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गुरुत्ल कामाारम द्राया प्रस्तुत भासवक ई-ऩत्रिका                       अक्टू फय- 2011




                           NON PROFIT PUBLICATION
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                                      E CIRCULAR
                       गुरुत्ल ज्मोसतऴ ऩत्रिका अक्टू फय 2011
वॊऩादक                 सिॊतन जोळी
                       गुरुत्ल ज्मोसतऴ त्रलबाग

वॊऩका                  गुरुत्ल कामाारम
                       92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA,
                       BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA
पोन                    91+9338213418, 91+9238328785,
                       gurutva.karyalay@gmail.com,
ईभेर                   gurutva_karyalay@yahoo.in,

                       http://gk.yolasite.com/
लेफ                    http://www.gurutvakaryalay.blogspot.com/

ऩत्रिका प्रस्तुसत      सिॊतन जोळी, स्लस्स्तक.ऎन.जोळी
पोटो ग्राफपक्व         सिॊतन जोळी, स्लस्स्तक आटा
शभाये भुख्म वशमोगी स्लस्स्तक.ऎन.जोळी (स्लस्स्तक वोफ्टे क इस्डडमा सर)




            ई- जडभ ऩत्रिका                        E HOROSCOPE
      अत्माधुसनक ज्मोसतऴ ऩद्धसत द्राया
                                                 Create By Advanced Astrology
         उत्कृ द्श बत्रलष्मलाणी क वाथ
                                 े                    Excellent Prediction
              १००+ ऩेज भं प्रस्तुत                       100+ Pages

                            फशॊ दी/ English भं भूल्म भाि 750/-

                                GURUTVA KARYALAY
                       92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA,
                           BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA
                         Call Us – 91 + 9338213418, 91 + 9238328785
              Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com
अनुक्रभ
                                नलयाि त्रलळेऴ                                                              दीऩालरी
नलयाि भं भाॊ दगाा क नलरुऩं फक उऩावना कल्माणकायी शं
              ु    े                                               6         धन तेयव ळुब भुशूता (24 अक्तफय, 2011)
                                                                                                       ू                                        47
भाॊ दगाा की उऩावना क्मं की जाती शं ?
     ु                                                             7         दीऩालरी ऩूजन भुशूता (26-अक्तफय-2011)
                                                                                                        ू                                       48
ळायदीम नलयाि व्रत वे वुख वौबाग्म की प्रासद्ऱ शोती शं               8         रक्ष्भी प्रासद्ऱ शे तु कयं यासळ भॊि का जऩ                          53
कवे कयं नलयाि व्रत?
 ै                                                                 9         रक्ष्भी प्रासद्ऱ क वयर उऩाम
                                                                                               े                                                54
दे ली आयाधना वे असबद्श कामो की सवत्रद्ध शे तु                      11        रक्ष्भी भॊि                                                        56
आस्द्वन नलयात्रि घट स्थाऩना भुशूता, त्रलसध-त्रलधान                 12        दीऩ जराने का भशत्ल क्मा शं ?                                       63
वयर त्रलसध-त्रलधान वे ळायदीम नलयाि व्रत उऩावना                     13        धनिमोदळी ऩय मभ-दीऩदान अकारभृत्मु को दय कयता शं
                                                                                                                  ू                             66
नलयाि स्ऩेळर घट स्थाऩना त्रलसध                                     14        धनिमोदळी ऩय मभदीऩदान क्मं फकमा जाता शं ?                           68
नलाणा भॊि वे शोती शं नलग्रश ळाॊसत                                  18        दीऩालरी क फदन कवे कयं फशीखाता तुरा ऩूजन?
                                                                                      े     ै                                                   69
दगााद्शाषय भडि वाधना
 ु                                                                 22        दीऩालरी का भशत्ल औय रक्ष्भी ऩूजन त्रलसध                            70
कभायी ऩूजन वे वकर भनोयथ सवद्ध शोते शं ।
 ु                                                                 23        श्री धनलॊतरय व्रत कथा                                              71
भाता क 52 ळत्रक्त ऩीठ
      े                                                            26        वद्ऱ श्री का िभत्काय                                               74
नलाणा भडि वाधना                                                    20        स्पफटक श्रीमॊि का ऩूजन                                             75

                                                                  भॊि एलॊ स्तोि
दगाा िारीवा
 ु                                 32   बलाडमद्शकभ,्                    36   दगााद्शकभ,्
                                                                              ु                               35    श्री वूक्त                   82
श्रीकृ ष्ण कृ त दे ली स्तुसत,      33   षभा-प्राथाना,                   36   वला ऐद्वमा प्रद-रक्ष्भी-कलि      77    धनरक्ष्भी स्तोि              82
ऋग्लेदोक्त दे ली वूक्तभ,्          33   दगााद्शोत्तय ळतनाभ स्तोिभ,्
                                         ु                              37   भशारक्ष्भी कलि                   78    अद्शरक्ष्भी स्तोि            83
वप्तश्र्लरोकी दगाा,
               ु                   34   त्रलद्वॊबयी स्तुसत,             38   भशारक्ष्भी स्तुसत                79    दे लकृ त रक्ष्भी स्तोिभ ्    83
दगाा आयती,
 ु                                 34   भफशऴावुयभफदा सनस्तोिभ,्         39   श्री कनकधाया स्तोि               80
सवद्धकस्जकास्तोिभ,्
      ुॊ                           35   गुद्ऱ वद्ऱळती,                  41   श्री रक्ष्भी िारीवा              81

                                                                  शभाये उत्ऩाद
दगाा फीवा मॊि
 ु                                 6    ळादी वॊफॊसधत वभस्मा             37   अभोद्य भशाभृत्मुॊजम कलि          60    कनकधाया मॊि                  80

भॊि सवद्ध दै ली मॊि वूसि           10 भॊि सवद्ध गणेळ मॊि                49   याळी यत्न एलॊ उऩयत्न             60    यासळ यत्न                    88

भॊिसवद्ध रक्ष्भी मॊिवूसि           10 भॊगर मॊि वे ऋण भुत्रक्त           50   श्रीकृ ष्ण फीवा मॊि/ कलि         61    भॊि सवद्ध वाभग्री            94

गणेळ रक्ष्भी मॊि                   13 भॊि सवद्ध दरब वाभग्री
                                                 ु ा                    55   याभ यषा मॊि                      62    वला योगनाळक मॊि/             101

बाग्म रक्ष्भी फदब्फी               17 वला कामा सवत्रद्ध कलि             57   भॊि सवद्ध रूद्राष                65    भॊि सवद्ध कलि                103

द्रादळ भशा मॊि                     21 जैन धभाके त्रलसळद्श मॊिो वूिी 58       भॊिसवद्ध स्पफटक श्री मॊि         67    YANTRA                       104

घॊटाकणा भशालीय वला सवत्रद्ध भशामॊि                                      59   रक्ष्भी मॊि                      74    GEMS STONE                   106

                                                              स्थामी औय अडम रेख
वॊऩादकीम                                                           4         अक्टू फय-2011 भासवक व्रत-ऩला-त्मौशाय                               91
ऩसत-ऩत्नी भं करश सनलायण शे तु                                      22        अक्टू फय 2011 -त्रलळेऴ मोग                                         97
ळयद ऩूस्णाभा (11-अक्टू फय-2011)                                    44        दै सनक ळुब एलॊ अळुब वभम सान तासरका                                 97
कोजागयी ऩूस्णाभा (11-अक्टू फय-2011)                                45        फदन-यात क िौघफडमे
                                                                                      े                                                         98
दलाा ऩूजनभं यखे वालधासनमाॊ
 ु                                                                 45        फदन-यात फक शोया - वूमोदम वे वूमाास्त तक                            99
कयला िौथ व्रत (15-अक्टू फय-2011)                                   46        ग्रश िरन अक्टू फय -2011                                            100
नमे कऩडे औय ज्मोसतऴ                                                50        वूिना                                                              108
भासवक यासळ पर                                                      84        शभाया उद्दे श्म                                                    110
अक्टू फय 2011 भासवक ऩॊिाॊग                                         89
वॊऩादकीम
त्रप्रम आस्त्भम

         फॊध/ फफशन
            ु

                       जम गुरुदे ल

फशडद ु ऩयॊ ऩया भं दे ली को त्रलसबडन रूऩं वे जाना औय ऩूजा जाता शं ।

                                  ॐ जमॊती भॊगरा कारी बद्रकारी कऩासरनी।
                                 दगाा षभा सळला धािी स्लाशा स्लधा नभोऽस्तुते॥
                                  ु

    बालाथा: जमॊती, भॊगरा, कारी, बद्रकारी, कऩासरनी, दगाा, षभा, सळला धािी औय स्लधा क नाभं वे प्रसवद्ध
                                                    ु                             े
                                     जगदम्फा दे ली। आऩको भेया नभस्काय शं ।

                                        नभो दे व्मै भशादे व्मै सळलामै वततॊ नभ:।
                                     नभ: प्रकृ त्मै बद्रामै सनमता: प्रणता: स्भताभ ्॥
अथाात: दे ली को नभस्काय शं , भशादे ली को नभस्काय शं । भशादे ली सळला को वलादा नभस्काय शं । प्रकृ सत एलॊ बद्रा को भेया
प्रणाभ शं । शभ रोग सनमभऩूलक दे ली जगदम्फा को नभस्काय कयते शं ।
                          ा


       ळास्त्रोक्त लणान शं की दे ली दगाा क उक्त भॊि का स्भयण कय प्राथाना कयने भाि वे दे ली प्रवडन शोकय अऩने
                                     ु    े
बक्तं की इच्छा ऩूणा कयती शं । वभस्त दे ल गण स्जनकी स्तुसत प्राथना कयते शं । भाॉ दगाा अऩने बक्तो की यषा कय उन
                                                                                 ु
ऩय कृ ऩा द्रद्शी लऴााती शं औय उवको उडनती क सळखय ऩय जाने का भागा प्रवस्त कयती शं । इव सरमे ईद्वय भं
                                          े
श्रद्धा त्रलद्वाय यखने लारे वबी भनुष्म को दे ली की ळयण भं जाकय दे ली वे सनभार रृदम वे प्राथाना कयनी िाफशमे।

भाॊ जगदम्फा की कृ ऩा प्रासद्ऱ शे तु नलयािी त्रलळेऴ राब प्रदान कयने लारी शं । क्मोफक नलयाि को आद्य् ळत्रक्त की
उऩावना का भशाऩला भाना गमा शं । दे ली बागलत क आठलं स्कध भं दे ली उऩावना का त्रलस्ताय वे लणान फकमा गमा शै ।
                                            े        ॊ

भाकण्डे मऩुयाण क अॊतगात दे ली भाशात्म्म भं उल्रेख शं की स्लमॊ भाॊ जगदम्फा का लिन शं ... की
   ा            े

                                        ळयत्कारे भशाऩूजा फक्रमतेमा िलात्रऴकी।
                                                                          ा
                                     तस्माॊभभैतडभाशात्म्मॊश्रत्लाबत्रक्तवभस्डलत:॥
                                                             ु
                                       वलााफाधात्रलसनभुक्तोधनधाडमवुतास्डलत:।
                                                       ा
                                        भनुष्मोभत्प्रवादे नबत्रलष्मसतन वॊळम:॥
अथाात् ळयद ऋतु क नलयािभं जफ भेयी लात्रऴाक भशाऩूजा शोती शं , उव कार भं जो भनुष्म भेये भाशात्म्म
                े
(दगाावद्ऱळती) को बत्रक्तऩूलकवुनेगा, लश भनुष्म भेये प्रवाद वे वफ फाधाओॊ वे भुक्त शोकय धन-धाडम एलॊ ऩुि वे वम्ऩडन
  ु                        ा
शो जामेगा।
भाॊ दगाा की कृ ऩा प्रासद्ऱ शे तु त्रलसबडन ळास्त्र एलॊ ग्रॊथो भं त्रलसबडन भॊिं का उल्रेख फकमा गमा शं । ऩाठको क
     ु                                                                                                       े
भागादळान एलॊ जानकायी शे तु ऩत्रिका क इव अॊक भं कछ त्रलळेऴ प्राबाली भॊिो का वॊकरन कयने का प्रमाव
                                    े           ु
फकमा गमा शं । इव अॊक भं करळ स्थाऩना वे वॊफॊसधत लणान बी फकमा गमा शं । स्जववे इच्छक फॊधु/फशन
                                                                                ु
त्रलळेऴ राब प्राद्ऱ कय अऩने भनोयथो को सवद्ध कयने भं वभथा शं।




       दीऩालरी को फशडद ू धभा भं ऩॊिभशा ऩला क रुऩ भं भनामा जाता शं । ऩॊिभशा ऩला को वबी जगश ऩय
                                            े
त्रलळेऴ प्रकाय की ऩूजाएॊ की जाती शं । उव भं त्रलळेऴ रुऩ वे भाॊ रक्ष्भी की ऩूजा की जाती शं । क्मोकी, ऩुयातन
कार वे शी धन प्रासद्ऱ की इच्छा प्राम वबी व्मत्रक्तमं भं यशी शं ।

       कछ रोगो को धन, वॊऩत्रत्त एलॊ बौसतक वुख-वाधन अऩनी मोग्मता औय भेशनत क अनुळाय प्राद्ऱ शो
        ु                                                                 े
जाता शं । रेफकन फशोत वे रोग एवे शोते शं स्जडशं कफठन ऩरयश्रभ कयने औय सळस्षत शोने क उऩयाॊत बी त्रलळेऴ
                                                                                 े
राब नशीॊ सभरता मा अऩने ऩरयश्रभ का उसित भूल्म बी नशीॊ प्राद्ऱ शो ऩाता शं ।

       स्जन रोगो क ऩाव ऩमााद्ऱ धन-वॊऩत्रत्त शोती शं उडशं इच्छा शोती शं उनकी धन-वॊऩत्रत्त फदन दोगुनी यात
                  े
िौगुनी फढती यशं ओय स्जक ऩाव ऩमााद्ऱ धन-वॊऩत्रत्त नशीॊ शं उवकी इच्छा शोती शं , की उवे कभ वे कभ इतनी
                       े
धन वॊऩत्रत्त प्राद्ऱ शो जामे की उवका जीलन वुखभम शो।

