अब आना शुरू हो गया है । साविितनक क्षेत्र में साठ
साल में खडे ककये ढाांचों को या िो ध्वस्ि ककया िा
रहा है या कफर कोडडयों के दाम बेचा िा रहा है ।
सशक्षा आम आदमी की पहुाँच से दूर खखसकिी िा रह
है । स्वास््य के क्षेत्र में और भी बुरा हाल हुआ है ।
गर ब मर ि के सलए सभी िरफ से दरवािे बांद होिे
िा रहे हैं । लोगों को इलाि के सलए अपनी िमीनें
बेचनी पद रह हैं । आरोग्य कोि या राजटट्रय बीमा
योिनाएां ऊाँ ट के मुांह में िीरे के समान हैं । उसमें भी
कई सवाल उठ रहे हैं ।
आि के हदन व्यापार धोखाधडी में बदल चुका है । यह हाल हमारे यहााँ की ज्यादािर
रािनैतिक पाहटियों का हो चुका है । आि के हदन हर क्षेत्र में प्रतिस्पधाि ने दुश्मनी का
रूप ले सलया है । हररयाणा में दरअसल सभ्य भािा का षवकास ह नह ां हो पाया है ।
लठ की भािा का प्रचलन बढ़ा है । भ्रम व् अरािकिा का माहौल बढ़ा है । लोग ककसी
भी िरह मुनाफा कमाकर रािों राि करोडपति से अरब पति बनने के सपने देखिे हैं ।
मनुटय की मूकय व्यवस्था ह उसकी षवचारधारा होिी है । मनुटय ककिना ह अपने को
गैर रािनैतिक मानने की कोसशश करे कफर भी वह अपनी जिांदगी में मान मूकयों का
तनवािह करके इस या उस वगि की रािनीति कर रहा होिा है । षवचार धारा का अथि है
कोई समूह ,समाि या मनुटय खुद को अपने चारों ओर की दुतनया को, अपनी
वास्िषवकिा को कै से देखिा है । इस साांस्कृ तिक क्षेत्र के सभन्न सभन्न पहलू हैं । धमि,
पररवार , सशक्षा , प्रचार माध्यम , ससनेमा ट वी ,रेडडयो ,ऑडडयो ,षवडडओ ,अखबार ,
पत्र --पबत्रकाएाँ , अन्य लोकषप्रय साहहत्य , सांस्कृ ति के अन्य लोकषप्रय रूप जिनमें लोक
कलाएां ह नह ां िीवन शैसलयों से लेकर िीि त्यौहार , कमिकाांड , षववाह , मृत्यु भोि
आहद िो हैं ह ; टोन टोटके , मेले ठेले भी शासमल हैं । इतिहास और षवचारधारा की
समाजप्ि की घोिणा करके एक सीमा िक भ्रम अवश्य फै लाया िा सकिा है मगर वगि
सांघिि को समटाया नह ां िा सकिा । यह प्रकृ ति का तनयम भी है और षवज्ञानां सम्मि
भी । इांसान पर तनभिर करिा है कक वह मुठठी भर लोगों के षवलास बहुल िीवन की
झाांककयों को अपना आदशि मानिे हुए स्वप्न लोक के नायक और नातयकाओां के मीठे
मीठे प्रणय गकपों में मिा ले,मानव मानवी की अतनयांबत्रि यौन आकाांक्षाओां को िीवन
की सबसे बडी प्राथसमकिा के रूप में देखें , औरि की देह को िीवन का सबसे सुरक्षक्षि
क्षेत्र बना डालें या अपने और आम िनिा के षवशाल िीवन और उसके षवषवध सांघिों
को आदशि मानकर वैचाररक उिाि प्राप्ि करे । समाि का बडा िबका बेचैन है अपनी
गररमा को कफर से अजििि करने को। कु ि िनवाद सांगठन इस बेचैनी को आवाि देने
व िनिा को वगीय अधरों पर लामबांद करने को प्रयास रि हैं ।
आने वाले समय में गर ब और कमिोर िबकों , दसलिों, युवाओां और खासकर महहलाओां का
अशजक्िकरण िथा इन िबकों का और भी हाससये पर धके ला िाना साफ़ िौर पर उभरकर आ
रहा है। इन िबकों का अपनी िमीां से उखडने ,उिडने व् िबाह होने का दौर शुरू हो चुका है
और आने वाले समय में और िेि होने वाला है । हररयाणा में आि सशक्षक्षि,असशक्षक्षि,और
अधिसशक्षक्षि युवा लडके व लडककयाां मरे मरे घूम रहे हैं । एक िरफ बेरोिगार की मार है और
दूसर िरफ अांध उपभोग की लम्पट सांस्कृ ति का अांधाधुांध प्रचार है । इनके बीच में तघरे ये युवक
युविी लम्पट करण का सशकार िेिी से होिे िा रहे हैं । स्थर्गि रचनात्मक उिाि से भरे युवाओां
को हफ्िा वसूल , नशाखोर , अपराध और दलाल के फलिे फू लिे कारोबार अपनी और खखांच
रहे हैं । बहुि िोटा सा हहस्सा भगि ससांह की षवचार धारा से प्रभाषवि होकर सकारात्मक एिेंडे
पर इन्हें लामबांद करने लगा है । ज्ञान षवज्ञानां आन्दोलन ने भी अपनी िगह बनाई है ।
प्रिािांत्र में षवकास का लक्ष्य सबको समान सुषवधाएाँ और अवसर उपलब्ध करवाना
होिा है । षवकास के षवसभन्न सोपानों को पर करिा हुआ सांसार यहद एक हद िक षवकससि हो
गया है िो तनश्चय ह उसका लाभ बबना ककसी भेदभाव के पूर दुतनया की पूर आबाद को
समलना चाहहए परन्िु आि का यथाथि ह यह है कक एस नह ां हुआ । आि के दौर में िीन
खखलाडी नए उभर कर आये हैं (पहला डब्कयू ट ओ षवश्व व्यापर सांगठन , दूसरा षवश्व बैंक व
िीसरा अांिरािटट्र य मुद्रा कोि ), खुल बािार व्यवस्था के ये हहम्मायिी दुतनया के लए समानिा
की बाि कभी नह ां करिे बजकक सांसार में उपलब्ध महान अवसरों को पहचानने और उनका लाभ
उठाने की बाि करिे हैं , गडबड यह ां से शुरू होने लगिी है । बहुराटट्र य सांस्थाओां का बािार
व्यवस्था पर दबदबा कायम है । आि िोट बडी लगभग 67000
बहुराटट्र य सांस्थाओां की 1,70,000 शाखाएां षवश्व के कोने कोने में फ़ै ल हुई हैं । ये सांस्थाएां
षवसभन्न देशों की रािनैतिक , सामाजिक, साांस्कृ तिक गतिषवर्धयों पर भी हस्िक्षेप करने लगी हैं
। ध्यान देने योग्य बाि है कक इन सबके के न्द्र य कायािलय अमेररका ,पजश्चम यूरोप या िापान
में हैं । इनकी अपनी प्राथसमकिायें हैं । बािार वयवस्था इनका मूल मन्त्र है । हररयाणा को भी
