3. संज ा और उसके के पकार
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िकसी व्यक्ति, क, स्थान, वस्तु आदिदि तथा नाम
के गुण, धर्मर, स्वभाव का बोधर् कराने वाले
शब्दि संजा कहलाते हैं।
ि, ववेकानंदि, मनुष्य, कक्षा, गेहूँ,
ि, मठास आदिदि।
संजा के पकार- संजा के तीन भेदि हैं1. व्यक्ति, कवाचक संजा। (Pro p e r no un)
2. जाि, तवाचक संजा। (Co m m o n no un)
3. भाववाचक संजा I (Abstract noun)
4. व्यक्ति, कवाचक संज ा
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व्यक्ति, कवाचक संज ा
ि, जस संजा शब्दि से िकसी ि, वशेष,
व्यक्ति, क, पाणी, वस्तु अथवा स्थान
का बोधर् हो उसे व्यक्ति, कवाचक संजा
कहते हैं।
जैसे- ि, ववेकानंदि, महात्मा गाँधर्ी,
ि, हमालय, रामायण आदिदि।
5. जाितवाचक संज ा
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जाितवाचक संज ा
िजस संजा शब्द से उसकी संपूर्ण र्ण
जाित का बोध हो उसे
जाितवाचक संजा कहते हैं।
जैसे-मनुष्य,गाय,पशु, नारी
आदिद।
6. भाववाचक संज ा
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भाववाचक संज ा
िजस संजा शब्द से पदाथों की
अवस्था, गुण -दोष, धमर्ण आदिद का
बोध हो उसे भाववाचक संजा
कहते हैं।
जैसे- बचपन,रसीला,दया,वीरता
आदिद।