       फशडद ु ऩॊिाॊग क अनुळाय कासताक की अभालव को दीऩालरी भनाई जाती शं । इव फदन दे ली रक्ष्भी, गणेळ,
                      े
वयस्लती, कफेय की ऩूजन कयने का त्रलधान शै ।
          ु                                     क्मोफक दे ली रक्ष्भी की उत्ऩत्ती दीऩालरी क फदन भानी जाती शं
                                                                                          े
औय ळास्त्रोक्त लणा शं धन की दे ली रक्ष्भी शं औय धन क दे लता कफेय शं , स्जनक प्रवडन शोने वे भनुष्म को
                                                    े        ु             े
धन, वभृत्रद्ध एलॊ ऐद्वमा प्राद्ऱ शोता शं । भाॊ रक्ष्भी िॊिर शं । अथाात रक्ष्भी जी लश एक जगश फटकती नशीॊ शै ।
फकव प्रकाय रक्ष्भी का आगभन आऩक घय भं शो औय स्जदॊ गी द्ख, दरयद्र, कद्शो वे छट कय खुसळमं वे बय
                              े                      ु                     ु
जाए उववे जुडे यशस्मो को बायतीम ऋत्रऴ भुसनमं ने खोज सनकारा शं । मश बी एक प्रभुख कायण शं की
दीऩालरी का ऩला भनामा जाता शं औय रक्ष्भीजी का ऩूजन अिान फकमा जाता शं ।

       क्मोफक लेद फशॊ दओॊ धभा क प्रािीनतभ धासभाक ग्रॊथ शं । लेदो को शभायी प्रािीन बायतीम वॊस्कृ सत क
                       ु       े                                                                    े
भूल्मलान बॊडाय भाने जाते शं । स्जवे शभाये त्रलद्रान ऋत्रऴ-भुसनमं ने लऴो तक सिॊतन-भनन अध्ममन कय इव
वृत्रद्श क अद्भद यशस्मं की जानकायी इव लेद क रुऩ भं वॊग्रफशत की शं । स्जववे भनुष्म वभझ कय अऩने जीलन
          े    ु                           े
की शय वभस्माओॊ का शर सनकार वक।
                             े




                                                                                               सिॊतन जोळी
6                                               अक्टू फय 2011




                  नलयाि भं भाॊ दगाा क नलरुऩं फक उऩावना कल्माणकायी शं
                                ु    े

                                                                                                                सिॊतन जोळी
         भाॊ दगाा क नलरुऩं की उऩावना सनम्न भॊिं क द्राया की
              ु    े                             े                5. स्कडदभाता

जाती शै . प्रथभ फदन ळैरऩुिी की एलॊ क्रभळ् भाॊ दगाा क नलरुऩं
                                               ु    े             सवॊशावनगता सनत्मॊ ऩद्भासश्रतकयद्रमा ।
की उऩावना की जाती शै ।                                            ळुबदास्तु वदा दे ली स्कडदभाता मळस्स्लनी ॥
                                                                  6. कात्मामनी
१. ळैरऩुिी २. ब्रह्मिारयणी ३. िडद्रघण्टा ४. कष्भाण्डा ५.
                                             ू
                                                                  िडद्रशावोज्लरकया ळादा रलयलाशना ।
                                                                                        ू
स्कडदभाता ६. कात्मामनी ७. कारयात्रि ८. भशागौयी ९.
                                                                  कात्मामनी ळुबॊ दद्याद्दे ली दानलघासतनी
सवत्रद्धदािी
                                                                  7. कारयात्रि
1.ळैरऩुिी
                                                                  एकलेणी जऩाकणाऩूया नग्ना खयास्स्थता ।
लडदे लास्छछतराबाम िडद्राधाकृतळेखयाभ ् ।
                                                                  रम्फोद्षी कस्णाकाकणॉ तैराभ्मक्तळयीरयणी ॥
लृऴारुढाॊ ळूरधयाॊ ळैरऩुिीॊ मळस्स्लनीभ ् ॥
                                                                  लाभऩादोल्रवल्रोशरताकण्टकबूऴणा ।
2. ब्रह्मिारयणी
                                                                  लधानभूधध्लजा कृ ष्णा कारयात्रिबामङ्कयी ॥
                                                                         ा
दधाना कयऩद्भाभ्माभषभाराकभण्डरू ।
                                                                  8. भशागौयी
दे ली प्रवीदतु भसम ब्रह्मिारयण्मनुत्तभा ॥
                                                                  द्वेते लृऴे वभारुढा द्वेताम्फयधया ळुसि् ।
3. िडद्रघण्टा
                                                                  भशागौयी ळुबॊ दद्याडभशादे लप्रभोददा ॥
त्रऩण्डजप्रलयारुढा िण्डकोऩास्त्रकमुता ।
                                 ै ा
                                                                  9. सवत्रद्धदािी
प्रवादॊ तनुते भह्याॊ िडद्रघण्टे सत त्रलश्रुता ॥
                                                                  सवद्धगडधलामषाद्यैयवुयैयभयै यत्रऩ ।
4. कष्भाण्डा
    ू
                                                                  वेव्मभाना वदा बूमात ् सवत्रद्धदा सवत्रद्धदासमनी ॥
वुयावम्ऩूणकरळॊ रुसधयाप्रुतभेल ि ।
          ा
दधाना शस्तऩद्भाभ्माॊ कष्भाण्डा ळुबदास्तु भे ॥
                      ू


                                                    दगाा फीवा मॊि
                                                     ु
  ळास्त्रोक्त भत क अनुळाय दगाा फीवा मॊि दबााग्म को दय कय व्मत्रक्त क वोमे शुले बाग्म को जगाने लारा भाना
                  े        ु             ु          ू               े
  गमा शं । दगाा फीवा मॊि द्राया व्मत्रक्त को जीलन भं धन वे वॊफॊसधत वॊस्माओॊ भं राब प्राद्ऱ शोता शं । जो व्मत्रक्त
            ु
  आसथाक वभस्मावे ऩये ळान शं, लश व्मत्रक्त मफद नलयािं भं प्राण प्रसतत्रद्षत फकमा गमा दगाा फीवा मॊि को स्थासद्ऱ
                                                                                     ु
  कय रेता शं , तो उवकी धन, योजगाय एलॊ व्मलवाम वे वॊफॊधी वबी वभस्मं का ळीघ्र शी अॊत शोने रगता शं । नलयाि
  क फदनो भं प्राण प्रसतत्रद्षत दगाा फीवा मॊि को अऩने घय-दकान-ओफपव-पक्टयी भं स्थात्रऩत कयने वे त्रलळेऴ
   े                            ु                        ु         ै
  राब प्राद्ऱ शोता शं , व्मत्रक्त ळीघ्र शी अऩने व्माऩाय भं लृत्रद्ध एलॊ अऩनी आसथाक स्स्थती भं वुधाय शोता दे खंगे।
  वॊऩूणा प्राण प्रसतत्रद्षत एलॊ ऩूणा िैतडम दगाा फीवा मॊि को ळुब भुशूता भं अऩने घय-दकान-ओफपव भं स्थात्रऩत
                                            ु                                      ु
  कयने वे त्रलळेऴ राब प्राद्ऱ शोता शं ।                                  भूल्म: Rs.550 वे Rs.8200 तक
7                                            अक्टू फय 2011




                                    भाॊ दगाा की उऩावना क्मं की जाती शं ?
                                         ु
                                                                                                                    सिॊतन जोळी
              नभो दे व्मै भशादे व्मै सळलामै वततॊ नभ:।                   इव भॊि क जऩ वे भाॉ फक ळयणागती प्राद्ऱ शोती शं ।
                                                                                े
           नभ: प्रकृ त्मै बद्रामै सनमता: प्रणता: स्भताभ ्॥              स्जस्वे भनुष्म क जडभ-जडभ क ऩाऩं का नाळ शोता शै ।
                                                                                        े         े
अथाात: दे ली को नभस्काय शं , भशादे ली को नभस्काय शं ।                   भाॊ जननी वृत्रद्श फक आफद, अॊत औय भध्म शं ।
भशादे ली सळला को वलादा नभस्काय शं । प्रकृ सत एलॊ बद्रा को भेया
                                                                        दे ली वे प्राथाना कयं –
प्रणाभ शं । शभ रोग सनमभऩूलक दे ली जगदम्फा को नभस्काय
                          ा
                                                                                       ळयणागत-दीनाता-ऩरयिाण-ऩयामणे
कयते शं ।
                                                                                    वलास्मासतंशये दे त्रल नायामस्ण नभोऽस्तुते॥
उऩयोक्त भॊि वे दे ली दगाा का स्भयण कय प्राथाना कयने भाि वे
                      ु
                                                                        अथाात: ळयण भं आए शुए दीनं एलॊ ऩीस्िडतं की यषा भं वॊरग्न
दे ली प्रवडन शोकय अऩने बक्तं की इच्छा ऩूणा कयती शं । वभस्त
                                                                        यशने लारी तथा वफ फक ऩीड़ा दय कयने लारी नायामणी दे ली
                                                                                                   ू
दे ल गण स्जनकी स्तुसत प्राथना कयते शं । भाॉ दगाा अऩने बक्तो
                                             ु
                                                                        आऩको नभस्काय शै ।
की यषा कय उन ऩय कृ ऩा द्रद्शी लऴााती शं औय उवको उडनती
क सळखय ऩय जाने का भागा प्रवस्त कयती शं । इव सरमे
 े                                                                         योगानळेऴानऩशॊ सव तुद्शा रूद्शा तु काभान वकरानबीद्शान ्।
ईद्वय भं श्रद्धा त्रलद्वाय यखने लारे वबी भनुष्म को दे ली की             त्लाभासश्रतानाॊ न त्रलऩडनयाणाॊ त्लाभासश्रता शाश्रमताॊ प्रमास्डत।
ळयण भं जाकय दे ली वे सनभार रृदम वे प्राथाना कयनी िाफशमे।                अथाात् दे ली आऩ प्रवडन शोने ऩय वफ योगं को नद्श कय दे ती
                                                                        शो औय कत्रऩत शोने ऩय भनोलाॊसछत वबी काभनाओॊ का नाळ
                                                                               ु
       दे ली प्रऩडनासताशये प्रवीद प्रवीद भातजागतोsस्खरस्म।
                                                                        कय दे ती शो। जो रोग तुम्शायी ळयण भं जा िुक शै । उनको
                                                                                                                  े
       ऩवीद त्रलद्वेतरय ऩाफश त्रलद्वॊ त्लभीद्ळयी दे ली ियाियस्म।
                                                                        त्रलऩत्रत्त आती शी नशीॊ। तुम्शायी ळयण भं गए शुए भनुष्म दवयं
                                                                                                                                ू
अथाात: ळयणागत फक ऩीड़ा दय कयने लारी दे ली आऩ शभ ऩय
                        ू
                                                                        को ळयण दे ने लारे शो जाते शं ।
प्रवडन शं। वॊऩूणा जगत भाता प्रवडन शं। त्रलद्वेद्वयी दे ली त्रलद्व
फक यषा कयो। दे ली आऩ फश एक भाि ियािय जगत फक                                          वलाफाधाप्रळभनॊ िेरोक्मस्मास्खरेद्वयी।
असधद्वयी शो।                                                                        एलभेल त्लमा कामाभस्मध्दै रयत्रलनाळनभ ्।
                                                                        अथाात् शे वलेद्वयी आऩ तीनं रोकं फक वभस्त फाधाओॊ को
               वलाभॊगर-भाॊगल्मे सळलेवलााथवासधक ।
                                         ा    े
                                                                        ळाॊत कयो औय शभाये वबी ळिुओॊ का नाळ कयती यशो।
            ळयण्मे िमम्फक गौरय नायामस्ण नभोऽस्तुते॥
                         े
             वृत्रद्शस्स्थसत त्रलनाळानाॊ ळत्रक्तबूते वनातसन।                          ळाॊसतकभास्ण वलाि तथा द:स्लप्रदळाने।
                                                                                                            ु
              गुणाश्रमे गुणभमे नायामस्ण नभोऽस्तुते॥                                ग्रशऩीडावु िोग्रावु भशात्भमॊ ळणुमात्भभ।
अथाात: शे दे ली नायामणी आऩ वफ प्रकाय का भॊगर प्रदान                     अथाात् वलाि ळाॊसत कभा भं, फुये स्लप्न फदखाई दे ने ऩय तथा
कयने लारी भॊगरभमी शो। कल्माण दासमनी सळला शो। वफ                         ग्रश जसनत ऩीड़ा उऩस्स्थत शोने ऩय भाशात्म्म श्रलण कयना
ऩुरूऴाथं को सवद्ध कयने लारी ळयणा गतलत्वरा तीन नेिं                      िाफशए। इववे वफ ऩीड़ाएॉ ळाॊत औय दय शो जाती शं ।
                                                                                                        ू
लारी गौयी शो, आऩको नभस्काय शं । आऩ वृत्रद्श का ऩारन औय                  मफश कायण शं वशस्त्रमुगं वे भाॊ बगलती जगतजननी दगाा
                                                                                                                      ु
वॊशाय कयने लारी ळत्रक्तबूता वनातनी दे ली, आऩ गुणं का                    की उऩावना प्रसत लऴा लवॊत, आस्द्वन एलॊ गुद्ऱ नलयािी भं
आधाय तथा वलागुणभमी शो। नायामणी दे ली तुम्शं नभस्काय                     त्रलळेऴ रुऩ वे कयने का त्रलधान फशडद ु धभा ग्रॊथो भं शं ।
शै ।
                                                                                                    ***
8                                              अक्टू फय 2011




                      ळायदीम नलयाि व्रत वे वुख वौबाग्म की प्रासद्ऱ शोती शं

                                                                                                             सिॊतन जोळी
        नलयाि को ळत्रक्त की उऩावना का भशाऩला भाना गमा           जो व्मत्रक्त दगाावद्ऱळतीक भूर वॊस्कृ त भं ऩाठ कयने भं
                                                                              ु          े
शं । भाकण्डे मऩुयाण क अनुळाय दे ली भाशात्म्म भं स्लमॊ भाॊ
        ा            े                                          अवभथा शं तो उव व्मत्रक्त को वद्ऱद्ऴोकी दगाा को ऩढने वे
                                                                                                        ु
जगदम्फा का लिन शं -।                                            राब प्राद्ऱ शोता शं । क्मोफक वात द्ऴोकं लारे इव स्तोि भं

ळयत्कारे भशाऩूजा फक्रमतेमा िलात्रऴकी।
                                  ा                             श्रीदगाावद्ऱळती का वाय वभामा शुला शं ।
                                                                     ु

तस्माॊभभैतडभाशात्म्मॊश्रत्लाबत्रक्तवभस्डलत:॥
                        ु                                       जो व्मत्रक्त वद्ऱद्ऴोकी दगाा का बी न कय वक लश कलर
                                                                                         ु                े    े
                                                                नलााण भॊि का असधकासधक जऩ कयं ।
वलााफाधात्रलसनभुक्तोधनधाडमवुतास्डलत:।
                ा
भनुष्मोभत्प्रवादे नबत्रलष्मसतन वॊळम:॥                           दे ली क ऩूजन क वभम इव भॊि का जऩ कये ।
                                                                       े      े