इन कां पतनयों ने अपने कायिक्षेत्र के रूप में चुना है । गुडगााँव एक िीिा िागिा उदाहरन है ।
साइतनांग गुडगााँव िो सबको हदखाई देिा है मगर सफररांग गुडगााँव को देखने को हम िैयार ह
नह ां हैं ।
आि के दौर में बहार से महाबल बहुराटट्र य तनगम और उनका िगमगािा बािार और भीिर से
साांस्कृ तिक फासीवाद िाकिें समाि को अपने अपने िर कों से षवकृ ि कर रह हैं । इस
बािारवाद ,कट्टरवाद की समल भगि िग िाहहर है । इनमें से एक ने हमार लालच ,हमार
सफलिाओां की तनकृ टट इच्िाओां को साविितनक कर हदया है और दुसरे ने हमारे मनुटय होने को
और हमारे आजत्मक िीवन को दूषिि करिे हुए हमें एक ह न मनुटय में िब्द ल कर हदया है ।
यह ख़राब ककया गया मनुटय िगह िगह हदखाई देिा है जिसमें धैयि और सहहटणुिा बहुि कम
है और जिसके सभिर की उग्रिा और आिामकिा दुसरे को पीिे धके ल कर िकद से कु ि झपट
लेने ,लूट लेने और कामयाब होकर खखलखखलाने की बेचैनी को बढ़ा रह हैं । इस समय में
समाि के गर ब नागररकों को अनागररक बनाकर अदृश्य हासशयों की ओर फैं का िा रहा है ।
उनके सलए नए नए रसािल खुलिे िा रहे हैं िबकक समाि का एक िोटा सा मगर िाकिवर
हहस्सा मौि मस्िी का परिीवी िीवन बबिा रहा है । समाि के इस िोटे से हहस्से के अपने
उत्सव मानिे रहिे हैं िो की एक कॉकटेल पाटी की सांस्कृ ति अजख्ियार करिे िा रहे हैं । बाकक
हररयाणवी समाि की िििरिा बढाने के साथ साथ इस िबके के राग रांग बढ़िे हैं क्योंकक सांकट
से बचे रहने का , मुसीबिों को दूर धके लने का िात्कासलक उपाय यह है । यह लोग बािार में
उदारिावाद और सांस्कृ ति में सांकीणििावाद व पुनरूत्थानवाद के समथिक हैं । आिकल प्रचसलि
हररयाणवी सीडडयों में परोसे िा रहे वलगर गीि नाटकों को यह िाकिें बढ़ावा दे रह हैं । असल
में हमारा समाि पाखांडों और झूठों पर हटका हुआ अनैतिक समाि है । इससलए हमें िोर िोर से
नैतिकिा शब्द का उच्चारण करना िरूर लगिा है । वस्िुि हमारे समाि में लाख की चोर
करने वाला यहद न पकडा िाये िो पकडे िाने वाले एक रुपये की चोर करने वाले की िुलना में
महान बना रह सकिा है ।
बडी होसशयार से हमारे मन मजस्िटक पर बािारवाद का स्वप्न चढ़ाया िा रहा है । िमाम ठाठ
बाठ के सपनों में उलझाकर बेखबर में हमें जिधर धके ल िा रहा है हम उधर ह र्धकिे िा रहे
हैं । इसीसलए आि यह प्रश्न अति गांभीर हु उठा है की जिस ग्लोबल षवलेि की चचाि की िा रह
है वह आम आदमी और खासकर गर बों के रहने लायक है भी या नह ां ? अब िबकक टेल षविन
के मध्यम से यह बािार घर घर में प्रवेश कर चुका है िो भारि िैसे कृ षि प्रधान देश में भी यह
टेल षविन बगैर पररश्रम ककये ऐसो आराम परोसने का कम कर रहा है अगर यकीां न हो िो
िरा उन षवज्ञापनों पर ध्यान दें जिसमें अमुक वस्िुओां को खर दने पर कह ां कर िो कह ां सोना ,
कह ां ट वी , िो कह ां और कु ि हदलाने का सपना हदखा वस्िुओां का षविय बढाया िािा है ।
चांद समनटों
में करोडपति बन ने की उम्मीद िगाई िािी हैं । कु ल समलाकर ककस्सा यह
बनिा है कक पररश्रम ,कििव्य , इमानदार इत्याहद को घर के कू डा दान में फैं को
; खर दो खर दो और खर दो और मौि करो ।
रािों राि अमीर के सपने देखिा युवा वगि इस अांधी दौड में िेिी
से शासमल होिा िा रहा है जिसमें सफलिा के सलए कोई भी कीमि िायि हो
सकिी है । धन प्राजप्ि के सलए िायि नािायि कु ि भी ककया िा सकिा है ।
हमें िकद से िकद वो सरे ऐशो आराम एवम मस्िी चाहहए िो ट वी के
द्वारा हदन राि परोसे िा रहे हैं । हमें बहकाया िा रहा है , तनकम्मा बनाया
िा रहा है । अश्ल लिा को मौि मस्िी का पयािय बिा हदनोंहदन हमें अति उप
भोग्िावाद की अांधी गल में धके ल िा रहा है िहााँ से बहार तनकलना बहुि
मुजश्कल होिा है । अधनांगे वस्त्रों का फै शन शो अब महानगरों से तनकल कर
कस्बों व् गााँव िक पहुाँच रहा है । युवा वगि लालातयि हो उनकी नकल करने
की होड में दौड रहा है ।
मकट नेशनल मालामाल हो रहे हैं , भारिीय कार गर भुखमर
की और िा रहे हैं । आि आसामी ससकक, बा लूचेर की कार गर , किकी
पोचमपकल या बोकई के कार गरों को मकट नेशनल के होड में खडा कर हदया
गया है। अब इस गैर बराबर की होड में भारिीय कार गर चाहे वह ककसी भी
क्षेत्र का हो , कै से हटक पायेगा ? इम्पोहटिड चीिों को प्रचाररि कर उन्हें स्टेटस
ससम्बल बनाया िा रहा है और भारिीय कशीदाकार को िबाह ककया िा रहा है
। भारिीय बेहिर काल नों को बाल मिदूर के नाम पर पजश्चमी देश प्रतिबांर्धि
कर रहे हैं िाकक भारिीय वास्िु वहाां के बािार में प्रवेश न कर पाए । मगर
उनकी वस्िुएां हमारे बािार पर ि िाएाँ ।
हमारे भारिीय हुनर के सलए यह मौि का फरमान ह िो है । बािारवाद की
इस होड में मकट नेसनल के सामने हमार कार गर ह नह ां भारिीय
कम्पतनयााँ भी कब िक हटक पाएांगी यह एक अहम् सवाल है। पूरे भारि के
सभी दरवािे उनके सलए खोल हदए गए हैं ।
अब मैकडोनाकड को ह सलया िाये , यह महानगरों िक नह ां
