1. जानिए क्या है? मेरी प्रथम शिक्षण संस्थाि की असली कमाई -
मै बालक राम राजपूत प्रथम शिक्षण संस्थाि के तहत अपिे ७ वर्ष के कायषकाल में क्या कमाया है ?
उसके बारे में व्यक्त कर रहा हूूँ । काफी लम्बे समय से मेरे ह्रदय में यह बात उमड़ रही थी कक कोई
पूछे मुझसे मेरे अिुभवों के बारे में । परन्तु आज मैं अपिे आप को अपिी जजज्ञासाओं को िांत
करािे से िहीं रोक सका ।
जब से मुझे प्रथम संस्था के अंतर्षत एक जजम्मेदार व्यजक्त के रूप में कायष करिे
का सौभाग्य प्राप्त हुआ है ,तब से आज तक मैंिे जो कु छ भी कमाया है । इसके अनतररक्त मै वो
सच्ची दौलत अपिे संपूणष जीवि में भी िहीं प्राप्त कर सकता था । मेरे अिुसार प्रथम संस्था में
रहकर काम करिा या िौकरी करिा कहिा अजीव सा लर्ता है । क्यूंकक िौकरी या काम करिा वहां
पर लार्ू होता है ,जहां लोर् ककसी के प्रनतबन्ध में रहकर कायष करके देते हैं और उसके बदले
प्रनतफल के रूप में उसको कीमत अदा की जाती है । परन्तु प्रथम संस्था के तहत ककये र्ए कायों की
तुलिा कीमत से िहीं की जा सकती । इसमे तो व्यजक्त वो सच्ची दौलत प्राप्त कर लेता है , जोकक
अतुलिीय है।क्यूंकक इसमें रहकर व्यजक्त हर साल , हर महीिे ,हर सप्ताह , हर ददि ,हर घंटे
,हर शमिट ,हर सेके ण्ड यानि हर पल कु छ ि कु छ बेहतर सीखता ही है । प्रथम के द्वारा
प्राप्त असली ख़ज़ािे से सम्बंधधत मैं कु छ बबन्दुओं में व्यक्त करिे का प्रयास कर रहा हूूँ -
१. आत्म ववश्वास को बल ।
२. एक बेहतर शिक्षक की कलाएं व कौिल ।
३. बबिा झझझक ककसी के समक्ष अपिे ववचारों को व्यक्त करिे की क्षमताएं ।
४. ईमािदारी , मेहित और लर्ि से र्ुणवत्तापूणष ढंर् से कायष करिे की दक्षताएं ।
५. शभन्ि -शभन्ि पररजस्थनतयों के अिुसार एक बेहतर िेत्रत्वीकरण के र्ुण ।
६. सवषजि दहत के प्रनत कल्याणकारी भाविाओंका ववकाि ।
७. ककसी से आदर (सम्माि ) पािे और सभी का आदर (सम्माि ) करिे के र्ुण ।
८. शभन्ि -शभन्ि स्थािों पर ,शभन्ि -शभन्ि लोर्ों के साथ मधुर सम्बन्ध स्थावपत करके
सफलतापूवषक कायष करिे की क्षमताएं ।
९. एक अच्छा श्रोता के साथ -साथ एक अच्छा वक्ता होिा ।
१०. अलर् - अलर् पररजस्थनतयों के अिुसार निणषय लेिे की क्षमताएं ।
११. धैयषवाि होिा ।
१२. सुववचार भविा का ववकाि ।
१३. बच्चों को पढािे के साथ - साथ स्वयं भी सीखिे के अवसर प्राप्त करिा ।
१४. सवषधमष व सवषजि को समािता की दृजटट से देखिे के र्ुण ।
१५. शिक्षा और प्रशिक्षण जैसे व्यजक्तत्व व चररत्र निमाषण के प्रबलतम मािवीय संसाधिों को प्राप्त
करिे वाले योग्य शिक्षक का निमाषण ।
१६. अपषण करिे की भाविाओं का ववकाि ।
2. १७. व्यजक्तयों के ववचारो से अवर्त होकर व्यजक्तयों की पहचाि करिे की क्षमताएं ।
१८. व्यजक्तत्व का निखार ।
१९. अपिी सोच को सकारात्मक ददिा प्रदाि करिे की क्षमताओं का ववकाि ।
२०. इस प्रनतयोधर्ताएं के युर् में मौका लेिा और ककसी मौका देिा के कौिल ।
२१. ववर्म पररजस्थनतयों में भी ककसी कायष की जदटलता को सरलता में पररवनतषत करिे के र्ुण ।
२२. अपिे कमों से समुदाय के लोर्ों से मधुर ररश्ते बिािे व निभािे की कलाएं । जोकक हमारे
कायषक्षेत्रों में स्थािीय लोर्ों से सम्बन्ध बिते हैं और स्थािान्तरण के वक्त बबछड़िे पर इतिे दुखों
की अिुभूनत होती है कक िायद उतिा दुुःख तो अपिे सर्े सम्बजन्धयों से बबछड़िे पर भी िहीं होता ।
यही है मेरी कमाई की असली दौलत । जोकक मैंिे यह प्रथम क्षक्षक्षण संस्थाि के माध्यम से
प्राप्त की है , अन्यथा मेरा संपूणष जीवि भी ऐसे अिमोल ख़ज़ािे के शलये कम होता ।
उपयुषक्त कु छ बबन्दुओं में मैंिे अपिी प्रथम की असली कमाई को व्यक्त करिे का प्रयास
ककया है । अन्यथा इसको िब्दों में वयां करिा अत्यंत मुजश्कल सा लर् रहा था । अब तो हमारे मि में
कभी - कभी ख्याल आिे लर्ते है कक हम ककसी से भी कम िहीं हैं । जबकक ऐसा सोचिा भी पाप है
, र्ुिाह है और अहंकार का रूप है ।
अतुः ये तो रहा मेरे अिुसार मेरा अिुभव प्रथम शिक्षण संस्थाि के माध्यम से मेरी प्राप्त
उपलजब्धयों के बारे में । जोकक इस तरह मेरे व्यजक्तत्व का ववकाि इसके अनतररक्त और कहीं से भी
िहीं हो सकता था । जजस तरह मैंिे प्रथम के सौजन्य से अपिा व्यजक्तत्व संवारा है । यदद आप लोर्ों
की सहमनत शमली तो मैंिे अपिे कायषक्षेत्रों में कै से - कै से कायष ककये हैं ? अर्ली बार वे अिुभव भी
व्यक्त करूं र्ा ।