अथाात् ळयद ऋतु क नलयािभं
                े                                                                         जमडती भङ्गराकारी बद्रकारी
जफ भेयी लात्रऴाक भशाऩूजा शोती                                                             कऩासरनी।
शं , उव कार भं जो भनुष्म भेये                                                             दगाा षभा सळला धािी स्लाशा
                                                                                           ु
भाशात्म्म      (दगाावद्ऱळती)
                 ु              को                                                        स्लधानभोऽस्तुते॥
बत्रक्तऩूलकवुनेगा, लश भनुष्म भेये
          ा
                                                                                          दे ली वे प्राथाना कयं -
प्रवाद वे वफ फाधाओॊ वे भुक्त
शोकय धन-धाडम एलॊ ऩुि वे
वम्ऩडन शो जामेगा।                                                                         त्रलधेफशदे त्रल कल्माणॊत्रलधेफशऩयभाॊ -
                                                                                          सश्रमभ ्।रूऩॊदेफशजमॊदेफशमळोदे फशफद्र
        नलयाि भं दगाावद्ऱळती
                  ु
                                                                                          ऴोजफश॥
को ऩढने मा          वुनने वे दे ली
अत्मडत प्रवडन शोती शं          एवा                                                        अथाात्      शे     दे त्रल! आऩ    भेया
ळास्त्रोक्त लिन शं । वद्ऱळती का                                                           कल्माण कयो। भुझे श्रेद्ष वम्ऩत्रत्त
ऩाठ उवकी भूर बाऴा वॊस्कृ त भं                                                             प्रदान कयो। भुझे रूऩ दो, जम दो,
कयने ऩय शी ऩूणा प्रबाली शोता शं ।                                                         मळ     दो    औय       भेये   काभ-क्रोध
                                                                                          इत्माफद ळिुओॊ का नाळ कयो।
        व्मत्रक्त               को
श्रीदगाावद्ऱळती को बगलती दगाा
     ु                    ु
का शी स्लरूऩ वभझना िाफशए।                                                                 त्रलद्रानो क भतानुळाय वम्ऩूणा
                                                                                                      े
ऩाठ कयने वे ऩूला श्रीदगाावद्ऱळती फक ऩुस्तक का इव भॊि वे
                      ु                                         नलयािव्रत का ऩारन कयने भं जो रोगं अवभथा शो लश
ऩॊिोऩिायऩूजन कयं -                                              नलयाि क वात यािी,ऩाॊि यािी, दं यािी औय एक यािी
                                                                       े
                                                                का व्रत कयक बी त्रलळेऴ राब प्राद्ऱ कय वकते शं । नलयाि
                                                                           े
नभोदे व्मैभशादे व्मैसळलामैवततॊनभ:।
                                                                भं नलदगाा की उऩावना कयने वे नलग्रशं का प्रकोऩ स्लत्
                                                                      ु
नभ:प्रकृ त्मैबद्रामैसनमता:प्रणता:स्भताभ ्॥
                                                                ळाॊत शो जाता शं ।
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                                            कवे कयं नलयाि व्रत?
                                             ै
                                                                                               स्लस्स्तक.ऎन.जोळी
       नल फदनं तक िरने लारे इव ऩला ऩय शभ व्रत यखकय भाॊ क नौ अरग-अरग रूऩ की ऩूजा की जाती शं । इव दौयान घय भं
                                                        े
फकमा जाने लारा त्रलसधलत शलन बी स्लास््म क सरए अत्मॊत राबप्रद शं । शलन वे आस्त्भक ळाॊसत औय लातालयण फक ळुत्रद्ध क
                                         े                                                                     े
अराला घय नकायात्भक ळत्रक्तमं का नाळ शो कय वकायात्भक ळत्रक्तमो का प्रलेळ शोता शं ।

नलयाि व्रत

नलयाि भं नल याि वे रेकय वात यािी,ऩाॊि यािी, दं यािी औय एक यािी व्रत कयने का बी त्रलधान शं ।
नलयाि व्रत क धासभाक भशत्ल क अराला लैसासनक भशत्ल शं , जो स्लास््म की दृत्रद्श वे कापी राबदामक शोता शं । व्रत कयने वे
            े              े
ळयीय भं िुस्ती-पतॉ फनी यशती शं । योजाना कामा कयने लारे ऩािन तॊि को बी व्रत क फदन आयाभ सभरता शं । फच्िे, फुजुग,
                ु                                                           े                                ा
फीभाय, गबालती भफशरा को नलयाि व्रत का नशीॊ यखना िाफशए।

नलयाि व्रत वे वॊफॊसधत उऩमोगी वुझाल

      व्रत क दौयान असधक वभम भौन धायण कयं ।
             े

      व्रत क ळुरुआत भं बूख कापी रगती शं । ऐवे भं नीॊफू ऩानी त्रऩमा जा वकता शै । इववे बूख को सनमॊत्रित यखने भं भदद
             े
       सभरेगी।

      जशा तक वॊबल शो सनजारा उऩलाव न यखं। इववे ळयीय भं ऩानी फक कभी शो जाती शं औय अऩसळद्श ऩदाथा ळयीय क फाशय
                                                                                                     े
       नशीॊ आ ऩाते। इववे ऩेट भं जरन, कब्ज, वॊक्रभण, ऩेळाफ भं जरन जैवी कई वभस्माएॊ ऩैदा शो वकती शं ।

      एक वाथ खूफ वाया ऩानी ऩीने क फजाए फदन भं कई फाय नीॊफू ऩानी त्रऩएॊ।
                                  े

      ज्मादातय रोगो को उऩलाव भं अक्वय कब्ज की सळकामत शो जाती शं । इवसरए व्रत ळुरू कयने क ऩशरे त्रिपरा, आॊलरा,
                                                                                         े
       ऩारक का वूऩ मा कये रे क यव इत्माफद ऩदाथो का वेलन कयं । इववे ऩेट वाप यशता शै ।
                              े

      व्रत क दौयान िाम, कापी का वेलन कापी फढ़ जाता शै । इव ऩय सनमॊिण यखं।
             े

व्रत क दौयान कौनवे खाद्य ऩदाथा ग्रशण कयं ?
      े

            व्रत भं अडन का वेलन लस्जात शं । स्जव कायण ळयीय भं ऊजाा की कभी शो जाती शं ।

            अनाज फक जगश परं ल वस्ब्जमं का वेलन फकमा जा वकता शं । इववे ळयीय को जरुयी ऊजाा सभरती शं ।

            वुफश क वभम आरू को फ्राई कयक खामा जा वकता शं । आरू भं काफोशाइड्रे ट प्रिुय भािा भं शोता शै । इव सरए आरू
                   े                    े
             खाने वे ळयीय को ताकत सभरती शै ।

            वुफश एक सगराव दध त्रऩरं। दोऩशय क वभम पर मा जूव रं। ळाभ को िाम ऩी वकते शं ।
                            ू                े

            कई रोग व्रत भं एक फाय शी बोजन कयते शं । ऐवे भं एक सनस्द्ळत अॊतयार ऩय पर खा वकते शं । यात क खाने भं सवॊघाड़े
                                                                                                       े
             क आटे वे फने ऩकलान खा वकते शं ।
              े
10                                          अक्टू फय 2011




                                       भॊि सवद्ध त्रलळेऴ दै ली मॊि वूसि
आद्य ळत्रक्त दगाा फीवा मॊि (अॊफाजी फीवा मॊि)
              ु                                                    वयस्लती मॊि
भशान ळत्रक्त दगाा मॊि (अॊफाजी मॊि)
              ु                                                    वद्ऱवती भशामॊि(वॊऩूणा फीज भॊि वफशत)
नल दगाा मॊि
    ु                                                              कारी मॊि
नलाणा मॊि (िाभुॊडा मॊि)                                            श्भळान कारी ऩूजन मॊि
नलाणा फीवा मॊि                                                     दस्षण कारी ऩूजन मॊि
िाभुॊडा फीवा मॊि ( नलग्रश मुक्त)                                   वॊकट भोसिनी कासरका सवत्रद्ध मॊि
त्रिळूर फीवा मॊि                                                   खोफडमाय मॊि
फगरा भुखी मॊि                                                      खोफडमाय फीवा मॊि
फगरा भुखी ऩूजन मॊि                                                 अडनऩूणाा ऩूजा मॊि
याज याजेद्वयी लाॊछा कल्ऩरता मॊि                                    एकाॊषी श्रीपर मॊि

                                       भॊि सवद्ध त्रलळेऴ रक्ष्भी मॊि वूसि
श्री मॊि (रक्ष्भी मॊि)                                             भशारक्ष्भमै फीज मॊि
श्री मॊि (भॊि यफशत)                                                भशारक्ष्भी फीवा मॊि
श्री मॊि (वॊऩूणा भॊि वफशत)                                         रक्ष्भी दामक सवद्ध फीवा मॊि
श्री मॊि (फीवा मॊि)                                                रक्ष्भी दाता फीवा मॊि
श्री मॊि श्री वूक्त मॊि                                            रक्ष्भी गणेळ मॊि
श्री मॊि (कभा ऩृद्षीम)
           ु                                                       ज्मेद्षा रक्ष्भी भॊि ऩूजन मॊि
रक्ष्भी फीवा मॊि                                                   कनक धाया मॊि
श्री श्री मॊि (श्री श्री रसरता भशात्रिऩुय वुडदमै श्री              लैबल रक्ष्भी मॊि (भशान सवत्रद्ध दामक श्री भशारक्ष्भी मॊि)
भशारक्ष्भमं श्री भशा मॊि)
अॊकात्भक फीवा मॊि
         ताम्र ऩि ऩय वुलणा ऩोरीव                        ताम्र ऩि ऩय यजत ऩोरीव                          ताम्र ऩि ऩय
               (Gold Plated)                                  (Silver Plated)                          (Copper)
        वाईज                   भूल्म                वाईज                 भूल्म                वाईज                   भूल्म
       2” X 2”                 640                 2” X 2”                460                2” X 2”                  370
       3” X 3”                1250                 3” X 3”                820                3” X 3”                  550
       4” X 4”                1850                 4” X 4”               1250                4” X 4”                  820
       6” X 6”                2700                 6” X 6”               2100                6” X 6”                 1450
       9” X 9”                4600                 9” X 9”               3700                9” X 9”                 2450
      12” X12”                8200                12” X12”               6400               12” X12”                 4600
मॊि क त्रलऴम भं असधक जानकायी शे तु वॊऩक कयं ।
     े                                 ा
                                                GURUTVA KARYALAY
                                      Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785
                          Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in,
               Our Website:- http://gk.yolasite.com/ and http://gurutvakaryalay.blogspot.com/
11                                 अक्टू फय 2011




                             दे ली आयाधना वे असबद्श कामो की सवत्रद्ध शे तु
                                                                                                  स्लस्स्तक.ऎन.जोळी
दे ली बागलत क आठलं स्कध भं दे ली उऩावना का त्रलस्ताय वे लणान शै । दे ली का ऩूजन-अिान-उऩावना-वाधना इत्माफद क
             े        ॊ                                                                                    े
ऩद्ळमात दान दे ने ऩय भनुष्म क सरमे रोक औय ऩयरोक दोनं वुख दे ने लारे शोते शं ।
                             े

      प्रसतऩदा सतसथ क फदन दे ली का ऴोडळेऩिाय वे ऩूजन कयक नैलेद्य क रूऩ भं दे ली को गाम का घृत (घी) अऩाण कयना
                      े                                  े         े
       िाफशए। भाॊ को ियणं िढ़ामे गमे घृत को ब्राम्शणं भं फाॊटने वे योगं वे भुत्रक्त सभरती शै ।
      फद्रतीमा सतसथ क फदन दे ली को िीनी का बोग रगाकय दान कयना िाफशए। िीनी का बोग रागाने वे व्मत्रक्त दीघाजीली
                      े
       शोता शं ।
      तृतीमा सतसथ क फदन दे ली को दध का बोग रगाकय दान कयना िाफशए। दध का बोग रागाने वे व्मत्रक्त को दखं वे
                    े              ू                               ू                                ु
       भुत्रक्त सभरती शं ।
      ितुथॉ सतसथ क फदन दे ली को भारऩुआ बोग रगाकय दान कयना िाफशए। भारऩुए का बोग रागाने वे व्मत्रक्त फक
                   े
       त्रलऩत्रत्त का नाळ शोता शं ।
      ऩॊिभी सतसथ क फदन दे ली को करे का बोग रगाकय दान कयना िाफशए। करे का बोग रागाने वे व्मत्रक्त फक फुत्रद्ध,
                   े              े                                े
       त्रललेक का त्रलकाव शोता शं । व्मत्रक्त क ऩरयलायीकवुख वभृत्रद्ध भं लृत्रद्ध शोती शं ।
                                               े
      ऴद्षी सतसथ क फदन दे ली को भधु (ळशद, भशु, भध) का बोग रगाकय दान कयना िाफशए। भधु का बोग रागाने वे
                   े
       व्मत्रक्त को वुॊदय स्लरूऩ फक प्रासद्ऱ शोती शं ।
      वद्ऱभी सतसथ क फदन दे ली को गुड़ का बोग रगाकय दान कयना िाफशए। गुड़ का बोग रागाने वे व्मत्रक्त क वभस्त
                    े                                                                                े
       ळोक दय शोते शं ।
            ू
      अद्शभी सतसथ क फदन दे ली को श्रीपर (नारयमर) का बोग रगाकय दान कयना िाफशए। गुड़ का बोग रागाने वे
                    े
       व्मत्रक्त क वॊताऩ दय शोते शं ।
                  े       ू
      नलभी सतसथ क फदन दे ली को धान क राले का बोग रगाकय दान कयना िाफशए। धान क राले का बोग रागाने वे
                  े                  े                                       े
       व्मत्रक्त क रोक औय ऩयरोक का वुख प्राद्ऱ शोता शं ।
                  े


                              त्रलसबडन दे ली की प्रवडनता क सरमे गामिी भॊि
                                                          े
   दगाा गामिी : ॐ सगरयजामे त्रलधभशे , सळलत्रप्रमाम धीभफश तडनो दगाा :प्रिोदमात।
    ु                                                          ु
   रक्ष्भी गामिी : ॐ भशाराक्ष्भमे त्रलधभशे , त्रलष्णु त्रप्रमाम धीभफश तडनो रक्ष्भी:प्रिोदमात।
   याधा गामिी : ॐ लृऴ बानु: जामै त्रलधभशे , फक्रस्रप्रमाम धीभफश तडनो याधा :प्रिोदमात।
   तुरवी गामिी : ॐ श्री तुल्स्मे त्रलधभशे , त्रलद्लुत्रप्रमाम धीभफश तडनो लृॊदा: प्रिोदमात।
   वीता गामिी : ॐ जनक नॊफदडमे त्रलधभशे बुसभजाम धीभफश तडनो वीता :प्रिोदमात।
   शॊ वा गामिी : ॐ ऩयम्नडवाम त्रलधभशे , भशा शॊ वाम धीभफश तडनो शॊ व: प्रिोदमात।
   वयस्लती गामिी : ॐ लाग दे व्मै त्रलधभशे काभ याज्मा धीभफश तडनो वयस्लती :प्रिोदमात।
   ऩृ्ली गामिी : ॐ ऩृ्ली दे व्मै त्रलधभशे वशस्र भूयतमै धीभफश तडनो ऩृ्ली :प्रिोदमात।
12                                              अक्टू फय 2011