सससमि रहा । अब िो शहर शहर , गल गल में मैकडोनाकड , हमारे बच्चों को
बगिर ,षपज्िा फ्री के उपहार दे कर खाने की आदि डालेगा , ररझाएगा ,
फाँ साएगा िाकक कल को वह पूर , पराांठा , इडल , डोसा भूल िाये और बगिर
ओइज्ि के बगैर रह ह नह ां पाए । आखखर बच्चे ह िो कल का भषवटय हैं
जिसने उनको िीिा उसी की िूिी बोलेगी कल पूरे भारि देश में । पहले िैसे
साम्राज्य स्थाषपि करने के सलए देश षवशेि की सांस्कृ ति , कार गर , हुनर,
व्यवसाय एवां सशक्षा को नटट ककया िािा था िाकक साम्राज्य की पकड देश
षवशेि पर और मिबूि हो । इसी प्रकार आि बािार के सलए देश प्रदेश षवशेि
के हुनर , कार गर , व्यवसाय ,सशक्षा एवां सांस्कृ ति पर ह हमला बोल िा रहा
है और हमारे मीडडया इस मामले में मकट नेसनल की भरपूर सहायिा कर रहे
हैं । हररयाणा में अब गुनध्धा हुआ आट्टा , अांकु ररि मूांग, चना आहद भी
षवदेशी कम्पतनयााँ लाया करेंगी । कू कीि , चाकलेट व् के क हमारे घर की शोभा
होंगे , िलेबी और रसगुकले अिीि की यादगार होंगे । भारिीय कु ट र ऊद्योग
के साथ साथ अन्य कम्पतनयााँ भी मकट नेसनल के पेट में चल िायेंगी ।
सवाल यह है कक क्या बबना ककसी षवचार के इिना अन्याय से भरा
असमानिाओां पर हटका समाि हटका रह सकिा है ? यहद नह ां िो
इसके ठीक उकट षवचार भी अवश्य है िो एक समिा पर हटके
नयायपूणि समाि की पररककपना रखिा है । उस षवचार से निद क
का सम्बन्ध बनाकर ह इस बेहिर समाि के तनमािण में हम अपना
योगदान दे सकिे हैं । इसके बनाने के सब साधन इसी दुतनया में
इसी हररयाणा में मौिूद हैं । िरूरि है उस निर को षवजक्दि करने
की । आि मानविा के विूद को खिरा है । यह इस षवचारधारा का
या उस षवचारधारा का मसला नह ां है । यह एक देश का सवाल नह ां
है यह एक प्रदेश का सवाल नह ां है यह पूर दुतनया का सवाल है ।
जिस रस्िे पर दुतनया अब िा रह है इस रस्िे पर मानविा का
षवनाश तनजश्चि है । हररयाणा के षवकास मॉडल में भी यह साफ़
प्रकट हो रहा है । नव वैश्वीकरण की प्रकिया से षवनाश ह होगा
षवकास नह ां । मगर अब दुतनया यह सब समझ रह है ।
हररयानावासी भी समझ रहे हैं । मानविा अपनी गदिन इस वैश्वीकरण
की कु कहाडी के नीचे नह ां रखेगी । मानविा का जिन्दा रहने का
िज्बा और मनुटय के षवचार की शजक्ि ऐसा होना असांभव कर देगी ।
हररयाणा में नव िागरण ने अपने पााँव रखे हैं । युवा लडके लडककयाां
, दसलि, और महहलाएां इसके अगवा दस्िे होंगे और समाि सुध।र का
काम अपनी प्रगतिशील हदशा अवश्य पकडेगा|

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  • 1. हरयाणा का सामाजिक साांस्कृ तिक पररद्रश्य SOCIAL SCENRIO OF HARYANA रणबीर ससांह दहहया
  • 2. हरयाणा एक कृ षि प्रधान प्रदेश के रूप में िाना िािा है |राज्य के समृद्ध और सुरक्षा के माहौल में यहााँ के ककसान और मिदूर , महहला और पुरुि ने अपने खून पसीने की कमाई से नई िकनीकों , नए उपकरणों , नए खाद बीिों व पानी का भरपूर इस्िेमाल करके खेिी की पैदावार को एक हद िक बढाया , जिसके चलिे हरयाणा के एक िबके में सम्पन्निा आई मगर हरयाणवी समाि का बडा हहस्सा इसके वाांतिि फल नह ां प्राप्ि कर सका यह एक सच्चाई है कक हरयाणा के आर्थिक षवकास के मुकाबले में सामाजिक षवकास बहुि षपिडा रहा है | ऐसा क्यों हुआ ? यह एक गांभीर सवाल है और अलग से एक गांभीर बहस कक माांग करिा है |हरयाणा के सामाजिक साांस्कृ तिक क्षेत्र पर शुरू से ह इन्ह सांपन्न िबकों का गलबा रहा है |यहााँ के काफी लोग फ़ौि में गए और आि भी हैं मगर उनका हरयाणा में क्या योगदान रहा इसपर ज्यादा ध्यान नह ां गया है | इसी प्रकार देश के षवभािन के वक्ि िो िबके हरयाणा में आकर बसे उन्होंने हरयाणा कक दररद्र सांस्कृ ति को कै से प्रभाषवि ककया ; इस पर भी गांभीरिा से सोचा िाना शायद बाकी है | क्या हरयाणा की सांस्कृ ति महि रोहिक, िीांद व सोनेपि जिलों कक सांस्कृ ति है? क्या हरयाणवी डायलैक्ट एक भािा का रूप ले ले सकिा है ? महहला षवरोधी, दसलि षवरोधी िथा प्रगति षवरोधी ित्वों को यहद हरयाणवी सांस्कृ ति से बाहर कर हदया िाये िो हरयाणवी सांस्कृ ति में स्वस्थ पक्ष क्या बचिा है ? इस पर समीक्षात्मक रुख अपना कर इसे षवश्लेषिि करने कक आवश्यकिा है | क्या षपिले दस पन्दरा सालों में और ज्यादा र्चांिािनक पहलू हरयाणा के सामाजिक साांस्कृ तिक माहौल में शासमल नह ां हुए हैं ? व्यजक्िगि स्िर पर महहलाओां और पुरुिों ने बहुि सार सफलिाएाँ हाांससल की हैं | समाि के िौर पर १८५७ की आिाद की पहल िांग में सभी वगों ,सभी मिहबों व सभी िातियों के महहला पुरुिों का सराहनीय योगदान रहा है | इसका असल इतिहास भी कम लोगों िक पहुाँच सका है |