         आस्द्वन नलयात्रि घट स्थाऩना भुशूत, त्रलसध-त्रलधान (28 सवतम्फय 2011)
                                          ा

                                                                                                 स्लस्स्तक.ऎन.जोळी
        आस्द्वन ळुक्र प्रसतऩदा अथाात नलयािी का ऩशरा       करळ स्थाऩना शे तु ळुब भुशूता
फदन। इवी फदन वे शी आस्द्वनी नलयाि का प्रायॊ ब शोता               राब भुशूता वुफश 06:12 वे 07:42 तक
शं । जो अस्द्वन ळुक्र नलभी को वभाद्ऱ शोते शं , इन नौ             अभृत भुशूता वुफश 07:42 वे 09:12 तक
फदनं दे त्रल दगाा की त्रलळेऴ आयाधना कयने का त्रलधान
              ु                                                  ळुब भुशूता वुफश 10:42 वे 12:12 तक
शभाये ळास्त्रो भं फतामा गमा शं । ऩयॊ तु इव लऴा तृसतमा     क भुशूता घट स्थाऩना का श्रेद्ष भुशूता यशं गे।
                                                           े
सतथी का षम शोने क कायण नलयाि नौ फदन की जगश
                 े                                                घट स्थाऩना शे तु वलाप्रथभ स्नान इत्माफद के
आठ फदनो क शंगे।
         े                                                ऩद्ळमात गाम क गोफय वे ऩूजा स्थर का रेऩन कयना
                                                                       े
        ऩायॊ ऩरयक ऩद्धसत क अनुळाव नलयात्रि क ऩशरे
                          े                 े             िाफशए। घट स्थाऩना शे तु ळुद्ध सभट्टी वे लेदी का सनभााण
फदन घट अथाात करळ की स्थाऩना कयने का त्रलधान शं ।          कयना िाफशए, फपय उवभं जौ औय गेशूॊ फोएॊ तथा उव ऩय
इव करळ भं ज्लाये (अथाात जौ औय गेशूॊ ) फोमा जाता शै ।      अऩनी इच्छा क अनुवाय सभट्टी, ताॊफे, िाॊदी मा वोने का
                                                                      े
घट स्थाऩनकी ळास्त्रोक्त त्रलसध इव प्रकाय शं ।             करळ स्थात्रऩत कयना िाफशए।
घट स्थाऩना आस्द्वन प्रसतऩदा क फदन फक जाती
                             े                                              मफद ऩूणा त्रलसध-त्रलधान वे घट स्थाऩना
शं ।                                                                     कयना शो तो ऩॊिाॊग ऩूजन (अथाात गणेळ-
घट     स्थाऩना    शे तु   सििा   नषि    औय                                  अॊत्रफका,           लरुण,               ऴोडळभातृका,
लैधसतमोग को लस्जात भाना गमा शं ।
   ृ                                                                          वद्ऱघृतभातृका, नलग्रश आफद दे लं का
(सििा नषि 28 सवतॊफय 2011 को                                                    ऩूजन) तथा ऩुण्माशलािन (भॊिंच्िाय)
दोऩशय 01:37:33 फजे वे रग यशा                                                   त्रलद्रान    ब्राह्मण    द्राया     कयाएॊ      अथला
शं ।) घट स्थाऩना भं सििा नषि को                                                अभथाता शो, तो स्लमॊ कयं ।
सनऴेध    भाना     गमा     शं ।   अत्   घट                                                  ऩद्ळमात        दे ली          की    भूसता
स्थाऩना इववे ऩूला कयना ळुब शोता                                                स्थात्रऩत     कयं       तथा       दे ली    प्रसतभाका
शं ।                                                                         ऴोडळोऩिायऩूलक ऩूजन कयं । इवक फाद
                                                                                         ा               े
        त्रलद्रनो क भत वे इव लऴा ळुक्र
                   े                                                       श्रीदगाावद्ऱळती का वॊऩुट अथला वाधायण
                                                                                ु
प्रसतऩदा वे ळुरू शोने लारे ळायदीम नलयाि भं                             ऩाठ कयना िाफशए। ऩाठ की ऩूणााशुसत क फदन
                                                                                                         े

वूमोदमी नषि शस्त नषि यशे गा। शस्त नषि को ऩूजन             दळाॊळ शलन अथला दळाॊळ ऩाठ कयना िाफशए।
                                                                  घट स्थाऩना क वाथ दीऩक की स्थाऩना बी की
                                                                              े
शे तु उत्तभ भाना जाता शं । शं । इव सरमे वूमोदम वे 6.12
                                                          जाती शै । ऩूजा क वभम घी का दीऩक जराएॊ तथा उवका
                                                                          े
फजे क फाद वे शी करळ (घट) की स्थाऩना कयना
     े
                                                          गॊध, िालर, ल ऩुष्ऩ वे ऩूजन कयना िाफशए।
ळुबदामक यशे गा।
                                                          ऩूजन क वभम इव भॊि का जऩ कयं -
                                                                े
        मफद ऎवे मोग फन यशे शो, तो घट स्थाऩना
                                                                    बो दीऩ ब्रह्मरूऩस्त्लॊ ह्यडधकायसनलायक।
दोऩशय भं असबस्जत भुशूता मा अडम ळुब भुशूता भं कयना
                                                                   इभाॊ भमा कृ ताॊ ऩूजाॊ गृह्रॊस्तेज: प्रलधाम।।
उत्तभ यशता शं ।
13                                       अक्टू फय 2011




                        वयर त्रलसध-त्रलधान वे ळायदीम नलयाि व्रत उऩावना

                                                                                                         सिॊतन जोळी
        आस्द्वन ळुक्र प्रसतऩदा, फुधलाय, 28 सवतॊफय को            ऩुष्ऩ।
ळायदीम नलयाि आयॊ ब शो यशे शं । नलयाि भं भाॊ दगाा दे ली का
                                             ु                  नलयाि व्रत:
आह्लान, स्थाऩना ल ऩूजन का वभम प्रात:कार शोता शं ।               नलयाि का व्रत वबी लगा क बक्तो क सरए उत्तभ शोता शै । मफद
                                                                                       े       े
इवीसरए फद्रस्लबाल कडमा रग्न भं घट स्थाऩना का वभम                कोई बक्त नौ फदन तक व्रत न यख वक तो दो-यािी क व्रत
                                                                                               ं            े
प्रात: 7.39 तक वलाश्रद्ष शै ।
                     े            इवक असतरयक्त िय रग्न क
                                     े                  े       अलश्म कयने िाफशमे अथाात ऩशरा औय अॊसतभ नलयाि का व्रत
िौघस्िडए अथला असबस्जत कार भं बी घट स्थाऩना की जा                कयना उऩमुक्त शोता शं ।
वकती शै । ळायदीम नलयाि दे ली उऩावना क सरए असधक असत
                                     े                          वयर ऩूजन त्रलसध:
उत्तभ भाना गमा शै ।                                             वलाप्रथभ बक्त श्री गणेळजी का आह्लान कयने क फाद अऩनी
                                                                                                          े
        जो बक्त नलयाि क दौयान दे त्रल का ळास्त्रोक्त त्रलसध-
                       े                                        करदे ली का ऩूजन कयना िाफशमे। उवक फाद भाता बगलती का
                                                                 ु                              े
त्रलधान वे ऩूजन कयना िाशं , उडशं नलयाि क एक फदन ऩूला
                                        े                       ऩूजन अऩने कर की ऩयॊ ऩया क अनुवाय कयना िाफशमे।
                                                                           ु             े
वबी ऩूजन वाभग्री को एकत्रित कय रेना िाफशमे।                     नलयाि भं दगाा वद्ऱळती का ऩाठ ऩूणा ऩाठ कयना असत उत्तभ
                                                                          ु
        स्जव स्थान ऩय भाॊ बगलती को स्थात्रऩत कयना शो            शोता शं ।
लशाॊ भॊडऩ फनाने क सरमे उव स्थान को वभतर फनारे, उव
                 े
स्थान मा बूसभको सभट्टी मा गाम क गोफय वे रीऩकय बूसभ
                               े                                                        गणेळ रक्ष्भी मॊि
का ळुत्रद्धकयण कय रं।
        त्रलद्रानो क भत अनुळाय प्रसतभा स्थात्रऩत कयने शे तु
                    े
भॊडऩ नौ शाथ रॊफा औय वात शाथ िौड़ा फनाने का ळास्त्रोक्त
त्रलधान शै । भॊडऩ फनाकय उवे त्रलसबडन ळृॊगाय वाभग्री वे
वुवस्ज्जत कयं । भाॊ बगलती की प्रसतभा स्थात्रऩत कयने के
सरए भॊडऩ क भध्मभ भं िाय शाथ रॊफी औय एक शाथ ऊिी लेदी
          े                                 ॊ
फनारं। उव लेदी ऩय ये ळभी रार लस्त्र त्रफछारे।
दे ली प्रसतभा शे तु भाॊ बगलती की प्रसतभा िाय बुजा लारी एलॊ
                                                                    प्राण-प्रसतत्रद्षत गणेळ रक्ष्भी मॊि को अऩने घय-दकान-
                                                                                                                    ु
सवॊश ऩय वलायी फकमे शुए शो लैवी शी प्रसतभा स्थात्रऩत कयना
                                                                    ओफपव-पक्टयी भं ऩूजन स्थान, गल्रा मा अरभायी
                                                                          ै
उत्तभ शोता शं । इव क ऩीछे का आध्मास्त्भक सवद्धाॊत शोता शं
                    े
                                                                    भं स्थात्रऩत कयने व्माऩाय भं त्रलळेऴ राब प्राद्ऱ शोता
की बक्त की िायं फदळाओॊ वे वुयषा शो वक औय उवे वभस्त
                                     े
                                                                    शं । मॊि क प्रबाल वे बाग्म भं उडनसत, भान-प्रसतद्षा
                                                                              े
प्रकाय क वुख-वभृत्रद्ध ल ळाॊसत प्राद्ऱ शो।
        े
                                                                    एलॊ व्माऩय भं लृत्रद्ध शोती शं एलॊ आसथाक स्स्थभं वुधाय
        करळ स्थाऩीत कयने शे तु भॊि उच्िायण कयते शुए
                                                                    शोता शं । गणेळ रक्ष्भी मॊि को स्थात्रऩत कयने वे
तीथा स्थरं क जर का आह्लान कय करळ की स्थाऩना कयनी
            े
                                                                    बगलान गणेळ औय दे ली रक्ष्भी का वॊमुक्त आळीलााद
िाफशमे।शलन लेदी त्रिकोण फनाएॊ औय उवऩय जुआये उगाएॊ।
ऩूजन वाभग्री: िॊदन, अगरू, कऩूय, कभर, अळोक, वुगॊसधत
                                                                    प्राद्ऱ शोता शं ।        Rs.550 वे Rs.8200 तक
14                                              अक्टू फय 2011




                                  नलयाि स्ऩेळर घट स्थाऩना त्रलसध
                                                                                      स्लस्स्तक.ऎन.जोळी, त्रलजम ठाकुय
दगाा ऩूजन वाभग्री-
 ु                                                             तत ऩद्ळमात शाथ धोकय, ऩुन: आवन ळुत्रद्ध भॊि का
कराला    (भौरी,   यषा    वूि), योरी, सवॊदय, १
                                         ू           श्रीपर    उच्िायण कयं :-
(नारयमर), अषत (त्रफना टू टे िालर), रार लस्त्र, वगॊसधत              ॐ ऩृ्ली त्लमाधृता रोका दे त्रल त्मलॊ त्रलष्णुनाधृता।
पर- भारा, 5 ऩान क ऩत्ते , 5 वुऩायी, रंग, करळ, करळ
 ू               े                                                       त्लॊ ि धायमभाॊ दे त्रल ऩत्रलिॊ करु िावनभ ्॥
                                                                                                         ु
शे तु आभ क ऩल्रल, रकडीि की िौकी, वसभधा, शलन कण्ड,
          े                                  ु
                                                               ळुत्रद्ध कयण औय आिभन क ऩद्ळमात िॊदन रगाना
                                                                                     े
शलन वाभग्री, कभर गट्टे , ऩॊिाभृत ( दध, दशी, घी, ळशद,
                                    ू
                                                               िाफशए।
ळकया(िीनी) ), पर, सभठाई, ऊन का आवन, वाफूत शल्दी,
  ा
                                                               अनासभका उॊ गरी वे श्रीखॊड िॊदन रगाते शुए इव भॊि का
अगयफत्ती, इि, घी, दीऩक, आयती की थारी, कळा, यक्त िॊदन,
                                       ु
                                                               उच्िायण कयं :-
द्ळेत िॊदन (श्रीखॊड िॊदन), जौ, सतर, वुलणा गणेळ ल दगाा
                                                  ु
                                                                         िडदनस्म भशत्ऩुण्मभ ् ऩत्रलिॊ ऩाऩनाळनभ,्
की प्रसतभा 2 (वुलणा उप्रब्ध न शो तो ऩीतर, कई रोग
                                                                        आऩदाॊ शयते सनत्मभ ् रक्ष्भी सतद्षतु वलादा।
सभट्टी की प्रसतभा वे ऩूजन कयते शं ।), आबूऴण ल श्रृगाय
                                                 ॊ
वाभग्री, ऩॊिभेला, ऩॊिसभठाई, रूई इत्माफद,                       ऩॊिोऩिाय ऩूजन कयने क ऩद्ळमात वॊकल्ऩ कयना िाफशएॊ।
                                                                                   े
                                                               वॊकल्ऩ भं ऩुष्ऩ, पर, वुऩायी, ऩान, िाॊदी का सवक्का, श्रीपर
दगाा ऩूजन वे ऩूला िौकी को ळुद्ध कयक श्रृगाय कयक
 ु                                 े   ॊ       े
                                                               (नारयमर), सभठाई, भेला, आफद वबी वाभग्री थोड़ी-थोड़ी
िौकी वजारं।
                                                               भािा भं रेकय वॊकल्ऩ भॊि का उच्िायण कयं :-
तत ऩद्ळमात रार कऩडे का आवन त्रफछाकय गणऩसत एलॊ                  ॥ वॊकल्ऩ लाक्म॥
दगाा भाता की प्रसतभाक वम्भुख फैठ जाए।
 ु                   े                                         शरय ॐ तत्वत l नभ् ऩयभात्भने श्री ऩुयाण ऩुरुऴोत्तभाम
                                                               श्री भद बगलते भशा ऩुरुऴस्म त्रलष्णो यासामा प्रलता भान

तत ऩद्ळमात आवन को इव भॊि वे ळुत्रद्ध कयण कयं :                 स्माद्य ब्राह्मणं फद्रतीम प्रशयाद्रे श्रीद्वेत्लायाश कारे लै   लस्तल
                                                               -भडलडतये        अस्श्त्लस्श्तत्भे कल्मुगे कसर प्रथभ ियणे जम्फू
      ॐ अऩत्रलि : ऩत्रलिोला वलाालस्थाॊ गतोऽत्रऩला।
                                                               द्रीऩे बयत खण्ड बायत लऴे आमाा लतांडतगात दे ळैक ऩुण्म
     म: स्भये त ् ऩुण्डयीकाषॊ व फाह्याभ्मडतय: ळुसि:॥
                                                               षेि ऴत्रद्श वम्लस्तायाणाॊ भध्मे 'अभुक ' नासभन वॊलत्वये
                                                               'अभुक ' अमने 'अभुक 'िुतौ .अभुक भावे 'अभुक ऩषे
इन भॊिं का उच्िायण कयते शुए अऩने ऊऩय तथा आवन
                                                               .अभुक सतथौ अभुक नषिे ,अभुक मोग 'अभुक 'लावये
ऩय 3-3 फाय कळा मा ऩुष्ऩाफद वे छीॊटं रगामं।
            ु
                                                               'अभुक यासळस्मे वूमे, बौभं, फुधे, गुयौ, ळुक्र, ळनौ, याशौ,
                                                                                                          े
                                                               कतौ एलॊ गुण त्रलसळद्शामा सतथौ 'अभुक' गोिोत्ऩडने 'अभुक
                                                                े
तत ऩद्ळमात आिभन कयं :
                                                               'नास्म्न ळभाा (लभाा इत्माफद ) वकरऩाऩषमऩूलक वलाारयद्श
                                                                                                        ा ॊ
                    ॐ कळलाम नभ:
                       े                                       ळाॊसतसनसभत्तॊ     वलाभॊगरकाभनमा          श्रुसतस्भृत्मोक्तपरप्राप्त्मथं
                   ॐ नायामण नभ:                                भनेस्प्वत कामा सवद्धमथं श्री दगाा ऩूजनॊ ि अशॊ करयष्मे।
                                                                                             ु
                    ॐ भध्लामे नभ:                              तत्ऩूलाागॊत्लेन    सनत्रलाघ्नताऩूलक
                                                                                                 ा       कामा      सवद्धमथं     मथा
                   ॐ गोत्रलडदाम नभ्                            सभसरतोऩिाये गणऩसत ऩूजनॊ करयष्मे।
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Gurutva jyotish oct 2011