  • 3. हमारे हरयाणा के गााँव में पहले भी और कमोबेश आि भी गााँव की सांस्कृ ति , गााँव की परांपरा , गााँव की इज्िि व शान के नाम पर बहुि िल प्रपांच रचे गए हैं और वांर्चिों, दसलिों व महहलाओां के साथ न्याय कक बिाय बहुि ह अन्याय पूणि व्यवहार ककये िािे रहे हैं |उदाहरण के सलए हरयाणा के गााँव में एक पुराना िथाकर्थि भाईचारे व सामूहहकिा का हहमायिी ररवाि रहा है कक िब भी िालाब (िोहड) कक खुदाई का काम होिा िो पूरा गााँव समलकर इसको करिा था | ररवाि यह रहा है कक गााँव की हर देहल से एक आदमी िालाब कक खुदाई के सलए िायेगा | पहले हरयाणा के गावों की िीषवका पशुओां पर आधाररि ज्यादा रह है |गााँव के कु ि घरों के पास १०० से अर्धक पशु होिे थे | इन पशुओां का िीवन गााँव के िालाब के साथ असभन्न रूप से िुदा होिा था | गााँव की बडी आबाद के पास न ज़मीन होिी थी न पशु होिे थे | अब ऐसे हालि में एक देहल पर िो सौ से ज्यादा पशु है वह भी अपनी देहल से एक आदमी खुदाई के सलए भेििा था और बबना ज़मीन व पशु वाला भी अपनी देहल से एक आदमी भेििा था | वाह ककिनी गौरवशाल और न्यायपूणि परांपरा थी हमार ? यह िो महि एक उदाहरण है परांपरा में गुांथे अन्याय को न्याय के रूप में पेश करने का |
  • 4. महहलाओां के प्रति असमानिा व अन्याय पर आधाररि हमारे र ति ररवाि , हमारे गीि, चुटकले व हमार परम्पराएाँ आि भी मौिूद हैं | इनमें मौिूद दुभाांि को देख पाने की दृजटट अभी षवकससि होना बाकी है | लडका पैदा होने पर लडडू बााँटना मगर लडकी के पैदा होने पर मािम मनाना , लडकी होने पर िच्चा को एक धडी घी और लडका होने पर दो धडी घी देना, लडके की िठ मनाना, लडके का नाम करण सांस्कार करना, शमशान घाट में औरि को िाने की मनाह , घूाँघट करना , यहााँ िक कक गााँव कक चौपाल से घूाँघट करना आहद बहुि से ररवाि हैं िो असमानिा व अन्याय पर हटके हुए हैं |सामांिी षपिडेपन व सरमायेदार बािार के कु प्रभावों के चलिे महहला पुरुि अनुपाि र्चांिािनक स्िर िक चला गया है | मगर पढ़े सलखे हरयाणवी भी इनका तनवािह करके बहुि फखर महसूस करिे हैं | यह के वल महहलाओां की सांख्या कम होने का मामला नह ां है बजकक सभ्य समाि में इांसानी मूकयों की र्गरावट और पाशषवकिा को दशाििा है | हरयाणा में षपिले कु ि सालों से यौन अपराध , दूसरे राज्यों से महहलाओां को खर द के लाना और उनका यौन शोिण िथा बाल षववाह आहद का चलन बढ़ रहा है | सिी, बाल षववाह अनमेल षववाह के षवरोध में यहााँ बडा साथिक आन्दोलन नह ां चला | स्त्री सशक्षा पर बाल रहा मगर को एिुके सन का षवरोध ककया गया , जस्त्रयों कक सीसमि सामाजिक भूसमका की भी हरयाणा में अनदेखी की गयी | उसको अपने पीहर की सांपषि में से कु ि नह ां हदया िा रहा िबकक इसमें उसका कानूनी हक है | चुन्नी उढ़ा कर शाद करके ले िाने की बाि चल है | दलाल , भ्रटटाचार और ररश्विखोर से पैसा कमाने की बढिी प्रवृति चारों िरफ देखी िा सकिी है | यहााँ समाि के बडे हहस्से में अन्धषवश्वास , भाग्यवाद , िु आिू ि , पुनििन्मवाद , मूतििपूिा , परलोकवाद , पाररवाररक दुश्मतनयाां , झूठी आन-बाण के मसले, असमानिा , पलायनवाद , जिसकी लाठी उसकी भैंस , मूिों के खामखा के सवाल , पररवारवाद ,परिीषविा ,िदथििा आहद सामांिी षवचारों का गहरा प्रभाव निर आिा है | ये प्रभाव अनपढ़ ह नह ां पढ़े सलखे लोगों में भी कम नह ां हैं | हरयाणा के मध्यमवगि का षवकास एक अधखबडे मनुटय के रूप में हुआ |
  • 5. िथाकर्थि स्वयम्भू पांचायिें नागररक के अर्धकारों का हनन करिी रह हैं और महहला षवरोधी व दसलि षवरोधी िुगलकी फै सले करिी रहिी हैं और इन्हें नागररक को मानने पार मिबूर करिी रहिी हैं |रािनीति व प्रशासन मूक दशिक बने रहिे हैं या चोर दरवािे से इन पांचातियों की मदद करिे रहिे हैं | यह अध्खाब्दा मध्यम वगि भी कमोबेश इन पांचायिों के सामने घुटने हटका देिा है | हरयाणा में सवि खाप पांचायिों द्वारा िाति, गोि ,सांस्कृ ति ,मयािदा आहद के नाम पार महहलाओां के नागररक अर्धकारों के हनन में बहुि िेिी आई है और अपना सामाजिक वचिस्व बरकरार रखने के सलए िहााँ एक ओर ये िातिवाद पांचायिें घूाँघट ,मार षपटाई ,शराब,नशा ,सलांग पाथिक्य ,िाति के आधार पर अपरार्धयों को सांरक्षण देना आहद सबसे षपिडे षवचारों को प्रोत्साहहि करिी हैं वह ीँ दूसर ओर साम्प्रदातयक िाकिों के साथ समलकर युवा लडककयों की सामाजिक पहलकदमी और रचनात्मक असभव्यजक्ि को रोकने के सलए िरह िरह के फिवे िार करिी हैं | िौन्धी ,नयाबाांस की घटनाएाँ िथा इनमें इन पांचायिों द्वारा ककये गए िासलबानी फैं सले िीिे िागिे उदाहरण हैं |युवा लडककयाां के वल बाहर ह नह ां बजकक पररवार में भी अपने लोगों द्वारा यौन-हहांसा और दहेज़ हत्या की सशकार हों रह हैं | ये पांचायिें बडी बेशमी से बदमाशी करने वालों को बचाने की कोसशश करिी है | अब गााँव की गााँव गोत्र की गोत्र और सीम के लगिे गााँव के भाईचारे की गुहार लगािे हुए हहन्दू षववाह कानून १९५५ ए में सांसोधन की बािें की िा रह हैं ,धमककयााँ द िा रह हैं और िुमािने ककये िा रहे हैं| हरयाणा के र ति ररवािों की िहााँ एक िरफ दुहाई देकर सांशोधन की माांग उठाई िा रह है वह ीँ हरयाणा की ज्यादिर आबाद के र ति ररवािों की अनदेखी भी की िा रह है |