  • 1. Font Help >> http://gurutvajyotish.blogspot.com गुरुत्ल कामाारम द्राया प्रस्तुत भासवक ई-ऩत्रिका अक्टू फय- 2011 NON PROFIT PUBLICATION
  • 2. FREE E CIRCULAR गुरुत्ल ज्मोसतऴ ऩत्रिका अक्टू फय 2011 वॊऩादक सिॊतन जोळी गुरुत्ल ज्मोसतऴ त्रलबाग वॊऩका गुरुत्ल कामाारम 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA पोन 91+9338213418, 91+9238328785, gurutva.karyalay@gmail.com, ईभेर gurutva_karyalay@yahoo.in, http://gk.yolasite.com/ लेफ http://www.gurutvakaryalay.blogspot.com/ ऩत्रिका प्रस्तुसत सिॊतन जोळी, स्लस्स्तक.ऎन.जोळी पोटो ग्राफपक्व सिॊतन जोळी, स्लस्स्तक आटा शभाये भुख्म वशमोगी स्लस्स्तक.ऎन.जोळी (स्लस्स्तक वोफ्टे क इस्डडमा सर) ई- जडभ ऩत्रिका E HOROSCOPE अत्माधुसनक ज्मोसतऴ ऩद्धसत द्राया Create By Advanced Astrology उत्कृ द्श बत्रलष्मलाणी क वाथ े Excellent Prediction १००+ ऩेज भं प्रस्तुत 100+ Pages फशॊ दी/ English भं भूल्म भाि 750/- GURUTVA KARYALAY 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA Call Us – 91 + 9338213418, 91 + 9238328785 Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com
  • 3. अनुक्रभ नलयाि त्रलळेऴ दीऩालरी नलयाि भं भाॊ दगाा क नलरुऩं फक उऩावना कल्माणकायी शं ु े 6 धन तेयव ळुब भुशूता (24 अक्तफय, 2011) ू 47 भाॊ दगाा की उऩावना क्मं की जाती शं ? ु 7 दीऩालरी ऩूजन भुशूता (26-अक्तफय-2011) ू 48 ळायदीम नलयाि व्रत वे वुख वौबाग्म की प्रासद्ऱ शोती शं 8 रक्ष्भी प्रासद्ऱ शे तु कयं यासळ भॊि का जऩ 53 कवे कयं नलयाि व्रत? ै 9 रक्ष्भी प्रासद्ऱ क वयर उऩाम े 54 दे ली आयाधना वे असबद्श कामो की सवत्रद्ध शे तु 11 रक्ष्भी भॊि 56 आस्द्वन नलयात्रि घट स्थाऩना भुशूता, त्रलसध-त्रलधान 12 दीऩ जराने का भशत्ल क्मा शं ? 63 वयर त्रलसध-त्रलधान वे ळायदीम नलयाि व्रत उऩावना 13 धनिमोदळी ऩय मभ-दीऩदान अकारभृत्मु को दय कयता शं ू 66 नलयाि स्ऩेळर घट स्थाऩना त्रलसध 14 धनिमोदळी ऩय मभदीऩदान क्मं फकमा जाता शं ? 68 नलाणा भॊि वे शोती शं नलग्रश ळाॊसत 18 दीऩालरी क फदन कवे कयं फशीखाता तुरा ऩूजन? े ै 69 दगााद्शाषय भडि वाधना ु 22 दीऩालरी का भशत्ल औय रक्ष्भी ऩूजन त्रलसध 70 कभायी ऩूजन वे वकर भनोयथ सवद्ध शोते शं । ु 23 श्री धनलॊतरय व्रत कथा 71 भाता क 52 ळत्रक्त ऩीठ े 26 वद्ऱ श्री का िभत्काय 74 नलाणा भडि वाधना 20 स्पफटक श्रीमॊि का ऩूजन 75 भॊि एलॊ स्तोि दगाा िारीवा ु 32 बलाडमद्शकभ,् 36 दगााद्शकभ,् ु 35 श्री वूक्त 82 श्रीकृ ष्ण कृ त दे ली स्तुसत, 33 षभा-प्राथाना, 36 वला ऐद्वमा प्रद-रक्ष्भी-कलि 77 धनरक्ष्भी स्तोि 82 ऋग्लेदोक्त दे ली वूक्तभ,् 33 दगााद्शोत्तय ळतनाभ स्तोिभ,् ु 37 भशारक्ष्भी कलि 78 अद्शरक्ष्भी स्तोि 83 वप्तश्र्लरोकी दगाा, ु 34 त्रलद्वॊबयी स्तुसत, 38 भशारक्ष्भी स्तुसत 79 दे लकृ त रक्ष्भी स्तोिभ ् 83 दगाा आयती, ु 34 भफशऴावुयभफदा सनस्तोिभ,् 39 श्री कनकधाया स्तोि 80 सवद्धकस्जकास्तोिभ,् ुॊ 35 गुद्ऱ वद्ऱळती, 41 श्री रक्ष्भी िारीवा 81 शभाये उत्ऩाद दगाा फीवा मॊि ु 6 ळादी वॊफॊसधत वभस्मा 37 अभोद्य भशाभृत्मुॊजम कलि 60 कनकधाया मॊि 80 भॊि सवद्ध दै ली मॊि वूसि 10 भॊि सवद्ध गणेळ मॊि 49 याळी यत्न एलॊ उऩयत्न 60 यासळ यत्न 88 भॊिसवद्ध रक्ष्भी मॊिवूसि 10 भॊगर मॊि वे ऋण भुत्रक्त 50 श्रीकृ ष्ण फीवा मॊि/ कलि 61 भॊि सवद्ध वाभग्री 94 गणेळ रक्ष्भी मॊि 13 भॊि सवद्ध दरब वाभग्री ु ा 55 याभ यषा मॊि 62 वला योगनाळक मॊि/ 101 बाग्म रक्ष्भी फदब्फी 17 वला कामा सवत्रद्ध कलि 57 भॊि सवद्ध रूद्राष 65 भॊि सवद्ध कलि 103 द्रादळ भशा मॊि 21 जैन धभाके त्रलसळद्श मॊिो वूिी 58 भॊिसवद्ध स्पफटक श्री मॊि 67 YANTRA 104 घॊटाकणा भशालीय वला सवत्रद्ध भशामॊि 59 रक्ष्भी मॊि 74 GEMS STONE 106 स्थामी औय अडम रेख वॊऩादकीम 4 अक्टू फय-2011 भासवक व्रत-ऩला-त्मौशाय 91 ऩसत-ऩत्नी भं करश सनलायण शे तु 22 अक्टू फय 2011 -त्रलळेऴ मोग 97 ळयद ऩूस्णाभा (11-अक्टू फय-2011) 44 दै सनक ळुब एलॊ अळुब वभम सान तासरका 97 कोजागयी ऩूस्णाभा (11-अक्टू फय-2011) 45 फदन-यात क िौघफडमे े 98 दलाा ऩूजनभं यखे वालधासनमाॊ ु 45 फदन-यात फक शोया - वूमोदम वे वूमाास्त तक 99 कयला िौथ व्रत (15-अक्टू फय-2011) 46 ग्रश िरन अक्टू फय -2011 100 नमे कऩडे औय ज्मोसतऴ 50 वूिना 108 भासवक यासळ पर 84 शभाया उद्दे श्म 110 अक्टू फय 2011 भासवक ऩॊिाॊग 89
  • 4. वॊऩादकीम त्रप्रम आस्त्भम फॊध/ फफशन ु जम गुरुदे ल फशडद ु ऩयॊ ऩया भं दे ली को त्रलसबडन रूऩं वे जाना औय ऩूजा जाता शं । ॐ जमॊती भॊगरा कारी बद्रकारी कऩासरनी। दगाा षभा सळला धािी स्लाशा स्लधा नभोऽस्तुते॥ ु बालाथा: जमॊती, भॊगरा, कारी, बद्रकारी, कऩासरनी, दगाा, षभा, सळला धािी औय स्लधा क नाभं वे प्रसवद्ध ु े जगदम्फा दे ली। आऩको भेया नभस्काय शं । नभो दे व्मै भशादे व्मै सळलामै वततॊ नभ:। नभ: प्रकृ त्मै बद्रामै सनमता: प्रणता: स्भताभ ्॥ अथाात: दे ली को नभस्काय शं , भशादे ली को नभस्काय शं । भशादे ली सळला को वलादा नभस्काय शं । प्रकृ सत एलॊ बद्रा को भेया प्रणाभ शं । शभ रोग सनमभऩूलक दे ली जगदम्फा को नभस्काय कयते शं । ा ळास्त्रोक्त लणान शं की दे ली दगाा क उक्त भॊि का स्भयण कय प्राथाना कयने भाि वे दे ली प्रवडन शोकय अऩने ु े बक्तं की इच्छा ऩूणा कयती शं । वभस्त दे ल गण स्जनकी स्तुसत प्राथना कयते शं । भाॉ दगाा अऩने बक्तो की यषा कय उन ु ऩय कृ ऩा द्रद्शी लऴााती शं औय उवको उडनती क सळखय ऩय जाने का भागा प्रवस्त कयती शं । इव सरमे ईद्वय भं े श्रद्धा त्रलद्वाय यखने लारे वबी भनुष्म को दे ली की ळयण भं जाकय दे ली वे सनभार रृदम वे प्राथाना कयनी िाफशमे। भाॊ जगदम्फा की कृ ऩा प्रासद्ऱ शे तु नलयािी त्रलळेऴ राब प्रदान कयने लारी शं । क्मोफक नलयाि को आद्य् ळत्रक्त की उऩावना का भशाऩला भाना गमा शं । दे ली बागलत क आठलं स्कध भं दे ली उऩावना का त्रलस्ताय वे लणान फकमा गमा शै । े ॊ भाकण्डे मऩुयाण क अॊतगात दे ली भाशात्म्म भं उल्रेख शं की स्लमॊ भाॊ जगदम्फा का लिन शं ... की ा े ळयत्कारे भशाऩूजा फक्रमतेमा िलात्रऴकी। ा तस्माॊभभैतडभाशात्म्मॊश्रत्लाबत्रक्तवभस्डलत:॥ ु वलााफाधात्रलसनभुक्तोधनधाडमवुतास्डलत:। ा भनुष्मोभत्प्रवादे नबत्रलष्मसतन वॊळम:॥ अथाात् ळयद ऋतु क नलयािभं जफ भेयी लात्रऴाक भशाऩूजा शोती शं , उव कार भं जो भनुष्म भेये भाशात्म्म े (दगाावद्ऱळती) को बत्रक्तऩूलकवुनेगा, लश भनुष्म भेये प्रवाद वे वफ फाधाओॊ वे भुक्त शोकय धन-धाडम एलॊ ऩुि वे वम्ऩडन ु ा शो जामेगा।
  • 5. भाॊ दगाा की कृ ऩा प्रासद्ऱ शे तु त्रलसबडन ळास्त्र एलॊ ग्रॊथो भं त्रलसबडन भॊिं का उल्रेख फकमा गमा शं । ऩाठको क ु े भागादळान एलॊ जानकायी शे तु ऩत्रिका क इव अॊक भं कछ त्रलळेऴ प्राबाली भॊिो का वॊकरन कयने का प्रमाव े ु फकमा गमा शं । इव अॊक भं करळ स्थाऩना वे वॊफॊसधत लणान बी फकमा गमा शं । स्जववे इच्छक फॊधु/फशन ु त्रलळेऴ राब प्राद्ऱ कय अऩने भनोयथो को सवद्ध कयने भं वभथा शं। दीऩालरी को फशडद ू धभा भं ऩॊिभशा ऩला क रुऩ भं भनामा जाता शं । ऩॊिभशा ऩला को वबी जगश ऩय े त्रलळेऴ प्रकाय की ऩूजाएॊ की जाती शं । उव भं त्रलळेऴ रुऩ वे भाॊ रक्ष्भी की ऩूजा की जाती शं । क्मोकी, ऩुयातन कार वे शी धन प्रासद्ऱ की इच्छा प्राम वबी व्मत्रक्तमं भं यशी शं । कछ रोगो को धन, वॊऩत्रत्त एलॊ बौसतक वुख-वाधन अऩनी मोग्मता औय भेशनत क अनुळाय प्राद्ऱ शो ु े जाता शं । रेफकन फशोत वे रोग एवे शोते शं स्जडशं कफठन ऩरयश्रभ कयने औय सळस्षत शोने क उऩयाॊत बी त्रलळेऴ े राब नशीॊ सभरता मा अऩने ऩरयश्रभ का उसित भूल्म बी नशीॊ प्राद्ऱ शो ऩाता शं । स्जन रोगो क ऩाव ऩमााद्ऱ धन-वॊऩत्रत्त शोती शं उडशं इच्छा शोती शं उनकी धन-वॊऩत्रत्त फदन दोगुनी यात े िौगुनी फढती यशं ओय स्जक ऩाव ऩमााद्ऱ धन-वॊऩत्रत्त नशीॊ शं उवकी इच्छा शोती शं , की उवे कभ वे कभ इतनी े धन वॊऩत्रत्त प्राद्ऱ शो जामे की उवका जीलन वुखभम शो। फशडद ु ऩॊिाॊग क अनुळाय कासताक की अभालव को दीऩालरी भनाई जाती शं । इव फदन दे ली रक्ष्भी, गणेळ, े वयस्लती, कफेय की ऩूजन कयने का त्रलधान शै । ु क्मोफक दे ली रक्ष्भी की उत्ऩत्ती दीऩालरी क फदन भानी जाती शं े औय ळास्त्रोक्त लणा शं धन की दे ली रक्ष्भी शं औय धन क दे लता कफेय शं , स्जनक प्रवडन शोने वे भनुष्म को े ु े धन, वभृत्रद्ध एलॊ ऐद्वमा प्राद्ऱ शोता शं । भाॊ रक्ष्भी िॊिर शं । अथाात रक्ष्भी जी लश एक जगश फटकती नशीॊ शै । फकव प्रकाय रक्ष्भी का आगभन आऩक घय भं शो औय स्जदॊ गी द्ख, दरयद्र, कद्शो वे छट कय खुसळमं वे बय े ु ु जाए उववे जुडे यशस्मो को बायतीम ऋत्रऴ भुसनमं ने खोज सनकारा शं । मश बी एक प्रभुख कायण शं की दीऩालरी का ऩला भनामा जाता शं औय रक्ष्भीजी का ऩूजन अिान फकमा जाता शं । क्मोफक लेद फशॊ दओॊ धभा क प्रािीनतभ धासभाक ग्रॊथ शं । लेदो को शभायी प्रािीन बायतीम वॊस्कृ सत क ु े े भूल्मलान बॊडाय भाने जाते शं । स्जवे शभाये त्रलद्रान ऋत्रऴ-भुसनमं ने लऴो तक सिॊतन-भनन अध्ममन कय इव वृत्रद्श क अद्भद यशस्मं की जानकायी इव लेद क रुऩ भं वॊग्रफशत की शं । स्जववे भनुष्म वभझ कय अऩने जीलन े ु े की शय वभस्माओॊ का शर सनकार वक। े सिॊतन जोळी
  • 6. 6 अक्टू फय 2011 नलयाि भं भाॊ दगाा क नलरुऩं फक उऩावना कल्माणकायी शं ु े  सिॊतन जोळी भाॊ दगाा क नलरुऩं की उऩावना सनम्न भॊिं क द्राया की ु े े 5. स्कडदभाता जाती शै . प्रथभ फदन ळैरऩुिी की एलॊ क्रभळ् भाॊ दगाा क नलरुऩं ु े सवॊशावनगता सनत्मॊ ऩद्भासश्रतकयद्रमा । की उऩावना की जाती शै । ळुबदास्तु वदा दे ली स्कडदभाता मळस्स्लनी ॥ 6. कात्मामनी १. ळैरऩुिी २. ब्रह्मिारयणी ३. िडद्रघण्टा ४. कष्भाण्डा ५. ू िडद्रशावोज्लरकया ळादा रलयलाशना । ू स्कडदभाता ६. कात्मामनी ७. कारयात्रि ८. भशागौयी ९. कात्मामनी ळुबॊ दद्याद्दे ली दानलघासतनी सवत्रद्धदािी 7. कारयात्रि 1.ळैरऩुिी एकलेणी जऩाकणाऩूया नग्ना खयास्स्थता । लडदे लास्छछतराबाम िडद्राधाकृतळेखयाभ ् । रम्फोद्षी कस्णाकाकणॉ तैराभ्मक्तळयीरयणी ॥ लृऴारुढाॊ ळूरधयाॊ ळैरऩुिीॊ मळस्स्लनीभ ् ॥ लाभऩादोल्रवल्रोशरताकण्टकबूऴणा । 2. ब्रह्मिारयणी लधानभूधध्लजा कृ ष्णा कारयात्रिबामङ्कयी ॥ ा दधाना कयऩद्भाभ्माभषभाराकभण्डरू । 8. भशागौयी दे ली प्रवीदतु भसम ब्रह्मिारयण्मनुत्तभा ॥ द्वेते लृऴे वभारुढा द्वेताम्फयधया ळुसि् । 3. िडद्रघण्टा भशागौयी ळुबॊ दद्याडभशादे लप्रभोददा ॥ त्रऩण्डजप्रलयारुढा िण्डकोऩास्त्रकमुता । ै ा 9. सवत्रद्धदािी प्रवादॊ तनुते भह्याॊ िडद्रघण्टे सत त्रलश्रुता ॥ सवद्धगडधलामषाद्यैयवुयैयभयै यत्रऩ । 4. कष्भाण्डा ू वेव्मभाना वदा बूमात ् सवत्रद्धदा सवत्रद्धदासमनी ॥ वुयावम्ऩूणकरळॊ रुसधयाप्रुतभेल ि । ा दधाना शस्तऩद्भाभ्माॊ कष्भाण्डा ळुबदास्तु भे ॥ ू दगाा फीवा मॊि ु ळास्त्रोक्त भत क अनुळाय दगाा फीवा मॊि दबााग्म को दय कय व्मत्रक्त क वोमे शुले बाग्म को जगाने लारा भाना े ु ु ू े गमा शं । दगाा फीवा मॊि द्राया व्मत्रक्त को जीलन भं धन वे वॊफॊसधत वॊस्माओॊ भं राब प्राद्ऱ शोता शं । जो व्मत्रक्त ु आसथाक वभस्मावे ऩये ळान शं, लश व्मत्रक्त मफद नलयािं भं प्राण प्रसतत्रद्षत फकमा गमा दगाा फीवा मॊि को स्थासद्ऱ ु कय रेता शं , तो उवकी धन, योजगाय एलॊ व्मलवाम वे वॊफॊधी वबी वभस्मं का ळीघ्र शी अॊत शोने रगता शं । नलयाि क फदनो भं प्राण प्रसतत्रद्षत दगाा फीवा मॊि को अऩने घय-दकान-ओफपव-पक्टयी भं स्थात्रऩत कयने वे त्रलळेऴ े ु ु ै राब प्राद्ऱ शोता शं , व्मत्रक्त ळीघ्र शी अऩने व्माऩाय भं लृत्रद्ध एलॊ अऩनी आसथाक स्स्थती भं वुधाय शोता दे खंगे। वॊऩूणा प्राण प्रसतत्रद्षत एलॊ ऩूणा िैतडम दगाा फीवा मॊि को ळुब भुशूता भं अऩने घय-दकान-ओफपव भं स्थात्रऩत ु ु कयने वे त्रलळेऴ राब प्राद्ऱ शोता शं । भूल्म: Rs.550 वे Rs.8200 तक
  • 7. 7 अक्टू फय 2011 भाॊ दगाा की उऩावना क्मं की जाती शं ? ु  सिॊतन जोळी नभो दे व्मै भशादे व्मै सळलामै वततॊ नभ:। इव भॊि क जऩ वे भाॉ फक ळयणागती प्राद्ऱ शोती शं । े नभ: प्रकृ त्मै बद्रामै सनमता: प्रणता: स्भताभ ्॥ स्जस्वे भनुष्म क जडभ-जडभ क ऩाऩं का नाळ शोता शै । े े अथाात: दे ली को नभस्काय शं , भशादे ली को नभस्काय शं । भाॊ जननी वृत्रद्श फक आफद, अॊत औय भध्म शं । भशादे ली सळला को वलादा नभस्काय शं । प्रकृ सत एलॊ बद्रा को भेया दे ली वे प्राथाना कयं – प्रणाभ शं । शभ रोग सनमभऩूलक दे ली जगदम्फा को नभस्काय ा ळयणागत-दीनाता-ऩरयिाण-ऩयामणे कयते शं । वलास्मासतंशये दे त्रल नायामस्ण नभोऽस्तुते॥ उऩयोक्त भॊि वे दे ली दगाा का स्भयण कय प्राथाना कयने भाि वे ु अथाात: ळयण भं आए शुए दीनं एलॊ ऩीस्िडतं की यषा भं वॊरग्न दे ली प्रवडन शोकय अऩने बक्तं की इच्छा ऩूणा कयती शं । वभस्त यशने लारी तथा वफ फक ऩीड़ा दय कयने लारी नायामणी दे ली ू दे ल गण स्जनकी स्तुसत प्राथना कयते शं । भाॉ दगाा अऩने बक्तो ु आऩको नभस्काय शै । की यषा कय उन ऩय कृ ऩा द्रद्शी लऴााती शं औय उवको उडनती क सळखय ऩय जाने का भागा प्रवस्त कयती शं । इव सरमे े योगानळेऴानऩशॊ सव तुद्शा रूद्शा तु काभान वकरानबीद्शान ्। ईद्वय भं श्रद्धा त्रलद्वाय यखने लारे वबी भनुष्म को दे ली की त्लाभासश्रतानाॊ न त्रलऩडनयाणाॊ त्लाभासश्रता शाश्रमताॊ प्रमास्डत। ळयण भं जाकय दे ली वे सनभार रृदम वे प्राथाना कयनी िाफशमे। अथाात् दे ली आऩ प्रवडन शोने ऩय वफ योगं को नद्श कय दे ती शो औय कत्रऩत शोने ऩय भनोलाॊसछत वबी काभनाओॊ का नाळ ु दे ली प्रऩडनासताशये प्रवीद प्रवीद भातजागतोsस्खरस्म। कय दे ती शो। जो रोग तुम्शायी ळयण भं जा िुक शै । उनको े ऩवीद त्रलद्वेतरय ऩाफश त्रलद्वॊ त्लभीद्ळयी दे ली ियाियस्म। त्रलऩत्रत्त आती शी नशीॊ। तुम्शायी ळयण भं गए शुए भनुष्म दवयं ू अथाात: ळयणागत फक ऩीड़ा दय कयने लारी दे ली आऩ शभ ऩय ू को ळयण दे ने लारे शो जाते शं । प्रवडन शं। वॊऩूणा जगत भाता प्रवडन शं। त्रलद्वेद्वयी दे ली त्रलद्व फक यषा कयो। दे ली आऩ फश एक भाि ियािय जगत फक वलाफाधाप्रळभनॊ िेरोक्मस्मास्खरेद्वयी। असधद्वयी शो। एलभेल त्लमा कामाभस्मध्दै रयत्रलनाळनभ ्। अथाात् शे वलेद्वयी आऩ तीनं रोकं फक वभस्त फाधाओॊ को वलाभॊगर-भाॊगल्मे सळलेवलााथवासधक । ा े ळाॊत कयो औय शभाये वबी ळिुओॊ का नाळ कयती यशो। ळयण्मे िमम्फक गौरय नायामस्ण नभोऽस्तुते॥ े वृत्रद्शस्स्थसत त्रलनाळानाॊ ळत्रक्तबूते वनातसन। ळाॊसतकभास्ण वलाि तथा द:स्लप्रदळाने। ु गुणाश्रमे गुणभमे नायामस्ण नभोऽस्तुते॥ ग्रशऩीडावु िोग्रावु भशात्भमॊ ळणुमात्भभ। अथाात: शे दे ली नायामणी आऩ वफ प्रकाय का भॊगर प्रदान अथाात् वलाि ळाॊसत कभा भं, फुये स्लप्न फदखाई दे ने ऩय तथा कयने लारी भॊगरभमी शो। कल्माण दासमनी सळला शो। वफ ग्रश जसनत ऩीड़ा उऩस्स्थत शोने ऩय भाशात्म्म श्रलण कयना ऩुरूऴाथं को सवद्ध कयने लारी ळयणा गतलत्वरा तीन नेिं िाफशए। इववे वफ ऩीड़ाएॉ ळाॊत औय दय शो जाती शं । ू लारी गौयी शो, आऩको नभस्काय शं । आऩ वृत्रद्श का ऩारन औय मफश कायण शं वशस्त्रमुगं वे भाॊ बगलती जगतजननी दगाा ु वॊशाय कयने लारी ळत्रक्तबूता वनातनी दे ली, आऩ गुणं का की उऩावना प्रसत लऴा लवॊत, आस्द्वन एलॊ गुद्ऱ नलयािी भं आधाय तथा वलागुणभमी शो। नायामणी दे ली तुम्शं नभस्काय त्रलळेऴ रुऩ वे कयने का त्रलधान फशडद ु धभा ग्रॊथो भं शं । शै । ***
  • 8. 8 अक्टू फय 2011 ळायदीम नलयाि व्रत वे वुख वौबाग्म की प्रासद्ऱ शोती शं  सिॊतन जोळी नलयाि को ळत्रक्त की उऩावना का भशाऩला भाना गमा जो व्मत्रक्त दगाावद्ऱळतीक भूर वॊस्कृ त भं ऩाठ कयने भं ु े शं । भाकण्डे मऩुयाण क अनुळाय दे ली भाशात्म्म भं स्लमॊ भाॊ ा े अवभथा शं तो उव व्मत्रक्त को वद्ऱद्ऴोकी दगाा को ऩढने वे ु जगदम्फा का लिन शं -। राब प्राद्ऱ शोता शं । क्मोफक वात द्ऴोकं लारे इव स्तोि भं ळयत्कारे भशाऩूजा फक्रमतेमा िलात्रऴकी। ा श्रीदगाावद्ऱळती का वाय वभामा शुला शं । ु तस्माॊभभैतडभाशात्म्मॊश्रत्लाबत्रक्तवभस्डलत:॥ ु जो व्मत्रक्त वद्ऱद्ऴोकी दगाा का बी न कय वक लश कलर ु े े नलााण भॊि का असधकासधक जऩ कयं । वलााफाधात्रलसनभुक्तोधनधाडमवुतास्डलत:। ा भनुष्मोभत्प्रवादे नबत्रलष्मसतन वॊळम:॥ दे ली क ऩूजन क वभम इव भॊि का जऩ कये । े े अथाात् ळयद ऋतु क नलयािभं े जमडती भङ्गराकारी बद्रकारी जफ भेयी लात्रऴाक भशाऩूजा शोती कऩासरनी। शं , उव कार भं जो भनुष्म भेये दगाा षभा सळला धािी स्लाशा ु भाशात्म्म (दगाावद्ऱळती) ु को स्लधानभोऽस्तुते॥ बत्रक्तऩूलकवुनेगा, लश भनुष्म भेये ा दे ली वे प्राथाना कयं - प्रवाद वे वफ फाधाओॊ वे भुक्त शोकय धन-धाडम एलॊ ऩुि वे वम्ऩडन शो जामेगा। त्रलधेफशदे त्रल कल्माणॊत्रलधेफशऩयभाॊ - सश्रमभ ्।रूऩॊदेफशजमॊदेफशमळोदे फशफद्र नलयाि भं दगाावद्ऱळती ु ऴोजफश॥ को ऩढने मा वुनने वे दे ली अत्मडत प्रवडन शोती शं एवा अथाात् शे दे त्रल! आऩ भेया ळास्त्रोक्त लिन शं । वद्ऱळती का कल्माण कयो। भुझे श्रेद्ष वम्ऩत्रत्त ऩाठ उवकी भूर बाऴा वॊस्कृ त भं प्रदान कयो। भुझे रूऩ दो, जम दो, कयने ऩय शी ऩूणा प्रबाली शोता शं । मळ दो औय भेये काभ-क्रोध इत्माफद ळिुओॊ का नाळ कयो। व्मत्रक्त को श्रीदगाावद्ऱळती को बगलती दगाा ु ु का शी स्लरूऩ वभझना िाफशए। त्रलद्रानो क भतानुळाय वम्ऩूणा े ऩाठ कयने वे ऩूला श्रीदगाावद्ऱळती फक ऩुस्तक का इव भॊि वे ु नलयािव्रत का ऩारन कयने भं जो रोगं अवभथा शो लश ऩॊिोऩिायऩूजन कयं - नलयाि क वात यािी,ऩाॊि यािी, दं यािी औय एक यािी े का व्रत कयक बी त्रलळेऴ राब प्राद्ऱ कय वकते शं । नलयाि े नभोदे व्मैभशादे व्मैसळलामैवततॊनभ:। भं नलदगाा की उऩावना कयने वे नलग्रशं का प्रकोऩ स्लत् ु नभ:प्रकृ त्मैबद्रामैसनमता:प्रणता:स्भताभ ्॥ ळाॊत शो जाता शं ।
  • 9. 9 अक्टू फय 2011 कवे कयं नलयाि व्रत? ै  स्लस्स्तक.ऎन.जोळी नल फदनं तक िरने लारे इव ऩला ऩय शभ व्रत यखकय भाॊ क नौ अरग-अरग रूऩ की ऩूजा की जाती शं । इव दौयान घय भं े फकमा जाने लारा त्रलसधलत शलन बी स्लास््म क सरए अत्मॊत राबप्रद शं । शलन वे आस्त्भक ळाॊसत औय लातालयण फक ळुत्रद्ध क े े अराला घय नकायात्भक ळत्रक्तमं का नाळ शो कय वकायात्भक ळत्रक्तमो का प्रलेळ शोता शं । नलयाि व्रत नलयाि भं नल याि वे रेकय वात यािी,ऩाॊि यािी, दं यािी औय एक यािी व्रत कयने का बी त्रलधान शं । नलयाि व्रत क धासभाक भशत्ल क अराला लैसासनक भशत्ल शं , जो स्लास््म की दृत्रद्श वे कापी राबदामक शोता शं । व्रत कयने वे े े ळयीय भं िुस्ती-पतॉ फनी यशती शं । योजाना कामा कयने लारे ऩािन तॊि को बी व्रत क फदन आयाभ सभरता शं । फच्िे, फुजुग, ु े ा फीभाय, गबालती भफशरा को नलयाि व्रत का नशीॊ यखना िाफशए। नलयाि व्रत वे वॊफॊसधत उऩमोगी वुझाल  व्रत क दौयान असधक वभम भौन धायण कयं । े  व्रत क ळुरुआत भं बूख कापी रगती शं । ऐवे भं नीॊफू ऩानी त्रऩमा जा वकता शै । इववे बूख को सनमॊत्रित यखने भं भदद े सभरेगी।  जशा तक वॊबल शो सनजारा उऩलाव न यखं। इववे ळयीय भं ऩानी फक कभी शो जाती शं औय अऩसळद्श ऩदाथा ळयीय क फाशय े नशीॊ आ ऩाते। इववे ऩेट भं जरन, कब्ज, वॊक्रभण, ऩेळाफ भं जरन जैवी कई वभस्माएॊ ऩैदा शो वकती शं ।  एक वाथ खूफ वाया ऩानी ऩीने क फजाए फदन भं कई फाय नीॊफू ऩानी त्रऩएॊ। े  ज्मादातय रोगो को उऩलाव भं अक्वय कब्ज की सळकामत शो जाती शं । इवसरए व्रत ळुरू कयने क ऩशरे त्रिपरा, आॊलरा, े ऩारक का वूऩ मा कये रे क यव इत्माफद ऩदाथो का वेलन कयं । इववे ऩेट वाप यशता शै । े  व्रत क दौयान िाम, कापी का वेलन कापी फढ़ जाता शै । इव ऩय सनमॊिण यखं। े व्रत क दौयान कौनवे खाद्य ऩदाथा ग्रशण कयं ? े  व्रत भं अडन का वेलन लस्जात शं । स्जव कायण ळयीय भं ऊजाा की कभी शो जाती शं ।  अनाज फक जगश परं ल वस्ब्जमं का वेलन फकमा जा वकता शं । इववे ळयीय को जरुयी ऊजाा सभरती शं ।  वुफश क वभम आरू को फ्राई कयक खामा जा वकता शं । आरू भं काफोशाइड्रे ट प्रिुय भािा भं शोता शै । इव सरए आरू े े खाने वे ळयीय को ताकत सभरती शै ।  वुफश एक सगराव दध त्रऩरं। दोऩशय क वभम पर मा जूव रं। ळाभ को िाम ऩी वकते शं । ू े  कई रोग व्रत भं एक फाय शी बोजन कयते शं । ऐवे भं एक सनस्द्ळत अॊतयार ऩय पर खा वकते शं । यात क खाने भं सवॊघाड़े े क आटे वे फने ऩकलान खा वकते शं । े
  • 10. 10 अक्टू फय 2011 भॊि सवद्ध त्रलळेऴ दै ली मॊि वूसि आद्य ळत्रक्त दगाा फीवा मॊि (अॊफाजी फीवा मॊि) ु वयस्लती मॊि भशान ळत्रक्त दगाा मॊि (अॊफाजी मॊि) ु वद्ऱवती भशामॊि(वॊऩूणा फीज भॊि वफशत) नल दगाा मॊि ु कारी मॊि नलाणा मॊि (िाभुॊडा मॊि) श्भळान कारी ऩूजन मॊि नलाणा फीवा मॊि दस्षण कारी ऩूजन मॊि िाभुॊडा फीवा मॊि ( नलग्रश मुक्त) वॊकट भोसिनी कासरका सवत्रद्ध मॊि त्रिळूर फीवा मॊि खोफडमाय मॊि फगरा भुखी मॊि खोफडमाय फीवा मॊि फगरा भुखी ऩूजन मॊि अडनऩूणाा ऩूजा मॊि याज याजेद्वयी लाॊछा कल्ऩरता मॊि एकाॊषी श्रीपर मॊि भॊि सवद्ध त्रलळेऴ रक्ष्भी मॊि वूसि श्री मॊि (रक्ष्भी मॊि) भशारक्ष्भमै फीज मॊि श्री मॊि (भॊि यफशत) भशारक्ष्भी फीवा मॊि श्री मॊि (वॊऩूणा भॊि वफशत) रक्ष्भी दामक सवद्ध फीवा मॊि श्री मॊि (फीवा मॊि) रक्ष्भी दाता फीवा मॊि श्री मॊि श्री वूक्त मॊि रक्ष्भी गणेळ मॊि श्री मॊि (कभा ऩृद्षीम) ु ज्मेद्षा रक्ष्भी भॊि ऩूजन मॊि रक्ष्भी फीवा मॊि कनक धाया मॊि श्री श्री मॊि (श्री श्री रसरता भशात्रिऩुय वुडदमै श्री लैबल रक्ष्भी मॊि (भशान सवत्रद्ध दामक श्री भशारक्ष्भी मॊि) भशारक्ष्भमं श्री भशा मॊि) अॊकात्भक फीवा मॊि ताम्र ऩि ऩय वुलणा ऩोरीव ताम्र ऩि ऩय यजत ऩोरीव ताम्र ऩि ऩय (Gold Plated) (Silver Plated) (Copper) वाईज भूल्म वाईज भूल्म वाईज भूल्म 2” X 2” 640 2” X 2” 460 2” X 2” 370 3” X 3” 1250 3” X 3” 820 3” X 3” 550 4” X 4” 1850 4” X 4” 1250 4” X 4” 820 6” X 6” 2700 6” X 6” 2100 6” X 6” 1450 9” X 9” 4600 9” X 9” 3700 9” X 9” 2450 12” X12” 8200 12” X12” 6400 12” X12” 4600 मॊि क त्रलऴम भं असधक जानकायी शे तु वॊऩक कयं । े ा GURUTVA KARYALAY Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785 Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in, Our Website:- http://gk.yolasite.com/ and http://gurutvakaryalay.blogspot.com/