  • 6. गााँव की इज्िि के नाम पर होने वाल िघन्य हत्याओां की हरयाणा में बढ़ोिर हों रह है | समुदाय , िाति या पररवार की इज्िि बचाने के नाम पर महहलों को पीट पीट कर मार डाला िािा है , उनकी हत्या कर द िाति है या उनके साथ बलात्कार ककया िािा है | एक िरफ िो महहला के साथ वैसे ह इस िरह का व्यवहार ककया िािा है िैसे उसकी अपनी कोई इज्िि ह न हों , वह ीँ उसे समुदाय की 'इज्िि' मान सलया िािा है और िब समुदाय बेइज्िि होिा है िो हमले का सबसे पहला तनशाना वाह महहला और उसकी इज्िि ह बनिी है | अपनी पसांद से शाद करने वाले युवा लडके लडककयों को इस इज्िि ए नाम पर साविितनक रूप से फाांसी पर लटका हदया िािा है | यहााँ के प्रससद्ध सांर्गयों हरदेव , लख्मीचांद ,बािे भगि ,मेहर ससांह ,माांगेराम ,चांदरबाद , धनपि ,खेमचांद व दयाचांद की रचनाओां का गुणगान िो बहुि ककया गया या हुआ है मगर उनकी आलोचनात्मक समीक्षा की िानी अभी बाकी है | रागनी कम्पीहटसनों का दौर एक िरह से काफी कम हुआ है |ऑडडयो कै सेटों की िगह सी डी लेिी िा रह है जिनकी सार वस्िु में पुनरुत्थान वाद व अांध उपभोग्िवाद मूकयों का घालमेल साफ निर आिा है | हरयाणा क लोकगीिों पर भी समीक्षािमक काम कम हुआ है | महहलाओां के दुुःख ददि का र्चत्रण काफी है | हमारे त्योहारों के अवसर के बेहिर गीिों की बानगी भी समल िाति है |
  • 7. गहरे सांकट के दौर हमार धासमिक आस्थाओां को साम्प्रदातयकिा के उन्माद में बदलकर हमें िाि गोत्र व धमि के ऊपर लडवा कर हमार इांसातनयि के िज्बे को , हमारे मानवीय मूकयों को षवकृ ि ककया िा रहा है | गऊ हत्या या गौ-रक्षा के नाम पर हमार भावनाओां से खखलवाड ककया िािा है | दुसलना हत्या काांड और अलेवा काांड गौ के नाम पर फै लाये िा रहे िहर का ह पररणाम हैं |इसी धासमिक उन्माद और आर्थिक सांकट के चलिे हर िीसरे मील पर मांहदर हदखाई देने लगे हैं |राधास्वामी और दूसरे सैक्टों का उभार भी देखने को समलिा है | साांस्कृ तिक स्िर पर हरयाणा के चार पााँच क्षेत्र है और इनकी अपनी षवसशटटिाएां हैं |हरेक गााँव में भी अलग अलग वगों व िातियों के लोग रहिे हैं | िािीय भेदभाव एक ढांग से कम हुए हैं मगर अभी भी गहर िडें िमाये हैं | आर्थिक असमानिाएां बढ़ रह हैं | सभी सामाजिक व नैतिक बांधन िनावग्रस्ि होकर टूटने के कगार पर हैं | बेरोिगार बेहिाशा बढ़ है | मिदूर के मौके भी कम से कमिर होिे िा रहे हैं| मिदूरों का िािीय उत्पीडन भी बढ़ा है | दसलिों पर अन्याय बढ़ा है वह ीँ उनका अससिन भी बढ़ा है |कुाँ ए अभी भी अलग अलग हैं |पररवार के षपिृसिात्मक ढाांचे में परिांत्रिा बहुि ह िीखी हों रह है | पाररवाररक ररश्िे नािे ढहिे िा रहे हैं | मगर इनकी िगह िनिाांबत्रक ढाांचों का षवकास नह ां हों रहा |िकलाको के के ससि की सांख्या कचहररयों में बढिी िा रह है | इन सबके चलिे महहलाओां और बच्चों पर काम का बोझ बढ़िा िा रहा है | मिदूर वगि सबसे ज्यादा आर्थिक सांकट की र्गरफ्ि में है |खेि मिदूरों ,भठ्ठा मिदूरों ,हदहाडी मिदूरों व माईग्रेहटड मिदूरों का िीवन सांकट गहराया है |लोगों का गााँव से शहर को पलायन बढ़ा है |
  • 8. कृ षि में मशीनीकरण बढ़ा है | िकनीकवाद का िनषवरोधी स्वरूप ज्यादा उभार कर आया है | ज़मीन की ढाई एकड िोि पर ८० प्रतिशि के लगभग ककसान पहुाँच गया है | ट्रैक्टर ने बैल की खेिी को पूर िरह बेदखल कर हदया है| थ्रेशर और हावेस्टर कम्बाईन ने मिदूर के सांकट को बढाया है |समलि िमीनें खत्म सी हों रह हैं | कब्िे कर सलए गए या आपस में िमीन वालों ने बााँट ल | अन्न की फसलों का सांकट है | पानी की समस्या ने षवकराल रूप धारण कर सलया है | नए बीि ,नए उपकरण , रासायतनक खाद व कीट नाशक दवाओां के क्षेत्र में बहुराटट्र य कम्पतनयों की दखलांदािी ने इस सीमान्ि ककसान के सांकट को बहुि बढ़ा हदया है |प्रति एकड फसलों की पैदावार घट है िबकक इनपुट्स की कीमिें बहुि बढ़ हैं | ककसान का दिि भी बढ़ा है |स्थाई हालािों से अस्थायी हालािों पर जिन्दा रहने का दौर िेिी से बढ़ रहा है |अन्याय व अत्याचार बेइन्िहा बढ़ रहे हैं |ककसान वगि के इस हहस्से में उदासीनिा गहरे पैंथ गयी है और एक तनजटिय पिीवी िीवन , िाश खेल कर बबिाने की प्रवतिि बढ़ है | हाथ से काम करके खाने की प्रवतिि का पिन हुआ है | साथ ह साथ दारू व सुकफे का चलन भी बढ़ा है और स्मैक िैसे नशीले पदाथों की खपि बढ़ है | मध्यम वगि के एक हहस्से के बच्चों ने अपनी मेहनि के दम पर सॉफ्ट वेयर आहद के क्षेत्र में काफी सफलिाएाँ भी हाांससल की हैं | मगर एक बडे हहस्से में एक बेचैनी भी बखूबी देखी िा सकिी है | कई िनिाांबत्रक सांगठन इस बेचैनी को सह हदशा देकर िनिा के िनिांत्र की लडाई को आगे बढ़ाने में प्रयास राि हदखाई देिे हैं |अब समथिन का िाना बाना टूट गया है और हरयाणा में कृ षि का ढाांचा बैठिा िा रहा है | इस ढाांचे को बचाने के नाम पर िो नई कृ षि नीति या तनति परोसी िा रह है उसके पूर िरह लागू होने के बाद आने वाले वक्ि में ग्रामीण आमदनी ,रोिगार और खाद्य सुरक्षा की हालि बहुि भयानक रूप धारण करने िा रह है और साथ ह साथ बडे हहस्से का उत्पीडन भी सीमायें लाांघिा िा रहा है, साथ ह इनकी दररद्र्िा बढिी िा रह है | नौिवान सकफास की गोसलयाां खाकर या फाांसी लगाकर आत्म हत्या को मिबूर हैं |