  • 11. 11 अक्टू फय 2011 दे ली आयाधना वे असबद्श कामो की सवत्रद्ध शे तु  स्लस्स्तक.ऎन.जोळी दे ली बागलत क आठलं स्कध भं दे ली उऩावना का त्रलस्ताय वे लणान शै । दे ली का ऩूजन-अिान-उऩावना-वाधना इत्माफद क े ॊ े ऩद्ळमात दान दे ने ऩय भनुष्म क सरमे रोक औय ऩयरोक दोनं वुख दे ने लारे शोते शं । े  प्रसतऩदा सतसथ क फदन दे ली का ऴोडळेऩिाय वे ऩूजन कयक नैलेद्य क रूऩ भं दे ली को गाम का घृत (घी) अऩाण कयना े े े िाफशए। भाॊ को ियणं िढ़ामे गमे घृत को ब्राम्शणं भं फाॊटने वे योगं वे भुत्रक्त सभरती शै ।  फद्रतीमा सतसथ क फदन दे ली को िीनी का बोग रगाकय दान कयना िाफशए। िीनी का बोग रागाने वे व्मत्रक्त दीघाजीली े शोता शं ।  तृतीमा सतसथ क फदन दे ली को दध का बोग रगाकय दान कयना िाफशए। दध का बोग रागाने वे व्मत्रक्त को दखं वे े ू ू ु भुत्रक्त सभरती शं ।  ितुथॉ सतसथ क फदन दे ली को भारऩुआ बोग रगाकय दान कयना िाफशए। भारऩुए का बोग रागाने वे व्मत्रक्त फक े त्रलऩत्रत्त का नाळ शोता शं ।  ऩॊिभी सतसथ क फदन दे ली को करे का बोग रगाकय दान कयना िाफशए। करे का बोग रागाने वे व्मत्रक्त फक फुत्रद्ध, े े े त्रललेक का त्रलकाव शोता शं । व्मत्रक्त क ऩरयलायीकवुख वभृत्रद्ध भं लृत्रद्ध शोती शं । े  ऴद्षी सतसथ क फदन दे ली को भधु (ळशद, भशु, भध) का बोग रगाकय दान कयना िाफशए। भधु का बोग रागाने वे े व्मत्रक्त को वुॊदय स्लरूऩ फक प्रासद्ऱ शोती शं ।  वद्ऱभी सतसथ क फदन दे ली को गुड़ का बोग रगाकय दान कयना िाफशए। गुड़ का बोग रागाने वे व्मत्रक्त क वभस्त े े ळोक दय शोते शं । ू  अद्शभी सतसथ क फदन दे ली को श्रीपर (नारयमर) का बोग रगाकय दान कयना िाफशए। गुड़ का बोग रागाने वे े व्मत्रक्त क वॊताऩ दय शोते शं । े ू  नलभी सतसथ क फदन दे ली को धान क राले का बोग रगाकय दान कयना िाफशए। धान क राले का बोग रागाने वे े े े व्मत्रक्त क रोक औय ऩयरोक का वुख प्राद्ऱ शोता शं । े त्रलसबडन दे ली की प्रवडनता क सरमे गामिी भॊि े दगाा गामिी : ॐ सगरयजामे त्रलधभशे , सळलत्रप्रमाम धीभफश तडनो दगाा :प्रिोदमात। ु ु रक्ष्भी गामिी : ॐ भशाराक्ष्भमे त्रलधभशे , त्रलष्णु त्रप्रमाम धीभफश तडनो रक्ष्भी:प्रिोदमात। याधा गामिी : ॐ लृऴ बानु: जामै त्रलधभशे , फक्रस्रप्रमाम धीभफश तडनो याधा :प्रिोदमात। तुरवी गामिी : ॐ श्री तुल्स्मे त्रलधभशे , त्रलद्लुत्रप्रमाम धीभफश तडनो लृॊदा: प्रिोदमात। वीता गामिी : ॐ जनक नॊफदडमे त्रलधभशे बुसभजाम धीभफश तडनो वीता :प्रिोदमात। शॊ वा गामिी : ॐ ऩयम्नडवाम त्रलधभशे , भशा शॊ वाम धीभफश तडनो शॊ व: प्रिोदमात। वयस्लती गामिी : ॐ लाग दे व्मै त्रलधभशे काभ याज्मा धीभफश तडनो वयस्लती :प्रिोदमात। ऩृ्ली गामिी : ॐ ऩृ्ली दे व्मै त्रलधभशे वशस्र भूयतमै धीभफश तडनो ऩृ्ली :प्रिोदमात।
  • 12. 12 अक्टू फय 2011 आस्द्वन नलयात्रि घट स्थाऩना भुशूत, त्रलसध-त्रलधान (28 सवतम्फय 2011) ा  स्लस्स्तक.ऎन.जोळी आस्द्वन ळुक्र प्रसतऩदा अथाात नलयािी का ऩशरा करळ स्थाऩना शे तु ळुब भुशूता फदन। इवी फदन वे शी आस्द्वनी नलयाि का प्रायॊ ब शोता  राब भुशूता वुफश 06:12 वे 07:42 तक शं । जो अस्द्वन ळुक्र नलभी को वभाद्ऱ शोते शं , इन नौ  अभृत भुशूता वुफश 07:42 वे 09:12 तक फदनं दे त्रल दगाा की त्रलळेऴ आयाधना कयने का त्रलधान ु  ळुब भुशूता वुफश 10:42 वे 12:12 तक शभाये ळास्त्रो भं फतामा गमा शं । ऩयॊ तु इव लऴा तृसतमा क भुशूता घट स्थाऩना का श्रेद्ष भुशूता यशं गे। े सतथी का षम शोने क कायण नलयाि नौ फदन की जगश े घट स्थाऩना शे तु वलाप्रथभ स्नान इत्माफद के आठ फदनो क शंगे। े ऩद्ळमात गाम क गोफय वे ऩूजा स्थर का रेऩन कयना े ऩायॊ ऩरयक ऩद्धसत क अनुळाव नलयात्रि क ऩशरे े े िाफशए। घट स्थाऩना शे तु ळुद्ध सभट्टी वे लेदी का सनभााण फदन घट अथाात करळ की स्थाऩना कयने का त्रलधान शं । कयना िाफशए, फपय उवभं जौ औय गेशूॊ फोएॊ तथा उव ऩय इव करळ भं ज्लाये (अथाात जौ औय गेशूॊ ) फोमा जाता शै । अऩनी इच्छा क अनुवाय सभट्टी, ताॊफे, िाॊदी मा वोने का े घट स्थाऩनकी ळास्त्रोक्त त्रलसध इव प्रकाय शं । करळ स्थात्रऩत कयना िाफशए। घट स्थाऩना आस्द्वन प्रसतऩदा क फदन फक जाती े मफद ऩूणा त्रलसध-त्रलधान वे घट स्थाऩना शं । कयना शो तो ऩॊिाॊग ऩूजन (अथाात गणेळ- घट स्थाऩना शे तु सििा नषि औय अॊत्रफका, लरुण, ऴोडळभातृका, लैधसतमोग को लस्जात भाना गमा शं । ृ वद्ऱघृतभातृका, नलग्रश आफद दे लं का (सििा नषि 28 सवतॊफय 2011 को ऩूजन) तथा ऩुण्माशलािन (भॊिंच्िाय) दोऩशय 01:37:33 फजे वे रग यशा त्रलद्रान ब्राह्मण द्राया कयाएॊ अथला शं ।) घट स्थाऩना भं सििा नषि को अभथाता शो, तो स्लमॊ कयं । सनऴेध भाना गमा शं । अत् घट ऩद्ळमात दे ली की भूसता स्थाऩना इववे ऩूला कयना ळुब शोता स्थात्रऩत कयं तथा दे ली प्रसतभाका शं । ऴोडळोऩिायऩूलक ऩूजन कयं । इवक फाद ा े त्रलद्रनो क भत वे इव लऴा ळुक्र े श्रीदगाावद्ऱळती का वॊऩुट अथला वाधायण ु प्रसतऩदा वे ळुरू शोने लारे ळायदीम नलयाि भं ऩाठ कयना िाफशए। ऩाठ की ऩूणााशुसत क फदन े वूमोदमी नषि शस्त नषि यशे गा। शस्त नषि को ऩूजन दळाॊळ शलन अथला दळाॊळ ऩाठ कयना िाफशए। घट स्थाऩना क वाथ दीऩक की स्थाऩना बी की े शे तु उत्तभ भाना जाता शं । शं । इव सरमे वूमोदम वे 6.12 जाती शै । ऩूजा क वभम घी का दीऩक जराएॊ तथा उवका े फजे क फाद वे शी करळ (घट) की स्थाऩना कयना े गॊध, िालर, ल ऩुष्ऩ वे ऩूजन कयना िाफशए। ळुबदामक यशे गा। ऩूजन क वभम इव भॊि का जऩ कयं - े मफद ऎवे मोग फन यशे शो, तो घट स्थाऩना बो दीऩ ब्रह्मरूऩस्त्लॊ ह्यडधकायसनलायक। दोऩशय भं असबस्जत भुशूता मा अडम ळुब भुशूता भं कयना इभाॊ भमा कृ ताॊ ऩूजाॊ गृह्रॊस्तेज: प्रलधाम।। उत्तभ यशता शं ।
  • 13. 13 अक्टू फय 2011 वयर त्रलसध-त्रलधान वे ळायदीम नलयाि व्रत उऩावना  सिॊतन जोळी आस्द्वन ळुक्र प्रसतऩदा, फुधलाय, 28 सवतॊफय को ऩुष्ऩ। ळायदीम नलयाि आयॊ ब शो यशे शं । नलयाि भं भाॊ दगाा दे ली का ु नलयाि व्रत: आह्लान, स्थाऩना ल ऩूजन का वभम प्रात:कार शोता शं । नलयाि का व्रत वबी लगा क बक्तो क सरए उत्तभ शोता शै । मफद े े इवीसरए फद्रस्लबाल कडमा रग्न भं घट स्थाऩना का वभम कोई बक्त नौ फदन तक व्रत न यख वक तो दो-यािी क व्रत ं े प्रात: 7.39 तक वलाश्रद्ष शै । े इवक असतरयक्त िय रग्न क े े अलश्म कयने िाफशमे अथाात ऩशरा औय अॊसतभ नलयाि का व्रत िौघस्िडए अथला असबस्जत कार भं बी घट स्थाऩना की जा कयना उऩमुक्त शोता शं । वकती शै । ळायदीम नलयाि दे ली उऩावना क सरए असधक असत े वयर ऩूजन त्रलसध: उत्तभ भाना गमा शै । वलाप्रथभ बक्त श्री गणेळजी का आह्लान कयने क फाद अऩनी े जो बक्त नलयाि क दौयान दे त्रल का ळास्त्रोक्त त्रलसध- े करदे ली का ऩूजन कयना िाफशमे। उवक फाद भाता बगलती का ु े त्रलधान वे ऩूजन कयना िाशं , उडशं नलयाि क एक फदन ऩूला े ऩूजन अऩने कर की ऩयॊ ऩया क अनुवाय कयना िाफशमे। ु े वबी ऩूजन वाभग्री को एकत्रित कय रेना िाफशमे। नलयाि भं दगाा वद्ऱळती का ऩाठ ऩूणा ऩाठ कयना असत उत्तभ ु स्जव स्थान ऩय भाॊ बगलती को स्थात्रऩत कयना शो शोता शं । लशाॊ भॊडऩ फनाने क सरमे उव स्थान को वभतर फनारे, उव े स्थान मा बूसभको सभट्टी मा गाम क गोफय वे रीऩकय बूसभ े गणेळ रक्ष्भी मॊि का ळुत्रद्धकयण कय रं। त्रलद्रानो क भत अनुळाय प्रसतभा स्थात्रऩत कयने शे तु े भॊडऩ नौ शाथ रॊफा औय वात शाथ िौड़ा फनाने का ळास्त्रोक्त त्रलधान शै । भॊडऩ फनाकय उवे त्रलसबडन ळृॊगाय वाभग्री वे वुवस्ज्जत कयं । भाॊ बगलती की प्रसतभा स्थात्रऩत कयने के सरए भॊडऩ क भध्मभ भं िाय शाथ रॊफी औय एक शाथ ऊिी लेदी े ॊ फनारं। उव लेदी ऩय ये ळभी रार लस्त्र त्रफछारे। दे ली प्रसतभा शे तु भाॊ बगलती की प्रसतभा िाय बुजा लारी एलॊ प्राण-प्रसतत्रद्षत गणेळ रक्ष्भी मॊि को अऩने घय-दकान- ु सवॊश ऩय वलायी फकमे शुए शो लैवी शी प्रसतभा स्थात्रऩत कयना ओफपव-पक्टयी भं ऩूजन स्थान, गल्रा मा अरभायी ै उत्तभ शोता शं । इव क ऩीछे का आध्मास्त्भक सवद्धाॊत शोता शं े भं स्थात्रऩत कयने व्माऩाय भं त्रलळेऴ राब प्राद्ऱ शोता की बक्त की िायं फदळाओॊ वे वुयषा शो वक औय उवे वभस्त े शं । मॊि क प्रबाल वे बाग्म भं उडनसत, भान-प्रसतद्षा े प्रकाय क वुख-वभृत्रद्ध ल ळाॊसत प्राद्ऱ शो। े एलॊ व्माऩय भं लृत्रद्ध शोती शं एलॊ आसथाक स्स्थभं वुधाय करळ स्थाऩीत कयने शे तु भॊि उच्िायण कयते शुए शोता शं । गणेळ रक्ष्भी मॊि को स्थात्रऩत कयने वे तीथा स्थरं क जर का आह्लान कय करळ की स्थाऩना कयनी े बगलान गणेळ औय दे ली रक्ष्भी का वॊमुक्त आळीलााद िाफशमे।शलन लेदी त्रिकोण फनाएॊ औय उवऩय जुआये उगाएॊ। ऩूजन वाभग्री: िॊदन, अगरू, कऩूय, कभर, अळोक, वुगॊसधत प्राद्ऱ शोता शं । Rs.550 वे Rs.8200 तक
  • 14. 14 अक्टू फय 2011 नलयाि स्ऩेळर घट स्थाऩना त्रलसध  स्लस्स्तक.ऎन.जोळी, त्रलजम ठाकुय दगाा ऩूजन वाभग्री- ु तत ऩद्ळमात शाथ धोकय, ऩुन: आवन ळुत्रद्ध भॊि का कराला (भौरी, यषा वूि), योरी, सवॊदय, १ ू श्रीपर उच्िायण कयं :- (नारयमर), अषत (त्रफना टू टे िालर), रार लस्त्र, वगॊसधत ॐ ऩृ्ली त्लमाधृता रोका दे त्रल त्मलॊ त्रलष्णुनाधृता। पर- भारा, 5 ऩान क ऩत्ते , 5 वुऩायी, रंग, करळ, करळ ू े त्लॊ ि धायमभाॊ दे त्रल ऩत्रलिॊ करु िावनभ ्॥ ु शे तु आभ क ऩल्रल, रकडीि की िौकी, वसभधा, शलन कण्ड, े ु ळुत्रद्ध कयण औय आिभन क ऩद्ळमात िॊदन रगाना े शलन वाभग्री, कभर गट्टे , ऩॊिाभृत ( दध, दशी, घी, ळशद, ू िाफशए। ळकया(िीनी) ), पर, सभठाई, ऊन का आवन, वाफूत शल्दी, ा अनासभका उॊ गरी वे श्रीखॊड िॊदन रगाते शुए इव भॊि का अगयफत्ती, इि, घी, दीऩक, आयती की थारी, कळा, यक्त िॊदन, ु उच्िायण कयं :- द्ळेत िॊदन (श्रीखॊड िॊदन), जौ, सतर, वुलणा गणेळ ल दगाा ु िडदनस्म भशत्ऩुण्मभ ् ऩत्रलिॊ ऩाऩनाळनभ,् की प्रसतभा 2 (वुलणा उप्रब्ध न शो तो ऩीतर, कई रोग आऩदाॊ शयते सनत्मभ ् रक्ष्भी सतद्षतु वलादा। सभट्टी की प्रसतभा वे ऩूजन कयते शं ।), आबूऴण ल श्रृगाय ॊ वाभग्री, ऩॊिभेला, ऩॊिसभठाई, रूई इत्माफद, ऩॊिोऩिाय ऩूजन कयने क ऩद्ळमात वॊकल्ऩ कयना िाफशएॊ। े वॊकल्ऩ भं ऩुष्ऩ, पर, वुऩायी, ऩान, िाॊदी का सवक्का, श्रीपर दगाा ऩूजन वे ऩूला िौकी को ळुद्ध कयक श्रृगाय कयक ु े ॊ े (नारयमर), सभठाई, भेला, आफद वबी वाभग्री थोड़ी-थोड़ी िौकी वजारं। भािा भं रेकय वॊकल्ऩ भॊि का उच्िायण कयं :- तत ऩद्ळमात रार कऩडे का आवन त्रफछाकय गणऩसत एलॊ ॥ वॊकल्ऩ लाक्म॥ दगाा भाता की प्रसतभाक वम्भुख फैठ जाए। ु े शरय ॐ तत्वत l नभ् ऩयभात्भने श्री ऩुयाण ऩुरुऴोत्तभाम श्री भद बगलते भशा ऩुरुऴस्म त्रलष्णो यासामा प्रलता भान तत ऩद्ळमात आवन को इव भॊि वे ळुत्रद्ध कयण कयं : स्माद्य ब्राह्मणं फद्रतीम प्रशयाद्रे श्रीद्वेत्लायाश कारे लै लस्तल -भडलडतये अस्श्त्लस्श्तत्भे कल्मुगे कसर प्रथभ ियणे जम्फू ॐ अऩत्रलि : ऩत्रलिोला वलाालस्थाॊ गतोऽत्रऩला। द्रीऩे बयत खण्ड बायत लऴे आमाा लतांडतगात दे ळैक ऩुण्म म: स्भये त ् ऩुण्डयीकाषॊ व फाह्याभ्मडतय: ळुसि:॥ षेि ऴत्रद्श वम्लस्तायाणाॊ भध्मे 'अभुक ' नासभन वॊलत्वये 'अभुक ' अमने 'अभुक 'िुतौ .अभुक भावे 'अभुक ऩषे इन भॊिं का उच्िायण कयते शुए अऩने ऊऩय तथा आवन .अभुक सतथौ अभुक नषिे ,अभुक मोग 'अभुक 'लावये ऩय 3-3 फाय कळा मा ऩुष्ऩाफद वे छीॊटं रगामं। ु 'अभुक यासळस्मे वूमे, बौभं, फुधे, गुयौ, ळुक्र, ळनौ, याशौ, े कतौ एलॊ गुण त्रलसळद्शामा सतथौ 'अभुक' गोिोत्ऩडने 'अभुक े तत ऩद्ळमात आिभन कयं : 'नास्म्न ळभाा (लभाा इत्माफद ) वकरऩाऩषमऩूलक वलाारयद्श ा ॊ ॐ कळलाम नभ: े ळाॊसतसनसभत्तॊ वलाभॊगरकाभनमा श्रुसतस्भृत्मोक्तपरप्राप्त्मथं ॐ नायामण नभ: भनेस्प्वत कामा सवद्धमथं श्री दगाा ऩूजनॊ ि अशॊ करयष्मे। ु ॐ भध्लामे नभ: तत्ऩूलाागॊत्लेन सनत्रलाघ्नताऩूलक ा कामा सवद्धमथं मथा ॐ गोत्रलडदाम नभ् सभसरतोऩिाये गणऩसत ऩूजनॊ करयष्मे।