  • 9. गााँव के स्िर पर एक खास बाि और षपिले कु ि सालों में उभर है वाह यह की कु ि लोगों के षप्रषवलेि बढ़ रहे हैं | इस नव धनाड्य वगि का गााँव के सामाजिक साांस्कृ तिक माहौल पर गलबा है |षपिले सालों के बदलाव के साथ आई िद्म सम्पन्निा , सुख भ्राजन्ि और नए नायर सम्पन्न िबकों -- परिीषवयों ,मुफिखोरों और कमीशन खोरों -- में गुलिरे उडने की अय्यास कु सांस्कृ ति िेिी से उभर है | नई नई कारें ,कै ससनो ,पोनोग्राफी ,नाांगी कफ़कमें ,घहटया के सैटें , हरयाणवी पॉप ,साइबर सैक्स ,नशा व फु करापांथी हैं,कथा वाचकों के प्रवचन ,झूठी हससयि का हदखावा इन िबकों की साांस्कृ तिक दररद्र्िा को दूर करने के सलए अपनी िगह बनािे िा रहे हैं| िातिवाद व साम्प्रदातयक षवद्वेि ,युद्ध का उन्माद और स्त्री द्रोह के लिीफे चुटकलों से भरे हास्य कवी सम्मलेन बडे उभार पर हैं | इन नव धतनकों की आध्याजत्मक कां गाल नए नए बाबाओां और रांग बबरांगे कथा वाचकों को खीांच लाई है | षवडम्बना है की िबाह हों रहे िबके भी कु सांस्कृ ति के इस अांध उपभोगिावाद से िद्म िाकि पा रहे हैं | दूसर िरफ यहद गौर करेँ िो सेवा क्षेत्र में िांटनी और अशुरक्षा का आम माहौल बनिा िा रहा है इसके बाविूद कक षवकास दर ठीक बिाई िा रह है |कई हिार कमिचाररयों के ससर पर िांटनी कक िलवार चल चुकी है और बाकी कई हिारों के ससर पर लटक रह है | सैंकडों फै क्टररयाां बांद हों चुकी हैं | बहुि से कारखाने यहााँ से पलायन कर गए हैं | िोटे िोटे कारोबार चौपट हों रहे हैं | सांगहठि क्षत्र ससकु डिा और षपिडिा िा रहा है | असांगहठि क्षेत्र का िेिी से षवस्िार हों रहा है | फर दाबाद उिडने कक राह पर है , सोनीपि सससक रहा है , पानीपि का हथकरघा उद्योग गहरे सांकट में है | यमुना नगर का बििन उद्योग चचाि में अहहां है ,ससरसा ,हाांसी व रोहिक की धागा समलें बांद हों गयी | धारूहेडा में भी जस्थलिा साफ हदखाई देिी है |
  • 10. स्वास््य के क्षेत्र में और सशक्षा के क्षेत्र में बािार व्यवस्था का लालची व दुटट्कार खेल सबके सामने अब आना शुरू हो गया है । साविितनक क्षेत्र में साठ साल में खडे ककये ढाांचों को या िो ध्वस्ि ककया िा रहा है या कफर कोडडयों के दाम बेचा िा रहा है । सशक्षा आम आदमी की पहुाँच से दूर खखसकिी िा रह है । स्वास््य के क्षेत्र में और भी बुरा हाल हुआ है । गर ब मर ि के सलए सभी िरफ से दरवािे बांद होिे िा रहे हैं । लोगों को इलाि के सलए अपनी िमीनें बेचनी पद रह हैं । आरोग्य कोि या राजटट्रय बीमा योिनाएां ऊाँ ट के मुांह में िीरे के समान हैं । उसमें भी कई सवाल उठ रहे हैं ।
  • 11. आि के हदन व्यापार धोखाधडी में बदल चुका है । यह हाल हमारे यहााँ की ज्यादािर रािनैतिक पाहटियों का हो चुका है । आि के हदन हर क्षेत्र में प्रतिस्पधाि ने दुश्मनी का रूप ले सलया है । हररयाणा में दरअसल सभ्य भािा का षवकास ह नह ां हो पाया है । लठ की भािा का प्रचलन बढ़ा है । भ्रम व् अरािकिा का माहौल बढ़ा है । लोग ककसी भी िरह मुनाफा कमाकर रािों राि करोडपति से अरब पति बनने के सपने देखिे हैं । मनुटय की मूकय व्यवस्था ह उसकी षवचारधारा होिी है । मनुटय ककिना ह अपने को गैर रािनैतिक मानने की कोसशश करे कफर भी वह अपनी जिांदगी में मान मूकयों का तनवािह करके इस या उस वगि की रािनीति कर रहा होिा है । षवचार धारा का अथि है कोई समूह ,समाि या मनुटय खुद को अपने चारों ओर की दुतनया को, अपनी वास्िषवकिा को कै से देखिा है । इस साांस्कृ तिक क्षेत्र के सभन्न सभन्न पहलू हैं । धमि, पररवार , सशक्षा , प्रचार माध्यम , ससनेमा ट वी ,रेडडयो ,ऑडडयो ,षवडडओ ,अखबार , पत्र --पबत्रकाएाँ , अन्य लोकषप्रय साहहत्य , सांस्कृ ति के अन्य लोकषप्रय रूप जिनमें लोक कलाएां ह नह ां िीवन शैसलयों से लेकर िीि त्यौहार , कमिकाांड , षववाह , मृत्यु भोि आहद िो हैं ह ; टोन टोटके , मेले ठेले भी शासमल हैं । इतिहास और षवचारधारा की समाजप्ि की घोिणा करके एक सीमा िक भ्रम अवश्य फै लाया िा सकिा है मगर वगि सांघिि को समटाया नह ां िा सकिा । यह प्रकृ ति का तनयम भी है और षवज्ञानां सम्मि भी । इांसान पर तनभिर करिा है कक वह मुठठी भर लोगों के षवलास बहुल िीवन की झाांककयों को अपना आदशि मानिे हुए स्वप्न लोक के नायक और नातयकाओां के मीठे मीठे प्रणय गकपों में मिा ले,मानव मानवी की अतनयांबत्रि यौन आकाांक्षाओां को िीवन की सबसे बडी प्राथसमकिा के रूप में देखें , औरि की देह को िीवन का सबसे सुरक्षक्षि क्षेत्र बना डालें या अपने और आम िनिा के षवशाल िीवन और उसके षवषवध सांघिों को आदशि मानकर वैचाररक उिाि प्राप्ि करे । समाि का बडा िबका बेचैन है अपनी गररमा को कफर से अजििि करने को। कु ि िनवाद सांगठन इस बेचैनी को आवाि देने व िनिा को वगीय अधरों पर लामबांद करने को प्रयास रि हैं ।
  • 12. आने वाले समय में गर ब और कमिोर िबकों , दसलिों, युवाओां और खासकर महहलाओां का अशजक्िकरण िथा इन िबकों का और भी हाससये पर धके ला िाना साफ़ िौर पर उभरकर आ रहा है। इन िबकों का अपनी िमीां से उखडने ,उिडने व् िबाह होने का दौर शुरू हो चुका है और आने वाले समय में और िेि होने वाला है । हररयाणा में आि सशक्षक्षि,असशक्षक्षि,और अधिसशक्षक्षि युवा लडके व लडककयाां मरे मरे घूम रहे हैं । एक िरफ बेरोिगार की मार है और दूसर िरफ अांध उपभोग की लम्पट सांस्कृ ति का अांधाधुांध प्रचार है । इनके बीच में तघरे ये युवक युविी लम्पट करण का सशकार िेिी से होिे िा रहे हैं । स्थर्गि रचनात्मक उिाि से भरे युवाओां को हफ्िा वसूल , नशाखोर , अपराध और दलाल के फलिे फू लिे कारोबार अपनी और खखांच रहे हैं । बहुि िोटा सा हहस्सा भगि ससांह की षवचार धारा से प्रभाषवि होकर सकारात्मक एिेंडे पर इन्हें लामबांद करने लगा है । ज्ञान षवज्ञानां आन्दोलन ने भी अपनी िगह बनाई है । प्रिािांत्र में षवकास का लक्ष्य सबको समान सुषवधाएाँ और अवसर उपलब्ध करवाना होिा है । षवकास के षवसभन्न सोपानों को पर करिा हुआ सांसार यहद एक हद िक षवकससि हो गया है िो तनश्चय ह उसका लाभ बबना ककसी भेदभाव के पूर दुतनया की पूर आबाद को समलना चाहहए परन्िु आि का यथाथि ह यह है कक एस नह ां हुआ । आि के दौर में िीन खखलाडी नए उभर कर आये हैं (पहला डब्कयू ट ओ षवश्व व्यापर सांगठन , दूसरा षवश्व बैंक व िीसरा अांिरािटट्र य मुद्रा कोि ), खुल बािार व्यवस्था के ये हहम्मायिी दुतनया के लए समानिा की बाि कभी नह ां करिे बजकक सांसार में उपलब्ध महान अवसरों को पहचानने और उनका लाभ उठाने की बाि करिे हैं , गडबड यह ां से शुरू होने लगिी है । बहुराटट्र य सांस्थाओां का बािार व्यवस्था पर दबदबा कायम है । आि िोट बडी लगभग 67000 बहुराटट्र य सांस्थाओां की 1,70,000 शाखाएां षवश्व के कोने कोने में फ़ै ल हुई हैं । ये सांस्थाएां षवसभन्न देशों की रािनैतिक , सामाजिक, साांस्कृ तिक गतिषवर्धयों पर भी हस्िक्षेप करने लगी हैं । ध्यान देने योग्य बाि है कक इन सबके के न्द्र य कायािलय अमेररका ,पजश्चम यूरोप या िापान में हैं । इनकी अपनी प्राथसमकिायें हैं । बािार वयवस्था इनका मूल मन्त्र है । हररयाणा को भी इन कां पतनयों ने अपने कायिक्षेत्र के रूप में चुना है । गुडगााँव एक िीिा िागिा उदाहरन है । साइतनांग गुडगााँव िो सबको हदखाई देिा है मगर सफररांग गुडगााँव को देखने को हम िैयार ह नह ां हैं ।
  • 13. आि के दौर में बहार से महाबल बहुराटट्र य तनगम और उनका िगमगािा बािार और भीिर से साांस्कृ तिक फासीवाद िाकिें समाि को अपने अपने िर कों से षवकृ ि कर रह हैं । इस बािारवाद ,कट्टरवाद की समल भगि िग िाहहर है । इनमें से एक ने हमार लालच ,हमार सफलिाओां की तनकृ टट इच्िाओां को साविितनक कर हदया है और दुसरे ने हमारे मनुटय होने को और हमारे आजत्मक िीवन को दूषिि करिे हुए हमें एक ह न मनुटय में िब्द ल कर हदया है । यह ख़राब ककया गया मनुटय िगह िगह हदखाई देिा है जिसमें धैयि और सहहटणुिा बहुि कम है और जिसके सभिर की उग्रिा और आिामकिा दुसरे को पीिे धके ल कर िकद से कु ि झपट लेने ,लूट लेने और कामयाब होकर खखलखखलाने की बेचैनी को बढ़ा रह हैं । इस समय में समाि के गर ब नागररकों को अनागररक बनाकर अदृश्य हासशयों की ओर फैं का िा रहा है । उनके सलए नए नए रसािल खुलिे िा रहे हैं िबकक समाि का एक िोटा सा मगर िाकिवर हहस्सा मौि मस्िी का परिीवी िीवन बबिा रहा है । समाि के इस िोटे से हहस्से के अपने उत्सव मानिे रहिे हैं िो की एक कॉकटेल पाटी की सांस्कृ ति अजख्ियार करिे िा रहे हैं । बाकक हररयाणवी समाि की िििरिा बढाने के साथ साथ इस िबके के राग रांग बढ़िे हैं क्योंकक सांकट से बचे रहने का , मुसीबिों को दूर धके लने का िात्कासलक उपाय यह है । यह लोग बािार में उदारिावाद और सांस्कृ ति में सांकीणििावाद व पुनरूत्थानवाद के समथिक हैं । आिकल प्रचसलि हररयाणवी सीडडयों में परोसे िा रहे वलगर गीि नाटकों को यह िाकिें बढ़ावा दे रह हैं । असल में हमारा समाि पाखांडों और झूठों पर हटका हुआ अनैतिक समाि है । इससलए हमें िोर िोर से नैतिकिा शब्द का उच्चारण करना िरूर लगिा है । वस्िुि हमारे समाि में लाख की चोर करने वाला यहद न पकडा िाये िो पकडे िाने वाले एक रुपये की चोर करने वाले की िुलना में महान बना रह सकिा है । बडी होसशयार से हमारे मन मजस्िटक पर बािारवाद का स्वप्न चढ़ाया िा रहा है । िमाम ठाठ बाठ के सपनों में उलझाकर बेखबर में हमें जिधर धके ल िा रहा है हम उधर ह र्धकिे िा रहे हैं । इसीसलए आि यह प्रश्न अति गांभीर हु उठा है की जिस ग्लोबल षवलेि की चचाि की िा रह है वह आम आदमी और खासकर गर बों के रहने लायक है भी या नह ां ? अब िबकक टेल षविन के मध्यम से यह बािार घर घर में प्रवेश कर चुका है िो भारि िैसे कृ षि प्रधान देश में भी यह टेल षविन बगैर पररश्रम ककये ऐसो आराम परोसने का कम कर रहा है अगर यकीां न हो िो िरा उन षवज्ञापनों पर ध्यान दें जिसमें अमुक वस्िुओां को खर दने पर कह ां कर िो कह ां सोना , कह ां ट वी , िो कह ां और कु ि हदलाने का सपना हदखा वस्िुओां का षविय बढाया िािा है । चांद समनटों
  • 14. में करोडपति बन ने की उम्मीद िगाई िािी हैं । कु ल समलाकर ककस्सा यह बनिा है कक पररश्रम ,कििव्य , इमानदार इत्याहद को घर के कू डा दान में फैं को ; खर दो खर दो और खर दो और मौि करो । रािों राि अमीर के सपने देखिा युवा वगि इस अांधी दौड में िेिी से शासमल होिा िा रहा है जिसमें सफलिा के सलए कोई भी कीमि िायि हो सकिी है । धन प्राजप्ि के सलए िायि नािायि कु ि भी ककया िा सकिा है । हमें िकद से िकद वो सरे ऐशो आराम एवम मस्िी चाहहए िो ट वी के द्वारा हदन राि परोसे िा रहे हैं । हमें बहकाया िा रहा है , तनकम्मा बनाया िा रहा है । अश्ल लिा को मौि मस्िी का पयािय बिा हदनोंहदन हमें अति उप भोग्िावाद की अांधी गल में धके ल िा रहा है िहााँ से बहार तनकलना बहुि मुजश्कल होिा है । अधनांगे वस्त्रों का फै शन शो अब महानगरों से तनकल कर कस्बों व् गााँव िक पहुाँच रहा है । युवा वगि लालातयि हो उनकी नकल करने की होड में दौड रहा है । मकट नेशनल मालामाल हो रहे हैं , भारिीय कार गर भुखमर की और िा रहे हैं । आि आसामी ससकक, बा लूचेर की कार गर , किकी पोचमपकल या बोकई के कार गरों को मकट नेशनल के होड में खडा कर हदया गया है। अब इस गैर बराबर की होड में भारिीय कार गर चाहे वह ककसी भी क्षेत्र का हो , कै से हटक पायेगा ? इम्पोहटिड चीिों को प्रचाररि कर उन्हें स्टेटस ससम्बल बनाया िा रहा है और भारिीय कशीदाकार को िबाह ककया िा रहा है । भारिीय बेहिर काल नों को बाल मिदूर के नाम पर पजश्चमी देश प्रतिबांर्धि कर रहे हैं िाकक भारिीय वास्िु वहाां के बािार में प्रवेश न कर पाए । मगर उनकी वस्िुएां हमारे बािार पर ि िाएाँ ।
  • 15. हमारे भारिीय हुनर के सलए यह मौि का फरमान ह िो है । बािारवाद की इस होड में मकट नेसनल के सामने हमार कार गर ह नह ां भारिीय कम्पतनयााँ भी कब िक हटक पाएांगी यह एक अहम् सवाल है। पूरे भारि के सभी दरवािे उनके सलए खोल हदए गए हैं । अब मैकडोनाकड को ह सलया िाये , यह महानगरों िक नह ां सससमि रहा । अब िो शहर शहर , गल गल में मैकडोनाकड , हमारे बच्चों को बगिर ,षपज्िा फ्री के उपहार दे कर खाने की आदि डालेगा , ररझाएगा , फाँ साएगा िाकक कल को वह पूर , पराांठा , इडल , डोसा भूल िाये और बगिर ओइज्ि के बगैर रह ह नह ां पाए । आखखर बच्चे ह िो कल का भषवटय हैं जिसने उनको िीिा उसी की िूिी बोलेगी कल पूरे भारि देश में । पहले िैसे साम्राज्य स्थाषपि करने के सलए देश षवशेि की सांस्कृ ति , कार गर , हुनर, व्यवसाय एवां सशक्षा को नटट ककया िािा था िाकक साम्राज्य की पकड देश षवशेि पर और मिबूि हो । इसी प्रकार आि बािार के सलए देश प्रदेश षवशेि के हुनर , कार गर , व्यवसाय ,सशक्षा एवां सांस्कृ ति पर ह हमला बोल िा रहा है और हमारे मीडडया इस मामले में मकट नेसनल की भरपूर सहायिा कर रहे हैं । हररयाणा में अब गुनध्धा हुआ आट्टा , अांकु ररि मूांग, चना आहद भी षवदेशी कम्पतनयााँ लाया करेंगी । कू कीि , चाकलेट व् के क हमारे घर की शोभा होंगे , िलेबी और रसगुकले अिीि की यादगार होंगे । भारिीय कु ट र ऊद्योग के साथ साथ अन्य कम्पतनयााँ भी मकट नेसनल के पेट में चल िायेंगी ।
  • 16. सवाल यह है कक क्या बबना ककसी षवचार के इिना अन्याय से भरा असमानिाओां पर हटका समाि हटका रह सकिा है ? यहद नह ां िो इसके ठीक उकट षवचार भी अवश्य है िो एक समिा पर हटके नयायपूणि समाि की पररककपना रखिा है । उस षवचार से निद क का सम्बन्ध बनाकर ह इस बेहिर समाि के तनमािण में हम अपना योगदान दे सकिे हैं । इसके बनाने के सब साधन इसी दुतनया में इसी हररयाणा में मौिूद हैं । िरूरि है उस निर को षवजक्दि करने की । आि मानविा के विूद को खिरा है । यह इस षवचारधारा का या उस षवचारधारा का मसला नह ां है । यह एक देश का सवाल नह ां है यह एक प्रदेश का सवाल नह ां है यह पूर दुतनया का सवाल है । जिस रस्िे पर दुतनया अब िा रह है इस रस्िे पर मानविा का षवनाश तनजश्चि है । हररयाणा के षवकास मॉडल में भी यह साफ़ प्रकट हो रहा है । नव वैश्वीकरण की प्रकिया से षवनाश ह होगा षवकास नह ां । मगर अब दुतनया यह सब समझ रह है । हररयानावासी भी समझ रहे हैं । मानविा अपनी गदिन इस वैश्वीकरण की कु कहाडी के नीचे नह ां रखेगी । मानविा का जिन्दा रहने का िज्बा और मनुटय के षवचार की शजक्ि ऐसा होना असांभव कर देगी । हररयाणा में नव िागरण ने अपने पााँव रखे हैं । युवा लडके लडककयाां , दसलि, और महहलाएां इसके अगवा दस्िे होंगे और समाि सुध।र का काम अपनी प्रगतिशील हदशा अवश्य पकडेगा|